मोदी-पुतिन मुलाकात पर क्या रहा विदेशी मीडिया का रूख?
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रूस दौरा खत्म हो गया है, लेकिन चर्चा जारी है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार शाम रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे थे। दोनों नेताओं के बीच पुतिन के निजी आवास नोवो ओगारियोवो में अनौपचारिक बैठक हुई। इस दौरान पुतिन ने पीएम दी का गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों दोस्तों ने क दूसरे को गले लगाया। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ पीएम मोदी की मीटिंग पर पूरी दुनिया की नजर रही।
दुनियाभर के मीडिया ने इस खबर को खास जगह दी। जानते हैं पीएम मोदी की इस यात्रा को लेकर कहां-क्या छपा...
अमेरिकी अखबार 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने लिखा है कि पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा से पुतिन को अलग-थलग करने की कोशिश कमजोर हुई है। न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि भारतीय प्रधानमंत्री की ये यात्रा वास्तविक सच्चाई को दिखाती है। भले ही पश्चिमी देश रूस को कमजोर करने की कोशिश में जुटे हैं, मगर जिस तरह से रूस, अन्य देशों से अपने संबंध बना रहा है इससे उसकी अर्थव्यवस्था और मजबूत ही हुई है। भारत ने रूस से भारी मात्रा में सस्ता तेल खरीदा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध झेल रहे रूस की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। अखबार ने आगे लिखा है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन के लिए पीएम मोदी का ये दौरा यह दिखाने का तरीका है कि अमेरिका से भारत के मजबूत होते रिश्तों के बावजूद रूस और भारत के बीच गहरा रिश्ता बरकरार है।
ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में हना पीटरसन ने लिखा है कि यूक्रेन संकट के बावजूद मोदी और पुतिन ने अपनी दोस्ती के रिश्ते को और मजबूत किया है। पुतिन ने मोदी से मुलाकात के दौरान कहा कि वे उन्हें देखकर बहुत खुश हैं। सोमवार रात हुई बातचीत में पीएम मोदी ने पुतिन को सलाह दी कि युद्ध के मैदान से शांति का रास्ता नहीं निकलता है, लेकिन फिर भी पुतिन की महत्वाकांक्षा पर मोदी के शब्दों का कोई असर होगा, ऐसा नहीं लगता।
चीन की मीडिया ने भी रूसी यात्रा पर लगातार नजर रखी। उसने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के गले मिलने की एक तस्वीर को लेकर सवाल खड़ा किया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया, शक्ति कूटनीति के खेल में शब्दों की तुलना में अक्सर आपके शारीरिक हावभाव अधिक खुलासा करते हैं। बीजिंग, नई दिल्ली और मॉस्को के नेताओं के मिलने की दो तस्वीरों ने उनके त्रिपक्षीय संबंधों की स्थिति को प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया, जहां पीएम मोदी गर्मजोशी और गले मिलने की कूटनीति के लिए प्रसिद्ध हैं। वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन को हाथ मिलाने के लिए ज्यादा जाना जाता है। शायद यही कारण है कि ये तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आ गई हैं। इससे यूक्रेन के खिलाफ पुतिन की आक्रामक नीति को संभव बनाने में बीजिंग और नई दिल्ली की भूमिका की जांच करने के लिए वाशिंगटन और उसके सहयोगी देशों को प्रेरित किया है।
चीन की एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में भी पीएम मोदी की इस यात्रा को अमेरिका के लिए एक निराशाजनक कदम बताया है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में विश्लेषकों का कहना है कि रूस और भारत के बीच घनिष्ठ संबंधों का मतलब है कि यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद से रूस को रोकने और अलग-थलग करने के अमेरिका के निरंतर प्रयास विफल हो गए हैं। हालांकि, भारत की संतुलित कूटनीति न केवल अपने हितों के अनुरूप है, बल्कि वैश्विक रणनीतिक संतुलन में भी योगदान देती है, जिसे लंबे समय से अमेरिकी नेतृत्व से चुनौती मिली है।
Jul 10 2024, 16:43