अगर आपके बच्चे भी हारने से डरते हैं,तो उन्हें सीखाएं सुधा मूर्ति की ये बातें ना रहेगा हार का डर,ना जीत का घमंड, खुश रहेगा मन
नई दिल्ली:- सुधा मूर्ति एक प्रसिद्ध भारतीय लेखिका, समाज सेविका और इंजीनियर हैं जो अपने सामाजिक कार्यों, विशेष रूप से सामाजिक मुद्दों और मानवीय मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने भारत में शिक्षा, ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उनका जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है। छात्र और बच्चे उनसे कड़ी मेहनत, विनम्रता और दृढ़ता सीख सकते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको सुधा मूर्ति की कही कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो हर बच्चे को छात्र को आगे बढ़ने के लिए प्रेरिंग करेंगी। अगर आपके बच्चे का आत्मविश्वास कम है या उसे हिम्मत की जरूरत है, तो आप उसे सुधा मूर्ति की कही इन बातों के बारे में जरूर बताएं।
सीखना बंद नहीं करना है
सुधा मूर्ति का कहना है कि सीखना बंद नहीं करना है। ये दुनिया लगातार बदलती रहती है इसलिए आपका अप-टू-डेट रहना जरूरी है। आपको लेटेस्ट जानकारी और ट्रेंड से अवगत होना चाहिए। आप जितना ज्यादा सीखेंगे, उतने ही बेहतर बनेंगे और जिंदगी में आगे बढ़ेंगे। बच्चों के आगे तो सीखने के लिए बहुत कुछ है इसलिए सुधा मूर्ति का यह कोट उनके बहुत काम आने वाला है।
सपनों को छोड़ें नहीं
आपको कभी भी अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए। सपने को पूरा करना कितना ही मुश्किल क्यों न लग रहा हो, आपको हिम्मत नहीं हारनी है। अगर आप कड़ी मेहनत करते हैं और हिम्मत नहीं हारते हैं, तो आज नहीं तो कल आपको अपनी मंजिल जरूर मिल जाएगी। बच्चे कम उम्र से ही इस बात काे सीख लें, तो वो अपनी जिंदगी में काफी कुछ हासिल कर सकते हैं।
फेल होने से डरो मत
बच्चों को सिखाएं कि फेल होने से डरना नहीं बल्कि अपनी फेलियर से सीखना चाहिए। सुधा मूर्ति भी यही कहती हैं कि फेलियर सीखने और आगे बढ़ने का एक हिस्सा है। आप जितने ज्यादा फेल होंगे, उतना ही बेहतर अपनी गलतियों से सीख पाएंगे। बच्चों को फेलियर से डरने के बजाय उनसे सीखने की सीख दें।
तुलना न करें
सुधा मूर्ति कहती हैं कि आपको अपनी तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए। अगर आपकी क्लास में किसी बच्चे के आपसे ज्यादा नंबर आए हैं, तो आप दुखी न हों। हो सकता है कि वो पढ़ाई में अच्छा हो और आप स्पोर्ट्स में माहिर हों। हर बच्चे की काबिलियत अलग-अलग होती है इसलिए खुद की दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए।
खुद पर भरोसा करें
आप अपने ऊपर और अपनी काबिलियित एवं क्षमता पर भरोसा करें। अगर आप खुद पर भरोसा नहीं करते हैं, तो फिर कोई और भी आप पर भरोसा नहीं करेगा। अपने लक्ष्यों को पाने के लिए अपनी योग्यता पर भरोसा करें और आत्मविश्वास रखें। आपको अपने बच्चे को यही सिखाना है और उसका आत्मविश्वास बढ़ाना है। इसके अलावा आपको अपने बच्चे के अंदर दयालुता का भाव भी डालना है। उसे अपने और दूसरों के लिए दया का भाव रखने के लिए कहें।
Jul 31 2024, 13:37