जयंती विशेष: हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ,जिन्होंने दुनिया को अपने खेल से मंत्रमुग्ध कर दिया,इनका खेल देखकर हिटलर भी रह गया था दंग।
नयी दिल्ली : भारतीय हॉकी टीम के पूर्व स्टार खिलाड़ी और हॉकी जगत के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन है. मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 में प्रयागराज में हुआ था. आज भारतीय हॉकी टीम के पूर्व स्टार खिलाड़ी और हॉकी जगत के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन है.
मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 में प्रयागराज में हुआ था. जिसे हम साल 2018 के अक्टूबर महीने से पहले इलाहाबाद के नाम से जानते थे. बता दें, मेजर ध्यानचंद ने देश को ओलंपिक में तीन बार स्वर्ण पदक दिलाया है. तो चलिए जानते हैं गोल करने की अद्भुत कला के लिए मशहूर मेजर ध्यानचंद का हॉकी में आगमन कब हुआ.
सेना में खेलते थे हॉकी
भारत के पूर्व स्टार हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की 16 साल की उम्र में सिपाही के रूप में भारतीय सेना को बहाली हुई थी. भारतीय सेना में अपनी सेवा देते हुयर मेजर ध्यानचंद ने हॉकी खेलना शुरू किया था. आपको जानकर हैरानी होगी की मेजर ध्यानचंद रात के समय चांद की रोशनी में हॉकी का अभ्यास किया करते थे. जिसे देकर सभी सैनिक उन्हें ध्यानचंद पुकारने लगे और इनका नाम ध्यानचंद पद गया.
सेना में रहते हुए ध्यानचंद ने तुरु से रेजिमेंट के तरफ से रेजिमेंटल मैच खेलना शुरू किया. जिसके बाद वह उन सभी मैचों में खेलते हुए साल 1922 से 1926 के बीच सभी सुर्खियों में आए.
न्यूजीलैंड के खिलाफ किया था डेब्यू
सुर्खियों में आने के बाद ध्यानचंद को सेना की टीम में न्यूजीलैंड दौरे के लिए चुन लिया गया. न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलते हुए मेजर ध्यानचंद ने कमाल का प्रदर्शन किया. इस दौरान भारतीय सेना की हॉकी टीम ने 18 मैच जीते. वहीं दो मैच ड्रॉ रहे और भारत को एक मुकाबले में हार मिली. इस दौरे के बाद ध्यानचंद ने और अधिक सुर्खियां बटोरी. इस तरह धीरे-धीरे उनका सफर आगे बढ़ने लगा.
हिटलर भी रह गया था दंग
भारत के तरफ से साल 1936 में ओलंपिक मैच खेलते हुए मेजर ध्यानचंद ने हॉकी में जर्मनी के खिलाफ 8 गोल दागे. इस मुकाबले में भारत ने जर्मनी को 8-1 से हरा दिया था. जर्मनी की इस करारी हार को देखकर हिटलर गुस्से में आ गया और आधे मुकाबले में ही उठकर स्टेडियम से बाहर चला गया. इस मुकाबले में भारत के स्टार खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद ने तीन गोल दागे थे.
ध्यानचंद की शानदार प्रदर्शन को देखते हुए हिटलर ने मुकाबले के समाप्त होने के बाद उन्हें अपनी टीम के तरफ से खेलने ऑफर दे दिया. हिटलर ने मेजर ध्यानचंद से पूछा की तुम हॉकी खेलने के अलावा और क्या करते हो? जिसका जवाब देते हुए ध्यानचंद ने हिटलर से कहा, ‘मैं भारतीय सेना में हूं. जिसके बाद हिटलर ने उन्हें ऑफर देते हुए कहा कि तुम मेरी सेना में भर्ती हो जाओ. जिसे मेजर ध्यानचंद ने नकार दिया.
देश को दिलाई तीन पदक
आपकी जानकारी के लिए बता दें, मेजर ध्यानचंद ने देश को ओलंपिक में तीन बार पदक दिलाया है. उन्होंने देश को पहला पदक साल 1928 में खेले गए ओलंपिक मैच में दिलाया था. जिसके बाद साल 1932 में हुए ओलंपिक में भारत को मेजर ध्यानचंद ने दूसरी बार स्वर्ण पदक दिलाया.
जिसके बाद उन्होंने देश को तीसरा स्वर्ण पदक साल 1936 में हुए ओलंपिक में दिलाया था. आपकी जानकारी के लिए बता दें, ये युग भारत के स्वर्णिम युग के नाम से भी जाना जाने लगा. 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन रहता है. जिसे अब हम नेशनल स्पोर्ट्स डे के तौर पर मनाते हैं. इसके अलावा खेल में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को भी उनके नाम से जुड़ी और खेल की सबसे बढ़ी अवॉर्ड से नवाजा जाता है. इस अवॉर्ड को हम सभी ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ के नाम से जानते हैं. पहले इस अवॉर्ड को ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ कहा जाता था. जिसे बाद में बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखा गया.
मेजर ध्यानचंद को भारत का कौन सा सम्मान दिया गया था?
ध्यानचंद 34 साल की सर्विस के बाद अगस्त 1956 में भारतीय सेना से लेफ्टिनेंट के रूप में रिटायर्ड हुए, और इसके बाद उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
मेजर ध्यानचंद की मृत्यु कब और कैसे हुई?
ध्यानचंद का 3 दिसंबर, 1979 को दिल्ली में निधन हो गया. झांसी में उनका अंतिम संस्कार उसी मैदान पर किया गया, जहां वे हॉकी खेला करते थे.
मेजर ध्यानचंद की आत्मकथा क्या थी?
मेजर ध्यानचंद की आत्मकथा का शीर्षक ‘गोल’ है. यह 1952 में स्पोर्ट एंड पासटाइम, मद्रास द्वारा प्रकाशित किया गया था. भारत सरकार ने 1956 में चंद को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।
Sep 01 2024, 10:26