विधानसभा चुनाव में धनबाद से कई राजपूत नेता बने भाजपा टिकट के दावेदार, जानिये लाइन में लगे इन नेताओं में किनका है क्या प्रभाव...?
झारखंड डेस्क
देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले धनबाद की राजनीति में पिछले पांच दशक से राजपूत नेताओं का प्रभाव रहा है.इस राजनितिक वर्चस्व को लेकर खून ख़राब भी होती रही है.
यहां नीरज सिंह, सुरेश सिंह, शकलदेव सिंह, प्रमोद सिंह, राजीव रंजन सिंह और सुशांतो सेन गुप्ता और न जाने कितने लोगों की राजनीति में वर्चस्व को लेकर बलि चढ़ गई. इस बार भी होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी से ताना तनी चलने लगी है.
इस बार भी कई राजपूत घरानों के नेता चुनावी मैदान में उतरने के लिए अभी से टाल टोकने लगे हैं. ये अपने भाग्य आजमाएंगे. कोयलांचल की राजनीति में इस बार चर्चित कोयला उद्योग से जुड़े एलबी सिंह की सक्रियता को लेकर चर्चा है. भाजपा से धनबाद या झरिया विधानसभा से चुनाव लड़ने के कोशिश में लगे हुए हैं.
धनबाद से राज सिन्हा तीन बार विधायक रह चुके हैं. लोगों का कहना है कि पार्टी के भीतर कई नेता और कार्यकर्ता बयानबाजी को लेकर नाराज चल रहे हैं.इसी लिए एलबी सिंह यह उम्मीद लगा बैठे हैं कि भाजपा उन्हें धनबाद या झरिया से टिकट देगी तो वे जरूर जीत जाएंगे.
झरिया विधानसभा से भी वे टिकट के लिए प्रयासरत हैं जहां से सिंह मेंशन का परिवार पचास वर्षों से सत्ता संभाल रही है. सूर्यदेव सिंह से लेकर बच्चा सिंह, कुंती सिंह, संजीव सिंह और अभी कांग्रेस से पूर्णिमा नीरज सिंह सत्ता पर काबिज हैं.
भाजपा के अलावा कांग्रेस में भी कई राजपूत नेता हैं जो चुनावी मैदान में इस बार बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगे. भाजपा के राजपूत नेताओं में कोयला कारोबारी एलबी सिंह समेत असर्फी हॉस्पिटल के मालिक हरेंद्र सिंह, रागिनी सिंह, रणजीत सिंह, विनय सिंह, प्रशांत सिंह, अमरेश सिंह शामिल हैं.
अगर झरिया विधानसभा से भाजपा एलबी सिंह को चुनावी जंग में उतारते हैं तो सिंह मेंशन का 50 वर्षों का चुनावी किला ध्वस्त हो जाएगा. फिर भविष्य में झरिया विधानसभा में सत्ता हासिल करना मुश्किल हो जाएगा. एलबी सिंह कभी सिंह मेंशन के राजनीति की दुनिया के चाणक्य माने जाने वाले रामधीर सिंह के शिष्य थे. कोयले की कारोबार में आने और कोयलांचल में वर्चस्व हासिल करने के लिए मेंशन घराने को ढाल बनाया और बाद में सैकड़ों युवाओं का साथ मिलने से खुद को मेंशन घराने से अलग कर लिया.
पशुपतिनाथ सिंह कोयलांचल ही नहीं बल्कि झारखंड में भाजपा में सबसे बड़ा राजपूत चेहरा रहे. लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कटने से राजपूत समाज में नाराजगी है. राजपूत नेताओं को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा से किसी राजपूत को टिकट देकर राजपूत समाज की यह नाराजगी दूर करेगी. झरिया के अलावा धनबाद विधानसभा सीट पर टिकट मिलने को लेकर राजपूत नेता काफी आश्वस्त हैं.
ये राजपूत नेता हैं भाजपा के टिकट का दावेदार...?
रागिनी सिंह-
झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी रागिनी सिंह मजबूती से उनका राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं. भाजपा के राजनीति और झरिया विधानसभा क्षेत्र में सालों भर सक्रिय रहती हैं. रागिनी सिंह की चुनावी लड़ाई अपनों से है. नीरज सिंह की हत्या के बाद उनके पति को जेल जाना पड़ा. जनता की सहानुभूति पूर्णिमा नीरज सिंह को मिलने से वह चुनाव जीत गई. इस बार रागिनी सिंह और राजपूत समाज को भरोसा है कि इस बार भाजपा से टिकट मिलने पर जीत हासिल कर लेंगी.
एलबी सिंह-
कोलियरी क्षेत्रों में एलबी सिंह की बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनी है. कोयलांचल में अपनी पहचान के मोहताज नहीं हैं. इनका नेटवर्क धनबाद से रांची और दिल्ली तक फैला हुआ है. लोग कहते हैं कि भाजपा के कई बड़े नेता से भी एलबी सिंह का संपर्क है. यही उनकी ताकत है, लेकिन राजनीति का कोई अनुभव नहीं है. दबंग छवि है और आम लोगों के बीच पहचान नहीं बना पाए हैं.
रणजीत सिंह-
भाजपा के उभरते नेता हैं. ज्यादातर इलाकों में उन्होंने काफी बेहतर काम किया है. जिला से लेकर प्रदेश के नेताओं से बेहतर संबंध हैं. लोगों की मानें तो पार्टी के कई नेताओं के अनुसार टिकट के लिए और परिपक्व होने की जरूरत है. आम जनता के बीच बड़ी पहचान बनाने की जरूरत है. तभी टिकट मिलने के साथ-साथ विधायक बनने की उम्मीद रहती है.
हरेंद्र सिंह-
हरेंद्र सिंह की पहचान बड़े घरानों के बीच ही सीमित है. आम लोग इन्हें नहीं के बराबर जानते हैं. बड़े लोगों से संपर्क और कुछ गिने चुने लोगों से चुनाव में जीत नहीं दिला सकता है. चुनाव में जीत उसे ही हासिल होता है, जिसे अमीर से लेकर मीडिल क्लास और गरीब परिवार के सभी लोग जानते हैं, वरना मेहनत और पैसा दोनों बेकार चला जाता है. बड़े अस्पताल के संचालक होने के कारण उनका नेटवर्क सिर्फ बड़े लोगों के बीच ही सीमित है. भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता से नजदीकी संपर्क है, लेकिन जीत दिलाने के नाकाफी है. राजनीति की दुनिया के नया खिलाड़ी हैं. संगठन का अनुभव नहीं है.
विनय सिंह-
प्रदेश भाजपा की राजनीति में तेजी से उभरे हैं. झारखंड बीजेपी के प्रवक्ता हैं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन से भी जुड़े हैं. अच्छे वक्ता हैं. भाजपा के बड़े नेताओं से बेहतर संबंध हैं. हालांकि धनबाद विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता नहीं के बराबर है. टिकट हासिल करने और चुनाव जीतने के लिए काफी संघर्ष करने की जरूरत है. चुनाव जीतने के लिए आम लोगों के बीच पहचान बनानी पड़ती है और जनता का भरोसा जीतना पड़ता है.
अमरेश सिंह-
भाजपा की राजनीति में कुछ वर्षों से सक्रिय हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे ढुल्लू महतो जो अब सांसद बन गए, चुनाव के दौरान उनके साथ काफी सक्रिय रहे हैं. भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता के करीबी हैं. खुद को बड़े नेता के रूप में जनता के बीच अभी तक मजबूत पकड़ नहीं बना सके हैं. हाल के दिनों में कार्यक्रमों में सक्रियता बढ़ी है.
प्रशांत सिंह-
धनबाद के पूर्व सांसद पशुपतिनाथ सिंह के पुत्र हैं. झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता हैं. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य भी हैं. बार काउंसिल के सदस्य के रूप में तो सक्रिय रहे हैं, लेकिन कोयलांचल में भाजपा की राजनीति में सक्रियता नहीं के बराबर है. वर्तमान सांसद ढुल्लू महतो से भी बेहतर संबंध नहीं हैं. कई नेताओं की दो-दो सीट पर नजर है.
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता विनय सिंह धनबाद के साथ-साथ निरसा सीट के भी दावेदार हैं. धनबाद सीट से पूर्व सांसद पीएन सिंह के पुत्र अधिवक्ता प्रशांत सिंह, युवा नेता रणजीत सिंह और अमरेश सिंह भी दावेदार हैं. फिलहाल सभी राजपूत नेता चुनावी मैदान में फतेह तभी हासिल कर सकते हैं, जब भाजपा अपने जीते हुए तीनों विधायकों राज सिन्हा, इंद्रजीत महतो और अपर्णा सेन गुप्ता को टिकट नहीं देगी.
Aug 23 2024, 17:46