कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने बदला रामनगर जिले का नाम, बीजेपी बोली- श्री राम से इतनी नफरत क्यों
#karnatakagovtchangeramnagardistrictnamebjpjdscriticises
कर्नाटक सरकार ने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु दक्षिण करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। सरकार के इस फैसले का भाजपा और जेडीएस ने विरोध किया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले को लेकर बीजेपी ने आलोचना की है, उन्होंने पार्टी पर राम विरोधी होने का भी आरोप लगाया है। वहीं, कहना है कि रामनगर में रियल एस्टेट को बढ़ाने की मंशा से नाम बदला गया है। इस तरह के कदम से विकास नहीं होगा। केंद्रीय मंत्री डीके कुमारस्वामी ने रामनगर का नाम बदलने को लेकर डीके शिवकुमार की आलोचना की और आमरण अनशन करने की चेतावनी दी है।
![]()
कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार यानी 26 जुलाई को एक बड़ा फैसला लिया, जिसमें रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु साउथ रखा जा रहा है। यह फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। इस बात की घोषणा कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने की। एच के पाटिल ने कहा, हमने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु दक्षिण करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, 'नाम बदलने का फैसला वहां के लोगों की मांग पर किया गया है। राजस्व विभाग इस प्रक्रिया को शुरू करेगा। उन्होंने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों कहा, सिर्फ जिले का नाम बदलेगा, बाकी सब वही रहेगा।
उन्हें राम के नाम से भी समस्या- प्रल्हाद जोशी
केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद प्रल्हाद जोशी ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर निशाना साधा है। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, रामनगर जिले का नाम बदलने का ये फैसला राम और राम मंदिर के प्रति उनकी एलर्जी को दर्शाता है। यहां तक कि अब उन्हें राम के नाम से भी समस्या होने लगी।
कांग्रेस ने पहले भी भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया है-पूनावाला
वहीं, बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) से जुड़े कई घोटालों में कांग्रेस सरकार के शामिल होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार अन्य मुद्दों और जनता की परेशानियों से जनता का ध्यान भटका रही है, सरकार इन सभी को दूर करने की बजाय रामनगर जिले का नाम बदलने का विकल्प चुना। उन्होंने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को भगवान श्री राम से इतनी नफरत क्यों है? कर्नाटक में, जहां ‘मुडा घोटाला’ और ‘वाल्मीकि घोटाला’ जैसे घोटाले चल रहे हैं, वहां जनता के मुद्दों को सुलझाने के बजाय रामनगर का नाम बदल दिया गया। पूनावाला ने कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा कि क्या कर्नाटक सरकार ने यह फैसला अपने रियल एस्टेट के फील्ड में शामिल दोस्तों के फायदे के लिए और भगवान राम के लिए दुश्मनी की वजह से लिया है। उन्होंने आगे कांग्रेस के खिलाफ बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने पहले भी भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया है, इतना ही नहीं उन्होंने राम मंदिर बनाने के समय भी विरोध किया था, कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद का भी कई बार जिक्र किया है। कांग्रेस के सहयोगियों ने रामचरितमानस के बारे में भी अपमानजनक टिप्पणी की है।
कुमारस्वामी ने अनशन पर बैठने की दी धमकी
वहीं, केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने रामनगर का नाम बदलने को लेकर डीके शिवकुमार की आलोचना की और आमरण अनशन करने की चेतावनी दी है। केंद्रीय मंत्री डीके कुमारस्वामी ने कहा, रामनगर से मेरा कोई कारोबारी रिश्ता नहीं, बल्कि भावनात्मक रिश्ता है। अगर रामनगर जिले का नाम बदला जाता है तो मैं अपनी जान जोखिम में डालने और खराब स्वास्थ्य के बावजूद आमरण अनशन पर बैठने के लिए तैयार हूँ। आखिरी क्षण तक मैं उस जिले के गौरव की रक्षा के लिए लडूँगा।








अमेरिकी संसद में गुरुवार को भारत को नाटो सहयोगियों के स्तर का दर्जा देने की मांग उठाई गई। इसके अलावा पाकिस्तान अगर भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है तो उसके लिए सुरक्षा सहायता बंद करने की भी अपील की गई है। यह बिल अमेरिकी सांसद मार्को रुबियो ने पेश किया है। बिल में मांग की गई है कि अमेरिका अपने सहयोगियों जापान, इस्राइल, कोरिया और नाटो सहयोगी देशों की तरह ही भारत को भी अपना शीर्ष सहयोगी माने और उसे अहम तकनीक का ट्रांसफर करे, भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए बढ़ते खतरे के बीच उसे अपना समर्थन दे और पाकिस्तान से आयातित आतंकवाद के खिलाफ उसके खिलाफ कार्रवाई करे। प्रस्ताव पेश करने के बाद अमेरिकी सांसद ने कहा, "कम्युनिस्ट चीन इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही वह हमारे क्षेत्रीय सहयोगियों की संप्रभुता का भी उल्लंघन करता रहता है। ऐसे में यह जरूरी है कि अमेरिका भारत जैसे अपने सहयोगियों को चीन से निपटने में मदद करे।" सीनेटर रुबियो ने भारत की चिंताओं को रेखांकित करते हुए अपने विधेयक में भारत की क्षेत्रीय अखंडता का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर बढ़ते खतरों को देखते हुए भारत का हर स्तर पर समर्थन किया जाना चाहिए। सीनेटर मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी बातें रखीं। फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा, “मैंने यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट बिल पेश किया है। भारत के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए, यह जरूरी है कि हम नई दिल्ली के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को बढ़ाएँ। कम्युनिस्ट चीन की आक्रामकता का सामना कर रहे भारत को सर्वश्रेष्ठ समर्थन देने के लिए एक बिल पेश किया गया है।” हालांकि अमेरिका में जल्द ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं और ऐसे समय में जब अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों के सांसदों में मतभेद चल रहे हैं तो इस बिल के पारित होने की संभावना कम ही है, लेकिन अमेरिका में भारत को मिल रहे समर्थन को देखते हुए नई सरकार के गठन के बाद इस बिल के फिर से कांग्रेस में पेश होने की उम्मीद है। *भारत को क्या होगा फायद?* अमेरिकी सीनेट में भारत को नाटो सहयोगी का दर्जा देने वाला प्रस्ताव पारित होने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। इस प्रस्ताव के पास होने से भारत को निश्चित तौर पर फायदा होगा। इसके अलावा दोनों देशों की सामरिक भागीदारी को बढ़ावा देने में भी यह फायदेमंद साबित होगा। ये प्रस्ताव पारित होने के बाद भारत का दर्जा इजरायल और दक्षिण कोरिया के समान हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि हम जिस तरह की रक्षा तकनीक की अपेक्षा अमेरिका से मिलने की बात करते हैं वह हमें हासिल हो सकेंगी। इस प्रस्ताव के पास होने से पहले जब भारत तकनीक ट्रांसफर की बात करता था तो सबसे बड़ी बाधा यही थी कि हम नाटो के सहयोगी देश नहीं थे। इसलिए अमेरिका को तकनीक देने में हमेशा झिझक बनी रहती थी। इतना ही नहीं वहां के मिलिट्री इंडस्ट्रीयल कांप्लैक्स को भी रक्षा तकनीक भारत को देने में परेशानी बनी रहती थी। लेकिन, अब जबकि नाटो सहयोगी का दर्जा देने का प्रस्ताव पास हो गया है तो ऐसी दिक्कत नहीं आएगी। *भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की उठी थी मांग* इससे पहले पिछले साल अमेरिकी संसद में भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की भी मांग उठी थी। अमेरिकी संसद की सिलेक्ट कमेटी ने इसकी सिफारिश की थी। भारत को हथियार और टेक्नोलॉजी ट्रासंफर करने में तेजी को उद्देश्य बताकर ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने की कवायद शुरू की गई थी। कमेटी का मानना था कि चीन ताइवान पर हमला करता है तो सामरिक तौर पर कड़ा जवाब देने के साथ-साथ क्वॉड को भी अपनी भूमिका बढ़ानी होगी। हालांकि, भारत ने स्पष्ट संकेत दिया था कि वह ‘नाटो प्लस’ में शामिल नहीं होना चाहता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ किया था कि ‘नाटो प्लस’ के दर्जे के प्रति भारत ज्यादा उत्सुक नहीं है।
Jul 27 2024, 12:14
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
3.9k