नवादा :-पुजारी द्वारा मंदिर की जमीन को बेचे जाने पर ग्रामीण हुए उग्र,जमाया कब्जा,ग्रामीणों ने कहा निजी स्वार्थ के लिए नहीं बिकने देंगे।
नवादा जिले के हिसुआ नगर परिषद क्षेत्र के छोटी पाली गांव स्थित वार्ड नंबर-11 में स्थित देवी स्थान मंदिर की जमीन पर मालिकाना हक को लेकर ग्रामीणों और पुजारी में विवाद उत्पन्न हो गया।
आक्रोशित ग्रामीणों ने सुबह मंदिर परिसर में मंदिर समिति के अध्यक्ष दानी सिंह के नेतृत्व में बैठक किया, जिसमें उपस्थित सभी ग्रामीणों ने एक स्वर में मंदिर के सेवायत (पुजारी) द्वारा मंदिर की जमीन बेचे जाने पर अपनी नाराजगी जताई और मंदिर के बचे हुए जमीन व मंदिर को ग्रामीणों ने अपने कब्जे में कर लिया। सेवायत और ग्रामीणों में उत्पन्न विवाद के बारे में बात करते हुए मंदिर समिति के अध्यक्ष दानी सिंह ने बताया कि गांव में देवी मंदिर के नाम से एक एकड़ 7 डिसमिल जमीन है।
इसके अतिरिक्त दो डिसमिल जमीन में मंदिर बना हुआ है। ये सारे जमीन हमारे पूर्वजों के द्वारा मंदिर की देखभाल के लिए मंदिर के नाम पर दान किया गया था। मंदिर के पुजारी के रूप में स्व लखन गिरि एवं जगत गिरी को नियुक्त किया गया था। परंतु, दोनों पुजारी ने अपनी चतुराई का परिचय देते हुए नए सर्वे में मंदिर का एक एकड़ 7 डिसमिल जमीन अपने नाम करवा लिया। जब इस बात की भनक ग्रामीणों को लगी तब ग्रामीणों ने दोनों पंडितों को बुलाकर बैठक किया।
बैठक में दोनों पंडितों के द्वारा ग्रामीणों को यह आश्वासन दिया गया था कि हमलोग इस जमीन की बिक्री नहीं करेंगे, तब जाकर ग्रामीण शांत हुए थे। तब से लेकर अब तक ग्रामीण और पुजारी के बीच कभी किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न नहीं हुआ। हर वादे की तरह भरी समाज में पुजारी द्वारा ग्रामीणों संग मंदिर की जमीन नहीं बेचने का किया गया वादा को पुजारी के पुत्रों ने तोड़ दिया। पिछले कुछ दिनों पूर्व जगत गिरी का द्वितीय पुत्र सरोज गिरी ने अपने हिस्से का मंदिर का 13.5 डिसमिल जमीन बेच दिया।
इस बात की जानकारी जब ग्रामीणों को हुई, तब ग्रामीण एकजुट हुए और मंदिर परिसर में पुजारी के पुत्रों को बुलाकर जमीन बेचे जाने को लेकर बात किया। लेकिन, पुजारी के पुत्र इस बार जमीन पर मालिकाना हक को लेकर ग्रामीणों संग उलझ गए। इसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने मंदिर के सारे जमीन पर ट्रैक्टरों से जुताई कर मंदिर और जमीन अपने कब्जे में ले लिया।
ज्ञात हो कि इन दिनों क्षेत्र में मंदिरों के सेवायतों द्वारा बड़े पैमाने पर मंदिर की जमीन की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है।सैकड़ों वर्ष पूर्व से हीं क्षेत्र के मंदिरों के बेहतर रख-रखाव एवं देखरेख के लिए लोगों द्वारा विभिन्न मंदिरों के नाम पर जमीन दान दिए जाने की सदियों पुरानी परंपरा रही है। जिसका, नाजायज फायदा उठाकर मंदिरों में नियुक्त किए गए सेवायतों के द्वारा धीरे-धीरे मंदिरों के जमीन अपने नाम पर हस्तांतरण करवा कर अपनी निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए बेचे जाने लगी है,
जिसके कारण जमीन दान में देने वालों के वंशजो और आस-पास के लोगों में मंदिर के सेवायत के प्रति आक्रोश उत्पन्न हो रहा है।
नवादा से राकेश कुमार चंदन की रिपोर्ट !
Jul 22 2024, 18:30