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दुमका : भाजयुमो की युवा आक्रोश रैली 23 को, कार्यकर्ताओं ने रैली को सफल बनाने का लिया संकल्प

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दुमका : भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा 23 अगस्त को रांची में होने वाली युवा आक्रोश रैली को कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर सफल बनाने का संकल्प लिया है। भाजपा के जिला कार्यालय में हुई एक बैठक में रैली को सफल बनाने  पर चर्चा की गई। 

बैठक की अध्यक्षता पार्टी के नगर अध्यक्ष अमित रक्षित ने की।

बैठक में दुमका विधानसभा प्रभारी सत्येंद्र सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष लुईस मरांडी एवम दुमका भाजपा के सभी प्रदेश से लेकर शक्तिकेंद्र स्तर के कार्यकर्ता उपस्थित थे। 

प्रदेश उपाध्यक्ष लुईस मरांडी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि रैली के जरिये युवाओं के हितों की रक्षा और उनकी समस्याओं को सामने लाया जाएगा। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे इस रैली को ऐतिहासिक बनाने के लिए समर्पित भाव से कार्य करें। 

बैठक में राजीव मिश्रा, कुणाल झा, नवल किस्कू, बिक्की राउत, दीपेन झा, मंटू ठाकुर, मुन्ना पांडे, मलय नाग, गुड्डू चौधरी, बिजय साह, राजकुमार चौरसिया, सुबीर लायक, बिशाल रक्षित, रोहित तिवारी, गौतम केसरी, राजकुमार, अमर सिंह, सोमनाथ तिवारी, ओम केसरी, अमिता रक्षित आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : झामुमो एवं पिछड़ा संघर्ष मोर्चा ने भारत बंद का किया समर्थन, कल बुलायी गयी है बंदी


दुमका : सामाजिक संगठनों द्वारा बुधवार को बुलाये गए भारत बंद के समर्थन में झामुमो कार्यकर्त्ता भी सड़कों पर उतरेंगे। वहीं संताल परगना पिछड़ा संघर्ष मोर्चा ने भी बंद का समर्थन किया है। 

झामुमो के जिला संयोजक मंडली सदस्य शिव कुमार बास्की ने मंगलवार को कहा कि बीते दिनों एससी एसटी के आरक्षण में वर्गीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये फैसले के विरोध में सामाजिक संगठनों द्वारा बुधवार को बुलाये गए सम्पूर्ण भारत बंद का पार्टी आलाकमान ने समर्थन देने का निर्णय लिया है।

 उन्होंने कहा कि सभी प्रखंड कमेटी को अपने अपने प्रखंड में भारत बंद कार्यक्रम में शामिल होकर सक्रिय रूप से अपना समर्थन देने का निर्देश दिया गया है। 

इधर संताल परगना पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा संताल परगना की एक बैठक मोर्चा के संरक्षक दिवाकर महतो के राखाबनी स्थित आवास पर हुई। केंद्रीय अध्यक्ष असीम कुमार मंडल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में भारत बंद का समर्थन देने का निर्णय लिया गया। 

केंद्रीय प्रधान महासचिव डॉ अमरेंद्र कुमार यादव ने मोर्चा के तमाम पदाधिकारी एवं सदस्यों से भारत बंद को सफल बनाने का निर्देश दिया। मौके पर रंजीत जयसवाल, दयामय माजी, बिहारी यादव, प्रदीप सिंह, जयकांत जायसवाल, पवित्र कुमार मंडल सहित मोर्चा के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : लाल हेब्रम मेमोरियल फुटबॉल चैम्पियनशिप का फाइनल मुकाबला कल, भुरकुंडा व बंगाल की टीम ने सेमीफाइनल में बनायी जगह


दुमका : संताल परगना महाविद्यालय के पीजी ग्राउंड में लाल हेमब्रम मेमोरियल फुटबॉल चैम्पियनशिप के दूसरे दिन मंगलवार को खेले गए क्वार्टर फाइनल मैच में एकता क्लब भुरकुंडा ने मुर्मू ब्रदर दुमका को 3 -0 से शिकस्त देकर सेमीफाइनल में अपनी जगह बना ली। वहीं दूसरे क्वार्टर फाइनल मैच में पश्चिम बंगाल की अक्षय 11 ने गोड्डा कॉलेज की टीम को 3 -0 से हराकर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली। 

बुधवार को लाल हेमब्रम मेमोरियल फुटबॉल चैम्पियनशिप के पहले सेमीफाइनल मैच में तेतुलिया एफसी निरसा धनबाद और सरना एफसी बीरभूम के बीच भिड़ंत होगी तो वहीं दूसरा सेमीफाइनल मुकाबला अक्षय 11 और एकता क्लब भुरकुंडा के बीच खेला जाएगा। इससे पूर्व चैम्पियनशिप के दूसरे दिन के मैच का उदघाटन विधायक प्रदीप यादव ने किया। 

विधायक श्री यादव में संताल परगना कॉलेज के संस्थापक लाल हेमब्रम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया। 

गौरतलब है कि महाविद्यालय के संस्थापक लाल हेमब्रम की पुण्यतिथि पर बीते सोमवार को तीन दिवसीय फुटबॉल चैम्पियनशिप का शुभारंभ पूर्व मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने किया था। 

मौके पर अध्यक्ष दिनेश टुडू, सचिव अनूप हांसदा, इमानुयल, राजीव, श्यामदेव हेमब्रम, ठाकुर हांसदा, सुलिश, बिमल, राजेंद्र, उपेंद्र सहित सभी छात्रावास के छात्रनायक मौजूद थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : कोलकाता की महिला रेजिडेंट डॉक्टर की हत्या के विरोध में दूसरे दिन भी चिकित्सकों की हड़ताल जारी, निजी क्लिनिक में भी लटका ताला
दुमका : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला रेजिडेंट चिकित्सक के साथ हुई दुष्कर्म एवं हत्या के विरोध में दुमका के पीजेएमसीएच के चिकित्सक शनिवार को दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। आईएमए के आह्वान पर उनका समर्थन निजी चिकित्सकों ने किया और निजी क्लीनिक में भी ताला लटका रहा। केवल आपात सेवा में मरीजों की जांच की गई। घटना के विरोध में चिकित्सको का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा।
सुबह नौ बजते ही अस्पताल में मरीजों का आना शुरू हो गया था। चिकित्सक भी ओपीडी बंद कर धरना की तैयारी में जुटे हुए थे।

इसी दौरान जो भी कराहता हुआ मरीज अस्पताल पहुंचा तो चिकित्सकों ने इमरजेंसी में ले जाकर उनकी जांच की। पहले से हड़ताल की सूचना होने के बाद भी रोज की तरह मरीज जांच के लिए अस्पताल पहुंचे। यहां आकर पता चला कि आज भी ओपीडी बंद रहेगा। बहुत से लोग अपने मरीज को लेकर चले गए। हड़ताल के बाद भी गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों की आपात सेवा में जांच की गई।

वहीं पूरा अस्पताल भर जाने के बाद चिकित्सकों ने धरना प्रदर्शन शुरू किया। चिकित्सकों का कहना था कि महिला चिकित्सक के हत्यारे को फांसी दी जाए और लोगों की सेवा करने वाले चिकित्सकों को सुरक्षा दी जाए। धनबाद से पहुँचे आइएमए के राष्ट्रीय सदस्य डा. सुशील विजय ने कहा कि हत्यारे को ऐसी सजा दी जाए, जिससे समाज में एक संदेश जाए कि इस तरह की हरकत करने वालों का क्या अंजाम होता है। कोलकाता सरकार ने लापरवाही बरती है। हम तो कोलकाता हाईकोर्ट के शुक्रगुजार हैं, जिसने सीबीआइ जांच का आदेश दिया है। इस घटना में और अपराधियों के शामिल होने की संभावना है। कहा कि अब केस सीबीआइ के हाथ में हैं, इसलिए एक भी आरोपित बच नहीं पाएगा। उन्होंने चिकित्सकों से एकजुटता बनाए रखने की अपील की। हड़ताल में आइएमए के अध्यक्ष डीएन पांडे, सचिव तुषार ज्योति के अलावा सभी सीनियर व जूनियर चिकित्सक शामिल थे।

इधर आइएमए के आह्वान पर निजी क्लीनिक के संचालकों ने क्लीनिक बंद रखा। यहां तक एक भी जांच घर नहीं खुला। मरीज इलाज की बजाय दवा दुकानों पर दवा खरीदकर काम चलाते रहे। हमेशा मरीजों से गुलजार रहने वाला नापितपाड़ा सुनसान नजर आया। इधर, दुमका लैब एसोसिएशन ने भी घटना के विरोध में संस्थान को बंद रखा। सभी संस्थान के संचालक ने दो मिनट का मौन रखा और इस घटना की निंदा की।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
दुमका : स्वतंत्रता दिवस पर लायंस क्लब ने मरीजों के बीच बांटा फल, कहा - जरूरतमंदो की मदद के लिए क्लब तत्पर


दुमका : लायंस क्लब द्वारा 78 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहर के विभिन्न अस्पतालों में फल एवं मिठाई का वितरण किया। 

क्लब की अध्यक्ष डॉ अमिता रक्षित ने कहा कि क्लब के सभी सदस्य सामाजिक सेवा की भावना से बढ़-चढ़कर अपनी सहभागिता निभा रहे हैं और जरूरतमंदों के बीच निरंतर सेवा दे रहे हैं। कहा कि गरीबों की सेवा और उनकी मदद समर्पण की भावना से करना ही भगवान की सच्ची सेवा है।

क्लब के जन-संपर्क पदाधिकारी रमण कुमार वर्मा ने स्वतंत्रता दिवस का दिन अनगिनत नायकों द्वारा दिए गए बलिदान और हमें स्वतंत्रता दिलाने वाली एकता की याद दिलाता है। हमें देश की एकता एवं अखंडता को बनाए रखने का भरपूर प्रयास करते रहना चाहिए। मुकेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि गरीबों और जरूरतमंदों को सुस्वाद और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाकर बहुत ही सुखद अनुभूति मिलती है। 

मौके पर क्लब के डॉ. मनोज कुमार घोष, एमजेएफ डॉ अखिलेश कुमार सिन्हा, डॉ शमीम अंसारी, संजीव कुमार गुप्ता, चंदन कुमार साह, नीरज कोठरीवाल, सतीश कुमार, मधुकर दत्ता, अमुल्य पाल, संजीत कुमार सिंह के अलावा अन्य सदस्य मौजूद थे। 

इससे पूर्व स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लायंस क्लब की अध्यक्ष डॉक्टर अमिता रक्षित ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और तिरंगे को सलामी दी।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

झारखंड के नाराज परीक्षार्थी आज मुख्यमंत्री का करेंगे पुतला दहन, कल आवास घेराव की तैयारी


डेस्क: झारखंड सीजीएल की तैयारी करने वाले परीक्षार्थियों का धर्य अब जवाब दे चुका है. अब वे आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं. शुक्रवार को सभी जिलों में छात्रों का संगठन मुख्यमंत्री का पुतला दहन करेंगे. वहीं, शनिवार को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे. दरअसल छात्र लंबे समय से सीजीएल परीक्षा की तिथि निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि हाल ही में कर्मचारी चयन आयोग ने 21 और 22 सितंबर को परीक्षा की तिथि निर्धारित कर दी है, लेकिन परीक्षा उसी तारीख में होगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं है.

छात्रों का इसके पीछे का तर्क ये है कि उस डेट में पहले से ही उत्पाद सिपाही, झारखंड फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर समेत कई परीक्षाओं की तिथि निर्धारित है. ऐसे में आयोग कैसे उस परीक्षा को आयोजित कर पाएगा. वहीं, कई लोगों का कहना है कि सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले कई अभ्यर्थी उत्पाद सिपाही, जेपीएससी समेत कई परीक्षाओं के लिए आवेदन किया है. ऐसे में वह छात्र कैसे परीक्षा में बैठ पाएगा.

उल्लेखनीय है कि झारखंड सीजीएल की परीक्षा 28 जनवरी और 4 फरवरी 2024 को ही निर्धारित की गयी थी. परीक्षा संपन्न तो हो गयी लेकिन पेपर लीक हो जाने के कारण उस परीक्षा को रद्द करना पड़ा. इसके बाद छात्र संगठनों ने जेएसएससी कार्यालय के सामने जमकर बवाल काटा था. आक्रोशित छात्रों ने आयोग के कार्यालय का शीशा तोड़ा डाला था. तो वहीं उस वक्त के तत्कालीन अध्यक्ष नीरज सिन्हा की गाड़ी पर तोड़फोड़ की गयी थी. इस मामले में 4000 छात्रों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. जबकि 15 छात्रों को नामजद आरोपी बनाया गया था. बता दें कि यह साल 2015 की वैकेंसी है. लेकिन हर बार परीक्षा की तारीख आगे बढ़ने से अब तक एग्जाम नहीं हो पाया है. इस वजह से छात्र आक्रोशित हैं.

आज है पुत्रदा एकादशी, इस कथा के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी व्रत, संतान की होगी प्राप्ति


नयी दिल्ली : हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। सावन माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत आज 16 अगस्त 2024 को किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से संतान प्राप्ति और बच्चे की तरक्की से जुड़ी सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत बिना अधूरा कथा पाठ करने से अधूरा माना जाता है ।

एकादशी तिथि को शुभ माना जाता है।

इस दिन श्रीहरि की पूजा होती है।

सावन में पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है। एकादशी तिथि पर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मत है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही यश कीर्ति सुख और समृद्धि में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी संतान की प्राप्ति चाहते हैं, तो सावन की पुत्रदा एकादशी का व्रत करें और पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करें। इससे साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आइए पढ़ते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत कथा।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन कथा के अनुसार, द्वापर युग के शुरुआत में एक नगरी थी, जिसका नाम महिरूपति था। इस नगरी में महीजित नाम का राजा राज्य करता था। लेकिन उसको पुत्र न होने की वजह से राजा को राज्य सुखदायक नहीं लगता था।

पुत्रदा एकादशी पर राशि अनुसार करें इन चीजों का दान, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा ने कई तरह के उपाय किए। लेकिन पुत्र सुख प्राप्त नहीं हुआ। एक बार राजा ने सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाया और उनसे पुत्र प्राप्ति के उपाय पूछे। सभी ने राजा की समस्या को सुनकर कहा कि हे राजन तुमने पूर्व जन्म में सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था, जिसकी वजह से गाय ने तुम्हे संतान न होने का श्राप दिया था। इसकी वजह से तुम पुत्र की प्राप्ति से वंचित हो।

इसके पश्चात ऋषि-मुनियों ने कहा कि अगर तुम सावन की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करोगे, तो इस श्राप से मुक्ति पा सकते हो। जिसके बाद तुम्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसके बाद राजा न सच्चे मन से सावन की एकादशी का व्रत किया। 

इस व्रत के पुण्य से राजा की पत्नी गर्भवती हुई और पुत्र को जन्म दिया। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक डेविड धवन का 73वां बर्थडे आज,आइए जानते है निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।


नयी दिल्ली : डेविड धवन बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक हैं, जिनकी फिल्मों के बिना इंडस्ट्री अधूरी है। निर्देशक अपनी फिल्मों से हंसा-हंसाकर दर्शकों के पेट में दर्द करवा चुके हैं। कई साल से वह दर्शकों का अपनी फिल्मों के जरिए मनोरंजन कर रहे हैं। लोगों का उनकी फिल्मों के साथ खास जुड़ाव रहता है। 

डेविड धवन इंडस्ट्री को अपने करियर के दो से ज्यादा के दशक में कई सुपरहिट फिल्में दे चुके हैं। निर्देशक ने बॉलीवुड के कई बड़े सुपरस्टार्स के करियर को चमकाया है। वहीं, उनकी कई बेहतरीन फिल्मों के कारण उन्हें 'किंग ऑफ कॉमेडी' का टैग भी मिला।डेविड धवन आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। चलिए इस खास मौके पर जानते हैं निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।

निर्देशक डेविड धवन का जन्म 16 अगस्त 1951 में अगरतला में हुआ था। उनका नाम राजिंदर धवन रखा गया। निर्देशक का पिता बैंक में मैनेजर थे, जिनका ट्रांसफर कानपुर हो गया था। डेविड ने कानपुर से अपनी पढ़ाई की। 12वीं पास करने के बाद उनका रुझान फिल्मों की और हो गया और उन्होंने सोचा कि वह फिल्म इंडस्ट्री में ही काम करेंगे। इसके बाद उन्होंने एफटीआईआई में दाखिला लिया, जहां उन्होंने अभिनय से लेकर निर्देशन और एडिटिंग तक की बारीकियां सीखीं। 

अभिनय सीखने के बावजूद डेविड ने निर्देशन और एडिटिंग का रास्ता चुना, क्योंकि वह शुरुआत में ही समझ चुके थे कि वह अभिनय नहीं कर पाएंगे, इसलिए उन्होंने फिल्म मेकिंग पर खास ध्यान दिया।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डेविड धवन ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और एडिटर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। डेविड की पहली फिल्म 1984 में आई 'सारांश' थी, जिसमें अनुपम खेर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था और एडिटिंग डेविड धवन ने की थी। 

एडिटिंग के बाद डेविड धवन ने अपना हाथ निर्देशन में आजमाया और बहुत जल्दी इस लाइन में अपना सिक्का जमा लिया। डेविड ने 1989 में आई फिल्म 'ताकतवर' से अपना निर्देशन डेब्यू किया था, जिसमें गोविंदा और संजय दत्त मुख्य भूमिका में नजर आए थे। अपनी पहली फिल्म से ही बतौर निर्देशक डेविड धवन इंडस्ट्री में छा गए। इसके बाद लगातार वह अपनी फिल्मों के जरिए सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए।

निर्देशक में 90 के दशक से लेकर अब तक बॉलीवुड के कई बड़े सितारों के साथ काम किया, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा जोड़ी गोविंदा के साथ जमी। इस जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। दोनों ने एक साथ 17 फिल्मों में काम किया, जिनमें से अधिकतर हिट साबित हुई थीं। डेविड ने 'स्वर्ग', 'आंखें', 'शोला और शबनम', 'साजन चले ससुराल', 'जुड़वा', 'बड़े मियां छोटे मियां', 'दुल्हन हम ले जायेंगे', 'मुझसे शादी करोगी', 'पार्टनर', 'चश्मे बद्दूर', 'मैं तेरा हीरो' और 'जुड़वा 2' सहित कई सुपरहिट फिल्में इंडस्ट्री को दीं। डेविड धवन ने अपने करियर में करीब 42 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें से 17 फिल्में उन्होंने गोविंदा के साथ की थीं। हालांकि, बाद में दोनों के रिश्ते में दरार आने के बाद कभी वह साथ नहीं दिखे।

डेविड धवन की तमाम सुपरहिट फिल्मों की बदौलत उन्हें किंग ऑफ कॉमेडी के टैग से भी नवाजा गया। वहीं डेविड धवन की निजी जिंदगी के बारे में बात करें तो उन्होंने करुणा चोपड़ा धवन के साथ शादी की, जिनसे उन्हें दो बच्चे हुए- रोहित धवन और वरुण धवन। उनके बेटे वरुण धवन ने बतौर अभिनेता बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और अपना नाम कमाया।

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि,आइए जानते है उनसे जुड़ी कुछ खास बाते

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के उन महान नेताओं में से एक थे जिनका योगदान न केवल राजनीति में, बल्कि देश की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा में भी महत्वपूर्ण रहा है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। अटल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर से पूरी की और आगे की पढ़ाई कानपुर के डीएवी कॉलेज से की, जहाँ से उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।

2. राजनीतिक करियर की शुरुआत:

वाजपेयी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जन संघ से की, जिसे आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी के रूप में पुनर्गठित किया गया। 1957 में वे पहली बार बलरामपुर, उत्तर प्रदेश से सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री का पद भी शामिल है।

3. प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल:

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996 में, दूसरी बार 1998 में और तीसरी बार 1999 में। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए, जिसने भारत को विश्व स्तर पर एक मजबूत परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

4. भारत रत्न सम्मान:

अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें भारतीय राजनीति और समाज में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया।

5. कवि और लेखक:

अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रख्यात कवि और लेखक भी थे। उनकी कविताओं में देशभक्ति, समाज सुधार और मानवीय संवेदनाओं की झलक मिलती है। "मेरी इक्यावन कविताएँ" उनकी प्रमुख काव्य संग्रह में से एक है।

6. विनम्रता और सर्वसम्मति की राजनीति:

वाजपेयी जी की राजनीति की सबसे बड़ी खासियत उनकी विनम्रता और सभी दलों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता थी। उनकी नेतृत्व क्षमता और सर्वसम्मति बनाने की कला ने उन्हें सभी दलों में सम्मान दिलाया।

7. स्वास्थ्य और निधन:

अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य उनके जीवन के अंतिम वर्षों में धीरे-धीरे बिगड़ता गया। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि के अवसर पर, हमें उनके महान विचारों और उनकी सेवाओं को याद करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी मातृभूमि की सेवा में हमेशा समर्पित रहें।

आज का इतिहास:1990 में आज ही के दिन ही चीन ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था,जाने 16 अगस्त से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाक्रम


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 16 अगस्त का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

16 अगस्त का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2012 में आज ही के दिन विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को इक्वाडोर ने राजनीतिक शरण दी थी।

2010 में 16 अगस्त को ही नई दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एआर रहमान के रचे थीम गीत जियो उठो बढ़ो जीतो को स्वीकृति दी गई थी।

2018 में आज ही के दिन भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु हुई थी।

2008 में आज ही के दिन कांगो में तैनात 125 भारतीय पुलिस अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

2006 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र परिषद ने हैती में अपने अभियान को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया था।

2004 में 16 अगस्त को ही ओलंपिक नौकायन में ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी टीम ने वर्ल्ड रिकाॅर्ड बनाया था।

2000 में आज ही के दिन वेरेंटर्स सागर में रूस की परमाणु पनडुब्बी दुर्घटनाग्रस्त हुई थी।

1990 में 16 अगस्त के दिन ही चीन ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1960 में आज ही के दिन साइप्रस को ब्रिटेन से छुटकारा मिला था और वहां इस दिन को फ्रीडम के रूप में मनाया जाता है।

1943 में 16 अगस्त को ही बुल्गारिया के जार बोरिस तृतीय अडोल्फ़ हिटलर से मिले थे।

1924 में आज ही के दिन नीदरलैंड-तुर्की के बीच शांति समझौते पर साइन हुए थे।

1918 में आज ही के दिन दूसरी लोकसभा के सदस्य टी. गणपति का जन्म हुआ था।

1787 में 16 अगस्त के दिन ही तुर्की ने रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी।

1777 में आज ही के दिन ही अमेरिका ने ब्रिटेन को बेन्निनगटोन के युद्ध में हराया था।