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राष्ट्रपति भवन के 'अशोक हॉल' और 'दरबार हॉल' के नाम बदले गए, जानें क्या होगा नया नाम

#presidenthousechangenameoftwohall 

राष्ट्रपति भवन के प्रतिष्ठित 'दरबार हॉल' और 'अशोक हॉल' का नाम बदल गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदलने का आदेश जारी किया है। अब इन्हें ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक मंडप’ के नाम से जाना जाएगा।

राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इन्हें जनता के लिए अधिक सुलभ बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रपति भवन के माहौल को भारतीय सांस्कृति मूल्यों और लोकाचार के अनुरूप बनाने के निरंतर प्रयास किए गए। इसी क्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के दो प्रतिष्ठित हॉल 'दरबार हॉल' का नाम बदलकर 'गणतंत्र मंडप' और 'अशोक हॉल' का नाम बदलकर 'अशोक मंडप' किया है। 

बयान में आगे कहा गया, "दरबार हॉल राष्ट्रीय पुरस्कारों की प्रस्तुति जैसे महत्वपूर्ण समारोहों का स्थल है। दरबार शब्द का तात्पर्य भारतीय शासकों और अंग्रेजों की अदालतों और सभाओं से है। भारत के गणतंत्र बनने के बाद इसकी प्रासंगिकता खत्म हो गई है। गणतंत्र मंडप की अवधारणा प्राचीन काल से भारतीय समाज में गहराई से निहित है, जिस वजह से आयोजन स्थल का नाम बदलकर गणतंत्र मंडप किया गया है।"

इसमें आगे कहा गया, "अशोक शब्द का अर्थ एक ऐसे व्यक्ति से है, जो सभी प्रकार दुखों से मुक्त है। इसके अलावा अशोक का तात्पर्य एकता और शांति-पूर्ण सह-अस्तित्व के प्रतीक सम्राट अशोक से है। बयान में आगे कहा गया, सारनाथ अशोक की राजधानी थी। यह शब्द अशोक वृक्ष को भी संदर्भित करता है, जिसका भारतीय धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ कला और संस्कृति में भी गहरा महत्व है। अशोक हॉल का नाम बदलकर अशोक मंडप करने से भाषा में एकरूपता आती है और अशोक शब्द प्रमुख मूल्यों को बरकरार रखते हुए अंग्रेजीकरण की छाप को भी दूर करता है।"

नाम बदलने पर प्रियंका गांधी का तंज

वहीं राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी किए गए इस आदेश पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने तंज कसा है। प्रियंका ने कहा है कि भले ही यहां ‘दरबार’ की कोई अवधारणा नहीं है, लेकिन ‘शहंशाह’ की अवधारणा है। दरअसल कांग्रेस नेता ने इसके जरिए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने की कोशिश की है, इससे पहले भी वो पीएम को शहंशाह बता चुकी हैं।

अपनी ही पार्टी के सांसद पर रिजिजू ने उठाए सवाल, बोले-सदन की गरिमा के खिलाफ

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लोकसभा में भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय की टिप्पणी पर गुरुवार सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। विपक्षी सदस्य इस मामले में सरकार तथा सदस्य से माफी मांगने की मांग कर रहे थे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस पर कहा कि कोई भी सदस्य अगर ऐसी टिप्पणी करता है, जो सदन की गरिमा के खिलाफ है, तो स्पीकर के पास उस पर उचित ऐक्शन लेने का अधिकार है। 

लोकसभा में बुधवार को बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय की टिप्पणी पर आज भी सदन में जमकर हंगामा हुआ।पूरा विपक्ष बीजेपी सांसद और सरकार से माफी की मांग कर रहा था। इस दौरान संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू ने हालात संभालने की कोशिश की। उन्होंने कहा सदन में बोलते हुए कहा कि बीजेपी के सांसद ने भाषा का गलत इस्तेमाल किया है। हम लोग सब इस महान सदन के सदस्य हैं, कोई भी सदस्य ऐसी टिप्पणी करते हैं जिससे सदन की गरिमा को चोट पहुंचती है, ये सबके लिए अत्यंत दुखद घटना है। चाहे सत्ता पक्ष या विपक्ष का हो कोई भी सदस्य इस तरह की टिप्पणी करता है जिससे सदन की गरिमा को चोट पहुंचती है तो आप समय-समय में कार्रवाई करते हैं। उसको आप सदन की कार्रवाई से बाहर निकालते हैं बाकी अध्यक्ष के पास अधिकार है।

इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सदस्यों को सदन की गरिमा को बढ़ाने वाली चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे शब्द सदन की कार्यवाही से हटा तो दिए जाते हैं, लेकिन सदस्यों को भी इसका ख्लाल रखा चाहिए कि वे ऐसे बयान न दें। उन्होंने कहा कि वह संबंधित सदस्य को चेतावनी दे चुके हैं। बिरला ने इसके साथ ही डायमंड हार्बर से तृणमूल के सांसद अभिषेक बनर्जी का नाम लिए बगैर कहा कि उनका एक और अनुरोध है कि कभी आसन से बहस और चुनौती देने का काम न करें। जितना सदन और आसन की गरिमा रहेगी, उतनी गरिमा आपकी भी बढ़ेगी। दरअसल, बुधवार को सदन में बनर्जी स्पीकर से उलझते दिखाई दिए थे।

अभिजीत गंगोपाध्याय ने क्या कहा था

पश्चिम बंगाल के तामलुक से भारतीय जनता पार्टी के सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय सदन में बजट पर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए आर्थिक विषयों पर अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने टीका-टिप्पणी की तो गंगोपाध्याय ने कहा कि ‘विद्वान सदस्यों को इस विषय के बारे में जानकारी नहीं है और उन्हें सीखना चाहिए।' इसी दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने ‘गोडसे' को लेकर कोई टिप्पणी की जिस पर पलटवार करते हुए गंगोपाध्याय ने उनके लिए एक आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया जिसका विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया। तब कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश गंगोपाध्याय कहते सुने गए, ‘न आप गांधी को जानते हैं, ना ही गोडसे को जानते हैं।

*अनिल देशमुख का देवेंद्र फडणवीस पर बड़ा आरोप, बोले-मुझ पर एमवीए नेताओं को फंसाने का दबाव डाला

#anildeshmukhallegationdevenderfadnavis

महाराष्ट्र का सियासी पारा आए दिन चढ़ जाता है। अब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। सूबे के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। देशमुख ने कहा कि तीन साल पहले 2021 में फडणवीस ने उन पर दबाव बनाया था। वह चाहते थे कि देशमुख महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेताओं के खिलाफ झूठे हलफनामे दायर करें। उनका मकसद एमवीए सरकार को गिराना था। देशमुख का कहना है कि उनके पास देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ पेन ड्राइव में कई सबूत हैं। अगर फडणवीस उन्हें चैलेंज करेंगे तो वह सबूतों का खुलासा कर देंगे।

एनसीपी (शरद पवार) के वरिष्ठ नेता देशमुख ने कहा कि मुझे ईडी और सीबीआई जांच से मुक्ति दिलाने का वादा किया गया था। यह ऑफर फडणवीस के एक आदमी ने दिया था। मैंने खुद फडणवीस से फोन पर बात की थी। सही समय पर मैं सारी जानकारी सामने लाऊंगा। उन्होंने कहा कि फडणवीस का सहयोगी मुझसे कई बार मिला। उसने हमारे बीच फोन पर बातचीत करवाई। एक बार फडणवीस ने मुझसे कहा कि वह समीक्षा के लिए दस्तावेज भेज रहे हैं। मुझे बताया गया कि अगर अजीत पवार पर आरोप लगाना संभव नहीं है, तो मुझे ठाकरे और अनिल परब (शिवसेना) के खिलाफ बोलना चाहिए।

देवेंद्र फडणवीस ने आरोपों को किया खारिज

देशमुख के इन आरोपों पर देवेंद्र फडणवीस ने खारिज किया है। उन्होंने कहा, 'फूट से पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं ने मुझे उनके बारे में कुछ ऑडियो टेप दिए हैं, जिसमें वह शरद पवार, उद्धव ठाकरे और सचिन वाजे के बारे में बात कर रहे हैं। यदि मुझ पर झूठे आरोप लगाए जाते हैं तो मेरे पास इस सबूत को सार्वजनिक करने के सिवा कोई विकल्प नहीं होगा।’ भाजपा नेता ने कहा था कि देशमुख उस मामले में बरी नहीं हुए हैं, जिसमें उनपर पुलिस अधिकारियों को 100 करोड़ रुपये जुटाने का निर्देश देने का आरोप है, वह बस जमानत पर बाहर हैं।

फडणवीस की चेतावनी पर देशमुख का पलटवार

भाजपा नेता फडणवीस की चेतावनी के बाद अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता देशमुख ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा, कल मैंने देवेंद्र फडणवीस के ऊपर आरोप लगाए थे कि तीन साल पहले देवेंद्र फडणवीस ने मुझ पर केंद्र शासन के जरिए दबाव डाला था और मुझसे उस समय उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, अजित पवार के खिलाफ झूठा आरोप लगाने के लिए कहा था। जो आरोप मैंने देवेंद्र फडणवीस पर लगाए थे कि उन्होंने मुझे झूठे आरोप में फंसाया, उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग मेरे पास है। अगर कोई मुझे चुनौती देता है तो मैं उसका खुलासा करूंगा। उन्होंने आगे कहा, कल देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि उनके पास मेरी कुछ वीडियो क्लिप हैं, जिसमें मैंने शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बारे में बोला है। मेरा उनसे आह्वान है कि उनके पास जो भी मेरा वीडियो है, उसे जगजाहिर करना चाहिए।'

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

अनिल देशमुख के आरोपों पर महाराष्ट्र कांग्रेस चीफ नाना पटोले ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा,'जो अनिल देशमुख कह रहे हैं वो सच ही होगा। मोदी सरकार आने के बाद एजेंसियों का गलत उपयोग किया गया है। जो इनके साथ होते हैं, वहां एजेंसी कुछ नहीं करती हैं।फडणवीस के पास अगर कोई सबूत है तो उन्हें जारी करना चाहिए।

क्या जाएगी कंगना रनौत की सांसदी? याचिका पर हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

#himachal_high_court_issues_notice_to_kangana_ranaut

बॉलीवुड एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद कंगना रनौत को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। दरअसल, कंगना की सांसदी के खिलाफ हिमाचल हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसके बाद हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ नोटिस जारी किया है।हाई कोर्ट ने कंगना से 21 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में किन्नौर के एक निवासी द्वारा याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद कंगना रनौत को नोटिस जारी किया है। याचिका में मंडी से सांसद कंगना के निर्वाचन को रद्द करने का अनुरोध करते हुए दलील दी गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए उसके नामांकन पत्र को कथित रूप से गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था। नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल ने रनौत को 21 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता लायक राम नेगी ने कंगना के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें उसने कोर्ट से कंगना के चुनाव को रद्द करने की मांग की है। नायक फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पूर्व कर्मचारी हैं। उन्होंने समय से पहले वीआरएस मिल गई थी। नेगी का कहना है कि वह चुनाव लड़ना चाहता था लेकिन उसके नामांकन पत्र को मंडी के चुनाव अधिकारी ने गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था। नेगी की दलील है कि अगर उनका नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया जाता तो वो जीत जाते। याचिका में लायक राम नेगी ने कोर्ट से अपील की है कि कंगना के चुनाव को रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने मंडी सीट पर दोबारा चुनाव कराने की मांग की है।

कंगना ने लोकसभा चुनाव में हिमाचल के मंडी से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह को 74,755 वोट से हराया था। तीसरे नंबर पर बहुजन समाजवादी पार्टी के डॉ प्रकाश चंद्र भारद्वाज रहे थे। भारद्वाज को 4393 वोट मिले थे।

लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों का बजट के विरोध में प्रदर्शन, स्पीकर ने दी मर्यादा में रहने की नसीहत*
#parliament_monsoon_session_202

संसद के मानसून सत्र में पेश हुए बजट के बाद बजट पर चर्चा का दूसरा दिन है। इसे लेकर सरकार पहले ही विपक्ष से सार्थक चर्चा की अपील कर चुका है। हालांकि, हालात उस तरह से बनते नहीं दिख रहे हैं। आज संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू हो गई है। चौथे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने बजट 2024-25 को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। बजट में भेदभाव को लेकर लोकसभा में विपक्षी सांसदों के हंगामे पर स्पीकर ने कहा कि सदन में मर्यादा में रहें, संसदीय परंपराओं का पालन करें। सदन की गरिमा बनाए रखें। आसन को चुनौती देने का काम नहीं करें।लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों को समझाते हुए कहा कि सांसद आसन से बहस या उसको चुनौती देने का काम कतई न करें। इससे सांसदों का भी सम्मान बढ़ेगा। इससे पहले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया, "ये मॉनसून सत्र है और एक तरीके से ये बजट सत्र ही है। इस सत्र में जो बजट पेश किया गया, कल बजट पर चर्चा का पहला दिन था। देश देखना चाहता है कि बजट पर अच्छी चर्चा हो सार्थक चर्चा हो लेकिन कल विपक्ष के कुछ नेताओं ने जिस तरीके से बजट पर बात की जैसा भाषण दिया वो बजट सत्र की गरिमा को गिरा कर इन्होंने सदन का अपमान किया है। कल विपक्ष ने बजट पर कुछ नहीं कहा केवल राजनीति की है। दो चीजें विपक्ष ने कल की हैं, उन्होंने देश के जनादेश का अपमान किया है। विपक्ष के लोगों ने बजट के अच्छे प्रावधान का जिक्र ना करते हुए केवल गाली देने का काम किया है।
भारी बारिश के कारण मुंबई एयरपोर्ट पर उड़ानों का परिचालन बाधित, और अधिक बारिश की संभावना

मुंबई में भारी बारिश के कारण छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उड़ानों का परिचालन प्रभावित हुआ। भारी बारिश के कारण दृश्यता कम होने के कारण सुबह 10:36 बजे कुछ समय के लिए उड़ानों का परिचालन स्थगित करना पड़ी ।

दृश्यता 1000 मीटर और रनवे विजुअल रेंज (आरवीआर) 1200 मीटर दर्ज किए जाने के बाद सुबह 10:55 बजे परिचालन फिर से शुरू हुआ।

एयर इंडिया ने तुरंत सोशल मीडिया के माध्यम से एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें यात्रियों को सूचित किया गया कि खराब मौसम के कारण मुंबई से आने-जाने वाली उड़ानों में देरी हो सकती है। एयर इंडिया ने कहा, "भारी बारिश के कारण मुंबई से आने-जाने वाली उड़ानें प्रभावित हो सकती हैं। मेहमानों को सलाह दी जाती है कि वे एयरपोर्ट के लिए जल्दी निकलें, क्योंकि धीमी गति से यातायात और जलभराव के कारण आवाजाही में देरी हो सकती है।"

इस बीच, जलभराव के कारण अंधेरी सबवे को वाहनों के आवागमन के लिए बंद कर दिया गया है, जिससे शहर की पहले से ही भीड़भाड़ वाली सड़कों पर और अधिक दबाव पड़ रहा है।

मुंबई में भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सुबह 10:00 बजे एक चेतावनी जारी की, जिसमें अगले 3-4 घंटों में मुंबई, उसके उपनगरों, ठाणे, रायगढ़ और पुणे के घाट क्षेत्रों में अलग-अलग इलाकों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई। भारी बारिश ने रेलवे सेवाओं को भी प्रभावित किया है, बाढ़ के कारण पनवेल-चौक लाइन सुबह 09:42 बजे से निलंबित है। नतीजतन, ट्रेन नंबर 12126 को कल्याण के रास्ते से संचालित करने के लिए पुनर्निर्देशित किया गया है। मध्य रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि भारी बारिश और तेज़ हवा की गति के कारण दृश्यता कम होने के कारण लोकल ट्रेनें सामान्य से कम गति से चल रही हैं। भांडुप पंपिंग स्टेशन, विक्रोली और किंग सर्कल के पास के इलाकों में जलभराव की सूचना मिली। सुबह 6 बजे के आसपास, बांद्रा पूर्व में मातोश्री बंगले के पास कलानगर में एक पेड़ उखड़ गया, जिससे लगभग एक घंटे के लिए बेस्ट बसों को डायवर्ट करना पड़ा।

कांवड़ रूट पर नेम प्लेट विवाद पहुंचा अमेरिका, जानें “पाकिस्तानी” पत्रकार के सवाल के जवाब में यूएस की प्रतिक्रिया

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सावन के महीने में देश की सियासत गर्म है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में कांवड़ यात्रा रूट में दुकानों के ऊपर नेम प्लेट लगाने के आदेश जारी किया गया था। जिसको लेकर पूरे देश में बहस जारी रही। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा। जिसको बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही यूपी-उत्तराखंड और मध्यप्रदेश को सरकार को नोटिस जारी किया गया है। इस बीच भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान अब इस मामले को लेकर अमेरिका तक पहुंच गया है। दरअसल, एक पाकिस्तानी पत्रकार ने अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से भारत के कुछ राज्यों में नेम प्लेट लगाने के आदेश से जुड़ा सवाल पूछा। हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मैथ्यू मिलर के दो टूक जवाब ने पाकिस्तानी पत्रकार को चुप करा दिया।

पाकिस्तानी पत्रकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को नाम लिखने के दिए गए आदेश को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मौथ्यू मिलर से सवाल किया था। मैथ्यू मिलर ने जवाब दिया, ''हमने इस बारे में रिपोर्ट्स देखी हैं. हमने उन रिपोर्ट्स को भी देखा है जिसमें 22 जुलाई को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर रोक लगा दी है। इसलिए वह आदेश अभी प्रभावी नहीं है।''

इसके अलावा, विदेश विभाग के प्रवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका ने सभी धर्मों के सदस्यों के प्रति समान व्यवहार के महत्व पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत की है। उन्होंने कहा, 'सामान्य तौर पर कहें तो हम दुनिया में कहीं भी सभी के लिए धर्म और आस्था की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए सार्वभौमिक सम्मान को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध हैं और हमने सभी धर्मों के सदस्यों के लिए समान व्यवहार के महत्व पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत की है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस महीने की शुरुआत में आदेश दिया था कि कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाले सभी ढाबों और ठेलों के मालिक और काम करने वालों को नाम प्लेट लगानी होगी। यूपी सरकार के इस कदम के बाद मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी ये आदेश लागू किया गया था। हालांकि, 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।

अमेरिका की संसद में गरजे इजरायली पीएम नेतन्याहू, बोले-जब तक हमास को पूरी तरह मिटा नहीं देते जारी रहेगा युद्ध

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बीते नौ महीनों से इजराइल और हमास के बीच जंग जारी है। इस बीच इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने अमेरिकी संसद को संबोधित किया। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार रात 11:30 बजे (भारतीय समयानुसार) अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन को संबोधित किया। नेतन्याहू ने करीब एक घंटे तक भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने सबसे अधिक ईरान पर ही बात की। उन्होंने ईरान को अमेरिका और इजराइल का सबसे बड़ा दुश्मन बताया। साथ ही उन्होंने हमास और अन्य ईरान समर्थित सशस्त्र समूहों के खिलाफ युद्ध के लिए अमेरिकी समर्थन बढ़ाने की भी मांग की।उन्होंने ये भी कहा कि जब तक हमास को पूरी तरह से मिटा नहीं देते युद्ध खत्म नहीं होगा। 

हमास पर राहत सामग्री को चुराने का आरोप

बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी संसद में 9 महीने से जारी गाजा और इजराइल युद्ध का जिक्र करते हुए हमास पर फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए भेजी जाने वाली राहत सामग्री को चुराने का बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इजराइल ने 40,000 से ज्यादा सहायता ट्रकों को गाजा में प्रवेश करने दिया है। लेकिन गाजा में फिलिस्तीनियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है, तो इसका कारण यह नहीं है कि इजराइल इसे रोक रहा है। बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हमास इसे चुरा रहा है।

हमास पर फिलिस्तीनी नागरिकों का इस्तेमाल करने का आरोप

इजराइली पीएम ने कहा कहाल कि हमास फिलिस्तीनी नागरिकों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि आईडीएफ यानी इजराइली रक्षा बलों ने फिलिस्तीनी नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए लाखों फ़्लायर्स भेजे हैं लाखों टेक्स्ट संदेश भेजे हैं और सैकड़ों हजारों फोन कॉल किए हैं। उन्होंने कहा कि हमास फिलिस्तीनी नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करता है। वह स्कूलों, अस्पतालों और मस्जिदों से रॉकेट दागता है। जब वे युद्ध क्षेत्र छोड़ने की कोशिश करते हैं तो वे उन्हें गोली भी मार देते हैं।

ईरान को अमेरिका और इजराइल के लिए संकट बताया

इस दौरान इजराइली पीएम ने हिजबुल्ला को भी कुचलने की धमकी। उन्होंने कहा कि हम अपने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए हर जरूरू कदम उठाएंगे। आगे उन्होंने ईरान को अमेरिका और इजराइल के लिए संकट बताया। नेतन्याहू ने कहा कि ऐसे में अमेरिका और इस्राइल को एक साथ खड़ा होना चाहिए। जब हम एक साथ खड़े होते हैं तो वास्तव में सब अच्छा होता है। हम जीतते हैं, वे हारते हैं। 

रिकॉर्ड चौथी बार अमेरिकी संसद को संबोधित किया 

नेतन्याहू पहले ऐसे विदेशी नेता बन गए हैं, जिन्होंने अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ कॉमन्स) की संयुक्त बैठक को रिकॉर्ड चौथी बार संबोधित किया है। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल को पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने तीन बार संबोधन किया था।

बाइडेन ने बताया क्यों छोड़ी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी, पहली बार खुलकर बताई वजह

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अमेरिका में पांच नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले हैं। जिसके चलते दोनों खेमों में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी में राजनीति तेज हो रही है। इसी बीच वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में रविवार को बड़ा ऐलान किया था। बाइडेन ने राष्ट्रपति चुनाव से अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है और चुनाव की रेस से बाहर हो गए हैं। इसके बाद सवाल उठने लगे थे कि बाइडन ने ये फैसला क्यों लिया है। बाइडेन की सेहत चुनाव में डिबेट का बड़ा मुद्दा बनी हुई थी जिसको लेकर विपक्षी पार्टी लगातार बाइडेन पर निशाना साध रही थी और कहा जा रहा था कि बाइडेन की उम्र और बीमारी उन के चुनाव से पीछे हटने की वजह बनी है। हालांकि, अब बाइडन ने इस मामले में चुप्पी तोड़ी है। बाइडन ने बताया कि न उम्र, न बीमारी बल्कि लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए वो चुनाव से पीछे हट गए हैं।

जो बाइडन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की रेस से पीछे हटने के बाद पहली बार देश को संबोधित किया। ओवल ऑफिस से राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लगभग 11 मिनट तक स्पीच दी।उन्होंने कहा चुनाव से उन्होंने कदम लोकतंत्र को बचाने के लिए वापस ले लिए। उन्होंने कहा, मैं इस कार्यालय का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन मैं अपने देश से भी बहुत ज्यादा प्यार करता हूं।” आपके राष्ट्रपति के रूप में सेवा करना मेरे लिए जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है। बाइडेन ने आगे कहा, लेकिन इस समय लोकतंत्र दांव पर लगा है और उस की रक्षा करना किसी भी और पद से ज्यादा जरूरी है। साथ ही बाइडेन ने कहा, मुझे अपने अमेरिकी लोगों के लिए काम करने में खुशी और ताकत मिलती है।

नई पीढ़ी को मशाल सौंपना चाहता हूं

बाइडन ने कहा, "मैं नई पीढ़ी को मशाल सौंपना चाहता हूं। चुनावी सर्वे में मेरी हार का आकलन किया गया था, इससे परेशान होकर रेस छोड़ने का फैसला लिया है। मैं अपने साथ डेमोक्रेटिक पार्टी के साथियों को हार की तरफ नहीं खींच सकता।" उन्होंने कहा- नई पीढ़ी को मशाल सौंपना हमारे राष्ट्र को एकजुट करने का सबसे अच्छा तरीका है।

आपने हकलाने वाले बच्चे को मौका दिया

अपनी 11 मिनट की स्पीच के दौरान बाइडेन ने राजनीति में अपने कदम रखने के बारे में भी बात की। 80 वर्षीय नेता ने कहा, 'दुनिया में कहीं और ऐसा नहीं हो सकता कि स्क्रैंटन, पेनसिल्वेनिया और क्लेमोंट, डेलावेयर में सामान्य रूप से जन्म लेने वाला हकलाने वाला बच्चा एक दिन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में ओवल ऑफिस में बैठे। लेकिन मैं यहां हूं।' उन्होंने अमेरिकी लोगों के प्यार और समर्थन के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपना दिल और आत्मा देश को दी है और बदले में उन्हें कई बार आशीर्वाद मिला है।

कमला हैरिस के बारे में क्या कहा?

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के डेमोक्रेटिक पार्टी से चुनाव लड़ने पर बाइडेन ने कहा, "वे मजबूत और सक्षम उम्मीदवार हैं। पिछले 4 सालों में बतौर उप-राष्ट्रपति उन्होंने अक बेहतरीन पार्टनर की भूमिका निभाई है। वह देश के लिए एक काबिल लीडर के तौर पर उभरी हैं। अब फैसले आपके हाथ में है।"

भारत ने चाबहार के लिए खोला खजाना, बजट में 100 करोड़ रुपए आवंटित

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ईरान और भारत ने मई में ही चाबहार पोर्ट को लेकर बड़ी डील की थी। इस डील के मुताबिक भारत को चाबहार पोर्ट का 10 साल चलाने तक संचालन करना है। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के कार्यकाल में जब यह डील हुई तो कुछ घंटों बाद ही अमेरिका ने धमकी दी थी।डील के तुरंत बाद ही अमेरिका ने प्रतिबंधों की धमकी का ऐलान किया था। अमेरिका ने कहा था कि ईरान के साथ कुछ सौदों पर विचार करने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रतिबंधों के जोखिम के बारे में पता होना चाहिए। हालांकि भारत सरकार ने इस दरकिनार कर दिया था। अब मंगलवार को आए आम बजट में भी इसको लेकर कुछ ऐलान किए गए। सरकार ने बजट में चाबहार पोर्ट के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारत ने लैंडलॉक्ड अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह समझौता किया। इसके जरिए चीन को दरकिनार किया जाएगा। साथ ही पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को भी इग्नोर कर अफगानिस्तान पर भी प्रभाव डाला जाएगा। ऐसे में चाबहार पोर्ट भारत के लिए काफी अहम है। यही वजह है कि चाबहार बंदरगाह के लिए लगातार चौथे वर्ष भारत ने 100 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। यह दिखाता है कि अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत इस प्रोजेक्ट में ईरान के साथ है। 

एक बड़ी बाधा ईरान के खिलाफ अमेरिका के प्रतिबंध हैं। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ओर से ईरान को ब्लैकलिस्ट करना और इलेक्ट्रॉनिक अंतरराष्ट्रीय भुगतान की स्विफ्ट प्रणाली तक ईरान की पहुंच की कमी होना शामिल है। ईरान डॉलर में लेन-देन नहीं कर सकता है। लेकिन सिर्फ यहीं समस्याएं नहीं हैं। बल्कि लॉजिस्टिक से जुड़ी बाधाएं भी हैं। ईरान ने दो रेलवे लाइनों को पूरा करने में देरी की है।

13 मई को भारत और ईरान के बीच एक डील हुई थी। इसके तहत भारत ने ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को 10 साल के लिए लीज पर लिया था। अब पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था।

चाबहार को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की तुलना में भारत के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर देखा जा रहा है। यह बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है। अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा। इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है।