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बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन: 105 लोगों की मौत के बाद लगाया गया कर्फ्यू ; 400 से अधिक भारतीयों ने छोड़ा बांग्लादेश

बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने शुक्रवार देर रात पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया और सरकारी नौकरियों के आवंटन को लेकर कई दिनों से चल रही हिंसक झड़पों के बाद व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैन्य बलों की तैनाती का आदेश दिया। समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि देश भर में अब तक हुई झड़पों में कम से कम 105 लोग मारे गए हैं। 1,500 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं।

बांग्लादेश में कर्फ्यू की घोषणा सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव ओबैदुल कादर ने की, जिन्होंने कहा कि नागरिक प्रशासन को व्यवस्था बनाए रखने में मदद करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।

यह फ़ैसला पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों द्वारा शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने और आंसू गैस छोड़ने और राजधानी ढाका में सभी सभाओं पर प्रतिबंध लगाने के कुछ घंटों बाद आया है। प्रदर्शनकारी, जिनमें ज़्यादातर छात्र हैं, सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था के खिलाफ़ ढाका और दूसरे शहरों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें 1971 में पाकिस्तान से देश की आज़ादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षण भी शामिल है। उनका तर्क है कि यह व्यवस्था भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को फ़ायदा पहुँचाती है, जिनकी अवामी लीग पार्टी ने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था, और वे चाहते हैं कि इसे योग्यता-आधारित व्यवस्था से बदला जाए। 

हालाँकि, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कोटा व्यवस्था का बचाव करते हुए कहा है कि युद्ध में अपने योगदान के लिए दिग्गजों को सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो। गुरुवार को प्रदर्शनकारियों द्वारा देश के सरकारी प्रसारक में आग लगाने के बाद विरोध ने एक भयावह मोड़ ले लिया। हिंसा के कारण अधिकारियों ने राजधानी के अंदर मेट्रो रेल को बंद कर दिया और ढाका से आने-जाने वाली रेल सेवाओं को भी बंद कर दिया। सरकार ने देश के कई हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट नेटवर्क को भी बंद करने का आदेश दिया। स्कूल और विश्वविद्यालय अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिए गए हैं। शुक्रवार को बांग्लादेश के कई अख़बारों की वेबसाइटें परेशानी का सामना कर रही थीं और अपडेट नहीं हो रही थीं और सोशल मीडिया पर भी निष्क्रिय थीं। समाचार टेलीविजन चैनल और राज्य प्रसारक बीटीवी बंद हो गए, हालांकि मनोरंजन चैनल सामान्य रहे। उनमें से कुछ ने तकनीकी समस्याओं को दोषी ठहराते हुए संदेश दिखाए और जल्द ही कार्यक्रम फिर से शुरू करने का वादा किया।

रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बैंक, प्रधानमंत्री कार्यालय और पुलिस की आधिकारिक वेबसाइटों को भी खुद को “THE R3SISTANC3” ब्रांडिंग करने वाले एक समूह द्वारा हैक किया गया प्रतीत होता है। साइटों पर छपे संदेशों में लिखा था, "ऑपरेशन हंटडाउन, छात्रों की हत्या बंद करो", लाल अक्षरों में जोड़ा गया: "यह अब विरोध नहीं है, यह अब युद्ध है।" 

छात्र प्रदर्शनकारियों ने नरसिंगडी जिले की एक जेल पर भी धावा बोला और जेल में आग लगाने से पहले कैदियों को मुक्त कर दिया, जिसमे की लाखों कैदियों की मुक्त होने की सम्भावना जताई जा रही है। 

इस बीच, भारत ने शुक्रवार को बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि पड़ोसी देश में रहने वाले लगभग 15,000 भारतीय नागरिक सभी "सुरक्षित और स्वस्थ" हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नियमित मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "हम इसे बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानते हैं।" शुक्रवार, रात 8 बजे तक पश्चिम बंगाल के गेडे इमिग्रेशन चेक पोस्ट पर 245 भारतीय बांग्लादेश से सीमा पार कर चुके हैं। गुरुवार को मेघालय के दावकी चेक पोस्ट के ज़रिए 202 भारतीय नागरिक सीमा पार कर चुके हैं, जिनमें ज़्यादातर छात्र हैं। इस चेक पोस्ट का इस्तेमाल 101 नेपाली नागरिकों और सात भूटानी नागरिकों ने बांग्लादेश छोड़ने के लिए किया था।

नीट यूजी का संशोधित रिजल्ट हुआ जारी, जानें कैसे कर सकते हैं चेक

डेस्क: नीट यूजी का संशोधित परिणाम घोषित कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद 20 जुलाई को उम्मीदवारों के स्कोर में संशोधन किया गया है. उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट exams.nta.ac.in/NEET/ से अपना संशोधित स्कोर कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं.

दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा एजेंसी को नीट का रिजल्ट सिटी और सेंटर वाइज जारी करने को कहा था. कोर्ट ने एनटीए को 20 जुलाई दोपहर तक का समय दिया था. जिस पर आज एजेंसी ने रिजल्ट फिर से आधिकारिक साइट पर जारी कर दिया है. उम्मीदवार जरूरी क्रेडेंशियल दर्ज कर रिजल्ट चेक कर सकते हैं.

AAP का बीजेपी पर बड़ा आरोप, आतिशी ने कहा 'सीएम अरविंद केजरीवाल को मारने की साजिश रची जा रही है’

डेस्क : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मामले में उपराज्यपाल विनय सक्सेना के मुख्य सचिव की चिट्ठी पर आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया आई है. दिल्ली सरकार में मंत्री और आप नेता आतिशी ने कहा है कि सीएम अरविंद केजरीवाल को मारने की बीजेपी साजिश रच रही है. दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने कहा कि सीएम केजरीवाल का शुगर लेवल आठ से ज्यादा बार 50 से नीचे आ चुका है. सीएम कोमा में जा सकते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा है. आतिशी का यह बयान दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना के प्रधान सचिव की ओर से दिल्ली के सीएम पर आरोप लगाने के बाद आया है. एलजी के प्रधान सचिव ने आरोप लगाया था कि जेल में अरविंद केजरीवाल कैलोरी कम ले रहे हैं, जिसके चलते उनका वजन कम हो रहा है. इस बात का खुलाया एलजी के प्रधान सचिव ने दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी में की है. एलजी की चिट्ठी में कहा गया है कि सीएम अरविंद केजरीवाल के स्वास्थ्य पर उन्होंने चिंता व्यक्त की है. इसे लेकर एलजी के प्रधान सचिव ने दिल्ली के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है, जिसमें छह जून से 13 जुलाई के बीच अरविंद केजरीवाल की डाइट और इंसुलिन से संबंधित जानकारी लिखी गई है. दरअसल, सीएम अरविंद सुप्रीम कोर्ट की ओर से ईडी के केस मामले में अग्रिम जमानत मिलने के बाद भी तिहाड़ जेल में हैं, इसकी वजह यह है कि दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीबीआई के एक अन्य केस वह न्यायिक न्यायिक हिरासत में हैं. सीबीआई के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में इस मसले पर सुनवाई जारी है. इस मसले पर अभी हाईकोर्ट का फैसला नहीं आया है.
UPSC अध्यक्ष मनोज सोनी ने दिया इस्तीफा, कार्यकाल खत्म होने में अभी बचा था इतना समय, जानें इस्तीफे का कारण

डेस्क: यूपीएससी के अध्यक्ष मनोज सोनी ने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया है. उनका इस्तीफा जो जून के अंत में दिया गया था उसके स्वीकार होने की आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. सूत्र बताते हैं कि फिलहाल डीओपीटी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. सोनी का कार्यकाल 2029 में समाप्त होना था, लेकिन उन्होंने अनुपम मिशन पर अधिक ध्यान देने के लिए इस्तीफा दिया है. यूपीएससी अध्यक्ष मनोज सोनी ने 2029 में समाप्त होने वाले अपने कार्यकाल से पहले ही इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने 2017 में यूपीएससी के सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला था और 2023 में अध्यक्ष बने थे. सूत्रों के अनुसार, सोनी अब गुजरात के अनुपम मिशन में अधिक समय देना चाहते हैं. पीएम के हैं खास रिपोर्ट्स के अनुसार मनोज सोनी पीएम नरेंद्र मोदी के खास हैं. उन्होंने ही वर्ष 2005 में मनोज सोनी को गुजरात के वडोदरा में स्थित एमएस विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया था. उस समय उनकी उम्र 40 साल थी. जिससे वह देश में सबसे कम उम्र में कुलपति बनने वाले व्यक्ति भी बन गए. इसके बाद सोनी को गुजरात के दो विश्वविद्यालयों में कुलपति बनाया गया. निजी कारणों के चलते ये फैसला मनोज सोनी वर्ष 2020 में दीक्षा प्राप्त करने के बाद मिशन के अंदर एक साधु या निष्काम कर्मयोगी बन गए थे. रिपोर्ट्स बताती हैं कि उनके इस्तीफे और पूजा खेड़कर मामले के तार आपस में नहीं जुड़े हैं. उन्होंने अपने पर्सनल कारणों से इस पद से इस्तीफा दिया है.
कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद में बीजेपी की बढ़ी टेंशन, सहयोगी होने लगे फैसले को लेकर बागी

डेस्क: उत्तर प्रदेश में इन दिनों कांवड़ यात्रा से जुड़ा एक विवाद शुरू हो गया है. यूपी सरकार ने पहले मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश दिया. हालांकि, फिर सरकार ने शुक्रवार (19 जुलाई) को पूरे राज्य में कांवड़ मार्गों के दुकानदारों के लिए ऐसा ही आदेश जारी कर दिया. हालांकि, बीजेपी सरकार के इस फैसले की आलोचना होना शुरू हो गई है. जहां विपक्ष के नेता इस फैसले को विभाजनकारी बता रहे हैं तो वहीं अब बीजेपी के सहयोगी भी उसके ऊपर हमलावर हो गए हैं. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने भी अपनी ही पार्टी को नसीहत दी है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू, जयंत चौधरी की आरलेडी और चिराग पासवान की एलजेपी (आर) ने यूपी सरकार के फैसले को गलत बताया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस सहयोगी ने क्या कहा है. सबका साथ, सबका विकास मंत्र के खिलाफ सरकार का फैसला: जेडीयू जेडीयू ने कहा कि यूपी सरकार का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास मंत्र के खिलाफ है. पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा, "यह मुसलमानों की पहचान करने और लोगों को उनसे सामान न खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने जैसा है. इस प्रकार का आर्थिक बहिष्कार समाज के लिए अनुचित है. दरअसल ये पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के मंत्र के खिलाफ है." उन्होंने इस फैसले को वापस लेने की मांग की. केसी त्यागी ने कहा, "बिहार में यहां (यूपी) से बड़ी कांवड़ यात्रा निकलती है, लेकिन नीतीश कुमार की सरकार ने कभी ऐसा आदेश पारित नहीं किया. एनडीए के सहयोगी के तौर पर हमारा फर्ज है कि हम इस मुद्दे को उठाएं. मेरी पार्टी यूपी सरकार का हिस्सा नहीं है." सरकार का फैसला गैर-संवैधानिक: आरएलडी यूपी में बीजेपी की सहयोगी आरएलडी ने भी योगी सरकार के फैसले के खिलाफ नाराजगी जाहिर की. आरएलडी ने कहा कि सरकार को इसे वापस लेना चाहिए, क्योंकि ये फैसला गैर-संवैधानिक है. आरएलडी के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा, "इस तरह के भेदभाव और एक समुदाय के बहिष्कार से बीजेपी और राज्य का कोई भला नहीं होगा. कुछ पुलिस अधिकारी और नौकरशाह सरकार को गुमराह कर रहे हैं और मैं मुख्यमंत्री से ऐसे आदेश को वापस लेने की अपील करता हूं." रामाशीष राय ने एक ट्वीट में कहा, "उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपनी दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना संप्रादायिकता को बढ़ावा देने वाला कदम है. प्रशासन इसे वापस ले. यह गैर-संवैधानिक निर्णय है." जाति या धर्म के नाम पर किसी भी विभेद का समर्थन नहीं करता: चिराग पासवान एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने भोजनालयों के मालिकों से उनके नाम प्रदर्शित करने संबंधी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश का खुलकर विरोध किया और कहा है कि वह जाति या धर्म के नाम पर भेद किए जाने का कभी भी समर्थन नहीं करेंगे. पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि क्या वह मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश से सहमत हैं. इस पर उन्होंने कहा, "नहीं, मैं बिलकुल सहमत नहीं हूं." चिराग ने कहा कि समाज में अमीर और गरीब दो श्रेणियों के लोग मौजूद हैं और विभिन्न जातियों एवं धर्मों के व्यक्ति इन दोनों ही श्रेणियों में आते हैं. पासवान ने कहा, "हमें इन दोनों वर्गों के लोगों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है. गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जातियां और मुस्लिम भी शामिल हैं. समाज में सभी लोग हैं. हमें उनके लिए काम करने की आवश्यकता है." उन्होंने कहा, "जब भी जाति या धर्म के नाम पर इस तरह का विभेद होता है, तो मैं न तो इसका समर्थन करता हूं और न ही इसे प्रोत्साहित करता हूं. मुझे नहीं लगता कि मेरी उम्र का कोई भी शिक्षित युवा, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से आता हो, ऐसी चीजों से प्रभावित होता है." नकवी ने भी की फैसले की आलोचना, फिर मारी पलटी बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी तक ने योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली..अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं...आस्था का सम्मान होना ही चाहिए, पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए." हालांकि, फिर उन्होंने अपना स्टैंड भी बदल लिया और कहा कि यह एक स्थानीय प्रशासनिक निर्देश था. राज्य सरकार ने निर्देश पर स्पष्टीकरण जारी किया है. ये निर्देश कांवड़ यात्रियों की आस्था का सम्मान करने के लिए जारी किए गए थे, इसे सांप्रदायिक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए.
कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद में बीजेपी की बढ़ी टेंशन, सहयोगी होने लगे फैसले को लेकर बागी


डेस्क: उत्तर प्रदेश में इन दिनों कांवड़ यात्रा से जुड़ा एक विवाद शुरू हो गया है. यूपी सरकार ने पहले मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश दिया. हालांकि, फिर सरकार ने शुक्रवार (19 जुलाई) को पूरे राज्य में कांवड़ मार्गों के दुकानदारों के लिए ऐसा ही आदेश जारी कर दिया. 

हालांकि, बीजेपी सरकार के इस फैसले की आलोचना होना शुरू हो गई है. जहां विपक्ष के नेता इस फैसले को विभाजनकारी बता रहे हैं तो वहीं अब बीजेपी के सहयोगी भी उसके ऊपर हमलावर हो गए हैं. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने भी अपनी ही पार्टी को नसीहत दी है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू, जयंत चौधरी की आरलेडी और चिराग पासवान की एलजेपी (आर) ने यूपी सरकार के फैसले को गलत बताया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस सहयोगी ने क्या कहा है. 

सबका साथ, सबका विकास मंत्र के खिलाफ सरकार का फैसला: जेडीयू

जेडीयू ने कहा कि यूपी सरकार का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास मंत्र के खिलाफ है. पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा, "यह मुसलमानों की पहचान करने और लोगों को उनसे सामान न खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने जैसा है. इस प्रकार का आर्थिक बहिष्कार समाज के लिए अनुचित है. दरअसल ये पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के मंत्र के खिलाफ है." उन्होंने इस फैसले को वापस लेने की मांग की.

केसी त्यागी ने कहा, "बिहार में यहां (यूपी) से बड़ी कांवड़ यात्रा निकलती है, लेकिन नीतीश कुमार की सरकार ने कभी ऐसा आदेश पारित नहीं किया. एनडीए के सहयोगी के तौर पर हमारा फर्ज है कि हम इस मुद्दे को उठाएं. मेरी पार्टी यूपी सरकार का हिस्सा नहीं है."

सरकार का फैसला गैर-संवैधानिक: आरएलडी

यूपी में बीजेपी की सहयोगी आरएलडी ने भी योगी सरकार के फैसले के खिलाफ नाराजगी जाहिर की. आरएलडी ने कहा कि सरकार को इसे वापस लेना चाहिए, क्योंकि ये फैसला गैर-संवैधानिक है. आरएलडी के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा, "इस तरह के भेदभाव और एक समुदाय के बहिष्कार से बीजेपी और राज्य का कोई भला नहीं होगा. कुछ पुलिस अधिकारी और नौकरशाह सरकार को गुमराह कर रहे हैं और मैं मुख्यमंत्री से ऐसे आदेश को वापस लेने की अपील करता हूं."

रामाशीष राय ने एक ट्वीट में कहा, "उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपनी दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना संप्रादायिकता को बढ़ावा देने वाला कदम है. प्रशासन इसे वापस ले. यह गैर-संवैधानिक निर्णय है."

जाति या धर्म के नाम पर किसी भी विभेद का समर्थन नहीं करता: चिराग पासवान

एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने भोजनालयों के मालिकों से उनके नाम प्रदर्शित करने संबंधी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश का खुलकर विरोध किया और कहा है कि वह जाति या धर्म के नाम पर भेद किए जाने का कभी भी समर्थन नहीं करेंगे. पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि क्या वह मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश से सहमत हैं. इस पर उन्होंने कहा, "नहीं, मैं बिलकुल सहमत नहीं हूं."

चिराग ने कहा कि समाज में अमीर और गरीब दो श्रेणियों के लोग मौजूद हैं और विभिन्न जातियों एवं धर्मों के व्यक्ति इन दोनों ही श्रेणियों में आते हैं. पासवान ने कहा, "हमें इन दोनों वर्गों के लोगों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है. गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जातियां और मुस्लिम भी शामिल हैं. समाज में सभी लोग हैं. हमें उनके लिए काम करने की आवश्यकता है."

उन्होंने कहा, "जब भी जाति या धर्म के नाम पर इस तरह का विभेद होता है, तो मैं न तो इसका समर्थन करता हूं और न ही इसे प्रोत्साहित करता हूं. मुझे नहीं लगता कि मेरी उम्र का कोई भी शिक्षित युवा, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से आता हो, ऐसी चीजों से प्रभावित होता है."

नकवी ने भी की फैसले की आलोचना, फिर मारी पलटी

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी तक ने योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली..अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं...आस्था का सम्मान होना ही चाहिए, पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए." 

हालांकि, फिर उन्होंने अपना स्टैंड भी बदल लिया और कहा कि यह एक स्थानीय प्रशासनिक निर्देश था. राज्य सरकार ने निर्देश पर स्पष्टीकरण जारी किया है. ये निर्देश कांवड़ यात्रियों की आस्था का सम्मान करने के लिए जारी किए गए थे, इसे सांप्रदायिक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए.

जिंदल स्टील के सीईओ पर महिला ने लगाए गंभीर इल्जाम, कंपनी के चेयरमैन ने दिया जांच का भरोसा

#woman_accused_jindal_steel_executive_sexual_assault_on_flight 

फ्लाइट में यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है। एक महिला ने जिंदल ग्रुप की तरफ से प्रोमोटेड फर्म के एक शीर्ष अधिकारी पर कोलकाता से अबू धाबी की उड़ान के दौरान उसके साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। इतनी ही नहीं महिला ने कथित अधिकारी पर फोन में पोर्न दिखाने का भी आरोप लगाया। अपने आरोपों की जानकारी उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया। इस पर सांसद और जिंदल स्टील के अध्यक्ष नवीन जिंदल ने कहा कि उन्होंने अपनी टीम को मामले की जांच करने का आदेश दिया है।

सोशल मीडिया पर महिला ने आरोप लगाया है कि उनके साथ कलकत्ता से अबू धाबी जाने के रास्ते में फ्लाइट में छेड़छाड़ हुई। महिला ने अपने ट्वीट में लिखा, “मैं एक उद्योगपति के बगल में बैठी थी (दिनेश कुमार सारोगी, जिंदल स्टील के सीईओ) उनकी उम्र करीबन 65 रही होगी। उन्होंने बताया कि वो ओमान में रहते हैं और ट्रैवल करते रहते हैं। उन्होंने मुझसे बातचीत शुरू की। बहुत सामान्य बातचीत जैसे परिवार के बारे में, हमारी जड़ों पर आदि।”

अनन्या छाछरिया नामक एक सोशल मीडिया यूजर महिला के मुताबिक, “उस व्यक्ति ने उन्हें बताया वह चुरू राजस्थान से है। उनके दोनों बेटों की शादी हो गई है, वो अमेरिका में सेटल हैं। इसके बाद बातचीत आदतों पर आ गई। उन्होंने पूछा कि क्या मुझे मूवीज देखना पसंद है। मैंने कहा- ‘हाँ’ क्यों नहीं। उन्होंने मुझे कहा कि उनके फोन में कुछ मूवी क्लिप हैं। उन्होंने अपना फोन, ईयरफोन निकाला और मुझे पोर्न दिखाने लगा। इसके बाद वह अश्लील तरीके से मुझे छूने लगा।”

महिला ने आगे लिखा कि इससे 'मैं सदमे और डर से जम गई थी। मैं आखिरकार वॉशरूम भाग गई और एयर स्टाफ से शिकायत की। शुक्र है कि एतिहाद की टीम बहुत सक्रिय थी और उसने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने मुझे अपने बैठने की जगह पर बैठाया और मुझे चाय और फल दिया। स्टाफ ने अबू धाबी में पुलिस को भी सूचित किया जो विमान के गेट खुलते ही इंतजार कर रहे थे। मैं शिकायत नहीं कर सकती थी क्योंकि मैं बोस्टन के लिए अपनी कनेक्टिंग फ्लाइट मिस कर देती।

यूजर के बायो पर मौजूद जानकारी के मुताबिक वह हार्वर्ड में इंडिया कॉन्फ्रेंस की को-फाउंडर हैं। उसने जिंदल स्टील के चेयरमैन और सांसद नवीन जिंदल से ज़रूरी कार्रवाई करने की अपील की ताकि उन्हें पता चले कि नेतृत्व के पदों पर किस तरह के लोग हैं। इस मामले को देखते हुए जिंदल ग्रुप के चेयरमैन नवीन जिंदल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कार्रवाई का भरोसा दिया है।

उन्होंने लिखा कि प्रिय अनन्या, हमसे संपर्क करने और अपनी बात कहने के लिए आपका धन्यवाद! आपने जो किया, उसके लिए बहुत हिम्मत की ज़रूरत होती है और मैं आपको बताना चाहता हूँ कि ऐसे मामलों में हमारी नीति बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की है। मैंने टीम से मामले की तुरंत जांच करने को कहा है और उसके बाद सख्त और ज़रूरी कार्रवाई की जाएगी।

लक्षद्वीप में बनेगा दो मिलिट्री एयरफील्ड, अरब सागर में भारत का बढ़ेगा दबदबा*

#india_clears_major_plans_to_build_two_military_airfields_in_lakshadweep 

हाल के कुछ सालों में भारत ने सैन्य रूप से काफी विकास किया है। अपनी सीमा सुरक्षा को और भी ज्यादा मजबूत करने के क्रम में केन्द्र की मोदी की सरकार ने लक्षद्वीप के अगाती और मिनिकॉय द्वीपों पर दो मिलिट्री एयरफील्ड्स बनाने की अनुमति दे दी है। भारत सरकार ने एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान लक्षद्वीप में दो सैन्य वायुक्षेत्र (मिलेट्री एयरफील्ड) बनाने को मंजूरी दे दी है। इस समुद्री क्षेत्र में चीनी गतिविधियां बढ़ते देखकर भारत सरकार ने यह फैसला लिया है। रक्षा सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय के नेतृत्व में तीनों सेनाओं ने यह प्रस्ताव रखा था जिसे गुरुवार को केंद्र सरकार की एक उच्चस्तरीय बैठक में हरी झंडी दे दी गई है।

सरकार ने लक्षद्वीप के दक्षिणी-सबसे बड़ा द्वीप मिनिकॉय द्वीप में नया एयरबेस बनाने और लक्षद्वीप के अगत्ती द्वीप में मौजूदा एयरफील्ड को अपग्रेड करने की अनुमति दी है, अगत्ती द्वीप में मौजूदा एयरफील्ड को एयरबेस के रूप में अपग्रेड होने के बाद से मिलिट्री ऑपरेशन किए जा सकेंगे। यह योजना काफी ज्यादा अहम मानी जा रही है क्योंकि समुद्री सीमा के आस-पास के क्षेत्रों में चीन की सेना की गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ रही हैं।

यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब चीनी नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है और इस क्षेत्र में पाकिस्तानी नौसेना के साथ मिलकर काम कर रही है। अब इन दोनों पट्टियों के निर्माण के बाद भारत की पकड़ इन इलाकों पर मजबूत हो जाएगी और वो आस-पास के इलाकों पर भी निगरानी में सक्षम हो जाएगा। इन पट्टियों का उपयोग सेना के तीनों अंगों के साथ ही तटरक्षक बल (कोस्ट गार्ड) भी करेगा। कोस्ट गार्ड ने ही इन पट्टियों को बनाने का सुझाव रक्षा मंत्रालय को दिया था।

सरकार द्वारा पास किए गए प्रस्ताव के मुताबिक, मिनिकॉल हवाई पट्टी का इस्तेमाल मूल रूप से एयरफोर्स करेगी। मिनिकॉय में हवाई अड्डा रक्षा बलों को अरब सागर में निगरानी के अपने क्षेत्र का विस्तार करने की क्षमता भी प्रदान करेगा। मिनिकॉय में हवाई अड्डा क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देगा, जैसा कि सरकार ने योजना बनाई है।

मिनिकॉय द्वीप जो कि मालदीव से लगभग 50 मील की दूरी पर स्थित है, वहां पर तैयार होने वाले दोहरे उद्देश्य वाले इन एयरफील्ड को कमर्शियल एयरलाइंस के लिए खोल दिया जाएगा। इसके अलावा इस एयरफील्ड पर हर तरह के जेट फाइटर प्लेन और ट्रांसपोर्टेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लेन के साथ लंबी दूरी के ड्रोन को तैनात किया जाएगा। इन सभी विमानों को तैनाती से इस क्षेत्र में भारतीय बलों को बढ़त मिलेगी।

फिर से बढ़ रहे कोरोना के केस, क्या है अमेरिका में तेजी से फैला नया और खतरनाक KP.3 वेरिएंट?

#covid_cases_are_again_raising

दुनिया के कई देशों में एक बार फिर से कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी देखी जा रही है।हालांकि केस का ग्राफ ज्यादा नहीं है, लेकिन मामलों में कुछ इजाफा हुआ है। अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम सहित कई देशों में पिछले कुछ महीनों से कोरोना के मामले धीमी रफ्तार से ही सही, लेकिन बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। कुछ अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता रहा है कि गर्मियों की शुरुआत ने कोविड-19 के फिर से उभरने की आशंकाओं को जन्म दे दिया है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में नए वेरिएंट- FLiRT और अब KP.3 के साथ COVID-19 की संख्या फिर से बढ़ने लगी है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में 23 जून से 6 जुलाई के बीच 36.9 प्रतिशत कोविड मामले KP.3 वेरिएंट के थे। अमेरिका के राष्ट्पति जो बाइडन भी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया, मैरीलेंड और टेक्सास में कोविड के मामलों में इजाफा देखा गया है। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम विभाग ने यह रिपोर्ट जारी की है। दुनिया के कई देश इसे नए खतरे की चेतावनी की तरह देख रहे हैं।

केपी.3 वैरिएंट क्या है?

रिपोर्ट्स के अनुसार KP.3 वैरिएंट COVID-19 के JN.1 वैरिएंट जैसा ही है। यह FLiRT वैरिएंट KP.1 और KP. 2 से भी मिलता-जुलता है। हालांकि CDC ने अभी तक KP.3 वैरिएंट की विशेषताओं के बारे में जानकारी नहीं दी है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए मामलों पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं।

केपी.3 वैरिएंट के लक्षण

रिपोर्टों में कहा गया है कि KP.3 COVID-19 स्ट्रेन के लक्षण JN.1 वैरिएंट के समान हैं। लक्षणों में शामिल हैं:

• बुखार या ठंड लगना

• खाँसी

• सांस लेने में तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई

• थकान

• मांसपेशियों या शरीर में दर्द

• सिरदर्द

• स्वाद या गंध की हानि

• गला खराब होना

• नाक बंद होना या नाक बहना

• मतली या उलटी

• दस्त

बंगाल के राज्यपाल की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, जानें किया है अनुच्छेद 361, जिसकी समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार

#bengal_governor_sexual_assault_case_supreme_court_issued_notice

पश्चिम बंगाल राजभवन की एक महिला कर्मचारी द्वारा दायर याचिका की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्च सहमत हो गया है। महिला ने राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जिसमें संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल को दी गई छूट को चुनौती दी गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 361 के उन प्रावधानों की समीक्षा करने पर सहमत हो गया जो राज्यपालों को किसी भी तरह के आपराधिक मुकदमे से ‘‘पूर्ण छूट'' प्रदान करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अटॉर्नी जनरल से सहायता मांगी है और महिला कर्मचारी द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है। 

महिला से यौन उत्पीड़न के आरोप में बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बता दें कि यह अनुच्छेद संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का अपवाद है और यह प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने पद की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। इसी के खिलाफ महिला याचिकाकर्ता ने विशिष्ट दिशा-निर्देश तैयार करने के निर्देश मांगे हैं, जिसके तहत राज्यपालों को आपराधिक अभियोजन से छूट प्राप्त 

याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य पुलिस के माध्यम से मामले की जांच करने और राज्यपाल का बयान दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई है। याचिकाकर्ता की मांग है कि अनुच्छेद 361 के तहत मिली छूट का राज्यपाल किस तरह से इस्तेमाल कर सकता है इस पर भी दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 361 जांच के खिलाफ बाधा नहीं बन सकता. दीवान ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि जांच ही न हो, साक्ष्य अभी जुटाए जाने चाहिए। उन्होंने अदालत से मांग की कि राज्यपाल के खिलाफ जांच को अनिश्चितकाल के लिए नहीं टाला जा सकता।याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि राज्यपाल आपराधिक कृत्यों को लेकर इस छूट का दावा नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि इस इम्यूनिटी से उन्हें मुकदमा शुरू करने के लिए राज्यपाल का पद छोड़ने का इंतजार करना पड़ेगा, जो अनुचित है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

पश्चिम बंगाल के राजभवन की महिला कर्मचारी ने 2 मई को राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला का आरोप है कि वो 24 मार्च को स्थायी नौकरी का निवेदन लेकर राज्यपाल के पास गई थी. तब राज्यपाल ने उसके साथ बदसलूकी की थी।