कंधार हाईजैकः क्या आतंकियों के निशाने पर थे बालासाहेब? जानें पूरी घटना के बारे में
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साल 1999 के कंधार प्लेन हाईजैक की घटना पर 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' सीरीज आई है। 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' सीरीज के बाद कंधार हाइजैक एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।विवाद विमान को हाइजैक करने वाले अपहरणकर्ताओं के नाम से जुड़ा है। जिन पांच आतंकवादियों ने प्लेन हाईजैक किया था वो सभी मुस्लिम थे। जिनका नाम इब्राहिम अख्तर, शाहिद अख्तर, सन्नी अहमद, ज़हूर मिस्त्री और शाकिर थे। लेकिन इस वेब सीरीज में इन आतंकवादियों के बदले हुए नाम भोला और शंकर रखे गए हैं। इसी पर विवाद छिड़ गया। विवाद बढ़ने पर भारत सरकार ने नेटफ्लिक्स की कंटेंट प्रमुख मोनिका शेरगिल को तलब किया। इसके बाद मोनिका शेरगिल ने सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू से मुलाकात की। बैठक के बाद नेटफ्लिक्स बयान जारी करके सीरीज में बदलावों की भी जानकारी दी।
सिरीज के रिलीज के बाद वो जख्म फिर हरे हो गए हैं, जिन पर वक्त ने मरहम लगा दिया था। पन्ने दर पन्ने फिर खोले जा रहे हैं। सबकुछ एक बार फिर दोहराया जा रहा है। इसी क्रम में इंडियन एक्सप्रेस ने महाराष्ट्र के रिटायर्ड डीजीपी डी शिवानंदन की किताब ‘ब्रह्मास्त्र’ के हवाले से पब्लिश किया है कि हेमंत करकरे को मिली हिंट से पुलिस को होटल में करंसी एक्सचेंज को लेकर शक हुआ। मामले में कुछ गिरफ्तारियां की गईं तो पूरा मामला खुल गया। डी. शिवानंदन ने ही इस ऑपरेशन को लीड कर रहे थे।
एक्सप्रेस में प्रकाशित किताब के अंश के मुताबिक- '24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से नई दिल्ली जा रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 को नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट से उड़ान भरने के 30 मिनट बाद ही हाई जैक कर लिया गया था। अधिकारियों को अपहरण की जानकारी मिलते ही पूरे देश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था। उस दौरान मैं मुंबई पुलिस में संयुक्त पुलिस आयुक्त के पद पर तैनात था और मुंबई क्राइम ब्रांच का चीफ था। मुझे मेरे बॉस और मुंबई पुलिस कमिश्नर आर एच मेंडोंका ने इस घटना के बारे में बताया और पूरी क्राइम ब्रांच को हाई अलर्ट पर रखने के लिए कहा। हम सभी लोग सांस रोककर घटनाओं पर नजर रख रहे थे।'
घटना के बाद मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच काफी ऐक्टिव हो गई थी। पुलिस ने छापेमारी के बाद आतंकियों को जहां से गिरफ्तार किया गया, वहां से शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के घर 'मातोश्री' का नक्शा भी बरामद किया था। अपनी किताब में वह कहते हैं- ‘छापेमारी इतनी सटीकता से की गई कि आतंकवादियों को प्रतिक्रिया करने का एक पल भी नहीं मिला। पूरी टीम ने उन पर ऐसे हमला किया जैसे बाज अपने शिकार को पकड़ता है और कुछ ही समय में आतंकवादियों को काबू में करके गिरफ्तार कर लिया गया।’
किताब के मुताबिक, जिस पांच आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया, उनकी पहचान रफीक मोहम्मद (उम्र 34), अब्दुल लतीफ अदानी पटेल (उम्र 34), मुस्ताक अहमद आजमी (उम्र 45), मोहम्मद आसिफ उर्फ बबलू (उम्र 25), गोपाल सिंह बहादुर मान (उम्र 38) के रूप में हुई. कमरे से दो एके-56 असॉल्ट राइफल, पांच हैंड ग्रेनेड, एंटी टैंक टीएनटी रॉकेट लॉन्चर, गोले और तीन डेटोनेटर और विस्फोटक, छह पिस्तौल, गोला-बारूद का विशाल भंडार और 1,72,000 रुपये नकद सहित हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा जखीरा बरामद किया गया। ऐसा लग रहा था जैसे आतंकवादियों ने मुंबई में एक बड़ा आतंकी हमला करने की योजना बनाई थी।
किताब में प्रकाशित अंश के मुताबित, 'अपहरण के अगले ही दिन क्रिसमस का दिन था, 25 दिसंबर, मैं क्रॉफर्ड मार्केट में मुंबई पुलिस मुख्यालय में स्थित अपने कार्यालय में था, जब सुबह करीब 11 बजे एक अनजान गेस्ट मेरे पास आया। यह महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे थे, जो उस समय रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के मुंबई कार्यालय में तैनात थे। मुझे तुरंत पता चल गया कि यह कोई खास मुलाकात थी। हेमंत करकरे ने मुझे बताया कि रॉ ने एक फोन नंबर हासिल किया है जो मुंबई में है और पाकिस्तान में एक फोन नंबर के साथ लगातार संपर्क में है। इसके बाद टीमें बनाने के बाद काम शुरू हो गई।
मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर रखा गया। 28 दिसंबर 1999 को शाम 6 बजे के आसपास एक उम्मीद दिखाई दी। टीम ने मुंबई के रहने वाले कॉलर ने पाकिस्तान में अपने हैंडलर को फोन करके बताया कि उसके पास नकदी खत्म हो रही है और उसे तत्काल पैसे की जरूरत है। कॉल करने वाला पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी था। जैश के आतंकवादी ने मुंबई में अपने साथी को बताया कि उन्होंने एक लाख रुपये का इंतजाम कर लिया है, जिसे हवाला के जरिए भेजा जाएगा। पुलिस को बशीरबाग इलाके का पता चल गया, जहां आतंकी छिपे थे।
फ्लाइट IC-814 एक एयरबस 300 विमान था। 24 दिसंबर 1999 को यह फ्लाइट काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाली थी। शाम करीब चार बजे तक सभी यात्री विमान में बैठ चुके थे। शाम 4.39 तक यह विमान भारतीय एयरस्पेस में पहुंच गया था। 15 मार्च, 2000 को संसद में तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री अजित कुमार पांजा ने संसद में बयान देकर विमान अपहरण घटना के सभी पहलुओं को सदन के समक्ष रखा था। बयान के अनुसार, 24 दिसंबर को शाम 04:53 बजे इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को अपहृत कर लिया गया। यह विमान 24 दिसंबर को काठमांडू से दिल्ली जाने वाला था। 04:56 बजे एयर ट्रैफिक कंट्रोल, (ATC) दिल्ली को अपहरण की पहली सूचना मिली।
Sep 05 2024, 15:32