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बारिश के मौसम में भूल कर भी ना करे ये गलतियां नहीं तो उठाने पर सकते है भारी नुकसान


बारिश का मौसम एक ओर जहां ताजगी और ठंडक लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर यह कई चुनौतियों और जोखिमों से भरा होता है। इस मौसम में थोड़ी सी लापरवाही भी बड़ी मुसीबत का कारण बन सकती है। ऐसे में हमें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि हम किसी भी तरह के नुकसान से बच सकें। आइए जानते हैं कि बारिश के मौसम में कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए।

1. पानी से भरे रास्तों पर वाहन चलाने में सावधानी बरतें:

बारिश के दौरान कई बार सड़कों पर पानी भर जाता है। इस स्थिति में गाड़ी चलाना बहुत जोखिम भरा हो सकता है। पानी के अंदर छिपे गड्ढे और अवरोधकों के कारण दुर्घटना हो सकती है। इसलिए, पानी से भरे रास्तों पर गाड़ी चलाने से बचें, और यदि बहुत ज़रूरी हो, तो बहुत ही धीमी गति से वाहन चलाएं।

2. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का सही ढंग से प्रयोग करें:

बारिश के मौसम में बिजली का फ्लक्चुएशन और शॉर्ट सर्किट होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, बिजली से चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतें। जब बिजली कड़क रही हो, तो टीवी, कंप्यूटर, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद कर दें। इस दौरान मोबाइल फोन को चार्ज पर लगाने से भी बचें।

3. भीगे कपड़ों और जूतों का सही रखरखाव:

बारिश में भीगने के बाद गीले कपड़े और जूतों को सूखाने के लिए उन्हें ऐसे स्थान पर रखें, जहां हवा अच्छे से आ सके। गीले कपड़े और जूते फफूंदी का कारण बन सकते हैं, जिससे त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जूते पहनने से पहले अच्छी तरह सूख जाने दें।

4. सड़कों पर पैदल चलते समय सतर्क रहें:

बारिश के समय फिसलन वाली सड़कें आम हो जाती हैं। ऐसे में पैदल चलने वालों को भी अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। फिसलन वाले फुटपाथों और सीढ़ियों पर चलने से बचें और यदि आवश्यक हो, तो अच्छे ग्रिप वाले जूते पहनें।

5. पानी पीने की गुणवत्ता का ध्यान रखें:

बारिश के मौसम में जल स्रोतों का दूषित होना आम बात है। इसलिए, पानी पीने से पहले उसे अच्छे से छान लें या उबाल लें। साफ पानी पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है, अन्यथा पेट संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

6. खुली बिजली की तारों से दूरी बनाएं:

बारिश के मौसम में बिजली की तारें या पोल्स अक्सर गीले हो जाते हैं। अगर गलती से कोई तार खुला रह जाए, तो उसमें करंट आ सकता है। ऐसे में इन तारों से दूरी बनाए रखें और बच्चों को भी सावधान रखें।

निष्कर्ष:

बारिश के मौसम का आनंद उठाना सबको पसंद होता है, लेकिन इसके साथ आने वाले खतरों से बचाव करना भी उतना ही जरूरी है। उपरोक्त बताए गए सावधानियों का पालन करके आप न केवल खुद को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि अपने परिवार और प्रियजनों को भी किसी भी अप्रिय घटना से बचा सकते हैं। बारिश का मौसम खुशियों भरा हो, इसलिए सतर्कता और सावधानी हमेशा बनाए रखें।

पति पत्नी के बीच अगर कोई तीसरा इंसान आए और उस इंसान के कारण शादी जैसे पवित्र बंधन में आ रही हैं कारवाहट तो क्या करे?

पति-पत्नी का संबंध विश्वास, प्रेम, और समझदारी पर आधारित होता है। यदि इस पवित्र बंधन में कोई तीसरा व्यक्ति आकर समस्या उत्पन्न कर रहा है और इसके कारण आपके रिश्ते में खटास आ रही है, तो यह एक गंभीर स्थिति हो सकती है। इस स्थिति में कुछ कदम उठाकर आप अपने रिश्ते को सुधार सकते हैं।

खुले मन से बातचीत करें:

 पति-पत्नी के बीच संवाद की कमी किसी भी रिश्ते में गलतफहमी को जन्म दे सकती है। दोनों पक्षों को बैठकर अपनी भावनाओं और चिंताओं को साझा करना चाहिए। बिना किसी आरोप या पूर्वधारणा के बातचीत करने की कोशिश करें।

एक-दूसरे की बातों को सुनें:

केवल अपनी बात कहने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता। यह जरूरी है कि आप एक-दूसरे की भावनाओं को समझने की कोशिश करें और उनकी बातों को गंभीरता से सुनें।

विश्वास की पुनर्स्थापना करें:

यदि विश्वास में कमी आ गई है, तो उसे पुनः स्थापित करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए आपको एक-दूसरे के प्रति ईमानदारी और समझदारी दिखानी होगी।

तीसरे व्यक्ति से दूरी बनाएं: 

यदि संभव हो तो उस तीसरे व्यक्ति से दूरी बनाना बेहतर रहेगा जो आपके रिश्ते में दरार पैदा कर रहा है। कभी-कभी दूरी ही सबसे अच्छा उपाय होता है।

पेशेवर मदद लें:

यदि समस्या ज्यादा गहरी हो और आप दोनों इसे अपने स्तर पर सुलझाने में असमर्थ हों, तो किसी पेशेवर सलाहकार, जैसे कि मैरिज काउंसलर, से संपर्क करना समझदारी हो सकती है।

अपनी प्राथमिकताओं पर विचार करें:

अपने रिश्ते की प्राथमिकता को समझें और उसे प्राथमिकता दें। यह सोचें कि आप दोनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है—आपका रिश्ता या वह तीसरा व्यक्ति।

धैर्य और समय दें:

समस्याओं का समाधान एक दिन में नहीं हो सकता। अपने रिश्ते को सुधारने के लिए धैर्य रखें और एक-दूसरे को समय दें।

अगर इन सभी प्रयासों के बावजूद भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है, तो अंतिम निर्णय लेने से पहले अपने दिल और दिमाग से विचार करें कि आपके लिए सबसे अच्छा क्या होगा।

स्मरण रखें कि विवाह एक महत्वपूर्ण और पवित्र बंधन है, और इसे बचाने के लिए दोनों पक्षों का प्रयास आवश्यक है।

अगर शादी का रिश्ता बोझ बनता जा रहा है एक दूसरे में अब नहीं रही दिलचस्पी तो अपनाएं ये बाते जिनको अपना कर आप अपना रिश्ता बचा सकते हैं।


कहते है कुछ रिश्ते आसमान में बनते है और हमे वो जमीन में मिलते हैं,जी हां हम बात कर रहे है शादी के रिश्ते की। शादी का रिश्ता प्यार ,विश्वास ,हमदर्दी सबसे अनोखा रिश्ता हैं। इस रिश्ते में इंसान अगर प्यार से रहे तो जिंदगी कितनी भी कठिन क्यों ना हो आराम से निकल जाती हैं।

दुनियाभर में पति पत्नि के रिश्ते को पवित्र रिश्तों में से एक रिश्ता माना जाता है। लेकिन कई बार यह भी सामने आया है कि, छोटी-छोटी बातों को लेकर अक्सर प्यार में कड़वाहट पैदा होने लगती है, जो समय के साथ एक विकराल रूप ले लेती है। यहां तक की कई बार तो रिश्ते तूटने की नौबत आ जाती है और कई बार रिश्ते तूट भी जाते हैं।

लेकिन, आमतौर पर देखा गया है कि जब कपल्स नए-नए होते हैं तब वह एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं, लेकिन जब उनकी शादी को समय बीत जाता है तो समय के साथ-साथ धीरे-धीरे रिश्ते कमजोर होने लगते हैं। कई मामलों में तो यह दोनो एक दूसरे को खुद पर बोझ समझने लगते हैं।

ऐसे हालात में शादी होने के बाद पार्टनर्स को कई छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। अगर दोनो ही कुछ छोटी ज़रूर पर इन खास बातों का ध्यान रखते हैं तो हमेशा इनके रिश्ते मज़बूत बने रहते हैं। आज हम आपको वेवाहिक जीवन में खुशहाली बनाए रखने के लिए जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताएंगे। इससे आपका जीवन सुख और प्यार के साथ गुज़रेगा और आपका रिश्ता समय के साथ मज़बूत होता जाएगा। आइए जानते हैं उन खास बातों के बारे में।

पुरानी यादों को दोहराएं

जब व्यक्ति का रिश्ता बिगड़ जाता है तो अक्सर पुरानी यादें याद आने लगती है और पति-पत्नी अपने पुराने समय को याद करते हुए यह सोचने लगते हैं कि पहले के मुकाबले प्यार कम हो गया है जिसको सोच-सोचकर मन दुखी होता है और मन में ख्याल आता है कि आप पूरी तरह बदल चुके हैं इन्हीं सब कारणों से जब भी आपका साथी आपसे नाराज होता है तो आपको कुछ पुरानी यादों को दोहराना चाहिए इससे आपके साथी का मूड ठीक हो जाएगा।

पार्टनर की तारीफ जरूर करें

अगर आप किसी की तारीफ करते हैं तो वह चाहे कितना भी परेशान क्यों ना हो उसकी सारी परेशानी खत्म हो जाएगी इसलिए तारीफ को एक दवा माना गया है अगर कोई काम करता है तो उसको इस बात की आशा होती है कि उसको तारीफ मिले जब कपल्स की नई नई शादी होती है तो वह एक दूसरे को समझ रहे होते हैं तब वह एक दूसरे की खूब तारीफ के पुल बांधते हैं परंतु जैसे-जैसे समय बीतता जाता है वैसे-वैसे इन सभी बातों को यह ज्यादा अहमियत नहीं देते हैं इसलिए अगर आपको कभी भी अवसर मिले तो एक दूसरे की तारीफ जरूर करें और एक दूसरे के छोटे मोटे कामों में सहायता करें।

हंसी मजाक को बातचीत में शामिल रखें

ज्यादातर कपल्स को देखा गया है कि जब कोई जरूरी काम होता है तभी वह एक दूसरे से बातें करते हैं इसके अलावा और कोई खास बातचीत नहीं करते हैं परंतु इसकी वजह से रिश्तो में बोरियत उत्पन्न होने लगती है रिश्तो में एक दूसरे के ऊपर विश्वास रखना और एक दूसरे से बातचीत करना बहुत ही जरूरी है इसलिए अगर आपको मौका मिलता है तो अपने पार्टनर से हंसी मजाक जरूर करें।

हर बात सीरियस ना लें

वैसे देखा जाए तो हर घर में कोई ना कोई परेशानी जरूर होती है चाहे वह आर्थिक परेशानी हो या पारिवारिक परेशानी जिसकी वजह से मूड खराब रहता है और स्वभाव में चिड़चिड़ापन और गुस्सा रहता है अगर ऐसी स्थिति में आपका पार्टनर कुछ बोल दे तो आपको बुरा नहीं मानना चाहिए इन सभी बातों का कोई मतलब नहीं होता है गुस्से में कही गई बात ज्यादातर लोग अपने पार्टनर से कहना नहीं चाहते हैं परंतु दिमागी परेशानी की वजह से बातें मुंह से निकल जाती है इसलिए ऐसी बातों को आप कभी भी सीरियसली मत लीजिए।

सरप्राइज़ प्लॉन करें

इंसान की खुशी तब दुगनी हो जाती है जब अचानक से उसको कोई सरप्राइज़ मिलता है इसलिए अगर आप अपना रिश्ता मजबूत रखना चाहते हैं तो कभी-कभी आपको सरप्राइज़ प्लान करना चाहिए जैसे कि आप ऑफिस से जल्दी आकर डिनर पर ले जाएं या शादी की सालगिरह पर कोई ज्वेलरी गिफ्ट कर दे।

बगलादेश में भी सैनिक शासन की शुरूआत आर्मी चीफ जनरल वकार उज जमान ने संभाली कमान। शेख हसीना ने छोड़ा देश


ढाका : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है और अब अंतरिम सरकार कार्यभार संभालेगी। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने सोमवार को यहां यह घोषणा की। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब पिछले दो दिनों में हसीना की सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के देश छोड़कर चले जाने की खबरों के बीच सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान ने टेलीविजन पर दिए गए अपने संबोधन में कहा कि मैं देश की सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं। अराजकता और हिंसा से दूर रहें। हम जल्द ही बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनाएंगे। कृपया सहयोग करें।

बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद यदि आर्मी रुल लगता है तो आर्मी चीफ के पास पूरे देश की कमान होगी। वर्तमान में कार उज जमान बांग्लादेश के आर्मी चीफ हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें...

संभाला सेना प्रमुख का पदभार

लेफ्टिनेंट जनरल वकार उज जमान को हाल ही में प्रमोट कर आर्मी जनरल नियुक्त किया गया। 58 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल वकार को 11 जून 2024 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के लिए सिलेक्ट किया गया और 23 जून 2024 को उन्होंने तीन साल की अवधि के लिए सेना प्रमुख का पदभार संभाला।

पूर्व सेना प्रमुख की बेटी से की शादी

1966 में ढाका में जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल वकार उज जमान की शादी जनरल मुहम्मद मुस्तफिज़ुर रहमान की बेटी साराहनाज कमालिका जमान से हुई, जो 1997 से 2000 तक सेना प्रमुख रहे।

लंदन से की पढ़ाई

बांग्लादेश सेना की वेबसाइट के अनुसार, जमान के पास बांग्लादेश के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में मास्टर डिग्री और किंग्स कॉलेज लंदन से रक्षा अध्ययन में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री है।

कई अभियानों में निभाई भूमिका

सेना प्रमुख बनने से पहले उन्होंने छह महीने से थोड़े अधिक समय तक चीफ ऑफ जनरल स्टाफ के रूप में कार्य किया। उन्होंने सैन्य अभियानों और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट

रविवार को पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में 200 से अधिक लोग मारे गए। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सोमवार को बांग्लादेश में हुए घटनाक्रम के मद्देनजर 4096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपनी सभी यूनिट को हाई अलर्ट जारी किया।

सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा

अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ के कार्यवाहक महानिदेशक (डीजी) दलजीत सिंह चौधरी और अन्य वरिष्ठ कमांडर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए कोलकाता पहुंच गए हैं। महानिदेशक ने उत्तर 24 परगना जिला और सुंदरबन इलाके में तैयारियों की समीक्षा की।

पीले पड़ गए दांतो में चमक लाने के लिए अपनाए ये घरेलू उपाय


दांतों का पीलापन एक सामान्य समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है, जैसे खराब मौखिक स्वच्छता, तंबाकू का सेवन, अत्यधिक चाय या कॉफी का सेवन, या कुछ खाद्य पदार्थों का नियमित रूप से सेवन। पीले दांत न केवल आपकी मुस्कान को कम आकर्षक बनाते हैं बल्कि आपकी आत्मविश्वास को भी प्रभावित कर सकते हैं। यहां कुछ घरेलू उपाय दिए गए हैं जो आपके दांतों को सफेद और चमकदार बना सकते हैं:

1. बेकिंग सोडा और नींबू का रस

बेकिंग सोडा में प्राकृतिक सफेदी गुण होते हैं और नींबू का रस एसिडिक होने के कारण दांतों के दाग हटाने में मदद करता है।

उपयोग की विधि:

एक चम्मच बेकिंग सोडा लें।

उसमें कुछ बूंदें नींबू का रस मिलाएं।

इस मिश्रण को अपने टूथब्रश पर लगाएं और दांतों पर ब्रश करें।

2-3 मिनट तक ब्रश करने के बाद अच्छी तरह कुल्ला करें।

इसे सप्ताह में 2-3 बार करें।

2. नारियल तेल से कुल्ला (ऑयल पुलिंग)

नारियल तेल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुंह की स्वच्छता को बनाए रखने में मदद करते हैं और दांतों को सफेद करते हैं।

उपयोग की विधि:

एक चम्मच नारियल तेल लें।

इसे मुंह में डालें और 10-15 मिनट तक मुंह में घुमाएं।

बाद में तेल को थूक दें और मुंह को गर्म पानी से धो लें।

इसे रोजाना सुबह करें।

3. स्ट्रॉबेरी और बेकिंग सोडा

स्ट्रॉबेरी में मौजूद मैलिक एसिड दांतों के दाग हटाने में मदद करता है और बेकिंग सोडा सफेदी लाता है।

उपयोग की विधि:

एक या दो स्ट्रॉबेरी को मैश करें।

इसमें आधा चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं।

इस मिश्रण को अपने दांतों पर लगाएं और 5 मिनट तक छोड़ दें

फिर सामान्य तरीके से ब्रश करें और कुल्ला करें।

इसे सप्ताह में एक बार करें।

4. नमक और सरसों का तेल

नमक में प्राकृतिक सफेदी गुण होते हैं और सरसों का तेल मसूड़ों को मजबूत बनाता है।

उपयोग की विधि:

आधा चम्मच नमक लें।

इसमें कुछ बूंदें सरसों का तेल मिलाएं।

इस मिश्रण को दांतों पर मलें और 2-3 मिनट तक मसाज करें।

फिर गर्म पानी से कुल्ला करें।इसे सप्ताह में 2-3 बार करें।

5. संतरे का छिलका

संतरे के छिलके में विटामिन सी होता है, जो दांतों के दाग हटाने में मदद करता है।

उपयोग की विधि:

संतरे के ताजे छिलके का अंदरूनी भाग (सफेद हिस्सा) लें।

इसे दांतों पर रगड़ें।

कुछ मिनट तक रगड़ने के बाद पानी से कुल्ला करें।

इसे रोजाना रात में करें।

निष्कर्ष

ऊपर बताए गए घरेलू उपाय न केवल आपके दांतों को सफेद और चमकदार बनाएंगे बल्कि आपकी मौखिक स्वच्छता को भी बेहतर बनाएंगे। हालांकि, अगर समस्या बनी रहती है या गंभीर है, तो डेंटिस्ट से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। नियमित ब्रशिंग और फ्लॉसिंग के साथ इन उपायों को अपनाएं और मुस्कुराहट को हमेशा चमकदार बनाए रखें।

मित्रता दिवस पर जानें कृष्ण-सुदमा की सच्ची मित्रता की कहानी,"जब भी मित्रता की बात हो तब कृष्ण और सुदामा की मित्रता की मिशाल दी जाती है"


मित्रता दिवस एक ऐसा अवसर है जब हम अपने दोस्तों की अहमियत को पहचानते हैं और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इस अवसर पर कृष्ण और सुदामा की सच्ची मित्रता की कहानी हमें मित्रता के महत्व और उसकी पवित्रता को समझने का एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करती है।

प्रारंभिक जीवन और मित्रता

कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रारंभ उनके गुरुकुल के दिनों से होता है। कृष्ण, जो द्वारका के राजा बने, और सुदामा, जो एक गरीब ब्राह्मण थे, दोनों ही अपने गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। उन दिनों में दोनों ने एक-दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा किए और गहरी मित्रता का बंधन बनाया। उनकी मित्रता धन, प्रतिष्ठा या सामाजिक स्थिति से परे थी और पूर्णतः सच्चाई, प्रेम और समर्पण पर आधारित थी।

सुदामा का संघर्ष

सुदामा का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। उनके पास रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी पर्याप्त साधन नहीं थे। आर्थिक तंगी के बावजूद सुदामा ने अपनी संतुष्टि को बनाए रखा और अपने मित्र कृष्ण के प्रति उनकी मित्रता में कोई कमी नहीं आई। उनकी पत्नी ने एक दिन उनसे आग्रह किया कि वे कृष्ण से सहायता मांगें, जो अब एक समृद्ध राजा थे।

कृष्ण से मिलन

सुदामा अपने पुराने मित्र से मिलने द्वारका पहुंचे। उन्होंने कृष्ण के लिए थोड़े से चावल लेकर गए, जो उनके पास देने के लिए सबसे मूल्यवान वस्तु थी। जब कृष्ण ने अपने मित्र को देखा, तो वे बहुत प्रसन्न हुए और सुदामा का स्वागत अत्यधिक आदर और प्रेम के साथ किया। कृष्ण ने सुदामा के लाए चावल को बड़े प्रेम से ग्रहण किया, जिससे उनकी सच्ची मित्रता की गहराई और पवित्रता प्रकट होती है।

कृष्ण का उपहार

सुदामा ने कृष्ण से अपनी आर्थिक स्थिति का जिक्र नहीं किया, लेकिन कृष्ण उनकी कठिनाइयों से परिचित थे। जब सुदामा अपने घर वापस लौटे, तो उन्होंने देखा कि उनकी झोपड़ी एक सुंदर महल में बदल गई थी और उनके पास सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध थे। यह कृष्ण का सुदामा के प्रति सच्चे प्रेम और मित्रता का प्रतीक था।

निष्कर्ष

कृष्ण और सुदामा की मित्रता की यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची मित्रता धन, प्रतिष्ठा या सामाजिक स्थिति से परे होती है। यह प्रेम, सम्मान और निस्वार्थता पर आधारित होती है। मित्रता दिवस पर हमें इस कहानी से प्रेरणा लेकर अपने दोस्तों के प्रति प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी मित्रता भी सच्चाई और समर्पण पर आधारित हो।

बच्चो को अगर सक्सेसफुल बनना है तो पढ़ाई के साथ-साथ इन बातों पर भी ध्यान दें,आइए जानते है विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए पेरेंटिंग टिप्स


बच्चों को सफल बनाने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी ध्यान देना आवश्यक है। यहां कुछ विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए पेरेंटिंग टिप्स दिए गए हैं:

1. सकारात्मक माहौल बनाएँ:

बच्चों के लिए एक सकारात्मक और सहयोगी माहौल तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण है। घर का वातावरण शांत और उत्साहवर्धक होना चाहिए।

2. समय प्रबंधन सिखाएँ:

बच्चों को समय प्रबंधन के महत्व को समझाना चाहिए। उन्हें सिखाएँ कि कैसे अपने समय को सही तरीके से विभाजित करके पढ़ाई, खेल और आराम के लिए समय निकालें।

3. स्वास्थ्य पर ध्यान दें:

बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें। उन्हें पौष्टिक आहार दें, नियमित व्यायाम के लिए प्रेरित करें, और पर्याप्त नींद सुनिश्चित करें।

4. सकारात्मक प्रोत्साहन:

बच्चों की मेहनत और सफलता की सराहना करें। उन्हें प्रोत्साहित करें और उनकी आत्मविश्वास को बढ़ावा दें।

5. स्वतंत्रता और जिम्मेदारी:

बच्चों को जिम्मेदारी उठाने और स्वतंत्र निर्णय लेने के अवसर दें। यह उनकी निर्णय लेने की क्षमता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा।

6. रुचियों का विकास:

बच्चों की विभिन्न रुचियों और शौकों को पहचानें और उन्हें प्रोत्साहित करें। इससे उनकी रचनात्मकता और सीखने की उत्सुकता बढ़ेगी।

7. मानसिक विकास:

बच्चों को मानसिक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करें। उन्हें समस्या समाधान, तर्कशक्ति और निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने में मदद करें।

8. अनुशासन:

बच्चों को अनुशासन का महत्व समझाएँ और उन्हें अनुशासित रहने के लिए प्रेरित करें। अनुशासन से वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होंगे।

9. मूल्यों और नैतिकता का महत्व:

बच्चों को सही और गलत के बीच अंतर करना सिखाएँ। उन्हें नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों का महत्व समझाएँ।

10. खुली बातचीत:

बच्चों के साथ नियमित रूप से बातचीत करें और उनके विचारों को सुनें। उन्हें अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का मौका दें।

इन टिप्स को अपनाकर आप अपने बच्चों को न केवल शैक्षिक रूप से बल्कि संपूर्ण जीवन में सफल बना सकते हैं। सही दिशा-निर्देशन और समर्थन के साथ, बच्चे आत्मविश्वास और कौशल से भरपूर होकर जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।

घूमने के लिए बेस्ट है सोनीपत की ये जगह,दोस्तो के संग इन जगहों पर करे विजिट


सोनीपत, हरियाणा का एक ऐतिहासिक शहर है जो दिल्ली के पास स्थित है। यहां की कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल आपके और आपके दोस्तों के लिए एक बेहतरीन अनुभव प्रदान कर सकते हैं। आइए जानते हैं सोनीपत की कुछ बेहतरीन जगहों के बारे में:

1. मुरथल के ढाबे

मुरथल, सोनीपत के पास स्थित एक छोटा सा गांव है जो अपने ढाबों के लिए प्रसिद्ध है। यहां आप और आपके दोस्त लजीज पंजाबी खाना और पराठे का आनंद ले सकते हैं। सुरीले गाने, देसी माहौल और बढ़िया खाना यहां की पहचान हैं।

2. मोतीलाल नेहरू खेल स्कूल, राई

अगर आप और आपके दोस्त खेल के शौकीन हैं तो मोतीलाल नेहरू खेल स्कूल, राई एक शानदार जगह है। यहां विभिन्न खेलों की सुविधाएं मौजूद हैं और यह हरियाणा का एक प्रमुख खेल संस्थान है।

3. तुम्बा किला

तुम्बा किला एक ऐतिहासिक किला है जो सोनीपत के पास स्थित है। यह किला ऐतिहासिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां की वास्तुकला और इतिहास आपको और आपके दोस्तों को प्रभावित करेगी।

4. भिंडवास झील और वन्यजीव अभयारण्य

भिंडवास झील और वन्यजीव अभयारण्य एक अद्भुत जगह है जो प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। यहां आप और आपके दोस्त बर्ड वॉचिंग का आनंद ले सकते हैं और विभिन्न प्रकार के पक्षियों और वन्यजीवों को देख सकते हैं।

5. सोनीपत का पुराना बाजार

सोनीपत का पुराना बाजार एक अच्छी जगह है जहां आप और आपके दोस्त शॉपिंग कर सकते हैं। यहां आपको विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प, कपड़े और आभूषण मिलेंगे जो सोनीपत की विशेषता हैं।

6. कुम्हारो का चौक

कुम्हारो का चौक सोनीपत का एक और प्रसिद्ध स्थान है जहां आप मिट्टी के बर्तन और हस्तशिल्प खरीद सकते हैं। यहां का माहौल और कलात्मकता आपको और आपके दोस्तों को पसंद आएगी।

निष्कर्ष

सोनीपत में दोस्तों के संग घूमने के लिए कई बेहतरीन जगहें हैं। चाहे आप इतिहास प्रेमी हों, प्रकृति प्रेमी हों या फिर खाने के शौकीन, सोनीपत में आपके लिए सब कुछ है। इन जगहों पर विजिट करके आप अपने दोस्तों के साथ यादगार पल बिता सकते हैं।

घरेलू जानवर के साथ रहने वाले लोग स्ट्रेस और डिप्रेशन से रहते हैं दूर,तनाव और डिप्रेशन से मुक्ति की राह हैं पेट एनिमल


 

हमारे व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में, मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। तनाव और डिप्रेशन से जूझ रहे लोग विभिन्न उपाय अपनाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि घरेलू जानवरों के साथ रहना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए कितना लाभकारी हो सकता है? कई अध्ययन और शोध इस बात की पुष्टि करते हैं कि पालतू जानवर हमारे जीवन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकते हैं।

तनाव कम करने में सहायक

घरेलू जानवर, जैसे कि कुत्ते और बिल्लियां, तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। उनके साथ खेलने, समय बिताने और उन्हें प्यार करने से हमारे शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन का स्राव होता है, जो तनाव को कम करता है। उनके साथ बिताया गया समय एक प्राकृतिक और प्रभावी तरीका है अपने मन को शांत रखने का।

डिप्रेशन से राहत

डिप्रेशन के समय, व्यक्ति अक्सर अकेलापन और निराशा महसूस करता है। ऐसे समय में पालतू जानवर आपके सबसे अच्छे साथी साबित हो सकते हैं। उनकी मासूमियत और बिना शर्त का प्यार आपको खुशी और सुकून का अनुभव कराता है। पालतू जानवरों के साथ समय बिताने से सेरोटोनिन और डोपामिन हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो डिप्रेशन के लक्षणों को कम करता है।

शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

पालतू जानवरों के साथ नियमित टहलना और खेलना न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। यह नियमित व्यायाम का एक अच्छा स्रोत है, जो आपके दिल की सेहत को बेहतर बनाता है और रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।

सामाजिक संबंधों में सुधार

पालतू जानवरों के साथ समय बिताने से आप समाजिक रूप से अधिक सक्रिय हो सकते हैं। उन्हें पार्क में घुमाने ले जाना, अन्य पालतू प्रेमियों से मिलना और उनके साथ बातचीत करना आपके सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है।

जिम्मेदारी की भावना

पालतू जानवरों की देखभाल करने से व्यक्ति में जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है। यह भावना जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी सहायक होती है, जिससे व्यक्ति अधिक संगठित और अनुशासित बनता है।

लंबा जीवन

अध्ययनों से यह भी पता चला है कि पालतू जानवरों के साथ रहने वाले लोग अधिक लंबा जीवन जीते हैं। उनके साथ बिताया गया समय खुशी और संतोष का स्रोत बनता है, जो जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

निष्कर्ष

पालतू जानवरों के साथ रहना एक संतुलित और खुशहाल जीवन की कुंजी हो सकता है। उनकी मौजूदगी हमारे जीवन को खुशहाल और तनावमुक्त बनाती है। इसलिए, अगर आप तनाव और डिप्रेशन से जूझ रहे हैं, तो एक प्यारे पालतू जानवर को अपनाने पर विचार करें। वे न केवल आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएंगे, बल्कि आपके जीवन में भी खुशियों का संचार करेंगे।

राष्ट्रीय कवि मैथिलीशरण गुप्त की आज 138 वीं जयंती,आइए जानते है उनके साहित्यिक जीवन के बारे में


मैथिलीशरण गुप्त भारतीय साहित्य के एक प्रमुख कवि और लेखक थे, जिन्हें "राष्ट्रकवि" की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म 3 अगस्त 1886 को उत्तर प्रदेश के चिरगांव में हुआ था। उनकी 138वीं जयंती के अवसर पर, हम उनके साहित्यिक जीवन पर एक नज़र डालते हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म एक संपन्न और सुसंस्कृत परिवार में हुआ था। उनके पिता, सेठ रामचरण गुप्त, एक सम्मानित व्यापारी थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद, मैथिलीशरण गुप्त ने स्वाध्याय के माध्यम से संस्कृत, हिंदी, बांग्ला और अंग्रेजी का अध्ययन किया।

साहित्यिक करियर

मैथिलीशरण गुप्त ने अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत बाल्यावस्था में ही कर दी थी। उनकी पहली कविता "रंग में भंग" 1904 में प्रकाशित हुई। इसके बाद उन्होंने "भारत-भारती" (1912) नामक काव्य रचना की, जो उन्हें राष्ट्रीय ख्याति दिलाने में महत्वपूर्ण साबित हुई। इस काव्य में उन्होंने भारतीय संस्कृति, परंपरा, और स्वतंत्रता संग्राम की भावनाओं को उजागर किया।

प्रमुख रचनाएँ

मैथिलीशरण गुप्त की साहित्यिक यात्रा में अनेक महत्वपूर्ण कृतियों का योगदान रहा। उनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:

साकेत: इस महाकाव्य में उन्होंने रामायण के लक्ष्मण और उर्मिला के दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया है।

पंचवटी: इसमें रामायण के पात्रों की मनोवैज्ञानिक विश्लेषण को दर्शाया गया है।

जयद्रथ वध:

 यह महाभारत के एक प्रमुख घटना पर आधारित है।

द्वापर: इसमें कृष्ण के जीवन और महाभारत की कथा को चित्रित किया गया है।

साहित्यिक शैली

मैथिलीशरण गुप्त की काव्य शैली सरल, सुगम और सुबोध थी। उनकी भाषा में एक विशेष प्रकार की प्रवाहमयता और सौंदर्य था, जो पाठकों को आकर्षित करता है। उन्होंने अपने काव्यों में देशभक्ति, समाज सुधार और मानवता की भावनाओं को प्रमुखता दी।

सम्मान और पुरस्कार

मैथिलीशरण गुप्त को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। इसके अलावा, उन्हें "राष्ट्रकवि" की उपाधि भी मिली, जो उनकी देशभक्ति और साहित्यिक योगदान को स्वीकार करने का प्रतीक है।

उपसंहार

मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक जीवन भारतीय साहित्य के लिए एक अमूल्य धरोहर है। उनकी काव्य रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि समाज को प्रेरणा देने वाली भी हैं। उनकी 138वीं जयंती के अवसर पर, हमें उनके साहित्यिक योगदान को याद करते हुए उनके आदर्शों को आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए।