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जिला जज ने पदभार किया ग्रहण, सबसे पहले इन याचिकाओं पर की सुनवाई

औरंगाबाद: आज़ व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद में नये जिला जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजकुमार वन ने पदभार ग्रहण कर सर्वप्रथम जमानत याचिकाओं को सुनकर न्यायिक कार्य शुरू किया।

इस अवसर पर जिला विधिज्ञ संघ औरंगाबाद के अध्यक्ष विजय कुमार पाण्डेय, महासचिव जगनरायण सिंह, लोक अभियोजक पुष्कर अग्रवाल, जिला विधिज्ञ संघ के पूर्व अध्यक्ष रसिक बिहारी सिंह, मीडिया प्रभारी अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने उन्हें बुके देकर बधाई और शुभकामनाएं दी।

जिला जज राजकुमार वन ने कहा कि मैं सूर्य देव भूमि को नमन करता हूं। दक्षिण बिहार में पहली बार औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में न्यायिक कार्य करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है।हम आप सभी अधिवक्ताओं के उम्मीदों पर खरा उतरेंगे।

कहा कि मेरा अथक प्रयास होगा कि बार और बेंच में मजबूत तालमेल बैठाकर अधिक से अधिक मुवक्किलों के वादों का निष्पादन हो और अधिवक्ता बंधुओं से आग्रह है कि न्यायमंडल औरंगाबाद के सभी न्यायिक पदाधिकारीयों के वादों के सुनवाई में सकारात्मक सहयोग करें।

जिला जज ने व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद के सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और 14 सितम्बर को व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद तथा अनुमंडलीय न्यायालय दाउदनगर लगने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के तैयारियों की समीक्षा कर

उचित निर्देश दिए।

अधिवक्ता ने बताया कि न्यायधीश राजकुमार वन व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद के 32 वें जिला जज बने हैं। इससे पूर्व वे उच्च न्यायालय पटना में ओ. एस. डी पद पर थे।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

हत्या के आरोपी को कोर्ट ने दोषी ठहराया, सजा की सुनवाई 5 सितंबर को

आज व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद में एडिजे तीन सुनील कुमार सिंह ने बारूण थाना कांड संख्या -115/23, एस .टी. आर-678/23 में निर्णय पर सुनवाई करते हुए काराधीन एक अभियुक्त गुडु कुमार बसडिहा नरारीकला खुर्द को हत्या के धारा -302 सहित भादंवि के अन्य धाराओं में दोषी ठहराया गया है,

एपीपी शिवपूजन प्रजापति ने बताया कि सज़ा के बिन्दु पर सुनवाई के तिथि 05/09/24 निर्धारित किया गया है अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक दुर्गा कुमार बसडिहा नरारीकला खुर्द ने 11/03/23 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें कहा था कि 10/03/23 को सूचक , अमित कुमार, चन्दन कुमार मोटरसाइकिल से बारूण थानांतर्गत टेंगरा से नवादा के बीच पहुंचे तो पूर्व से घात लगाए नजायज मजमा लगाए

अभियुक्तों के टोली ने जान मारने के नियत से चन्दन कुमार पर लोहे के रड से हमला कर बुरी तरह से जख्मी कर दिया, तत्पश्चात उसकी मृत्यु हो गई थी, प्राथमिकी में बताया गया था कि घटना के पीछे का कारण यह है

कि 07/03/23 को एक गांव के महिला के इज्जत लुटने के उद्देश्य से विकास कुमार बसडिहा रात्रि 10 बजे महिला के घर में घुसकर दुर्व्यवहार किया जिसके प्राथमिकी महिला द्वारा दर्ज कराई गई थी जिसमें चंदन कुमार गवाह था,

इस घटना के अभियुक्त गुडु कुमार पर आरोप पत्र -18/09/23 को न्यायालय में समर्पित किया गया जिसमें कहा गया था कि अन्य अभियुक्तों पर पुरक अनुसंधान जारी है, अभियुक्त गुडु कुमार पर 19/01/24 को आरोप गठन कर साक्ष्य तेजी से पुरी कर आज निर्णय सुनाया गया है

औरंगाबाद का नये जिला जज बने राजकुमार वन

पटना हाईकोर्ट ने विशेष कर्तव्य अधिकारी ( ओ. एस. डी) न्यायधीश राजकुमार वन को व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनाया है

पैनल अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि वर्तमान जिला जज अशोक राज 31/08/24 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं

व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद के तमाम न्यायिक पदाधिकारी और जिला विधिक संघ औरंगाबाद के अध्यक्ष विजय कुमार पाण्डेय, महासचिव जगनरायण सिंह,लोक अभियोजक पुष्कर अग्रवाल, स्पेशल पीपी कुमार योगेन्द्र नारायण सिंह , वर्तमान कार्यसमिति सहित अधिवक्ताओं ने वर्तमान जिला जज को साल बुके मेमेंटो माला देकर सम्मानित किया और उनके व्यक्तित्व की सराहना की,

अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने आगे बताया कि नये जिला जज राजकुमार वन शीघ्र ही पदभार ग्रहण करेंगे , न्यायधीश राजकुमार वन 05 मई 2022 से 25

अक्टूबर 2023 तक शेखपुरा में जिला जज रहें , न्यायधीश राजकुमार वन बिहार विधानसभा के सचिव के पद को भी शुशोभित किया है और 22 जुलाई 2024 से पटना हाईकोर्ट में ओ. एस. डी पद पर थे,

हत्यारोपी को कोर्ट ने सुनाया आजीवन कारावास की सजा, अंधिविश्वास के चक्कर में घटना को दिया था अंजाम

औरंगाबाद : आज़ व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद में एडिजे पांच उमेश प्रसाद ने देव थाना कांड संख्या -42/15,जी आर- 1202/15 में सज़ा के बिन्दु पर सुनवाई करते हुए एक मात्र अभियुक्त योगेन्द्र सिंह सिमरी, टोला देव को भादंवि धारा -302/34 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 

एपीपी परशुराम सिंह ने बताया कि अभियुक्त योगेन्द्र सिंह को 22/08/24  के हत्या के इस मामले में दोषी ठहराया गया था।  आज दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात सज़ा सुनाई गई है। 

अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक सुशीला कुंवर, सिमरी टोला देव ने प्राथमिकी में बताया था कि अभियुक्त के घर कुछ साल पहले एक घटना घटी थी और अंधविश्वास में मेरे घर में डायन का आरोप लगाता था।

अभियुक्त ने 01/07/15 को अंधविश्वास से ग्रसित होकर मेरे घर पर हमला कर दिया। जिसमें मेरे बुजुर्ग ससुर वृजा सिंह की हत्या हो गई। इस वाद में अभियोजन पक्ष अपने पक्ष रखने में सफल हुआ। घटना के समर्थन में गवाही हुए और अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र
एनटीपीसी नबीनगर बना रही है ग्रामीण महिलाओं को आत्म निर्भर , संस्थान की स्वरा महिला संघ ने ग्रामीण महिलाओं को सिखाया साबुन बनाने के गुर

औरंगाबाद - एनटीपीसी नबीनगर की स्वरा महिला संघ ने मंगलवार को ग्रामीण महिलाओ के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला के द्वारा परियोजना के निकतम गांवों की 60 से अधिक महिलाओ को साबुन बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यशाला में विशेषज्ञों ने महिलाओ को प्राकृतिक समाग्रियों से अपने घर में ही साबुन बनाने के विभिन्न तरीके सिखाए। इस कार्यक्रम का आयोजन स्वरा महिला संघ ने अपनी अध्यक्षा राखी सामंता के नेतृत्व में किया है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से एनटीपीसी नबीनगर का लक्ष्य महिलाओ को स्वरोजगार के गुण सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।

कार्यक्रम का उद्घाटन एनटीपीसी नबीनगर के परियोजना प्रमुख सह मुख्य महाप्रबंधक चन्दन कुमार सामंता ने किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने स्वरा महिला संघ को इस आयोजन के लिए धन्यवाद किया और प्रतिभागियों को इस कार्यशाला का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह किया।

इस ट्रेनिंग के बाद महिलाएं न केवल साबुन बनाकर स्वरोजगार कर पाएंगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रो में साफ़ सफाई के स्तर में में भी काफी सुधार आएगा।

ज्ञातव्य हो की स्वरा महिला संघ समय समय पर विशेष सामाजिक कार्यों के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा के विकास के लिए काम कर रही है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

'बिना कारण ही हिंदुओं को झेलनी पड़ रही गर्मी', बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बोले मोहन भागवत
#mohan_bhagwat_spoke_on_bangladesh_on_independence_day आज स्वतंत्रता दिवस पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ मुख्यालय पर तिरंगा फहराया। मोहन भागवत ने ध्वजारोहण के बाद संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। आरएसएस प्रमुख ने बांग्लादेश में जारी हिंसा का जिक्र किया। उन्होंने अपने संबोधन में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदूओं को अकारण ही उस हिंसा की गर्मी झेलनी पड़ रही है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ के हेडक्‍वार्टर पर झंडा फहराते हुए कहा, 'हम अपना 78वां स्वतंत्रता दिन पूरा कर रहे हैं। देश में इस स्वतंत्रता के लिए बलिदान करने वाला समूह और उनके पीछे खड़े होने वाले समाज ये दोनों बातें जब बनी तब हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। हमने जो बड़ी मेहनत से स्वतंत्रता पाई वो पीढ़ी तो चली गई लेकिन आने वाले पीढ़ी को स्व के रंग में रंगना और उसकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। उन्‍होंने कहा, आने वाली पीढ़ी का यह कर्तव्य है कि वह स्वतंत्रता के ‘स्व’ की रक्षा करे क्योंकि दुनिया में हमेशा ऐसे लोग होते हैं जो दूसरे देशों पर हावी होना चाहते हैं और हमें उनसे सतर्क एवं सावधान रहना होगा तथा स्वयं को बचाना होगा।

संघ प्रमुख ने कहा कि भारत ऐसा है कि वह खुद की रक्षा और स्वयं की स्वतंत्रता इसका तो दायित्व है ही, हर देश का होता है लेकिन भारतवर्ष की परंपरा रही है कि भारत अपने आपको दुनिया के उपकार के लिए बड़ा करता है और इसलिए पिछले सालों में हमने देखा होगा कि हमने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया, कुछ नहीं किया। जब-जब जो संकट में था, उसकी मदद की, वह हमारे साथ कैसा व्यवहार करता है इसको देखा नहीं, जो संकट में है उसकी मदद करना ये हमारा देश है, ऐसा हमको चलना है।

भागवत ने परोक्ष रूप से बांग्लादेश के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि कि दुनिया भर के दुखी-पीड़ितों के लिए हम करते हैं, हमारी सरकार भी करती है, तो ऐसी परिस्थिति में अपना देश ठीक रहे और अन्य देशों को ठीक होना है, उनको हमारी मदद की जरूरत हो और उन देशों में जो अस्थिरता की अराजकता की गर्मी झेलने वाले जो लोग हैं। उनको कोई कष्ट न हो, उन पर कोई अत्याचार न हो, एक देश के नाते हमारे सिर पर है कुछ मामले तो सरकार को अपने स्तर पर ही करने पड़ते हैं। परंतु यह सब करके भी उनको शक्ति तब मिलती है जब समाज इस प्रकार की मनोवृत्ति लेकर, सजगता लेकर देश के लिए सबकुछ अर्पण करने के लिए जीता है।

भागवत ने कहा, यह सुनिश्चित करना हमारे देश की जिम्मेदारी है कि अस्थिरता और अराजकता की मार झेल रहे लोगों को किसी परेशानी, अन्याय और अत्याचार का सामना न करना पड़े. कुछ मामलों में सरकार को अपने स्तर पर भी देखना पड़ता है, लेकिन उसे ताकत तभी मिलती है जब समाज अपना कर्तव्य निभाता है और देश के लिए प्रतिबद्धता दिखाता है।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में हालात जल्द सामान्य होंगे और वहां हिंदू तथा दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। पीएम मोदी ने कहा, बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते हमें चिंता होना स्वाभाविक है। मैं आशा करता हूं कि वहां हालात जल्द सामान्य होंगे। 140 करोड़ देशवासियों की चिंता यह है कि वहां हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा, भारत हमेशा चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें। शांति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है, हमारे संस्कार हैं। आने वाले दिनों में बांग्लादेश की विकास यात्रा के लिए हमेशा हमारी शुभेच्छा रहेगी क्योंकि हम मानव जाति की भलाई के बारे में सोचने वाले लोग हैं।

बता दें कि बांग्लादेश में पिछले दिनों प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद से कई हिंदू मंदिरों, हिंदू समुदाय के लोगों के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की खबरें हैं। नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर शेख हसीना नीत सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद देश में अव्यवस्था का माहौल हो गया। हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ कर भारत आ गईं।
पीएम मोदी ने लाल किले से छेड़ा नया राग, सेक्यूलर सिविल कोड का किया जिक्र, कांग्रेस बोली-अंबेडकर का अपमान
#pm_narendra_modi_speech_secual_civil_code आजादी की 78वीं सालगिरह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से भाषण देते हुए एक बार फिर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का जिक्र किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूसीसी पर अपनी सरकार का रुख भी साफ कर दिया। हालांकि पीएम मोदी ने यूसीसी की जगह जिस नाम का इस्तेमाल किया है, वो विवाद बढ़ाने वाला है। जिसकी शुरूआत हो भी गई है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सेकुलर सिविल कोड की जरूरत बताई।प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश को कम्युनल नहीं, बल्कि एक सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। अब कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से यह कह कर संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का घोर अपमान किया है।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की दुर्भावना और विद्वेष की कोई सीमा नहीं है। आज के उनके लाल किले के भाषण में यह पूरी तरह से दिखा।' उन्होंने आरोप लगाया कि यह कहना हमारे पास अब तक 'सांप्रदायिक नागरिक संहिता' है, डॉ. अंबेडकर का घोर अपमान है, जो हिंदू पर्सनल लॉ में सुधारों के सबसे बड़े समर्थक थे। ये सुधार 1950 के दशक के मध्य तक वास्तविकता बन गए। इन सुधारों का आरएसएस और जनसंघ ने कड़ा विरोध किया था। उन्होंने 21वें विधि आयोग द्वारा 31 अगस्त, 2018 को पारिवारिक कानून के सुधार पर दिए गए परामर्श पत्र के कथन का उल्लेख किया।

*देश को कम्युनल नहीं, सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत-पीएम मोदी*
इससे पहले पीएम मोदी ने आज स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से कहा कि आज देश को कम्युनल नहीं, बल्कि एक सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। जिस सिविल कोड का हम पालन कर रहे हैं, वह कम्युनल सिविल कोड है। समय की यह मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो। इसके बाद ही हमें धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्ति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कई बार चर्चा की है। कई बार आदेश भी दिए हैं। मोदी ने यह भी कहा कि संविधान निर्माताओं का सपना पूरा करना हमारा दायित्व है। धर्म के आधार पर समाज को बांटने वाले कानून आधुनिक समाज स्थापित नहीं कर सकते। इसलिए इनका कोई स्थान नहीं हो सकता है।

*इस गंभीर विषय पर व्यापक चर्चा हो-पीएम मोदी*
पीएम मोदी ने कहा, ऐसे सिविल कोड से जब हम संविधान के 75 वर्षा मना रहे हैं अब संविधान की भावना जो कहती है हमें करने के लिए, देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें कहती है करने के लिए और तब संविधान निर्माताओं का जो सपना था, उसे पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी है और मैं चाहता हूं की इस गंभीर विषय पर व्यापक चर्चा हो, हर कोई अपने विचार लेकर आए और उन कानूनों को, जो कानून देश को धर्म के आधार पर बांट दे, समाज में ऊंच-नीच का कारण बन जाए, ऐसे कानून का समाज में कोई स्थान नहीं है और इसलिए मैं तो कहूंगा और समाज की मांग है कि देश में एक सेक्यूलर सिविल कोड होना चाहिए। हमने कम्यूनल सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं, अब हमें सिविल कोड की तरफ जाना होगा और तब जाकर के जो भेदभाव हो रहे हैं, उससे हमें मुक्ति मिलेगी।

*क्या है यूसीसी ?*
यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता, जिसे प्रधानमंत्री ने सेक्युलर सिविल कोड के नाम से संबोधित किया, इसका सीधा सा मतलब है देश में रहने वाले हर धर्म, जाति, संप्रदाय और वर्ग के लिए हर मुद्दे पर एक समान नियम-कानून। एक ऐसा कानून जो पूरे देश के लिए एक समान हो। इसमें सभी धर्म वालों के लिए विरासत, शादी, तलाक और गोद लेने के नियम एक ही होंगे। भारत के संविधान में भी देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून की बात कही गई है। इसका अनुच्छेद-44 नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है और इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में दिए गए धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के सिद्धांत का पालन करना है। अनुच्छेद-44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाना सरकार का दायित्व है।

*पहले भी एक परिवार में एक नियम की कर चुके हैं पैरवी*
ये पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता को देश की जरूरत बताया है। पिछले साल मध्य प्रदेश में एक रैली में उन्होंने कहा था, परिवार के एक सदस्य के लिए एक नियम हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा नियम हो तो क्या वो घर चल पाएगा? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?'

*यूसीसी बीजेपी सरकार का टॉप एजेंडा*
बता दें कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा मोदी सरकार के टॉप एजेंडे में रहा है। बीजेपी के तीन बड़े वादों- अयोध्या में राम मंदिर बनाना, कश्मीर से 370 हटाना के साथ- साथ समान नागरिक संहिता भी शामिल रहा है. राम मंदिर और 370 का वादा पूरा हो चुका है। अब बारी समान नागरिक संहिता या कहें तो सेक्यूलर सिविल कोड लागू करने की बारी है।
पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों से पीएम मोदी ने की मुलाकात, मनु भाकर की पिस्टल थामे आए नजर
#pm_modi_meets_with_india_athletes_returned_from_paris_olympics

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस ओलंपिक से लौटे इंडियन एथलीट्स से मुलाकात की है। पीएम 15 अगस्त के मौके पर इन एथलीट्स से मिले और उनका हौसला बढ़ाते नजर आए। इस दौरान मनु भाकर, भारतीय हॉकी टीम समेत अन्य खिलाड़ी मौजूद रहे। भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने पीएम मोदी को अपनी जर्सी दी। वहीं, शूटर मनु भाकर ने प्रधानमंत्री को पिस्टल दी।

भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस में लगातार दो ओलंपिक में मेडल जीतकर इतिहास रचा था. भारत के महान गोलकीपर पीआर श्रीजेश और कप्तान हरमनप्रीत सिंह समेत जब पूरी टीम ने उनसे मुलाकात की तो तोहफे के रूप में साइन की हुई जर्सी दी. इसके अलावा हॉकी स्टिक भी गिफ्ट किया।

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में शूटिंग में दो ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वो इस खेल में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं। इतना ही नहीं उन्होंने ओलंपिक के एक ही एडिशन में दो मेडल हासिल कर इतिहास रचा है।

मनु के साथ मिस्क्ड इवेंट में ब्रॉन्ज जीतने वाले सरबजोत सिंह और शूटिंग के 50 मीटर 3 पोजिशंस इवेंट में ब्रॉन्ज हासिल करने वाले स्वप्निल कुसाले ने भी पीएम से मिलकर बातचीत की। इसके अलावा युवा पहलवान और पेरिस में रेसलिंग के एकमात्र मेडल विजेता अमन सहरावत ने भी पीएम मोदी से मुलाकात की।

हालांकि, इस दौरान नीरज चोपड़ कहीं नजर नहीं आए। दरअसल, नीरज चोपड़ा सर्जरी कराने के लिए पेरिस से सीधा जर्मनी चले गए हैं। इसके चलते वह भारत नहीं आ सके।बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु भी निजी कारणों के चलते पीएम से मिलने नहीं पहुचीं। 2 ओलंपिक मेडल जीतने वाली सिंधु इस बार खाली हाथ रहीं। उन्हें क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा और लगातार तीसरा ओलंपिक मेडल जीतने का सपना टूट गया।

पेरिस ओलंपिक में भारत को 6 मेडल मिले। शूटिंग में 3, रेसलिंग में 1, हॉकी में 1 और जेवलिन थ्रो में 1। पिछले ओलंपिक में भारत ने 7 मेडल जीते थे, जो किसी भी एडिशन में मिले सबसे ज्यादा मेडल हैं। पेरिस में हुए ओलंपिक में मनु भाकर ने शूटिंग में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने के साथ भारत की झोली में पहला मेडल डाला। दूसरा ब्रॉन्ज मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने शूटिंग में दिलाया। तीसरा मेडल स्वप्निल कुसाले ने जीता जो ब्रॉन्ज मेडल था। यह मेडल भी शूटिंग में ही मिला। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पिछले ओलंपिक की तरह इस बार भी ब्रॉन्ज जीता। रेसलिंग में अमन सहरावत ने भारत को ब्रॉन्ज दिलाया और आखिरी मेडल (सिल्वर) नीरज चोपड़ा ने दिलाया।
कोलकाता लेडी डॉक्टर की हत्या-रेप मामले में घिरीं ममता बनर्जी, पहली बार नहीं लगा आरोपियों को बचाने का आरोप
#mamata_banerjee_on_kolkata_rape_case

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ के साथ हैवानियत की हदें पार की गई।पहले अस्मत लूटी गई, फिर बेरहमी से मौत के घाट उतारा गया। इस घटना ने एक बार फिर निर्भया कांड की याद दिला दी। जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। देश भर में भारी प्रदर्शन और लोगों के आक्रोश को देखते हे लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस की जांच सीबीआई क सौंप दी गी है। दिल्ली से सीबीआई की 25 सदस्यीय टीम कोलकाता पहुंच चुकी है और जांच शुरू कर दी है। इस बीच राज्य की ममता बनर्जी सरकार सवालों के घेरे में है।

एक तरफ जहां विपक्षी बीजेपी और सीपीएम प्रशासन की लापरवाही को मुद्दा बनाकर बंगाल सरकार से इस्तीफा मांग रही हैं। वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी के नेता और सहयोगी कांग्रेस भी ममता सरकार पर हमलावर है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने तो यहां तक पूछ दिया कि आखिर ममता सरकार उसे प्रोटेक्ट क्यों कर रही हैं?

दरअसल, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) संदीप घोष ने कल यानी सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके कुछ ही देर बाद उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नियुक्त कर दिया गया। ममता सरकार के इसी फैसले की आलोचना हुई। हाईकोर्ट ने अदालत में मौजूद ममता सरकार के वकील से पूछा, ‘आप उनका बचाव क्यों कर रहे हैं? उनका बयान रिकॉर्ड करिए। उन्हें जो कुछ भी पता है, उन्हें बताने दीजिए।’हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने वाले प्रिंसिपल को दूसरे सरकारी कॉलेज का प्रिंसिपल कैसे बनाया जा सकता है?

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी मुद्दे पर बंगाल सरकार की फजीहत हो रही है। पहले भी संदेशखाली केस जैसे बड़े मुद्दों पर ममता बनर्जी चौतरफा घिर चुकी हैं।2024 के लोकसभा चुनाव से पहले संदेशखाली के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस बैकफुट पर आई थी। आरोप था कि तृणमूल के नेता शक्ति का इस्तेमाल कर इन इलाकों में महिलाओं का यौन शोषण करते हैं। ममता ने इस मुद्दे को बीजेपी प्रायोजित बताया।
मंकीपॉक्स वायरस ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित, डब्ल्यूएचओ ने दो साल में दूसरी बार किया ऐलान
#mpox_has_been_declared_a_global_health_emergency
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स वायरस को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया  है।साल 2022 के बाद अब दूसरी बार इस बीमारी को वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य आपातकाल बताया गया है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफ्रीकी महाद्वीप में इन दिनों मंकीपॉक्स संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसे एमपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। इस साल अफ्रीका में 14,000 से अधिक मामले और 524 मौतें रिपोर्ट की गई हैं। एमपॉक्स के खतरे को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने बुधवार (14 अगस्त) को इसे 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित कर दिया है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ . टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने कहा, एमपॉक्स को लेकर आपातकालीन समिति ने बैठक की और मुझे सलाह दी कि यह अंतरराष्ट्रीय चिंता विषय है। मैंने  इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की सलाह को स्वीकार कर लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन जमीनी स्तर पर काम कर रहा है और प्रभावित देशों और जोखिम वाले अन्य लोगों के साथ काम कर रहा है।

आशंका जताई जा रही है यह बीमारी अफ्रीका के अलावा दूसरे महाद्वीपों तक भी फैल सकती है। साल 2022 के बाद से ही मंकीपॉक्स के कुछ मामले आ रहे हैं, लेकिन केस कम थे तो इस बीमारी पर ध्यान नहीं दिया गया। पिछले साल भी अमेरिका और चीन में मंकीपॉक्स के केस आए थे। इसके बाद 2024 की शुरुआत से ही अफ्रीका के देशों में मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ इसलिए भी चिंतित है क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग प्रकोप में मृत्यु दर अलग-अलग देखी गई है। कई बार तो यह 10% से भी अधिक रही है। यह इसलिए अधिक खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि यह संक्रामक बीमारी है। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने इसे लेकर सबसे उच्च स्तर का अलर्ट जारी किया है।

मंकीपॉक्स चेचक जैसी एक वायरल बीमारी है। आमतौर इस वायरस से संक्रमण के ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह घातक हो सकता है। इसके चलते फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो जाते हैं। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस फैमिली का ही मेंबर है, जो चेचक (स्मालपॉक्स) के लिए भी जिम्मेदार है। इसका प्रकोप मुख्यरूप से समलैंगिक, बाइसेक्सुअल लोगों में अधिक देखा जाता रहा है। हालांकि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने एक रिपोर्ट में अलर्ट किया था कि यौन संबंधों के अलावा भी इस संक्रमण को जोखिम कई और तरीके से हो सकता है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है।