संभल स्वच्छ समाज के लिए इमामे हुसैन का ज़िक्र बहुत ज़रूरी :प्रो. आबिद हुसैन हैदरी
संभल। मोहल्ला नूरियो सराय संभल में इमाम हुसैन और उनके साथियों के ग़म मनाने की परंपरा के अंतर्गत आज चुप ताज़िए का जुलूस अपने परंपरागत एवं रिवायती अंदाज़ से निकाला गया। शिया समाज में रबी उल अव्वल की 8 तारीख को इमाम हुसैन के शोक के आखिरी दिन के रूप में मनाया जाता है और भारतीय उपमहाद्वीप में आज के दिन अधिकतर शहरों और बस्तियों में चुप ताज़िए का जुलूस निकाला जाता है।
इस परंपरा का निर्वहन करते हुए नूरियों सराय में सर्वप्रथम इमामबाड़ा नंबर दारान में मजलिस की गई। मजलिस में सोज़ख्वानी प्रसिद्ध शायर अमीर इमाम ने की एवं डॉक्टर कैफी संभली ने इमाम हुसैन के प्रति सलाम के माध्यम से ख़िराजे अक़ीदत पेश किया। मजलिस को ख़िताब करते हुए एमजीएम पीजी कॉलेज संभल के उर्दू विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर आबिद हुसैन हैदरी ने कहा कि इमाम हुसैन और उनके साथियों का ज़िक्र एक अच्छे समाज को बनाने में हर दौर में सहयोगी रहा है।
इसीलिए इन महान लोगों का ज़िक्र 1400 साल से बिना किसी भेदभाव के मनाया जाता है। आज के दिन शिया समाज के 11 वें इमाम की शहादत की तारीख है साथ ही आज ही के दिन कर्बला का लुटा हुआ काफ़िला मदीने पहुंचा था। शिया समाज इस लुटे हुए काफ़िले की याद मना कर रंजो ग़म का इज़हार करता है। इमाम हुसैन के ग़म की यह याद हमें मानवता एवं इंसानियत का पाठ पढ़ाती है इसीलिए इस ग़म की याद मनाना बेहद ज़रूरी है। मजलिस के बाद आलम और जुल्जनाह निकाला गया और जुलूस अपने परंपरागत रास्तों और इमामबाड़ों से होता हुआ चौक के इमामबाड़े पर समाप्त हो गया। जुलूस के साथ श्री रहबर हुसैन और उनके साथी मर्सिया पढ़ रहे थे जिसे सुनकर लोग रो रहे थे।
चौक में जुलूस की समाप्ति से पहले शाह आलम अली अब्बास डॉ मोहम्मद आबदी अमीर इमाम सैयद मोहम्मद अरशद ने अपने मखसूस अंदाज़ में नौहा ख्वानी की जुलूस में शाने अब्बास शमाइम रज़ा क़ाइम रज़ा सोहेल अब्बास सलीम अब्बास उरुज मेहंदी नय्यर अब्बास एवं शाहिद रज़ा का विशेष योगदान रहा।
Sep 12 2024, 18:37