पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की मीटिंग शुरू, इन सात राज्यों के सीएम ने बैठक से बनाई दूरी
#pmmoditochairnitiaayoggoverningcouncilmeet_today
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक शुरू हो गई है। देश भर के मुख्यमंत्री इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। बैठक राष्ट्रपति भवन के कल्चरल सेंटर में हो रही है। इंडिया गठबंधन शासित राज्यों में सिर्फ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में हिस्सा ले रही हैं। मीटिंग से पहले ममता बनर्जी ने नीति आयोग को लेकर ही सवाल उठा दिया. उन्होंने कहा कि इसे बंद कर फिर से योजना आयोग लाया जाए। वहीं, गैर बीजेपी शासित सात राज्यों के सीएम ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
![]()
बैठक में इन राज्यों के मुख्यमंत्री करेंगे शिरकत
नीति आयोग की बैठक में शामिल होने वाले सीएम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, अरुणाचल के उपमुख्यमंत्री चौना मीन, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का नाम शामिल है।
सात राज्यों के सीएम का बैठक में शामिल होने से इनकार
तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, केरल और झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक में शामिल होने से इनकार किया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने केंद्र सरकार पर राज्य के अधिकारों की अनदेखी करने और बकाया फंड जारी न करने का आरोप लगाते हुए 27 जुलाई को दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की आगामी बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। नीति आयोग की आज होने वाली बैठक से हेमंत सोरेन ने भी दूरी बना ली है। हालांकि, पहले खबर थी कि वह बैठक में भाग लेंगे लेकिन अब वह इंडिया गठबंधन के फैसले के साथ रहेंगे। इसकी बड़ी वजह केंद्रीय बजट में राज्य की अनदेखी रही। केंद्र सरकार पर राज्य का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपया बकाया है। खबर है कि झारखंड बकाया की मांग आगे भी जारी रखेगा।
नीति आयोग की बैठक में 15 केंद्रीय मंत्री भी होंगे शामिल
नीति आयोग की बैठक में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चार पदेन सदस्य होंगे। इनके अलावा सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा, भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी और एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी नीति आयोग में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं। इनके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्यों में पंचायती राज मंत्री लल्लन सिंह, सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार, नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू, आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री अन्नपूर्णा देवी, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार राव इंद्रजीत सिंह शामिल हैं।
बैठक की थीम ‘विकसित भारत है
नीति आयोग की इस बैठक में विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्यों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। बैठक की थीम ‘विकसित भारत है। इसका मुख्य फोकस भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। नीति आयोग की बैठक के बाद ‘सीएम कॉन्क्लेव’ होगा, जिसमें राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री हिस्सा लेंगे। बैठक के दौरान राज्य सरकार की ओर से नीति आयोग को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट के साथ केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से संचालित योजना पर चर्चा होगी। बैठक में 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी, विकसित राष्ट्र में राज्यों की भूमिका, पेयजल-बिजली, स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा, देश-राज्यों के विकास का रोडमैप, केंद्र-राज्य सरकारों में सहयोग और डिजिटलीकरण जैसे विषयों पर चर्चा होगी।







अमेरिकी संसद में गुरुवार को भारत को नाटो सहयोगियों के स्तर का दर्जा देने की मांग उठाई गई। इसके अलावा पाकिस्तान अगर भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है तो उसके लिए सुरक्षा सहायता बंद करने की भी अपील की गई है। यह बिल अमेरिकी सांसद मार्को रुबियो ने पेश किया है। बिल में मांग की गई है कि अमेरिका अपने सहयोगियों जापान, इस्राइल, कोरिया और नाटो सहयोगी देशों की तरह ही भारत को भी अपना शीर्ष सहयोगी माने और उसे अहम तकनीक का ट्रांसफर करे, भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए बढ़ते खतरे के बीच उसे अपना समर्थन दे और पाकिस्तान से आयातित आतंकवाद के खिलाफ उसके खिलाफ कार्रवाई करे। प्रस्ताव पेश करने के बाद अमेरिकी सांसद ने कहा, "कम्युनिस्ट चीन इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही वह हमारे क्षेत्रीय सहयोगियों की संप्रभुता का भी उल्लंघन करता रहता है। ऐसे में यह जरूरी है कि अमेरिका भारत जैसे अपने सहयोगियों को चीन से निपटने में मदद करे।" सीनेटर रुबियो ने भारत की चिंताओं को रेखांकित करते हुए अपने विधेयक में भारत की क्षेत्रीय अखंडता का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर बढ़ते खतरों को देखते हुए भारत का हर स्तर पर समर्थन किया जाना चाहिए। सीनेटर मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी बातें रखीं। फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा, “मैंने यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट बिल पेश किया है। भारत के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए, यह जरूरी है कि हम नई दिल्ली के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को बढ़ाएँ। कम्युनिस्ट चीन की आक्रामकता का सामना कर रहे भारत को सर्वश्रेष्ठ समर्थन देने के लिए एक बिल पेश किया गया है।” हालांकि अमेरिका में जल्द ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं और ऐसे समय में जब अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों के सांसदों में मतभेद चल रहे हैं तो इस बिल के पारित होने की संभावना कम ही है, लेकिन अमेरिका में भारत को मिल रहे समर्थन को देखते हुए नई सरकार के गठन के बाद इस बिल के फिर से कांग्रेस में पेश होने की उम्मीद है। *भारत को क्या होगा फायद?* अमेरिकी सीनेट में भारत को नाटो सहयोगी का दर्जा देने वाला प्रस्ताव पारित होने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। इस प्रस्ताव के पास होने से भारत को निश्चित तौर पर फायदा होगा। इसके अलावा दोनों देशों की सामरिक भागीदारी को बढ़ावा देने में भी यह फायदेमंद साबित होगा। ये प्रस्ताव पारित होने के बाद भारत का दर्जा इजरायल और दक्षिण कोरिया के समान हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि हम जिस तरह की रक्षा तकनीक की अपेक्षा अमेरिका से मिलने की बात करते हैं वह हमें हासिल हो सकेंगी। इस प्रस्ताव के पास होने से पहले जब भारत तकनीक ट्रांसफर की बात करता था तो सबसे बड़ी बाधा यही थी कि हम नाटो के सहयोगी देश नहीं थे। इसलिए अमेरिका को तकनीक देने में हमेशा झिझक बनी रहती थी। इतना ही नहीं वहां के मिलिट्री इंडस्ट्रीयल कांप्लैक्स को भी रक्षा तकनीक भारत को देने में परेशानी बनी रहती थी। लेकिन, अब जबकि नाटो सहयोगी का दर्जा देने का प्रस्ताव पास हो गया है तो ऐसी दिक्कत नहीं आएगी। *भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की उठी थी मांग* इससे पहले पिछले साल अमेरिकी संसद में भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की भी मांग उठी थी। अमेरिकी संसद की सिलेक्ट कमेटी ने इसकी सिफारिश की थी। भारत को हथियार और टेक्नोलॉजी ट्रासंफर करने में तेजी को उद्देश्य बताकर ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने की कवायद शुरू की गई थी। कमेटी का मानना था कि चीन ताइवान पर हमला करता है तो सामरिक तौर पर कड़ा जवाब देने के साथ-साथ क्वॉड को भी अपनी भूमिका बढ़ानी होगी। हालांकि, भारत ने स्पष्ट संकेत दिया था कि वह ‘नाटो प्लस’ में शामिल नहीं होना चाहता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ किया था कि ‘नाटो प्लस’ के दर्जे के प्रति भारत ज्यादा उत्सुक नहीं है।
Jul 27 2024, 11:30
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
11.0k