दिग्विजय दिवस आज : शिकागो में स्वामी विवेकानंद के सबसे प्रभावशाली भाषण के 131 साल
नयी दिल्ली : शिकागो में स्वामी विवेकानन्द के ऐतिहासिक भाषण के उपलक्ष्य में हर साल 11 सितंबर को दिग्विजय दिवस मनाया जाता है।1893 में, उन्होंने भारत और हिंदू धर्म के प्रतिनिधि के रूप में विश्व धर्म संसद में भाग लिया था। विश्व धर्म संसद का उद्घाटन 11 सितंबर से 27 सितंबर 1893 तक हुआ था। इसमें दुनिया भर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
इस वर्ष प्रथम विश्व धर्म संसद और स्वामी विवेकानन्द के ऐतिहासिक संबोधन की 131वीं वर्षगांठ है। संसद में, स्वामी विवेकानन्द ने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया, और उनके शुरुआती शब्द प्रसिद्ध हुए और दुनिया भर में अक्सर इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।
स्वामी विवेकानन्द द्वारा शिकागो कार्यक्रम में दिया गया भाषण पिछले 131 वर्षों से किसी बाहरी भारतीय द्वारा दिये गये सबसे महत्वपूर्ण भाषणों में से एक माना जाता है। ऐसे में जब इस साल दिग्विजय दिवस की 131 वर्षगांठ मनाई जा रही है तो हम आपके लिए स्वामी विवेकानंद के कुछ अनमोल विचार आपके लिए लेकर आए हैं। यहां पढ़ें स्वामी विकेकानंद के कोट्स।
1. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये।
2. ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है।
3. किसी की निंदा ना करें, अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
4. बाहरी प्रकृति केवल आंतरिक प्रकृति बड़ी है।
5. सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है।
6. इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है।
7. जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
8. जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है।
9. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।
10. कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है, ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है, अगर कोई पाप है, तो वो यही है, ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं।
11. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।
12. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।
13. उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
14. हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।
15. जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।
Sep 11 2024, 13:49