इस बार राज्य के 30 प्रतिशत कुर्मी वोटों के तीन दावेदार, नितीश, सुदेश के अलावे जयराम महतो क़ी दावेदारी से दिलचस्प मुकबला के आसार
झारखण्ड डेस्क
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा द्वारा शंखनाद किये जाने के बाद सभी राजनीतिक दल रेस हो गयी है. इस बीच झारखण्ड में और दो राजनितिक शक्ति के उदय से राज्य में कुर्मी वोटो का धुर्बीकरण होने क़ी संभवना है.
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वैसे झारखण्ड में शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रांची में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा दिया। इस अवसर पर भाजपा पार्टी के 26 हजार कार्यकर्ताओं का जुटान हुआ था. इस बार भाजपा का चुनावी एजेंडा वही है, जो लोकसभा में था. हेमंत सोरेन सरकार का भ्रष्टाचार, घुसपैठ और इसकी वजह से आदिवासी समाज पर पड़ने वाले प्रभाव के अलावे बेरोजगारों के साथ हेमंत सरकार की वादाखिलाफी को आधार बना कर भाजपा जनता के बीच जाएगी.
भाजपा के भीतर जातीय समीकरण पर भी फोकस होगा. आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटें जीतना भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. इसके लिए भाजपा ने पहले से ही अपने बड़े आदिवासी नेताओं को मैदान में उतारने की तैयारी कर ली है.
झारखंड में भाजपा को अपनी कामयाबी का भरोसा इसलिए दिखता है कि इसकी जड़ें पहले से जमी हुई हैं. सिर्फ इसे संभालने और पटरी पर लाने की जरूरत है. पर, भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती कुड़मी (कुर्मी) वोटर हैं, जिनकी आबादी 25 प्रतिशत के आस पास है.वैसे सरकारी महकमे में यह आबादी 16 फीसद बताई जाती है.
झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं. इनमें 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 30 विधानसभा सीटों पर कुड़मी वोटर निर्णायक माने जाते हैं. छह संसदीय क्षेत्रों में इनका खासा प्रभाव है.कुड़मी वोटर को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने इसी समाज से आने वाले सुदेश महतो की आजसू पार्टी से गठबंधन किया है. अभी तक कुड़मी समाज के वोटों पर सुदेश महतो का ही एकाधिकार था. हालांकि अब कुड़मी वोटों को ध्यान में रखते हुए इस बार इसके तीन दावेदारों के मैदान में होने की प्रबल संभावना है.
कुर्मी वोटों पर सुदेश क़ी रही दावेदारी
अभी तक झारखंड में कुड़मी नेता के रूप में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की ही दावेदारी रही है. हालांकि कुड़मी बहुल 30 विधानसभा सीटें होने के बावजूद आजसू को उस हिसाब से कभी सीटें नहीं मिलीं.2005 के विधानसभा चुनाव में आजसू को सिर्फ दो सीटें मिली थीं. भाजपा के साथ तब नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी था. भाजपा ने जेडीयू के साथ गठबंधन के तहत 63 सीटों पर चुनाव लड़ा था. और 30 सीटें जीतीं थी उसमे जेडीयू 18 पर लड़ कर छह सीटें जीता था.आजसू ने 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन उसे दो सीटें ही मिलीं. 2009 में आजसू 78 सीटों पर लड़ा और उसे सिर्फ एक सीट पर जीत मिली. 2014 में आजसू ने आठ पर लड़ कर पांच सीटें जीतीं. 2019 में 53 सीटों पर लड़ने के बावजूद आजसू को दो ही सीटों पर कामयाबी मिली. यानी 30 विधानसभा क्षेत्रों में कुड़मी वोटरों की बहुलता के बावजूद आजसू शुरू से 2019 तक एक से पांच सीटों पर जीतती रही है.
2024 के चुनाव में होंगे कुर्मी वोटों के 3 दावेदार
इसबार 2024 के विधानसभा चुनाव में कुर्मी वोटों पर 3 दबेदार मैदान में हैं.पिछले चुनावों के अनुभव यही बताते हैं कि भले ही 30 सीटों पर कुड़मी वोटर निर्णायक हैं, लेकिन वे कुड़मी समाज से आने वाले सुदेश महतो की आजसू पार्टी पर भरोसा नहीं करते हैं.उनके वोट बंटते रहे हैं. इस बार कुड़मी वोटों के तीन दावेदार मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. पहली दावेदार तो सुदेश महतो की पार्टी आजसू है. दूसरे नए दावेदार उसी समाज से आने वाले झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) के जयराम महतो हैं. तीसरी दावेदारी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की होने की प्रबल संभावना है.
युवाओं में जयराम महतो का है क्रेज, लोकसभा चुनाव में दिखाया जलवा
झारखंड में कुड़मी नेता के रूप में उभरे नए नेता जयराम का जलवा हालिया लोकसभा चुनाव में देखने को मिला. जयराम महतो ने खुद गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ा और 3,47,322 वोट लाने में सफल रहे. गिरिडीह में एक ही समाज के तीन उम्मीदवार मैदान में थे. आजसू के टिकट पर चंद्र प्रकाश चौधरी ने जीत तो हासिल कर ली, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार मथुरा महतो को हार का सामना करना पड़ा. जेबीकेएसएस ने आठ संसदीय क्षेत्रों- गिरिडीह, रांची, हजारीबाग, चतरा, सिंहभूम, धनबाद, दुमका और कोडरमा में अपने उम्मीदवार उतारे थे। इन उम्मीदवारों को न्यूनतम 12,566 और अधिकतम 3,47,322 वोट मिले.
इस दंगल में कूदे नीतीश कुमार 12 सीट पर ठोंकेंगे ताल
जेडीयू से झारखंड में 2005 में छह विधायक चुने गए थे. एनडीए में रहते हुए नीतीश कुमार की इच्छा झारखंड में भी चुनाव लड़ने की रही है, लेकिन मजबूत नेता और ढांचा न होने के कारण 2005 के बाद जेडीयू को पिछले दो चुनावों में मौका नहीं मिला. इस बार अपने भारत जनतंत्र मोर्चा का जेडीयू से सांठ गांठ कर सरयू राय ने नीतीश कुमार का उत्साह बढ़ाया है. नीतीश के साथ सरयू राय की लगातार मुलाकातों से इतना तो स्पष्ट हो गया है कि जेडीयू भी इस बार झारखंड में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी.जेडीयू ने राज्यसभा में खीरू महतो को भेज कर पार्टी को झारखंड में खड़ा करने का संकेत पहले ही दे दिया था.अब तो सरयू राय जैसा नेता जेडीयू को मिल गया है.जेडीयू को भी झारखंड के कुड़मी वोटरों से ही अधिक उम्मीद है.
Jul 23 2024, 13:36