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अजीत डोभाल को यूएस कोर्ट के समन, जानें क्या है पूरा मामला?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है। एक अमेरिकी अदालत ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल समेत कई मौजूदा व पूर्व टॉप खुफिया अफसरों को समन भेजा है। यह समन खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की तरफ से दाखिल सिविल केस में भेजा गया है, जिसमें खालिस्तानी आतंकी ने इन अधिकारियों पर अमेरिका में अपनी हत्या की कथित साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है।

न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले की अमेरिकी जिला कोर्ट ने भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, पूर्व रॉ प्रमुख सामंत गोयल को समन में शामिल किया था। हत्या के मामले में आरोपी दो व्यक्तियों, निखिल गुप्ता और विक्रम यादव को भी समन भेजा गया है। निखिल गुप्ता को पिछले साल चेक गणराज्य में अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर न्यूयॉर्क में पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें इस साल जून में चेक गणराज्य से अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया था।

अमेरिकी कोर्ट के भारत सरकार और टॉप अफसरों को समन जारी करने पर केंद्र ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सख्त आपत्ति जताई है और मुकदमे को पूरी तरह से अनुचित करार दिया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा है कि जब ये मुद्दे पहली बार हमारे ध्यान में लाए गए, तो हमने कार्रवाई की। (इस मामले में) एक उच्च स्तरीय समिति लगी हुई है।

विदेश मंत्रालय की गुरुवार दोपहर की ब्रीफिंग में मीडिया ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि मैं यह केस दाखिल करने वाले व्यक्ति की तरफ आपका ध्यान खींचना चाहूंगा। पन्नू का इतिहास हर कोई जानता है। पन्नू एक कट्टरपंथी गैरकानूनी संगठन सिख फॉर जस्टिस का प्रमुख है, जिसे भारतीय नेताओं और संस्थानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और धमकियां देने के लिए हर कोई जानता है। नई दिल्ली उसे 2020 में ही आतंकवादी घोषित कर चुकी है।

क्या है पन्नू की हत्या की साजिश का मामला

पिछले साल नवंबर में ब्रिटिश न्यूजपेपर फाइनेंशियल टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अमेरिका ने पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया है। पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। इस न्यूज रिपोर्ट की पुष्टि बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी की थी। इस मामले में भारतीय नागरिकों के नाम सामने आने और उनका लिंक भारतीय खुफिया एजेंसियों से जुड़ा होने का दावा किया गया था। इस जानकारी के सामने आने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे चिंता की बात बताया था और भारत की तरफ से एक हाई-लेवल जांच शुरू करने की बात कही थी। इसके बाद से अमेरिका में इस मामले को लेकर जांच चल रही है।

हिंद महासागर में चीन के बढ़े प्रभाव ने भारत-अमेरिका चिंतित, ड्रैगन पर श‍िकंजा कसने की तैयारी में दोनों देश

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हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से भारत ही नहीं अमेरिका भी चिंतित है। इन चिंताओं के बीच अमेरिका ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के साथ ज्यादा निकटता से सहयोग करने का फैसला लिया है। अमेरिका ने इस संबंध मे बयान जारी किया है। अमेरिकी उप विदेश मंत्री कर्ट एम कैंपबेल ने इस संबंध में अपने बयान में कहा, मैं आपको यह पहली बार बता सकता हूं कि अमेरिका और भारत हिंद महासागर पर एक सत्र आयोजित करने जा रहे हैं। हम इस बारे में बात करने जा रहे हैं कि हमारी आपसी चिंताएं क्या हैं, हम एक साथ कैसे काम कर सकते हैं। हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी रिपब्लिकन में बोलते हुए उन्होंने ये ऐलान किया है।

WION ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बाइडन के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी कैंपबेल ने कहा कि हिंद महासागर में भारत जैसे साझेदार के साथ अधिक निकटता से काम करने की ओर आशा से देख रहे हैं।

हिंद महासागर वैश्विक व्यापार के लिए सबसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक है, जहां से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में शिपिंग यातायात गुजरता है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया का 60 प्रतिशत समुद्री व्यापार हिंद महासागर से होकर गुजरता है, जिसमें दुनिया के एक तिहाई कंटेनर कार्गो और दुनिया के दो-तिहाई तेल शिपमेंट शामिल हैं। इसके चोकपॉइंट्स से हर दिन करीब 36 मिलियन बैरल की आवाजाही होती है, जो दुनिया की लगभग 40 फीसदी तेल आपूर्ति और 64 फीसदी तेल व्यापार के बराबर है।

चीन बीते कुछ समय से इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। उसका जिबूती में एक सैन्य अड्डा है जो 2017 में चालू हो गया। ग्वादर से चटगांव तक इसने चीन के लिए आसानी तकर दी है। माना जा रहा है कि अगले 4 वर्षों में चीन के पास इस क्षेत्र में एक स्थायी विमानवाहक पोत हो सकता है। इससे अमेरिका चिंतित है और भारत भी असहज है। ऐसे में भारत और अमेरिका साथ आकर इस क्षेत्र में काम करने के संकेत दे रहे हैं।

'मेड इन इंडिया' तोप के गोले कैसे पहुंचे यूक्रेन? जानें रूस का रूख़

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रूस और यूक्रेन दो साल से अधिक वक्त से एक दूसरे के खिलाफ युद्ध कर रहे हैं। इस बीच भारत दोनों देशों से लगातार शांति की अपील करता आ रहा है। पिछले दिनों भारत की लगातार अपील का असर भी देखा गया, जब रूस के राष्ट्रपति ने भारत, जीन और ब्राजील से शांति स्थापित करने की पहल करने की अपील की। पुतिन ने खासकर भारत पर भरोसा जताया। हालांकि, इस बीच एक ऐसी खबर आई है, जिससे भारत-रूस की दोस्ती पर असर पड़ सकता है। दरअसर, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध में भारतीय तोप के गोले का इस्तेमाल कर रहा है। भारतीय हथियार निर्माताओं की ओर से इन्हें यूरोप के देशों को बेचा गया था। बाद में इन्हें यूक्रेन भेज दिया गया। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह खुलासा किया है।

कितनी संख्या में भारतीय गोला-बारूद यूक्रेन पहुंचे?

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के हथियार का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में बेहद कम मात्रा में हुआ है। एक अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन ने जितने भी गोला-बारूद का आयात किया है, यह उसका एक प्रतिशत से भी कम होगा। हालांकि, अभी तक ये पता नहीं चला कि यूरोपीय देशों ने ये गोला-बारूद यूक्रेन को दान में दिया या दोबारा बेचा है। बताया जा रहा है कि ये हथियार यंत्र इंडिया नामक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी ने बनाए हैं।

बीते एक साल से भेजे जा रहे हथियार

रिपोर्ट में सूत्रों और सीमा शुल्क के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन की रक्षा का समर्थन करने के लिए भारतीय हथियारों का हस्तांतरण एक साल से भी अधिक समय तक हो रहा है। बावजूद इसके कि ये नियमों के खिलाफ है। भारतीय हथियार निर्यात नियमों के मुताबिक, हथियारों का इस्तेमाल केवल खरीदने वाला ही कर सकता है। अगर हथियार दूसरे को हस्तांतरित किए जाते हैं तो भविष्य में बिक्री रोकी जा सकती है।

रूस ने जताई थी आपत्ति

रिपोर्ट में तीन भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि रूस ने कम से कम दो मौकों पर इस मुद्दे को उठाया है। इसमें रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और डॉ.एस जयशंकर के बीच जुलाई में हुई मीटिंग भी शामिल है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस और भारत के रक्षा मंत्रालयों ने इससे जुड़े सवाल का जवाब नहीं दिया। जनवरी में भारीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि भारत ने यूक्रेन को तोपखाने के लिए गोले नहीं बेचे हैं।

पीएम मोदी को मिले 600 से ज्यादा तोहफों की हो रही नीलामी, जानें कितनी तय की गई कीमत

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प्रधानमंत्री मोदी को मिले तोहफों की नीलामी शुरू हो चुकी है। 600 से ज्यादा गिफ्ट्स में से कुछ भी कोई खरीद सकता है। पीएम मोदी ने गुरुवार पिछले एक साल में मिले उपहारों की नीलामी में लोगों से हिस्सा लेने का आग्रह किया। ये ऑक्शन 17 सितंबर से लेकर 2 अक्टूबर तक चलेगी। इस नीलामी से मिलने वाला पैसा नमामि गंगे योजना में जाएगा।

पीएम मोदी को मिले तोहफों की निलामी में सिर्फ 600 रुपये की शुरुआती कीमत से लेकर 9 लाख रुपये तक की कीमत में तोहफे हैं। इस ऑनलाइन निलामी के लिए आप इसकी ऑफिशियल वेबसाइट (https://pmmementos.gov.in/) पर विजिट कर सकते हैं।

गिफ्ट्स में क्या-क्या?

पैरालंपिक कांस्य पदक विजेता अजीत सिंह, सिमरन शर्मा और रजत पदक विजेता निशाद कुमार द्वारा भेंट किए गए जूतों के अलावा रजत पदक विजेता शरद कुमार की हस्ताक्षरित टोपी का आधार मूल्य 2.86 लाख रुपये के आसपास रखा गया है। राम मंदिर की एक प्रतिकृति जिसकी कीमत 5.50 लाख रुपये है, मोर की एक मूर्ति जिसकी कीमत 3.30 लाख रुपये है, राम दरबार की एक मूर्ति जिसकी कीमत 2.76 लाख रुपये है और चांदी की वीणा जिसकी कीमत 1.65 लाख रुपये है, उच्च आधार मूल्य वाली वस्तुओं में शामिल हैं। सबसे कम आधार मूल्य वाले उपहार में सूती अंगवस्त्रम, टोपी और शॉल शामिल हैं, जिनकी कीमत 600 रुपये रखी गई है।

5 साल में हुई ₹50 करोड़ की कमाई

आपको बता दें कि पीएम मोदी को मिले गिफ्टों की नीलामी का यह छठा संस्करण है। 2019 में पीएम मोदी के बर्थडे से इसकी शुरुआत हुई थी। इन नीलामियों ने पिछले 5 साल में 50 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है। हर साल की तरह इस बार भी पीएम मोदी के गिफ्ट्स की नीलामी से हुई आय को नमामि गंगे परियोजना में लगाया जाएगा। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने लोगों से इस ई-नीलामी में भाग लेने का आग्रह किया, क्योंकि इस ई-ऑक्शन में भाग लेकर वे एक नेक काम में योगदान देंगे। इससे हमारे देश के पर्यावरण को संरक्षित करने में सहायता मिलेगी।

गणपति-पंडाल का डीजे हानिकारक तो ईद के जुलूस का क्यों नहीं', याचिका की सुनवाई करते हुए बॉम्बे-हाई कोर्ट ने पूछा सवाल

बॉम्बे हाईकोर्ट ने डीजे से ध्वनि प्रदूषण से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गंभीर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि यदि गणपति उत्सव के चलते डीजे हानिकारक हो सकता है, तो ईद मिलादुन्नवी के जुलूस में डीजे का उपयोग क्यों नहीं हो सकता। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने अपनी पीआईएल में तेज ध्वनि से होने वाले नुकसान को उजागर करते हुए राहत की गुहार लगाई थी।

याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया था कि एक ऐसा आदेश जारी किया जाए जिससे नगर निकाय या पुलिस उच्च डेसीबेल ध्वनि उपकरणों के उपयोग की अनुमति न दें। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बीते महीने एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 का उल्लंघन करने वाले त्योहारों के चलते एजेंसियों को लाउड स्पीकर एवं अन्य ध्वनि प्रणालियों को तत्काल जब्त कर लेना चाहिए। खंडपीठ ने इसी आदेश का हवाला देते हुए टिप्पणी की। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि गणपति उत्सव के चलते डीजे की आवाज से लोगों को नुकसान हो सकता है, तो ईद के जुलूस में भी ऐसा क्यों नहीं हो सकता।

हाईकोर्ट ने कहा कि हदीस या कुरान जैसे ग्रंथों में उत्सव के लिए डीजे सिस्टम या लेजर लाइट के उपयोग का कोई उल्लेख नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ओवैस पेचकर ने मामले की सुनवाई के चलते आग्रह किया कि गणपति उत्सव के संदर्भ में जारी आदेश में ईद समेत अन्य त्योहारों को भी सम्मिलित किया जाए, जिनमें डीजे का उपयोग होता है। हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि इसकी आवश्यकता नहीं है। सुनवाई के चलते, लेजर लाइट से होने वाले नुकसान पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने वैज्ञानिक सबूत पेश करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि जब तक इस सिलसिले में वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं होते, वह इस मामले में कोई निर्णय नहीं ले सकती। अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पीआईएल दाखिल करते समय उन्हें बुनियादी शोध भी नहीं करना चाहिए।

मैं भी मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं… राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जता दी बड़ी ख्वाहिश, महाराष्ट्र विस चुनाव से पहले इस बयान ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बड़ा बयान दिया है। राज्य के सीएम पद पर पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए उन्होंने कहा कि वह भी राज्य के मुख्यमंत्री बनने के लिए काफी उत्सुक हैं। पुणे के प्रतिष्ठित दगडूशेठ हल्द्वाई गणपति मंदिर में पूजा करने के बाद पवार ने मीडिया में बयान देते हुए कहा कि हर कोई चाहता है कि उनका नेता मुख्यमंत्री बने। जब मैं यह कहता हूं तो मेरा भी इसमें नाम आता है। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के लिए बहुमत हासिल करना जरूरी है। हर किसी की इच्छा पूरी नहीं होती।

अजित पवार ने कहा कि हर शख्स की अपनी एक राय और इच्छा होती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को हमेशा वह नहीं मिलता जो वह चाहता है। उनका कहना था कि संविधान में डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने हमें मतदान का अधिकार दिया है और आखिरकार यह मतदाताओं के हाथ में है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में किस पार्टी को पूर्ण बहुमत देते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 288 विधानसभा सीट हैं और सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 145 सीट के आधे आंकड़े को पार करना होगा।

उप मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बीजेपी, शिवसेना और राकांपा वाला महायुति (महागठबंधन) आगामी विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ेगी। उन्होंने कहा कि महायुति के सभी नेता महागठबंधन सरकार को फिर से सत्ता में लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। आगे उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि महागठबंधन सरकार आने के बाद हम सब मिलकर मुख्यमंत्री के बारे में फैसला करेंगे। उनका कहना था कि महायुति आगामी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में लड़ने जा रही है।

पुलिस विभाग में DSP बनी महिला बॉक्सर, कॉमनवेल्थ में जीत चुकी है गोल्ड मेडल

डेस्क: भारत की स्टार मुक्केबाज निकहत जरीन (निखत जरीन) ने एक और मुकान हासिल कर लिया है। विश्व मुक्केबाजी विजेता निकहत जरीन को तेलंगाना पुलिस में डीएसपी के पद पर नियुक्त किया गया है। निकहत जरीन की उनके नियुक्ति पत्र के साथ तस्वीर भी सामने आई है। बता दें कि निकहत जरीन ने हाल ही में पेरिस ओलंपिक 2024 में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था। आइए जानते हैं उनकी नई नियुक्ति से जुड़ी कुछ खास बातें। जानकारी के मुताबिक, बॉक्सर निकहत जरीन ने तेलंगाना पुलिस में पुलिस उपाधीक्षक यानी डीएसपी के रूप में कार्यभार संभाल भी लिया है। निकहत ने तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक जितेंद्र को अपना नियुक्ति पत्र सौंपा है। जानकारी के मुताबिक, बुधवार रात जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि राज्य सरकार ने जरीन को डीएसपी (विशेष पुलिस) के रूप में नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे। निकहत जरीन तेलंगाना के निजामाबाद जिले की रहने वाली हैं। जरीन दो बार विश्व बॉक्सिंग विजेता रह चुकी हैं और उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड पदक तथा एशियाई खेलों में कांस्य पदक भी जीता है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्होंने हाल ही में पेरिस में आयोजित ओलंपिक में भाग लिया था। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) (कानून एवं व्यवस्था प्रभारी कार्मिक) महेश एम भागवत ने निकहत जरीन को बधाई दी है। निकहत जरीन ने साल 2022 और 2023 में महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। तेलंगाना में तत्कालीन सीएम चंद्रशेखर राव की सरकार ने निकहत जरीन को दो करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार और शहर के बंजारा हिल्स या जुबली हिल्स में आवासीय प्लॉट आवंटित करने की घोषणा भी की थी।
भारत ने इजराइल के साथ निभाई दोस्ती! यूएनजीए में फिलिस्तीन से जुड़े प्रस्ताव पर वोटिंग में नहीं लिया हिस्सा

#indiaabstainsfromungaisraelpalestinianresolution

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में फिलिस्तीन से जुड़े प्रस्ताव पर वोटिंग से किनारा कर लिया। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि इजराइल ने फिलिस्तीन के क्षेत्र में जो अवैध कब्जा किया है, उसे जल्द से जल्द हटाए और वो भी बिना किसी देरी के 12 महीने के अंदर। इस प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं किया।

भारत का कहना है कि हम बातचीत और कूटनीति के जरिए विवाद को सुलझाने के समर्थक हैं। भारत ने कहा कि हमें विभाजन बढ़ाने के बजाय मतभेद मिटाने की दिशा में काम करना चाहिए। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को फिलिस्तीन पर प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव में मांग की गई है कि इजराइल को कब्जाए गए फिलिस्तीन के इलाकों को 12 महीनों में खाली कर देना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में पेश किए गए प्रस्ताव के पक्ष में 124 देशों ने मतदान किया। वहीं 14 देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। 43 देश वोटिंग से दूर रहे, जिनमें भारत भी शामिल है।

इन देशों ने मतदान से बनाई दूरी

मतदान में जिन देशों ने भाग नहीं लिया, उनमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इटली, नेपाल, यूक्रेन और ब्रिटेन शामिल हैं। वहीं इजराइल और अमेरिका ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने इजराइल-फिलिस्तीन विवाद की शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण और स्थानीय समाधान की वकालत की और दोहराया कि प्रत्यक्ष और सार्थक बातचीत के जरिए ही दोनों देशों के बीच दो राज्य समाधान ही स्थायी शांति ला सकता है।

फिलिस्तीन के प्रस्ताव में क्या?

फिलिस्तीन की ओर से तैयार प्रस्ताव में इजराइल सरकार की ओर से संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत अपने दायित्वों की अवहेलना किए जाने की भी कड़ी निंदा की गई। इस बात पर जोर दिया गया कि ऐसे उल्लंघनों से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को गंभीर खतरा है। इसमें कहा गया है कि इजराइल को कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के किसी भी उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

कांग्रेस और पाकिस्तान दोनों के इरादे और एजेंडा एक', पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयान पर अमित शाह का वार

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बीच 370 के मुद्दे पर सियासत गर्मा गई है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इसे लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा है कि उनका देश जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर कांग्रेस गठबंधन के रुख से सहमत है।पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयान पर गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को घेरा है। अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान और कांग्रेस के इरादे भी एक हैं और एजेंडा भी।

अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का आर्टिकल 370 और 35A पर कांग्रेस और NC के समर्थन की बात ने एक बार फिर कांग्रेस को एक्सपोज कर दिया है। इस बयान ने पुनः यह स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस और पाकिस्तान के इरादे भी एक हैं और एजेंडा भी। पिछले कुछ वर्षों से राहुल गांधी देशवासियों की भावनाओं को आहत करते हुए हर एक भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़े रहे हैं। 

गृहमंत्री ने आगे लिखा है, एयर स्ट्राइक व सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने हों या भारतीय सेना के बारे में आपत्तिजनक बातें करना हो, राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी और पाकिस्तान के सुर हमेशा एक रहे हैं और कांग्रेस का हाथ हमेशा देशविरोधी शक्तियों के साथ रहा है। लेकिन, कांग्रेस पार्टी और पाकिस्तान यह भूल जाते हैं कि केंद्र में मोदी सरकार है, इसलिए कश्मीर में न तो आर्टिकल 370 वापस आने वाला है और न ही आतंकवाद।

ख्वाजा आसिफ ने क्या कहा था?

पाकिस्तान के एक न्यूज चैनल पर ख्वाजा आसिफ से सवाल पूछा गया कि शेख अब्दुल्ला और नेहरू ने 370 और 35A तय किया था। अब ये दोनों पार्टियां नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस चुनाव में कह रही हैं कि अगर हम जीत गए तो 35 ए और 370 की सस्पेंशन को खत्म कर देंगे। आपको लगता है?

इस पर आसिफ ने कहा, मेरा खयाल है कि ये संभव है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस दोनों की ही महत्वपूर्ण मौजूदगी है। इस इश्यू पर मुझे लगता है कि वादी यानि कश्मीर घाटी की जनता बहुत मोटिवेट हुई है, वादी के बाहर भी। बहुत चांस है कि वह सत्ता में आएं। उन्होंने स्टेटस रिस्टोर होना चाहिए, इसे इलेक्शन का मुद्दा बनाया हुआ है। अगर स्टेटस रिस्टोर हुआ तो, मैं समझता हूं कि कश्मीरी लोगों को जो जख्म मिला है उसमें कुछ मरहम लगेगा।

फिर सामने आया कोरोना का एक नया वेरिएंट, 27 देशों में फैला संक्रमण

डेस्क: छोटे-छोटे अंतराल के बाद ये वायरस नए वेरिएंट के साथ वापस लौट आता है। दुनिया के कई देश इन दिनों मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट पर हैं, इस बीच कोरोना ने एक बार फिर से दस्तक दे दी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोनावायरस का एक नया वेरिएंट एक्सईसी (XEC Variant) तेजी से फैल रहा है। अब तक करीब 27 देशों में इससे संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, कई देशों में कोविड का ये नया वेरिएंट तेजी से फैल रहा है। जून के महीने में सबसे पहले जर्मनी में XEC वेरिएंट की पहचान की गई थी। अब इसके मामले यूके, यूएस, डेनमार्क और कई अन्य देशों में भी सामने आ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कोविड का ये वेरिएंट अधिक संक्रामकता वाला हो सकता है। यूरोप में ये तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में दूसरे देशों को भी अलर्ट हो जाने की जरूरत है।

वैज्ञानिक बताते हैं, सभी वायरस की प्रकृति होती है कि जिंदा रहने के लिए उनके स्पाइक प्रोटीन में परिवर्तन होता रहता है। कोरोना के साथ भी ऐसा ही है, एक्सईसी वेरिएंट में भी कुछ नए उत्परिवर्तन देखे गए हैं जो इसे तेजी से फैलने में मदद कर रहे हैं।

कैलिफोर्निया स्थित स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशनल इंस्टीट्यूट के निदेशक और वैज्ञानिक डॉ एरिक टोपोल ने कहा, एक्सईसी वेरिएंट निश्चित ही चिंता बढ़ रहा है। अगस्त के महीने में कई यूरोपीय देशों में इस वेरिएंट से संक्रमण की दर बहुत अधिक थी, देश में कोविड केसों के 10 प्रतिशत से अधिक सैंपल में ये नया वेरिएंट पाया गया था। जिस गति से ये बढ़ रहा है वो वास्तव में चिंताजनक है।