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उज्जैन में एक साथ 1500 डमरू बजाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी,जाने कब होगी

उज्जैन में अब तक कई विश्व रिकॉर्ड बनाया जा चुके हैं, लेकिन आने वाले 5 अगस्त 2024 को बाबा महाकाल की तीसरी सवारी के दौरान एक ऐसा विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा, जिसकी तैयारी को लेकर प्रशासन अभी से जुट चुका है. इस विश्व रिकॉर्ड के लिए अभी से तैयारी जारी हैं. यह आयोजन कहां होगा, इसमें कितने कलाकार शामिल होंगे और कलाकार कहां-कहां से आएंगे. इनकी संख्या के निर्धारण के लिए एक समिति का गठन भी कलेक्टर द्वारा किया जा चुका है.

श्रावण-भादो मास में बाबा महाकाल की सवारी और भी भव्यता के साथ निकले, इसी कामना के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लगातार इस सवारी को भव्यता प्रदान करने में लगे हुए हैं. अब तक निकाली गई बाबा महाकाल की दो सवारी में लोक नृत्यों के साथ ही इस सवारी में 350 सदस्यीय पुलिस बैंड के द्वारा पहली बार प्रस्तुति दी गई, लेकिन आने वाले 5 अगस्त 2024 को निकाली जाने वाली श्रावण मास की तीसरी सवारी में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद उपस्थित रहेंगे. इस दिन एक विश्व रिकॉर्ड बनाया जाने वाला है.

बताया जाता है कि यह विश्व रिकॉर्ड कुछ अनोखा होगा. इस विश्व रिकॉर्ड के दौरान भगवान शिव को अति प्रिय डमरू का वादन किया जाएगा, जिसको लेकर उज्जैन ही नहीं बल्कि भोपाल से भी बड़ी संख्या में डमरू वादक उज्जैन पहुंचेंगे.

याद रहे कि शहर में एक साथ 1500 डमरू बजाने के विश्व रिकॉर्ड का आयोजन पहली बार होने जा रहा है, जबकि डमरू तो बाबा महाकाल को अति प्रिय है. एक ओर बाबा महाकाल की सवारी और दूसरी ओर डमरू बजाकर बाबा महाकाल की आराधना… श्रावण के तीसरे सोमवार पर इस प्रकार का आयोजन वाकई में शिव भक्तों के लिए देखने लायक रहेगा. बताया जाता है कि इस दिन विश्व रिकॉर्ड की टीम के अधिकारी मौजूद रहेंगे और लगभग 10 मिनट तक यह प्रस्तुति होगी.

डमरू बजाने के इस विश्व रिकॉर्ड के दौरान उज्जैन और भोपाल के कलाकारों के साथ ही बाबा महाकाल की सवारी में निकलने वाली भजन मंडलियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा. उज्जैन DM नीरज कुमार सिंह ने बताया कि डमरू वादन के लिए हमने एक लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसको लेकर हमने तैयारी करना भी शुरू कर दिया है. एक समिति का गठन किया गया है, जो कि यह निश्चित करेगी कि इस आयोजन का स्थान क्या होगा, इसमें अधिक से अधिक कितने डमरू वादक शामिल होंगे, साथ ही डमरू का वादन सवारी के साथ और सवारी के दौरान आखिर किस प्रकार से किया जाएगा?

गुजरात के कच्छ मुंद्रा सीमा पर कस्टम विभाग के अधिकारियों ने 110 करोड़ की प्रतिबंधित दवाओं को किया जब्त

कस्टम विभाग ने दो दिनों की कार्रवाई के बाद सभी अवैध दवाओं को जब्त किया है. अधिकारियों के मुताबिक ट्रामाडोल नाम की दवा की 68 लाख गोलियां जब्त की गई हैं जो कि नशे के काम आती हैं. अधिकारियों को जांच में घोषित दवाओं के अलावा रॉयल 225 नाम की दवा मिली है जो कि ट्रामाडोल हाइड्रोक्लोराइड टैबलेट 225 मिलीग्राम है.

कच्छ के बंदरगाह पर कस्टम विभाग ने ट्रामाडोल टैबलेट को जब्त किया है. ड्रग्स की दो खेपें अलग-अलग जगहों पर मिली हैं. अधिकारियों ने पहले शनिवार को छापा मारा था और एक कंटेनर से प्रतिबंधित गोलियों को बरामद किया गया था. अधिकारियों के मुताबिक यह कंटेनर अफ्रीकी देश नाइजीरिया के लिए जा रहा था. इन ड्रग्स को राजकोट के एक कारोबारी ने भेजा था. जांच के बाद गोदाम पर छापा मारा गया जहां पर एक और बड़ी खेप इन प्रतिबंधित दवाओं की मिली है.

दूसरे शहरों में की जा रही तलाशी

कस्टम विभाग इतनी बड़ी खेप मिलने के बाद से एक्टिव हो गया है. पुलिस जोर-शोर से राजकोट, गांधीनगर और गांधीधाम में संदिग्ध जगहों पर तलाशी में जुटी है. दो दिनों की कार्रवाई में पुलिस को एक दिन 26 लाख गोलियां और दूसरे दिन 42 लाख गोलियां बरामद की गई हैं. कुल मिलाकर 68 लाख गोलियों की खेप बरामद की गई है जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कुल कीमत 110 करोड़ रुपये है.

पुलिस पूछताछ में जुटी

प्रतिबंधित दवाओं की इतनी बड़ी खेप मिलने के बाद इस मामले में अधिकारी लगातार जांच में जुटे हैं और दवाएं कहां से आई और किसने बनाई सारे पहलुओं को जांचा जा रहा है. ट्रामाडोल एक ओपिओइड दर्द की दवा है जिसका निर्यात प्रतिबंधित है. इस दवा की अफ्रीकी देशों में भारी मांग है क्योंकि आतंकवादी ज्यादा समय तक जागते रहने के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं.

अकाउंट हैक होने पर बोले जावेद अख्तर,ओलंपिक वाला पोस्ट मेरा नहीं था, शिकायत करेंगे

मशहूर गीतकार जावेद अख्तर का खूब रुतबा है. इंडस्ट्री में उन्हें 5 दशक का समय हो चुका है. उनका नाम सभी बड़े सम्मान के साथ लेते हैं. वे 79 साल के हो चुके हैं और अभी भी काफी एक्टिव हैं. सोशल मीडिया से भी जावेद जुड़े हुए हैं और अपने विचार रखने से बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते. एक्स पर वे हर मुद्दों पर बातें करना पसंद करते हैं. हाल ही में उनके अकाउंट से एक ट्वीट हुआ जिसमें गीतकार ने पेरिस ओलंपिक में गए एथलीट्स को बधाई दी. लेकिन ये ट्वीर जावेद ने किया ही नहीं था. इसके बाद एक्टर ने ये जानकारी साझा की कि उनका अकाउंट किसी ने हैक कर लिया था.

जावेद ने सफाई देते हुए कहा- ‘मेरी एक्स आईडी हैक हो गई थी. मेरे अकाउंट में एक मैसेज है जो भारतीय ओलंपिक टीम के बारे में किया गया है. इस मैसेज से वैसे तो किसी को कोई नुकसान नहीं है लेकिन ये मेरे द्वारा नहीं किया गया है.’ हालांकि जावेद का मौजूदा अकाउंट देखा जाए तो वो ट्वीट अब जावेद के अकाउंट से हट गया है और नजर नहीं आ रहा है. एक्टर की बात करें तो कई बार उनके बयान ऐसे होते हैं जिसपर विवाद होता भी नजर आता है.

जावेद अख्तर ने ये भी कहा कि इस मामले में वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से जुड़ी कंसर्न्ड अथॉरिटीज से शिकायत भी कर रहे हैं. हालांकि गीतकार ने ये नहीं बताया है कि उन्हें कब इस बात का पता चला कि उनका अकाउंट हैक कर लिया गया है. वे सोशल मीडिया पर आए दिन कोई न कोई पोस्ट करते रहते हैं. साथ ही अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़ी फोटोज भी शेयर करते हैं. जावेद की पिछली कुछ फिल्मों की बात करें तो वे द आर्चीज, तूफान, पंगा, डंकी और खो गए हम कहां जैसी फिल्मों में गीत लिख चुके हैं. फिलहाल उनके अपकमिंग प्रोजेक्ट्स को लेकर कोई खास जानकारी नहीं है. वहीं पेरिस ओलंपिक की बात करें तो भारत का खाता खुल चुका है. मनु भाकर ने देश को इस बार का पहला मेडल दिलाया है. उन्होंने 10 मीटर पिस्तल शूटिंग में ब्रोंज मेडल जीता है.

दिल्ली में कोचिंग हादसे के बाद कोटा में प्रशासन हुए सख्त,कई लाइब्रेरी को किया सीज

दिल्ली में कोचिंग स्टूडेंटस के बेसमेंट में पानी भरने से हुई मौत के बाद कोटा में भी जिला प्रशासन सख्त हो गया है. कोटा के जवाहर नगर, इंदिरा विहार और लैंडमार्क सिटी इलाकों में आज जिला प्रशासन की टीमों ने पहुंचकर छात्रों की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. जवाहर नगर इलाके में बेसमेंट में चल रही लाइब्रेरी में अव्यवस्थाएं और लापरवाही को देखकर दो लाइब्रेरी के संचालकों को नोटिस देकर सीज करने के निर्देश दिए गए हैं. 

लाइब्रेरी संचालकों को थमाया नोटिस

चीफ फायर ऑफिसर राकेश व्यास ने बताया कि कोटा में बड़ी संख्या में हॉस्टल्स, मेस, लाइब्रेरी संचालित की जा रही है. आज जवाहर नगर इलाके में टीम के साथ पहुंचकर सुरक्षा इंतजामों को देखा तो कई जगहों पर खामियां नजर आई हैं. 

कोटा के जवाहर नगर इलाके में संचालित की जा रही सुगंधम लाइब्रेरी में स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे थे. बेसमेंट में संचालित की जा रही इस लाइब्रेरी में किसी भी तरह का हादसा होने पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं मिलने की स्थिति में फिलहाल सभी बच्चों को बाहर निकाल कर लाइब्रेरी को बंद करने के निर्देश दिए गए हैं. लाइब्रेरी के संचालक को नोटिस जारी किया जाएगा

वहीं इसी क्षेत्र में बेसमेंट में चल रही लक्ष्य लाइब्रेरी में भी सुरक्षा इंतजाम नहीं होने पर सभी बच्चों को बाहर निकाला गया और संचालक को नोटिस जारी किया गया है. निरीक्षण करने पहुंची टीम को जब लाइब्रेरी में सुरक्षा को लेकर इंतजाम नहीं मिले तो अधिकारी हैरान हो गए. लाइब्रेरी में एंट्री और एग्जिट का एक ही छोटा सा रास्ता आने-जाने के लिए रख रखा था. बेसमेंट में ही बिजली का पैनल भी लगाया हुआ है, जिसके तारों से हादसे का अंदेशा बना हुआ है.

लैंडमार्क इलाके में सघन चेकिंग अभियान

यही नहीं आग लगने की स्थिति में अग्निशमन संयंत्र भी की व्यवस्था नहीं की गई थी. इस पर चीफ फायर ऑफिसर ने नाराजगी जाहिर की और लाइब्रेरी को फिलहाल बंद करने के निर्देश दिए हैं. वही कोटा के लैंडमार्क सिटी इलाके में भी नगर निगम की फायर विभाग की टीम में पहुंची. यहां भी लाइब्रेरी बेसमेंट में संचालित की जा रही थी और वहीं पर लाइट का पैनल भी लगाया गया था.

असिस्टेंट फायर ऑफिसर सीता ने बताया कि सुरक्षा इंतजाम यहां भी माकूल नजर नहीं आए. लैंडमार्क इलाके में भी सभी जगहों पर सघन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है और जहां भी सुरक्षा के इंतजाम नजर नहीं आ रहे हैं, उन इमारतों के संचालकों को नोटिस जारी किया जा रहा हैं. 

जवाहर नगर इलाके में हर साल होता है जलभराव 

कोटा दक्षिण निगम के जवाहर नगर इलाके में हर साल मानसून के सीजन में बारिश होने पर सड़कें जलमग्न हो जाती हैं. बाजार में पानी भर जाता है, ऐसे में बेसमेंट में संचालित की जा रही लाइब्रेरी, मेस अन्य प्रतिष्ठान में भी जल भराव का खतरा मंडराता रहता है.

असिस्टेंट फायर ऑफिसर अमजद खान ने बताया कि इस इलाके की सभी लाइब्रेरी और मैस संचालकों की समझाइश भी की जा रही है. मानसून सीजन में बेसमेंट में संचालित प्रतिष्ठानों को फिलहाल बंद रखने के लिए संचालकों को कहा गया है.

लीबिया की बाढ़ के लिए 12 अधिकारी दोषी करार,हुई 27 साल की जेल

लीबिया की एक कोर्ट ने रविवार को 12 मौजूदा और पूर्व अधिकारियों को पिछले साल दो बांधों के टूटने के मामले में 27 साल तक की जेल की सज़ा सुनाई. बता दें कि बांध टूटने से शहर के बीचों-बीच कई मीटर ऊंची पानी की दीवार बन गई और हज़ारों लोग मारे गए थे.

दरअसल डेरना शहर के बाहर दो बांध 11 सितंबर को टूट गए थे, जब वे के कारण डूब गए थे. इस दौरान जिसके कारण पूर्वी लीबिया में भारी बारिश हुई थी. अधिकारियों ने बताया कि संरचनाओं के टूटने से शहर का एक चौथाई हिस्सा जलमग्न हो गया, जिससे पूरे इलाके नष्ट हो गए और लोग समुद्र में बह गए.

12 अधिकारी दोषी करार

देश के शीर्ष अभियोक्ता के कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, रविवार को डेरना आपराधिक न्यायालय ने 12 वर्तमान और पूर्व अधिकारियों को कुप्रबंधन, लापरवाही और गलतियों के लिए दोषी ठहराया, जिनके कारण यह आपदा हुई. बयान में कहा गया है कि देश के बांधों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार प्रतिवादियों को नौ से 27 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई है, लेकिन उनकी पहचान नहीं बताई गई है. बयान में कहा गया है कि तीन प्रतिवादियों को अवैध लाभ से प्राप्त धन वापस करने का आदेश दिया गया है, लेकिन पूरी जानकारी नहीं दी गई है.

हाईकोर्ट में करेंगे अपील

लीबिया की न्यायिक प्रणाली के अनुसार, रविवार के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है. तेल से समृद्ध उत्तरी अफ्रीकी राष्ट्र 2011 से अराजकता में है, जब नाटो समर्थित विद्रोह ने गृह युद्ध में लंबे समय तक तानाशाह रहे मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से बेदखल कर दिया था, जिसे बाद में मार दिया गया था. पिछले दशक के अधिकांश समय में, प्रतिद्वंद्वी प्रशासनों ने लीबिया का नेतृत्व करने का अधिकार जताया है. हर एक को सशस्त्र समूहों और विदेशी सरकारों का समर्थन प्राप्त है.

लीबियाई सेना का नियंत्रण

देश का पूर्वी भाग जनरल खलीफा हिफ़्टर और उनकी स्वयंभू लीबियाई राष्ट्रीय सेना के नियंत्रण में है, जो संसद द्वारा अनुमोदित सरकार के साथ संबद्ध है. राजधानी त्रिपोली में एक प्रतिद्वंद्वी प्रशासन स्थित है, जिसे अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन प्राप्त है. ये बांध 1970 के दशक में एक यूगोस्लाव निर्माण कंपनी द्वारा वाडी डेरना के ऊपर बनाए गए थे, जो शहर को विभाजित करने वाली नदी घाटी है. इनका उद्देश्य शहर को अचानक आने वाली बाढ़ से बचाना था, जो इस क्षेत्र में असामान्य नहीं है. वैज्ञानिकों द्वारा चेतावनी दिए जाने के बावजूद कि ये बांध फट सकते हैं, दशकों तक इनका रखरखाव नहीं किया गया.

दोनों बांधों का नहीं किया गया रखरखाव

2021 में एक राज्य संचालित ऑडिट एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया कि 2012 और 2013 में इस उद्देश्य के लिए 2 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक के आवंटन के बावजूद दोनों बांधों का रखरखाव नहीं किया गया था. संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) के अनुसार, बांधों से आए पानी के कारण डेरना के एक तिहाई आवास और बुनियादी ढांचे को क्षति पहुंची है.

मछुआरे के जाल में फंसा 1500 किलोग्राम की व्हेल शार्क,खुली किस्मत

आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में स्थानीय मछुआरे ने 1500 किलोग्राम की ‘बाहुबली’ मछली पकड़ी. यह मछली कोई और नहीं, बल्कि व्हेल शार्क है. जैसे ही मछुआरे के जाल में यह विशालकाय मछली फंसी, वो दंग रह गया. जब उसे दिखा कि यह तो व्लेह शार्क है, वो खुशी से झूम उठा. इस विशालकाय मछली को फिर क्रेन की मदद से गिलकलाडिंडी बंदरगाह के किनारे पर लाया गया. यहां चेन्नई के व्यापारियों ने इसे तुरंत खरीद लिया वो भी मोटी रकम देकर.

, ये व्हेल शार्क (राइनकोडोन टाइपस) एक लुप्तप्राय प्रजाति है जो अपनी धीमी गति और बड़े आकार के लिए जानी जाती है. हर साल 30 अगस्त को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय व्हेल शार्क दिवस मनाया जाता है.

व्हेल शार्क एक धीमी गति से चलने वाली फिल्टर-फीडिंग मछली की प्रजाति है. व्हेल शार्क महासागरों के खुले पानी में रहती हैं. गुजरात के समुद्री तट का तापमान उनके अनुकूल है, जिसकी वजह से व्हेल शार्क अंडे देने के लिए गुजरात के तट पर आती हैं. इसके कारण व्हेल शार्क गुजरात की बेटी भी कही जाती है.

व्हेल शार्क अमूमन 40 फीट लंबी होती है. इनका वजन 40 टन तक होता है. इस विशालकाय मछली का सपाट सिर, पीठ पर सफेद, पीले या भूरे रंग का चेकरबोर्ड पैटर्न होता है. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि व्हेल शार्क लगभग 60-100 साल तक जीवित रह सकती है. व्हेल शार्क दुनिया भर के सभी उष्णकटिबंधीय और गर्म-समशीतोष्ण समुद्रों में पाई जाती हैं. व्हेल शार्क मुख्यतः छोटे जीवों जैसे छोटी मछलियां, झींगे और स्क्विड खाती हैं.

करोड़ों में बिकती है

मछुआरे ने बताया कि आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में काम आने वाली इस व्हेल शार्क मछली को चेन्नई के व्यापारियों ने अच्छे खासे दाम में खरीदा है. इसली उल्टी भी करोड़ों की कीमत में बिकती है. व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल परफ्यूम्स बनाने के लिए भी किया जाता है.

आधार कार्ड की वजह से मां बाप को मिला 10 साल से खोया हुआ दो बेटे

तेलंगाना के एक अनाथालय में 10 साल से रह रहे दो बच्चों को आखिरकार उनके मां बाप मिल गए हैं. इन दोनों बच्चों के मां बाप की तलाश उनके आधार कार्ड की वजह से हो सकी है. दरअसल इन बच्चों का पहले से आधार कार्ड बना था. जब अनाथालय में इनके आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई तो इसकी जानकारी हुई है.

हैदराबाद के एक अनाथालय में 10 साल से लावारिश हालत में रह रहे दो बच्चों को उनके मां-बाप मिल गए हैं. ये उनके असली-बाप हैं. महज 5 साल की उम्र में यह दोनों बच्चे अपने मां-बाप से बिछड़ गए थे. तब से ये दोनों अनाथालय में रहकर जीवन बसर कर रहे थे. यहां रहने के दौरान अनाथालाय प्रबंधन ने इनके आधार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की तो पता चला कि इन दोनों ना केवल सगे भाई हैं, बल्कि इनके माता-पिता भी हैं.

अनाथालय प्रबंधन के मुताबिक तेलंगाना में पालनाडु के कोट्टप्पाकोंडा में रहने वाले दंपति नागेंद्र और श्रीनु के दो बच्चे राजू और इमैनुएल हैं. ये दोनों ही मानसिक विक्षिप्त हैं. बालों का व्यवसाय करने वाले नागेंद्र के ये दोनों बेटे दस साल पहले एक दिन रोने लगे तो उनकी पत्नी ने पास की दुकान से कुछ खरीद कर खा लेने के लिए पैसे दिए और बाहर भेज दिया, लेकिन यह दोनों बच्चे रास्ता भटक गए. फिर किसी ने इन्हें लावारिश भटकते देखकर अनाथालय पहुंचा दिया.

माता-पिता ने खो दी थी उम्मीद

इधर, अपने बच्चों की तलाश करते थक चुके नागेंद्र और उनकी पत्नी ने अपने कलेजे के टुकड़ों की वापसी की उम्मीद ही खो दी. इसी बीच अनाथालय में रह रहे बच्चों के आधार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की गई. इस दौरान जैसे ही इन दोनों बच्चों की फिंगर प्रिंट स्कैन किया गया, पता चला कि इन दोनों के आधार कार्ड पहले से बने हुए हैं. इस जानकारी के सामने आने के बाद अनाथालय प्रबंधन ने इन बच्चों के पते निकलवाए. इसमें पता चला कि दोनों सगे भाई हैं.

10 साल बाद हुई बच्चों की घर वापसी

इसके बाद आधार दिए गए मोबाइल नंबर के आधार पर अनाथालय प्रबंधन ने इन बच्चों के माता पिता को सूचना दी. बच्चों के पिता ने बताया कि अनाथालय प्रबंधन की सूचना पर एक बार तो उन्हें भरोसा ही नहीं हुआ. बावजूद इसके, उन्होंने कहा कि एक बार अनाथालय जाकर देख लेने में कोई बुराई नहीं है. इसके बाद दोनों पति पत्नी अनाथालय पहुंचे. वहां जैसे ही उनका अपने दोनों बच्चों से आमना सामना हुआ, चारों लोग अवाक रह गए. इसके बाद जरूरी औपचारिकताओं को पूरा कराने के बाद नागेंद्र अपने बच्चों को लेकर घर लौटे हैं.

सीकर जिले में नीदरलैंड की कंपनी द्वारा किसानों को घटिया बीज बेचने का आया मामला सामने

सीकर जिले में नीदरलैंड की कंपनी द्वारा किसानों को घटिया बीज बेचने का मामला सामने आया है. घटिया बीज के कारण किसानों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. दातारामगढ़ के किसानों ने सीकर सांसद अमराराम को ज्ञापन सौंपकर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठाई. वहीं खराब बीज के कारण खराब हुई फसल का मुआवजा दिलाने की गुहार भी लगाई है.

सांसद अमराराम को ज्ञापन देने आए दांतारामगढ़ के किसान खेमाराम ने बताया कि वो पोली हाउस लगाकर खीरे की खेती करते हैं. किसान ने बताया कि नीदरलैंड की कंपनी का रिज्क जवान नाम का खीरे का बीज जो बड़ा महंगा आता है वह खरीद कर खीरे की खेती करते हैं. कंपनी की ओर से रोगों से लड़ने की अधिक प्रतिरोधक क्षमता का दावा किया जाता है. पिछले 5-6 साल से इस बीज को किसान लगातार काम भी ले रहे हैं. लेकिन इस बार खराब बीज दे डीओए गए 

सारी फसल बर्बाद हो गई'

वो कहते हैं, इतने सालों तक किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है आई. लेकिन इस बार जयपुर के डीलर की ओर से खराब बीज दिया गया. जिसके चलते किसानों की सारी फसल बर्बाद हो गई और बहुत बड़े नुकसान का सामना भी किसानों को करना पड़ा है.

किसानों ने कहा कि 181 नंबर पर इस बारे में शिकायत भी दर्ज करवाई गई. लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसके चलते आज सीकर सांसद अमराराम के पास पहुंचे हैं. सांसद ने भी कार्रवाई का आश्वासन देते हुए संसद में इस मुद्दे को उठाने की बात कही है. किसानों ने कहा कि अगर फिर भी हमारी समस्या का निदान नहीं किया तो हमारे पास आत्महत्या करने के अलावा कोई और उपाय नहीं है. क्योंकि हमारे ऊपर बैंक का कर्ज भी है जिसे हम नहीं चुका पा रहे. इसके साथ ही खेती में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी भी देना मुश्किल हो गई है. इसलिए सरकार फसल खराबे का मुआवजा दिलवाए.

सांसद अमराराम ने उठाई कार्रवाई की मांग 

सीकर सांसद अमराराम ने मामले को लेकर कहा नीदरलैंड की एक कंपनी ने 1 करोड से ज्यादा का खीरे का बीज जिले के किसानों को दिया था. खराब बीज के कारण किसानों की करोड़ों की फसल भी नष्ट हुई है. दांतारामगढ़ में नेट हाउस से खीरे की फसल करने वाले किसानों को भी खराब बीज दिया गया और जिस तरह से खराब बीज देकर किसानों को तबाह करने का काम किया गया है ऐसी कंपनी के खिलाफ कृषि विभाग जांच करें.

Gupta  
बढ़ता ही जा रहा है स्कैमर्स का आतंक,आया एक नया स्कैम ( TRAI)

साइबर क्रिमिनल्स नए-नए हथकंड़ों का इस्तेमाल कर मासूम लोगों को ठगी का शिकार बनाते रहते हैं. अब साइबर ठगों ने फ्रॉड का एक नया तरीका ढूंढ़ा है, जिसमें एक शख्स को TRAI के नाम पर ठग लिया गया. शख्स से कहा गया कि उसका मोबाइल नंबर बंद होने वाला है और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने का झांसा देकर उससे करीब 90 लाख रुपये की ठगी की गई. 

पूरा मामला?

दरअसल, यह पूरा मामला बिहार के मुजफ्फरपुर का है, जहां दिनेश कुमार नाम के व्यवसायी के पास कॉल आता है. कॉल करने वाला शख्स खुद को TRAI का अधिकारी बताता है. अधिकारी बताने वाला शख्स दिनेश को कहता है कि आपके नंबर से एक दूसरा सिम जारी किया गया है, जिसके बाद थाने का नंबर बताकर एक मोबाइल पर कॉल ट्रांसफर किया गया.

कैसे जाल में फंसा रहे स्कैमर्स

शख्स के पास वीडियो कॉल आती है, जिसमें बताया गया कि आपके आधार कार्ड से केनरा बैंक में अकाउंट खोला गया है और इसमें अवैध लेन-देन किया गया है. इस संबंध में आपको तिलक नगर थाने में मौजूद होना होगा. इसके साथ ही शख्स के पास एक लिंक भी भेजा गया जिसे खोलने के बाद SEBI, ED और CBI के दिशा-निर्देश की एक PDF कॉपी और मनी लॉन्ड्रिंग केस का एक डॉक्यूमेंट मिला. इस तरह दिनेश से 89 लाख 90 हजार रुपये ठग लिए गए. 

अब ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि इस तरह के स्कैम से कैसे बचा जा सकता है. आपके लिए यह जरूरी है कि किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक ना करें. इसके साथ ही किसी धमकी भरी कॉल के आने पर धैर्य से काम लें. स्कैमर्स मासूम लोगों को फंसाने के लिए कई तरह के हथकंडे इस्तेमाल करते हैं. इस तरह आपको स्मार्ट तरीके से काम लेना होगा.