बांग्लादेश सरकार ने क्यों मांगी हिंदू अधिकारियों की सूची, बना डर का माहौल
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बांग्लादेश में तख्तापलट से पहले जब देश में शेख हसीना की सरकार थी तो तब उसका झुकाव भारत की तरफ था। हसीना सरकार देश के अल्पसंख्यकों यानी हिंदुओं के हितैसी मानी जाती थी। हालांकि अब हालात बदल गए हैं। एक तरफ तो तख्तापलट और हसीना दे देश छोड़ने के बाद हिंदुओं पर हमले बढ़ गए। वहीं, दूसरी तरफ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के अभी तक के फैसलों को गौर करें तो ये भी भारत विरोधी साफ नजर आते है। इसी बीच राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से जारी एक नोटिफिकेशन ने सरकार में काम कर रहे देश में हिंदुओं की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, नोटिफिकेशन में बांग्लादेश के मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ हिंदू अधिकारियों से उनकी व्यक्तिगत जानकारी मांगी गई है।
बांग्लादेश के राष्ट्रपति कार्यालय से विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को सचिवों और संयुक्त सचिवों जैसे पदों पर बैठे हिंदू अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगने वाले पत्र ने खलबली मचा दी। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि एक लिपिकीय त्रुटि के कारण भ्रम की स्थिति पैदा हुई और राष्ट्रपति द्वारा आयोजित एक वार्षिक दुर्गा पूजा दशमी कार्यक्रम के संबंध में जानकारी मांगी गई थी। इस पत्र ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बड़े पैमाने पर छात्र विरोध प्रदर्शनों के बाद पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के साथ भेदभाव और उन्हें निशाना बनाए जाने की खबरों के बीच चिंता पैदा कर दी।
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार की ओर से 27 अगस्त को एक आदेश सभी अलग-अलग मंत्रालयों को भेजा गया। इस आदेश के मुताबिक मंत्रालयों से कहां गया कि सितंबर के पहले सप्ताह तक सभी हिंदू अधिकारियों की पूरी सूची सरकार को सौंपी जाए। हालांकि यह आदेश बहुत सीक्रेट तरीके से सभी मंत्रालयों को भेजा गया।
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक फ्रीडम फॉर हिंदू राइट्स इन बांग्लादेशी ऑर्गेनाइजेशन ने कहा कि बीते कुछ दिनों के भीतर बांग्लादेश में कई विभागों में हिंदुओं को नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा है। इसलिए बांग्लादेश के अंतिम सरकार की ओर से आए इस आदेश को लेकर हिंदू अधिकारियों में दहशत है।फ्रीडम फॉर हिंदू राइट्स का तर्क है कि 5 अगस्त के बाद बांग्लादेश के अलग-अलग विश्वविद्यालय से तकरीबन पचास हिंदू शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया है। कई अलग अलग जगह पर इस तरीके की धमकियां हिंदुओं को दी जा रही हैं। अब ऐसे हालातों में सरकार की ओर से जुटाए जाने वाली जानकारी से डर का माहौल बन रहा है।
वहीं, इंडिया टुडे के मुताबिक, बांग्लादेश सरकार के उच्च अधिकारियों से इस पत्र की पुष्टि की। कपड़ा और जूट मंत्रालय ने भी इसी तरह का पत्र भेजा था, जिसमें वरिष्ठ पदों पर बैठे हिंदू अधिकारियों के नाम मांगे गए थे। कपड़ा एवं जूट मंत्रालय के सलाहकार, सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जनरल शखावत हुसैन ने पत्र की प्रामाणिकता की पुष्टि की, लेकिन कहा कि लिपिकीय त्रुटि के कारण पत्र भेजने में चूक हुई, जिसके परिणामस्वरूप अनावश्यक अफरातफरी मच गई। हुसैन ने इंडिया टुडे को बताया, यह सूची को अद्यतन करने और इसे राष्ट्रपति कार्यालय को भेजने का एक नियमित कार्य था, जिसका उद्देश्य सरकार के हिंदू अधिकारियों को दुर्गा पूजा दशमी के लिए निमंत्रण भेजना था, जिसका आयोजन हर साल राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
हालांकि, सरकार की सफाई के बावजूद एक्सपर्ट्स चिंतित हैं। पिछले महीने शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को देखते हुए, यह दावा करना कि हिंदू अधिकारियों की लिस्ट केवल त्योहार के मकसद से बनाई जा रही है, इस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है।






कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ सुनवाई के लिए बैठी।इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार ने अपनी स्थिति रिपोर्ट कोर्ट को दी है। घटनास्थल में बड़ी तादाद में लोगों के पहुंचने को लेकर ये रिपोर्ट दी गई है। पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट भी कोर्ट को दी गई है।
भारतीय रेलवे ने भारत के पूर्व पहलवान बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।पिछले दिनों दोनों पहलवानों ने रेलवे से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद दोनों कांग्रेस में शामिल हो गए थे। रेलवे ने इस मामले में विनेश को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। हालांकि, अब रेलवे ने विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को बड़ी राहत दे दी है और दोनों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही विनेश और पुनिया के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है।

बांग्लादेश में अब राष्ट्रगीत 'आमार सोनार बांग्ला' को लेकर विवाद शुरू हो गया है। शेख हसीना के शासन के पतन के बाद कट्टरपंथी राष्ट्रगीत बदलने की मांग कर रहे हैं।बांग्लादेश की कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने ये मांग उठाई है। जमात-ए-इस्लामी पार्टी के पूर्व प्रमुख के बेटे अब्दुल्लाह अमान आजमी ने देश के राष्ट्रगीत को बदलने की मांग की है। आजमी ने रवींद्रनाथ टैगोर रचित 'आमार सोनार बांग्ला' को बदलने की मांग करते हुए कहा कि भारत ने इसे 1971 में हम पर थोपा था।
Sep 10 2024, 10:13
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