चीन के करीबी मुइज़्ज़ू का बदला मिजाज, क्या फिर भारत के करीब आ रहा मालदीव?*
#maldives_hands_over_28_islands_to_india_what_prompted_muizzus_shift
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में मालदीव की तीन दिवसीय यात्रा संपन्न की। दोनों देशों के बीच राजनीतिक विवाद के बाद नई दिल्ली से ये पहली उच्च स्तरीय यात्रा थी। यही नहीं, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू की चीन से नज़दीकी ज़ाहिर होने के बाद यह भारत के किसी बड़े मंत्री की पहली मालदीव यात्रा थी।एस जयशंकर की ये यात्रा भारत की एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि साबित हुई।एस जयशंकर ने अपनी इस यात्रा में मालदीव में यूपीआई से पेमेंट की सुविधा शुरू करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया है। साथ ही मालदीव ने 28 द्वीपों की व्यवस्था को भारत को सौंपने का फैसला लिया है। इन 28 द्वीपों पर अब पानी सप्लाई और सीवर से जुड़ी परियोजनाओं पर काम करने और इसकी देखरेख करने की जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने खुद इसका ऐलान किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, मालदीव के 28 द्वीपों में पानी और नाले से जुड़ी परियोजनाओं को आधिकारिक तौर पर सौंपे जाने के मौके पर डॉक्टर एस जयशंकर से मिलकर खुशी हुई। हमेशा मालदीव की मदद करने के लिए मैं भारत सरकार और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करता हूं। उन्होंने कहा है कि हमारी साझेदारी से दोनों देशों के बीच सुरक्षा, विकास और सांस्कृतिक संबंध और मज़बूत होंगे. हम इस क्षेत्र में ज़्यादा समृद्ध भविष्य का निर्माण करेंगे। मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने अपने सोशल मीडिया पर एस जयशंकर के साथ मुलाक़ात की कुछ तस्वीरें भी पोस्ट की हैं। ख़बरों के मुताबिक़ मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने भारत को अपने सबसे क़रीबी सहयोगियों में से एक बताया है। वहीं भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी मालदीव के साथ संबंधों को ख़ास बताया है. यह घटनाक्रम इस साल की शुरुआत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद भारत और मालदीव के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बाद हुआ है। इस यात्रा ने उस समय विवाद खड़ा कर दिया था जब एक मालदीव के नेता ने प्रधान मंत्री मोदी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था, जिससे पड़ोसी देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था।इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू, जो चीन समर्थक रुख और 'इंडिया आउट' अभियान के साथ सत्ता में आए थे, ने पहले द्विपक्षीय संबंधों के लिए चुनौतियाँ पेश की थीं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि, क्या चीन के करीबी मुइज़्ज़ू का मिजाज बदल गया है और मालदीव फिर भारत के करीब आ रहा है? हालांकि, इस सकारात्मक बदलाव के झलकी राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने पहले भी दिखाई है। मुइज़्ज़ू ने 12 अगस्त को भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत हमेशा से मालदीव के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक रहा है, जो जरूरत पड़ने पर अमूल्य सहायता प्रदान करता रहा है। राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने प्रधान मंत्री मोदी और भारतीय लोगों के निरंतर समर्थन के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। एस जयशंकर की इस यात्रा पर काफ़ी लोगों की नज़र थी। चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, चीनी विशेषज्ञों ने कहा है कि चीन मालदीव के साथ बहुत खास संबंध या सहयोग की इच्छा नहीं रखता है, जबकि भारत इस इलाके में अपने प्रभुत्व के लिए चीन को एक डर के तौर पर पेश करता है। वैसे चीन के सरकारी अखबार का एस जयशंकर की यात्रा पर नजर रखना ये प्रदर्शित करता है, चीन छटपटा तो रहा है लेकिन वो भारत और मालदीव के रिश्ते खराब करने में नाकाम रहा। बता दें कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जु इंडिया आउट का नारा देकर सत्ता में आए थे। पिछले वर्ष 17 नवंबर को सत्ता हासिल करने के बाद उन्होंने मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस भेजने में काफी तेजी दिखाई थी। राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा टर्की और दूसरी यात्रा चीन की थी, सामान्य तौर पर मालदीव के राष्ट्रपति की पहली विदेश यात्रा भारत की होती है। पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा पर मालदीव के कई मंत्रियों ने विवादित बयान दिए थे, हालांकि डैमेज कंट्रोल करते हुए मोइज्जू ने उन्हें पद से हटा दिया था। मालदीव में लगातार हो रहे ऐसे फैसलों से ये माना जा रहा था कि चीन समर्थक मोइज्जू, चीन के दबाव में भारत से अच्छे रिश्ते नहीं रखेंगे, लेकिन मालदीव को विपक्षी दलों के दबाव और अपनी जरूरतों को देखते हुए, यू-टर्न लेना पड़ा। भारत से रिश्ते सुधारने के लिए मोइज्जू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। माना जा रहा है कि यहीं से दोनों देशों के रिश्ते बेहतर होने की शुरुआत हुई। पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा और मालदीव और भारत के संबंधों में आए तनाव के बाद दोनों देशों में हुआ ये नया समझौता भारत विरोधियों को चुभ सकता है, लेकिन ऐसे वक्त में जब बांग्लादेश में भारत समर्थित सरकार का तख्तापलट हुआ है, ये भारत की कूटनीति के लिहाज से अच्छी खबर है।
Aug 14 2024, 18:53