थाने में नए कानून के प्रति लोगों को किया जागरूक : आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव, पुलिस की जवाबदेही और पारदर्शिता के अलावा मोबाइल ऐप की दी गई
बेगूसराय : नाम और धारा संख्या को संशोधित कर लागू किए गए आज से लागू किए नये कानून को मूर्त रूप देने के लिए आज जिले के सभी थाना में बैठक की गई। जिसमें संबंधित पुलिस पदाधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी उपस्थित हुए। बैठक में कानून के संबंध में विस्तार से जानकारी देने के साथ-साथ इस संबंध में बुकलेट भी उपलब्ध कराया गया है।
नगर थाना में आयोजित कार्यक्रम में एसपी मनीष, मुख्यालय डीएसपी रमेश प्रसाद सिंह, सदर-वन डीएसपी सुबोध कुमार, नगर थानाध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार और मेयर पिंकी देवी भी शामिल हुए। बैठक के दौरान एसपी ने नए कानून के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। लोगों को नए कानून की प्रस्तावना, नागरिक केंद्रित कानून, न्याय प्रणाली में टेक्नोलॉजी, त्वरित न्याय, आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव, पुलिस की जवाबदेही और पारदर्शिता व एनसीआरबी मोबाइल ऐप के संबंध में जानकारी दी गई।
एसपी ने बताया कि भारतीय संसद में पारित तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू हो गए हैं। जिसे मानवाधिकारों और मूल्यों को केंद्र में रखा गया है। नए कानून में अब भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू हो गया है। इस कानून में दंड की जगह न्याय देने पर बल दिया गया है।
न्याय पर केंद्रित तीनों नए आपराधिक कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह से तैयार है, सभी पदाधिकारी और कर्मियों को कानून में हुए बदलाव से जुड़ी जानकारी के लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है। आम लोगों को भी वीडियो, ग्राफिक्स और अन्य माध्यम से नए कानून के प्रति जागरूक कर इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना हम सबका कर्तव्य है। नए कानून में डिजिटल तौर पर FIR और नोटिस सहित अन्य मुद्दों पर बल दिया गया है।
तलाशी और गिरफ्तारी के दौरान वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के लिए सभी अनुसंधानकर्ताओं को लैपटॉप और मोबाइल दिए जाएंगे। सभी थाना का नए उपकरण के साथ आधुनिकीकरण किया जा रहा है। अब सभी थाना में वर्क स्टेशन, डाटा सेंटर, अनुसंधान हॉल, रिकॉर्ड रूम और पूछताछ कक्ष का निर्माण जल्द किया जाएगा। बढ़ते साइबर अपराध पर नियंत्रण के लिए व्यवस्था की गई है।
नया कानून व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देगा। नागरिक केंद्रित कानून बनाए जाने के बाद कोई भी लोग घटनास्थल या उससे अलग भी कहीं से FIR कर सकते हैं, जिसकी एक प्रति फ्री में दी जाएगी। 90 दिनों के अंदर जांच की प्रगति के संबंध में सूचना देना अनिवार्य कर दिया गया है। महिला अपराध की स्थिति में 24 घंटे के अंदर मेडिकल जांच होगी और 7 दिनों के अंदर मेडिकल रिपोर्ट डॉक्टर भेजेंगे।
अभियोजन पक्ष की मदद के लिए लोगों को खुद का कानूनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार दिया गया है। पीड़ित को मुआवजा और मुफ्त इलाज का अधिकार दिया गया है। गवाह संरक्षण योजना का प्रावधान है, कोर्ट में आवेदन करने पर भी पीड़ितों को ऑर्डर की प्रति फ्री में मिलना है। जनता को जागरूक करने के लिए व्यापक पैमाने पर बैठक और प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
Jul 01 2024, 20:16