मुंडा समाज के सात एकड़ जमीन पर दबंगों का जबरन कब्जा।
पूर्व विधायक सत्येन्द्रनाथ ने एक प्रभावशाली व्यक्ति पर संरक्षण देने का लगाया आरोप
अभय तिवारी
गढ़वा :- गढ़वा जिला में भी आदिवासियों का जमीन पर दबंगों का कब्जा । मुंडा समाज के सात एकड़ भूमि पर कर लिया गया है कब्जा, ग्रामीणों ने की पूर्व विधायक सतेंद्रनाथ तिवारी के साथ जाकर जिला समाहरणालय में गढ़वा डीडीसी पशुपति नाथ मिश्रा से की शिकायत।मामला गढ़वा जिले के रमकंडा थाना क्षेत्र उदयपुर पंचायत के सबाने गांव के मुंडा परिवार का है ।
जो सात एकड़ भूमि पर पंचायत के एक व्यक्ति द्वारा जबरन कब्जा कर लिया है। मुंडा परिवार के लोगों ने इसकी शिकायत पूर्व विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी से किया। पूर्व विधायक ग्रामीणों को न्याय दिलाने के लिए उपायुक्त से मिलने समाहरणालय पहुंचे।
मौके पर उपस्थित उप विकास आयुक्त पशुपतिनाथ मिश्रा से ग्रामीणों को न्याय दिलाने के लिए पहल करने की बात कही। मौके पर पूर्व विधायक ने कहा कि झारखंड में आदिवासी, गरीब, दलित व शोषित लोग ही सुरक्षित नहीं है। एक प्रभावशाली व्यक्ति पर संरक्षण देने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि रमकंडा के सबाने गांव में मुंडा परिवार को मंत्री के ही संरक्षण प्राप्त व्यक्ति द्वारा कब्जा किया जा रहा है। उक्त भूमि पर पहले तालाब का निर्माण कराया। जिसके बाद वह मछली पालन कर खुद ही फायदा ले रहा है। वहीं पूरे सात एकड़ भूमि पर कब्जा जमा लिया है। पूर्व विधायक ने कहा कि वर्तमान झारखंड सरकार आदिवासी की हितैशी की बात करती है और आदिवासी को ही दबाया जा रहा है। गढ़वा-के एक जनप्रतिनिधि पर दिन रात लूटने का आरोप लगाया। वहीं इनके आदमी भी भोली-भाली जनता को परेशान कर रहे हैं।
अंग्रेजो ने गढ़वा व पलामू के लोगों को जितना परेशान नहीं किया होगा। उतना कुछ लोग कर रहे हैं।
गढ़वा का दुर्दशा के कारण चारो तरफ हाहाकार मची हुई है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के कारण आदिवासी परिवार का जमीन नही लूट जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को अगर जिला प्रशासन से न्याय मिला, तो बाध्य होकर राज्यपाल और केन्द्रीय गृह मंत्रालय से मिलेंगे । लेकिन सबसे बड़ी बात यह है की आखिर कब तक आदिवासियों को दबाया जायेगा और उनके जमीन को कब तक लूटा जायेगा । यह अब झारखण्ड की सरकार ही बेहतर बता सकती है ।सच बात यह है कि झारखण्ड को बिहार से अलग भी इसलिए किया गया था की बिहार रहते आदिवासियों का विकास नहीं हो सकता लेकिन झारखंड बनाने के बाद भी आखिर क्यों आदिवासियों का हक और उनके जमीन को लुटा जा रहा है ।
यह सब अब बेहतर झारखण्ड सरकार ही बता सकता है की आखिर इस तरह के कार्य क्यो हो रहा है और कैसे विराम लगेगा ।मौके पर ग्रामीण सामगर मुंडा, सिंगराय मुंडा, रामसहाय मुंडा, कैरा मुंडा, गुंगा मुंडा, सोमा मुंडा, दशय मुंडरी, हुली देवी आदि ने बताया कि हमलोग 50 वर्षों से अधिक समय से उक्त भूमि की रसीद भी कट रही है।
खतियान से लेकर जमीन की सभी कागजात मौजूद है। बावजूद इस जमीन पर जबरन भूमि पर कब्जा कर लिया। खेती करने पहुंचने पर मारपीट पर उतारू हो जाता है। हमलोगों की बातों को कोई भी सुनने को तैयार नहीं है। जबकि हमलोग खेती कर ही परिवार का भरण-पोषण करते हैं। इधर डीडीसी ने कहा कि ग्रामीणों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने एसडीओ को मोबाइल पर बात कर जांचोपरांत कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
Jul 27 2024, 17:40