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लद्दाख की बर्फीली खाई में दबे थे 3 सैनिकों के शव, सेना ने 9 महीने बाद ढूंढ़ निकाला, जानें पूरी घटना


डेस्क: पिछले साल अक्टूबर में लद्दाख में 38 भारतीय सैनिक हिमस्खलन में फंस गए थे। हादसे के बाद सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन में कई सैनिकों को बचा लिया गया था। उस घटना में एक सैनिक का शव मिला था, लेकिन 3 अन्य सैनिकों का कुछ पता नहीं चल सका था। अब घटना के करीब 9 महीने बाद इन 3 सैनिकों के शव मिले हैं। इनकी पहचान हवलदार रोहित, हवलदार ठाकुर बहादुर अले और नायक गौतम राजवंशी के रूप में की गई है। तीनों जवानों के शव बर्फीली खाई के इलाके में बर्फ की परतों के नीचे दबे थे।

‘9 दिनों तक रोजाना 10 से 12 घंटे हुई खुदाई’


बता दें कि घटना के समय लापता हुए तीनों सैनिक का पता लगाने के लिए विशेष राहत एवं बचाव अभियान शुरू किया गया था। लेकिन, तब इस अभियान में कामयाबी नहीं मिल सकी थी। अब करीब 9 महीने बाद बर्फ में से तीनों सैनिकों के शव ढूंढ निकाले गए हैं। सेना के इस मिशन का नेतृत्व हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल के कमांडेंट ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने किया। इस मिशन में शामिल रहे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, यह ऑपरेशन उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण मिशन था। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक करीब 18,700 फीट की ऊंचाई पर 9 दिन तक लगातार जटिल परिस्थितियों में 10 से 12 घंटे खुदाई की गई।


‘ऑपरेशन के दौरान कई टन बर्फ हटाई गई’


सैन्य अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए कई टन बर्फ हटाई गई और इस दौरान कठिन मौसम शारीरिक और मानसिक चुनौती दे रहा था। भारी कठिनाइयों के बावजूद सेना ने अपने इस मिशन में कामयाबी हासिल की और तीनों लापता जवानों के शव ढूंढ लिए गए। 3 सैनिकों में से एक का शव उनके परिजनों को सौंप दिया गया। किन्नौर जिले के शहीद जवान रोहित की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव तरांडा लाई गई जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। बाकी के दो जवानों के शव भी पूरे सम्मान के साथ उनके घर भेजे जा रहे हैं।
इसरो के वैज्ञानिकों ने पहली बार समुद्र के नीचे संपूर्ण राम सेतु का नक्शा किया तैयार

डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने एडम ब्रिज का अब तक का सबसे विस्तृत समुद्री मानचित्र तैयार किया है, जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि डूबी हुई ब्रिज भारत के धनुषकोडी से लेकर श्रीलंका के तलाईमन्नार तक एक “निरंतरता” है। समुद्र तल से लेजर किरणों को उछालने वाले एक अमेरिकी उपग्रह के साथ किए गए मानचित्रण अभ्यास ने साबित किया है कि एडम ब्रिज का 99.98 प्रतिशत हिस्सा - चूना पत्थर के शोलों की 29 किमी की श्रृंखला - उथले पानी में डूबा हुआ है।

इसरो के जोधपुर क्षेत्रीय केंद्र में राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिक गिरिबाबू दंडबथुला और उनके सहयोगियों ने साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में अपने निष्कर्षों का वर्णन करते हुए कहा कि यह अध्ययन एडम ब्रिज के डूबे हुए हिस्सों के बारे में “जटिल विवरण प्रदान करने वाला पहला अध्ययन है”।

ईस्ट इंडिया कंपनी के एक मानचित्रकार ने डूबी हुई संरचना को एडम ब्रिज नाम दिया था। इस संरचना को राम सेतु के नाम से भी जाना जाता है और महाकाव्य रामायण में इसे राम की वानर सेना द्वारा निर्मित पुल के रूप में वर्णित किया गया है, ताकि वह अपनी पत्नी सीता को वापस पाने के लिए रावण की भूमि श्रीलंका तक पहुँच सकें।

भूवैज्ञानिक साक्ष्य बताते हैं कि वर्तमान में डूबी हुई ब्रिज भारत और श्रीलंका के बीच एक भूतपूर्व भूमि संपर्क है। 9वीं शताब्दी ई. में फारसी नाविकों ने पुल का वर्णन सेतु बंधई या समुद्र पर बने पुल के रूप में किया था। रामेश्वरम के मंदिर अभिलेखों से पता चलता है कि यह पुल 1480 तक समुद्र तल से ऊपर था, जब यह चक्रवात के दौरान नष्ट हो गया था।

पहले उपग्रह-आधारित अवलोकनों ने समुद्र के नीचे की संरचना का पता लगाया था, लेकिन वे मुख्य रूप से पुल के उजागर भागों पर केंद्रित थे। इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है, कुछ स्थानों पर केवल 1-मीटर से 10-मीटर गहरा है, जिससे नेविगेशन और जहाजों के साथ रिज का मानचित्रण करने के किसी भी प्रयास में बाधा उत्पन्न होती है।

अपने अध्ययन के लिए, हैदराबाद स्थित NRSA में दंडबथुला और उनके सहयोगियों ने पानी के नीचे देखने के लिए लेजर-बोर्न अल्टीमीटर से लैस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के आइस क्लाउड एंड लैंड एलिवेशन (ICESat)-2 का इस्तेमाल किया।

शोधकर्ताओं ने अक्टूबर 2018 से अक्टूबर 2023 तक के ICESat-2 डेटा का इस्तेमाल करके डूबे हुए रिज की पूरी लंबाई का 10 मीटर रिज़ॉल्यूशन वाला नक्शा बनाया - या ट्रेन के डिब्बे के आकार की विशेषताओं को कैप्चर करने के लिए पर्याप्त तेज़।

उनके विश्लेषण से पता चला है कि ब्रिज अपनी पूरी लंबाई के साथ समुद्र तल से लगभग 8 मीटर ऊपर है। लेकिन केवल 0.02 प्रतिशत आयतन ही उजागर या दिखाई देता है, बाकी हिस्सा डूबा हुआ है।

चूना पत्थर समुद्री जीवों के जीवाश्मों से निकलता है। जैसे-जैसे समुद्री जीवों के खोल और कंकाल लाखों वर्षों में समुद्र तल पर बनते हैं, उनकी परतें एक-दूसरे पर दबाव डालती हैं, जिससे ठोस चट्टान बन जाती हैं।

उनके अध्ययन में 11 संकीर्ण चैनल भी सामने आए हैं, जो केवल कुछ मीटर चौड़े हैं, जो दक्षिण-पश्चिम की ओर मन्नार की खाड़ी और रिज के उत्तर-पूर्व की ओर पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी के प्रवाह या आदान-प्रदान की अनुमति देते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये संकीर्ण चैनल - या रिज की धुरी के साथ अंतराल - संभवतः संरचना को लहरों की क्रिया की प्रचंडता से बचाने या संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुल लगातार अपने दोनों ओर से मजबूत तरंगों - मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य से ऊर्जा के संपर्क में रहता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान गर्मियों में मानसून की धाराएँ अरब सागर से बंगाल की खाड़ी में पानी लाती हैं, जबकि सर्दियों में मानसून की धाराएँ बंगाल की खाड़ी के पानी को पाक जलडमरूमध्य और एडम्स ब्रिज के माध्यम से उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान अरब सागर में ले जाती हैं।

इसरो टीम ने कहा है कि संकीर्ण चैनल मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी के मुक्त प्रवाह या आदान-प्रदान की अनुमति देते हैं, जिससे रिज पर तरंगों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में खगोल विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर मयंक वाहिया ने कहा, "यह एक अच्छा वैज्ञानिक शोधपत्र है, जो डूबे हुए रिज की पहले से अज्ञात विशेषताओं का वर्णन करता है।" वे इसरो अध्ययन से जुड़े नहीं थे। "यह चूना पत्थर की संरचना की प्राकृतिक, भूवैज्ञानिक उत्पत्ति की पुष्टि करता है।"

भारत और श्रीलंका दोनों ही एक समय में गोंडवानालैंड नामक एक प्राचीन महाद्वीप का हिस्सा थे, जो टेथिस सागर में एक अलग विशाल द्वीप के रूप में उत्तर की ओर बहता रहा और 35 मिलियन से 55 मिलियन वर्ष पहले लॉरेशिया नामक महाद्वीप से टकरा गया।

वही, जो स्वतंत्र रूप से प्राचीन सभ्यताओं में खगोल विज्ञान और विज्ञान के इतिहास का अध्ययन कर रहे हैं, ने कहा कि लाखों वर्षों में, समुद्र का स्तर बढ़ा और गिरा है, जिससे ब्रिज डूब गया है।
प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों के रिचार्ज प्लान महंगे होने के बाद सरकारी कंपनी BSNL का दिखा जलवा, सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ 'BSNL की घर वापसी'
डेस्क: प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों के रिचार्ज प्लान महंगे होने के बाद से ही सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL सोशल मीडिया पर छाई हुई है। सरकारी कंपनी ने हाल ही में कई नए रिचार्ज प्लान भी पेश किए हैं, जो यूजर्स को पसंद भी आ रहे हैं। पिछले दिनों कंपनी ने 84 दिन वाला एक ऐसा ही रिचार्ज प्लान लॉन्च किया है, जिसके लिए लोगों को प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों के प्लान के मुकाबले 50 प्रतिशत कम खर्च करना पड़ता है। इस प्लान में हाई स्पीड डेटा समेत अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग समेत कई बेनिफिट्स ऑफर किए जा रहे हैं।
BSNL का 84 दिन वाला प्लान
सरकारी टेलीकॉम कंपनी का यह रिचार्ज प्लान STV599 के नाम से आता है। इस स्पेशल टैरिफ वाउचर में यूजर्स को 84 दिनों की वैलिडिटी ऑफर की जा रही है। 599 रुपये वाला यह रिचार्ज प्लान हर टेलीकॉम जोन के लिए उपलब्ध है। दिल्ली और मुंबई के लोगों को छोड़कर पूरे देश के हर टेलीकॉम सर्किल के यूजर्स इसका लाभ ले सकते हैं।
इस प्लान में डेली 3GB डेटा का लाभ मिलता है। इस प्लान में यूजर्स को 252GB डेटा मिलता है। साथ ही, यूजर्स को पूरे देश में किसी भी टेलीकॉम नेटवर्क पर अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग और डेली 100 फ्री SMS का भी लाभ मिलेगा। Jio का 3GB डेली डेटा वाला रिचार्ज प्लान पहले 999 रुपये की कीमत में आता था। कंपनी ने अपने इस प्रीपेड प्लान की कीमत को बढ़ाकर 1,199 रुपये कर दिया है। BSNL यूजर्स को ये सारे बेनिफिट्स आधी कीमत में मिलेगा।
BSNL की घर वापसी
BSNL जल्द ही पूरे देश में 4G सर्विस लॉन्च करने वाला है। कंपनी ने चेन्नई टेलीकॉम सर्किल के लिए यह सेवा शुरू कर दी है। कंपनी इसके लिए 10 हजार से ज्यादा नए 4G टावर लगाने का काम पूरा कर चुकी है। सरकारी टेलीकॉम कंपनी अपने यूजर्स को अब 5G रेडी सिम कार्ड ऑफर कर रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पिछले दिनों "BSNL ki Ghar Wapsi" हैशटैग के साथ 45 हजार से ज्यादा पोस्ट शेयर किए गए थे। यह यूजर्स के बीच टॉप ट्रेंड करने लगा।
विराट कोहली के फोन वॉलपेपर पर ना अनुष्का शर्मा, ना वामिका-अकाय, इस खास शख्स की है तस्वीर, फोटो देख चौंके फैंस
डेस्क: विराट कोहली अपनी प्रोफेशनल लाइफ के अलावा अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी चर्चा में बने रहते हैं। विराट जितने अच्छे खिलाड़ी हैं उतने ही अच्छे पति और पिता भी हैं। इसका उदाहरण हमें कई मौके पर क्रिकेट के मैदान में भी देखने को मिला है। हाल ही में जब भारत ने 'टी20 का वर्ल्ड कप' जीता था तो विराट को जीत के तुरंत बाद ही मैदान में फोन पर अपनी फैमिली से बात करते हुए स्पाॅट किया गया था। जिसे देख साफ पता चलता है कि विराट किस तरह से अपनी प्रोफेशनल लाइफ और पर्सनल लाइफ को बैलेंस कर के रखते हैं। इसके अलावा भी कई मौकों पर विराट का उनकी फैमिली के लिए इस तरह का प्यार देखने को मिला है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि फैमिली के अलावा कोई और भी है जो विराट के दिल के सबसे करीब हैं। विराट कोहली के वॉलपेपर ने फैंस को चौंकाया
दरअसल, हाल ही में विराट कोहली भारतीय टीम के साथ 'टी20 वर्ल्ड कप' की जीत का जश्न मनाने के बाद मुंबई से लंदन के लिए रवाना हुए थे। इस दौरान क्रिकेटर को एयरपोर्ट पर स्पाॅट किया गया। इसी दौरान फैंस की नजर उनके वाॅलपेपर पर गई, जिसमें अनुष्का या उनके बच्चे वामिका कोहली और अकाय कोहली नहीं थे। जी हां, विराट कोहली के वाॅलपेपर पर उनके परिवार के किसी सदस्य की नहीं बल्कि किसी खास शख्स की तस्वीर लगी थी, जिसने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। विराट के फोन वॉलपेपर पर हैं इनकी तस्वीर आइए हम आपको उस खास शख्स के बारे में बताते हैं, जिसकी तस्वीर विराट कोहली के वाॅलपेपर पर लगी थी। वो खास शख्स कोई और नहीं बल्कि वो नीम करोली बाबा हैं। बता दें कि नीम करोली बाबा हनुमान जी के भक्त और महाराज-जी के रूप में जाने जाते हैं। विराट और अनुष्का दोनों नीम करोली बाबा के भक्त हैं। दोनों को कई बार बाबा के आश्रम में भी स्पॉट किया जा चुका है। ऐसे में बाबाजी का वाॅलपेपर पर  नीम करोली बाबा की तस्वीर ने हर किसी का दिल जीत लिया है। अब विराट की ये तस्वीर वायरल होने के बाद लोग इसपर तरह-तरह के काॅमेंट कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा है- 'बाबा नीम करोली वाकई विराट कोहली के लिए बहुत मायने रखते हैं। उन्होंने उनकी तस्वीर को अपने वॉलपेपर के तौर पर लगाया है', दूसरे यूजर ने कहा, 'विराट कोहली के फोन पर नीम करोली बाबा का वॉलपेपर है...जय महाराज जी।' इसी तरह से तमाम यूजर्स काॅमेंट कर विराट की तारीफ करते हुए नजर आ रहे हैं।
Birthday Special: नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं हैं रणवीर सिंह, जिन्हें राज कपूर ने दिया ब्रेक... उस मशहूर एक्ट्रेस से है पुराना नाता

डेस्क: मशहूर एक्टर रणवीर सिंह अपनी जबरदस्त अदाकारी के लिए जाने जाते हैं। वह जो भी किरदार निभाते हैं, पूरी शिद्दत से निभाते हैं और अपने काम में परफेक्शन के लिए उस किरदार में अपने आपको पूरी तरह से झोंक देते हैं। रणवीर सिंह ने 'बैंड बाजा बारात' के साथ अपना डेब्यू किया था और तब से लेकर अब तक उन्होंने हर तरह की फिल्में की हैं। वह फिल्मों में कभी संजीदा, कभी खूंखार विलेन तो कभी कॉमिक अवतार से दर्शकों को इंप्रेस कर चुके हैं।

आज रणवीर सिंह अपना 39वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं और जल्दी ही वह पापा भी बनने वाले हैं। रणवीर सिंह की जब भी चर्चा होती है, उन्हें एक नॉन फिल्मी बैकग्राउंड का एक्टर माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 'गली बॉय' के 'मुराद' का फिल्मी दुनिया से पहले से ही नाता है।

50 के दशक की फेमस एक्ट्रेस के पोते हैं रणवीर सिंह

जी हां, कम ही लोग जानते हैं कि रणवीर का बॉलीवुड से पुराना नाता है। रणवीर का 50 के दशक की अभिनेत्री चांद बर्क से बहुत करीबी नाता है। ये वही चांद बर्क हैं, जिन्हें राज कपूर ने फिल्मों में ब्रेक दिया था। रणवीर सिंह इन्हीं चांद बर्क के पोते हैं। रणवीर के पिता जगजीत सिंह भवनानी भले फिल्मी दुनिया से दूर हैं, लेकिन रणवीर ने करियर के तौर पर अपनी दादी के नक्शे कदम पर चलना चुना। रणवीर सिंह की दादी चांद बर्क ने 14 साल की उम्र में पंजाबी फिल्मों से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी।

एक्टर बन दादी का सपना किया पूरा

चांद बर्क एक शानदार डांसर भी थीं, इसलिए उन्हें 'द डांसिंग लिलि ऑफ द पंजाब' के नाम से भी जाना जाता था। उन्हें हिंदी फिल्मों में लाने का श्रेय राज कपूर को जाता है। चांद ने राज कपूर की फिल्म 'बूट पॉलिश' से हिंदी सिनेमा में कदम रखा था। इसके बाद उन्होंने सुंदर सिंह भवनानी से शादी कर ली। दोनों के दो बच्चे बेटी टोनिया और बेटा जगजीत हुए। जगजीत भवनानी रणवीर के पिता है। चांद हमेशा से चाहती थीं कि उनका बेटा उन्हीं की तरह एक्टर बने, लेकिन बेटे ने पिता की राह पर कदम मोड़ लिए और बिजनेसमैन बन गए। ऐसे में रणवीर ने अपनी दादी का सपना पूरा किया।

सोनम कपूर से भी है रणवीर का कनेक्शन

यही नहीं, रणवीर सिंह का सोनम कपूर से भी खास कनेक्शन है। रणवीर के दादा सुंदर सिंह भवनानी सोनम कपूर की नानी यानी सुनीता कपूर की मां के भाई थे। जब रणवीर, अनिल कपूर की बेटी की शादी में शामिल हुए थे, उस समय इसका खुलासा हुआ था। रणवीर सिंह का पूरा नाम रणवीर सिंह भवनानी है, लेकिन बॉलीवुड में एंट्री करते हुए उन्होंने अपने नाम से भवनानी सरनेम हटा दिया।

एडवर्टाइजमेंट एजेंसी में किया काम

रणवीर सिंह की एजुकेशन और करियर की बात करे तो उन्होंने इंडियाना यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की, इस दौरान उन्होंने कैफे में भी पार्ट टाइम काम किया। रणवीर बचपन से ही एक्टर बनना चाहते थे, लेकिन इंडस्ट्री में काम पाना उनके लिए बिलकुल आसान नहीं था।

शुरुआत में उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ा, एक समय तो ऐसा आया जब उन्होंने एक्टर बनने की उम्मीद ही खो दी और क्रिएटिव राइटिंग करने लगे। उन्होंने एडवर्टाइजमेंट राइटर बनकर एक एंजेंसी के साथ काम शुरू कर दिया। लेकिन, एक्टर बनने का ख्याल कभी दिमाग से नहीं गया। उन्होंने बैंड बाजा बारात से अपने करियर की शुरुआत की। फिल्म सुपरहिट रही और रणवीर का करियर भी चल निकला।
अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी का मामेरू रस्म से हुआ शुभारंभ, जानिए क्या होती है ये गुजराती रस्म मामेरू?

डेस्क: अनंत अंबानी के शादी समारोह की शुरूआत हो चुकी है। आज यानी 3 जुलाई को अंबानी परिवार के निवास एंटीलिया पर मामेरू सेरेमनी रखी गई है, जिसे काफी ग्रैंड तरीके से मनाया गया। इस सेलिब्रेशन की तमाम झलकियां इस वक्त सोशल मीडिया पर चाई हुई है, जिसमें मेहमानों के आने से लेकर सेरेमनी में निभाए गए रस्मों तक की झलक देखने को मिली है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मामेरू सेरेमनी क्या होती है और ये शादी के कितने दिनों पहले होता है।

आइए हम आपको इस सेरेमनी के बारे में अच्छे से बताते हैं।

क्या होता है मामेरू रस्म?

मामेरू गुजराती संस्कृति में वास्तविक विवाह से कुछ दिन पहले मनाया जाने वाला एक पारंपरिक समारोह है। मामेरु में दूल्हे की मां का परिवार (इस मामले में नीता अंबानी के परिवार के सदस्य, उनकी माँ श्रीमती पूर्णिमा दलाल और उनकी बहन सुश्री ममता दलाल) उपहार और प्रसाद के साथ जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए निवास पर आते हैं। दूल्हे के मामा और परिवार ने दुल्हन और दूल्हे को 'मामेरु' नामक उपहारों का एक पारंपरिक सेट भेंट करते हैं। एक तरह से मोसालु और मामेरु विवाह उत्सव में बड़े परिवार को दिए जाने वाले सम्मान और भागीदारी को दर्शाते हैं। ये अवसर विस्तारित परिवार के लिए विवाह के महत्व को उजागर करते हैं और उनके लिए एक साथ जश्न मनाने का अवसर बन जाते हैं। समारोह के लिए श्रीमती नीता अंबानी का परिवार बड़ी संख्या में मौजूद था।


मामेरू समारोह के लिए सजा एंटीलिया

गौरतलब  है कि आज यानी 3 जुलाई को हो रहे मामेरू समारोह के लिए एंटीलिया दुल्हन की तरह सजा हुआ दिखा। अनोखे लाइट्स और फूले सो सजा  एंटीलिया किसी महल से कम सुदंर नहीं दिख रहा। वहीं इसकी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए चारों तरफ गोल्डन लाइट भी लगाई गई थी, जिसमें एंटीलिया की चमक देखते ही बन रही थी। इसके अलावा बाहर गेट पर अनंत और राधिका के कैरिकेचर वाली एक डिजिटल स्क्रीन भी लगाई गई है, जिसमें लिखा है, "ऑल द बेस्ट”। फिलहाल इस समारोह की फोटोज और वीडियोज इस वक्त सोशल मीडिया पर छाई हुई है।
क्या होता है सदन में धन्यवाद प्रस्ताव (Motion of Thanks) का मतलब, इसका पास होना सरकार के लिए क्यों है जरूरी?

डेस्क: 18वीं लोकसभा के गठन के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में संसद का पहला सत्र चल रहा है। राष्ट्रपति का अभिभाषण के बाद, धन्यवाद प्रस्ताव (Motion of Thanks) पर चर्चा हुई। इसमें NEET पेपर लीक और अग्निवीर योजना जैसे मुद्दों को विपक्ष जोरदार तरीके से उठाया। भाजपा की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी और पहली बार लोकसभा सदस्य बनीं बांसुरी स्वराज प्रस्ताव का अनुमोदन किया। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार 3 जुलाई को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देंगे। मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में 2 घंटे 15 मिनट की स्पीच दी थी। इसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मुंह झूठ का खून लग गया है। प्रधानमंत्री के भाषण के बाद लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। आइए जानते हैं क्या होता है धन्यवाद प्रस्ताव और इसका पास होना सरकारी के जरूरी क्यों है?

क्या होता है धन्यवाद प्रस्ताव

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 86 (1) के अनुसार, राष्ट्रपति संसद के किसी एक सदन या फिर दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित कर सकते हैं। Article 87 के अनुसार, हर लोकसभा चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र की शुरुआत और हर साल संसद के सत्र शुरू होने से पहले राष्ट्रपति दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे और सत्र बुलाने के कारणों के बारे में सूचित करेंगे। इस संबोधन को ‘विशेष संबोधन’ भी कहा जाता है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण में क्या-क्या होता है शामिल?

– राष्ट्रपति के अभिभाषण में पिछले वर्ष के कार्यकाल के दौरान सरकार की सभी गतिविधियों और उपलब्धियों की समीक्षा शामिल होती है।
– राष्ट्रपति का अभिभाषण ‘ब्रिटेन राजशाही/राज-सिंहासन के भाषण’ (Speech From The Throne in Britain) से मेल खाता है, पर संसद के दोनों सदनों में ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ (Motion of Thanks) पर चर्चा की जाती है।

– राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार की नीति का विवरण होता है और प्रायः इस अभिभाषण का प्रारूप सरकार की ओर से ही तैयार किया जाता है।
– इसके अलावा उन महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित नीतियों, परियोजनाओं और कार्यक्रमों को संसद के सामने रखा जाता है, जिन्हें सरकार आगे बढ़ाना चाहती है।


संसदीय प्रक्रिया है धन्यवाद प्रस्ताव

-राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद इस पर धन्यवाद प्रस्ताव लाया जाता है। यह एक संसदीय प्रक्रिया है।इसमें संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आभार जताने या प्रशंसा व्यक्त करने के लिए औपचारिक रूप से एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाता है।
-अभिभाषण पर संसद के दोनों सदनों में इसी धन्यवाद प्रस्ताव के जरिए चर्चा की जाती है। विपक्ष के नेता और सभी पार्टियों के प्रमुख धन्यवाद प्रस्ताव पर अपनी-अपनी राय रखते हैं।

निपटाए जाते हैं धन्यवाद प्रस्ताव पर आए संशोधन

धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के समाप्त होने पर इस पर आए संशोधन निपटाए जाते हैं। संशोधन अभिभाषण में शामिल मामलों के साथ उन मामलों को भी शामिल किया जा सकता है, जिनका सदस्यों की राय में अभिभाषण में उल्लेख नहीं किया गया लेकिन उनका उल्लेख करना जरूरी था। अभिभाषण में किसी भी संशोधन को सदन के सामने रखा जाता है और उसे स्वीकार कर लिया जाता है तब धन्यवाद प्रस्ताव को संशोधित रूप में स्वीकार किया जाता है।

धन्यवाद प्रस्ताव चर्चा का जवाब कौन देता है ?

आमतौर पर प्रधानमंत्री या उनकी उपस्थिति या किसी अन्य वजह से अन्य किसी मंत्री की ओर से धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया जाता है। इस दौरान सभी नेताओं के इस जवाब पर संतुष्टि जताने के बाद इस पर चर्चा समाप्त हो जाती है।

सरकार के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पास होना क्यों है जरूरी?

सरकार के लिए इसका पास होना जरूरी होता है, क्योंकि ऐसा न होने पर सरकार की हार मानी जाती है और सरकार अविश्वास में आ सकती है। लास्ट में धन्यवाद प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा जाता है। हालांकि, धन्यवाद प्रस्ताव में कोई भी सदस्य सीधे केंद्र सरकार से न जुड़े मुद्दों और राष्ट्रपति के नाम का उल्लेख नहीं कर सकता है। सरकार से लोकसभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा जा सकता है। यह धन्यवाद प्रस्ताव सदन में पास होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर यानी धन्यवाद प्रस्ताव पास नहीं होने पर सदन में सरकार की हार मानी जाती है. ऐसा होने पर लोकसभा में सरकार अविश्वास में आ सकती है और उसे लोकसभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा जा सकता है।
एक्ट्रेस हिना खान जिस ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं उसको लेकर हैरान करने वाले आंकड़े आए सामने,  साल में करीब 6.70 लाख हुई मौतें
डेस्क: 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' फेम एक्ट्रेस हिना खान ने जबसे अपने कैंसर से पीड़ित होने का खुलासा किया है, वो लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं। कुछ दिनों पहले ही एक्ट्रेस ने बताया कि वह ब्रेस्ट कैंसर की तीसरी स्टेज से जूझ रही हैं। हालांकि, इस मुश्किल समय में भी वह खुद को पॉजिटिव रखने की पूरी कोशिश कर रही हैं। जब हिना खान ने खुद अपनी कैंसर की बीमारी का खुलासा किया तो उनके फैंस और करीबी काफी परेशान हो गए थे। इंडस्ट्री से उनके दोस्त और स्टार्स सोशल मीडिया के जरिए उन्हें हिम्मत देते नजर आए थे।
इसके बाद से हर तरफ ब्रेस्ट कैंसर पर बात हो रही है। इससे जुड़ा सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा ये है कि ब्रेस्ट कैंसर से एक साल में 6 लाख 70 हजार मौतें होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, साल 2022 में पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर के कारण 6,70,000 मौतें हुईं। इनमें से 99% से अधिक मामले महिलाओं में देखने को मिले।
ब्रेस्ट कैंसर का इलाज क्या है
ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले कैंसर का प्रकार, इसकी स्टेज और इंफेक्टेड एरिया देखा जाता है। इसके बाद ही तय किया जाता है कि पेंशेंट को किस तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत है।
ब्रेस्ट ट्यूमर हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। जरूरत के मुताबिक, लंपेक्टोमी, मास्टेक्टोमी या कॉन्ट्रालेटरल सर्जरी की जा सकती है।
ब्रेस्ट और उसके आसपास के टिश्यूज में कैंसर की पुनरावृत्ति के जोखिम को कम करने के लिए रेडिएशन थेरेपी देते हैं।
कैंसर सेल्स को खत्म करने और फैलने से रोकने के लिए दवाएं दी जाती हैं। इसमें हॉर्मोनल थेरेपी, कीमोथेरेपी या टार्गेटेड बायोलॉजिकल थेरेपी दी जा सकती है।
ब्रेस्ट कैंसर के मामले में ट्रीटमेंट जितनी जल्दी शुरू होता है, उतना ही अधिक प्रभावी होता है। इसलिए अगर शुरुआती स्टेज में डाइग्नोसिस हो जाता है तो सर्वाइवल की संभावना अधिक होती है।
ब्रेस्ट कैंसर का सर्वाइवल रेट कितना है?
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक ब्रेस्ट कैंसर में सर्वाइवल रेट 90% के करीब है। इसका मतलब है कि ब्रेस्ट कैंसर डाइग्नोज होने के बाद 90% महिलाएं कम-से-कम 5 साल तक जीवित रहती हैं। अगर पहली स्टेज या दूसरी स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर डाइग्नोज होता है तो यह सर्वाइवल रेट 99% तक हो सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर के सर्वाइवल रेट में हो रहा है सुधार
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक, साल 1975 में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले में सर्वाइवल रेट 75.2% था। फिर साल 2008 से 2014 के बीच यह 90.6% तक पहुंच गया।
हालांकि, ब्रेस्ट कैंसर के मामले में सर्वाइवल रेट सबसे अधिक इस फैक्टर पर निर्भर करता है कि डाइग्नोसिस के समय किस स्टेज का कैंसर डिटेक्ट हुआ है। पहली स्टेज में सर्वाइवल रेट 99% है, जबकि चौथी स्टेज में यानी मेटास्टैटिक कैंसर के लिए 27% ही है।

कौन हैं केंद्रीय मंत्री बने चिराग पासवान? इंजीनियर की पढ़ाई और कंगना रनौत संग फिल्म में काम, जानिए उनकी जिंदगी के बारे में

डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार बने केंद्रीय मंत्रिमंडल में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान को जगह मिली है। हाजीपुर लोकसभा सीट से चुने गए चिराग पासवान ने रविवार को दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में मंत्री पद की शपथ ग्रहण की। उन्हें मोदी 3.0 कैबिनेट में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री का पद प्राप्त हुआ है।

पीएम मोदी के हनुमान कहे जाने वाले चिराग पासवान की जिंदगी की बात करें तो उनके पिता स्व. रामविलास पासवान भी केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। चिराग ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वह लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

चिराग पासवान का प्रोफाइल नाम- चिराग पासवान
जन्म- 31 अक्टूबर 1982
उम्र- 42 वर्ष
पिता- स्व. रामविलास पासवान
पता- मंत्री जी का टोला, शहरबन्नी, प्रखंड- अलौली, जिला-खगड़िया, बिहार
शिक्षा- बी.टेक, सेकेंड सेमेस्टर (2005)
कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी, झांसी, बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, झांसी चिराग पासवान का सियासी सफर

–वर्ष 2019 में अपने पिता स्व. रामविलास पासवान द्वारा स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

–वर्ष 2021 में अपने चाचा और हाजीपुर के सांसद पशुपति पारस गुट के अलग होने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का गठन किया और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

–लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष।

–वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में राजद के शिवचंद्र राम को हराया। चिराग ने शिवचंद्र राम को एक लाख 70 हजार 105 मतों के अंतर से हराया।

–वर्ष 2019 में जमुई से लोक जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और अपने प्रतिद्वंद्वी भूदेव चौधरी को हराया था।

–वर्ष 2014 में जमुई से ही लोक जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और अपने प्रतिद्वंद्वी सुधांशु भास्कर को हराया था। चिराग पासवान ने राजनीति में आने से पहले बॉलीवुड में काम किया था। चिराग की फिल्म ’मिले ना मिले हम’ साल 2011 में रिलीज हुई थी। इसमें उन्होंने कंगना रनौत के साथ काम किया था। बता दें कि कंगना रनौत भी इस साल मंडी लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनी हैं।

2010 और 2011 में बॉलीवुड में काम करने के बाद अभिनय के क्षेत्र से रास्ता बदल लिया और 2014 में संसदीय क्षेत्र जमुई से लोकजनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर पहली बार सांसद बने।
क्या थम गया दिनेश कार्तिक के IPL का सुनहरा सफर ! पर्सनल लाइफ में पत्नी से मिला धोखा, जानिए उनकी पूरी कहानी
डेस्क: भारत के स्टार विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक के आईपीएल करियर पर विराम लग गया है। कार्तिक ने अपने आखिरी आईपीएल के एलिमिनेटर मैच में आरसीबी के लिए राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैदान पर उतरे थे। इस सीजन के शुरुआत से पहले ही दिनेश कार्तिक ने यह घोषणा कर दी थी कि यह उनका आखिरी आईपीएल सीजन होने वाला है।एलिमिनेटर मैच में आरसीबी को मिली हार के बाद जब वह वापस ड्रेसिंग रूप में लौट रहे थे तो उन्होंने अपने ग्लव्स को हाथ में लेकर दर्शकों का अभिवादन किया। इससे यह संकेत मिलता है कि उन्होंने आईपीएल करियर का अपना आखिरी मैच खेल लिया। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।क्रिकेटर दिनेश कार्तिक की पर्सनल लाइफ की अगर बात करें तो उसमें भी कई उतार चढ़ाव देखने को मिलता है। 2007 में दिनेश ने अपने बचपन की दोस्त निकिता वंजारा से शादी की थी। कुछ साल बाद कार्तिक के दोस्त और टीम में उनके साथी खिलाड़ी मुरली विजय से निकिता का अफेयर चलने लगा। वह मुरली के बच्चे की मां बनने वाली थीं। ये बात कार्तिक को छोड़ तमिलनाडु के सभी खिलाड़ियों को पता थी। अचानक एक दिन निकिता ने कार्तिक को इस सच्चाई के बारे में बताया और उनसे तलाक लेने की बात कही।
दोनों के बीच तलाक के बाद निकिता मुरली विजय के साथ रहने लगीं। मुरली IPL में चेन्नई के लिए शानदार प्रदर्शन करने लगे। वे लगातार रन बना रहे थे। उनका चयन टीम इंडिया के लिए भी हुआ। वहीं, कार्तिक का प्रदर्शन लगातार गिरने लगा। वे टीम से बाहर कर दिए गए। खराब फॉर्म के कारण तमिलनाडु की टीम की कप्तानी उनसे छीन कर मुरली विजय को दे दी गई। कार्तिक डिप्रेशन में चले गए थे और IPL में भी उनके बल्ले से रन नहीं निकल रहे थे। उनके ट्रेनर ने बताया कि वो अपनी जिंदगी से इतना परेशान हो गए कि सुसाइड की सोचने लगे थे।
कार्तिक ने अपनी ट्रेनिंग तक छोड़ दी थी। उन्होंने जिम जाना भी बंद कर दिया था। उनके ट्रेनर को चिंता हुई और वे उनके घर गए। ट्रेनर ने देखा कि कार्तिक देवदास की तरह दाढ़ी बढ़ाए हुए एक कोने में बैठे हैं। फिर, ट्रेनर ने उनको जोर देकर कहा कि वे अपनी ट्रेनिंग फिर शुरू करें। कार्तिक जैसे-तैसे मान गए और जिम जाने लगे। जिम में ही दिनेश की मुलाकात दीपिका पल्लीकल से हुई।
दीपिका और दिनेश की अच्छी दोस्ती हो गई। कार्तिक नेट्स पर दोबारा अभ्यास करने लगे और घरेलू मैचों में भी रन बनाने लगे। दीपिका ने कदम-कदम पर उनका साथ दिया। एक बार फिर उनको टीम इंडिया के लिए चुना गया। कुछ दिन बाद उन्होंने दीपिका से शादी की। IPL में वो कोलकाता के कप्तान भी बने।34 साल की उम्र में जब IPL में उनकी कप्तानी गई, तब वे रिटायर होना चाहते थे और सिर्फ फ्रेंचाइजी क्रिकेट खेलना चाहते थे। इस दौरान दीपिका प्रेग्नेंट हुईं और 2021 में जुड़वां बेटों को जन्म दिया। कार्तिक ने खेलना बंद कर दिया। वे कॉमेंट्री करने लगे और इस फील्ड में भी वह पूरी तरह छा गए। वहीं दिनेश कार्तिक आईपीएल में कुल 257 मैचों में मैदान पर उतरे जिसमें उन्होंने 4842 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 22 अर्धशतक भी लगाए हैं। कार्तिक आईपीएल के इतिहास में शीर्ष 10 रन बनाने वालों की सूची में शामिल हैं। खासकर आरसीबी में शामिल होने के बाद कार्तिक का खेल और निखर कर दुनिया के सामने आया।विकेटकीपर-बल्लेबाज ने कमेंट्री के अपने काम और आईपीएल की तैयारी को बखुबी संभाला क्योंकि वह 2022 टी20 विश्व कप के बाद से नियमित रूप से राष्ट्रीय टीम का हिस्सा नहीं थे। साल 2022 में कार्तिक ने आईपीएल गजब का खेल दिखाया था। इस सीजन में उन्होंने 183 की स्ट्राइक रेट से 330 रन बनाए थे। उनके इस दमदार खेल के कारण ही उन्हें भारत के लिए टी20 विश्व कप टीम में चुना गया था। कार्तिक ने आईपीएल 2024 में भी अपने खेल से कमाल किया। इस सीजन में वह 15 मैचों में 326 रन बनाए।आईपीएल में कार्तिक कुल छह टीमों के लिए मैदान पर उतरे। उन्होंने 2008 में दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। 2011 में किंग्स इलेवन पंजाब चले गए। इसके बाद उन्होंने मुंबई के साथ दो सीजन बिताए और 2014 में वापस दिल्ली चले गए।
आरसीबी ने उन्हें 2015 में खरीदा और 2016 और 2017 में गुजरात लायंस के लिए खेले फिर चार सीजन केकेआर के साथ खेले, जिनकी उन्होंने कप्तानी भी की। कार्तिक 2022 में आरसीबी में वापस आए और फिनिशर की भूमिका बखूबी निभाई।