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कुंभलगढ़ किले के अंदर कई स्मारक स्थित हैं जिनमे से कुछ महत्वपूर्ण स्मारकों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं

*गणेश मंदिर*

गणेश मंदिर को किले के अंदर बने सभी मंदिरों में सबसे प्राचीन माना जाता है, जिसको 12 फीट (3.7 मीटर) के मंच पर बनाया गया है। इस किले के पूर्वी किनारे पर 1458 CE के दौरान निर्मित नील कंठ महादेव मंदिर स्थित है।

*वेदी मंदिर*
राणा कुंभा द्वारा निर्मित वेदी मंदिर हनुमान पोल के पास स्थित है, जो पश्चिम की ओर है। वेदी मंदिर एक तीन-मंजिला अष्टकोणीय जैन मंदिर है जिसमें छत्तीस स्तंभ हैं, जो राजसी छत का समर्थन करते हैं। बाद में इस मंदिर को महाराणा फतेह सिंह द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था।

*पार्श्वनाथ मंदिर*

पार्श्व नाथ मंदिर (1513 के दौरान निर्मित) पूर्व की तरफ जैन मंदिर है और कुंभलगढ़ किले में बावन जैन मंदिर और गोलरा जैन मंदिर प्रमुख जैन मंदिर हैं।

*बावन देवी मंदिर*

बावन देवी मंदिर का नाम एक ही परिसर में 52 मंदिरों से निकला है। इस मंदिर में  केवल एक प्रवेश द्वार है। बावन मंदिरों में से दो बड़े आकार के मंदिर हैं जो केंद्र में स्थित हैं। बाकी 50 मंदिर छोटे आकार के हैं।

*कुंभ महल*

गडा पोल के करीब स्थित कुंभ महल राजपूत वास्तुकला के बेहतरीन संरचनाओं में से एक है। यह एक दो मंजिला इमारत है जिसमें एक सुंदर नीला दरबार है।

*बादल महल*

राणा फतेह सिंह (1885-1930 ईस्वी) द्वारा निर्मित यह कुंभलगढ़ किले का उच्चतम बिंदु है। इस महल तक पहुंचने के लिए संकरी सीढ़ियों से छत पर चढ़ना पड़ता है। यह दो मंजिला इमारत है जिसमें पेस्टल रंगों को चित्रित किया गया है।
उदयपुर शहर के उत्तर-पश्चिम में 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कुंभलगढ़ किला, आईए जानते हैं इसके बारे में

कुंभलगढ़ किले के इतिहास में एक बहुत ही रोचक कहानी सामने आती है। जिसके अनुसार जब राणा कुंभा ने किले का निर्माण शुरू किया तो उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था जिसके बाद उन्होंने इसके निर्माण का कार्य छोड़ देने का विचार किया। लेकिन एक दिन उन्हें एक पवित्र व्यक्ति से मिला जिसने उन्हें इस किले के निर्माण को न छोड़ने की सलाह दी और कहा कि एक दिन उसकी सारी समस्या दूर हो जाएगी। बशर्ते कोई भी पवित्र व्यक्ति स्वेच्छा से अपने जीवन का बलिदान कर दे।

यह सुनकर राजा निराश हो गया जिसके बाद उस पवित्र व्यक्ति ने अपना जीवन राजा को अर्पित कर दिया। उन व्यक्ति ने राजा से कुंभलगढ़ किले के प्रवेश द्वार का निर्माण करने के लिए कहा। उस व्यक्ति की सलाह के बाद राणा कुंभा ने वही किया जो उन्हें बताया गया था और वो इस राजसी किले के निर्माण में सफल रहे।

कुंभलगढ़ ने मेवाड़ और मारवाड़ के बीच अलग-अलग क्षेत्रों को चिह्नित किया और जब भी कोई हमला हुआ है तो इससे बचने के लिए इस जगह का इस्तेमाल किया गया था। राजकुमार उदय भी ने कुंभलगढ़ फोर्ट पर शासन किया और वे उदयपुर शहर के संस्थापक थे। यह किला अंबर के राजा मान सिंह, मारवाड़ के राजा उदय सिंह और गुजरात के मिर्जों के बीच अस्तित्व बना रहा। कुंभलगढ़ किले को उस स्थान के रूप में भी जाना जाता है जहां पर महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था और इस किले पर 1457 में गुजरात के अहमद शाह प्रथम ने हमला किया था। यहां के स्थनीय लोगों का मानना है कि किले में बाणमाता देवी मौजूद थी जो इस किले की रक्षा करती थी, जिनके मंदिर को अहमद शाह ने नष्ट कर दिया था। इसके बाद मोहम्मद खिलजी ने 1458-59 और 1467 में इस किले को हासिल करने के लिए कई प्रयास किये गए। लेकिन अकबर के सेनापति शंभाज खान ने 1576 में किले पर अधिकार हासिल कर लिया था। इसके बाद मराठों और भवनों के साथ मंदिरों पर भी कब्जा कर लिया गया था।

कुंभलगढ़ किला एक पहाड़ी पर स्थित है जो समुद्र तल से करीब 1100 मीटर ऊपर है। इस किले के गेट को राम गेट या राम पोल के नाम से भी जाना जाता है। इस किले में लगभग सात द्वार हैं और कुल 360 मंदिर हैं, जिनमें से 300 प्राचीन जैन और बाकी हिंदू मंदिर हैं। इस किले में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है जिसके अंदर एक विशाल शिवलिंग स्थापित है।

इस किले से थार रेगिस्तान में टिब्बा का एक सुंदर दृश्य भी देखा जा सकता। कुंभलगढ़ किले की दीवारें 36 किमी व्यास की हैं, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी दीवारों में से एक बनाती है। इस किले की ललाट दीवारे काफी मोटी हैं जिनकी मोटाई 15 फीट है। इस किले के अंदर एक लाखोला टैंक मौजूद है जिसका निर्माण राणा लाखा ने 1382 और 1421 ईस्वी के बीच किया था।

कुंभलगढ़ किले की भव्य दीवार जो पूरे किले से गुजरती है, जो ‘द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार माना जाता है। इसलिए इसे ‘द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है। यह दीवार 36 किमी तक फैली हुई है और 15 मीटर चौड़ी है जो कि आठ घोड़ों के एक साथ चलने के लिए चलने पर्याप्त है।

यूं तो विश्व विरासत कुंभलगढ़ किसी पहचान का मोहताज नहीं है,क्षेत्र की इसी सुंदरता और ठंडक के चलते पर्यटक गर्मी के दौर में भी यहां खींचे चले आते
जनवरी के बाद क्षेत्र के पर्यटन में एकदम सुस्ती छा गई, जिसमें गत 15 मई के बाद फिर रौनक लौटती दिखाई दे रही है। वर्तमान में क्षेत्र की अधिकांश होटलें, नेशनल पार्क, दुर्ग, फिश प्वाइंट सहित अन्य पर्यटन स्थल पर्यटकों से गुलजार हैं। होटल व्यवसाइयों का मानना है कि, जनवरी और फऱवरी तो फिर भी ठीक था, लेकिन मार्च और अप्रेल तो बिल्कुल खाली गए हैं। इस दौरान पर्यटन बाजार वीरान सा रहा। हालांकि जहां ब्याव-शादी का अयोजन था वहां फिर भी चहल-पहल बनी रही। लेकिन, शेष जगहों पर सूनापन ही दिखाई दिया। यूं तो विश्व विरासत कुंभलगढ़ किसी पहचान का मोहताज नहीं है। लेकिन, इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ ही कुंभलगढ़ क्षेत्र अरावली पर्वतमालाओं के बीच होने से इसका प्राकृतिक सौंदर्य भी लोगों को बरबस अपनी ओर खींचता है। क्षेत्र की इसी सुंदरता और ठंडक के चलते पर्यटक गर्मी के दौर में भी यहां खींचे चले आते हैं। वे यहां आने के बाद सिर्फ दुर्ग ही नहीं, बल्कि यहां के अन्य रमणीय स्थलों तक भी पहुंचते हैं। *यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल*

दुर्ग और दुर्ग परिसर में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर, दुनिया की दूसरी सबसे लंबी ऐतिहासिक दीवार के आलावा यहां परशुराम महादेव का प्राक्रतिक गुफ़ा मंदिर, बनास नदी का उद्गम स्थल वेरों का मठ, कुंभलगढ नेशनल पार्क, फिश प्वाइंट, वन विभाग की ओर से व्यू प्वाइंट पर लगाया गया स्पोट्र्स एडवेंचर जिप लाइन औरम्यूजियम आदि प्रमुख हैं। वैसे तो सालभर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन, गत जनवरी से अप्रेल तक क्षेत्र के पर्यटन में सुस्ती कुछ ज्यादा रही, लेकिन इस माह से क्षेत्र में पर्यटकों की चहल-पहल बढऩे से क्षेत्र की होटलें भी पर्यटकों से गुलजार होने लगी है।

कम पैसों और कम समय में करे सिद्धार्थनगर की यात्रा

उत्तर प्रदेश के कुछ जिले पर्यटन के लिहाज से विश्व प्रसिद्ध हैं। यूपी में रहने वाले आगरा, वाराणसी, अयोध्या और मथुरा तो घूम ही लेते हैं लेकिन इस बार नेपाल सीमा पर बसे जिले सिद्धार्थ नगर की सैर कर सकते हैं। सिद्धार्थ नगर राजधानी लखनऊ से 240 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जिले का नाम महात्मा बुद्ध के बचपन के नाम सिद्धार्थ पर रखा गया है। सिद्धार्थ नगर का संबंध महात्मा बुद्ध से जुड़ा है। सिद्धार्थनगर में कई पर्यटन स्थल हैं, जो धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखते हैं।
सिद्धार्थनगर के सबसे सुंदर स्थलों में से एक शोहरतगढ़ पैलेस है। इतिहास पसंद लोग महल घूमने आ सकते हैं। यहां महल के राजा के साथ ही शाही परिवार से जुड़ी कई तस्वीरें देखने को मिल जाएंगी।

सिद्धार्थ नगर के जोगिया गांव में योगमाया मंदिर स्थित है। मान्यता है कि सोमवार और शुक्रवार को देवी योगमाया माता के दर्शन करने और प्रसाद चढ़ाने से क्या होती है। आसपास के लोग मुंडन संस्कार के लिए इस मंदिर में आते हैं और मंदिर परिसर में मौजूद पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं। महामाया मंदिर के नाम से भी यह जगह प्रसिद्ध है, जो कि गौतम बुद्ध की मां के नाम रखा गया था।

सिद्धार्थनगर में बुद्ध विहार नाम का सुंदर पार्क है। यह नौगढ़ में स्थित है। इस पार्क में भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित हैं। बच्चों के लिए झूले, सुंदर फूलों वाले पौधे छुट्टी का मजा बढ़ा देंगे।

कोई जिला नदियों से सुसज्जित है, तो कोई पर्वतों तो कोई अपनी खूबसूरत वादियों के कारण. परंतु मानसून में पहाड़ी जिलों की यात्रा से करें परहेज

लगातार बारिश की वजह से उत्तराखंड के पहाड़ों के दरकने का सिलसिला शुरू हो गया है. जगह-जगह से लैंडस्लाइड की घटनाएं सामने आ रही है. बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाताल गंगा लंगसी सुरंग के पास पहाड़ी से भूस्खलन के कारण मार्ग अवरुद्ध हो गया है. जिसका खौफनाक वीडियो भी वायरल हो रहा है. गनीमत की बात यह है कि इस दौरान कोई बड़ा हादसा नहीं है.

भूस्खलन के कारण केदारनाथ को जाने वाली सड़क का भी हाल कुछ ऐसा ही है, जहां पर पहाड़ियों खिसकने की वजह से सड़क में मलवा आने की वजह से यातायात बाधित हो जाता है. जिस वजह से कई लोग इसमें हादसे का शिकार भी हो जाते हैं, यदि आप भी केदारनाथ और बद्रीनाथ जा रहे हैं, तो आपको कड़ी सुरक्षा बरतनी चाहिए.
भूस्खलन के कारण केदारनाथ को जाने वाली सड़क का भी हाल कुछ ऐसा ही है, जहां पर पहाड़ियों खिसकने की वजह से सड़क में मलवा आने की वजह से यातायात बाधित हो जाता है. जिस वजह से कई लोग इसमें हादसे का शिकार भी हो जाते हैं, यदि आप भी केदारनाथ और बद्रीनाथ जा रहे हैं, तो आपको अपनी यात्रा पर फिर एक बार विचार करना चाहिए.

अगर आप भी हल्द्वानी से अल्मोड़ा की आ रहे हैं तो यहां पर भी लगातार लैंडस्लाइड का खतरा बना रहता है. कुछ जगह तो ऐसे हैं जहां पर पत्थर और बोल्डर गिरने की वजह से कई बड़ी दुर्घटना हो चुकी हैं. इसके अलावा बीते दिनों भारी बारिश की वजह से यह रास्ता बंद करना पड़ा.


पिथौरागढ़ जिला भी सबसे ज्यादा सेंसिटिव माना जाता है, क्योंकि इस क्षेत्र में भी कई बार लैंडस्लाइड की घटनाएं देखी जा चुकी है. मानसून सीजन में यहां पर भी छोटे पत्थर से लेकर बड़े-बड़े बोल्डर गिरने की वजह से सड़के बंद रहती हैं. अगर कोई भी पहाड़ी इलाकों में आता है, तो उन्हें सतर्कता बरतने की जरूरत है.
अगर आप इस समय कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो चलिए आज हम आपको कुछ खूबसूरत स्थान के बारे में बताते हैं
देशभर में इस समय बारिश ने दस्तक दे दी है और प्रकृति के नजारे अब धीरे-धीरे खूबसूरत होते दिखाई दे रहे हैं। मानसून का समय एक ऐसा मौका होता है जब देश के अधिकतर हिस्से की प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक होती है। बारिश का मौसम आते ही लोग घरों से निकाल कर अपनी पसंदीदा जगह को एक्सप्लोर करने भी पहुंच जाते हैं। कोई अपनी फैमिली के साथ घूमने फिरने निकलता है तो कोई दोस्तों के साथ एंजॉय करने के लिए जाता है। बारिश के मौसम में पहाड़, रेगिस्तान और समुद्र तट सभी बहुत प्यारे लगते हैं। मानसून का मौसम लगते हैं आप लोग भी कहीं ना कहीं घूमने जाने का प्लान जरूर कर रहे होंगे। तो चलिए आज हम आपको कुछ शानदार जगह के बारे में बताते हैं जहां आप फैमिली या दोस्तों के साथ जमकर एंजॉय कर सकते हैं।


*महाबलेश्वर*

महाबलेश्वर महाराष्ट्र का एक बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है। जुलाई की रिमझिम बारिश में घूमने के लिए यह देश की सबसे अच्छी जगह में से एक है ।महाराष्ट्र के सतारा जिले में मौजूदिया जगह बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। यहां पर आपको पहाड़ जंगल और झरनों की खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे।यहां पर कुछ खूबसूरत स्थान है जहां का दीदार आपको जरूर करना चाहिए।



*उदयपुर*

उदयपुर राजस्थान का एक बहुत ही खूबसूरत शहर है जो अपने ऐतिहासिक स्थलों और खूबसूरत झीलों के लिए पहचाना जाता है।विश्व भर में इसे झीलों की नगरी के नाम से पहचान मिली हुई है। मानसून के समय कई सारे लोग यहां पर प्राकृतिक सुंदरता का दीदार करने के लिए पहुंचते हैं। आपके यहां फतेह है सागर झील, लेक पैलेस और पिछोला झील जरूर जाना चाहिए।




*पचमढ़ी*


बारिश के समय मध्य प्रदेश के पचमढ़ी हिल स्टेशन के सुंदरता देखने लायक होती है। मानसून के समय जब भी घूमने की बात आती है तो लोग पचमढ़ी का नाम लेते हैं। यह होशंगाबाद जिले में मौजूद एक सुंदर जगह है जो बेस्ट हनीमून डेस्टिनेशन भी मानी जाती है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है।यहां पर आप पांडव गुफा, बी फॉल, धूपगढ़, अप्सरा विहार, सनसेट पॉइंट जैसी शानदार जगह देख सकते हैं।












आंध्र प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक इमारत के लिए प्रसिद्ध एक राज्य है। चलिए आज हम आपके यहां के कश्मीर के बारे में बताते हैं

आंध्र प्रदेश भारत का एक बहुत ही खूबसूरत राज्य है। यह कृष्ण और गोदावरी नदी के संगम तट पर मौजूद है और भारत का लोकप्रिय राज्य होने के साथ-साथ पर्यटन केंद भी माना जाता है। यह जगह अपने पवित्र मंदिरों, ऐतिहासिक इमारतें, समुद्र तट और प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनिया भर में पहचानी जाती है। हर महीने देश और विदेशी पर्यटक यहां पर घूमने के लिए पहुंचते हैं। आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, तिरुपति और चित्तूर के बारे में आपने सुना होगा। लेकिन लांबासिंगी एक ऐसी जगह है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। इस जगह को आंध्र प्रदेश का कश्मीर बोला जाता है चलिए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं ।

आंध्र प्रदेश में यह जगह अल्लूरी सीतारामा राजू जिले में मौजूद है। यह समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है और बहुत ही खूबसूरत है। यह विशाखापट्टनम
से 101 किलोमीटर दूर है और राजधानी अमरावती से इसकी दूरी 342 किलोमीटर पड़ती है। इस जगह की खासियत की बात करें तो यह बहुत ही खूबसूरत गांव है जो अपने चाय और कॉफी के बागानों के लिए दक्षिण भारत में पहचाना जाता है। यहां पर हरे भरे घास के मैदान, जीव और वनस्पतियों को देखने का मौका आपको मिल सकता है। इस गांव को प्रवासी पक्षियों का घर बोला जाता है। इस जगह की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस आंध्र प्रदेश के कश्मीर के नाम से पहचाना जाता है।यह दक्षिण भारत का एक ऐसा स्थान है जहां पर सर्दियों में बर्फबारी होती है और भीषण गर्मी में भी यहां का तापमान बिल्कुल सामान्य रहता है। मानसून में यहां के खूबसूरती चरम पर होती है। सैलानियों के लिए यह जगह बहुत खास है क्योंकि यहां पर प्राकृतिक सुंदरता और भव्य नजारे देखने का मौका मिलता है। हर महीने हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पर पहुंचते हैं। इस जगह को खूबसूरती के लिए नहीं बल्कि एडवेंचर के लिए भी पहचाना जाता है। यहां पर ट्रैकिंग और हाइकिंग जैसी एक्टिविटीज का मजा लिया जा सकता है।









अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो यह जगह आपके लिए बेस्ट साबित हो सकती है

लेह-लद्दाख हमेशा से ही घूमने के लिए एक बेहतरीन जगह रही है। यहां देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं। अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो यह जगह आपके लिए बेस्ट साबित हो सकती है। यहां साल भर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहां आने वाले पर्यटक स्थानीय विरासत और कला संस्कृति का आनंद लेते हैं। यह अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर है। तो ऐसे में हम आपको लेह-लद्दाख की खूबसूरत जगहों के बारे में बताएंगे, जहां आप घूम सकते हैं।

फुगताल मठ
फुगताला मठ को फुगताला गोम्पा के नाम से जाना जाता है। अगर आप लद्दाख जा रहे हैं तो इस जगह पर जाना न भूलें। यह अपने डिजाइन और खूबसूरती से पर्यटकों का मन मोह लेता है। आप यहां ट्रैकिंग का मजा ले सकते हैं।

जांस्कर घाटी
जांस्कर घाटी लद्दाख का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहां आप कैंपिंग और ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं। यह 7000 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां आप कई खूबसूरत जगहें देख सकते हैं। यहां से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर निमू गांव स्थित है। यह आकर्षण का केंद्र है, जहां आप सुकून के पल बिता सकते हैं।

पैंगोंग झील
पैंगोंग झील अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां आपको खूबसूरत पौधे, पक्षी और जानवरों की विभिन्न प्रजातियां मिलेंगी। यह 12 किलोमीटर लंबा है.

गुरुद्वारा पत्थर साहिब
इस स्थान के बारे में मान्यता है कि यहां गुरु नानकजी की मूर्ति है। यह स्थान बहुत ही शुभ माना जाता है। यहां साल भर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।
अगर नहीं होना है परेशान तो मिर्जापुर के पर्यटन स्थलों पर घूमने से पहले जान ले यह नियम

अगर आप मिर्जापुर में स्थित प्रसिद्ध फॉल घूमने के लिए आ रहे हैं, तो प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन को जान लीजिए। गाइडलाइन न मानना आपको भारी पड़ सकता है. बता दें कि पर्यटन स्थलों पर बारिश में काफी भीड़ उमड़ती है। जहां फॉल में अचानक से पानी बढ़ने और नियमों को न मानने की वजह से पिछले वर्ष कई हादसे हुए थे। इस बार बारिश से पहले प्रशासन ने पर्यटन स्थल पर घूमने वालों के लिए गाइडलाइन जारी किया है।
गाइडलाइन का पालन न करने पर आपके ऊपर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

एसपी सिटी नितेश सिंह ने बताया कि बारिश से मिर्जापुर में विंढमफाल, टांडा फाल व खड़ंजा आदि फॉल है।
जहां बड़ी संख्या में  सैलानी पहुंचते हैं। अब सैलानियों की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। फॉल पर समय अवधि के दौरान ही पर्यटकों को अंदर रहने की अनुमति रहेगी। शराब पीकर या लेकर फॉल में जाने पर विधिक कार्रवाई होगी। फॉल के सुरक्षा के मद्देनजर जारी गाइडलाइन को न मानने पर मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा।

एसपी सिटी नितेश सिंह ने बताया कि महिला सुरक्षा का भी इस बार ध्यान रखा गया है। उनकी सुरक्षा के लिए गुंडा दमन दल और एंटी रोमियो स्क्वाड की तैनाती की जाएगी। इसके साथ ही महिला पुलिसकर्मियों की भी ड्यूटी लगाई जाएगी। जिन थाना अंतर्गत फॉल आता है। वहां पर थाना प्रभारी अपनी टीम के साथ नजर रखेंगे, जो भी पर्यटक घूमने जा रहे है।वह नियमों का पालन करें।

मिर्जापुर जिले में 12 से ज्यादा फाल हैं।जहां लखनिया दरी, विंढमफाल, सिरसी फाल, सिद्धनाथ दरी, खड़ंजा फाल, कुशियरा फाल, बकरिया फाल व टांडा फाल में पर्यटकों की सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती है। यहां पर वाराणसी, प्रयागराज, भदोही, गाजीपुर सहित अन्य जनपदों से लोग पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते है।

ट्रैकिंग का असली मजा तो जुलाई से सितंबर के बीच होता है सही समय,आइए जानते हैं कुछ डेस्टिनेशन


घूमने- फिरने के लिहाज से मानसून सबसे रिस्की सीजन माना जाता है। इस मौसम में हिल स्टेशन्स जाने की प्लानिंग आपको खतरे में डाल सकती है। लगातार होने वाली बारिश से रास्ते खराब हो जाते हैं, पहाड़ दरकने की संभावना रहती है और कई जगहों पर बाढ़ जैसी स्थिति भी हो जाती है, लेकिन वहीं दूसरी ओर भारत में कई सारी ऐसी जगहें हैं जिन्हें एक्सप्लोर करने का असली मजा बारिश के मौसम में ही आता है। ये सारी ट्रेकिंग वाली जगहें हैं। ट्रेकिंग करते हुए ऐसे नजारे देखने को मिलते हैं, जो आपकी ट्रिप को शानदार और यादगार बना सकते हैं।

फूलों की घाटी, उत्तराखंड
फूलों की घाटी एक्सप्लोर करने के लिए जुलाई से सितंबर का महीना सबसे बेस्ट माना जाता है। इस दौरान यहां आकर आप एक साथ फूलों की कई सारी वैराइटी देख सकते हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में भी शामिल है। यहां 500 से भी ज्यादा प्रजाति के फूल खिलते हैं। इस साल 1 जून से फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खुल चुकी है, जो 30 अक्टूबर तक खुली रहेगी। बिना देर किए बना लें प्लान।

सिंहगढ़ ट्रेक, पुणे
पुणे, मुंबई घूमने के लिए मानसून बेस्ट सीजन होता है। वैसे तो इन जगहों का मौसम ज्यादातर महीने सुहावना ही होता है, लेकिन मानसून के वक्त ये और ज्यादा रोमांटिक हो जाता है। अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं, तो आपको पुणे के सिंहगढ़ दुर्ग ट्रेकिंग को बिल्कुल भी मिस नहीं करना चाहिए। किले तक पहुंचने का रास्ता इतना मनोरम है कि आपको इसमें खो जाने का दिल करेगा। सिंहगढ़ ट्रेकिंग लगभग 3 किमी लंबी है। जिसे पूरा करने में लगभग 1 घंटे का समय लगता है। 

हंपता पास, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के हंपता पास को भी कवर करने के लिए मानसून का प्लान बनाना चाहिए। समुद्र तल से 14,100 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये जगह बारिश के मौसम में एकदम हरी-भरी नजर आती है। यहां की ट्रेकिंग करते हुए पहाड़ों, नदियों और झरनों का दीदार कर सकते हैं। हालांकि यहां की ट्रेकिंग आसान नहीं है। कुल्लू से शुरू होने वाले इस ट्रेकिंग को पूरा करने में 5 से 6 दिन का समय लग सकता है। 

मुल्लयनगिरी, कर्नाटक
कर्नाटक का मुल्लयनगिरी ट्रेक भी ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए शानदार जगह है। बारिश के मौसम में भी यह सेफ है। मुल्लयनगिरी कर्नाटक की सबसे ऊंची चोटी है। मानसून के दौरान यहां पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो जाती है। मुल्लयनगिरी ट्रेकिंग लगभग 10 किमी लंबी है। ट्रेकिंग के दौरान आप कैंपिंग और रॉक क्लाइंबिंग के भी मजे ले सकते हैं।