प्रेरक प्रसंग :-समस्याओं से भागना बड़ी समस्याएं बन जाती है, उस से मुकाबला कर ही हम सफलता पा सकते हैं, आइये जानते हैं इस प्रसंग से इन बातों को...
- विनोद आनंद
जीवन है तो समस्याएं है. समस्याएं से हम पीछा नहीं छुड़ा सकते हैं बस संघर्ष कर सकते हैं. परन्तु जो लोग समस्याओं से डर जाते हैं उन्हें जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते हैं.
हमें सफलता के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए बाधाओं को पार करना जरूरी है। उसका हम निडर होकर सामना करें तभी उपलब्धियां हासिल हो सकती है.
मेरे एक मित्र जो मेरे साथ पढता था, उसके पिता बड़े पैसे वाले थे. पिता का सपना था बेटा पढ़े, पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बने वह स्कूल जाने लगा, शिक्षक का टास्क, उसे पुरा नहीं कर पाने पर शिक्षक की छड़ी , प्रतिदिन किताबों के बोझ तले दबे रहना, यह सब उसके लिए बहुत कठिन था, वाह पिता के डर से स्कूल जाता था, परन्तु स्कूल से भाग जाता था, बच्चों के साथ खेलता था. यह उसकी समस्याओं से भागने की शुरुआत थी. यह सिलसिला चलता रहा, वह जीवन में हर समस्याओं से भगा, किसी भी बोझ को लेकर नहीं चल सका, पिता ने अपने कारोबार में लगाया वहां से भागा, पिता के मृत्यु के बाद कारोबार डूब गयी, शादी होने पर पत्नी ने उसे छोड़ दिया, अपने जमीन घर भी बेच डाला और अंत में पागल होकर मर गया.
समस्याओं से भगाना समस्याएं पैदा करती है जो उसके साथ हुआ समस्याओं से हमें मुकाबला करनी चाहिए तभी उसका हाल निकलता है.समस्या को लेकर मैं एक और लोक कथा सुनाता हुँ.
पुराने समय की बात है एक व्यापारी समुद्र के रास्ते दूसरे देशों में जाकर व्यापार करता था। व्यापारी जहाज से यात्रा करता था। उसके अच्छे व्यापार को देखकर व्यापारी का एक नया साझेदार बन गया। साझेदार ने भी व्यापारी के साथ धन लगा दिया।
जब समुद्र यात्रा पर जाने का समय आया तो नया साझेदार डर गया। वह सोच रहा था कि अगर बीच समुद्र में तूफान आ गया तो सबकुछ खत्म हो जाएगा। प्राण संकट में फंस जाएंगे। नए साथी ने सेठ से भी कहा कि उन्हें इस समय यात्रा पर नहीं जाना चाहिए। लेकिन, सेठ ने कहा कि यात्रा पर तो जाना होगा, वरना नुकसान हो जाएगा।
जहाज चलाने वाले अन्य लोग भी वहां पहुंच गए। साझेदार ने सोचा कि मैं जहाज चलाने वाले लोगों को डरा देता हूं, जिससे कि ये यात्रा रुक जाएगी।
उसने एक व्यक्ति से कहा कि तुम्हारे पिता हैं या नहीं। व्यक्ति ने कहा कि एक समुद्री तूफान में उनकी मृत्यु हो गई है। साझेदार ने फिर पूछा कि तुम्हारे दादा? व्यक्ति ने कहा कि दादा भी समुद्र तूफान की वजह से मारे गए। परदादा के साथ भी भी ऐसा ही हुआ था।
साझेदार हंसने लगा!
वह बोला- कि भाई जब तुम्हारे घर में समुद्र की वजह से इतने लोगों की मृत्यु हो गई है तो तुम फिर भी ये काम कर रहे हो और फिर यात्रा पर जा रहे हो?
जहाज चलाने वाले व्यक्ति ने नए साझेदार से पूछा कि आपके पिता मृत्यु कैसे हुई?
साझेदार ने कहा कि वे आराम से पलंग पर सो रहे थे और उनकी मृत्यु हो गई। मेरे दादा और परदादा भी आराम से पलंग पर सोते-सोते ही मृत्यु को प्राप्त हुए।
जहाज चलाने वाले ने कहा कि साहब, आपके घर में भी पलंग पर सोते-सोते इतने लोग मरे हैं, फिर भी आप रोज पलंग पर सोते हैं, आपको डर नहीं लगता?
उसने समझाया कि हमें समस्याओं से डरना नहीं चाहिए। डरेंगे तो छोटी सी समस्या भी बड़ी लगने लगेगी।
ये सुनकर साझेदार को समझ आ गया कि उसका डर व्यर्थ है।
इसके बाद उसने भी साहस दिखाया और समुद्री यात्रा पर जाने के लिए तैयार हो गया।
इस प्रसंग की सीख यह है कि हमें समस्याओं से डरकर रुकना नहीं चाहिए। अगर रुक जाएंगे तो हमारी बाधाएं कभी दूर नहीं हो पाएंगी। बल्कि, छोटी सी समस्या भी बड़ी होती जाएगी।
Jul 01 2024, 09:01