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मनीष सिसोदिया ने संभाली AAP की कमान,विधायकों के साथ किया मंथन

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की रिहाई के बाद आम आदमी पार्टी एक्शन मोड में आ गई है. सोमवार को दिल्ली में विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर पार्टी के विधायकों की बैठक हुई. मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास पर हुई इस बैठक में सुनीता केजरीवाल भी मौजूद रहीं. दिल्ली में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में आम आदमी पार्टी ने चुनावों को लेकर अभी से कमर कसनी शुरू कर दी है.

बैठक खत्म होने बाद पार्टी के सांसद संदीप पाठक ने ने कहा कि सभी विधायकों ने मनीष सिसोदिया का खड़े होकर स्वागत किया. इस बार के चुनाव में दिल्ली की जनता BJP को सबक सिखाएगी ताकि वो किसी और राज्य में दिल्ली जैसे षड्यंत्र ना कर पाए. बैठक में विधायकों से उनके क्षेत्र के हालात के बारे में पूछा गया और मौजूदा सियासी हालात को लेकर रिपोर्ट ली गई.

संदीप पाठक ने कहा कि मनीष सिसोदिया दिल्ली और हरियाणा दोनों जगह प्रचार करेंगे. पार्टी दिल्ली में 14 तारीख से पदयात्रा निकालेगी. वहीं, 15 अगस्त को आतिशी के झंडा फहराने को लेकर संदीप पाठक ने कहा कि दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल को रिक्वेस्ट भेजी है, देखते हैं क्या होता है. बैठक में मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय और इमरान हुसैन के अलावा सांसद संदीप पाठक और आप विधायकों ने हिस्सा लिया.

शुक्रवार को जेल से रिहा हुए हैं मनीष सिसोदिया

मुख्यमंत्री आवास पर हुई विधायकों की बैठक से पहले रविवार को पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के आवास पर एक अहम बैठक हुई थी. इस बैठक में भी पार्टी कई चुनिंदा नेता शामिल हुए थे. बैठक के बाद संगठन महामंत्री संदीप पाठक ने कहा था कि राजनीतिक परिस्थिति और दिल्ली विधानसभा में होने वाले चुनाव को लेकर चर्चा हुई. दिल्ली शराब घोटाला मामले में जेल में बंद सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद शुक्रवार की शाम तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया.

जलभराव के मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर है सरकार

दिल्ली में बारिश के बाद कई इलाकों में जलभराव और मौतों से केजरीवाल सरकार विपक्ष के निशाने पर हैं. विपक्षी पार्टी बीजेपी दिल्ली में जलभराव के लिए केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार बता रही है. दूसरी ओर आम आदमी पार्टी अधिकारियों पर ठिकरा फोड़ रही है. सरकार का कहना है कि उसकी ओर से बार-बार अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे, लेकिन वो उपराज्यपाल के अलावा किसी की बात नहीं सुनते हैं.

उबर ड्राइवर ने पाकिस्तानी पैसेंजर को कैब से किया बाहर, भारत विरोधी टिप्पणी करने पर भड़का गुस्सा

#uber_driver_kicks_pakistani_passengers_off_car_over_anti_india_comments

भारत में मेहमान को भगवान माना जाता है, लेकिन यही मेहमान अपने देश को गाली देने लगे तो गुस्सा जाहिर है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है देश की राजधानी दिल्ली से। एक वीडियो इंटरनेट पर छाया हुआ है, जिसमें एक पाकिस्तानी कपल को कैब से धक्के मारकर कैब से उतार दिया है। दिल्ली में एक कैब ड्राइवर ने कथित तौर पर भारत की बुराई को लेकर एक पाकिस्तानी नागरिक और उसकी गर्लफ्रेंड को आधी रात बीच सड़क पर उतार दिया।

यह घटना कथित तौर पर 9 अगस्त की आधी रात को हुई थी। घटना का एक वीडियो, जिसे यात्रियों में से एक ने रिकॉर्ड किया था, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गया है। वायरल हो रहे वीडियो में ड्राइवर को कैब में बैठे पाकिस्तानी शख्स और उसकी गर्लफ्रेंड से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वो दिल्ली वालों के बारे में कुछ भी बुरा सुनना बर्दाश्त नहीं करेगा। वहीं मोबाइल पर वीडियो रिकॉर्ड करते हुए लड़की कहती है कि उसने (पाकिस्तानी) ऐसा कुछ भी नहीं कहा। उसने बस इतना कहा कि दिल्ली वाले मतलबपरस्त होते हैं। इसके बाद लड़की कहती है, अगर मुंबई वाले ऐसा कह दें तो वो चल जाएगा, लेकिन पाकिस्तानी कहे तो, फिर कैब ड्राइवर पर भड़कते हुए कहती है कि उसे न बताए कि वो ब्राह्मण है कि क्या है।

वीडियो में देखा जा सकता है कि ड्राइवर कपल को दोबारा समझाने की कोशिश करता है, लेकिन बात बढ़ जाती है और फिर ड्राइवर दोनों को अपनी कार से उतारकर वहां से जाने लगता है। इस दौरान लड़की गुस्से से चीखती है- देख लो ये मोदीजी का भारत है। रात के साढ़े 12 बजे ये हमें सड़क पर उतार रहा है। इस पर ड्राइवर भी उन्हें अपशब्द बोलता है।

वीडियो माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर Algebra ने शेयर किया। जिसको लाखों व्यूज मिल चुके हैं। वहीं, हजारों में लाइक्स हैं और खबर लिखे जाने तक 11 हजार रीपोस्ट किए जा चुके हैं।

विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल मिलेगा या नहीं,सबसे बड़ा फैसला आज

भारत की दिग्गज रेसलर विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक 2024 में दमदार प्रदर्शन का इनाम मिलेगा या नहीं, आज इसका फैसला हो जाएगा. जिस हक के लिए विनेश पिछले 6 दिनों से लड़ रही हैं, वो हक उन्हें मिलेगा या नहीं, इसके फैसले का दिन भी अब आ ही गया है. पेरिस ओलंपिक में महिलाओं की 50 किलोग्राम कैटेगरी में तय वजन से 100 ग्राम ज्यादा पाए जाने पर विनेश फोगाट को उनके फाइनल वाले दिन पूरे टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया था और साथ ही मेडल की रेस से भी बाहर कर दिया गया था. इसके खिलाफ विनेश ने खेल पंचाट यानी कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) में अपील की थी. इस पर सुनवाई भी हुई और अब कई बार फैसला टलने के बाद मंगलवार 13 अगस्त को कोर्ट अंतिम निर्णय सुनाएगा.

विनेश को 7 अगस्त को हुए फाइनल वाली सुबह डिस्क्वालिफाई कर दिया गया था, जिसके बाद उसी दिन शाम को उन्होंने CAS में अपील की थी. इसके बाद से ही विनेश समेत पूरा देश इस फैसले का इंतजार कर रहा है लेकिन हिंदी फिल्म ‘दामिनी’ में वकील सनी देओल की तरह विनेश को भी पिछले कुछ दिनों से सिर्फ ‘तारीख पर तारीख’ ही मिली है. जहां पहले इस पर फैसला ओलंपिक खत्म होने तक आना था, वहीं अब ये फैसला गेम्स के खत्म होने के 2 दिन बाद आएगा और वो दिन है 13 अगस्त.

3 घंटे की सुनवाई, 4 दिन बाद फैसला

इस मामले में शुक्रवार 9 अगस्त को ओलंपिक गेम्स के लिए पेरिस में ही बनी CAS एड-हॉक डिवीजन में सुनवाई हुई थी. करीब 3 घंटे की इस सुनवाई में विनेश के वकीलों ने अपना पक्ष रखा था. इस दौरान भारतीय ओलंपिक संघ भी एक पार्टी के रूप में शामिल था और उसने भी अपना पक्ष रखा था. वहीं इंटरनेशल ओलंपिक कमेटी और यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के वकीलों ने भी दलीलें दी थीं. ये सुनवाई CAS की आर्बिट्रेटर डॉक्टर एनाबेल बैनेट के सामने हुई थी. पहले माना जा रहा था कि इस पर फैसला 10 अगस्त को आएगा लेकिन उस दिन CAS ने फैसले को टालते हुए दोनों पक्षों से कुछ दस्तावेजों की मांग की थी और फैसले के लिए 13 अगस्त की तारीख तय की थी.

आज यानी 13 अगस्त को ये फैसला भारतीय समयानुसार रात 9.30 बजे तक या उससे पहले ही आ जाएगा. विनेश ने इस मामले में सिल्वर मेडल दिए जाने की मांग की है. विनेश की ये मांग इस आधार पर है कि उन्होंने एक दिन पहले सेमीफाइनल समेत अपने तीनों मुकाबले 50 किलोग्राम के तय वजन सीमा के अंदर रहकर खेले थे और तीनों में निष्पक्ष जीत के साथ फाइनल में जगह बनाई थी. वो फाइनल वाले दिन ही वजन से 100 ग्राम ज्यादा पाई गईं थी और इसलिए उन्हें सिर्फ फाइनल से ही डिस्क्वालिफाई किया जाना चाहिए, न कि पूरे इवेंट से. ऐसे में उन्हें संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल दिया जाना चाहिए. अब विनेश की ये मांग पूरी होती है या नहीं, आज इसका फैसला भी हो जाएगा.

बड़ी खबर : बिहार में ऑस्ट्रेलिया की कंपनी करेगी निवेश, उर्जा मंत्री से मुलाकात के दौरान ऑस्ट्रेलियाई कांसुलेट जनरल ने जताई इच्छा*

डेस्क : बिहार में उद्योग लगने की अब संभावना बढ़ रही है। पहले देश के बड़े उद्योगपतियों में शामिल अडानी ग्रुप ने यहां सिमेंट प्लांट की शुरुआत कर दी है। वहीं अब आस्ट्रेलिया भी यहां निवेश करना चाह रहा है। सोलर ऊर्जा क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने निवेश की इच्छा जताई है। बीते सोमवार को ऊर्जा भवन में सूबे के ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव से मुलाकात के दौरान कोलकाता स्थित ऑस्ट्रेलियाई कांसुलेट जनरल (महावाणिज्य दूतावास) ह्यू बॉयलान ने यह इच्छा प्रकट की। मुलाकात के दौरान कॉन्सुलेट जनरल ने आश्वासन दिया कि ऑस्ट्रेलियाई कंपनी जल्दी ही बिहार का दौरा करेगी और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश की बात को आगे बढ़ाएगी। गौरतलब है कि बॉयलान दो दिन के बिहार दौरे पर हैं। इस दौरान ऊर्जा मंत्री ने उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। इस मुलाकात के दौरान ऊर्जा विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल, एसबीपीडीसीएल के प्रबंध निदेशक महेंद्र कुमार व एनबीपीडीसीएल के प्रबंध निदेशक निलेश देवरे भी उपस्थित थे। ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में बिहार में निरंतर विकास के कार्य चल रहे हैं। दरभंगा और सुपौल में पहले से दो फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट कमीशन किए जा चुके हैं। वहीं दक्षिण बिहार में कई ऐसे पहाड़ हैं जहां पेड़ नहीं है। ऐसे पहाड़ों पर भी सोलर पावर प्लांट लगाने की संभावनाओं पर हम काम कर रहे हैं। ऊर्जा विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल ने कहा कि बिहार में जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत गैर-परंपरागत बिजली उत्पादन को हर तरह से प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब तक 3500 से अधिक सरकारी भवनों पर सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं और अगले दो वर्षों में 9000 सरकारी भवनों पर सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना को स्वीकृति मिल चुकी है। उसी प्रकार सभी पंचायतों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 16 हजार मेगावाट गैर परंपरागत बिजली का उत्पादन हो सकता है। राज्य में जहां 11 हजार 200 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादित की जा सकती है। वहीं पवन ऊर्जा के माध्यम से 3650 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की संभावना है।
बिहार प्रशासनिक सेवा के इन 20 पदाधिकारियों की आईएएस में हुई प्रोन्नति, केन्द्र सरकार ने जारी की अधिसूचना*

डेस्क : बिहार प्रशासनिक सेवा (बिप्रसे) के 20 पदाधिकारियों की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में प्रोन्नति गई है। सोमवार को इस संबंध में केंद्र सरकार के कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की है। ये सभी पदाधिकारी 39वीं बैच के हैं। इन्हें वर्ष 2023 के लिए प्रोन्नति दी गयी है। जानकारी के अनुसार इन अधिकारियों की पहली पदस्थापना संयुक्त सचिव के रूप में होगी। मालूम हो कि वर्ष 2023 में बिप्रसे के 54 अधिकारियों को आइएएस में प्रोन्नति दी गयी थी। जिसमें तीन साल की रिक्तियां थी। 2020 के लिए 27, 2021 के लिए 24 तथा 2022 के लिए नौ अफसरों को आइएएस में प्रोन्नति के लिये अनुशंसा की गयी थी। जिन पदाधिकारियों को प्रोन्नति मिली है उनमें सूचना एवं प्रावैधिकी मंत्री संतोष कुमार सुमन के आप्त सचिव डॉ. नंदलाल आर्य, गन्ना मंत्री कृष्णनंदन पासवान के आप्त सचिव राजेश कुमार सिंह, निदेशक, कारा रजनीश कुमार सिंह, अपर निदेशक डॉ. राजेश भारती, मृत्युंजय कुमार, सुजीत कुमार, राजेश कुमार सिंह, राकेश रंजन, संजय कुमार, शंभु शरण, राजेश कुमार सिंह, राजेश कुमार, सुनील कुमार, माधव कुमार सिंह, अहमद महमूद, विनायक मिश्र, सुमन कुमार, कुमार मंगलम, वारिस खान, अखिलेश कुमार सिंह एवं अतुल कुमार वर्मा शामिल है।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की हुई मासिक समीक्षा बैठक, डीएम ने दिए कई निर्देश

औरंगाबाद : जिला पदाधिकारी श्री कांत शास्त्री द्वारा आज समाहरणालय के सभा कक्ष में बैठक आहूत कर स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संचालित कार्यक्रमों, यथा-आकांक्षी जिला नीति आयोग, स्वास्थ्य एवं सूचना प्रबंधन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, गुणवत्ता यकीन, नियमित टीकाकरण, परिवार नियोजन, पोषण पुनर्वास केंद्र एवं अन्यान्य विषयों से संबंधित प्रगति प्रतिवेदनों की भी समीक्षा की गई। इस बैठक में जिले के सभी उपाधीक्षक, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अस्पताल प्रबंधक, स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक एवं जिले में कार्यरत डेवलपमेंट पार्टनर प्रतिनिधि उपस्थित रहे। 

जिला कार्यक्रम प्रबंधक मो. अनवर आलम द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि जिला पदाधिकारी द्वारा बैठक के दौरान जिला अस्पताल एवं प्रखंड मुख्यालय स्तरीय अस्पतालों, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं स्वास्थ्य उप केंद्र सह हेल्थ एंड वैलनेस सेंटरों को नियमित रूप से खोलने तथा सरकार द्वारा प्रदत सुविधाओं यथा चिकित्सा पदाधिकारी, सीएचओ स्टाफ नर्स, एएनएम की उपस्थिति, दवा एवं जांच सुविधा का आकलन किया गया तथा अस्पतालों में मौसमी बीमारियों से बचाव हेतु आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा सभी अस्पतालों में सर्पदंश से बचाव हेतु एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। 

प्राइवेट चिकित्सकों द्वारा संचालित चिकित्सालयों के पंजीकरण को आवश्यक बताते हुए जिला पदाधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया कि जिले में कहाँ-कहाँ कौन-कौन संचालित हो रहे हैं इस आशय का सर्वे कराया जाए तथा उनके पंजीकरण के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए। उन्होंने बताया कि बिना पंजीकरण के संचालित होने वाले अस्पतालों पर वैधानिक कारवाई हो सकती है।गर्भवती महिलाओं के पंजीकरण, प्रसव, परिवार नियोजन से संबंधित गतिविधियों को प्रभावी रूप से आयोजित कराने हेतु कार्यरत आशा कर्मियों में से वर्षों से निष्क्रिय आशा कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई करने हेतु निर्देशित किया गया। टीकाकरण की उपलब्धि संतोष जनक नहीं रहने को लेकर खेद व्यक्त किया गया तथा निर्देशित किया गया कि प्रभावी तरीके से सत्रों का संचालन कराया जाए।

इस बैठक में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. किशोर कुमार, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मिथिलेश प्रसाद सिंह, जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ रवि रंजन, जिला लेखा प्रबंधक मोहम्मद अफरोज हैदर, डीसीएम आनंद प्रकाश, आरबीएसके कोऑर्डिनेटर नीलम रानी, डीपीसी नागेंद्र कुमार केसरी, जिला एमई पदाधिकारी अविनाश कुमार सहित जिला स्वास्थ्य समिति, औरंगाबाद के समस्त अधिकारी एवं डेवलपमेंट पार्टनर के प्रतिनिधि, सभी उपाधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अस्पताल प्रबंधक, स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक एवं अन्यान्य उपस्थित रहे।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

बिहार सरकार का बड़ा फैसला : अब पुल-पुलिया के निर्माण के लिए इस विभाग से लेना होगा एनओसी

डेस्क : प्रदेश में पिछले कुछ समय में तकरीबन दर्जन भर पुल-पुलिया गिर गए। लगातार गिर रहे पुल-पुलिया की घटना को देखते हुए अब सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अब पुल-पुलिया के निर्माण तय मानक के अनुरुप होगा। 

आज बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने कहा है कि बिहार में पुल-पुलिया के निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग ने एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) बनाया है। पुल और पुलिया के निर्माण के लिए मानक तय किया गया है। अब तय मानक के अनुरूप ही पुल-पुलिया का निर्माण हो सकेगा।

उन्होंने कहा कि बिहार में अब जल संसाधन के एसओपी पर ही सभी पुल-पुलिया का निर्माण कराया जाएगा। पुल-पुलिया के स्ट्रक्चर के लिए जल संसाधन विभाग से एनओसी लेना होगा। एसओपी बनने के बाद अब पुल-पुलिया के स्ट्रक्चर डिजाइन के लिए जल संसाधन विभाग से स्वीकृति लेनी होगी। बिना जल संसाधन विभाग के स्वीकृति के बिहार में किसी भी पुल-पुलिया का निर्माण नहीं होगा। अब स्थाई रूप से इस नियम को किया जाएगा।

दरअसल, बिहार में पुलों के टूटने का सिलसिला उस वक्त शुरू हुआ था जब राज्य में महागठबंधन की सरकार थी। तेजस्वी यादव के पथ निर्माण विभाग का मंत्री रहते हुए भागलपुर में अगुवानी घाट पर निर्माणाधीन पुल का हिस्सा गंगा में समा गया था। इस घटना को लेकर उस वक्त विपक्ष की भूमिका में रही बीजेपी ने खूब हंगामा मचाया था। तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के साथ साथ बीजेपी ने निर्माण कंपनी एसपी सिंगला पर भी सवाल उठाए थे।

वहीं बिहार में सरकार बदली और आरजेडी सत्ता से बाहर हो गई और सत्ता में फिर से बीजेपी की एंट्री हो गई। बावजूद इसके पुल-पुलिया के गिरने का सिलसिला जारी रहा। राज्य में मानसून के एक्टिव होने से ठीक पहले अररिया में बकरा नदी पर निर्माणाधीन पुल का हिस्सा ध्वस्त हो गया। इस घटना के बाद बिहार में जैसे पुलों के गिरने का सिलसिला ही शुरू हो गया। राज्य के अलग-अलग जिलों से हर दिन पुलों के ध्वस्त होने की खबरें आम हो गईं। अररिया से शुरू हुआ पुलों के गिरने का सिलसिला अब भी जारी है।

भारत में भी पैदा हो सकते हैं बांग्लादेश जैसे हालात” कांग्रेस का ये दुःस्वप्न या देशद्रोह?

#canconditionslikebangladeshhappeninindia

पिछले हफ्ते बांग्लादेश के हालात की पूरी दुनिया में चर्चा रही। 5 अगस्त 2024 बांग्लादेश के इतिहास में एक काला अध्याय बन कर रह गया। तीन बार की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना अपनी सरकार ही नहीं बल्कि अपना देश छोड़कर भागने पर मजबूर हो गईं। शेख हसीना के पद और देश छोड़ने के बाद भी हालत बदले नहीं हैं। छात्र आंदोलन के नाम पर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में जो हालात हैं, उससे देश में भी कुछ लोगों की बांछें खिल गईं। राजनीति में मर्यादा के घटते स्तर की बानगी देखिए कि विपक्ष के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश में जिस तरह की परिस्थितियां पैदा हुईं हैं, वैसा ही दृश्य भारत में भी देखा जा सकता है। अब इसे केवल दुःस्वप्न कहा जाए ये देश को गर्त में देखने का सपना देखने वालों का देशद्रोह?

दरअसल, पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ तो विपक्ष के नेताओं की ओर से कुछ बयान दिए गए हैं कि बांग्लादेश जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति भारत में हो सकती है। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि बांग्लादेश के जौसे हालात भारत में भी पैदा हो सकते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत में भले ऊपर-ऊपर सबकुछ सामान्य दिख रहा हो, लेकिन अंदर से कुछ सुलग रहा है। 

दूसरी तरफ, कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि बांग्लादेश जैसी परिस्थितियां कुछ-कुछ भारत में भी बननी शुरू हो गई हैं और लोगों के मन में चुनावों की निष्पक्षता को लेकर शक पैदा होने लगा है, इसलिए हमें पड़ोसी देश से सीख लेते हुए सावधान रहने की जरूरत है। अय्यर ने न्‍यूज एजेंसी आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि भारत में भी आर्थिक विकास के बावजूद बेरोजगारी बहुत बढ़ चुकी है। उन्होंने कहा, "वहां की परिस्थिति और हमारी परिस्थिति में काफी तुलना की जा सकती है। उनके लोकतंत्र में कमियां महसूस होने लगीं। जो उनके चुनाव हुए - पहले और इस बार भी - तो विपक्ष की पार्टियों ने भाग ही नहीं लिया, क्योंकि उनको लगा कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं होंगे।

सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर के अलावा मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता सज्जन सिंह वर्मा ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि एक दिन भारत के प्रधानमंत्री आवास पर भी लोग धावा बोल देंगे, ठीक उसी तरह जैसे बांग्लादेश में हुआ है। उन्होंने कहा कि पहले श्रीलंका में हुआ था, अब बांग्लादेश में हुआ, अबकी भारत की बारी है। 

कांग्रेस नेताओं के इस बयान के बाद हैरानी होती है, ये उसी पार्टी नेता हैं, जिसने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। आजादी के सात दशक बाद भारत में अराजकता का ख्वाब उस कांग्रेस पार्टी के नेता देख रहे हैं जिसने आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया था। ये बयान केवल हमारे लोकतंत्र को कमजोर करते हैं और किसी भी तरह से राष्ट्र निर्माण को मजबूत नहीं करते हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या भारत में भी ऐसा हो सकता है?

इस सवाल को अगर सिरे से खारिज कर दिया जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि, 1947 में जब भारत ने अंग्रेजों से आजादी पाई थी, तब भी यही भविष्यवाणी की गई कि भारत कुछ ही वर्षों में बिखर जाएगा। तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लिमेंट एटली, पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल समेत कई अंग्रेज अधिकारियों और प्रशासकों ने कहा था कि भारत जातीयता, धर्म, संस्कृति समेत अन्य कई पहलुओं से इतना भिन्न है कि इसका साथ रहना नामुमकिन है। वो सब गलत साबित हुए।

भारत में सेना ताकतवर जरूर रही है, लेकिन सरकार के अधीन

वैसे भी जिन भी देशों में लोकतंत्र ज्यादा मजबूत रहता है, वहां पर सेना के पास असीमित शक्तियां नहीं रहती हैं, उन देशों में सेना सरकार के अनुसार ही काम करती दिखती है। ऐसे में तख्तापलट जैसे हालात उन देशों में पैदा नहीं होते। अब भारत की सेना का जैसा इतिहास रहा है, वहां पर अनुशासन ही सर्वोपरि है। यहां पर सेना ताकतवर जरूर रही है, लेकिन सरकार के अधीन भी। इसका एक प्रमाण तो आपातकाल के दौरान भी दिख गया था। उस समय इंदिरा गांधी के खिलाप तीनों सेना प्रमुख को एक हो जाना चाहिए था, तब की पीएम से स्थिति को लेकर बात करनी चाहिए थी। लेकिन क्योंकि भारत में लोकतंत्र रहा और सेना ने खुद को राजनीति से अलग रखने का फैसला लिया, ऐसे में उस दौर में भी सेना ज्यादा ताकतवर दिखाई नहीं दी। माना जाता है कि तख्तापलट वही पर होता है जहां पर अस्थिरता बन जाती है।

इस्लीमिक देशों में लोकतंत्र से ज्यादा शरीया पर विश्वास

दूसरी और अहम बात, बांग्लादेश हो या कोई अन्य मुस्लिम बहुल देश, वहां की सबसे बड़ी समस्या लोकतांत्रिक भावनाओं के सम्मान की भारी कमी का होना है। मुस्लिम देशों में बहुत बड़ा वर्ग वैसे नागरिकों का है जिनका लोकतांत्रिक संस्थाओं में जरा भी यकीन नहीं होता। वो लोकतंत्र को इस्लाम के खिलाफ मानते हैं और दिनरात शरियत का सपना देखते हैं। उनका यकीन इस्लामी धार्मिक कानून शरिया पर होता है। इसलिए वो लोकतंत्र को कभी दिल से स्वीकार नहीं कर पाते। इसके उलट भारत की व्यापक आबादी लोकतंत्र में यकीन रखती है। यहां लोकतांत्रिक संस्थाओं, उसके क्रियाकलापों से लोगों को अनगिनत शिकायतें हो सकती हैं, बावजूद इसके लोगों का इन पर गहरा विश्वास है। बहुसंख्यक भारतीय मानते हैं कि देश का भविष्य तय करने वाले किसी भी मुद्दे का समाधान लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ही होना चाहिए।

राजनीतिक अस्थिरता के दौर में भी सेना ने नहीं लांघी मर्यादा

लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा हर चुनाव के बाद सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण है। यह केवल भारत में है कि 1951-1952 में पहले आम चुनाव से लेकर 2024 में आखिरी आम चुनाव तक सत्ता का ऐसा शांतिपूर्ण हस्तांतरण हुआ है। हालांकि, यहां भी राजनीतिक अस्थिरता का लंबा दौर रहा। देश ने गठबंधन राजनीति का दौर देखा। सरकारें आती-जाती रहीं। देवगौड़ा और गुजराल जैसी कमजोर सरकारे आईं, अटल सरकार सिर्फ 13 दिन में धराशायी हो गई, लेकिन सेना ने कभी सरकार की तरफ आंख उठाकर नहीं देखा।

वहीं, अगर आम जनता की बात करें तो उन्हें भी पता है कि उसकी समस्याओं का समाधान सरकार के पास है। लोगों को अपनी बात शांतिपूर्ण ढंग से कहने का अधिकार है। उदाहरण के लिए,सीएए के खिलाफ राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में करीब सालभर तक धरना-प्रदर्शन चला। किसी सरकार ने उसे दबाने की कोशिश नहीं की, कोई लाठी-डंडे नहीं चले। यहां तक कि आंदोलनकारी किसान लाल किले तक पहुंच गए, फिर भी उन पर जोर-जबर्दस्ती नहीं हुई। कुल मिलाकर कहें तो यहां नाराजगी जाहिर करने के जनता के अधिकार का सरकारें सम्मान करती हैं तो बदले में जनता भी सरकारों को सुधार करने का मौका देती है।

इसके बावजूद अगर देश की प्रमुख विपक्षी दल के वरिष्ठ नेता इस तरह का बयान देते हैं, तो इससे उनकी मंशा साफ जाहिर होती है।

जानिए 6 राज्यों में क्या है बारिश का हाल

देश के कई हिस्सों में मानसून में हो रही बारिश ने लोगों को परेशान कर के रख दिया है. यहां पहाड़ों से मैदान तक कई हिस्सों में तेज बारिश हो रही है. इस वजह से कई नदियां उफान पर हैं. इसी बीच रविवार को दिल्ली समेत आसपास के कई हिस्सों में जमकर बादल बरसे, जिस वजह से शहरों में लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. 

नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम में भी तेज बारिश देखने को मिली और इस वजह से यहां पर भी सड़कों पर पानी भर गया था. मानसून की वजह से कई जगहों पर बारिश हो रही है. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के लखनऊ, पंजाब के चंडीगढ़, राजस्थान के जयपुर, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला और उत्तराखंड के हरिद्वार में भी लोगों का बुरा हाल है. यहां भी बारिश में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है और लोगों की मुश्किलें बढ़ रही हैं. 

1,दिल्ली

मध्य, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व और पूर्व दिल्ली में भी भारी वर्षा हुई जिससे जगह-जगह जलभराव एवं यातायात जाम हो गया. अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में रोहिणी के सेक्टर 20 में पानी से भरे पार्क में सात वर्षीय एक बच्चा डूब गया. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में जलभराव की सात और पेड़ गिरने की चार सूचनाएं मिलीं. ढांसा स्टैंड और बहादुरगढ़ स्टैंड के पास नजफगढ़-फिरनी रोड पर यातायात बाधित रहा. 

2,गुरुग्राम

गुरुग्राम में दिन में 70 मिलीमीटर बारिश हुई. पुलिस लाइन, बस स्टैंड रोड, शीतला माता रोड, नरसिंहपुर सर्विस रोड, बसई चौक, खांडसा, संजय ग्राम रोड, सोहना रोड और सुभाष चौक, सेक्टर 30, 31, 40, 45, 47, 51, 22, 23, 4, 5, 12, 13 48 समेत कई इलाकों में जलभराव की सूचना मिली हैं. इन क्षेत्रों में यातायात जाम लग गया और पैदलयात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उन्हें घुटने भर पानी में चलना पड़ा.

3,राजस्थान

उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में लगातार दूसरे दिन भारी वर्षा हुई तथा राजस्थान में पिछले दो दिनों में सबसे अधिक 16 लोगों की मौत हो गयी है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने रविवार शाम बुलेटिन में कहा कि राजस्थान के करौली (38 सेमी) में 'असाधारण रूप से भारी वर्षा' हुई. राजस्थान के जयपुर में अधिकारियों ने बताया कि मूसलाधार बारिश के कारण करौली और हिंदुआन में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. जयपुर में कई जगहों पर जलभराव देखा गया. जयपुर के कनोता बांध में पांच लोग बह गए और बचाव अभियान शुरू कर दिया गया है. स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आपदा प्रबंधन विभाग की बैठक बुलाई है. उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए साथ ही आम लोगों से संवेदनशील स्थानों पर न जाने की अपील भी की है

4,पंजाब

पंजाब के होशियारपुर में एक ही परिवार के आठ सदस्यों सहित नौ लोगों की मौत हो गई, जब उनका वाहन एक बरसाती नाले में बह गया. पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में भी बारिश हुई. मोहाली, लुधियाना, अमृतसर, रूपनगर और अंबाला समेत कई स्थानों पर बारिश हुई. पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में भी बारिश हुई, जिससे लोगों को उमस भरे मौसम से राहत मिली. चंडीगढ़, मोहाली, लुधियाना, पटियाला, अमृतसर, होशियारपुर, रूपनगर और अंबाला में बारिश हुई. मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों राज्यों की साझा राजधानी चंडीगढ़ में 129.7 मिमी बारिश हुई.

5,हिमाचल प्रदेश 

हिमाचल प्रदेश में बारिश की वजह से हुई घटनाओं में तीन लड़कियों की मौत हो गई और एक व्यक्ति लापता है. राज्य में पिछले दो दिनों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण 280 से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं.

6,जम्मू-कश्मीर 

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में भारी बारिश के कारण मंडी तहसील को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने वाला एक पुल आंशिक रूप से बह गया, जिसके कारण अधिकारियों को यातायात निलंबित करना पड़ा. वहीं अमरनाथजी यात्रा क्षेत्र में भारी वर्षा के बाद वार्षिक अमरनाथ यात्रा रोक दी गयी है.

बीजेपी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर उठाए सवाल, कांग्रेस और इंडी गठबंधन को लिया आड़े हाथ, जानें रविशंकर प्रसाद क्या बोले

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हाल ही में जारी की गई हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर भाजपा ने सवाल उठाए हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के लेकर बीजेपी ने विपक्ष पर निशाना साधा है। बीजेपी ने हिंडनबर्ग के आरोप को निराधार बताया है। पार्टी ने कहा कि देश के खिलाफ आर्थिक साजिश रची जा रही है। हिंडनबर्ग वाले भारत विरोधी प्रोपेगेंडा चलाते हैं। शेयर मार्केट को हिलाने की कोशिश की जा रही है।

बीजेपी सांसद और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पूरी तरह आधारहीन बताया। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, कांग्रेस पार्टी, इंडी गठबंधन के लोग और उन्हें प्रमोट करने वाले टूल किट के लोग भारत को आर्थिक रूप से अस्थिर करने के षड्यंत्र में जुटे हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट शनिवार को रिलीज हुई, रविवार को हल्ला मचा ताकि सोमवार को पूरे कैपिटल मार्केट को अस्थिर किया जा सके। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट के क्षेत्राधिकार में अपनी जांच पूरी करने के बाद सेबी ने हिंडनबर्ग के खिलाफ जुलाई में एक नोटिस जारी किया था। अपने बचाव में जवाब देने की बजाय हिंडनबर्ग ने ये रिपोर्ट पेश की, ये पूरी तरह आधारहीन है।

बीजेपी नेता ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट शनिवार को जारी हुई तो रविवार को हंगामा हुआ। इसके बाद सोमवार को पूंजी बाजार अस्थिर हो गया। उन्होंने कहा कि वे पूरे शेयर बाजार को ध्वस्त करना चाहते हैं। छोटे निवेशकों के पूंजी निवेश को रोकना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारत में कोई आर्थिक निवेश न हो। 

रविशंकर प्रसाद ने कहा भारत शेयरों के मामले में सुरक्षित, स्थिर और आशावादी बाजार है। इस बाजार की निगरानी करना सेबी की कानूनी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जुलाई में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई जांच के बाद जब सेबी ने हिंडनबर्ग को नोटिस जारी किया तो उसने अपना जवाब नहीं दिया। बल्कि बेबुनियाद हमला किया। 

बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस और उनके टूलकिट को देश से नफरत है। कभी राफेल की चिट्ठी, कभी हिंडनबर्ग की…आखिर कांग्रेस चाहती क्या है? उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर हिंडनबर्ग में किसका निवेश है? एक सज्जन जॉर्ज सोरोस जो नियमित रूप से भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाते हैं। वे उसके मुख्य निवेशक हैं।

इससे पहले सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा उन पर लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया था। उन्होंने कहा कि यह 'चरित्र हनन करने का प्रयास' है, क्योंकि सेबी ने पिछले महीने नेट एंडरसन के नेतृत्व वाली कंपनी को नियमों का उल्लंघन करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

बता दें कि अमेरिका की कंपनी हिंडनबर्ग ने 10 अगस्त को एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया था कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति ने मॉरीशस की उसी ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके माध्यम से भारत में अदाणी ग्रुप की कंपनियों में निवेश करवाकर अदाणी ने लाभ उठाया था। उसने कहा कि इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है।