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सीजेआई ने बाबा कालभैरव को किया नमन, बाबा विश्वनाथ का लिया आशीर्वाद


नयी दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ शनिवार की शाम दो दिवसीय दौरे पर काशी पहुंचे। उन्होंने काशी के कोतवाल काल भैरव को नमन करने के बाद बाबा विश्वनाथ का भी आशीर्वाद लिया। रविवार की सुबह वह बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती में शामिल हुए और संकटमोचन हनुमान जी के मंदिर में दर्शन पूजन किया।

शनिवार की शाम सात बजे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सर्किट हाउस पहुंचे। इसके बाद उनका काफिला काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के मंदिर पहुंचा। मंदिर के गर्भगृह में पहुंचने के बाद उन्होंने कालभैरव को नमन किया और विधि-विधान से अर्चकों ने पूजन संपन्न कराया।

बाबा कालभैरव की आरती करने के बाद वह मंदिर से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली सप्तर्षि आरती में शामिल होने के लिए निकले। गेट नंबर चार से उनका काफिला धाम में पहुंचे। मंदिर में पहुंचने से पहले उन्होंने मंदिर के स्वर्ण शिखर को प्रणाम किया। इसके बाद वह बाबा की सप्तर्षि आरती में शामिल हुए।

इसके बाद मीरघाट स्थित विशालाक्षी मंदिर पहुंचकर उन्होंने माता का दर्शन पूजन किया और अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए। इस दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली मौजूद रहे। मुख्य न्यायाधीश ने रात्रि विश्राम सर्किट हाउस में किया।

आज 53 वीं जन्मदिन पर विशेष :एथलीट बनना चाहती थी सुपरमॉडल मधु सप्रे एक फोटोशूट ने तबाह कर दिया था करियर, अब जीती हैं ऐसी जिंदगी


नयी दिल्ली : मधु सप्रे भारत की सुपरमॉडल्स में से एक रही हैं. उन्होंने 1995 में अपने एक्स ब्वॉयफ्रेंड मिलिंद सोमन के साथ एक विज्ञापन के लिए फोटोशूट करके तहलका मचा दिया था. उनके खिलाफ तब पुलिस में केस दर्ज हुआ, जो कोर्ट में करीब 14 साल तक चलता रहा. आइए, जानते हैं कि आज कहां हैं सुपरमॉडल मधु सप्रे?

 मधु सप्रे ने 1992 में मिस इंडिया का खिताब जीता था और उसी साल मिस यूनिवर्स की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, जिसकी वे मजबूत दावेदार थीं, पर जज के सवाल का सही जवाब न देने की वजह से उन्हें तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. 

52 साल की मॉडल ने शादी के बाद बॉलीवुड में डेब्यू किया था, पर वे सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आईं, जब उन्होंने सबसे विवादित विज्ञापन के लिए फोटोशूट करवाया.

मधु सप्रे ने अपने एक्स ब्वॉयफ्रेंड मिलिंद सोमन के साथ यह विज्ञापन शूट किया था. टफ शूज के ऐड में दोनों मॉडल बिना किसी कपड़ों के सिर्फ जूते पहने और अजगर से लिपटे नजर आए थे. 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस थाने में उनके खिलाफ अलग-अलग मामलों में शिकायतें भी दर्ज हुई थीं. कोर्ट में यह मामला करीब 14 साल चला, इससे उनके करियर पर काफी बुरा असर पड़ा. आखिर में, सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया. 

मुध सप्रे लाइम लाइट से दूर पति और इटैलियन बिजनेसमैन और बेटी इंदिरा के साथ इटली के खूबसूरत टाउन रिचोने में रहती हैं, जहां ट्रैफिक न के बराबर है जो गर्मियों में पर्यटकों के घूमने की जगह बन जाता है. उनके घर से समुद्र का खूबसूरत नजारा दिखता है.

मधु सप्रे अपने पति मारिया से पहली बार तब मिली थीं, जब वे छुट्टियों में भारत घूमने आए थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मुलाकात कॉमन फ्रेंड के जरिये हुई थी. उनकी शादी 2001 में हुई थी, जिसके बाद वे पति के साथ इटली चली गईं. मधु सप्रे को इटैलियन नहीं आती थी. मधु के पति के स्कूल टीचर से इटली भाषा सीखने में मदद की थी.

मधु सप्रे शादी के बाद भी फैशन शोज और शूट्स वगैरह करती रहीं. उन्होंने शादी के बाद 2003 में फिल्म 'बूम' से बॉलीवुड डेब्यू किया था. यह उनकी पहली और आखिरी फिल्म थी. मधु सप्रे ने अपनी मर्जी से हाउस वाइफ बनना पसंद किया, जबकि उनके पति बिजनेस के सिलसिले में देश-विदेश की यात्रा करते रहे हैं.

मुध की बेटी इंदिरा अब करीब 10 साल की हैं. मधु सप्रे भले इटली में रहती हैं, पर मुंबई को काफी मिस करती हैं. वे मुंबई में पली-बढ़ी हैं और वहां की लोकल ट्रेन और स्ट्रीट फूड से लेकर तमाम चीजों को आज भी बहुत मिस करती हैं.

इजरायल ने गांजा पट्टी में फिर बरपाया कहर,हमास के सैन्य टुकड़ी के प्रमुख समेत 71 लोगों की मौत

नयी दिल्ली : बीते नौ महीने से इस्राइल और हमास के बीच जंग चल रही है। इस्राइल ने हमास को खत्म करने की ढृढ़ प्रतिज्ञा ली है। यह प्रतिज्ञा गाजा पट्टी के लोगों पर भारी पड़ रही है। 

गाजा में इस्राइली सेना की कार्रवाई लगातार जारी है।इस बीच खबर आई है कि इस्राइल ने एक बार फिर से गाजा पट्टी पर भीषण हमला किया है। इस हमले में हमास की सैन्य टुकड़ी के प्रमुख मोहम्मद दईफ समेत 71 लोगों की मौत हुई है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं। 

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी है।

आज ही के दिन मुंबई में हुए थे एक साथ तीन बम धमाके, जानें 13 जुलाई से जुड़ा इतिहास

नयी दिल्ली : इतिहास में 13 जुलाई का दिन भारत में एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। दरअसल यह जुलाई महीने में तीन दिन में दूसरा दुखद दिन है। 2006 में 11 जुलाई को लोकल ट्रेन में बम धमाके हुए थे और वर्ष 2011 में 13 जुलाई के दिन मुंबई के तीन इलाकों झावेरी बाजार, ओपेरा हाउस और दादर में बम धमाके हुए। इन धमाकों की सिहरन ने एक बार फिर देश की आर्थिक राजधानी को घेर लिया। 

इस हादसे में 26 लोगों की जान चली गई और 130 से अधिक लोग घायल हुए। देश-दुनिया के इतिहास में 13 जुलाई की तारीख पर दर्ज कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-

1645: अलेक्सेई रोमानोव अपने पिता माइकल की जगह रूस के शासक बने।

1803 : राजा राम मोहन राय और एलेग्जेंडर डफ ने पांच छात्रों के साथ स्कॉटिश चर्च कॉलेज शुरू किया।

1882: रूस में ट्रेन के पटरी से उतर जाने के कारण 200 लोगों की मौत हो गई।

1923: कैलिफोर्निया के शहर लॉस एंजिलिस में माउंट हिल्स के पास जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए प्रचार के मकसद से ‘हॉलीवुड’ लिखा गया।

1977- देश की जनता पार्टी सरकार ने भारत रत्न सहित अन्य नागरिक सम्मान देना बंद कर दिया। इन्हें तीन साल के अंतराल के बाद दोबारा शुरू किया गया।

1998 – भारत के लिएंडर पेस ने हॉल आफ़ फ़ेम टेनिस चैंपियनशिप में अपने जीवन का प्रथम ए.टी.पी. ख़िताब जीता। 

2000 -फिजी में महेन्द्र चौधरी समेत 18 बंधक रिहा।

2004: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साइबेरिया और देश के सुदूर पूर्ववर्ती इलाकों के विकास के लिए भारत से और मज़बूत संबंधों की इच्छा जताई।

2006 – परमाणु बम निर्माण संबंधी ईरान मसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के हवाले।

2011: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई तिहरे बम धमाकों से दहल उठी।

25 जून 'संविधान हत्या दिवस' घोषित:केंद्र सरकार का ऐलान, नोटिफिकेशन जारी; 1975 में इसी दिन लगी थी इमरजेंसी


नई दिल्ली: इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आधी रात से ठीक पहले इमरजेंसी का ऐलान किया था। इमरजेंसी के खिलाफ जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे कई दिग्गज नेता अरेस्ट हो गए थे। 1976 में दिल्ली के दुजाना हाउस फैमिली प्लानिंग क्लीनिक में नसबंदी अभियान चला था।

इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आधी रात से ठीक पहले इमरजेंसी का ऐलान किया था। इमरजेंसी के खिलाफ जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे कई दिग्गज नेता अरेस्ट हो गए थे। 1976 में दिल्ली के दुजाना हाउस फैमिली प्लानिंग क्लीनिक में नसबंदी अभियान चला था।

केंद्र सरकार ने 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' घोषित कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार 12 जुलाई को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी। सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी किया है।

शाह ने लिखा, '25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया।'

NDA के संसदीय दल की मीटिंग के पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पुराने संसद भवन में रखे गए संविधान को नमन किया।

पीएम ने इसे काला दौर बताया, कांग्रेस बोली- एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, '25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इस बात की याद दिलाएगा कि उस दिन क्या हुआ था और भारत के संविधान को कैसे कुचला गया था। ये भारत के इतिहास में कांग्रेस द्वारा लाया गया एक काला दौर था।'

उधर, कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले को एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद बताया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 'यह नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद है, जिसने दस साल तक अघोषित आपातकाल लगाया था। उसके बाद भारत के लोगों ने उसे 4 जून, 2024 को एक निर्णायक व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार दी- जिसे इतिहास में मोदी मुक्ति दिवस के रूप में जाना जाएगा।'

आखिर भाजपा को ऐसा कदम उठाने की जरूरत क्या पड़ी

पीएम मोदी ने अप्रैल 2024 को सागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था कि उन्हें 400 सीटें क्यों चाहिए। पीएम मोदी ने सागर की सभा में कहा था कि कांग्रेस धर्म के आधार पर आरक्षण देना चाहती है।

कांग्रेस ने कर्नाटक में धर्म के आधार पर आरक्षण दे दिया। वह यही फॉर्मूला पूरे देश में लागू करना चाहती है। दलित, आदिवासी, ओबीसी के आरक्षण चोरी करने का बंद करने के लिए मोदी को 400 पार चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे दलित, आदिवासी और ओबीसी के आरक्षण की रक्षा करनी है।

इसके बाद विपक्ष ने भाजपा पर संविधान विरोधी होने का आरोप लगाया। कहा कि अगर भाजपा सरकार में आई तो वह संविधान बदल देगी। जानकार कहते हैं कि इससे भाजपा को महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में नुकसान हुआ। विपक्ष ने हाल के संसद सत्र में संविधान को लेकर हर दिन प्रदर्शन किया। राहुल, अखिलेश समेत विपक्ष के ज्यादातर सांसदों ने संविधान की कॉपी को लेकर शपथ ली।

राहुल ने 25 जून को लोकसभा में संविधान की कॉपी लेकर सांसद की शपथ ली थी।

एक्सपर्ट बोले- दिवस घोषित कर देने से कोई फायदा नहीं होने वाला

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक, चुनाव से पहले संविधान को लेकर जिस तरह की लामबंदी हुई, उससे विपक्ष को फायदा हुआ है।

 विपक्ष ने इस बात को प्रचारित किया कि सरकार 400 सीटें लाकर संविधान और आरक्षण से छेड़छाड़ करने जा रही है। इससे बीजेपी थोड़ी असहज हो गई। उसी को काउंटर करने के लिए सरकार ने संविधान हत्या दिवस का ऐलान कर दिया। ताकि ऐसी पार्टियां और नेता, जो कभी इमरजेंसी की ज्यादतियों का शिकार हुए, वो कांग्रेस का साथ देने में असहज हो जाएं।

किदवई कहते हैं कि आपातकाल बुरा था, तो संविधान से आपातकाल के प्रावधान को ही निकाल देना चाहिए। सिर्फ दिवस घोषित कर देने से कोई फायदा नहीं होने वाला। संविधान की मंशा के खिलाफ तो आज भी तमाम काम हो रहे हैं।

PM ने कहा था: इमरजेंसी लगाने वाले संविधान पर प्यार न जताएं

इस साल 25 जून को इमरजेंसी की 49वीं बरसी थी। इससे एक दिन पहले यानी 24 जून को 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में विपक्षी सांसदों ने संविधान की कॉपी लेकर शपथ ली थी। इसे लेकर प्रधानमंत्री ने कांग्रेस की आलोचना की। 

उन्होंने X पर एक पोस्ट में लिखा कि इमरजेंसी लगाने वालों को संविधान पर प्यार जताने का अधिकार नहीं है।

PM मोदी ने एक के बाद एक X पर चार पोस्ट किए। उन्होंने कहा जिस मानसिकता की वजह से इमरजेंसी लगाई गई, वह आज भी इसी पार्टी में जिंदा है। इसके जवाब में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि देश को दूसरी इमरजेंसी से बचाने के लिए जनता से इस बार वोट किया है। हमारे संविधान ने ही जनता को आने वाली एक और इमरजेंसी रोकने की याद दिलाई है।

PM ने संसद सत्र के पहले दिन इमरजेंसी का जिक्र किया था

संसद सत्र (24 जून से 3 जुलाई) शुरू होने से आधे घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी का जिक्र किया। 25 जून न भूलने वाला दिन है। इसी दिन संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था। भारत को जेलखाना बना दिया गया था। लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था।

उन्होंने कहा था कि भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए देशवासी संकल्प लेंगे कि भारत में फिर कभी कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा, जो उस समय किया गया था। भारत की नई पीढ़ी ये कभी नहीं भूलेगी की संविधान को इमरजेंसी के दौरान पूरी तरह नकार दिया गया था।

जानिए कब और किसने 21 महीने के लिए लगाई गई थी इमरजेंसी

25 जून 1975 को देश में 21 महीने के लिए इमरजेंसी लगाई गई थी। तत्कालीन PM इंदिरा गांधी के कहने पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इमरजेंसी के आदेश पर दस्तखत किए थे। इसके बाद इंदिरा ने रेडियो से आपातकाल का ऐलान किया।

आपातकाल की जड़ें 1971 में हुए लोकसभा चुनाव से जुड़ी थीं, जब इंदिरा ने रायबरेली सीट पर एक लाख से भी ज्यादा वोट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राजनारायण को हराया था। लेकिन राजनारायण चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे।

12 जून 1975 को हाईकोर्ट ने इंदिरा का चुनाव निरस्त कर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। वे 23 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई और इंदिरा को प्रधानमंत्री बने रहने की इजाजत दे दी। इसके बाद इंदिरा ने देश में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया।

राज्य हाईवे कैसे बंद कर सकता है', हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से लगी फटकार; शंभू बॉर्डर खोलने का आदेश


नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा सरकार को अंबाला के नजदीक शंभू बार्डर से बैरिकेडिंग हटाने का आदेश दिया, जहां किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं। शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि कोई राज्य हाईवे को कैसे बंद कर सकता है।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैरराजनीतिक) एवं किसान मजदूर मोर्चा ने जब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत विभिन्न मांगों के समर्थन में किसानों के दिल्ली मार्च की घोषणा की थी, तब फरवरी में हरियाणा सरकार ने अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेड लगाए थे।

कोर्ट ने लगाई राज्य सरकार को फटकार

जस्टिस सूर्यकांत एवं जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने उक्त टिप्पणी तब की, जब हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि राज्य पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 10 जुलाई के फैसले के विरुद्ध अपील दायर करने की प्रक्रिया में है। हाईकोर्ट ने सात दिनों में राजमार्ग खोलने का निर्देश दिया था।

जस्टिस भुइयां ने कहा, 'कोई राज्य हाईवे को कैसे बंद कर सकता है? यातायात को नियंत्रित करना उसका दायित्व है। हम कह रहे हैं कि इसे खोलिए, लेकिन नियंत्रित कीजिए।' जस्टिस कांत ने राज्य के वकील से कहा, 'आप हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती क्यों देना चाहते हैं? किसान भी इस देश के नागरिक हैं? उन्हें खाना दीजिए और अच्छी चिकित्सकीय देखभाल कीजिए। वे आएंगे, नारे लगाएंगे और वापस चले जाएंगे। मुझे लगता है कि आप सड़क पर नहीं चलते।'

सरकार को हलफनामा दाखिल करने का दिया आदेश

वकील ने जवाब दिया कि वह सड़क से ही यात्रा करते हैं। इस पर पीठ ने कहा कि तब तो उन्हें भी कठिनाई हो रही होगी। पीठ ने राज्य को लंबित मामले में आगे के घटनाक्रम पर हलफनामा दाखिल करने का आदेश भी दिया। शीर्ष अदालत हरियाणा सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें फरवरी में हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों एवं प्रदर्शनकारी किसानों के बीच संघर्ष के दौरान किसान शुभकरण सिंह की मौत के मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में समिति गठित करने के पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सात मार्च के फैसले को चुनौती दी गई है।

शीर्ष अदालत ने एक अप्रैल को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। 21 फरवरी को पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी में हुए संघर्ष में बठिंडा निवासी 21 वर्षीय शुभकरण सिंह मारे गए थे और कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे। यह घटना तब हुई थी जब कुछ प्रदर्शनकारी किसान बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेडिंग की ओर बढ़ रहे थे और सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें दिल्ली की ओर मार्च करने से रोक दिया था।

हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश

हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को हरियाणा सरकार को एक हफ्ते में बैरिकेडिंग हटाने का आदेश देते हुए कहा था कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होने पर राज्य सरकार कानून के मुताबिक एहतियाती कार्रवाई कर सकती है। कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए उसने इसी तरह के निर्देश पंजाब सरकार को भी दिए थे और कहा था कि उसकी सीमा में लगे बैरिकेड भी हटाए जाने चाहिए।

कुंवारें लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है ये गणेश मंदिर, दर्शन मात्र से हो जाती है शादी

नयी दिल्ली : भारत में स्थित सबसे पवित्र और प्रसिद्ध गणेश मंदिर का जिक्र होता है तो सिद्धिविनायक मंदिर का नाम जरूर लिया जाता है, लेकिन सिद्धिविनायक के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी कई विश्व प्रसिद्ध गणेश मंदिर हैं।

मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि इस पवित्र और लोकप्रिय मंदिर का निर्माण 1761 के आसपास सेठ जय राम पल्लीवाल की देखरेख में हुआ था।

मोती डूंगरी गणेश मंदिर के संबंध में यह भी माना जाता है कि इसका निर्माण राजस्थान के उत्तम पत्थर से लगभग 4 महीने के भीतर पूरा किया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला भी भक्तों को खूब आकर्षित करती है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर की कहानी बहुत दिलचस्प है। कथा के अनुसार कहा जाता है कि राजा गणेश प्रतिमा लेकर बैलगाड़ी से यात्रा करके लौट रहे थे, लेकिन शर्त थी कि बैलगाड़ी जहां भी रुकेगी, उसी स्थान पर गणेश मंदिर बनवाया जाएगा।

कहानी के अनुसार ट्रेन डूंगरी पहाड़ी के नीचे रुकी. सेठ जय राम पल्लीवाल ने उस स्थान पर एक मंदिर बनाने का फैसला किया जहां कार रुकी थी। मोती डूंगरी गणेश मंदिर बेहद खास है। यह जयपुर के साथ-साथ पूरे राजस्थान के सबसे बड़े गणेश मंदिरों में से एक है। इस पवित्र मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं।

गणेश चतुर्थी के खास मौके पर हर दिन लाखों श्रद्धालु आते हैं. कहा जाता है कि प्रत्येक बुधवार को मंदिर परिवार में एक बड़ा मेला लगता है और इसी दिन सबसे अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में एक शिवलिंग भी स्थापित है। इसके अलावा लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति भी स्थापित की जाती है।

मोती डूंगरी गणेश मंदिर में हर समय भक्तों का आगमन लगा रहता है। आप रोजाना सुबह 5 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद आप शाम 4:30 बजे से रात 9 बजे के बीच यात्रा कर सकते हैं। 

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मंदिर में जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है. इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां आना खास माना जाता है।

आज का इतिहास: महात्मा गांधी की हत्या के चलते RSS पर लगा प्रतिबंध सशर्त लिया गया था वापस, जानिए 12 जुलाई की महत्वपूर्ण घटनाएं


नयी दिल्ली : देश में 12 जुलाई की तारीख कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए याद किया जाएगा। इसी दिन नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या के आरोप के चलते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगा प्रतिबंध 12 जुलाई 1949 को सशर्त हटा लिया गया था।

12 जुलाई का दिन कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है। जनवरी 1948 में नाथुराम गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या किये जाने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर लगाये गये प्रतिबंध को 12 जुलाई 1949 के दिन ही सशर्त हटा लिया गया था।

देश दुनिया के इतिहास में 12 जुलाई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार लेखा जोखा इस प्रकार है:-

1290 - इंग्लैंड के सम्राट एडवर्ड प्रथम के आदेश पर यहूदियों को बाहर निकाला गया।

1346 - लक्जमबर्ग के चार्ल्स चतुर्थ को रोमन साम्राज्य का शासक नियुक्त किया गया।

1673 - नीदरलैंड और डेनमार्क के बीच रक्षा संधि पर हस्ताक्षर हुए।

1690 - विलियम ऑफ ऑरेंज के नेतृत्व में प्रोटेस्टेंटों ने रोमन कैथोलिक सेना को पराजित किया।

1801 - अल्जीसिरास की लड़ाई में ब्रिटेन ने फ्रांस और स्पेन को पराजित किया।

1823 - भारत में निर्मित प्रथम वाष्प इंजन युक्त जहाज ‘डायना’ का कलकत्ता (अब कोलकाता) में जलावतरण।

1862 - अमेरिकी कांग्रेस ने मेडल ऑफ ऑनर को प्राधिकृत किया।

1912 - ‘क्वीन एलिजाबेथ’

 अमेरिका में प्रदर्शित होने वाली पहली विदेशी फिल्म बनी।

1918 - टोकायाम की खाड़ी में जापानी युद्धपोत में विस्फोट में 500 लोगों की मौत।

1935 - बेल्जियम ने तत्कालीन सोवियत संघ को मान्यता दी।

1949 - महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर लगाए गए प्रतिबंध को सशर्त हटाया गया।

1957 - अमेरिकी सर्जन लेरोय इ बर्नी ने बताया कि धूम्रपान और फेफड़े के कैंसर में सीधा संबंध होता है।

1960 - भागलपुर और रांची यूनिवर्सिटी की स्थापना।

1970 - अलकनंदा नदी में आई भीषण बाढ़ ने 600 लोगों की जान ली।

1990 : प्रसिद्ध सोवियत नेता और रूसी संसद के अध्यक्ष बोरिस येल्तसिन ने सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफा दिया।

1994 - फ़लस्तीनी मुक्ति संगठन के अध्यक्ष यासर अराफात 27 वर्षों का निर्वासित जीवन गुजारने के बाद गाजा पट्टी आये।

1997 : नोबल पुरस्कार से सम्मानित मलाला युसुफजई का पाकिस्तान में जन्म।

1998 : फ्रांस और ब्राजील के बीच हुए फुटबॉल विश्वकप के फाइनल को कुल 1.7 अरब लोगों ने देखा।

2001 : अगरतला से ढाका के बीच ‘मैत्री’ बस सेवा की शुरुआत।

99% लोग गलत तरीके से बना रहे हैं चाय केतली में उबाल रहे है कैंसर,जानिए सेहत के लिए है कितना खतरनाक


नयी दिल्ली : चाय प्रेमियों के बारे में क्या कहा जाए. चाय एक पेय न होकर एडिक्शन बन जाता है. जिसके बाद उसके बिना रहना नामुमकिन होने लगता है. चाय नहीं पी तो सिर में दर्द हो जाता है. चाय नहीं पी तो मोशन क्लियर होने में दिक्कत होने लगती है. तबीयत ठीक न लग रही हो चाय पीते ही टनाटन हो जाता है मिज़ाज. कुल मिलाकर चाय, चाय न होकर हर मर्ज की दवा हो जाती है।

चाय बनाने और पीने के मामले में अधिकतर लोग बड़ी गलती कर रहे हैं और यह गलती शरीर में कैंसर बना सकती है, एक्सपर्ट से जानिये चाय बनाने का सही तरीका क्या है।

भारत में चाय का सेवन सबसे ज्यादा किया जाता है। चाय बनाने के कई अलग-अलग तरीके हैं और हर कोई अपने अनुसार चाय का आनंद लेता है। भारतीय घरों में ज्यादातर दूध-पत्ती की चाय बनती है। अगर देखा जाए तो अधिकतर लोग चाय को बनाने का एक ही तरीका आजमाते हैं।

अधिकतर लोगों का मानना है कि चाय को देर तक उबालने से कड़क चाय बनती है और स्वाद भी लाजवाब आता है। हालांकि कुछ लोग दूध और चायपत्ती को भी एक साथ उबालते हैं। क्या अप जानते हैं कि चायपत्ती को देर तक उबालकर चाय बनाने का तरीका सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक है।

न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटीशियन शिखा अग्रवाल शर्मा के अनुसार, अगर चाय को सही तरीके से बनाया जाए, तो इसके कई फायदे हैं जैसे- इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाना, वजन कम होना और ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहना। ध्यान रहे कि चायपत्ती में कैफीन होता है और इसे ज्यादा उबालना सेहत के लिए हानिकारक है।

कैंसर का खतरा

एक्सपर्ट के अनुसार, चाय में टैनिन भरपूर मात्रा में होता है - यह पॉलीफेनोलिक बायोमॉलीक्यूल्स का एक ग्रुप है जो फलों, सब्जियों, नट्स, वाइन और चाय में पाया जाता है। टैनिन बड़े अणु होते हैं जो चाय, कॉफी आदि में पाए जाते हैं। ये प्रोटीन, सेल्यूलोज, स्टार्च और मिनरल्स से जुड़कर उन्हें बांध लेते हैं, जिससे शरीर के लिए आयरन को सोखना मुश्किल हो जाता है। चाय को ज्यादा उबालने (4-5 मिनट से ज्यादा) से टैनिन की मात्रा बढ़ जाती है, जो आयरन के अवशोषण को रोक सकते हैं। साथ ही, ज्यादा उबालने से चाय के पोषक तत्व कम हो जाते हैं, चाय ज्यादा खट्टी हो जाती है, एसिडिटी हो सकती है और कैंसर पैदा करने वाले तत्व भी बन सकते हैं।

पोषक तत्व हो जाते हैं कम

चायपत्ती में जरूरी पोषक तत्व और मिनरल्स पाए जाते हैं जैसे फ्लेवोनोइड्स, कैटेचिन, पॉलीफेनॉल्स, पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक, कैल्शियम और फ्लोराइड। एक्सपर्ट का मानना है कि ज्यादा उबालने से चाय और दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व, जैसे कैल्शियम, विटामिन बी12 और सी कम हो जाते हैं।

आयरन का अवशोषण रुकना

एक्सपर्ट ने बताया कि चाय में मौजूद टैनिन नामक तत्व पाया जाता है। यह कई फल, सब्जी और नट्स में पाया जाता है। चाय को ज्यादा देर या बार-बार उबालने इ टैनिन शरीर में आयरन के अवशोषण को रोक सकते हैं जिससे आपके शरीर में खून की कमी हो सकती है।

पेट की समस्याएं

चायपत्ती और दूध को ज्यादा उबालने से दूध के प्रोटीन नष्ट हो जाते हैं। इससे दूध पचाने में दिक्कत हो सकती है और पेट दर्द, एसिडिटी, पेट फूलना और गैस बनने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जाहिर है दूध वाली चाय को ज्यादा उबालने से उसमें जलन की सी गंध आने लगती है और पीने में कड़वी लगती है।

चायपत्ती और दूध को एक साथ ज्यादा उबालने के नुकसान

ज्यादा गरम तापमान पर दूध की लैक्टोज प्रोटीन के साथ मिलकर रासायनिक क्रिया करती है। समय के साथ ज्यादा मात्रा में पीने पर ये मिलकर शरीर के लिए नुकसानदायक चीजें बना सकते हैं। इस मिश्रण को ज्यादा उबालने से दूध में एक्रिलामाइड जैसे तत्व बन सकते हैं, खासकर जब उसमें कार्बोहाइड्रेट मौजूद हों। एक्रिलामाइड कैंसर का कारण बन सकता है।

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चाय को उबालने का सही तरीका

एक्सपर्ट के अनुसार, पत्तियों को 2 मिनट तक गर्म पानी में रखने से उनमें पाए जाने वाले पोषक तत्व पॉलीफेनोल्स ज्यादा मात्रा में मिलते हैं। इससे ज्यादा देर रखने से चाय के गुण खराब हो सकते हैं। उबालने से भले ही कोई फायदा न मिले, लेकिन इससे चाय का स्वाद कड़वा हो सकता है। चाय का स्वाद और लाभ बढ़ाने के लिए आपको चाय बनाने का सही तरीका आना चाहिए।।

चाय बनाने का तरीका

एक पैन में पानी उबालें और चर्चित फिर गैस बंद कर दें। उसमें एक चम्मच चायपत्ती डालें और 3-4 मिनट के लिए ढककर रख दें। अब इसमें थोड़ा दूध और अपनी पसंद की मीठी चीज डालकर चाय का मजा लें।

चाय की पत्तियों को पानी में उबालने से उनका पोषण, स्वाद और खुशबू कम हो जाती है।

नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।