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विधानसभा चुनाव में धनबाद से कई राजपूत नेता बने भाजपा टिकट के दावेदार, जानिये लाइन में लगे इन नेताओं में किनका है क्या प्रभाव...?

झारखंड डेस्क 

देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले धनबाद की राजनीति में पिछले पांच दशक से राजपूत नेताओं का प्रभाव रहा है.इस राजनितिक वर्चस्व को लेकर खून ख़राब भी होती रही है.

यहां नीरज सिंह, सुरेश सिंह, शकलदेव सिंह, प्रमोद सिंह, राजीव रंजन सिंह और सुशांतो सेन गुप्ता और न जाने कितने लोगों की राजनीति में वर्चस्व को लेकर बलि चढ़ गई. इस बार भी होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी से ताना तनी चलने लगी है.

इस बार भी कई राजपूत घरानों के नेता चुनावी मैदान में उतरने के लिए अभी से टाल टोकने लगे हैं. ये अपने भाग्य आजमाएंगे. कोयलांचल की राजनीति में इस बार चर्चित कोयला उद्योग से जुड़े एलबी सिंह की सक्रियता को लेकर चर्चा है. भाजपा से धनबाद या झरिया विधानसभा से चुनाव लड़ने के कोशिश में लगे हुए हैं. 

धनबाद से राज सिन्हा तीन बार विधायक रह चुके हैं. लोगों का कहना है कि पार्टी के भीतर कई नेता और कार्यकर्ता बयानबाजी को लेकर नाराज चल रहे हैं.इसी लिए एलबी सिंह यह उम्मीद लगा बैठे हैं कि भाजपा उन्हें धनबाद या झरिया से टिकट देगी तो वे जरूर जीत जाएंगे.

झरिया विधानसभा से भी वे टिकट के लिए प्रयासरत हैं जहां से सिंह मेंशन का परिवार पचास वर्षों से सत्ता संभाल रही है. सूर्यदेव सिंह से लेकर बच्चा सिंह, कुंती सिंह, संजीव सिंह और अभी कांग्रेस से पूर्णिमा नीरज सिंह सत्ता पर काबिज हैं.

भाजपा के अलावा कांग्रेस में भी कई राजपूत नेता हैं जो चुनावी मैदान में इस बार बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगे. भाजपा के राजपूत नेताओं में कोयला कारोबारी एलबी सिंह समेत असर्फी हॉस्पिटल के मालिक हरेंद्र सिंह, रागिनी सिंह, रणजीत सिंह, विनय सिंह, प्रशांत सिंह, अमरेश सिंह शामिल हैं.

अगर झरिया विधानसभा से भाजपा एलबी सिंह को चुनावी जंग में उतारते हैं तो सिंह मेंशन का 50 वर्षों का चुनावी किला ध्वस्त हो जाएगा. फिर भविष्य में झरिया विधानसभा में सत्ता हासिल करना मुश्किल हो जाएगा. एलबी सिंह कभी सिंह मेंशन के राजनीति की दुनिया के चाणक्य माने जाने वाले रामधीर सिंह के शिष्य थे. कोयले की कारोबार में आने और कोयलांचल में वर्चस्व हासिल करने के लिए मेंशन घराने को ढाल बनाया और बाद में सैकड़ों युवाओं का साथ मिलने से खुद को मेंशन घराने से अलग कर लिया. 

पशुपतिनाथ सिंह कोयलांचल ही नहीं बल्कि झारखंड में भाजपा में सबसे बड़ा राजपूत चेहरा रहे. लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कटने से राजपूत समाज में नाराजगी है. राजपूत नेताओं को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा से किसी राजपूत को टिकट देकर राजपूत समाज की यह नाराजगी दूर करेगी. झरिया के अलावा धनबाद विधानसभा सीट पर टिकट मिलने को लेकर राजपूत नेता काफी आश्वस्त हैं.

 ये राजपूत नेता हैं भाजपा के टिकट का दावेदार...?


रागिनी सिंह-

झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी रागिनी सिंह मजबूती से उनका राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं. भाजपा के राजनीति और झरिया विधानसभा क्षेत्र में सालों भर सक्रिय रहती हैं. रागिनी सिंह की चुनावी लड़ाई अपनों से है. नीरज सिंह की हत्या के बाद उनके पति को जेल जाना पड़ा. जनता की सहानुभूति पूर्णिमा नीरज सिंह को मिलने से वह चुनाव जीत गई. इस बार रागिनी सिंह और राजपूत समाज को भरोसा है कि इस बार भाजपा से टिकट मिलने पर जीत हासिल कर लेंगी.

एलबी सिंह-

कोलियरी क्षेत्रों में एलबी सिंह की बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनी है. कोयलांचल में अपनी पहचान के मोहताज नहीं हैं. इनका नेटवर्क धनबाद से रांची और दिल्ली तक फैला हुआ है. लोग कहते हैं कि भाजपा के कई बड़े नेता से भी एलबी सिंह का संपर्क है. यही उनकी ताकत है, लेकिन राजनीति का कोई अनुभव नहीं है. दबंग छवि है और आम लोगों के बीच पहचान नहीं बना पाए हैं.

रणजीत सिंह-

भाजपा के उभरते नेता हैं. ज्यादातर इलाकों में उन्होंने काफी बेहतर काम किया है. जिला से लेकर प्रदेश के नेताओं से बेहतर संबंध हैं. लोगों की मानें तो पार्टी के कई नेताओं के अनुसार टिकट के लिए और परिपक्व होने की जरूरत है. आम जनता के बीच बड़ी पहचान बनाने की जरूरत है. तभी टिकट मिलने के साथ-साथ विधायक बनने की उम्मीद रहती है.

हरेंद्र सिंह-

हरेंद्र सिंह की पहचान बड़े घरानों के बीच ही सीमित है. आम लोग इन्हें नहीं के बराबर जानते हैं. बड़े लोगों से संपर्क और कुछ गिने चुने लोगों से चुनाव में जीत नहीं दिला सकता है. चुनाव में जीत उसे ही हासिल होता है, जिसे अमीर से लेकर मीडिल क्लास और गरीब परिवार के सभी लोग जानते हैं, वरना मेहनत और पैसा दोनों बेकार चला जाता है. बड़े अस्पताल के संचालक होने के कारण उनका नेटवर्क सिर्फ बड़े लोगों के बीच ही सीमित है. भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता से नजदीकी संपर्क है, लेकिन जीत दिलाने के नाकाफी है. राजनीति की दुनिया के नया खिलाड़ी हैं. संगठन का अनुभव नहीं है.

विनय सिंह-

प्रदेश भाजपा की राजनीति में तेजी से उभरे हैं. झारखंड बीजेपी के प्रवक्ता हैं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन से भी जुड़े हैं. अच्छे वक्ता हैं. भाजपा के बड़े नेताओं से बेहतर संबंध हैं. हालांकि धनबाद विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता नहीं के बराबर है. टिकट हासिल करने और चुनाव जीतने के लिए काफी संघर्ष करने की जरूरत है. चुनाव जीतने के लिए आम लोगों के बीच पहचान बनानी पड़ती है और जनता का भरोसा जीतना पड़ता है.

अमरेश सिंह-

भाजपा की राजनीति में कुछ वर्षों से सक्रिय हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे ढुल्लू महतो जो अब सांसद बन गए, चुनाव के दौरान उनके साथ काफी सक्रिय रहे हैं. भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता के करीबी हैं. खुद को बड़े नेता के रूप में जनता के बीच अभी तक मजबूत पकड़ नहीं बना सके हैं. हाल के दिनों में कार्यक्रमों में सक्रियता बढ़ी है.

प्रशांत सिंह-

धनबाद के पूर्व सांसद पशुपतिनाथ सिंह के पुत्र हैं. झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता हैं. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य भी हैं. बार काउंसिल के सदस्य के रूप में तो सक्रिय रहे हैं, लेकिन कोयलांचल में भाजपा की राजनीति में सक्रियता नहीं के बराबर है. वर्तमान सांसद ढुल्लू महतो से भी बेहतर संबंध नहीं हैं. कई नेताओं की दो-दो सीट पर नजर है.

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता विनय सिंह धनबाद के साथ-साथ निरसा सीट के भी दावेदार हैं. धनबाद सीट से पूर्व सांसद पीएन सिंह के पुत्र अधिवक्ता प्रशांत सिंह, युवा नेता रणजीत सिंह और अमरेश सिंह भी दावेदार हैं. फिलहाल सभी राजपूत नेता चुनावी मैदान में फतेह तभी हासिल कर सकते हैं, जब भाजपा अपने जीते हुए तीनों विधायकों राज सिन्हा, इंद्रजीत महतो और अपर्णा सेन गुप्ता को टिकट नहीं देगी.

जेडीयू नेता अशोक चौधरी ने की बड़ी घोषणा, जमशेदपुर पूर्वी से एनडीए प्रत्याशी होंगे सरयू राय


डेस्क: झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर पर तैयारियां और उम्मीदवारों का चयन करने लगी है. अब एनडीए गठबंधन में सहयोगी जदयू ने घोषणा कर दी है कि जमशेदपुर पूर्वी से पूर्व मंत्री सरयू राय एनडीए के उम्मीदवार होंगे.

बिहार सरकार के मंत्री सह झारखंड जदयू के प्रभारी अशोक चौधरी ने जमशेदपुर के माइकल जॉन ऑडिटोरियम में कहा कि आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से सरयू राय एनडीए के उम्मीदवार होंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय जितने वोटों से सरयू राय जीते थे उससे डबल वोटों से जीतने का संकल्प जदयू के कार्यकर्ताओं ने लिया है.

झारखंड जदयू प्रभारी और मंत्री अशोक चौधरी से सवाल जब पूछा गया कि झारखंड विधानसभा चुनाव में जदयू कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो उन्होंने कहा कि चुनाव एनडीए के बैनर तले लड़ा जाएगा. समय आने पर तय होगा कि चुनाव कितने सीटों पर लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष आग्रह कर सरयू राय को जदयू में शामिल कराया गया है.

झारखण्ड में भाजपा के लिए एस टी/ एस सी सीटों पर जीत दर्ज करना सबसे बड़ी चुनौती,जानिये क्या है इस सीट के लिए भाजपा की रणनीति..?

झारखण्ड डेस्क 

झारखंड में भाजपा ने विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तैयारी शुरू कर दी है.पिछले लोकसभा चुनाव में एसटी /एस सी सीट पर हुई स्थिति से सबक लेकर भाजपा इस बिधानसभा चुनाव में ऐसे प्रत्याशी को रिजर्व सीट पर उतारने की तैयारी कर रही है जिससे इस बार आदिवासी एवं पिछड़ों का वोट हासिल किया जा सके. हालांकि इस बर झामुमो के साथ प्रतिस्पर्धा काफ़ी तेज़ है इसके वाबजूद भाजपा को विश्वास है कि जनादेश उनके पक्ष में आएगा.

इसको लेकर भाजपा कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है. भाजपा के कोर कमेटी भी मंथन कर रही है वहीं भाजपा के झारखण्ड चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हेमंत विस्व सरमा भी सभी जिलाध्यलक्ष और कार्यकर्ताओं से सीधा सम्पर्क कर इस पर उनका ओपेनियन ले रहे हैं.

झारखण्ड राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 28 सीट है. इन सीटों पर जीत दर्ज करने को लेकर रणनीति बनायी जा रही है. भाजपा तो सभी सीट जितना चाहती है परन्तु झारखण्ड के प्रभारी को लक्ष्य दिया गया है कि इसमें से आधे से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए पूरी ताकत लगा दें.

इस सीटों पर जीत को लेकर जो खाका तैयार किया जा रहा है. प्रत्याशी चयन को लेकर कवायद चल रही है. संताल परगना व कोल्हान प्रमंडल की सीटों पर खास नजर रख कर तैयारी की जा रही है. 

भाजपा के चुनाव प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, विधानसभा चुनाव के प्रभारी व केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, सह प्रभारी व असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा लगातार पार्टी के नेताओं से संपर्क कर आगे की रणनीति बनाने में जुटे हैं.

अर्जुन मुंडा सहित सभी आदिवासी समाज के कद्दावर नेताओं को लेकर हो रही मंथन


लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा कि हार के बाद इस बार फिर उन्हें विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी है.

 इस बार अर्जुन मुंडा, समीर उरांव, सुदर्शन भगत, दिनेश उरांव, गीता कोड़ा, सीता सोरेन, लुईस मरांडी समेत पूर्व विधायक के साथ-साथ पार्टी के कद्दावर नेताओं व पदाधिकारियों को चुनाव में अपने भाग्य का फैसला करने का मौका मिलेगा.

 पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को खिजरी या खरसावां सीट से चुनाव लड़ाने पर मंथन चल रहा है. सभी एसटी सीटों पर जिलाध्यक्षों की ओर से अनुशंसा की गयी तीन-तीन नामों पर विचार किया जा रहा है. इनके अलावा अन्य नामों पर पार्टी विचार कर रही है.

एसटी सीटों पर भाजपा किनके नामों पर कर रही मंथन जाने 


भाजपा के एक बड़े नेता ने स्ट्रीटबजज समेत कुछ मीडिया को एक सूची उपलब्ध कराई जिसमे सभी सुरक्षित सीटों पर उस क्षेत्र के भाजपा पदाधिकारी के से प्राप्त नाम और प्रभारी द्वारा तैयार सूची के आधार पर प्रत्येक विधानसभा के लिए नामों का एक शार्ट लिस्ट तैयार किया है जिस में से संभावित प्रत्याशी को फइनल किया जाएगा. देखिये वह सूची इस प्रकार है..

खिजरी : पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व विधायक राम कुमार पाहन, प्रदेश उपाध्यक्ष आरती कुजूर, युवा मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यदेव मुंडा.

खूंटी : विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, कड़िया मुंडा के बेटे जगन्नाथ मुंडा.

तोरपा : विधायक कोचे मुंडा.

सिमडेगा : श्रद्धानंद बेसरा (पूर्व विधायक निर्मल बेसरा के बेटे) पिछले चुनाव में 250 वोट से चुनाव हारे थे, पूर्व विधायक मंत्री विमला प्रधान के बेटा राकेश रविकांत प्रधान, लक्ष्मण बड़ाईक.

कोलेबिरा -अशोक बड़ाईक प्रदेश सह मीडिया प्रभारी एवं पूर्व कोलेबिरा विधानसभा चुनाव प्रभारी, सुजान मुंडा पूर्व प्रत्याशी, महेंद्र भगत (पूर्व प्रत्याशी)

गुमला : सुदर्शन भगत (पूर्व सांसद व विधायक), पूर्व विधायक शिवशंकर उरांव, मिसिर कुजूर पूर्व प्रत्यशी.

बिशुनपुर : पूर्व राज्यसभा सांसद एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव, राष्ट्रीय मंत्री एवं राष्ट्रीय एसटी आयोग की सदस्य आशा लकड़ा, अशोक उरांव पूर्व प्रत्याशी.

सिसई : पूर्व स्पीकर दिनेश उरांव, प्रदेश प्रवक्ता व आइपीएस रहे डॉ अरुण उरांव, जिला परिषद अध्यक्ष गुमला किरण माला बाड़ा.

लोहरदगा : आजसू गठबंधन की सीट है. इस सीट पर मनीर उरांव जिला अध्यक्ष, बिंदेश्वर उरांव (एसटी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री हैं)

मांडर : पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर, सन्नी टोप्पो (कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए हैं), पूर्व प्रत्याशी देवकुमार धान.

मनिका : पूर्व विधायक हरेकृष्ण सिंह, अवधेश सिंह चेरो (एसटी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष).

घाटशिला : पूर्व प्रत्याशी लखन मार्डी, लक्ष्मण टुडू (पूर्व विधायक).

सरायकेला : चंपाई सोरेन (अगर भाजपा में शामिल होते हैं), गणेश महली (पूर्व प्रत्याशी).

खरसावां : पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, मीरा मुंडा (अर्जुन मुंडा की पत्नी), जवाहर बानरा पूर्व प्रत्याशी.

पोटका : पूर्व विधायक मेनका सरदार, एसटी मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता उपेंद्र नाथ सरदार.

जगरनाथपुर : पूर्व सांसद गीता कोड़ा, मंगल गिलुवा, विपिन पूर्ति

मनोहरपुर : पूर्व विधायक गुरुचरण नायक, पूर्व प्रत्याशी शिवा बोदरा, रामेश्वर पैसुम.

चक्रधरपुर : झामुमो से पूर्व विधायक शशि सामड़, मालती गिलुआ (स्वर्गीय लक्ष्मण गिलुआ की पत्नी), विजय मेलगंडी एसटी मोर्चा के पूर्व प्रदेश महामंत्री.

मझगांव : पूर्व मंत्री बड़कुवंर गगराई, भूषण पाठ पिंगुवा पूर्व प्रत्याशी, अनिल बिरुली

जामा : पूर्व विधायक सीता सोरेन, पूर्व सांसद सुनील सोरेन, पूर्व प्रत्याशी सुरेश मुर्मू, पूर्व दुमका एसटी मोर्चा जिला अध्यक्ष विमल मरांडी

शिकारीपाड़ा : पूर्व जिला अध्यक्ष एवं पूर्व प्रत्याशी परितोष सोरेन, युवा मोर्चा प्रदेश प्रवक्ता एवं जिला परिषद सदस्य अविनाश सोरेन

महेशपुर : पूर्व विधायक मिस्त्री सोरेन, दुर्गा मरांडी, भाजपा प्रदेश मंत्री, पूर्व विधायक देवीधन टुडू, सुफल मरांडी.

लिट्टीपाड़ा- पूर्व प्रत्याशी दानियल किस्कू, साहिब हांसदा, एसटी मोर्चा कार्यसमिति सदस्य, बाबूधन मुर्मू पूर्व पाकुड़ जिला परिषद अध्यक्ष.

बोरियो : पूर्व विधायक ताला मरांडी, लोबिन हेंब्रम (अगर भाजपा में शामिल होते हैं) सूर्य नारायण हांसदा (पूर्व प्रत्याशी).

बरहेट : सिमोन मालतो पूर्व प्रत्याशी, रेणुका मुर्मू, साहिबगंज जिला परिषद पूर्व अध्यक्ष, रवींद्र टुडू (दुमका आरएसएस के जिला प्रचारक).

तोरपा : कोचे मुंडा, पूर्व बानो मंडल अध्यक्ष अजित कंडुलना, भाजपा जिला महामंत्री निखिल कंडुलना.

तमाड़ : रीता मुंडा, देवी दयाल मुंडा, राजा पीटर (अगर भाजपा के शामिल हुए तो)

दुमका : पूर्व डॉ लुईस मरांडी पूर्व मंत्री, गुंजन मरांडी दुमका जिला मंत्री, डॉ अंजुला मुर्मू प्रोफेसर सिदो-कान्हो यूनिवर्सिटी (जेवीएम से आयी हैं).

झारखण्ड में भाजपा के लिए एस टी/ एस सी सीटों पर जीत दर्ज करना सबसे बड़ी चुनौती,जानिये क्या है इस सीट के लिए भाजपा की रणनीति..?


झारखण्ड डेस्क 

झारखंड में भाजपा ने विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तैयारी शुरू कर दी है.पिछले लोकसभा चुनाव में एसटी /एस सी सीट पर हुई स्थिति से सबक लेकर भाजपा इस बिधानसभा चुनाव में ऐसे प्रत्याशी को रिजर्व सीट पर उतारने की तैयारी कर रही है जिससे इस बार आदिवासी एवं पिछड़ों का वोट हासिल किया जा सके. हालांकि इस बर झामुमो के साथ प्रतिस्पर्धा काफ़ी तेज़ है इसके वाबजूद भाजपा को विश्वास है कि जनादेश उनके पक्ष में आएगा.

इसको लेकर भाजपा कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है. भाजपा के कोर कमेटी भी मंथन कर रही है वहीं भाजपा के झारखण्ड चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हेमंत विस्व सरमा भी सभी जिलाध्यलक्ष और कार्यकर्ताओं से सीधा सम्पर्क कर इस पर उनका ओपेनियन ले रहे हैं.

झारखण्ड राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 28 सीट है. इन सीटों पर जीत दर्ज करने को लेकर रणनीति बनायी जा रही है. भाजपा तो सभी सीट जितना चाहती है परन्तु झारखण्ड के प्रभारी को लक्ष्य दिया गया है कि इसमें से आधे से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए पूरी ताकत लगा दें.

इस सीटों पर जीत को लेकर जो खाका तैयार किया जा रहा है. प्रत्याशी चयन को लेकर कवायद चल रही है. संताल परगना व कोल्हान प्रमंडल की सीटों पर खास नजर रख कर तैयारी की जा रही है. 

भाजपा के चुनाव प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, विधानसभा चुनाव के प्रभारी व केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, सह प्रभारी व असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा लगातार पार्टी के नेताओं से संपर्क कर आगे की रणनीति बनाने में जुटे हैं.

अर्जुन मुंडा सहित सभी आदिवासी समाज के कद्दावर नेताओं को लेकर हो रही मंथन 

लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा कि हार के बाद इस बार फिर उन्हें विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी है.

 इस बार अर्जुन मुंडा, समीर उरांव, सुदर्शन भगत, दिनेश उरांव, गीता कोड़ा, सीता सोरेन, लुईस मरांडी समेत पूर्व विधायक के साथ-साथ पार्टी के कद्दावर नेताओं व पदाधिकारियों को चुनाव में अपने भाग्य का फैसला करने का मौका मिलेगा.

 पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को खिजरी या खरसावां सीट से चुनाव लड़ाने पर मंथन चल रहा है. सभी एसटी सीटों पर जिलाध्यक्षों की ओर से अनुशंसा की गयी तीन-तीन नामों पर विचार किया जा रहा है. इनके अलावा अन्य नामों पर पार्टी विचार कर रही है.

एसटी सीटों पर भाजपा किनके नामों पर कर रही मंथन जाने 

भाजपा के एक बड़े नेता ने स्ट्रीटबजज समेत कुछ मीडिया को एक सूची उपलब्ध कराई जिसमे सभी सुरक्षित सीटों पर उस क्षेत्र के भाजपा पदाधिकारी के से प्राप्त नाम और प्रभारी द्वारा तैयार सूची के आधार पर प्रत्येक विधानसभा के लिए नामों का एक शार्ट लिस्ट तैयार किया है जिस में से संभावित प्रत्याशी को फइनल किया जाएगा. देखिये वह सूची इस प्रकार है..

खिजरी : पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व विधायक राम कुमार पाहन, प्रदेश उपाध्यक्ष आरती कुजूर, युवा मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यदेव मुंडा.

खूंटी : विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, कड़िया मुंडा के बेटे जगन्नाथ मुंडा.

तोरपा : विधायक कोचे मुंडा.

सिमडेगा : श्रद्धानंद बेसरा (पूर्व विधायक निर्मल बेसरा के बेटे) पिछले चुनाव में 250 वोट से चुनाव हारे थे, पूर्व विधायक मंत्री विमला प्रधान के बेटा राकेश रविकांत प्रधान, लक्ष्मण बड़ाईक.

कोलेबिरा -अशोक बड़ाईक प्रदेश सह मीडिया प्रभारी एवं पूर्व कोलेबिरा विधानसभा चुनाव प्रभारी, सुजान मुंडा पूर्व प्रत्याशी, महेंद्र भगत (पूर्व प्रत्याशी)

गुमला : सुदर्शन भगत (पूर्व सांसद व विधायक), पूर्व विधायक शिवशंकर उरांव, मिसिर कुजूर पूर्व प्रत्यशी.

बिशुनपुर : पूर्व राज्यसभा सांसद एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव, राष्ट्रीय मंत्री एवं राष्ट्रीय एसटी आयोग की सदस्य आशा लकड़ा, अशोक उरांव पूर्व प्रत्याशी.

सिसई : पूर्व स्पीकर दिनेश उरांव, प्रदेश प्रवक्ता व आइपीएस रहे डॉ अरुण उरांव, जिला परिषद अध्यक्ष गुमला किरण माला बाड़ा.

लोहरदगा : आजसू गठबंधन की सीट है. इस सीट पर मनीर उरांव जिला अध्यक्ष, बिंदेश्वर उरांव (एसटी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री हैं)

10 मांडर : पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर, सन्नी टोप्पो (कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए हैं), पूर्व प्रत्याशी देवकुमार धान.

मनिका : पूर्व विधायक हरेकृष्ण सिंह, अवधेश सिंह चेरो (एसटी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष).

घाटशिला : पूर्व प्रत्याशी लखन मार्डी, लक्ष्मण टुडू (पूर्व विधायक).

सरायकेला : चंपाई सोरेन (अगर भाजपा में शामिल होते हैं), गणेश महली (पूर्व प्रत्याशी).

खरसावां : पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, मीरा मुंडा (अर्जुन मुंडा की पत्नी), जवाहर बानरा पूर्व प्रत्याशी.

पोटका : पूर्व विधायक मेनका सरदार, एसटी मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता उपेंद्र नाथ सरदार.

जगरनाथपुर : पूर्व सांसद गीता कोड़ा, मंगल गिलुवा, विपिन पूर्ति

मनोहरपुर : पूर्व विधायक गुरुचरण नायक, पूर्व प्रत्याशी शिवा बोदरा, रामेश्वर पैसुम.

चक्रधरपुर : झामुमो से पूर्व विधायक शशि सामड़, मालती गिलुआ (स्वर्गीय लक्ष्मण गिलुआ की पत्नी), विजय मेलगंडी एसटी मोर्चा के पूर्व प्रदेश महामंत्री.

मझगांव : पूर्व मंत्री बड़कुवंर गगराई, भूषण पाठ पिंगुवा पूर्व प्रत्याशी, अनिल बिरुली

जामा : पूर्व विधायक सीता सोरेन, पूर्व सांसद सुनील सोरेन, पूर्व प्रत्याशी सुरेश मुर्मू, पूर्व दुमका एसटी मोर्चा जिला अध्यक्ष विमल मरांडी

शिकारीपाड़ा : पूर्व जिला अध्यक्ष एवं पूर्व प्रत्याशी परितोष सोरेन, युवा मोर्चा प्रदेश प्रवक्ता एवं जिला परिषद सदस्य अविनाश सोरेन

महेशपुर : पूर्व विधायक मिस्त्री सोरेन, दुर्गा मरांडी, भाजपा प्रदेश मंत्री, पूर्व विधायक देवीधन टुडू, सुफल मरांडी.

लिट्टीपाड़ा- पूर्व प्रत्याशी दानियल किस्कू, साहिब हांसदा, एसटी मोर्चा कार्यसमिति सदस्य, बाबूधन मुर्मू पूर्व पाकुड़ जिला परिषद अध्यक्ष.

बोरियो : पूर्व विधायक ताला मरांडी, लोबिन हेंब्रम (अगर भाजपा में शामिल होते हैं) सूर्य नारायण हांसदा (पूर्व प्रत्याशी).

बरहेट : सिमोन मालतो पूर्व प्रत्याशी, रेणुका मुर्मू, साहिबगंज जिला परिषद पूर्व अध्यक्ष, रवींद्र टुडू (दुमका आरएसएस के जिला प्रचारक).

तोरपा : कोचे मुंडा, पूर्व बानो मंडल अध्यक्ष अजित कंडुलना, भाजपा जिला महामंत्री निखिल कंडुलना.

तमाड़ : रीता मुंडा, देवी दयाल मुंडा, राजा पीटर (अगर भाजपा के शामिल हुए तो)

दुमका : पूर्व डॉ लुईस मरांडी पूर्व मंत्री, गुंजन मरांडी दुमका जिला मंत्री, डॉ अंजुला मुर्मू प्रोफेसर सिदो-कान्हो यूनिवर्सिटी (जेवीएम से आयी हैं).

बवाल : धनबाद भाजपा में अंदरूनी कलह सतह पर आया, कार्यकर्ताओं ने नेताओं के खिलाफ लगाए मुर्दाबाद के नारे


धनबाद : भाजपा महानगर इकाई में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पार्टी के एक गुट ने धनबाद विधायक राज सिन्हा, प्रदेश मंत्री सरोज सिंह और भाजपा महानगर अध्यक्ष श्रवण राय पर गंभीर आरोप लगाते हुए विरोध जताया है.

राज्य में विधानसभा की चुनाव से पहले धनबाद बीजेपी में अंदरूनी कलह खुलकर समाने आया है. भाजपा के एक गुट ने धनबाद विधायक राज सिन्हा, प्रदेश मंत्री सरोज सिंह और भाजपा महानगर श्रवण राय का खुलकर विरोध किया है.

 शहर के हीरापुर स्थित अग्रसेन भवन में भाजपा के एक गुट के कार्यकर्ताओं की बैठक रविवार को हुई. इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने धनबाद विधायक राज सिन्हा, प्रदेश मंत्री सरोज सिंह और भाजपा महानगर अध्यक्ष श्रवण राय के खिलाफ जमकर अपनी भड़ास निकाली और तीन नेताओं के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए.

पार्टी के अंदर भेदभाव की राजनीति करने का लगाया आरोप

इस दौरान भाजपा कार्यकर्ता बॉबी पांडे ने बताया कि धनबाद भाजपा में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. उन्होंने कहा कि जब से धनबाद भाजपा महानगर अध्यक्ष श्रवण राय को बनाया गया है, तब से भेदभाव की राजनीति शुरू हो गई है. प्रदेश मंत्री सरोज सिंह और विधायक राज सिन्हा धनबाद जिला महानगर अध्यक्ष श्रवण राय के कंधे पर रखकर बंदूक चलाने का कार्य कर रहे हैं.

बॉबी पांडे ने आरोप लगाया कि श्रवण राय पैसे देकर पार्टी में पद देने का काम कर रहे हैं. उनका आरोप है कि विधायक राज सिन्हा के इशारे पर श्रवण राय काम कर रहे हैं. ऐसे में आगामी विधानसभा में भाजपा अगर राज सिन्हा को टिकट देती है तो भाजपा के कार्यकर्ता ही उन्हें हराने का कार्य करेंगे.

राज सिन्हा को टिकट मिला तो बीजेपी की हार तयः अशोक कुमार

वहीं बैठक में मौजूद भाजपा कार्यकर्ता अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान ही धनबाद भाजपा विधायक राज सिन्हा, धनबाद जिला महानगर अध्यक्ष श्रवण राय और प्रदेश मंत्री सरोज सिंह पार्टी के द्वारा ढुल्लू महतो के खिलाफ अनर्गल बयान दिया जा रहा था. उन्होंने तीनों नेताओं पर पार्टी विरोधी कार्य भी करने का आरोप लगाया है. 

अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि ऐसे लोग पार्टी में रहने के लायक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी अगर फिर से राज सिन्हा को टिकट देती है तो निश्चित रूप से कार्यकर्ता इसका विरोध करेंगे और बीजेपी को धनबाद में हार का सामना करना पड़ेगा.

10 लाख के इनामी नक्सली रामदयाल महतो उर्फ़ बच्चन दा ने एनआइए के समक्ष किया सरेंडर, पुलिस ने ली राहत की सांस


गिरिडीह :पिछले कई वर्षो से नक्सली संगठन में जुड़ कर 50 से अधिक नक्सली घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए कुख्यात व नक्सली संगठन में ज़ोनल कमिटी मेंबर 10 लाख के इनामी नक्सली रामदयाल महतो उर्फ़ बच्चन दा ने आखिरखार अपने आप को एनआईए के समक्ष सरेंडर कर दिया है. रामदयाल महतो उर्फ़ बच्चन दा गिरिडीह जिले के पिरटांड थाना क्षेत्र के पिपराडीह का रहने वाला है.

 रामदयाल महतो की तलाश गिरिडीह पुलिस लम्बे समय से कर रही थी. 15 लाख के इनामी नक्सली कृष्णा हांसदा की गिफ्तारी के बाद रामदयाल ने गिरिडीह में नक्सली संगठन को सँभालने का काम कर रहा था. रामदयाल महतो उर्फ़ बच्चन दा का आतंक न सिर्फ गिरिडीह जिले में था बल्कि आस - पास के जिले में भी इसका खौफ लम्बे समय से बरकरार था. 

लेकिन पिछले कुछ वर्षो से रामदयाल महतो की तबियत ठीक नहीं थी और वह अलग - अलग बिमारियों से ग्रसित था और पुलिस से छिप - छिप कर झोलाझाप डॉक्टरों से इलाज करवा रहा था. 

पुलिस ने कई बार इसकी गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाया था लेकिन हर बार यह पुलिस को चकमा देकर भाग निकलता था. लेकिन कुछ ही दिन पूर्व गिरिडीह के एसपी दीपक कुमार शर्मा पूरी टीम के साथ नक्सली रामदयाल महतो के अलावे अन्य कई नक्सलियों के गांव पहुंच कर उनके परिजनों से मिलकर फरार चल रहे नक्सलियों को मुख्यधारा से जुड़कर सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत सरेंडर करने की अपील की थी. इसके कुछ ही दिनों बाद 10 लाख के इनामी नक्सली रामदयाल महतो ने एनआईए के समक्ष सरेंडर कर दिया है.

 हालांकि अभी इस मामले में कोई भी पुलिस पदाधिकारी कुछ भी बताने को तैयार नहीं है. लेकिन पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी रामदयाल ने एनआईए के समक्ष सरेंडर कर दिया है. 

जिसके बाद एनआईए की टीम लगातार रामदयाल से पूछताछ कर रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रामदयाल महतो से पूछताछ के बाद एनआईए को नक्सली संगठन से सम्बंधित अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल हुई है जिसके बाद टीम आगे की रणनीति बनाने में जुट गयी है. गौरतलब रहे की गिरिडीह जिले का पारसनाथ पर्वत नक्सली संगठन का गढ़ रहा है और इसी पहाड़ी में कई नक्सलियों ने अपना ठिकाना बना लिया है. अब भी नक्सली संगठन की बैठकों का आयोजन इसी पारसनाथ पहाड़ी की तराई वाले इलाके में होती है. लेकिन रामदयाल महतो के सरेंडर करने के बाद गिरिडीह जिले में संगठन को तगड़ा झटका लगा है.

मौसम का हाल:झारखण्ड से गुजर रहा हैं मौसम टर्फ, आज और कल कई जगहों पर भारी बारिश की संभावना


झा. डेस्क 

रांची। झारखंड की राजधानी रांची से होकर मॉनसून टर्फ गुजर रहा है। इसका असर आज यानी 19 अगस्‍त से देखने को मिलेगा। इसकी वजह से लगातार दो दिन कई जिलों में बहुत भारी बारिश हो सकती है। यह जानकारी  मौसम केंद्र ने दी हैं.

तापमान में बदलाव होगा

मौसम केंद्र के अनुसार राज्‍य में अगले 2 से 3 दिनों के दौरान अधिकतम तापमान में धीरे-धीरे 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट होने की संभावना है।

आज से सभी जगह बारिश

केंद्र के अनुसार राज्‍य में 19 और 20 अगस्‍त को राज्‍य के लगभग सभी स्‍थानों पर हल्‍के से मध्‍यम दर्जे की बारिश होने की प्रबल संभावना है।

आज से भारी बारिश

केंद्र के अनुसार 19 अगस्‍त को राज्‍य के दक्षिण-पश्चिम और निकटवर्ती मध्‍य भागों में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। इसका असर पश्चिम सिंहभूम, सिमडेगा, गुमला, खूंटी जिलों में कहीं-कहीं देखने को मिलेगा।

इसी तरह 20 अगस्‍त को उत्तर-पश्चिम भागों में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। इसका असर गढ़वा, पलामू, चतरा, लातेहार जिलों में कहीं-कहीं पड़ने की संभावना है।

यहां भारी बारिश संभव

केंद्र के अनुसार 19 अगस्‍त को राज्‍य के उत्‍तर-पश्चिम, निकटवर्ती उत्तर-मध्‍य एवं दक्षिण-पूर्वी भागों में कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना है। इसका असर गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, हजारीबाग, लोहरदगा, रांची, सरायकेला-खरसावां, पूर्वी सिंहभूम जिलों में कहीं-कहीं देखने को मिलेगा।

इसी तरह 20 अगस्‍त को मध्‍य और निकटवर्ती उत्‍तरी भागों में कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना है। इसका असर कोडरमा, गिरिडीह, हजारीबाग, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, रांची, लोहरदगा, गुमला, खूंटी, गुमला जिलों में कहीं-कहीं पड़ने की संभावना है।

राज्य में झामुमो बन गयी राजनीतिक पाठशाला, कई नेता यहां सीखे दाव पेंच, फिर आजमाया दूसरी पार्टी में किस्मत

झा. डेस्क 

झारखंड में अभी सियासी घमासान चल रहा हैं. कारण हैं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को लेकर भाजपा में शामिल होने की चर्चा.यह कोई पहली बार नहीं हो रहा हैं. इसके पूर्व भी झामुमो में रहकर कई नेताओं ने अपने राजनितिक जीवन की शुरुआत की. यहां राजनीती के दावपेंच सीखा और फिर दूसरी पार्टी का हिस्सा बनकर अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत की.

कुछ को सफालता मिली तो कुछ गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं.अब फिर झामुमो में चंपाई की नाराजगी, उनका एक्स पर पोस्ट और सियासी हलकों में चर्चा ने एक बार फिर इस चर्चा को बाल दे दिया हैं कि चंपाई सोरेन झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल होंगे.

इन्ही चर्चाओं के बीच राजनीतिक गलियारों में झामुमो को अक्सर झारखंड में राजनीति की पाठशाला कहा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कई नेताओं ने राजनीति की इस पाठशाला में सियासी दांवपेच सीखने के बाद मौका मिलते ही दूसरे दलों का रुख कर अपने सियासी करियर को नया आयाम दिया। इसमें कई नेता सफल होकर झारखंड की राजनीति के कद्दावर बने।

झारखण्ड मुक्तिमोर्चा छोड़ने वालों कि रही लम्बी पेहरिस्त रही

चंपाई सोरेन से पहले पार्टी के कई महत्वपूर्ण नेताओं ने झमुमो को छोड़ा.कृष्णा मार्डी उन्हीं में से एक हैं. 

झामुमो के कोल्हान क्षेत्र के कद्दावर नेताओं में से एक रहे कृष्णा मार्डी झामुमो के सांसद रह चुके हैं, लेकिन एक समय ऐसा आया, जब उन्होंने पार्टी छोड़ दी. उनके अलावा पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां, पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी, पूर्व सांसद सूरज मंडल, हेमलाल मुर्मू, संताल के कद्दावर झामुमो नेता रहे साइमन मरांडी, स्टीफन मरांडी तक ने झामुमो छोड़ दूसरे दलों में अपनी राजनीतिक पारी कि शुरुआत की.

 जिन नेताओं ने झामुमो से अलग रहकर भी अपना सियासी कद बनाए रखा, उनमें अर्जुन मुंडा का नाम सबसे बड़ा है. मुंडा ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत झामुमो से की थी.

1995 में झामुमो के टिकट पर खरसावां सीट से चुनकर बिहार विधानसभा पहुंचने वाले अर्जुन मुंडा भाजपा में जाने के बाद तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और केंद्र में भी मंत्री रहे. उनका राजनीतिक कद आज भी बरकरार है. इसी तरह झामुमो छोड़ने के बाद विद्युतवरण महतो ने तीन बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की.

 झामुमो के सांसद रहे शैलेन्द्र महतो भी सफल माने जाएंगे, क्योंकि उन्होंने भाजपा में जाने के बाद पत्नी आभा महतो को भाजपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचाने में सफलता पाई थी. हालांकि उन्हें भाजपा में खुद कोई खास सफलता नहीं मिली.

ताजा उदाहरण जामा विधानसभा सीट से तीन बार से विधायक रहीं सीता सोरेन का है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया थ.

इस तरह लगातार टूट के बाद भी झामुमो ने झारखण्ड में अपना अस्तित्व बनाये रखा और राजनीती के केंद्र में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ही रही. साथ ही नेतृत्व भी शिबू सोरेन के परिवार के पास ही रहा.

चम्पाई को भाजपा में जाने से क्या असर पड़ेगा झामुमो पर

दरअसल चंपाई शिबू सोरेन के साथ झामुमो के कोल्हान में एक जुझारू चेहरा रहे. उनकी जुझारूपन के कारण हीं उन्हें टाइगर के नाम से सम्बोधित कीया जाता रहा. लेकिन चंपाई को भाजपा में जाने से थोड़ा बहुत फर्क जरूर पड़ेगा लेकिन झामुमो के राजनितिक अस्तित्व पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि अभी जो चर्चा हैं की चंपाई के साथ और कई लोग भाजपा का हिस्सा बन सकते हैं इस पर ग्रहण लग गया हैं, कुछ मीडिया हलकों से आ रही खबर से यह सामने आया हैं की कुछ और नाराज लोगों ने चंपाई को अकेले छोड दिया हैं.

छात्र जाते आते रहते पर पाठशाला नहीं बंद होता

झामुमो के एक कद्दावर नेता ने बताया कि नाराजगी से पहले नेतृत्व से बात करने कि जरुरत हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ, अभी यहां चर्चा हैं, कुछ हुआ नहीं. अगर ऐसा कुछ होता हैं तो जनता सब समझती हैं, झामुमो जनता के लिए झारखण्ड कि जनता की पार्टी हैं, और पार्टी जनहित में काम करती रहेगी. झामुमो पाठशाला हैं तो पाठशाला में छात्रों का आना जाना लगा रहता हैं, पर पाठशाला बंद नहीं होता.

झारखंड के जनता के वर्तमान रुझान के अनुसार किसकी बनेगी सरकार,कौन है मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसंद,जानने के लिए पढ़िये पूरी खबर...?

झारखंड डेस्क

कुछ ही दिनों में झारखंड में विधानसभा चुनाव होगी जिसको लेकर देश भर के लोगों में यह जिज्ञासा बनी हुई है इस बार जनादेश किसके पक्ष में जायेगा। जिसको लेकर कुछ मीडिया हाउस ने ओपिनियन पोल शुरू कर दिया है।इन ओपिनियन पोल के अनुसार लोगों का रुझान भाजपा के प्रति देखा गया गया है। 

एक मीडिया हाउस द्वारा कराए गए ओपेनियन पोल के अनुसार झारखंड की 81 सदस्‍यीय व‍िधानसभा में जेएमएम को 19 से 24 सीटें, कांग्रेस को 7 से 12 सीटें, भाजपा को 38 से 43 सीटें, आजसू को 2 से 7 सीटें और अन्य को 3 से 8 सीटें मिलने की उम्मीद है। इस ओपिनियन पोल के अनुसार झारखंड में भाजपा 42 सीटों के साथ बहुमत हास‍िल करती द‍िखाई दे रही है।

इसी तरह विधान सभा चुनाव के पूर्व अभी तत्काल का जो रुझान है उसके अनुसार जो ओपिनियन पोल आया है। इस ओपिनियन पोल में झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दूसरे नंबर पर आए हैं। भाजपा के एक पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी झारखंड के लोगों की पहली पसंद बनकर सामने आए हैं।

 ओपिनियन पोल में चार नेताओं का नाम दिया गया था, जिसमें भाजपा के एक पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल को सबसे ज्यादा लोगों ने झारखंड के सीएम के रूप में पसंद किया है।

कौन सबसे आगे...?

झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में सबसे ज्यादा लोगों ने पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी को पसंद किया है। उन्हें कुल 43 प्रतिशत लोगों ने अपनी पहली पसंद बताई है।

 'टाइम्स नाउ नवभारत' के ओपिनियन पोल के अनुसार, इस दौड़ में वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिछड़ गए हैं, वो दूसरे नंबर पर आए हैं। हेमंत सोरेन को कुल 32 प्रतिशत लोगों ने पहली पसंद बताया है।

 इस लिस्ट में चंपाई सोरेन और अर्जुन मुंडा का नाम भी शामिल है। अर्जुन मुंडा को 9 प्रतिशत जबकि चंपाई सोरेन को 5 प्रतिशत लोगों ने सीएम के रूप में पहली पसंद बताया है।

 झारखंड विधानसभा चुनाव की कब है सम्भावना

शुक्रवार को केंद्रीय चुनाव आयोग ने दो राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। इसमें जम्मू-कश्मीर मे तीन चरणों में जबकि हरियाणा में एक चरण में विधानसभा चुनाव होने हैं। उम्मीद जताई जा रही थी इन दो राज्यों के साथ ही महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव कराया जाएगा।

 हालांकि, चुनाव आयोग ने सिर्फ दो राज्यों में चुनाव का ऐलान किया है। अब झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव इस साल के आखिरी में करवाने की संभावना है। हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी तक इस बारे में कोई अपडेट नहीं दिया है। इस चुनावी ओपिनियन पोल से भाजपा खुश हो सकती है। हालांकि, चुनावी नतीजों के बाद ही तय होगा कि झारखंड का मुख्यमंत्री कौन बनेगा।

अटकलों के बीच आया चम्पई सोरेन का बयान, भाजपा में शामिल होने के सवाल को टालते हुए कहा -हम जहाँ हैं, अभी वहीं हैं, दिल्ली अकेले आने की बात कहीं

झा. डेस्क 

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन दिल्ली पहुंच गए हैं। इधर झारखण्ड के सियासी गलियारी में चल रही अटकलों के बीच चंपाई सोरेन का बयान भी सामने आया है उन्होंने कहा हम अकेले दिल्ली आये हैं. 

 भाजपा में शामिल होने वाली अटकलों को लेकर उनका बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा, 'हम यहां अपने निजी काम के लिए आए हैं। हमारी बच्ची रहती है, उसे देखने के लिए आए हैं। अपने निजी काम के लिए दिल्ली आना-जाना होता रहता है।'

इन्होने कहा कि 'हम अभी जहां पर हैं, वहीं पर हैं। और निजी काम के लिए दिल्ली आए हैं।' भाजपा में शामिल होने वाले सवाल पर चंपाई ने कहा, 'देखिए... हमने बोल दिया, जहां पर अभी हम हैं, वहीं पर हैं।' 

सीएम हेमंत सोरेन से नाराजगी वाले सवाल पर चंपाई ने फिर से वही कहा, 'हम यहां निजी काम के लिए आए हैं और हम जहां हैं, वहीं पर हैं।' वह भाजपा में शामिल होने वाले सवाल को बार-बार टालते रहे। उन्होंने अपनी नाराजगी पर भी कुछ नहीं कहा।

भाजपा में शामिल होने वाली बात स्वीकार नहीं किया तो इनकार भी नहीं किया

' भाजपा में शामिल होने वाले सवाल पर चंपाई ने कहा, 'देखिए... हमने बोल दिया, जहां पर अभी हम हैं, वहीं पर हैं।' सीएम हेमंत सोरेन से नाराजगी वाले सवाल पर चंपाई ने फिर से वही कहा, 'हम यहां निजी काम के लिए आए हैं और हम जहां हैं, वहीं पर हैं।' वह भाजपा में शामिल होने वाले सवाल को बार-बार टालते रहे। उन्होंने अपनी नाराजगी पर भी कुछ नहीं कहा।

छह विधायकों के साथ नहीं, अकेले पहुंचे दिल्ली

सूत्रों के हवाले से यह दावा किया जा रहा था कि चंपाई सोरेन झामुमो के छह विधायकों के साथ दिल्ली पहुंचेंगे। लेकिन वह दिल्ली अकेले आए हैं। बताया जा रहा है कि सीएम पद से इस्तीफा के बाद चंपाई नाराज चल रहे हैं। ऐसे में अगर चंपाई भाजपा में शामिल होते हैं तो विधानसभा चुनाव से पहले हेमंत सोरेन की पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है। चंपाई राज्य के बड़े आदिवासी नेता हैं।

सुवेंदु अधिकारी से मुलाकात से इनकार

सूत्रों के हवाले से बताया गया कि चंपाई सोरेन कोलकाता में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी से मुलाकात किए हैं। हालांकि उनसे दिल्ली पहुंचने पर जब इस बारे में पूछा गया तब उन्होंने साफ इनकार कर दिया। चंपाई ने कहा, 'हमारी अभी किसी से मुलाकात नहीं हुई है।' उन्होंने आगे कहा कि हम यहां (दिल्ली) अपने निजी काम के लिए आए हैं। बाद में हम बताएंगे।' जब उनसे एक बार और पूछा गया कि क्या आप झामुमो में रहेंगे या पार्टी छोड़ देंगे? इसपर उन्होने मुस्कुराते हुए कहा, 'हम जहां पर हैं, वहीं पर हैं।'