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खरगे के पीएम मोदी को लिखे खत पर जेपी नड्डा का जवाब, राहुल से लेकर पूरी कांग्रेस को लपेटा

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भाजपा और कांग्रेस के बीच चिट्ठी के जरिए आरोप-प्रत्यारोप का नया दौर शुरू हो गया है। पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख राहुल गांधी के खिलाफ की जा रहीं विवादित टिप्पणियों पर नाराजगी जताई थी। अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खरगे को पत्र के जरिए पलटवार किया है।

खरगे की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखे पत्र के जवाब में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पत्र लिखा है। अपने पत्र में नड्डा ने कहा है कि राहुल ने बार-बार पीएम मोदी का अपमान किया है। यहां तक सोनिया गांधी ने पीएम मोदी के लिए ‘मौत का सौदागर’ शब्द का इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने पिछले 10 सालों में पीएम मोदी को 110 से अधिक गालियां दी हैं।

नड्डा ने अपने जवाब में कहा, आपकी ओर से भेजे गए पत्र में जिस तरीके से राहुल गांधी को लेकर बात की गई है, इसीलिए मैं उसी से अपनी बात शुरू करूंगा। जिस व्यक्ति का इतिहास ही देश के पीएम समेत पूरी ओबीसी समुदाय को चोर कहकर गाली देने का रहा हो, पीएम के लिए अत्यंत अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करने का रहा हो। जिसने संसद में प्रधानमंत्री को डंडे से पीटने की बात कही हो, जिसकी धृष्ट मानसिकता से पूरा देश वाकिफ हो, उन राहुल गांधी को सही ठहराने की कोशिश आप किस मजबूरी के तहत कर रहे हैं।

अपने जवाबी खत में जेपी नड्डा ने लिखा, मल्लिकार्जुन खरगे जी, आपने राजनीतिक मजबूरीवश जनता द्वारा बार-बार नकारे गए अपने फेल्ड प्रोडक्ट को एक बार फिर से पॉलिश कर बाजार में उतारने के प्रयास में जो पत्र देश के प्रधानमंत्री मोदी को लिखा है, उस पत्र को पढ़ कर मुझे लगा कि आपके द्वारा कही गई बातें यथार्थ और सत्य से कोसों दूर हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि पत्र में आप राहुल गांधी सहित अपने नेताओं की करतूतों को या तो भूल गए हैं या उसे जानबूझ कर नजरअंदाज किया है, इसलिए मुझे लगा कि उन बातों को विस्तार से आपके संज्ञान में लाना जरूरी है।

जेपी नड्डा ने लिखा, 'ये राहुल गांधी की माताजी सोनिया गांधी ही थी न खरगे जी, जिन्होंने मोदी जी के लिए 'मौत का सौदागर' जैसे अत्यंत असभ्य अपशब्दों का प्रयोग किया था? इन सभी दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक बयानों का तो आप और आपकी पार्टी के नेता महिमामंडन करते रहे! क्यों तब राजनीतिक शुचिता की बातें कांग्रेस भूल गई थी? जब राहुल गांधी ने सरेआम 'मोदी की छवि को खराब कर देंगे' वाली बात कही थी तो राजनीतिक मर्यादा को किसने खंड-खंड किया था खड़गे जी?

बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने खरगे को याद दिलाया कि ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’, नीच, ‘कमीना, कभी मौत का सौदागर’, ‘जहरीला सांप’, बिच्छू’, ‘चूहा’, ‘रावण’, ‘भस्मासुर’, ‘नालायक’, कुत्ते की मौत मरेगा’, ‘मोदी को जमीन में गाड़ देंगे, ‘राक्षस’, ‘दुष्ट’, ‘कातिल’, ‘हिंदू जिन्ना’, जनरल डायर, ‘मोतियाबिंद का मरीज’, ‘जेबकतरा’, ‘गंदी नाली’, ‘काला अंग्रेज’, ‘कायर’, ‘औरंगजेब का आधुनिक अवतार’, ‘दुर्योधन’, हिंदू आतंकवादी, गदहा, नामर्द’, ‘चौकीदार चोर है, ‘तुगलक’, ‘मोदी की बोटी-बोटी काट देंगे, ‘साला मोदी’,नमक हराम’, ‘गंवार और ‘निकम्मा’ जैसे शब्द का इस्तेमाल हुए. नड्डा ने यह भी कहा पीएम मोदी के माता-पिता को भी नहीं छोड़ा गया, उनका भी अपमान किया गया।

उन्होंने लिखा, कांग्रेस नेताओं ने तो पीएम मोदी के माता-पिता को भी नहीं छोड़ा, उनका भी अपमान किया गया। आजाद भारत के इतिहास में किसी भी जननेता का अपमान कभी नहीं किया गया, जितना आपकी पार्टी के नेताओं ने देश के प्रधानमंत्री का किया। इतना ही नहीं, आपकी पार्टी के जिन नेताओं ने देश के प्रधानमंत्री को जितनी बड़ी गाली दी, उसे कांग्रेस में उतने बड़े-बड़े पद दे दिए गए। अगर मैं ऐसे उदाहरण गिनाने लग जाऊं, तो आपको भी पता है कि उसके लिए अलग से किताब लिखनी पड़ेगी। क्या ऐसे बयानों और हरकतों ने देश को शर्मसार नहीं किया, राजनीतिक मर्यादा को तार- तार नहीं किया? आप इसे कैसे भूल गए खड़गे जी?

अपने 3 पेज लंबे जवाब में नड्डा ने कांग्रेस और उसके नेताओं पर जमकर निशाना साधा। पत्र के अंत में राहुल गांधी की ‘मोहब्बत की दुकान’ का जिक्र करते हुए कहा, “स्वार्थ सत्ता में डुबी कांग्रेस पार्टी की कथित ‘मोहब्बत की दुकान’ में जो प्रोडक्ट बेचा जा रहा है, वह जातिवाद का जहर है, वैमनस्यता का बीज है, राष्ट्रविरोध का मसाला है और देश को तोड़ने का हथौड़ा है। उम्मीद है कि आपको, आपकी पार्टी और आपके नेता को उनके प्रश्नों के जवाब मिल गए होंगे।

एक देश, एक चुनावः बिल पास कैसे कराएगी मोदी सरकार, संविधान में करने होंगे 2 संशोधन?

#onoeneedconstitutionamendmentshowmodigovt_manage

देश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव (वन नेशन वन इलेक्शन) करवाने के प्रस्ताव को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। बिल शीतकालीन सत्र यानी नवंबर-दिसंबर में संसद में पेश किया जाएगा। चूंकि, वन नेशन, वन इलेक्‍शन के तहत लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की मंशा है, इसलिए यह मामला पेंचीदा हो जाता है। वन नेशन-वन इलेक्शन पर केंद्र सरकार को संविधान में संशोधन करने पड़ेंगे, जिसके लिए इसे संसद में बिल के तौर पर पेश करना होगा। इसके बाद केंद्र सरकार को लोकसभा और राज्यसभा से इसे पास कराना होगा। इतना ही नहीं, संसद से पास होने के बाद इस बिल को 15 राज्यों की विधानसभा से भी पास कराना होगा। ये सब होने के बाद राष्ट्रपति इस बिल पर मुहर लगाएंगे।सवाल यह है कि क्या यह इतनी आसानी से लागू हो जाएगा?

वन नेशन वन इलेक्शन पर कोविंद समिति के प्रस्ताव को बुधवार को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी। प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद सरकार अब संसद में विधेयक लाएगी और वहीं पर उसका असली टेस्ट होगा। बिल को संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा से पास कराने में सरकार को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन लोकसभा में लड़ाई मुश्किल दिख रही है। निचले सदन में जब बिल पर वोटिंग की बारी आएगी तो सरकार विपक्षी दलों के समर्थन की आवश्यकता होगी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बीजेपी के पास अकेले बहुमत नहीं है। केन्द्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है।

क्या है संसद में नंबर गेम?

लोकसभा चुनाव-2024 के बाद 271 सांसदों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया। इसमें से 240 सांसद बीजेपी के हैं। लोकसभा में एनडीए के आंकड़े की बात करें तो ये 293 है। जब ये बिल लोकसभा में पेश होगा और वोटिंग की बारी आएगी तो उसे पास कराने के लिए सरकार को 362 वोट या दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अगर वाईएसआरसीपी, बीजेडी और गैर-एनडीए दलों का साथ मिल जाता है तो भी 362 का आंकड़ा छूने की संभावना नहीं है। बीजेपी को 69 सांसदों की जरूरत पड़ेगी जो उसके साथ खड़े रहें।हालांकि ये स्थिति तब होगी जब वोटिंग के दौरान लोकसभा में फुल स्ट्रेंथ रहती है। लेकिन 439 सांसद (अगर 100 सांसद उपस्थित नहीं रहते हैं) ही वोटिंग के दौरान लोकसभा में रहते हैं तो 293 वोटों की जरूरत होगी। ये संख्या एनडीए के पास है। इसका मतलब है कि अगर विपक्षी पार्टियों के सभी सांसद वोटिंग के दौरान लोकसभा में मौजूद रहते हैं तो संविधान संशोधन बिल गिर जाएगा।

एक देश एक चुनाव का 15 दलों ने किया विरोध

बता दें कि कोविंद समिति ने कुल 62 राजनीतिक दलों से एक राष्ट्र एक चुनाव पर राय मांगी थी, जिनमें से 47 ने अपने जवाब भेजे, जबकि 15 ने जवाब नहीं दिया। 47 राजनीतिक पार्टियों में से 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारियों का समर्थन किया, जबकि 15 दल विरोध में रहे। जिन 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया उसमें ज्यादातर बीजेपी की सहयोगी पार्टियां हैं और या तो उनका उसके प्रति नरम रुख रहा है। नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी जो मोदी सरकार 2.0 में साथ खड़ी रहती थी उसका रुख भी अब बदल गया है। वहीं, जिन 15 पार्टियों ने पैनल की सिफारिशों का विरोध किया उसमें कांग्रेस, सपा, आप जैसी पार्टियां हैं।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल”, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू का बड़ा आरोप

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने चौंकाने वाला दावा किया है। इसके साथ ही उन्होंने नए विवाद को जन्म दे दिया है। सीएम चंद्रबाबू नायडू ने वाईएसआरसीपी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि पहले की सरकार में तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी इस्तेमाल होती थी।नायडू ने यह दावा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) विधायक दल की एक बैठक को संबोधित करते हुए किया।

नायडू ने तेलुगु में कहा कि पिछले 5 सालों में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने तिरुमला की पवित्रता को कलंकित किया है। उन्होंने ‘अन्नदानम’ (मुफ्त भोजन) की गुणवत्ता से समझौता किया और घी के बजाय पशुओं की चर्बी का उपयोग करके पवित्र तिरुमला लड्डू को भी दूषित कर दिया। इस खुलासे ने चिंता पैदा कर दी है। हालांकि, अब हम शुद्ध घी का इस्तेमाल कर रहे हैं।हम टीटीडी की पवित्रता की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं।”

सीएम नायडू के आरोपों पर वाईएसआर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने पलटवार किया है। उन्होंने नायडू पर तिरुमाला मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। रेड्डी ने तेलुगु में एक्स पर लिखा, “चंद्रबाबू नायडू ने तिरुमला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। तिरुमला प्रसाद के बारे में उनकी टिप्पणी अत्यंत दुर्भावनापूर्ण है। कोई भी व्यक्ति ऐसे शब्द नहीं बोलेगा या ऐसे आरोप नहीं लगाएगा।”

उन्होंने कहा, “यह फिर साबित हो गया है कि चंद्रबाबू नायडू राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। भक्तों की आस्था को मजबूत करने के लिए मैं अपने परिवार के साथ तिरुमला ‘प्रसाद’ के संबंध में भगवान के सामने शपथ लेने के लिए तैयार हूं। क्या चंद्रबाबू नायडू अपने परिवार के साथ भी ऐसा करने को तैयार हैं।”

जम्मू-कश्मीर में बंपर वोटिंग, लोगों ने लोकतंत्र पर जताया भरोसा, जानें कहां पड़े सबसे ज्यादा वोट

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जम्मू कश्मीर में जहां 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा के लिए वोटिंग हो रही है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के फर्स्ट फेज में आज 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर बंपर वोटिंग हुई। जम्मू-कश्मीर में पहले चरण के विधानसभा चुनाव में लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला। जिस जम्मू कश्मीर में चुनाव का नाम सुनते ही लोग डर जाते थे, घरों से नहीं निकलते थे। उसी नए जम्मू कश्मीर में सुबह से ही वोटरों की लंबी-लंबी कतारें देखी गई।

जम्‍मू-कश्‍मीर की जनता ने एक बार फिर से देश की लोकतांत्रिक सिस्‍टम पर पुरजोर तरीके से भरोसा जताया है। घाटी में बंपर वोटिंग ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि लोग लोकतंत्र के साथ हैं ना कि पाकिस्‍तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के। आतंकवादियों, अलगाववादियों और पत्‍थरबाजों के गढ़ के तौर पर कुख्‍यात शोपियां में भी बुलेट पर बैलट भारी पड़ रहा है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में शाम 5 बजे तक 58.19 प्रतिशत मतदान हुआ है।सबसे ज्यादा 77.23 फीसदी वोटिंग किश्तवाड़ जिले में तो सबसे कम पुलवामा जिले में 43.87 फीसदी दर्ज की गई। किश्तवाड़ जिले की इंद्रवल सीट पर 80% से ज्यादा वोटिंग हुई है।

पहले चरण की किन 24 सीटों पर कितना मतदान हुआ?

सीट जिला मतदान (शाम 5 बजे तक)

त्राल पुलवामा 40.58

अनंतनाग अनंतनाग 41.58

पांपोर पुलवामा 42.67

राजपोरा पुलवामा 45.78

अनंतनाग पश्चिम अनंतनाग 45.93

पुलवामा पुलवामा 46.22

जैनापोरा शोपियां 52.64

शंगस-अनंतनाग पूर्व अनंतनाग 52.94

शोपियां शोपियां 54.72

देवसर कुलगाम 54.73

श्रीगुफवारा-बिजबिहाड़ा अनंतनाग 56.02

डूरू अनंतनाग 57.9

कोकेरनाग (ST) अनंतनाग 58

कुलगाम कुलगाम 59.58

भद्रवाह डोडा 65.27

डी.एच. पोरा कुलगाम 65.27

रामबन रामबन 67.34

पहलगाम अनंतनाग 67.86

बनिहाल रामबन 68

डोडा डोडा 70.21

डोडा पश्चिम डोडा 74.14

किश्तवाड़ किश्तवाड़ 75.04

पाडर-नागसेनी किश्तवाड़ 76.8

इंद्रवल किश्तवाड़ 80.06

क्या आतिशी को सिर्फ पद मिलेगा मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां नहीं, क्यों कहा जा रहा कठपुतली मुख्यमंत्री?

#atishi_will_become_the_cm_of_delhi_bjp_targeted_said_the_dummy_cm

दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी बनने जा रही है। अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को सीएम पद से इस्तीफा दिया और आतिशी ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। जल्द ही आतिशी दिल्ली के सीएम पद की शपथ लेंगी। केजरीवाल की जगह आतिशी के सीएम चुने जाने पर सवाल उठ रहे हैं। आतिशी को डमी सीएम या कठपुतली सीएम कहा जा रहा है।

आतिशी आज दिल्ली सरकार में सबसे ज्यादा विभाग देख रही हैं। बावजूद इस तरह के सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि विधायक दल की बैठक में पार्टी का नेता और दिल्ली का अगला सीएम चुने जाने के बाद आतिशी ने अपने पहले ही बयान में कहा कि दिल्ली का सीएम सीएम एक ही है, उसका नाम अरविंद केजरीवाल है।

दिल्ली की नई सीएम के इस बयान पर बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने भी तंज कसा। बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने आतिशी को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आतिशी को बधाई देती हूं। उनकी पार्टी ने उन्हें अगला मुख्यमंत्री चुना है। मगर, उनके बयानों से निराश हूं। उन्होंने कहा है कि दिल्ली में सिर्फ एक ही मुख्यमंत्री है, अरविंद केजरीवाल। क्या इसका मतलब ये है कि आतिशी को सिर्फ पद मिलेगा, मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां नहीं? क्या केजरीवाल बिना किसी जिम्मेदारी के सत्ता का आनंद लेंगे?

बांसुरी स्वराज के साथ ही आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी आतिशी पर तंज कसा है। उन्होंने कहा किदिल्ली की नई मुख्यमंत्री चुनी गईं आतिशी कठपुतली होंगी। दिल्ली के लिए बहुत दुखद दिन है। जिनके परिवार ने आतंकी अफजल गुरु को फांसी की सजा से बचाने के लिए लड़ाई लड़ी थी, वो मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं।स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया कि आतिशी के माता-पिता ने देश के राष्ट्रपति को कई बार दया याचिका भेजी थी। इसमें कहा था कि अफजल गुरु को फांसी न दी जाए। वह निर्दोष है। वो राजनीतिक साजिश का शिकार हुआ है। आतिशी मुख्यमंत्री बनेंगी लेकिन सभी जानते हैं कि वह कठपुतली मुख्यमंत्री होंगी।

इससे पहले भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने इसे लेकर कहा कि आम आदमी पार्टी यह दिखाना चाहती है कि वह महिलाओं को कठपुतली समझती है क्योंकि सौरभ भारद्वाज कह रहे थे कि नया मुख्यमंत्री कठपुतली होगा। दिल्ली की जनता इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक कठपुतली/अस्थायी व्यक्ति को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। उन्हें अपनी पार्टी पर भरोसा नहीं है। इसलिए वह किसी ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं जो पार्टी में उनसे कमजोर हो।

वहीं दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल के अपनी कुर्सी आतिशी को सौंपने पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने तंज कसा। उन्होंने अपने एक्स (पहले ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, 'दिल्ली को राबड़ी देवी मुबारक हो'। जीतन राम मांझी का ये पोस्ट कई मायने में काफी कुछ कहता है। जीतन राम मांझी की ओर से ये बात इसलिए कही गई क्योंकि जब लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने जेल भेजा तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की सत्ता सौंप कर उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। कहा जाता है पर्दे के पीछे से लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी के जरिए बिहार की सत्ता चलाई। सियासी गलियारे में ऑफ द रिकॉर्ड राबड़ी देवी की चर्चा एक डमी मुख्यमंत्री के रूप में होती है। यानी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहीं ना कहीं आतिशी को एक डमी मुख्यमंत्री बताने की कोशिश कर रहे थे।

क्या आतिशी को सिर्फ पद मिलेगा मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां नहीं, क्यों कहा जा रहा कठपुतली मुख्यमंत्री?*
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दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी बनने जा रही है। अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को सीएम पद से इस्तीफा दिया और आतिशी ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। जल्द ही आतिशी दिल्ली के सीएम पद की शपथ लेंगी। केजरीवाल की जगह आतिशी के सीएम चुने जाने पर सवाल उठ रहे हैं। आतिशी को डमी सीएम या कठपुतली सीएम कहा जा रहा है। आतिशी आज दिल्ली सरकार में सबसे ज्यादा विभाग देख रही हैं। बावजूद इस तरह के सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि विधायक दल की बैठक में पार्टी का नेता और दिल्ली का अगला सीएम चुने जाने के बाद आतिशी ने अपने पहले ही बयान में कहा कि दिल्ली का सीएम सीएम एक ही है, उसका नाम अरविंद केजरीवाल है। दिल्ली की नई सीएम के इस बयान पर बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने भी तंज कसा। बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने आतिशी को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आतिशी को बधाई देती हूं। उनकी पार्टी ने उन्हें अगला मुख्यमंत्री चुना है। मगर, उनके बयानों से निराश हूं। उन्होंने कहा है कि दिल्ली में सिर्फ एक ही मुख्यमंत्री है, अरविंद केजरीवाल। क्या इसका मतलब ये है कि आतिशी को सिर्फ पद मिलेगा, मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां नहीं? क्या केजरीवाल बिना किसी जिम्मेदारी के सत्ता का आनंद लेंगे? बांसुरी स्वराज के साथ ही आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी आतिशी पर तंज कसा है। उन्होंने कहा किदिल्ली की नई मुख्यमंत्री चुनी गईं आतिशी कठपुतली होंगी। दिल्ली के लिए बहुत दुखद दिन है। जिनके परिवार ने आतंकी अफजल गुरु को फांसी की सजा से बचाने के लिए लड़ाई लड़ी थी, वो मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं।स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया कि आतिशी के माता-पिता ने देश के राष्ट्रपति को कई बार दया याचिका भेजी थी। इसमें कहा था कि अफजल गुरु को फांसी न दी जाए। वह निर्दोष है। वो राजनीतिक साजिश का शिकार हुआ है। आतिशी मुख्यमंत्री बनेंगी लेकिन सभी जानते हैं कि वह कठपुतली मुख्यमंत्री होंगी। इससे पहले भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने इसे लेकर कहा कि आम आदमी पार्टी यह दिखाना चाहती है कि वह महिलाओं को कठपुतली समझती है क्योंकि सौरभ भारद्वाज कह रहे थे कि नया मुख्यमंत्री कठपुतली होगा। दिल्ली की जनता इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक कठपुतली/अस्थायी व्यक्ति को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। उन्हें अपनी पार्टी पर भरोसा नहीं है। इसलिए वह किसी ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं जो पार्टी में उनसे कमजोर हो। वहीं दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल के अपनी कुर्सी आतिशी को सौंपने पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने तंज कसा। उन्होंने अपने एक्स (पहले ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, 'दिल्ली को राबड़ी देवी मुबारक हो'। जीतन राम मांझी का ये पोस्ट कई मायने में काफी कुछ कहता है। जीतन राम मांझी की ओर से ये बात इसलिए कही गई क्योंकि जब लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने जेल भेजा तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की सत्ता सौंप कर उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। कहा जाता है पर्दे के पीछे से लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी के जरिए बिहार की सत्ता चलाई। सियासी गलियारे में ऑफ द रिकॉर्ड राबड़ी देवी की चर्चा एक डमी मुख्यमंत्री के रूप में होती है। यानी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहीं ना कहीं आतिशी को एक डमी मुख्यमंत्री बताने की कोशिश कर रहे थे।
भारत ने क्यों जारी किया पाकिस्तान को नोटिस, क्या सिंधु जल संधि से लग हो रहे दोनों देश?

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भारत सरकार ने सिंधु जल संधि में बदलाव की मांग की है। भारत सरकार ने इस संबंध में पाकिस्तान को एक नोटिस भी भेजा है। इस नोटिस में कहा गया कि मौजूदा हालातों को देखते हुए सिंधु जल संधि को बरकरार रखना संभव नहीं। भारत ने इस सिंधु जल संधि में बदलाव किए जाने की भी बात कही है। यह समझौता दोनों देशों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे के बारे में है। भारत का कहना है कि इस समझौते के बाद से बहुत कुछ बदल गया है, इसलिए इसमें बदलाव की जरूरत है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने 30 तारीख को भारत ने सिंधु जल समझौता की समीक्षा और संशोधन की मांग करते हुए पाकिस्तान को नोटिस दिया है। संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत, इसकी व्यवस्थाओं को समय-समय पर दोनों सरकारों के बीच बातचीत के जरिए संशोधित किया जा सकता है। भारत का कहना है कि जब यह समझौता हुआ था, तब की स्थिति अब नहीं है। देश की जनसंख्या बढ़ गई है, खेती के तरीके बदल गए हैं और हमें पानी का इस्तेमाल ऊर्जा बनाने के लिए भी करना है।

भारत ने कहा- संधि पर दोबारा से सोचने की जरूरत

भारत ने इस नोटिस में पाकिस्तान की ओर से लगातार जारी आतंकवादी गतिविधियों का भी जिक्र किया और कहा कि पाकिस्तान भारत की उदारता का अनुचित लाभ उठा रहा है, और ऐसे में इस संधि पर दोबारा से सोचने की जरूरत है।

सिंधु जल संधि क्या है?

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक द्विपक्षीय समझौता है। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 में कराची में हुई थी। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। संधि के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इस संधि के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों के पानी का बंटवारा होता है। इन नदियों में व्यास, रावी, सतलज, झेलम, चिनाब और सिंधु नदियां शामिल हैं। इस समझौते के अनुसार पूर्वी क्षेत्रों की नदियों व्यास, रावी और सतलज कर नियंत्रण का अधिकार भारत को मिला। भारत इन नदियों से विद्युत निर्माण, सिंचाई और जल संसाधन से जुड़ी कई योजनाओं को संचालित कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर पश्चिमी क्षेत्रों की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम पर नियंत्रण के अधिकार पाकिस्तान को दिया गया। पाकिस्तान में इन्हीं नदियों के पानी से बिजली निर्माण और सिंचाई के काम किए जाते हैं। इस संधि के कारण भारत, पाकिस्तान को कुल जल का 80.52% यानी 167.2 अरब घन मीटर पानी सालाना देता है। यही कारण है कि यह दुनिया की सबसे उदार संधि कही जाती है।

पाकिस्तान के लिए क्यों अहम है यह संधि?

इस संधि के टूटने से पाकिस्तान के एक बड़े भूभाग पर रेगिस्तान बनने का खतरा मंडराने लगेगा। इसके अलावा अगर इस संधि को तोड़ा जाता है तो पाकिस्तान पर बहुत बड़ा कूटनीतिक दबाव पड़ सकता है। इसके साथ ही पाकिस्तान में संचालित हो रही अरबों रुपये की विद्युत परियोजनाएं भी बंद होने की कगार पर आ जाएंगी और करोड़ों लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पाएगा।

विवाद किस बात को लेकर है?

सिंधु जल संधि में विवाद भारत की दो पनबिजली परियोजनाओं को लेकर है। दरअसल, सिंधु की सहायक नदियों पर बनने वाली 330 मेगावाट की किशनगंगा पनबिजली परियोजना का निर्माण 2007 में शुरू हुआ था। इसी बीच 2013 में चिनाब पर बनने वाले रातले पनबिजली संयंत्र की आधारशिला रखी गई थी। पाकिस्तान ने इन दो परियोजनाओं का विरोध किया और कहा कि भारत ने सिंधु जल संधि का उल्लंघन किया है। किशनगंगा परियोजना को लेकर पाकिस्तान ने दावा किया कि इसके कारण पाकिस्तान में बहने वाले पानी रुकता है।

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को मिली मंजूरी, मोदी कैबिनेट में प्रस्ताव पास हुआ, जानें आगे क्या होगा

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एक देश एक चुनाव को आज मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। वन नेशन वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी बनाई गई थी जिसके चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति राममानथ कोविंद थे। कोविंद ने अपनी रिपोर्ट आज मोदी कैबिनेट को दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट पर कैबिनेट मीटिंग में चर्चा की गई, जिसके बाद उसे सर्वसम्मति से मंजूर कर दिया गया। इससे पहले इसी साल मार्च में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने 'एक देश एक चुनाव' को लेकर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी।

माना जा रहा है कि अब केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में लाएगी। हालांकि, ये संविधान संशोधन वाला बिल है और इसके लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी है।

मंगलवार को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर बड़ा ऐलान किया था। शाह ने कहा था कि मोदी सरकार इसी कार्यकाल में ‘एक देश एक चुनाव’ लागू करेगी. इससे पहले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में भी ‘एक देश एक चुनाव’ के वादे को शामिल किया था।

वहीं, पिछले महीने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, प्रधान मंत्री ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की जोरदार वकालत की और तर्क दिया कि बार-बार होने वाले चुनाव देश की प्रगति में बाधाएं पैदा कर रहे हैं। मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा था, 'देश को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लिए आगे आना होगा।'' प्रधानमंत्री ने राजनीतिक दलों से लाल किले से और राष्ट्रीय तिरंगे को साक्षी मानकर देश की प्रगति सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने पार्टियों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग आम आदमी के लिए किया जाए और कहा, 'हमें 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के सपने को साकार करने के लिए आगे आना होगा।'

इससे पहले मार्च में 'वन नेशन वन इलेक्शन' यानी 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की संभावना पर विचार करने के लिए बनी उच्चस्तरीय समिति ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने इसी साल 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति की रिपोर्ट में आने वाले वक्त में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ-साथ नगरपालिकाओं और पंचायत चुनाव करवाने के मुद्दे से जुड़ी सिफारिशें दी गई। 191 दिनों में तैयार इस 18,626 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार समिति के साथ साझा किए थे जिनमें से 32 राजनीतिक दल 'वन नेशन वन इलेक्शन' के समर्थन में थे। रिपोर्ट में कहा गया है, "केवल 15 राजनीतिक दलों को छोड़कर शेष 32 दलों ने न केवल साथ-साथ चुनाव प्रणाली का समर्थन किया बल्कि सीमित संसाधनों की बचत, सामाजिक तालमेल बनाए रखने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए ये विकल्प अपनाने की ज़ोरदार वकालत की।"

इसके अलावा, विधि आयोग सरकार के सभी तीन स्तरों लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है। वह सदन में अविश्वास प्रस्ताव या अनिश्चितकाल तक बहुमत नहीं होने की स्थिति में एकता सरकार का प्रावधान करने की सिफारिश कर सकता है।

क्या मोसाद ने पेजर में बम लगाकर धमाके कराए? लेबनान पहुंचने से पहले ही प्लांट किया गया विस्फोटक

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लेबनान में मंगलवार को पेजर में मंगलवार को हुए धमाके के पीछे इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ बताया जा रहा है। लेबनान के एक वरिष्ठ सुरक्षा सूत्र के हवाले से रॉयटर्स ने दावा किया है कि इजरायली एजेंसी मोसाद ने इन पेजर्स में विस्फोटक लगाया था। रिपोर्ट कहती है कि मंगलवार को जिन पेजर में विस्फोट हुए उनको महीनों पहले हिजबुल्लाह ने ऑर्डर किया। ये 5,000 पेजर ताइवान में बने थे और सभी पेजर के अंदर थोड़ा-थोड़ा विस्फोटक था। एक पेजर में करीब तीन ग्राम विस्फोटक रखा गया था। 

ब्रिटिश न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मोसाद ने 5000 पेजर्स में विस्फोटक लगाए थे। ये पजेर्स कोड की मदद से ऑपरेट होते हैं। इन्हें इस साल की शुरुआत में लेबनान भेजा गया। मंगलवार को इन पेजर्स पर एक मैसेज आया जिसने विस्फोटक को एक्टिवेट कर दिया। इन विस्फोटक को मंगलवार शाम ट्रिगर किया गया, जिसके बाद ये सारे पेजर्स फटने लगे और लेबनान खासकर हिजबुल्लाह में दहशत फैल गई। हमले में 12 लोगों की मौत हो गई। इस हमले में 3000 से ज्यादा घायल हुए हैं। इनमें लेबनान में मौजूद ईरान के राजदूत भी शामिल हैं। दूसरी तरफ सीरिया में भी कुछ पेजर्स में धमाके हुए। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई, जबकि करीब 14 घायल हुए।

वही, द न्यूयॉर्क टाइम्स की इस ऑपरेशन की जानकारी रखने वाले अमेरिकी और दूसरे अधिकारियों के हवाले से बताया है कि हिजबुल्लाह ने ताइवान में गोल्ड अपोलो को पेजर का ऑर्डर दिया था। इन पेजर्स के लेबनान पहुंचने से पहले ही इस विस्फोटक प्लांट कर दिए गए। द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इजरायल ने ताइवान से आए लेबनान पहुंचने से पहले पेजर की खेप को रोका और उसमें 3-3 ग्राम विस्फोटक प्लांट कर दिए। विस्फोटकों की मात्रा इतनी कम इसलिए रखी गई कि वह छोटे से पेजर डिवाइस में आसानी से फिट की जा सके और किसी को उससे छेड़छाड़ का शक न हो।

बता दें कि इसी साल फरवरी में हिजबुल्लाह ने एक युद्ध योजना तैयार की और मोबाइल की जगह पेजर के इस्तेमाल का फैसला लिया। हिजबुल्लाह ने अपने सदस्यों को पेजर बांटने का फैसला लिया था। ऐसे में पेजर को ही हिजबुल्लाह को नुकसान पहुंचाने के लिए चुना गया और एक बड़े ऑपरेशन के तहत पेजर के जरिए विस्फोटक पूरे लेबनान में पहुंचाकर विस्फोट कर दिया गया।

इस बीच ब्लास्ट को लेकर हिजबुल्लाह की तरफ से बयान जारी किया गया है। इस बयान में उसने धमाके के लिए सीधे तौर पर इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है, साथ ही उस पर साजिश रचने का आरोप लगाया है। हालांकि अभी तक हिजबुल्लाह की तरफ से इन आरोपों का कोई सबूत पेश नहीं किया गया। खास बात ये है कि इजराइल ने भी हिज्बुल्लाह के आरोपों का खंडन नहीं किया है।

अरुणाचल प्रदेश में बॉर्डर के पास चीन बना रहा नया हेलीपोर्ट, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन एक तरफ भारत के साथ स्थिति सामान्य करने की बात करता है, दूसरी तरफ वह सीमा पर लगातार अपना सैन्य ढांचा मजबूत करने में लगा हुआ है। एक के बाद एक ऐसी हरकत करता जा रहा है, जिससे भारत को आपत्ति हो सकती है। अब चीन अरुणाचल बॉर्डर के पास तैयार कर रहा नया हेलीपोर्टबना रहा है।सैटेलाइट इमेजर से चीन की इस नापाक चालों का खुलासा हुआ है।सैटेलाइट इमेजरी के विशेषज्ञ डेमियन साइमन ने अपने एक्स हैंडल पर इस बारे में जानकारी दी है।

एक्स पर एक पोस्ट में साइमन ने बताया है कि अरुणाचल प्रदेश के फिशटेल्स सेक्टर के पास एक नया हेलीपोर्ट बना रहा है, जो भारतीय सीमा से महज 20 किमी की दूरी पर है। इस सुविधा से चीन की अग्रिम चौकियों पर सैनिकों को तेजी से भेजने की क्षमता में वृद्धि होगी और सीमा पर उसकी गश्त में सुधार होगा।

चीन ने इसके पहले जुलाई में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो पर अपने कब्जे वाले क्षेत्र में एक पुल का निर्माण पूरा किया था, जिससे उसके लिए क्षेत्र सैनिकों की आवाजाही आसान हो गई है। सैटेलाइट इमेज ने बताया था कि जुलाई महीने में ही चीन ने ब्लैक टॉपिंग का काम पूरा कर लिया था। चीनी सेना के पुल निर्माण के बारे में जनवरी 2022 में सबसे पहले जानकारी आई थी। यह पुल झील के सबसे संकरे हिस्से पर बनाया गया है।जुलाई में बनकर तैयार हुआ पुल चीनी सेना की गतिशीलता को बढ़ाता है। इसके साथ ही यह तुरंत ऑपरेशन शुरू करने के लिए आवश्यक समय को कम करने में मदद करता है। यह चीनी सैनिकों को उनके टैंकों के साथ रेजांग ला के क्षेत्रों तक पहुंचने में मदद करेगा। यह वही इलाका है, जहां 2020 भारत ने चीनियों को मात दी थी

भारत-चीन के बीच लगातार सीमा पर तनाव के हालात हैं। मई 2020 के बाद यह तनाव और बढ़ गया जब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई है। इस झड़प में दोनों पक्षों के कई सैनिक मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के संबंध भी खराब हो गए थे, जो आज तक अच्छे नहीं हैं। हालांकि, तनाव कम करने को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है।

बता दें कि भारत चीन के साथ 3488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। दोनों देशों के बीच कई इलाकों को लेकर अभी मतभेद हैं। चीन इनमें से अधिकांश हिस्से पर दावा करता है लेकिन भारत कुछ हिस्सों पर उसके दावे को लगातार खारिज करता रहा है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद एक बड़ी समस्या है।