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सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 28 जून को हेमन्त सोरेन के जमानत को सही आदेश बताते हुए ईडी की याचिका की खारिज

झारखंड डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें कथित भूमि घोटाले मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दी गई जमानत को चुनौती दी गई थी।

 शीर्ष न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 28 जून को पारित आदेश को “सुविचारित आदेश” करार दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जमानत देने के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों का ट्रायल के चरण या किसी अन्य कार्यवाही में ट्रायल जज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

ईडी ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा सोरेन को जमानत देने के फैसले के खिलाफ 8 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया, जिसमें तर्क दिया गया कि जमानत आदेश अवैध और पक्षपातपूर्ण था।

 हेमंत सोरेन ने उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के तुरंत बाद 4 जुलाई को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।

सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत को बताया था कि उन्होंने राज्य की राजधानी में 8.86 एकड़ जमीन हासिल करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।

प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार करने से पहले कई बार तलब किया था। राज्य की राजधानी में कथित भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में उनकी गिरफ्तारी के बाद 31 जनवरी को उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

उनके इस्तीफे के बाद, सोरेन के करीबी सहयोगी और मौजूदा मंत्री चंपई सोरेन ने सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व संभाला था।

सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि कथित भूमि हड़पना धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध नहीं है। सिब्बल ने यह भी उल्लेख किया था कि यदि आरोप सत्य भी हों, तो वे संपत्ति के अधिकार पर दीवानी विवाद का मामला होंगे, न कि आपराधिक गतिविधि।

 सोरेन की हिरासत के दौरान, उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में तीन लोकसभा सीटें हासिल करके महत्वपूर्ण चुनावी सफलता हासिल की, जो 2019 की तुलना में एक अधिक है। JMM की सहयोगी कांग्रेस ने भी दो सीटें जीतीं। दूसरी ओर, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से नौ सीटें हासिल कीं, जो 2019 की तुलना में 12 कम है।

अवैध संबंध से नाराज पिता ने अपनी बेटी को काट डाला

गिरिडीह: वहीं एक दूसरे मामले में जिले के देवरी थाना क्षेत्र के महेशियादिघी गांव में पिता ने धारदार हथियार से गर्दन रेत कर अपनी 40 वर्षीय शादीशुदा पुत्री की हत्या कर दी। 

हत्या करने के बाद रातभर आंगन में रहकर पुत्री के शव की रखवाली करता रहा। शनिवार को पुलिस ने गांव पहुंचकर शव को बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार लिया। 

पिता के मुताबिक शादीशुदा पुत्री का अवैध संबंध कई लोगों के साथ था, इसलिए उसने घटना को अंजाम दिया।

पिता की हैवानियत, दिव्यांग 9 साल की बेटी को कुदाल से काट कर, कर दी हत्या,

झारखंड के गुमला जिला से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आयी है.मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर पतगच्छा गांव में शुक्रवार की रात एक सनकी पिता ने अपनी नौ साल की मंदबुद्धि और दिव्यांग बेटी की कुदाल काट कर हत्या कर दी। इसके बाद लाश को पास के ही कुएं में फेंक दिया। पुलिस ने हत्या के आरोपी सरजू लोहरा को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के अनुसार, सरजू अपने पांच वर्षीय बेटे अनुज और नौ वर्षीय दिव्यांग बेटी काजल के साथ पतगच्छा गांव में किराये के मकान में रहता है। पत्नी रूपा परिवार की परवरिश के लिए बेंगलुरू में काम करती है। बेटी काजल जन्म से मंदबुद्धि थी। पैर से दिव्यांग भी थी। इस वजह से नित्यक्रिया में भी परेशानी होती थी।

सरजू शुक्रवार की रात करीब आठ बजे नशे की हालत में घर पहुंचा। इस दौरान दिव्यांग बेटी ने घर में कई जगहों पर शौच कर दिया था। इस गुस्से में सरजू ने पास में रखे कुदाल से बेटी पर प्रहार कर दिया। गले पर गंभीर वार से बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद शव को कुएं में फेंक दिया। ग्रामीणों ने शव को कुएं में फेंकते दिख लिया था।

संतोष गंगवार बनाए गए झारखंड के राज्यपाल, गुलाब चंद कटारिया असम से पंजाब भेजे गए, सीपी राधाकृष्णन झारखंड से महाराष्ट्र

झा. डेस्क 

बरेली से कई बार सांसद रह चुके हैं। इस बार बीजेपी ने उन्हें चुनाव मैदान में नहीं उतारा था। अब उन्हें राज्यपाल बना कर झारखंड भेजा जा रहा है।

देश के कई राज्यों के राज्यपाल बदले गए हैं। राष्ट्रपति भवन की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, संतोष कुमार गंगवार को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया है। रेमन डेका को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।

राष्ट्रपति भवन की तरफ से यह भी जानकारी दी गई है कि असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को अब पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया गया है। इसके अलावा उन्हें केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर की भी जिम्मेदारी दी गई है।

झारखंड के वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णनन को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया है जबकि सीएच विजयंशकर को मेघालय का राज्यपाल बनाया गया है। 

राष्ट्रपति भवन द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को असम का राज्यपाल बनाया गया है। उन्हें मणिपुर की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।

भोजपुरी गायक भरत शर्मा व्यास को हाईकोर्ट से मिली जमानत, आयकर के मामले में निकले वारंट मे किया था आत्मसमर्पण


झा. डेस्क 

भोजपुरी गायक भरत शर्मा को झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार जमानत पर मुक्त करने का आदेश दिया है। उन्होंने 19 जुलाई को आयकर विभाग के तीन मामलों में अदालत में आत्मसमर्पण किया था। हलांकि शुक्रवार को हाईकोर्ट से फैक्स नहीं पहुंचने के कारण उन्हें जमानत नहीं दी गई। शनिवार को संभवत: फैक्स पहुंच जाएगा।

बता दें कि 19 जुलाई को आर्थिक अपराध की विशेष न्यायिक दंडाधिकारी श्वेता कुमारी की अदालत ने भरत शर्मा को तीनों मामलों में न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था। भरत शर्मा तीनों मामलों में सजायाफ्ता हैं। जेल जाने के दूसरे ही दिन भरत शर्मा की तबीयत बिगड़ गई थी। सीने में दर्द की शिकायत पर उन्हें एसएनएमएमसीएच में भर्ती कराया गया था। वीआईपी वार्ड में रखकर उनका इलाज किया जा रहा है।

 डॉक्टरों ने बताया कि फिलहाल उनका बीपी और कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है। बेल मिलने के बाद उन्हें छुट्टी दी जा सकती है।

रांची के खेलगांव स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आज से अग्निबीर के भर्ती के लिए कैम्प शुरू,8 अगस्त तक चलेगा भर्ती अभियान

रांची के खेलगांव स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में शनिवार (27 जुलाई) से आठ अगस्त-2024 तक अग्निवीर, सेना भर्ती रैली आयोजित होगी। भर्ती कार्यालय, रांची के भर्ती निदेशक कर्नल विकास भोला ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।

 कर्नल विकास भोला ने बताया कि परिस्थिति को देखने के बाद रैली 10 अगस्त तक बढ़ायी जा सकती है। झारखंड में अग्निवीरों के लिए यह तीसरी भर्ती रैली है।

22 अप्रैल से तीन मई तक लिखित परीक्षा हुई थी। इसमें 95,549 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। यह पिछले साल के मुकाबले 26 तक रजिस्ट्रेशन बढ़ा है। कर्नल ने कहा, जिन अभ्यर्थियों का एकाउंट लॉक हो गया है या एडमिट कार्ड नहीं मिला है। वे अभ्यर्थी जिन्हें लगता है कि वे लिखित परीक्षा में पास हो चुके हैं और फीजिकल के योग्य हैं। उन्हें भर्ती बोर्ड भर्ती केंद्र पर एडमिट कार्ड उपलब्ध करा देगा।

कब किसकी भर्ती रैली

● 27 जुलाई: धार्मिक अफसर, अग्निवीर टेक्नीकल, अग्निवीर ऑफिस असिस्टेंट

● 28 जुलाई: अग्निवीर ट्रेड्समैन आठवीं और दसवीं पास

● 29 जुलाई से 5 अगस्त: जनरल ड्यूटी सभी जिलों के लिए।

झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ भाग -2 : संथाल में बंगलादेशी घुसपैठियों के कारण आदिवासियों के अस्तित्व खतरे में

विनोद आनंद

इन दिनों झारखंड में बंगलादेशी घुसपैठियों के कारण न मात्र आंतरिक सुरक्षा पर खतरा बढ़ता जा रहा है बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व भी खतरे में है।जिसको बाबूलाल मरांडी ने गंभीरता से उठाया है।

संथाल के दुमका समेत कई जिले ऐसे हैं, जहां बांग्लादेशी मुसलमान न केवल आ रहे, बल्कि घर-बार तक बसा रहे हैं।जिसको लेकर स्थानीय स्तर पर भी कुछ आदिवासी नेताओं ने डर जताया है कि जल्द अगर इस पर रोक नही लगा तो उनकी जमीन हीं नही बेटियों को ये लोग टारगेट कर रहे हैं।उसे अपने प्रेम पाश में फंसा कर शादी तो कर ही रहे हैं साथ हीं दान में जमीन भी लिखा रहे हैं ।

अब पड़ताल करने की जरूरत है कि स्थानीय लोगों के इस डर में कितनी सच्चाई है? क्या इतना आसान है सीमा के उस पार से इस पार आकर बस जाना? क्या ये कथित घुसपैठ, महज रोटी-कपड़ा-मकान जैसी बेसिक जरूरतों के लिए हो रही है या एक पूरा तंत्र स्थापित हो चुका है जो इलाके की डेमोग्राफी बदलकर एक बड़े खतरे की वजह बन सकता है?

 ऐसे कई सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश के लिए हमे संथाल-परगना के मौजूदा हालात का अवलोकन करना होगा।

आदिम जातियों के अस्तित्व को लेकर नही है सरकार गंभीर

संथाल के पाकुड़, साहिबगंज और दुमका में आदिवासियों का अस्तित्व तो खतरे में है हीं। लेकिन पूरे झारखंड छत्तीसग़ढ में भी विभिन्न समुदाय के आदिवासियों को न तो उचित सरक्षण मिल रहा है और नही उनके अस्तित्व को लेकर सरकार गंभीर है।इसी कारण आदिवासियों की संख्यां घटती जा रही है।

 आदिवासियों की गरीबी, अशिक्षा और उनके भोलेपन के कारण उन्हें टारगेट करना ऐसे शक्तियों के लिए आसान हो जाता है जो इस क्षेत्र में घुसपैठ कर अपने स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं।यही हुआ ब्रिटिश हुकूमत के समय अंग्रेजों ने किया , और य आज बांग्ला देशी कर रहे हैं।

अंग्रेजों ने सुविधा और उन्हें प्रलोभन देकर उनका धर्म परिवर्तन कराया और उसे ईसाई बनाया, जिसका बिरसा मुंडा ने विरोध किया था। और आज बांग्ला देशी मुसलमान कर रहे हैं।

 इसके अलावे कई सामाजिक स्थितियां, रूढ़िबाद और सरकार की उपेक्षात्मक नीति के कारण कई आदिवासी समुदाय का अस्तित्व लगातार खतरे में है।उनकी संख्यां लगातार घटती जा रही है।आज भी ये मुख्यधारा से नही जुड़ पाये।सरकारी योजनाओं का लाभ इन तक नही पहुंच रहा है।दुर्भाग्य तो यह है कि राज्य के सत्ता का कमान आदिवासियों के हाथ में रही इसके वाबजूद आदिम जातियों में कई ऐसे वर्ग है जिसके विकास के लिये कुछ नही हुआ।ऐसे वर्गों में पहाड़िया, बिरहोर और कई ऐसे आदिवासी समूह है जिसका अस्तित्व मिटता गया।मुख्यधारा से कटे ये लोग बीमारियों से ग्रस्त होकर मरते रहे और इनकी संख्यां लगातार घटती गयी।

शादी,दान में जमीन और फिर धर्म परिवर्तन का खेल है जारी

संथाल में बंगलादेशी की घुसपैठ एक साजिश है या उसके रोजीरोटी की जरूरत यह जांच का विषय है जिसे राज्य सरकार और केंद्र सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए, लेकिन संथाल में जो कुछ भी हो रहा है नि:सन्देह आदिवासियों के अस्तित्व पर खतरा है।

 यहां बांग्ला देशी तो घुसपैठ करते हैं रोजगार के नाम पर लेकिन यहां स्थायी रुप से बसने के लिए इनका टारगेट होता है यहां के आदिवासी समुदाय।यहां अपनी शुरुआत तो छोटा मोटा रोजगार से शुरू करते हैं।लेकिन उसके बाद वे लवजिहाद का सहारा लेकर पहले आदिवासी लड़की को अपने प्रेम जाल में फँसाते और उस से शादी कर उसके अभिभावक से दानपत्र में जमीन लिखा कर स्थायी निवास बना लेते हैं।

 इन लोगों का उधेश्य लड़कियों से शादी करना, उसकी संपत्ति पर कब्जा होता है। बताया जाता है कि घुसपैठियों का कथित नेटवर्क मुस्लिम युवक को आदिवासी युवती के नजदीक लाता है, जो चंद रुपयों के लेन-देन के क्रम में प्यार में बदल जाता है। अंतत: लड़की शादी के लिए मान जाती है। शादी के बाद मुस्लिम युवक वहीं बस जाता है। ऐसे कई लोग जिन जगहों पर रह रहे हैं उन्हें संथाल परगना में जमाई टोला कहा जाता है। जमाई का मतलब है दामाद।

शादी के बाद आदिवासी लड़की की जमीन पर भी उनके पति का अधिकार हो जाता है। उनकी जमीनों पर वे खनन पट्टे भी हासिल कर लेते हैं। संथाल परगना में आदिवासी अपनी जमीन बेच नहीं सकते, इस वजह से लैंड गिफ्ट का खेल गिफ्ट डीड के जरिए चलता है। इसका कोई कानूनी महत्व नहीं है। आरोप है कि इसकी आड़ में ही घुसपैठ करने वाले लोग सस्ते में आदिवासियों की जमीन खरीद रहे हैं।

आदिवासियों के बीच काम करने वाले समाजसेवी चंद्रमोहन हांसदा का मानना है कि ‘‘अंतरजातीय विवाह आदिवासी समाज के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हो रहा है। इस समाज में बिठलाहा प्रथा है, जिसके तहत अगर कोई आदिवासी दूसरी जाति या धर्म के लोगों से विवाह करता था तो उसे उसके समाज से निकाल दिया जाता है। यह बंगलादेशी मुसलमानों के लिए इन आदिवासियों को मुस्लिम धर्म अपनाने और मुसलमान बनाने के लिए उनकी राह को और आसान कर दिया जाता है।

सांसद निशिकांत दुबे का दावा,आदिवासियों से बांग्लादेशी की शादी के कारण 10 फीसदी आवादी घटी

झारखंड में लगातार बांग्ला देशी मुस्लिम आबादी की घुसपैठ और उसके द्वारा आदिवासी महिलाएं से शादी का दावा करते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि संथाल परगना में साल 2000 में आदिवासियों की जनसंख्या 36 फीसद थी और आज 26 फीसदी रह गई है। ऐसे में 10 फीसदी आदिवासी कहां गायब हो गए? उन्होंने कहा कि हमारे यहां जिला परिषद की जो अध्यक्षा हैं उनके पति मुसलमान हैं. ऐसे में झारखंड में कुल 100 आदिवासी मुखिया है, जो आदिवासी के नाम पर है और उन सभी के पति मुसलमान हैं।

 उन्होंने यह भी दावा किया कि हर 5 साल में 15 से 17 फीसद जनसंख्या बढ़ती है। सांसद ने कहा कि मधुपुर विधानसभा में करीब 267 बूथों पर 117 फीसद मुसलमानों की आबादी बढ़ गई है। ऐसे में समझिए पूरे झारखंड में कम से कम 25 विधानसभा ऐसी है जहां 123 पर 110 पर आबादी बढ़ी है। यह एक बड़ा चिंता का विषय है।उन्होंने तो लोकसभा में मांग किया कि भारत सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। और किशनगंज अररिया, कटियार, मालदा, मुर्शिदाबाद और पूरा संथाल परगना है। इसको भारत सरकार यूनियन टेरिटरी बनाये ताकि इस स्थान पर घुसपैठ को रोका जा सके।

क्या एक बड़ी साजिश से बदलती जा रही है डेमोग्राफी’

सहिबगंज , दुमका , पाकुड़ में बढ़ती मुस्लिम आवादी और घटती आदिवासियों की आवादी को लेकर दुमका के घाट-रसिकपुर गांव की प्रिसला हंसदा ने ने एक मीडिया को बताया कि यहां की मुखिया की पोस्ट आदिवासी महिला के लिए रिजर्व है। यहां की मुखिया प्रिसला हंसदा है और उसने एक मुस्लिम से शादी की है। मुसलमान से शादी करने के वाबजूद प्रिसला ने खुद ये माना है कि आदिवासी लड़कियों का ऐसी शादी करना गलत है। उन्होंने कहा कि इससे उनके समुदाय को नुकसान हो रहा है और ऐसी शादियां रुकनी चाहिए। 

संथाल परगना में आदिवासियों के बीच काम करने वाले सोशल वर्कर्स इस बदलती डेमोग्राफी को एक बड़ी साजिश मानते हैं। उनका कहना है कि एक प्लानिंग के तहत आदिवासी महिलाओं से शादी की जा रही है ताकि आदिवासियों के सियासी अधिकारों पर कब्जा किया जा सके।

दुमका की जामा मस्जिद के इमाम का अजीब तर्क

दुमका के सोशल वर्कर चंद्रमोहन हांसदा ने कहा कि ऐसी शादियों का मकसद आदिवासियों के नाम पर मिलने वाले पट्टों पर कब्जा करना भी होता है। संथाल के आदिवासी भोले होते हैं। यहां बांग्लादेशी मुस्लिम आकर, अपनी जान पहचान बढ़ाकर यहां की बहू बेटियों से शादी कर रहे हैं। वहीं, दुमका की जामा मस्जिद के इमाम ने संथाल परगना में मुसलमानों की आबादी बढ़ने का एक अजीब तर्क दिया। इमाम जमील अख्तर ने कहा कि मुसलमानों के अलावा बाकी सभी समुदायों के लोग नशाखोरी करते हैं, पर चूंकि मुसलमानों के यहां नशा हराम है इसलिए उनकी नशाखोरी से मौत नहीं होती और आबादी बढ़ती जाती है। इमाम जमील अख़्तर ने इसके लिए हाथरस हादसे की मिसाल भी दे डाली।

निष्कर्ष

संथाल में बढ़ते इस बांग्लादेशी घुसपैठ के पीछे साजिश है या मकसद, सरकार को इसकी गहन जांच करनी चाहिए।महज वोट बैंक के लिए देश की सुरक्षा के साथ खिलबाड़ करना और आदिवसियों के अस्तित्व को मिटाने वाले शक्ति को बढ़ावा देना। कतई उचित नही है।इसके लिए सच सामने लाने के लिए सरकार को सर्वे कराकर आंकड़ा सामने लाना चाहिए,उस पर कारबाई करनी चाहिए।

इस मुद्दा को राजनीति से ऊपर उठकर ठोस नीति बनाना चाहिए तथा जो भी कानून सम्मत हो कारबाई किया जाना चाहिए।

टुंडी के युवा कांवरिया को कटोरिया में लुटेरों ने चाकू घोंपकर मार डाला

मोबाइल लूट का विरोध करने पर की हत्या, बेहड़ा समेत पूरे टुंडी में शोक की लहर 

 धनबाद : धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड अंतर्गत बेहड़ा गांव निवासी एवं युवा कांवरिया 22 वर्षीय असित मंडल की लुटेरों ने बिहार के कटोरिया थाना क्षेत्र के छपरहिया धर्मशाला के पास गुरुवार की रात करीब 11 बजे चाकू घोंपकर हत्या कर दी। वह विकास मंडल का पुत्र था। युवा कांवरिया की मौत से बेहड़ा समेत पूरे टुंडी के लोग शोक में डूब गए हैं। मोबाइल लूट का विरोध करने पर अपराधियों ने इस घटना को अंजाम दिया है। 

असित अपने 13 अन्य साथियों के साथ जल लेकर एक सवारी गाड़ी पर सवार होकर बाबाधाम जा रहा था। सभी कांवरिया छपरहिया धर्मशाला के पास ठहरे हुए थे। असीत मंडल कांवरिया शौच के लिए धर्मशाला के पीछे जंगल की ओर गया था। जहां दो अज्ञात अपराधी उसके साथ लूटपाट करने लगे। 

अपराधियों ने उसका मोबाइल छीन लिया। असित द्वारा हल्ला करने पर बदमाशों ने उसके गले में चाकू घोंप दिया जिससे कांवरिया गंभीर रूप से जख्मी हो गया। इसके बाद अपराधी भाग गए। हल्ला सुनकर साथी कांवरिया दौड़कर घटनास्थल पर पहुंचे। स्थानीय लोगों की मदद से जख्मी कांवरिया को इलाज के लिए रेफरल अस्पताल लाया गया। जहां डाक्टर ने जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया। 

इधर, घटना की सूचना पर एसडीएम अविनाश कुमार, बेलहर एसडीपीओ राजकिशोर कुमार व थानाध्यक्ष अरविन्द कुमार राय ने रेफरल अस्पताल पहुंचकर शव को अपने कब्जे में ले लिया। पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की छानबीन कर रही है। सूचना पाकर मृतक कांवरिया के परिजन टुंडी से कटोरिया पहुंच गए हैं। परिजनों के चित्कार से माहौल गमगीन हो गया है।

जनता दरबार में डीसी ने सुनी आमजनों की शिकायत


धनबाद : डीसी माधवी मिश्रा ने शुक्रवार को अपने कार्यालय कक्ष में जनता दरबार का आयोजन कर आम-जन की शिकायतों व समस्याओं को सुना। उन्होंने संज्ञान में आए सभी मामलों के आवेदन को संबंधित पदाधिकारी को तत्काल निष्पादन के लिए अग्रसारित किया। 

जनता दरबार में मुख्यतः जमीन विवाद संबंधी, आर्म्स लाइसेंस, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा, अतिक्रमण मुक्त कराने, धोखाधड़ी, पेंशन, जबरन उत्खनन, ऑनलाइन रसीद, अबुआ आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, जाति, आवासीय प्रमाण पत्र, आंगनबाड़ी सेविका के चयन, जमीन बंटवारा, जमीन मापी समेत अन्य संबंधित आवेदन आए। इस दौरान उपायुक्त ने आवेदनों को चिन्हित कर संबंधित अधिकारियों को हस्तांतरित करते हुए निष्पादन के निर्देश दिए।

 उन्होंने कहा कि जल्द ही इन समस्याओं का समाधान होगा। इसके लिए अधाकिरियों को निर्देश दिया गया है। मौके पर प्रभारी पदाधिकारी जन शिकायत कोषांग नियाज अहमद मौजूद रहें।

रांची के पिठोरिया निवासी नायब सूबेदार नागेश्वर महतो,कारगिल युद्ध में जिसकी शहदत पर आज भी उनकी पत्नी को है गर्व

झा. डेस्क 

साल 1999 में कारगिल युद्ध में सैकड़ों भारतीय सैनिकों ने जान गंवाई, उनमें से एक वीर सपूत रांची का भी था। रांची के पिठोरिया निवासी नायब सूबेदार नागेश्वर महतो भी पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लेते हुए कारगिल की धरती पर शहीद हो गए। 

कारगिल युद्ध के 25 साल बाद भी शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी पति की तस्वीर को देख कर रो पड़ती हैं। उन्हें पति के खोने का गम तो है, पर उससे ज्यादा उन्हें फख्र है कि उनके पति नायब सूबेदार नागेश्वर महतो भारत माता की सेवा में खुद के प्राणों की आहुति दे दी। 

शहीद नागेश्वर महतो के भाई भीम महतो ने बताया कि संयुक्त बिहार में रांची के पिठोरिया में नागेश्वर महतो का जन्म साल 1961 में हुआ था। परिवार में पांच भाई और एक बहन हैं। नागेश्वर बचपन से चंचल रहे, पढ़ाई में भी वे अच्छे थे। उनकी सेना में बहाली 29 अक्तूबर 1980 में हुई। 

1999 में जब कारगिल में भारत पाकिस्तान युद्ध छिड़ा, उस समय नायब सूबेदार नागेश्वर महतो की ड्यूटी टेक्निकल स्टाफ के तौर पर थी। उन्हें बोफोर्स तोप की जिम्मेदारी दी गई थी। 

परिजन बताते हैं कि लगातार गोलीबारी के बीच तोप की गड़बड़ियों को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी नागेश्वर पर थी। जब वे युद्ध विराम के बीच तोप को ठीक कर रहे थे, तभी पाकिस्तान की ओर से ग्रेनेड फेंका गया। इस धमाके में ही नागेश्वर वीरगति को प्राप्त हो गए। नागेश्वर महतो के तीन पुत्र हैं। बड़े बेटे मुकेश ने बातचीत करने पर बताया कि उनके पिता के शहीद होने के बाद सरकार द्वारा आवंटित पेट्रोल पंप का संचालन करता है। दूसरे अभिषेक अमेरिका में चार्टर्ड अकाउंटेड है। जबकि छोटा बेटा आकाश पढ़ रहा है।

आश्वासन के बावजूद नहीं लग सकी प्रतिमा

शहीद नागेश्वर महतो के परिवारजनों के साथ पिठोरिया के ग्रामीणों की मांग है कि गांव में शहीद की प्रतिमा लगाई जाए। बेटा मुकेश ने कहा कि गांव के प्रमुख चौक चौराहा पर पिताजी की प्रतिमा लगाने का आश्वसन मिला था, जो अब तक नहीं बना। ग्रामीण दीपक चौरसिया, सुजीत केशरी, अनिल केशरी ने कहा कि लंबे समय से गांव में शहीद नागेश्वर महतो की प्रतिमा लगाने की मांग सरकार से की जा रही है, लेकिन अब तक सरकार की ओर से पहल नहीं की गई है। सभी ने कहा कि शहीद नागेश्वर महतो की प्रतिमा पिठोरिया बाजार टांड़ स्थित उनके पैतृक मकान के सामने लगायी जाए। प्रतिमा देखकर आसपास इलाके के युवाओं में देश सेवा की प्रेरणा मिलेगी। वहीं, शहीद वीर सपूत की गौरव गाथा भावी पीढ़ियों को सर्वदा गौरवान्वित करती रहेगी।

पुल के साइन बोर्ड से मिटा शहीद का नाम

बेटा मुकेश कुमार महतो ने कहा कि तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा कांके पतरातू मार्ग पर स्थित जुमार नदी पर बने पुल का नामकरण शहीद नागेश्वर सेतू किया गया था। पुल के दोनों ओर साइन बोर्ड लगाए गए थे, लेकिन समय के साथ साइन बोर्ड से नाम मिट गए। 

विडंबना है, देश सेवा में जान गंवाने वाला वीर सपूत का नाम दोबारा लिखवाने के लिए सरकार के स्तर से अबतक पहल नहीं की गई। हालांकि राजधानी रांची के वीआईपी मार्ग (धुर्वा से हरमू) के धुर्वा स्थित नागेश्वर फ्यूल सेंटर के पास शहीद के नाम पर पथ का नामकरण किया गया है। यहां रांची नगर निगम की ओर से शहीद के नाम का साइबोर्ड उनकी तस्वीर के साथ लगाया गया है।