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बांग्लादेश हिंसा में 93 लोगों की मौत, कर्फ्यू की घोषणा,केंद्र ने भारतीयों को भी किया अलर्ट; हेल्पलाइन नंबर जारी

ढाका:- बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है।बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों के बीच रविवार को हुई झड़प में कम से कम ,93 लोगों की मौत हो गई और 30 अन्य घायल हुए हैं। 

भारत ने बांग्लादेश में रह रहे अपने नागरिकों से संपर्क में रहने और सतर्क रहने को कहा है। इसके साथ ही छात्रों सहित सभी भारतीयों को आपातकालीन स्थिति में हेल्पलाइन नंबर +88-01313076402 पर संपर्क करने की सलाह दी गई है।

दोनों पक्षों के बीच हुई झड़प

सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी एक ‘असहयोग कार्यक्रम’ में भाग लेने पहुंचे। अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया और फिर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई।

समाचार पत्र ‘ढाका ट्रिब्यून’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि प्रदर्शनकारियों और अवामी लीग के समर्थकों के बीच मुंशीगंज में हुई झड़प में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और 30 अन्य घायल हुए हैं। खबर में हालांकि, मृतकों की पहचान का खुलासा नहीं किया गया है।

प्रदर्शनकारियों ने की PM शेख हसीना के इस्तीफे की मांग

समाचार पोर्टल ‘बीडीन्यूज24’ की एक खबर के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की और आरक्षण में सुधार को लेकर हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाए। प्रदर्शनकारी असहयोग आंदोलन के पहले दिन राजधानी के साइंस लैब चौराहे पर भी एकत्र हुए और उन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाए।

'तोड़फोड़ करने वाले लोग छात्र नहीं, बल्कि आतंकवादी'

बांग्लादेश के कई हिस्सों में फिर से हिंसा भड़कने के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को कहा कि विरोध के नाम पर तोड़फोड़ करने वाले लोग छात्र नहीं, बल्कि आतंकवादी हैं और ऐसे तत्वों से कड़ाई से निपटने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं देशवासियों से इन आतंकवादियों का सख्ती से दमन करने की अपील करती हूं। 

बैठक में सेना, नौसेना, वायु सेना, पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी), बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के प्रमुख और अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारी शामिल हुए। बैठक में प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार और गृह मंत्री भी मौजूद थे।

200 से अधिक लोगों के मौत के बाद भड़की हिंसा

फिर से हिंसा पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में 200 से अधिक लोगों के मारे जाने के कुछ दिनों बाद भड़की है। ये प्रदर्शनकारी विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के योद्धाओं के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था।

तिरुमाला एक्सप्रेस के चार डिब्बों में लगी आग,विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर भीषण हादसा


विशाखापत्तनम:- आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर एक बड़ा रेल हादसा होते होते बचा। तिरुमाला एक्सप्रेस की चार बोगियों में आग आग लगने की घटना सामने आई है। हालांकि, ट्रेन का डिब्बे खाली थे।समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, ट्रेन में आग लगने की सूचना मिलते ही इसे तुरंत बुझा दिया गया। 

घटना सुबह करीब 10 बजे हुई। के पुलिस आयुक्त शंका ब्रत बागची ने बताया कि सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर विजाग रेलवे स्टेशन पर खड़ी तिरुमाला एक्सप्रेस की चार बोगियों में आग लग गई।सौभाग्य से, उस समय उन बोगियों में कोई यात्री नहीं था। इसलिए किसी की जान नहीं गई और कोई घायल नहीं हुआ।

आग लगने का कारण साफ नहीं 

स्थानीय अग्निशमन सेवा अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की और ट्रेन में लगी आग को बुझा दिया। अधिकारी ने कहा कि हम एफआईआर दर्ज करा रहे हैं। आग लगने के पीछे का कारण जानने के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों को बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे शॉर्ट सर्किट या कोई और कारण हो सकता है।घटनास्थल से फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने और फोरेंसिक साक्ष्यों की जांच करने के बाद ही दुर्घटना के पीछे के वास्तविक कारण का पता चल पाएगा।

रखरखाव के लिए कोचिंग डिपो जाने थे ये डिब्बे

वाल्टेयर डिवीजन के डीआरएम सौरभ प्रसाद ने बताया कि इन खाली डिब्बों को रखरखाव के लिए कोचिंग डिपो जाना था। इसे यहां प्लेटफॉर्म पर रखा गया था और सुबह 9 बजे के करीब प्लेटफॉर्म पर गश्त कर रहे आरपीएफ कर्मचारियों ने थोड़ा धुआं देखा। उन्होंने तुरंत फायर ब्रिगेड और स्टेशन पर मौजूद कर्मचारियों को सूचित किया।

वे भी आग बुझाने के लिए अतिरिक्त बल के रूप में आए। इसके बाद सुबह 11 बजे आग बुझा दी गई। प्रोटोकॉल के अनुसार दो बगल के कोचों को छोड़कर, बाकी रेक को तुरंत कोचिंग डिपो में ले जाया गया। 

Waqf Board: केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम में बदलाव करने की तैयारी में,बोर्ड की शक्तियां पर लगेगी अंकुश और महिलाओं के बढ़ेंगे अधिकार


 नई दिल्ली:- केंद्र सरकार की और से वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में किए जाएंगे बदलाव। केंद्र सरकार जल्द ही वक्फ अधिनियम में कई बड़े बदलाव कर सकती है। सरकार इसके लिए संसद में अगले हफ्ते एक विधेयक ला सकती है, जिसमें कई संशोधन हो सकते हैं। इसके तहत वक्फ बोर्ड की शक्तियों को कम किया जा सकता है।

महिलाओं को मिलेंगे हक

समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, इस विधेयक के तहत किसी भी संपत्ति को अपनी संपत्ति कहने की इसकी 'अनियंत्रित' शक्तियों में कटौती हो सकती है और महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित हो सकता है।

40 संशोधनों को कैबिनेट की मंजूरी

एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, विधेयक में वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधन प्रस्तावित किए जाने की संभावना है। सूत्रों ने यह भी कहा कि विधेयक को शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, विधेयक में अधिनियम की कुछ धाराओं को निरस्त करने का प्रस्ताव है, जिसका मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्डों के पास मौजूद मनमानी शक्तियों को कम करना है। 

विधेयक में इन बातों पर ध्यान

इस कानून के जरिए केंद्र सरकार बोर्ड की निरंकुशता को खत्म करना चाहता है। 

विधेयक के जरिए बोर्ड में अधिक पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य सत्यापन शामिल है। महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए वक्फ बोर्डों की संरचना और कार्यप्रणाली में बदलाव करने के लिए धारा 9 और धारा 14 में संशोधन हो सकता है।

विवादों को सुलझाने के लिए वक्फ बोर्डों द्वारा दावा की गई संपत्तियों का नए सिरे से सत्यापन किया जाएगा।

वक्फ संपत्तियों की निगरानी में मजिस्ट्रेट शामिल हो सकते हैं। 

मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने ही की बदलाव की मांग

सूत्रों के अनुसार, मौजूदा कानूनों को बदलने की मांग मुस्लिम बुद्धिजीवियों, महिलाओं और शिया और बोहरा जैसे विभिन्न संप्रदायों की ओर से आई है। देश भर में वक्फ बोर्डों के तहत लगभग 8 लाख 70 हजार संपत्तियां हैं और इन संपत्तियों के अंतर्गत कुल भूमि लगभग 9 लाख 40 हजार एकड़ है। 

1995 में लागू हुआ एक्ट

वक्फ अधिनियम 1995 में लागू किया गया था और यह वाकिफ द्वारा वक्फ के रूप में दान की गई और अधिसूचित संपत्तियों को नियंत्रित करता है।  

वक्फ बोर्ड कई बार ऐसे दावे करता है, जिससे विवाद होता है। उदाहरण के लिए सितंबर 2022 में तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने पूरे थिरुचेंदुरई गांव पर अपना हक होना का दावा किया, जहां सदियों से बहुसंख्यक हिंदू आबादी रहती थी। 

दिल्ली:शोध में हुए चौंकाने वाले खुलासे:अब पृथ्वी पर एक दिन 24 की जगह 25 घंटों का होगा ! दूर जा रहा है चांद


नई दिल्ली:- जहां अभी एक दिन का मतलब 24 घंटे था वहीं अब यह एक घंटे बढ़ कर 25 घंटों का एक दिन होने वाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब पृथ्वी पर एक दिन का मतलब 25 घंटे हो सकता है, क्योंकि चंद्रमा लगातार हमसे दूर होता जा रहा है।

विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, चंद्रमा प्रति वर्ष लगभग 3.8 सेंटीमीटर की दर से पृथ्वी से दूर होता जा रहा है।

अध्ययन में बताया गया है कि चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 3.8 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की दर से दूर जा रहा है। जिसका हमारे ग्रह पर दिनों की लंबाई पर बहुत वास्तविक प्रभाव पड़ेगा। अंततः इसका परिणाम यह होगा कि 200 मिलियन वर्षों में पृथ्वी पर दिन 25 घंटे तक चलेगा। अध्ययन से पता चलता है कि 1.4 बिलियन वर्ष पहले, पृथ्वी पर एक दिन 18 घंटे से थोड़ा अधिक समय तक चलता था।

पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण बल

विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर स्टीफन मेयर्स का सुझाव है कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण संबंध इसका मुख्य कारण हो सकता है।

 मेयर्स ने कहा कि जैसे-जैसे चंद्रमा दूर होता जाता है, पृथ्वी एक घूमते हुए फिगर स्केटर की तरह होती है जो अपनी बाहें फैलाते ही धीमी हो जाती है।

प्रोफेसर ने आगे कहा कि वे समय बताने में सक्षम होने के लिए 'एस्ट्रोक्रोनोलॉजी' का उपयोग करने का लक्ष्य बना रहे हैं। मेयर ने कहा कि हम उन चट्टानों का अध्ययन करने में सक्षम होना चाहते हैं जो अरबों साल पुरानी हैं, जिस तरह से हम आधुनिक भूगर्भीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं।

चांद का पीछे हटना कोई नई बात नहीं

जबकि चंद्रमा के पीछे हटने का सिद्धांत मनुष्य को वर्षों से ज्ञात है। विस्कॉन्सिन अनुसंधान का उद्देश्य इस घटना के ऐतिहासिक और भूवैज्ञानिक संदर्भ में गहराई से जाना है। शोधकर्ता प्राचीन भूवैज्ञानिक संरचनाओं और तलछट परतों की जांच करके अरबों वर्षों में फैले पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली के इतिहास को ट्रैक करने में सक्षम हैं।

निष्कर्षों से पता चला है कि चंद्रमा की वर्तमान गति अपेक्षाकृत स्थिर रही है। हालांकि, विभिन्न कारकों के कारण भूगर्भीय समय-सीमाओं में इसमें उतार-चढ़ाव होता रहा है। पृथ्वी की घूमने की गति और महाद्वीपीय बहाव को प्रमुख कारणों के रूप में पहचाना गया है।

आज का इतिहास:आज ही के दिन भारत में एशिया का पहला न्यूक्लियर रिएक्टर हुआ था शुरू, जिसको नाम दिया गया ‘अप्सरा’


 नयी दिल्ली : देश दुनिया के इतिहास में 4 अगस्त की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है, लेकिन आज के दिन साल 1956 में कुछ ऐसा हुआ था। जिसने इतिहास रच दिया था, दरअसल, भारत का पहला परमाणु अनुसंधान रिएक्टर ‘अप्सरा’ 4 अगस्त 1956 को शुरू हुआ था।

जनवरी 1954 में होमी जहांगीर भाभा ने एटॉमिक एनर्जी इस्टैब्लिशमेंट ट्रॉम्बे (AEET) की स्थापना की थी। 

डॉ. भाभा भारत में एटॉमिक एनर्जी के क्षेत्र में रिसर्च को आगे बढ़ाना चाहते थे। जिसको लेकर एटॉमिक रिएक्टर की डिजाइनिंग और डेवलपमेंट पर काम कर रहे देशभर के तमाम इंजीनियर और वैज्ञानिकों को इस सेंटर में काम करने के लिए बुलाया गया।

वो दिन 15 मार्च 1955 था, जब भारत के पहले न्यूक्लियर रिसर्च रिएक्टर को बनाने का फैसला लिया गया। 

इस पूरे प्रोग्राम के हेड डॉ. भाभा थे। फैसला लिया गया कि ये रिएक्टर एक स्विमिंग पूल की तरह होगा और इसकी क्षमता 1 मेगावॉट थर्मल होगी।

भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के परिसर में ही रिसर्च रिएक्टर को बनाने का काम शुरू किया गया। 

एक बड़ी समस्या रिएक्टर के लिए न्यूक्लियर फ्यूल की सामने आ रही थी। जिसको लेकर ब्रिटेन से बात की गई। ब्रिटेन और भारत के बीच एक डील हुई जिसमें ये फैसला लिया गया कि रिएक्टर के लिए जरूरी यूरेनियम की आपूर्ति ब्रिटेन भारत को कराएगा।

देशभर के तमाम वैज्ञानिकों ने दिन-रात मेहनत कर केवल 15 महीने में रिएक्टर का काम पूरा कर लिया। साल 1956 में आज ही के दिन इस रिएक्टर को शुरू किया गया। ये भारत के साथ ही पूरे एशिया का पहला न्यूक्लियर रिएक्टर था।

रिएक्टर का नाम ‘अप्सरा’ रखा गया। जिसके बाद अगले कई दशकों तक रिएक्टर का उपयोग एटॉमिक एनर्जी से जुड़ी रिसर्च करने में किया गया।

महत्वपूर्ण घटनाएं:-

1522: मेवाड़ के शासक और महाराणा प्रताप के पिता राणा उदयसिंह का जन्म 4 अगस्त 1522 को हुआ था।

1730: भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध मराठा वीर सदाशिवराव भाऊ का जन्म 4 अगस्त 1730 को हुआ था।

1845: प्रसिद्व भारतीय वकील और सामाजिक कार्यकर्ता फिरोजशाह मेरवानजी मेहता का जन्म 4 अगस्त 1845 को हुआ था।

1915: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मन सेना ने 4 अगस्त 1915 को वारसॉ पर कब्जा किया था।

1924: भारतीय साहित्यकार इन्दु प्रकाश पांडे का जन्म 4 अगस्त 1924 को हुआ था।

1930: यूरोपीय देश बेल्जियम में 4 अगस्त 1930 को बाल मजदूर कानून बनाया गया था।

1931: भारतीय क्रिकेटर नरेन तमहाने का जन्म 4 अगस्त 1931 को हुआ था।

1937: भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार एवं पुरातत्त्व के अंतररष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान काशी प्रसाद जायसवाल का निधन 4 अगस्त 1937 को हुआ था।

1947: 4 अगस्त 1947 को जापान में सुप्रीम कोर्ट की स्‍थापना की गई था।

1956: भारत का पहला परमाणु अनुसंधान रिएक्टर ‘अप्सरा’4 अगस्त 1956 को शुरू हुआ था।

1967: विश्व के सबसे लम्बे नागार्जुन सागर बांध का निर्माण 4 अगस्त 1967 में हुआ था।

1967: अमरीका ने 4 अगस्त 1967 को नेवादा में परमाणु परीक्षण किया था।

2004: ‘नासा’ ने 4 अगस्त 2004 को एल्टिक्स सुपर कम्प्यूटर केसी को ‘कल्पना चावला’ का नाम दिया था।

2006: उड़ीसा की महिला मुख्यमंत्री तथा लेखिका नंदिनी सत्पथी का निधन 4 अगस्त 2006 को हुआ था।

2007: नासा ने 4 अगस्त 2007 में मंगल ग्रह की खोज के लिए फीनिक्स मार्स लैंडर नामक एक अमरीकी अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण किया था।

2008: सरकार ने 4 अगस्त 2008 को भारतीय जहाजरानी निगम (एससीआई) को नवरत्न का दर्जा प्रदान किया था।

सीआरपीएफ के विशेष महानिदेशक ओडिशा कैडर के आईपीएस अमृत मोहन प्रसाद बनाये गए


नई दिल्ली। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 1989 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी अमृत मोहन प्रसाद को सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के विशेष महानिदेशक के रूप में नियुक्ति के लिए गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने अमृत मोहन प्रसाद, आईपीएस (ओडी:89) को सीआरपीएफ के विशेष महानिदेशक के रूप में नियुक्त करने के गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।उन्हें पदभार ग्रहण करने की तिथि से 31.08.2025 तक अर्थात उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि तक या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, वेतन मैट्रिक्स के लेवल-16 में नियुक्त किया जाता है।

कैबिनेट ने 50 हजार करोड़ की हाई स्पीड रोड कॉरिडोर की 8 परियोजनाओं को दी मंजूरी


नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लॉजिस्टिक क्षमता और संपर्क सुविधा बढ़ाने के लिए शुक्रवार को 50,655 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली 936 किलोमीटर लंबी आठ राष्ट्रीय द्रुतगामी सड़क गलियारा परियोजनाओं को मंजूरी दी। 

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।

आज 108 वीं जयंती पर विशेष : 30 लाख हिंदुओं ने जिन 10 भजनों का चयन किया उनमें से 6 'शकील बदायुनी' ने लिखे हैं


नयी दिल्ली : शकील बदायूंनी ने हिंदुस्तानी सिनेमा को कई यादगार नग़मे दिए। बीबीसी ने पुरी दुनिया में रहने वाले 30 लाख हिंदुओं पर एक सर्वे कराया था कि हिंदुओं का सबसे प्रिय भजन कौन सा है ? इस सर्वे से जो परिणाम निकल कर सामने आया, वह करारा जबाब है उन धर्म के ठेकेदारों का जो हिन्दु मुस्लिम एकता के बीच दीवार खड़ी करते हैं ! 

30 लाख हिंदुओं ने जिन 10 भजनों का चयन किया उनमें से 6 'शकील बदायुनी' के लिखे हुए हैं, और 4 'साहिर लुधियानवी' के लिखे हुए हैं ! उन 10 के 10 भजनों में संगीत हैं 'नौशाद साहब' का ! उन सभी 10 भजनों को आवाज़ दिया हैं 'रफी साहब' ने ! ये 10 भजन 'महबूब अली खान' की फिल्मों में हैं, और इन 10 भजनों पर अभिनय किया हैं 'यूसुफ खान' उर्फ दिलीप कुमार ने !

यह जानकारी वर्तमान समय में जरुरी थी क्योंकि चुनावों में साम्प्रदायिकता कि आग लगाकर भाईचारे को रौंदती धार्मिक उन्माद की हवा जो लोग आज चला रहे हैं उन्हें यह जानना चाहिए कि धर्मनिरपेक्षता की भावना भारतीयों के नस-नस में रची बसी है।साम्प्रदायिकता की हवाओं के झोंको से उड़ाया नहीं जा सकता !

ज़रा गौर फरमाइये -

मन तडपत हरि दर्शन को आज

गीतकार : शक़ील बदायुंनी

गायक : मोहम्मद रफी

संगीतकार : नौशाद

फिल्म : बैजू बावरा (1952)

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इंसाफ का मंदिर है, ये भगवान का घर है

गायक -मोहम्मद रफी

संगीत : नौशाद

गीतकार : शकील बदायुंनी

फिल्म -अमर (1954)

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हे रोम रोम में बसने वाले राम

गीतकार : साहिर लुधियानवी

गायक : आशा भोसले, रफी

फिल्म : नीलकमल (1968)

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ओ पालनहारे निर्गुण और न्यारे

गीतकार - जावेद अख्तर

संगीतकार : ए. आर. रहमान 

फिल्म - लगान (2001)

जय रघुनन्दन जय सियाराम

गायक: मोहम्मद रफ़ी

गीतकार: शक़ील बदायुंनी

फिल्म -घराना (1961)

आना है तो आ राह में

गीतकार - साहिर लुधियानवी

संगीत - ओ पी नय्यर, खैयाम साहब

गायक - मोहम्मद रफ़ी

फिल्म - नया दौर (1957)

जान सके तो जान, तेरे मन में छुपे भगवान

गीतकार - जांनिसार अख्तर

संगीत - ओ पी नय्यर

गायक - मोहम्मद रफी

फिल्म - उस्ताद (1957)

संगीतकार जयदेव की 106 वीं जयंती आज :घर से भागकर हीरो बनने के लिए मुंबई गए थे जयदेव


नयी दिल्ली : साठ के दशक की बात है. मशहूर अभिनेता देव आनंद फिल्म- ‘हम दोनों’ बना रहे थे. इस फिल्म में उनके साथ नंदा, साधना शिवदासानी, लीला चिटनिस और ललिता पवार थे. अभिनेता देव आनंद और विजय आनंद ने इस फिल्म में संगीत बनाने का जिम्मा महान संगीतकार जयदेव को दिया था. 

आज उन्हीं दिग्गज संगीतकार जयदेव की सालगिरह है. देव आनंद अपनी फिल्मों के संगीत को लेकर बहुत मेहनत किया करते थे. गीत लिखने का जिम्मा साहिर लुधियानवी पर था. साहिर ने इस फिल्म के लिए एक से बढ़कर एक गीत लिखे.

‘अल्लाह तेरो नाम’ गाने के बनने की कहानी है दिलचस्प

‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, ‘अभी ना जाओ छोड़कर, ‘कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया’ जैसे सुपरहिट नगमें इस फिल्म में थे. जयदेव ने यूं तो तमाम फिल्मों में संगीत दिया, लेकिन इन गानों को अब तक कोई भूला नहीं है. इसी फिल्म के भजन अल्लाह तेरो नाम की कहानी बहुत दिलचस्प है.

अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम…, इस गाने के लिए देव आनंद और विजय आनंद ने तय किया कि इसे लता मंगेशकर ही गाएंगी. परेशानी ये थी कि उन दिनों लता मंगेशकर और फिल्म के संगीतकार जयदेव के बीच बातचीत बंद थी. इस फिल्म से पहले किसी बात पर जयदेव और लता जी में मतभेद हो गया था और लता मंगेशकर ने जयदेव के संगीतबद्ध गानों को गाने से मना कर दिया था. 

मुसीबत तब और बढ़ गई जब देव आनंद और विजय आनंद ने तय किया कि अगर इस गाने को लता जी से गवाने के लिए संगीतकार को बदलना पड़ा तो उससे भी वो चूकेंगे नहीं.

अपनी बात को लता मंगेशकर के साथ साझा करने के लिए वो दोनों लता मंगेशकर के घर पहुंच गए. दोनों भाइयों ने लगभग जिद करने जैसी हालत में लता जी को बता भी दिया कि अगर वो गाना नहीं गाएंगी तो वो संगीतकार को ही बदल देंगे. 

लता मंगेशकर के लिए बड़ी दुविधा का वक्त था. वो ये नहीं चाहती थीं कि छोटी सी बात पर हुए मतभेद के लिए जयदेव को फिल्म से हटा दिया जाए.

नतीजा, उन्होंने गाने के लिए हामी भर दी. इस गाने को तैयार करने के दौरान ही जयदेव और लता मंगेशकर में फिर से बातचीत शुरू हुई. इस गाने की लोकप्रियता के बारे में कुछ भी कहा जाए वो कम है. 

लता मंगेशकर ने अपने लगभग ज्यादातर स्टेज शो में इस गाने को गाया है. इस गाने की रिकॉर्डिंग के बाद जयदेव और लता मंगेशकर ने काफी फिल्मों में साथ काम किया.

घर से भागकर हीरो बनने के लिए मुंबई गए थे जयदेव

जयदेव से जुड़ा दिलचस्प किस्सा ये भी है कि जब वो करीब 15 साल के थे, तो वो पंजाब से भागकर बॉम्बे गए थे. उन्हें अभिनेता बनना था. उन्होंने बतौर बाल कलाकार कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया, लेकिन घर के आर्थिक हालात बिगड़ने पर उन्हें वापस लुधियाना लौटना पड़ा. 

40 के दशक में उन्होंने दिग्गज सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान से संगीत की बाकयदा तालीम ली थी. उन्होंने उस्ताद अली अकबर खान और एसडी बर्मन जैसे दिग्गज कलाकारों के सहायक के तौर पर भी काम किया.

फिल्म हम दोनों के अलावा रेशमा और शेरा, घरौंदा और गमन जैसी फिल्मों के संगीत के लिए भी उन्हें याद किया जाता है. 

अमिताभ बच्चन के पिता साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला का जो वर्जन हम लोगों ने मन्ना डे की आवाज में सुना है, उसका संगीत भी जयदेव का ही था.

आज का इतिहास:आज ही के दिन भारत की खोज करने निकला था कोलंबस, कांगों में हुआ था भीषण रेल हादसा


नयी दिल्ली : तीन अगस्त का दिन बहुत सी घटनाओं का चश्मदीद गवाह रहा है। समुद्र के रास्ते भारत की खोज पर निकले इटली के नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस ने आज ही दिन भारत की खोज पर निकले थे। इसके साथ ही आज ही दिन लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में एक ट्रेन दुर्घटना में 100 लोगों की मृत्यु हुई थी।

यह तो हम आप सभी जानते हैं कि इटली के नाबिक क्रिस्टोफर कोलंबस यूरोप से समुद्र मार्ग से भारत के रास्ते की खोज करने निकले थे, लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि उन्होंने अपनी यह यात्रा 1492 में तीन अगस्त के दिन ही शुरू की थी। इसके अलावा दुनिया को बेहतर बनाने के काम में जुटे लोगों के लिए भी आज का दिन महत्वपूर्ण है। 

दरअसल बाबा आम्टे को 1985 में आज के दिन ही जनसेवा के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार प्रदान किया गया था।

1108 : लुई षष्ठम फ्रांस का सम्राट बना।

1492 : यूरोपीय देश स्पेन से सभी यहूदियों को बाहर निकाला गया।

1492 : इटली का नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस तीन पोत के साथ भारत की खोज के लिए रवाना हुआ।

1678 : राबर्ट लासैले ने अमेरिका में पहले जहाज का निर्माण किया।

1780 : मेहर पोफम के तहत कैप्टन ब्रूस ने ग्वालियर पर कब्जा किया।

1886 : हिंदी के विद्वान मैथिली शरण गुप्त का जन्म।

1900 : फर्स्ट वन टायर एंड रबर कंपनी की स्थापना।

1914 : पहला समुद्री जहाज पनामा नहर से गुजरा।

1925 : अमेरिका की अंतिम सैन्य टुकड़ी ने निकारागुआ छोड़ा।

1957 : अब्दुल रहमान को मलेशिया का नया नेता चुन लिया गया। उनके नेतृत्व में ब्रिटेन से मलेशिया को आजादी मिली थी।

1960 : पश्चिम अफ्रीकी देश नाइजर ने फ्रांस से स्वतंत्रता हासिल की।

1985 : बाबा आम्टे को जनसेवा के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार प्रदान किया गया।

2003 : अमेरिका के एंग्लिकन चर्च में एक समलैंगिक को बिशप बनाने का फ़ैसला किया गया। न्यू हैंम्पशायर के जेन रॉबिंसन को एपिस्कोपल चर्च के हाउस ऑफ़ डेपुटीज़ ने भारी बहुमत से बिशप बनाया।

2004 : अमेरिकी अंतरिक्ष यान मैसेंजर बुध ग्रह के लिए रवाना।

2007 : इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुआ रूसी अंतरिक्ष यान प्रोग्रेस एम-61 सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में पहुँचा।

2007 : लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में एक ट्रेन दुर्घटना में 100 लोगों की मृत्यु।

3 अगस्त को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1966 में आज ही के दिन अभिनेता फैज़ल ख़ान का जन्म हुआ था।

1960 में आज ही के दिन भारतीय क्रिकेटर गोपाल शर्मा का जन्म हुआ था।

1939 में 3 अगस्त के दिन ही बांग्ला साहित्य के एक प्रमुख कवि उत्पलकुमार बसु का जन्म हुआ।

1939 में आज ही के दिन भारतीय क्रिकेटर अपूर्व सेनगुप्ता का जन्म हुआ था।

1936 में 3 अगस्त के दिन ही भारतीय शास्त्रीय गायक छन्नूलाल मिश्रा का जन्म हुआ था।

1919 में आज ही के दिन भारतीय संगीतकार और बाल अभिनेता जयदेव का जन्म हुआ था।

1916 में 3 अगस्त के दिन ही भारतीय गीतकार और शायर शकील बदायूंनी का जन्म हुआ था।

1886 में आज ही के दिन कालजयी रचनाओं के कवि मैथलीशरण गुप्त का जन्‍म हुआ था।

3 अगस्त को हुए निधन

1993 में 3 अगस्त के दिन ही हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रमुख सदस्य प्रेमकृष्ण खन्ना का निधन हुआ था।

1990 में आज ही के दिन स्वतंत्रता सेनानी व उड़ीसा और मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे सी. एम. पुनाचा का निधन हुआ था।

3 अगस्त को प्रमुख उत्सव

हृदय प्रत्यारोपण दिवस (भारत)