बांग्लादेश में गंभीर हालातो के बीच अपने वतन भारत लौटा हिंदू परिवार ने बताई अपनी आप बीती
रिपोर्टर जयंत कुमार
रांची : बांग्लादेश में जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद अब नई अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है लेकिन हिंसा का दौर अभी भी जारी है। बता दें, बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर बवाल शुरू हुआ था जिसके कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा।
बांग्लादेश में खराब हालात के कारण कई भारतीय छात्र और वहा काम के शिशीले में गए लोग भी वहां फंसे हुए हैं और धीरे धीरे भारत लौट रहे हैं। भारतीय उच्चायोग भी इसके लिए उनकी मदद कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय भी पूरे हालात पर नजर बनाए हुए है और सिविल एविएशन, इमिग्रेशन, बंदरगाहों और सीमा सुरक्षा बल के साथ सहयोग कर रहा है।
ऐसा ही रांची का एक परिवार है जो बांग्लादेश से वापस अपने वतन लोटआया। रांची के रहने वाले सुरेश चौधरी का पुत्र अपने परिवार के साथ बांग्लादेश में फंसा था, अब यह परिवार सकुशल वापस अपने वतन लौट आया। डर के साथ बिताए वो दिन को मनीष चौधरी ने स्ट्रीट बज के साथ साझा की और चौंकाने वाले खुलासा किया। मनीष चौधरी एक प्राइवेट कंपनी में बतौर इंजीनियर कार्यरत है, जिसका प्रोजेक्ट बांग्लादेश में चल रहा है। मनीष पिछले लगभग 2 साल से वहां रह रहे थे, जबकि उनकी पत्नी और दो बच्चों को बंगलादेश गए लगभग एक साल हुए था। वह सभी बांग्लादेश के रांगपुर शहर में रह रहे थे। हिंसा के दौरान उनका परिवार वहां फंस गया। मनीष ने बताया कि जब वहां हालात बिगड़े तो उनके घर के पास भी कुछ लोगों का जमावड़ा दिखा। जब उन्होंने सेवा से बात की तो उनकी मदद के लिए वह वहां पहुंच गए। लेकिन उन्होंने कहा कि यह लोग बाहर से आए थे उनके पड़ोस में रहने वाले लोग अच्छे थे व मिलनसार थे। जब हिंसा ज्यादा बड़ी तो लोकल अथॉरिटी और हमारी कंपनी के द्वारा भी हमें यह साफ-साफ निर्देशित था कि हमें अपने घर से बाहर बेवजह नहीं निकलना है।
आठ दिनों तक अपने घर में कैद रहा यह परिवार
मनीष चौधरी का पूरा परिवार करीब आठ दिनों तक रंगपुर स्थित घर में कैद रहा। कर्फ्यू के कारण वह घरों से बाहर नहीं निकलते थे हालांकि बीच में छूट मिलने की वजह से बाजार से जरूरी सामानों को लेकर चले आते थे। वह कहते हैं कि वहां का माहौल भी शांत था, और पड़ोसी अच्छे थे। बाबजूद इसके उनका परिवार डर के साए में जी रहा था। मनीष कहते हैं कि वहां के प्रशासन के द्वारा उन लोगों को सुरक्षा के साथ-साथ अन्य सहायता मुहैया कराई जा रही थी। लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं के प्रति उपजी अराजक स्थिति के कारण मन में डर समाया हुआ था। बांग्लादेश से भारत सड़क मार्ग से आने में उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। अब वह वतन आकर काफी खुश है।
Aug 14 2024, 16:02