समर्थन मूल्य पर कानून बनाएगी सरकार? कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में किया बड़ा ऐलान
मानसून सत्र के दौरान शुक्रवार को संसद में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। सपा सांसद ने एमएसपी को लेकर सवाल किया। इस सवाल का सरकार की ओर से कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जवाब दिया। शिवराज ने एमएसपी को लेकर बड़ी बात कही।
राज्यसभा में किसानों के मुद्दे पर प्रश्नकाल के दौरान जोरदार हंगामा हुआ। प्रश्नकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने 12 जुलाई 2000 को किसानों की समस्याओं पर बनी कमेटी की बैठकों के ब्यौरे को लेकर सवाल किया। इसके जवाब में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान हमारे लिए भगवान की तरह है और किसान की सेवा हमारे लिए पूजा जैसी है।
उन्होंने कहा कि इस समिति का गठन तीन उद्देश्यों- एमएसपी उपलब्ध कराने और व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के साथ कृषि मूल्य को अधिक स्वायत्तता और कृषि वितरण प्रणाली के लिए सुझाव देने के लिए। कृषि मंत्री ने कहा कि समिति की 22 बैठकें हो चुकी हैं। समिति जो सिफारिश देगी, उस पर विचार किया जाएगा।
इस पर रामजी लाल सुमन ने कहा कि ये अनिश्चचितता का वातावरण है। ये कब दूर होगा, ये जो किसान को भगवान बता रहे हैं, इनको किसानों से कोई लेना-देना नहीं है। सीधा जवाब दीजिए कि आप एमएसपी को कानूनी दर्जा देना चाहते हैं या नहीं देना चाहते, बचिए मत। इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राम, शिव से सवाल पूछ रहे हैंय़ जवाब में शिवराज ने कहा कि एमएसपी की दरें किसान को ठीक दाम देने के लिए लगातार बढ़ाई गई है। ये गलत आरोप लगा रहे हैं। सरकार की छह सूत्रीय रणनीति है।
शिवराज ने उत्पादन बढ़ाने से लेकर लागत घटाने तक के उपाय गिनाए और कहा कि हमें किसान विरोधी कहा जा रहा है। नरेंद्र मोदीजी से बड़ा किसान हितैषी कोई है नहीं। उचित दाम देने के लिए समिति की रिपोर्ट आएगी तब हम कार्रवाई करेंगे। लेकिन तब तक हम चुप नहीं बैठे हैं। उन्होंने फसलों के एमएसपी के दाम बढ़ाए जाने के आंकड़े गिनाए और कहा कि इन 23 फसलों के दाम देख लीजिए। इस दौरान विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
कृषि मंत्री ने किसानों के लिए सम्मान निधि के साथ ही गेहूं-धान की खरीद बढ़ने का भी जिक्र किया। शिवराज ने कहा कि सरकार फर्टिलाइजर पर 1 लाख 68 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है। कदम जरूरी हैं, जिन्हें लेकर सरकार गंभीर है। इसके बाद रणदीप सुरजेवाला और विपक्ष के अन्य सांसदों ने एमएसपी की लीगल गारंटी को लेकर हंगामा शुरू कर दिया।





अमेरिकी संसद में गुरुवार को भारत को नाटो सहयोगियों के स्तर का दर्जा देने की मांग उठाई गई। इसके अलावा पाकिस्तान अगर भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है तो उसके लिए सुरक्षा सहायता बंद करने की भी अपील की गई है। यह बिल अमेरिकी सांसद मार्को रुबियो ने पेश किया है। बिल में मांग की गई है कि अमेरिका अपने सहयोगियों जापान, इस्राइल, कोरिया और नाटो सहयोगी देशों की तरह ही भारत को भी अपना शीर्ष सहयोगी माने और उसे अहम तकनीक का ट्रांसफर करे, भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए बढ़ते खतरे के बीच उसे अपना समर्थन दे और पाकिस्तान से आयातित आतंकवाद के खिलाफ उसके खिलाफ कार्रवाई करे। प्रस्ताव पेश करने के बाद अमेरिकी सांसद ने कहा, "कम्युनिस्ट चीन इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही वह हमारे क्षेत्रीय सहयोगियों की संप्रभुता का भी उल्लंघन करता रहता है। ऐसे में यह जरूरी है कि अमेरिका भारत जैसे अपने सहयोगियों को चीन से निपटने में मदद करे।" सीनेटर रुबियो ने भारत की चिंताओं को रेखांकित करते हुए अपने विधेयक में भारत की क्षेत्रीय अखंडता का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर बढ़ते खतरों को देखते हुए भारत का हर स्तर पर समर्थन किया जाना चाहिए। सीनेटर मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी बातें रखीं। फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा, “मैंने यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट बिल पेश किया है। भारत के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए, यह जरूरी है कि हम नई दिल्ली के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को बढ़ाएँ। कम्युनिस्ट चीन की आक्रामकता का सामना कर रहे भारत को सर्वश्रेष्ठ समर्थन देने के लिए एक बिल पेश किया गया है।” हालांकि अमेरिका में जल्द ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं और ऐसे समय में जब अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों के सांसदों में मतभेद चल रहे हैं तो इस बिल के पारित होने की संभावना कम ही है, लेकिन अमेरिका में भारत को मिल रहे समर्थन को देखते हुए नई सरकार के गठन के बाद इस बिल के फिर से कांग्रेस में पेश होने की उम्मीद है। *भारत को क्या होगा फायद?* अमेरिकी सीनेट में भारत को नाटो सहयोगी का दर्जा देने वाला प्रस्ताव पारित होने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। इस प्रस्ताव के पास होने से भारत को निश्चित तौर पर फायदा होगा। इसके अलावा दोनों देशों की सामरिक भागीदारी को बढ़ावा देने में भी यह फायदेमंद साबित होगा। ये प्रस्ताव पारित होने के बाद भारत का दर्जा इजरायल और दक्षिण कोरिया के समान हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि हम जिस तरह की रक्षा तकनीक की अपेक्षा अमेरिका से मिलने की बात करते हैं वह हमें हासिल हो सकेंगी। इस प्रस्ताव के पास होने से पहले जब भारत तकनीक ट्रांसफर की बात करता था तो सबसे बड़ी बाधा यही थी कि हम नाटो के सहयोगी देश नहीं थे। इसलिए अमेरिका को तकनीक देने में हमेशा झिझक बनी रहती थी। इतना ही नहीं वहां के मिलिट्री इंडस्ट्रीयल कांप्लैक्स को भी रक्षा तकनीक भारत को देने में परेशानी बनी रहती थी। लेकिन, अब जबकि नाटो सहयोगी का दर्जा देने का प्रस्ताव पास हो गया है तो ऐसी दिक्कत नहीं आएगी। *भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की उठी थी मांग* इससे पहले पिछले साल अमेरिकी संसद में भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की भी मांग उठी थी। अमेरिकी संसद की सिलेक्ट कमेटी ने इसकी सिफारिश की थी। भारत को हथियार और टेक्नोलॉजी ट्रासंफर करने में तेजी को उद्देश्य बताकर ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने की कवायद शुरू की गई थी। कमेटी का मानना था कि चीन ताइवान पर हमला करता है तो सामरिक तौर पर कड़ा जवाब देने के साथ-साथ क्वॉड को भी अपनी भूमिका बढ़ानी होगी। हालांकि, भारत ने स्पष्ट संकेत दिया था कि वह ‘नाटो प्लस’ में शामिल नहीं होना चाहता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ किया था कि ‘नाटो प्लस’ के दर्जे के प्रति भारत ज्यादा उत्सुक नहीं है।


Jul 26 2024, 18:41
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