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क्या है NOK नियम? जिसे बदलने की मांग कर रहे है शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता

 बीते वर्ष सियाचिन में शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह को हाल ही में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में उनकी पत्नी स्मृति और मां मंजू सिंह ने यह सम्मान ग्रहण किया। इस मौके पर स्मृति ने बताया कि कैसे उनकी और अंशुमान सिंह की मुलाकात हुई थी एवं शादी के मात्र 5 महीने बाद ही वह विधवा हो गईं। सम्मान ग्रहण करते वक़्त स्मृति के चेहरे पर जो भाव थे, उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की गईं, जिन पर लोगों ने भावुक टिप्पणियां कीं।

हालांकि, अब शहीद अंशुमान सिंह का परिवार दूसरी खबरों से चर्चा में है। अंशुमान के माता-पिता ने उनकी पत्नी पर गंभीर आरोप लगाए हैं तथा केंद्र सरकार से मांग की है कि एनओके (नेक्स्ट ऑफ किन) कानून की परिभाषा को पुनः निर्धारित किया जाए।

एनओके (नेक्स्ट ऑफ किन) क्या है?

जब कोई व्यक्ति सेना में भर्ती होता है, तो उसके निकटतम रिश्तेदारों के रूप में माता-पिता का नाम दर्ज किया जाता है। शादी के पश्चात् माता-पिता के नाम की जगह स्वचालित रूप से पत्नी का नाम दर्ज हो जाता है। जवान के शहीद होने पर आर्थिक मदद और अन्य सैन्य सुविधाएं उसकी पत्नी को मिलती हैं। इसी को एनओके कहा जाता है। कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने इसी नियम में परिवर्तन की मांग की है।

राहुल गांधी ने संसद में यह मुद्दा उठाने का आश्वासन दिया: पिता

कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा, "एनओके का जो निर्धारित मापदंड है, वह ठीक नहीं है। इस बारे में मैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अवगत करा चुका हूं। 5 महीने की शादी थी, कोई बच्चा नहीं है। बहू ने हमसे बिना पूछे मेरे बेटे का स्थायी पता भी बदलवा दिया है। अब हमारे पास क्या बचा है? इस नियम में बदलाव होना चाहिए। यदि बहू परिवार में रहेगी तो क्या होगा, नहीं रहेगी तो क्या होगा? बच्चे होंगे तो क्या होगा? शहीद पर परिवार की कितनी जिम्मेदारी थी, ये सब भी देखना चाहिए। मेरे बेटे को कीर्ति चक्र मिला, मेरी पत्नी भी बहू के साथ सम्मान लेने गई, पर वह कीर्ति चक्र को छू तक नहीं पाई। दो दिन पहले रायबरेली में राहुल गांधी से मुलाकात में मैंने यह मुद्दा उठाया था। राहुल जी ने मुझे आश्वासन दिया है कि वह राजनाथ सिंह से इस बारे में बात करेंगे और इसका कुछ हल निकाला जाएगा।"

अंशुमान सिंह की मां मंजू सिंह ने कहा, "राहुल गांधी जी से चर्चा में मैंने यही कहा कि मेरे साथ तो यह घटना हो गई, पर नियमों में परिवर्तन हो ताकि आगे किसी अंशुमान सिंह के माता-पिता को ऐसी समस्या का सामना न करना पड़े। बहुएं भाग जा रही हैं, ऐसी घटनाएं समाज में बढ़ती जा रही हैं।" अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति सिंह पंजाब के गुरदासपुर की रहने वाली हैं। अंशुमान के पिता का दावा है कि बेटे की तेरहवीं के अगले दिन ही वह अपने मायके चली गईं और दोबारा लौटकर नहीं आईं।

बजट 2024 की तैयारियों में जुटी मोदी सरकार, प्रधानमंत्री ने आज अर्थशास्त्रियों संग की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी 2024 के बजट की तैयारी के लिए आज गुरुवार (11 जुलाई) को अर्थशास्त्रियों के साथ एक अहम बैठक की। इस बजट पूर्व चर्चा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल हुईं। बता दें कि मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट 23 जुलाई को पेश करने वाली है।

अर्थशास्त्रियों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों के अलावा बैठक में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी और थिंक टैंक के अन्य सदस्य भी शामिल हुए। बजट से पहले वित्त मंत्री सीतारमण ने किसान संगठनों और राज्य वित्त मंत्रियों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ कई बैठकें की हैं। इन चर्चाओं में उन्हें कई सुझाव मिले, जैसे कि निरंतर पूंजीगत व्यय की आवश्यकता, राजकोषीय विवेक बनाए रखना, निजी खपत को बढ़ावा देने के लिए कर दरों को कम करना और सामाजिक और ग्रामीण खर्च बढ़ाना।

सीतारमण ने विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि बजट तैयार करते समय उनके सुझावों की सावधानीपूर्वक समीक्षा की जाएगी और उन पर विचार किया जाएगा। सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह रोजगार पर ध्यान केंद्रित करेगी और व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखेगी। बजट चुनावों से पहले निर्धारित की गई शुरुआती 100-दिवसीय योजना पर आधारित होगा और इसमें पंचवर्षीय योजनाओं से दीर्घकालिक रणनीतियां और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखने वाला एक विज़न दस्तावेज़ शामिल होगा।

बेटे अंशुमान सिंह की शहादत के बाद माता-पिता को अब इस बात का है दर्द, जानें सेना से किस बदलाव की कर रहे मांग

#captain_anshuman_singh_parents_allegations_on_daughter_in_law

सियाचिन में पिछले साल 19 जुलाई को साथियों को बचाते हुए कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए, जिसके बाद उन्हें हाल ही में राष्ट्रपति ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया था। अंशुमान सिंह को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने 5 जुलाई को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया है। ये सम्मान शहीद अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति सिंह और उनके मां मंजू देवी ने लिया। बेटे की शहादत के बाद शहीद के माता-पिता ने अपनी बहू स्मृति सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। माता-पिता ने अपने बयान में कहा कि उनका बेटा शहीद हुआ लेकिन, उन्हें कुछ नहीं मिला। सम्मान और अनुग्रह राशि दोनों बहू लेकर चली गई। उनका बेटा भी चला गया और बहू भी चली गई। कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने भारतीय सेना की ‘निकटतम परिजन’ (एनओके) नीति में बदवाल की मांग की है। इस नीति के तहत सेना के किसी जवान की मौत होने पर उसके परिवार के सदस्यों को आर्थिक सहायता दी जाती है। 

यूपी स्थित देवरिया जिले के रहने वाले शहीद कैप्‍टन अंशुमान सिंह की मां मंजू सिंह और पिता रवि प्रताप सिंह ने बहु स्मृति पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। परिवार ने कहा कि बहु स्मृति ने बेटे को मिले कीर्ति चक्र को छूने तक नहीं दिया। साथ ही सम्मान और अनुग्रह राशि भी साथ ले गई। वहीं अपना पता भी चेंज करा दिया है। 

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि वह ‘एनओके’ के निर्धारित मापदंड में बदलाव चाहते हैं। इस मानदंड को ‘गलत’ बताते हुए शहीद कैप्टन के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि उनके बेटे की मौत के बाद उनकी विधवा स्मृति सिंह घर छोड़कर चली गईं और मौजूदा वक्त में उन्हें ही हर लाभ हासिल हो रहा है। इसके लिए वह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी अवगत करा चुके हैं। इसके अलावा दो दिन पहले उनकी राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान भी उन्होंने इसमें बदलाव की अपनी इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि 5 महीने पहले ही उनके बेटे की शादी हुई थी और उनके कोई बच्चा भी नहीं है पर अब मां-बाप के पास उनके बेटे की तस्वीर के सिवा कुछ भी नहीं है। 

‘निकटतम परिजन’ यानी ‘एनओके’ शब्द का अर्थ किसी व्यक्ति के जीवनसाथी, सबसे करीबी रिश्तेदार, परिवार के सदस्य या कानूनी अभिभावक से है। जब कोई व्यक्ति सेना में भर्ती होता है तो उसके माता-पिता या अभिभावकों को ‘एनओके’ के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है। सेना के नियमों के अनुसार, जब कोई कैडेट या अधिकारी शादी करता है, तो उसके माता-पिता के बजाय उसके जीवनसाथी का नाम उसके निकटतम परिजन के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है। नियमों के अनुसार, अगर सेवा के दौरान किसी व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो अनुग्रह राशि ‘एनओके’ को दी जाती है।

खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह का भाई गिरफ्तार, जानें क्या है पूरा मामला*
#khalistani_sympathiser_mp_amritpal_singh_brother_arrested_in_drug_case खालिस्तान समर्थक और लोकसभा सांसद अमृतपाल सिंह के भाई को ड्रग मामले में गिरफ्तार किया गया है। हरप्रीत सिंह को पंजाब के फिल्लौर के पास जालंधर ग्रामीण पुलिस ने पांच ग्राम ड्रग के साथ गिरफ्तार किया है। हरप्रीत सिंह सहित 3 लोगों को जालंधर पुलिस ने आइस ड्रग के साथ गिरफ्तार किया है। सांसद के भाई हरप्रीत सिंह को गिरफ्तारी किए जाने की पुष्टि जालंधर देहात पुलिस के एसएसपी अंकुर गुप्ता ने कर दी है। गिरफ्तारी के बारे में उन्होंने बताया कि हरप्रीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से हमें आइस बरामद हुई है। बता दें कि अमृतपाल सिंह ने हाल ही में सांसद के रूप में शपथ ली है। वो फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत अमृतपाल की गिरफ्तारी की गई थी। वहीं उसके नौ सहयोगी डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। वारिस पंजाब का चीफ अमृतपाल पंजाब में नशा विरोधी मुहिम चलाकर ही सुर्खियों में आया था। यहीं नहीं अमृतपाल खुद अपने साथियों के साथ मिलकर नशा मुक्ति केंद्र चला रहा था। अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद यहां इलाज करवाने आए युवा भी अपने घरों को लौट गए थे। उसी अमृतपाल का भाई आज नशे के साथ गिरफ्तार किया गया है।
खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह का भाई गिरफ्तार, जानें क्या है पूरा मामला

#khalistani_sympathiser_mp_amritpal_singh_brother_arrested_in_drug_case 

खालिस्तान समर्थक और लोकसभा सांसद अमृतपाल सिंह के भाई को ड्रग मामले में गिरफ्तार किया गया है। हरप्रीत सिंह को पंजाब के फिल्लौर के पास जालंधर ग्रामीण पुलिस ने पांच ग्राम ड्रग के साथ गिरफ्तार किया है। हरप्रीत सिंह सहित 3 लोगों को जालंधर पुलिस ने आइस ड्रग के साथ गिरफ्तार किया है।

सांसद के भाई हरप्रीत सिंह को गिरफ्तारी किए जाने की पुष्टि जालंधर देहात पुलिस के एसएसपी अंकुर गुप्ता ने कर दी है। गिरफ्तारी के बारे में उन्होंने बताया कि हरप्रीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से हमें आइस बरामद हुई है।

बता दें कि अमृतपाल सिंह ने हाल ही में सांसद के रूप में शपथ ली है। वो फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत अमृतपाल की गिरफ्तारी की गई थी। वहीं उसके नौ सहयोगी डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। वारिस पंजाब का चीफ अमृतपाल पंजाब में नशा विरोधी मुहिम चलाकर ही सुर्खियों में आया था। यहीं नहीं अमृतपाल खुद अपने साथियों के साथ मिलकर नशा मुक्ति केंद्र चला रहा था। अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद यहां इलाज करवाने आए युवा भी अपने घरों को लौट गए थे। उसी अमृतपाल का भाई आज नशे के साथ गिरफ्तार किया गया है।

बैडमिंटन कोर्ट में हुआ राष्ट्रपति और साइना नेहवाल का मुकाबला, ओलंपिक मेडल विनर को प्रेसिडेंट ने दी कड़ी चुनौती

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के बैडमिंटन कोर्ट में दिग्गज शटलर और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता साइना नेहवाल के साथ बैडमिंटन खेला। बैडमिंटन खेलने के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने मंजे हुए खिलाड़ी की तरह कई शॉट लगाए और उन्होंने कई मौके पर साइना नेहवाल को मात भी दी।

 राष्ट्रपति सचिवालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि राष्ट्रपति का यह प्रेरणादायक कदम ऐसे समय में भारत के बैडमिंटन की महाशक्ति के रूप में उभरने के अनुरूप है , जब महिला खिलाड़ी विश्व मंच पर बड़ा प्रभाव डाल रही हैं। मुर्मू और नेहवाल के मुकाबले की तस्वीरें साझा करते हुए आगे लिखा कि ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का खेलों के प्रति स्वाभाविक प्रेम तब देखने को मिला जब उन्होंने राष्ट्रपति भवन के बैडमिंटन कोर्ट में बहुचर्चित खिलाड़ी साइना नेहवाल के साथ बैडमिंटन खेला।’ 

साइना नेहवाल ने भी राष्ट्रपति के साथ खेलने का मौका मिलने पर अपनी खुशी जाहिर की। नेहवाल ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहाकि "भारत के राष्ट्रपति के साथ खेलना मेरे लिए सम्मान की बात है...। यह मेरे जीवन का यादगार दिन है। मेरे साथ बैडमिंटन खेलने के लिए राष्ट्रपति जी का बहुत-बहुत धन्यवाद।"

हरियाणा की रहने वाली 33 वर्षीय शटलर नेहवाल ने अपने करियर की शुरुआत में 2008 में बीडब्लूएफ विश्व जूनियर चैंपियनशिप जीतकर सभी का ध्यान आकर्षित किया था। 2008 में वह ओलंपिक क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने हांगकांग की तत्कालीन विश्व नंबर पांच खिलाड़ी वांग चेन को हराया। लेकिन इंडोनेशिया की मारिया क्रिस्टिन यूलियांटी से हार गईं।

 2009 में साइना बीडब्लूएफ सुपर सीरीज प्रतियोगिता जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। उन्हें 2009 में अर्जुन पुरस्कार और 2010 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

लंदन में 2012 ओलंपिक खेलों के दौरान नेहवाल ने महिला एकल कांस्य पदक जीता। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 से अधिक खिताब जीते हैं और 2016 में केंद्र ने उन्हें प्रतिष्ठित पद्म भूषण से सम्मानित किया था। शटलर ने भारत के लिए एक शानदार करियर बनाया है जिसने देश में खेल को बदल दिया है। साइना ने कई प्रमुख बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया जिसमें उन्होंने कई ट्रॉफी और पदक जीते। वह खेल में दुनिया की नंबर 01 रैंकिंग रखने वाली एक मात्र महिला भारतीय खिलाड़ी भी हैं।

बीसीसीआई ने लगातार दूसरी बार ठुकराई गौतम गंभीर की मांग, बॉलिंग के बाद फील्डिंग कोच का नाम भी खारिज*
#bcci_reject_gautam_gambhir_request भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने हाल ही में पूर्व भारतीय बल्लेबाज गौतम गंभीर को टीम का मुख्य कोच नियुक्त किया था। बीसीसीआई सचिव जय शाह ने मंगलवार 9 जुलाई की शाम आधिकारिक तौर पर भारतीय टीम के नए मुख्य कोच के नाम की घोषणा की थी। हालांकि, गंभीर के पदभार संभालने से पहले ही बोर्ड ने उन्हें झटका दिया है। एक के बाद एक बीसीसीआई ने उनकी दो मांगों को सिरे से खारिज कर दिया। गंभीर जिन चेहरों को अपने कोचिंग स्टाफ में शामिल करना चाहते हैं, भारतीय क्रिकेट बोर्ड उन्हें नकार देता है। पहले गौतम गंभीर के बॉलिंग कोच की पसंद आर विनय कुमार को रिजेक्ट किया गया अब फील्डिंग कोच पर भी ऐसे ही हालात नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, गंभीर ने फील्डिंग कोच के लिए जोंटी रोड्स का नाम प्रस्तावित किया था जिसे बोर्ड ने स्वीकार नहीं किया है। दरअसल, राहुल द्रविड़ की तरह, भारत के बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़, गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे और क्षेत्ररक्षण कोच टी दिलीप का कार्यकाल भी टी-20 विश्व कप के साथ खत्म हो चुका है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने द्रविड़, राठौड़, म्हाम्ब्रे और दिलीप को उनके योगदान के लिए आभार व्यक्त किया, जिससे श्रीलंका दौरे से हेड कोच गंभीर की अगुवाई में एक नए कोचिंग स्टाफ का संकेत मिला। परंपरागत रूप से, बीसीसीआई मुख्य कोच को अपना सहयोगी स्टाफ चुनने की अनुमति देता है और यही बात गंभीर पर भी लागू होगी। हालांकि, बोर्ड ने गेंदबाजी कोच और फील्डिंग कोच पदों के लिए गंभीर की शीर्ष पसंद को खारिज कर दिया है। गंभीर दक्षिण अफ्रीका के पूर्व दिग्गज जॉन्टी रोड्स को फील्डिंग कोच बनाना चाहते थे। हालांकि बीसीसीआई सपोर्ट स्टाफ में किसी भी तरह के विदेशी कोच को शामिल नहीं करना चाहता है। बीते कई सालों से बीसीसीआई देसी कोच के साथ काम कर रही है। रिपोर्ट में सोर्स ने बताया कि रोड्स के नाम को लेकर चर्चा हुई थी लेकिन बोर्ड ने तय किया कि सभी सपोर्ट स्टाफ के मेंबर भारतीय होंगे। इससे एक बार फिर टी दिलिप के लिए दोबारा दरवाज़े खुल जाते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान शानदार काम किया था। पिछले कोचिंग स्टाफ के मेंबर का अगले हेड कोच के कार्यकाल में काम करना कोई नई बात नहीं है। बैटिंग कोच विक्रम राठौड़ ने 2019 वनडे वर्ल्ड कप के बाद रवि शास्त्री के हेड कोच रहते हुए ज्वाइन किया था और फिर द्रविड़ के हेड कोच बनने के बाद भी वह बैटिंग कोच रहे। इससे पहले गंभीर ने भारत के पूर्व तेज गेंदबाज आर. विनय कुमार को गेंदबाजी कोच नियुक्त करने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन बोर्ड इस चयन के पक्ष में नहीं था। मीडिया सूत्रों की माने तो अब रेस में जहीर खान और एल. बालाजी सरीखे दिग्गज हैं।
नेपाल में भूस्खलन के बाद नदी में बह गईं यात्रियों से भरी दो बसें, सात भारतीयों समेत 65 लोग लापता
#nepal_landslide_updates_two_buses_swept_in_trishuli_river
नेपाल में आसमान से आफत बर रहा है। खराब मौसम के बीच भारी भूस्खलन की जानकारी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि आज सुबह मध्य नेपाल में मदन-अश्रित राजमार्ग पर भारी भूस्खलन के कारण लगभग 65 यात्रियों को ले जा रही दो बसें त्रिशूली नदी में गिर गईं हैं। इन दो बसों में सवार 65 लोग लापता बताए जा रहे हैं। इसमें सात भारतीय बताए जा रहे हैं। फिलहाल, रेस्क्यू टीम मौके पर है और बचाने की जंग जारी है। बचावकर्मियों ने भूस्खलन के मलबे को हटाना शुरू कर दिया है। नेपाल में चितवन के मुख्य जिला अधिकारी इंद्रदेव यादव ने एएनआई से कहा कि हम घटना स्थल पर हैं और तलाशी अभियान चल रहा है।' लगातार बारिश के कारण लापता बसों की तलाश करने के हमारे प्रयासों में बाधा आ रही है। बता दें कि नेपाल में पिछले कई दिनों से भारी बारिश और भूस्खलन जारी है। इसकी चपेट में आकर अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है। कई जगह भूस्खलन के चलते राजमार्ग टूट गए हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ऐसे में लोगों को आवागमन में बाधा का सामना करना पड़ रहा है। बारिश अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। नेपाल में जून से ही हो रही मूसलाधार मानसूनी बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं बढ़ गई हैं। शुक्रवार सुबह कास्की में लैंडस्लाइड हुई, जिसकी चपेट में आकर दो यात्री बसें त्रिशूली नदी में बह गई। मेडिकलकर्मियों के साथ सेना और पुलिस के जवानों को राहत और बचाव में लगाया गया है। पुलिस प्रवक्ता दान बहादुर कार्की ने कहा कि यह घटना काठमांडू से 86 किलोमीटर पश्चिम में चितवन जिले में ये दुर्घटना हुई है। उन्होंने बताया कि काठमांडू से गौर जा रही बस में 41 लोग थे और बीरगंज से काठमांडू जा रही बस में 24 लोग थे। त्रिशूली नदी में दोनों बसें गिरी हैं। इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने ट्वीट किया कि नारायणगढ़-मुग्लिन सड़क खंड पर भूस्खलन में बस के बह जाने से लगभग पांच दर्जन यात्रियों के लापता होने की रिपोर्ट और देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ और भूस्खलन के कारण संपत्तियों के नुकसान से मैं बहुत दुखी हूं। मैं गृह प्रशासन सहित सरकार की सभी एजेंसियों को यात्रियों की खोज और प्रभावी बचाव के निर्देश देता हूं।
अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत

#cm_arvind_kejriwal_gets_interim_bail_from_supreme_court 

दिल्ली शराब घोटाला केस में अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत मिली है।दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है।जस्टिस संजीव खन्ना की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है।अरविंद केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार को सुनवाई हुई। याचिका में दिल्ली में कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस याचिका को बड़ी पीठ के पास भेज दिया है।

बता दें कि अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत ईडी की गिरफ्तारी मामले में मिली है। केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति केस में ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती दी थी सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की 17 मई को सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके साथ ही कहा था कि केजरीवाल जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं। केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद ईडी की हिरासत में भेजे जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। 9 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही करार दिया था। इस फैसले के खिलाफ केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

महाराष्ट्र एमएलसी चुनावः 11 सीटों पर मैदान में 12 उम्मीदवार, क्या क्रॉस वोटिंग से बिगाड़ेगी गणित?

#maharashtra_mlc_election_2024 

महाराष्ट्र में विधान परिषद का आज चुनाव के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। आज राज्य में 11 सीटों के लिए विधान परिषद चुनाव हो रहे हैं। लोकसभा चुनावों में अपनी हालिया सफलता से उत्साहित विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने तीन उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जिससे संभावित क्रॉस-वोटिंग और हॉर्सट्रेडिंग की स्थिति बन गई है।

विधान परिषद की 11 सीटों पर 12 उम्मीदवार मैदान में है। बीजेपी ने पांच और अजित पवार और शिंदे की अगुवाई वाली एनसीपी और शिवसेना ने दो-दो कैंडिडेट उतारे हैं। जबकि इंडिया गठबंधन के कांग्रेस, उद्धव की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी से एक-एक उम्मीदवार मैदान में है। बीजेपी से पंकजा मुंडे, डॉ.परिणय फुके, अमित बोरखे, योगेश टिलेकर और सदाभाऊ खोत एमएलसी चुनाव में हैं। शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने पूर्व सांसद भावना गवली और कृपाल तुमाने तो अजित पवार की एनसीपी से शिवाजीराव गर्जे और राजेश विटेकर प्रत्याशी हैं। वहीं, एमएलसी चुनाव में कांग्रेस से प्रज्ञा सातव, उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी से मिलिंद नार्वेकर और शरद पवार की एनसीपी ने जयंत पाटिल को चुनाव लड़ाया है।

कांग्रेस की एक एमएलसी सीट पर जीत तय है, लेकिन उद्धव ठाकरे और शरद पवार के लिए बिना समर्थन जुटाए चुनावी जंग फतह करना आसान नहीं है. उद्धव ठाकरे की पार्टी के 16 विधायक हैं तो शरद पवार के पास 12 विधायक हैं। इस तरह उद्धव को साथ विधायकों का समर्थन चाहिए तो शरद पवार को 11 विधायकों का समर्थन जुटाना होगा।

महाराष्ट्र की विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं लेकिन मौजूदा समय में 274 विधायक हैं। इस लिहाज से एक एमएलसी सीट को जीतने के लिए प्रथम वरीयता के आधार पर कम से कम 23 विधायकों का समर्थन चाहिए। एनडीए के पास बीजेपी 103, एनसीपी 40 और शिवसेना 37 विधायकों के अलावा अन्य छोटे दलों के साथ 203 विधायकों का समर्थन है, लेकिन उसे अपने सभी 9 उम्मीदवारों को जिताने के लिए 207 विधायकों का समर्थन चाहिए. इस तरह 4 विधायक के अतरिक्त वोटों का समर्थन जुटाना होगा.

वहीं, इंडिया गठबंधन के कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) के पास 65 विधायक है, जिनमें अगर सपा और लेफ्ट के विधायकों को भी जोड़ लेते हैं तो 69 विधायक होते हैं। इंडिया गठबंधन को अपने तीनों कैंडिडेट को जिताने का पर्याप्त वोट हो रहा है, लेकिन नवाब मलिक और जिशान सिद्दीकी जैसे विधायक अजीत पवार के साथ खड़े हैं। ऐसे में इंडिया गठबंधन को अपनी तीनों सीटें सेफ करने के लिए अतरिक्त विधायकों को समर्थन की व्यवस्था करनी होगी। ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी और बच्चू कडू की पार्टी के विधायकों का रोल अहम हो जाता है।

ऐसे खरीद-फरोख्त से बचने के लिए सभी दलों ने अपने-अपने विधायकों को पिछले तीन दिनों से फाइव स्टार होटलों में ठहरा रखा है और वोटिंग के लिए सीधे विधानसभा पहुंचेंगे।