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क्या चम्पई की नाराजगी झामुमो मोर्चा पर भारी पड़ेगी,सियासी हलकों में हो रही है चर्चा,जल्द कोल्हान में लगेगी झामुमो को झटका*

झा. डेस्क कोल्हान के टाइगर चंपई सोरेन क्या झामुमो से नाराज हैं..? मुख्यमंत्री पद से हटाया जाना उनके मन में गांठ बन गयी है. यह चर्चा सियासी गालियारों में पिछले कुछ दिनों से चल रही है.लेकिन 15 अगस्त को झंडोत्तोलन के समय दिए गए उनके भाषण से इस बात को और पुष्ट कर दिया कि चम्पई सोरेन कुछ करने वाले हैं. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गुरुवार को सरायकेला स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्टेडियम से मंत्री चंपई सोरेन ने जब अपना संबोधन शुरू किया, तब उपस्थित लोगों और प्रशासनिक पदाधिकारियों को लगा कि वे सरकार की उपलब्धियों का बखान करेंगे। मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. उन्होंने सिर्फ अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल की उपलब्धियों का बखान किया. मुख्यमंत्री रहने के दौरान खुद को हेमंत सोरन पार्ट-टू कहने वाले चंपई सोरेन जब भी किसी भाषण को संबोधित करते थे तो उसमें कई बार हेमंत सोरेन के नाम का उल्लेख होता था. वहीं, भाजपा पर भी राज्य के साथ भेदभाव और केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग समेत कई आरोप लगाकर वह कोसते थे, लेकिन इस बार स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर सरायकेला में झंडा फहराने के बाद दिया गया चंपई सोरेन का भाषण कुछ अलग रहा. इस बार अपने भाषण में उन्होंने न तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नाम लिया और ना ही भाजपा की बुराई की। इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. को भाजपा में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई है। अगले कुछ दिनों में झारखंड की सियासत में बड़े उलटफेर की संभावना है. *भाजपा चम्पई के मुख्यमंत्रित्व काल कि करती है प्रशंसा, उन्हें हटाए जाने पर उठा रही है सवाल* यूँ तो चम्पाई को हेमंत सोरेन के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा ने अपना तीर चलना शुरू कर दिया. चम्पई के प्रति सहानुभूति और हेमंत सोरेन पर कटाक्ष करना शुरू कर दिया था.अब इधर चर्चा है कि चम्पई सोरेन भाजपा में शामिल हो सकते हैं. चुनाव से पहले ऐसा कुछ हो सकता है.इसके लिए तिथि भी निर्धारित हो गया है. सिर्फ इतना ही नहीं घाटशिला सीट से उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को भाजपा से टिकट दिलाने की भी चर्चा चल रही है. विदित हो कि भाजपा के बड़े नेताओं ने भी अपने कार्यक्रमों में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल करने की आलोचना करते आ रहे हैं। साथ ही उनके कार्यकाल की भी सराहना कर रहे हैं। *चौक-चौराहों पर चर्चा* कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपई सोरेन से मुख्यमंत्री की कुर्सी लेने के बाद चुप्पी साध ली थी। कहा जा रहा है कि अब यह चुप्पी जवाब देने लगी है। इस कारण झारखंड में बड़ी राजनीतिक उलटफेर की संभावना व्यक्त की जा रही है। मंत्री चंपई सोरेन के भाजपा में जाने की चर्चा पूरे सरायकेला-खरसावां जिले के साथ-साथ पड़ोसी जिलों में उनके समर्थकों के बीच प्रारंभ होने लगी है। चौक-चौराहों पर भी इसकी चर्चा है। *चंपई समर्थक भी नाराज* चंपई समर्थक भी इस बात से नाराज हैं कि दो-तीन माह के लिए अगर चंपई सोरेन मुख्यमंत्री रहते को क्या अनर्थ हो जाता। ऐसी क्या ज्ल्दबाजी थी कि हेमंत सोरेन ने जेल से बाहर निकलते ही चंपई सोरेन को मुख्मंत्री पद से हटा दिया और खुद कुर्सी पर बैठ गए। *ऐसा हुआ तो भाजपा की स्थिति कोल्हान में होंगी मज़बूत* चंपई सोरेन अगर भाजपा में जाते हैं तो सरायकेला ही नहीं पूरे कोल्हान में भाजपा का कद और बढ़ेगा और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर भाजपा के लिए और आसान हो जाएगा। इससे पहले शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा का दामन थाम कर सबको चौंका दिया था। वहीं, कांग्रेस की तत्कालीन सांसद गीता कोड़ा ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था।
आज से पेट्रोलियम डीलर्स और पंपकर्मी करेंगे काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रदर्शन,मांग नही मानने पर

2 सितंबर को राज्य के करीब 1600 रहेंगे पेट्रोलपंप बंद .

झा.डेस्क

झारखंड में आज 17 अगस्त से पेट्रोलियम डीलर्स और पंपकर्मी काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे. ये विरोध प्रदर्शन दो सितंबर तक चलेगा. इस बीच झारखंड के सभी जिलों के डीलर्स अपने-अपने यहां के विधायकों और सांसदों को ज्ञापन सौंपेंगे. इसके बाद भी सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो 2 सितंबर को राज्य के करीब 1600 पेट्रोल पंप बंद रहेंगे. झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी.

प्रेस वार्ता कर झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने अपने आंदोलन की दी जानकारी

झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन की बैठक शुक्रवार को रांची के करमटोली चौक स्थित आईएमए सभागार में हुई. इसमें राज्य के सभी जिलों की कमेटी के पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित हुए. बैठक में पेट्रोलियम डीलर्स ने अपनी समस्याओं को लेकर विचार-विमर्श किया और मांगों को लेकर कई कदम उठाने का निर्णय लिया.

ये हैं उनकी प्रमुख मांगें?

पेट्रोलियम डीलर्स के कमीशन में वृद्धि 2017 के बाद से अभी तक नहीं की गयी है, जबकि तेल के मूल्य बढ़े हैं. महंगाई बढ़ी है. डीलर्स के ऑपरेशन कॉस्ट बढ़े हैं. कम बिक्री वाले पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर हैं. इसलिए सरकार वैट में कटौती करे. दूसरे राज्यों से अधिक वैट होने के कारण इनकी बिक्री प्रभावित हुई है. बिहार की तर्ज पर वैट रिटर्न की अनिवार्यता खत्म की जाए. प्रदूषण जांच केंद्र पर हो रही समस्या, तेल कंपनियों के अधिकारियों का मनमाने रवैया. तेल डिपो में कई तरह की समस्याएं हो रही हैं. इन सभी का समाधान किया जाए.

डीलर मार्जिन को लेकर है असंतोष,राज्यपाल को देंगे ज्ञापन

झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि डीलर मार्जिन को लेकर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मिलकर ज्ञापन सौंपा जाएगा.

मौके पर कौन-कौन थे उपस्थित

मौके पर शरत दुदानी, आलोक सिंह, राजहंस मिश्रा, माधवेंद्र सिंह, अशोक झा, कालिका साह, प्रमोद कुमार, मानस सिन्हा, विनीत लाल, कमलेश सिंह, नीरज भट्टाचार्य समेत अन्य डीलर मौजूद थे.

झारखंड कांग्रेस संघटन में बदलाव, राजेश ठाकुर को हटाकर केशव महतो कमलेश, बनाये गए प्रदेश अध्यक्ष

झा.डेस्क

झारखंड में नवंबर-दिसंबर में महाराष्ट्र के साथ विधानसभा चुनाव होंगे। चुनाव को लेकर कांग्रेस ने कमर कस ली है। इसी क्रम में कांग्रेस के टॉप लीडरशिप ने प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व में बड़ा बदलाव किया है। 

इसके तहत केशव महतो कमलेश को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केशव महतो कमलेश को तत्काल प्रभाव से झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है।

इसके पहले राजेश ठाकुर कांग्रेस के झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष थे। उनके जगह पिछड़े वोट को साधने और कुर्मी वोटों को कांग्रेस के पक्ष में लाने का कांग्रेस का यह प्रयास है।

अब देखना है कि इसका लाभ कांग्रेस को कितना मिल पाता है।

15 अगस्त को ही क्यों मिली आजादी जान इससे जुड़े रोचक सवालों के जवाब

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : आज पुरा देश अपना 78वां स्वतंत्रता मना रहा है। भारत को आधिकारिक रूप से 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिली थी। जिसके बाद से ही हर साल प्रत्येक देशवासी के लिए गौरव का दिन है। हालांकि, सवाल ये है कि आखिर भारत की आजादी के लिए यही दिन क्यों चुना गया था और क्यों 15 अगस्त को ही हर साल स्वतंत्रता दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी रोचक जानकारी।

सबसे बड़ा सवाल है कि 15 अगस्त को ही आजादी का दिन क्यों चुना गया

ब्रिटेन के तात्कालिक प्रधानमंत्री एटली ने फरवरी 1947 में ऐलान किया कि 30 जून 1948 तक ब्रिटेन भारत को आजाद कर देगा। इसके लिए आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन भारत की आजादी और बंटवारे के प्लान में तेजी दिखाई। माउंटबेटन के सुझावों पर ब्रिटेन की संसद ने 4 जुलाई, 1947 को इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पारित किया। इसमें 15 अगस्त 1947 को भारत से ब्रिटिश शासन खत्म करने का प्रावधान था। अब सवाल उठता है कि 15 अगस्त ही क्यों? दरअसल, 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ था और ब्रिटिश आर्मी के सामने जापानी सेना आत्मसमर्पण कर दिया था। उस वक्त ब्रिटेन की सेना में लार्ड माउंटबेटन अलाइड फोर्सेज में कमांडर थे। ऐसे में वह इस दिन को खास मानते थे। 

जापानी सेना के आत्मसमर्पण का पूरा श्रेय माउण्टबेटन को दिया गया था, ऐसे में माउण्टबेटन 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मानते थे और इसलिए उन्होंने 15 अगस्त का दिन भारत की आजादी के लिए चुना। 

आजादी के समय महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे। 

 आजादी के जश्न में आशीर्वाद लेने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल पत्र भेज कर बुलाया था। उन्होंने पत्र के जवाब में कहा मैं शामिल नहीं हो सकता। दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं। मेरे लिए आजादी की घोषणा की तुलना में हिंदू-मुस्लिमों के बीच शांति अधिक महत्वपूर्ण है।

भारत के नोटों का ही इस्तेमाल करते थे पाकिस्तानी 

15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के गुलामी के आजाद हुआ तो आजादी के साथ उसे दो हिस्सों में बांट दिया। अब नए मुल्क पाकिस्तान के सामने समस्या थी कि क्या वहां भारत के नोट चलाए जाएं? कुछ पाकिस्तानी नेताओं ने नासिक प्रिंटिंग प्रेस बांटने की मांग की, लेकिन यह प्रैक्टिकली संभव नहीं था। भारत-पाक के नेताओं ने चर्चा की इसके बाद निर्णय लिया गया कि। नोट यहीं नासिक में छपना चाहिए। इसके लिए पाक का एक प्रतिनिधि यहां तैनात होगा, जो प्रोसेस पर नजर रखेगा।समस्या ये थी कि बंटवारे के बाद दूसरे देश का आदमी नोट प्रेस जैसी गोपनीय जगह पर कैसे रह सकता है। इसके लिए बंटवारा कमेटी ने 19 जुलाई 1947 को वित्त विभाग के सामने रिपोर्ट पेश कर अनुमति मांगी तब जाकर उसे यहां रहने की सहमति मिली।

डीएसपी संदीप कुमार गुप्ता सहित अन्य सम्मानित


धनबाद : 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीद रणधीर प्रसाद वर्मा स्टेडियम (गोल्फ ग्राउंड) में आयोजित मुख्य समारोह में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पुलिस पदाधिकारी, प्रशासनिक पदाधिकारी व अन्य विभागों के कर्मियों को सम्मानित किया गया।

इसमें डीएसपी मुख्यालय 2 श्री संदीप कुमार गुप्ता, डीएसपी श्रीमती अर्चना स्मृति खलको, कार्यपालक दंडाधिकारी श्री रवींद्रनाथ ठाकुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बाघमारा के डॉ प्रभात कुमार, आयुष्मान आरोग्य मंदिर खरकाबाद की अनीता टुडू, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र टुंडी की पुष्पलता कुमारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केन्दुआडीह की रीता कुमारी, स्वास्थ्य सहिया सजदा खातून, सहायक अवर निरीक्षक बिरसा उरांव, ओम प्रकाश साव, रामकुमार सिंह, नजारत शाखा के नकुल महतो, एनआइसी के सुनील कुमार, समाज कल्याण कार्यालय की हेमा कुमारी, पंचायती राज कार्यालय के निर्मल कुमार रजवार तथा सामाजिक सुरक्षा कोषांग के टिंकू चंद्र दाँ को सम्मानित किया गया।

उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी सुश्री माधवी मिश्रा, वरीय पुलिस अधीक्षक श्री हृदीप पी जनार्दनन, डीडीसी श्री सादात अनवर, ग्रामीण एसपी श्री कपिल चौधरी, तथा अनुमंडल पदाधिकारी श्री उदय रजक ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

सीआरपीएफ पलाटून को मिला प्रथम पुरस्कार


धनबाद : 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीद रणधीर प्रसाद वर्मा स्टेडियम (गोल्फ ग्राउंड) में आयोजित मुख्य समारोह में सीआरपीएफ के प्लाटून को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।

वहीं सीआइएसएफ को द्वितीय तथा डीएपी महिला प्लाटून को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।

मुख्य समारोह में सीआरपीएफ, सीआईएसफ, आरपीएसएफ, जैप 3, जिला सशस्त्र पुलिस बल (पुरुष एवं महिला), गृहरक्षक वाहिनी, एनसीसी (बॉयज एवं गर्ल्स), भारतीय स्काउट एंड गाइड के प्लाटून ने परेड में हिस्सा लिया।

प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्लाटून को उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी सुश्री माधवी मिश्रा व वरीय पुलिस अधीक्षक श्री हृदीप पी जनार्दनन ने पुरस्कृत किया।

1857 के क्रांति के पूर्व हीं झारखण्ड के आदिम जन जातियों ने अंग्रेजों के खिलाफ शुरू किया विद्रोह,जानिये आजादी के लड़ाई में झारखण्ड का योगदान..!*

स्वाधीनता के आंदोलन में झारखंड की आदिम जनजातियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से 100 साल पूर्व से ही झारखंड की जनजातियों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह करना शुरू कर दिया था. झारखंड की सांस्कृतिक पहचान का राजनीतिक अर्थ भी पहली बार 1831 के “कोन विद्रोह” से सामने आया . इस विद्रोह के केंद्र था रांची, सिंहभूम और पलामू. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ यह संभवत: पहला सबसे बड़ा आदिवासी विद्रोह था. इस आंदोलन के नेतृत्कर्ता तिलका मांझी थे. इसके अलावे “तमाड़ विद्रोह” , बंडू में “मुंडा विद्रोह” , मानभूम में “भूमिज विद्रोह” ने अंग्रेजी हुकूमत को को हिलाकर रख दिया. पहली स्वतंत्रता संग्राम (1857) से पूर्व ही यहां की जनजातियाँ पहले से ही ब्रिटिश शासन से अपनी भूमि को मुक्त करने के लिए सशस्त्र संघर्ष की एक श्रृंखला में लगी थीं. यहां के झारखंडियों को तिलका मांझी (जबरा पहाड़िया), सिद्धू कान्हू, बिरसा मुंडा, काना भगत आदि जैसे दिग्गज आदिवासी नेताओं ने आदिवासी संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. झारखंड में आदिवासी संघर्ष ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा दी. बता दें कि सन् 1855 में संथाल के आदिवासी वीर योद्धा सिद्धू और कान्हू का विद्रोह हुआ। इसमें 30-35 हजार आदिवासियों ने भाग लिया। आंदोलन हिंसक रूप ले लिया, अनेक अंग्रेज सैनिक और अधिकारी मारे गए। अंत में पूरे क्षेत्र को सेना से सुपुर्द कर दिया गया। मार्शल लॉ लागू कर दिया गया। देखते ही गोली मारने का आदेश सेना को दे दिए गया। कत्लेआम हुआ.इसमें 10 हजार आदिवासी मारे गए। रमणिका गुप्ता तथा माता प्रसाद ने इन आंकड़ों की पुष्टि की है इसी तरह सन 1913 में मानगढ़ में हुए आदिवासी आंदोलन में भी 15 सौ आदिवासी शहीद हुए थे. ये आंकड़े बताते हैं कि आदिवासी आंदोलनों में लाखों आदिवासियों की जाने गई. भारत में सबसे पहले आदिवासियों ने स्वतंत्र आंदोलन सन् 1780 में संथाल परगना में प्रारंभ किया। दो आदिवासी वीरों तिलका और मांझी ने आंदोलन का नेतृत्व किया। यह आंदोलन सन् 1790 तक चला इसे “दामिन विद्रोह”कहते हैं इस विद्रोह से अंग्रेजी हुकूमत तरबतर हो गया था. पकड़ने के लिए मि. क्लीवलैंड कि नेतृत्व में सेना भेजी गई परंतु तिलका ने अपने तीर से क्लीवलैंड के सीने में तीर मार कर जान ले लिया तब अंग्रेजी सैनिकों ने छापामार युद्ध के तहत तिलका को पकड़कर पेड़ से लटका कर फांसी दे दिया. “दलित दस्तक”के अनुसार दिल का स्वतंत्रता आंदोलन का पहला शहीद माना जाना चाहिए परंतु 1857 की क्रांति में शहीद हुए मंगल पांडे को स्वतंत्रता संग्राम का पहला शहीद घोषित कर दिया. जबकि सच्चाई यह है कि मंगल पांडे से 70 साल पहले स्वतंत्रता आंदोलन में तिलका शहीद हुआ था. बता दें कि सन् 1780 से सन् 1857 तक आदिवासियों ने अनेक स्वतंत्रता आंदोलन किए। सन 1780 का “दामिनी विद्रोह” तिलका मांझी ने चलाया, सन् 1855 का “सिद्धू कान्हू विद्रोह” सन् 1858 से 1832 तक बुधु भगत द्वारा चलाया गया “लरका आंदोलन” बहुत प्रसिद्ध आदिवासी आंदोलन है जिनका जिक्र इतिहास में नहीं मिल पाता है। पूरे भारत में आदिवासियों ने अपने में क्षेत्र में जल जंगल जमीन का छीनने का प्रयास जब जब हुआ तब उन लोगों ने अपने हक अधिकार के लिए आंदोलन किए परंतु आज भी उन्हें अपने हक अधिकार के लिए वंचित रखा जा रहा है. शेख भिखारी ने सन् 1857 ई. के संग्राम में उन्होंने अपनी वीरता, साहस, बुद्धि एवं राजनीति से अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा दिये थे. टिकैत उमराव सिंह के साथ मिलकर शेख़ भिखारी ने पिठोरिया तक अंग्रेज़ों को छकाया था. कहा जाता है कि शेख भिखारी की तलवार में इतनी ताकत थी कि अंग्रेज़ कमिश्नर मैकडोनाल्ड ने इसका ‘गजट’ में ज़िक्र किया था और उन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में खतरनाक बागी करार दिया था. शेख़ भिखारी ओरमांझी खुदिया के राजा टिकैत उमराव सिंह के दीवान और कुशल सेनापति भी थे.1858 ई. में अंग्रेज़ों ने छल-बल के साथ चुटूपालू के निकट भीषण लड़ाई के बाद शेख़ भिखारी को गिरफ्तार कर लिया और 7 जनवरी को उन पर मुकदमा चलाया गया.इस दौरान उनकी वीरता और साहस से भयभीत अंग्रेज़ों ने अदालती कारवाई पूरे किये बिना ही टिकैत उमराव सिंह के साथ शेख़ भिखारी को बरगद के पेड़ पर फाँसी दे दी. झारखंड की महिला स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका भी उतना ही महत्वपूर्ण है, सरस्वती देवी, राजेश्वरी सरोज दास, शैलबाला राय, जाम्बवती देवी, प्रेमा देवी, उपा रानी मुखर्जी समेत झारखण्ड में एसे अनगिनत नाम हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपनी जान हथेली पर रखकर सम्पूर्ण महिला समाज को सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया. इनके बलिदान और संघर्ष की गाथा इतिहास के पन्नों को आज भी जीवंतता प्रदान कर रही है. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी कई बार रांची आए. इतिहासकार बताते हैं कि चंपारण सत्याग्रह की रणनीति रांची में ही बनी थी. कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने जिस कार का इस्तेमाल किया था वो आज भी रांची में सुरक्षित है.
राहुल गांधी से मिली मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की, कहा- झारखण्ड के लोगों के जनभावनाओं को समझना होगा*

रांची : मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के विशेष आमंत्रण पर बुधवार को नयी दिल्ली में उनसे मुलाकात की। शिल्पी ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी से बस एक ही बात कही कि कांग्रेस देश में लोगों के दिलों में है और जनमानस की भावनाओं को समझकर यदि रणनीति तैयार की जाये तो इसके अच्छे नतीजे आयेंगे। साथ ही अनेक वैसी जटिल समस्याओं के समाधान में सहायता मिलेगी जो पिछले 10 साल में पैदा हुई हैं। *संगठन की स्थिति की जानकारी ली* गौरतलब है कि 13 अगस्त को फोन पर श्री गांधी के कार्यालय ने शिल्पी नेहा तिर्की को बुधवार को एक विशेष बैठक और मुलाकात के लिये आमंत्रित किया था। मुलाकात के दौरान राहुल गांधी ने शिल्पी नेहा तिर्की से झारखंड में कांग्रेस की संगठनात्मक स्थिति के साथ ही सरकार की गतिविधियों की भी जानकारी ली। राहुल ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में आनेवाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र एकजुटता के साथ इंडिया गठबंधन चुनाव लड़ेगा और लोगों को सच्चाई तथा ज़मीनी हक़ीक़त बताने की जरूरत है।
हॉकी खेलने जा रहे खिलाड़ी आए वज्रपात की चपेट में*

*तीन की हुई मौत, 05 खिलाड़ी घायल* झा. डेस्क कोलेबिरा थाना क्षेत्र के टूटिकेल में एक हॉकी प्रतियोगिता चल रही थी। इसी प्रतियोगिता में खेलने के लिए जा रहे खिलाड़ी वज्रपात की चपेट में आ गए। जिसमें तीन लोगों की मौके पर मौत हो गई। वहीं पांच लोग गंभीर रूप से घायल हैं। बताया गया कि टूटीकेल पंचायत के झपला में हॉकी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए खिलाड़ी एक जगह तैयार होने के लिए जा रहे थे। इसी क्रम में तेज बारिश होने लगी बारिश से बचने के लिए सभी एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए इसी दौरान अचानक तेज बारिश हुआ और आकाशी बिजली उसी पेड़ के पास गिरी, जिस पेड़ के नीचे सभी खिलाड़ी खड़े थे। वज्रपात की चपेट में आने से सेनंन डांग, निर्मल होरो और अनीस नामक खिलाड़ी की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि उनके साथ खड़े क्लेमेंट बागे, जैलेश बागे, सलीम बागे, पतरस बागे और पतिराम बागे गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना की सूचना मिलने के बाद मेडिकल टीम और पुलिस की टीम तुरंत घटनास्थल पहुंची और घायलों को कोलेबिरा अस्पताल भेजा गया। पुलिस ने तीनों मृतकों के कहा को कब्जे में ले लिया है। पुलिस पूरे मामले में अग्रसर कार्रवाई कर रही है। इधर घटना की सूचना मिलने के बाद कोलेबिरा सीओ अनूप कच्छप, जिला परिषद अध्यक्ष रोस प्रतिमा सोरेंग, प्रखंड प्रमुख दुतमी हेमरोम, कोलेबिरा विधायक के प्रखंड प्रतिनिधि, कांग्रेस प्रखंड कमिटी के लोग कोलेबिरा अस्पताल पहुंचकर सभी घायलों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने पीड़ित परिवार को मुवाबजा दिलाने की बात कही है।
स्कूली बच्चों से भरी एक मैजिक वैन को एक दूसरी वाहन ने मारी टक्कर, कई बच्चे घायल

झारखंड के हजारीबाग में स्कूली बच्चों से भरी एक गाड़ी हादसे का शिकार हो गई है। यह हादसा चौपारण में हुआ है। जीटी रोड स्थित बारा मोड़ के पास एक थार गाड़ी ने मैजिक वैन को टक्कर मार दी।

 मैजिक में डैफोडिल स्कूल के बच्चे सवाल थे। जानकारी के मुताबिक, इस सड़क दुर्घटना में करीब आधा दर्जन बच्चे चोटिल हो गए हैं।

जानकारी के मुताबिक, इस हादसे में करीब छह बच्चे घायल हो गए हैं। अन्य बच्चों को घर भेज दिया गया है। दरअसल, एक थार गाड़ी बच्चों के मैजिक वैन से टकरा गई। यह हादसा किस वजह से हुआ इस बारे में अभी कोई पुष्टि नहीं हो सकी है।