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आज का पंचांग- 29 जून 2024, जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रह योग..?

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आषाढ़

अमांत- ज्येष्ठ

तिथि

अष्टमी - 02:19 पी एम तक

नक्षत्र

उत्तर भाद्रपद - 08:49 ए एम तक

योग

शोभन - 06:54 पी एम तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 05:26 ए एम

सूर्यास्त- 07:23 पी एम

चन्द्रोदय- 12:42 ए एम, जून 30

चन्द्रास्त- 12:50 पी एम

अशुभ काल

राहू- 08:55 ए एम से 10:40 ए एम

यम गण्ड- 02:09 पी एम से 03:54 पी एम

कुलिक-08:55 ए एम से 10:40 ए एम

आडल योग-  08:49 ए एम से 05:27 ए एम, जून 30

दुर्मुहूर्त- 05:26 ए एम से 06:22 ए एम, 06:22 ए एम से 07:18 ए एम

वर्ज्यम्- 08:12 पी एम से 09:43 पी एम

शुभ काल

अभिजित मुहूर्त - 12:15 पी एम से 01:08 पी एम

अमृत काल - 05:17 ए एम, जून 30 से 06:48 ए एम, जून 30

ब्रह्म मुहूर्त - 04:38 ए एम से 05:21 ए एम

प्रेरक प्रसंग: अहंकार विनाश का कारण होता है,अहंकारी व्यक्ति अपने जीवन में कैसे धोखा खाता है जानिये इस कहानी के जरिये

  - विनोद आनंद 

अहंकार एक ऐसी पवृति है कि इसके वश में आये हर व्यक्ति को जीवन में धोखा खाना पड़ता है.आज इतिहास का पन्ना पलट कर देखिये सफल से सफल मनुष्य हो उसके विनाश का कारण उनका अहंकार हीं होता है. अगर रावण अहंकारी नहीं होता तो राम रावण युद्ध नहीं होता और एक साधारण वनबासी राम से इतने ताकतवर विशाल सैन्य से सुज्जित रावण का विनाश नहीं होता. महाभारत में भी दर्योधन का अभिमान हीं उसे ले डूबा और विशाल सेना महान योद्धाओं का साथ भी साधारण सा पांच पांडव से वाह अपनी रक्षा नहीं कर पाया.

इसी लिए अहंकार विनाश का कारण होता है. अहंकार से आप कि सारी चलकियां भी धरी के धरी रह जाती है. आप जीवन में कितना भी सफल क्यों न हो लेकिन अपनी क्षमता, अपनी ताकत, अपनी धन्, अपने कौशल, अपनी सुंदरता किसी भी चीज पर कभी अहंकार नहीं करें. 

अहंकार में आप कैसी नादानी कर बैठते हो और धोखा भी खाते हो आओ एक छोटी सी कहानी कर जरिये आप को समझाता हुँ.

 एक गांव में एक मूर्तिकार (मूर्ति बनाने वाला) रहता था। वह ऐसी मूर्तियां बनता था, जिन्हें देख कर हर किसी को मूर्तियों के जीवित होने का भ्रम हो जाता था। 

आस-पास के सभी गांव में उसकी प्रसिद्धि थी, लोग उसकी मूर्तिकला के कायल थे। इसीलिए उस मूर्तिकार को अपनी कला पर बड़ा घमंड था। जीवन के सफर में एक वक्त ऐसा भी आया जब उसे लगने लगा कि अब उसकी मृत्यु होने वाली है, वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएगा। उसे जब लगा कि जल्दी ही उसकी मृत्यु होने वाली है तो वह परेशानी में पड़ गया। 

यमदूतों को भ्रमित करने के लिए उसने एक योजना बनाई। उसने हुबहू अपने जैसी दस मूर्तियां बनाई और खुद उन मूर्तियों के बीच जा कर बैठ गया।

दंग रह गए यमदूत, जानिए फिर क्या हुआ....

यमदूत जब उसे लेने आए तो एक जैसी ग्यारह आकृतियों को देखकर दंग रह गए। वे पहचान नहीं कर पा रहे थे कि उन मूर्तियों में से असली मनुष्य कौन है। वे सोचने लगे अब क्या किया जाए। अगर मूर्तिकार के प्राण नहीं ले सके तो सृष्टि का नियम टूट जाएगा और सत्य परखने के लिए मूर्तियों को तोड़ा गया तो कला का अपमान हो जाएगा। 

अचानक एक यमदूत को मानव स्वाभाव के सबसे बड़े दुर्गुण अहंकार को परखने का विचार आया। उसने मूर्तियों को देखते हुए कहा, कितनी सुन्दर मूर्तियां बनी हैं, लेकिन मूर्तियों में एक त्रुटी है। काश मूर्ति बनाने वाला मेरे सामने होता, तो मैं उसे बताता मूर्ति बनाने में क्या गलती हुई है।

यह सुनकर मूर्तिकार का अहंकार जाग उठा, उसने सोचा, मेने अपना पूरा जीवन मूर्तियां बनाने में समर्पित कर दिया, भला मेरी मूर्तियों में क्या गलती हो सकती है? वह बोल उठा “कैसी त्रुटी”… झट से यमदूत ने उसे पकड़ लिया और कहा “बस यही गलती कर गए तुम अपने अहंकार में कि बेजान मूर्तियां बोला नहीं करती”…!! इस कहानी की शिक्षा यही है कि अहंकार ने हमेशा इन्सान को परेशानी और दुःख के सिवा कुछ नहीं दिया।

इसी लिए कभी भी अपनी किसी कला, क्षमता, धन सम्पदा, सुंदरता अपनी ताकत और किसी भी चीज पर अहंकार नहीं करें

आध्यत्मिक केंद्र :- आज व्यस्त और तनावपूर्ण जिंदगी में अगर आपको सकून कि तलाश है तो जाऐं वेल्लिंगिरी पर्वत पर स्थित ईशा फाउंडेशन

आलेख- विनोद आनंद 

आज व्यस्त और तनावपूर्ण जिंदगी में सकून तलाश कि अगर जरुरत है तो कई स्वयंसेवी संस्थाओं में से एक ईशा फाउंडेशन है.जहाँ आप मनोरम प्रकृति के गोद में जाकर ध्यान योग और मेडिटेशन के जरिये अपने व्याकुल मन को शांत कर सकते हैं.

यह केंद्र उन सभी लोगों की सहायता करने के लिए एक पवित्र स्थान है जहाँ अपना जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो वह भी कर सकते हैं , ईशा संस्थान वर्तमान में एक समृद्ध समुदाय के लिए आवश्यक सुविधाओं का विस्तार और विकास कर रहा है। 

चाहे कोई व्यक्ति यहाँ पूर्णकालिक या अंशकालिक रूप से रहना चाहे, परिवार को साथ रहना चाहे, या दूर से काम करना चाहे, उसके लिए आवास के विभिन्न विकल्प उपलब्ध हैं।

ईशा फाउंडेशन क्या करता है?

ईशा फाउंडेशन, एक जीवंत आध्यात्मिक आंदोलन, व्यक्तिगत विकास का समर्थन करने, मानवीय भावना को पुनर्जीवित करने, समुदायों के पुनर्निर्माण और पर्यावरण को बहाल करने के लिए कई बड़े पैमाने पर मानव सेवा परियोजनाओं को भी लागू करता है।

ईशा फाउंडेशन एक स्वयंसेवी संगठन है और यह दुनिया भर में इनर इंजीनियरिंग पूरा करने वाले स्वयंसेवकों को निस्वार्थ कर्म के माध्यम से आगे बढ़ने का अवसर देता है। स्वयंसेवा आपको ईशा योग केंद्र का गहन अनुभव प्राप्त करने का अवसर देता है।

ईशा फाउंडेशन के गुरु कौन है?

 सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने साल 1983 में अपने 7 साथियों के साथ योग क्लास की शुरुआत की थी। आज उनका 'ईशा योग फाउंडेशन' किसी पहचान का मोहताज नहीं है। कोयंबटूर से करीब 30 किलोमीटर दूर वेल्लिंगिरी की पहाड़ी पर स्थित ईशा फाउंडेशन योग के प्रचार-प्रसार का प्रमुख केंद्र बन गया है।150 एकड़ में फैला है ईशा फाउंडेशन,जहाँ 112 फिट ऊंचे 'आदियोगी' की विशाल मूर्ति भी स्थापित है जो यहाँ कि भव्यता और मनोरम दृश्य को चार चाँद लगा देता है.

ईशा आश्रम में रहने का खर्चा कितना है?

कोयंबटूर में ईशा योग आश्रम में जाने के लिए आपको कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ेगा क्योंकि प्रवेश निःशुल्क है। यदि आप ध्यानलिंग और लिंग भैरवी के दर्शन के लिए कुछ घंटे या एक दिन बिताना चाहते हैं तो आपको कुछ भी भुगतान नहीं करना होगा।लेकिन अगर आप स्थायी रूप से यहाँ निवास करना चाहते हैं इसका शुल्क तय है जिसकी जानकारी ईशा फाउंडशन के साइट पर मिल जाएगा.

आज ईशा फाउंडेशन केरल में है जिसका कुल सम्पति 1,500 करोड़ रुपये हैं. ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जग्गी वासुदेव भी करोड़ों के मालिक हैं. उनकी कुल नेटवर्थ 18 करोड़ रुपये की है.

क्या हम ईशा फाउंडेशन में रह सकते हैं?

उन सभी लोगों की सहायता करने के लिए जो एक पवित्र स्थान पर अपना जीवन व्यतीत करना चाहते हैं, ईशा संस्थान वर्तमान में एक समृद्ध समुदाय के लिए आवश्यक सुविधाओं का विस्तार और विकास कर रहा है। चाहे कोई व्यक्ति यहाँ पूर्णकालिक या अंशकालिक रूप से रहना चाहे, परिवार को साथ लाना चाहे, या दूर से काम करना चाहे, उसके लिए आवास के विभिन्न विकल्प उपलब्ध हैं।

ईशा फाउंडेशन क्यों जाएं?

ईशा आत्म-परिवर्तन के लिए एक पवित्र स्थान है, जहाँ आप अपने आंतरिक विकास के लिए समय समर्पित कर सकते हैं। यह केंद्र योग के सभी चार प्रमुख मार्ग प्रदान करता है - क्रिया (ऊर्जा), ज्ञान (ज्ञान), कर्म (कार्रवाई), और भक्ति (भक्ति), जो दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करता है

ईशा फाउंडेशन क्या करता है?

ईशा फाउंडेशन, एक जीवंत आध्यात्मिक आंदोलन, व्यक्तिगत विकास का समर्थन करने, मानवीय भावना को पुनर्जीवित करने, समुदायों के पुनर्निर्माण और पर्यावरण को बहाल करने के लिए कई बड़े पैमाने पर मानव सेवा परियोजनाओं को भी लागू करता है।

दुर्गम गुफा के अंदर कर्नाटक का अनोखा नरसिंह झिरा मंदिर जहाँ होती है भक्तों कि मनोकामनायें पूरी, गुजरना होता है कमर भर पानी के बीच से


सनातन डेस्क

हमारा देश भारत हजारों मंदिरों और तीर्थ स्थलों से भाड़ा हुआ है जहाँ लोग पूजा करते हैं और ईश्वर से अपनी मनो कामनाये पूरा करने के लिए प्रार्थना करते हैं 

शास्त्रों के अनुसार, ऐसे स्थानों की संख्या लगभग साठ हजार करोड़ है। इनमें से प्रत्येक तीर्थ महत्वपूर्ण है और अपने साधक को आध्यात्मिक मुक्ति प्रदान करने की शक्ति रखता है। 

विशेष रूप से, दक्षिण भारत में भगवान नरसिंह को समर्पित मंदिरों की भरमार है।

यहाँ भगवान नरसिंह के मंदिर घने जंगलों में हैं, कुछ विशाल नदियों के किनारे हैं, कुछ दुर्गम गुफाओं में हैं, कुछ झरनों के किनारे हैं, कुछ ज़मीन के नीचे हैं और सिर्फ़ एक मंदिर ऐसा है जहाँ पानी के भीतर भगवान नरसिंह की पूजा होती है। 

नरसिंह झिरा गुफा मंदिर या नरसिंह झरना गुफा मंदिर भगवान नरसिंह को समर्पित एक स्थान है, जहां भगवान विष्णु के 4 वें अवतार, दिव्य सिंह अवतार का स्थल माना जाता है।

 यह मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है, जहाँ भक्तगण भगवान नरसिंह की पूजा करने के लिए पानी में से गुजरते हुए एक अनोखी तीर्थ यात्रा करते हैं। लोग मंत्रों के रूप में भक्ति के साथ गोविंदा-गोविंदा और नरसिंह हरि-हरि शब्दों का उच्चारण करते हैं। 

इस मंदिर को लेकर कई मान्यतायें है

लोग इसे कई नामों से भी जानते हैं झरानी नरसिंह गुफा मंदिर, झरनी नरसिंह स्वामी,

झरनी नरसिंह मंदिर,समेत कई नाम हैं जो इस मंदिर के लिए प्रचलित है.

यह मंदिर इतना क्यों महत्वपूर्ण है...?

आइये हम आपको बताते हैं कि कर्नाटक में झरनी नरसिंह मंदिर इतना महत्वपूर्ण क्यों है, जो हजारों किलोमीटर दूर से लोगों को आकर्षित करता है। 

झरनी नरसिंह मंदिर का महत्व 

मंदिर के अंदर स्थापित देवता स्वयंभू हैं, जो शालिग्राम का रूप धारण करते हैं - यह दर्शाता है कि देवता स्वयं प्रकट हुए हैं और उनमें जबरदस्त शक्ति है। इस मंदिर की एक असाधारण विशेषता गीले कपड़े पहनकर दर्शन करने की अनूठी प्रथा है, जो इसे दुनिया में कहीं भी पाए जाने वाले किसी भी अन्य पूजा स्थल से अलग एक अद्वितीय पूजा स्थल बनाती है।

ऐसा माना जाता है कि नरसिंह झिरा मंदिर की तीर्थयात्रा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

इसके अलावा, ऋषि विदुर कभी झरनी नरसिंह मंदिर के पवित्र परिसर में निवास करते थे, जिसके कारण इसे विदुरनगर का दूसरा नाम मिला। इसके अलावा, महाभारत में एक प्रमुख व्यक्ति, शक्तिशाली राजा नल ने इसी स्थान पर दमयंती से मुलाकात की थी।

एक अनोखी परंपरा के तहत तीर्थयात्री मंदिर में प्रवेश करते समय अपने बच्चों को कंधे पर उठाकर ले जाते हैं। माना जाता है कि मंदिर का औषधीय जल त्वचा संबंधी बीमारियों से पीड़ित भक्तों को राहत पहुंचाता है। साथ ही, यह मंदिर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद चाहने वाले दंपत्तियों के लिए विशेष महत्व रखता है।

नरसिंह मंदिर का इतिहास

इतिहास के अनुसार, भगवान नरसिंह ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था, जो नारायण के भक्त प्रह्लाद को नुकसान पहुँचाना चाहता था। इसके बाद, भगवान ने झारासुर (जलासुर) नामक एक अन्य राक्षस का भी सामना किया और उसे पराजित किया। उल्लेखनीय है कि झारासुर भगवान शिव का एक परम भक्त था।

जब झारसुर अपने जीवन के अंत के करीब था, तो उसने भगवान नरसिंह से उस गुफा में निवास करने की प्रार्थना की, जिसे वह अपना घर कहता था, ताकि वहाँ आने वाले भक्तों की भीड़ को आशीर्वाद दे सके। भगवान नरसिंह ने कृपापूर्वक झारसुर की इच्छा पूरी की और गुफा के भीतर ही रहे, जबकि झारसुर भगवान नरसिंह के दिव्य चरणों में एक बहती हुई धारा में बदल गया। 

इसी कारण से, इस मंदिर को "जल नरसिंह स्वामी मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, झरनी नरसिंह मंदिर के गर्भगृह के भीतर एक शिव लिंग है, जिसकी झारसुर ने पूजा की थी।

यह भी कहा जाता है कि झारासुर नामक राक्षस ने अपने नाखूनों से इस गुफा की खुदाई की थी। खास बात यह है कि आज भी गुफा की दीवारों पर उसके नाखूनों के निशान देखे जा सकते हैं।

इस मंदिर की तीर्थयात्रा के लिए सबसे अनुकूल समय सर्दियों का मौसम है। इस क्षेत्र में गर्मियाँ असाधारण रूप से झुलसाने वाली होती हैं। इसलिए, दिसंबर और जनवरी श्री झरनी नरसिंह मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम है। 

इस मंदिर कि कुछ जानकारी जो आपके लिए है जरुरी

बीदर नरसिंह स्वामी मंदिर सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।

कर्नाटक में नरसिंह मंदिर तक जाने के लिए हवाई, रेल या सड़क मार्ग का सहारा लिया जा सकता है। 

वायुमार्ग: बीदर का निकटतम हवाई अड्डा हैदराबाद का बेगमपेट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 120 किलोमीटर दूर है।

रेल द्वारा: बीदर हैदराबाद और बैंगलोर दोनों के साथ कुशल रेल संपर्क का आनंद उठाता है। यात्री गुलबर्गा शहर के लिए ट्रेन का विकल्प भी चुन सकते हैं, उसके बाद बीदर के लिए बस यात्रा कर सकते हैं, जिसमें आमतौर पर लगभग ढाई घंटे लगते हैं।

सड़क मार्ग से: बैंगलोर-हैदराबाद मार्ग पर NH 7 और NH 9 के माध्यम से नियमित निजी बस सेवाएँ चलती हैं, जिनकी यात्रा लगभग 16 घंटे की होती है। बीदर हैदराबाद से लगभग 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और तेलंगाना में ज़हीराबाद लगभग 31 किलोमीटर दूर है।

 

यह मंदिर उत्तरी कर्नाटक के बीदर जिले में एक गुफा में स्थित है, जहाँ पानी 300 मीटर तक बहता है। यह मंदिर बीदर शहर से एक किलोमीटर दूर है। देवता के चरणों तक पहुँचने के लिए आपको कमर तक गहरे पानी से गुजरना पड़ता है। यह मंदिर मणिचूला पहाड़ी श्रृंखला के नीचे स्थित है और यह सुबह आठ बजे खुलता है। यह भगवान नरसिंह का 300 मीटर लंबा पानी से भरा गुफा मंदिर है।झरनी

अनूठी खासियत:

नरसिंह झिरा गुफा मंदिर, शक्तिशाली भगवान नरसिंह को समर्पित है, और इसे नरसिंह जर्ना गुफा मंदिर और झरानी नरसिंह मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। नरसिंह झिरा गुफा मंदिर की मूर्ति एक स्वयंभू रूप है - दूसरे शब्दों में, देवता स्वयं प्रकट हुए हैं और बहुत शक्तिशाली हैं। भगवान विष्णु के चौथे अवतार, भगवान नरसिंह, आधे मानव और आधे शेर हैं।

हर साल लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस मंदिर में बड़ी संख्या में आते हैं। यह पवित्र मंदिर बीदर की एक गुफा में स्थित है।

अवलोकन

झरनीयह प्रसिद्ध गुफा मंदिर एक गुफा के अंत में दीवार पर शक्तिशाली देवता भगवान नरसिंह को स्थापित करता है, और यह एक वास्तुशिल्प आश्चर्य है। कहा जाता है कि इस स्थान पर सैकड़ों वर्षों से पानी की एक बारहमासी धारा लगातार बह रही है। भगवान नरसिंह के दर्शन के लिए गुफा जैसी सुरंग के माध्यम से 300 मीटर तक कमर तक गहरे पानी में चलना एक रोमांचकारी अनुभव है। यह बीदर के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

नरसिंह झिरा गुफा मंदिर अपनी खूबसूरत वास्तुकला के लिए जाना जाता है और इसे बहुत पवित्र माना जाता है। मंदिर एक गुफा में स्थित है जहाँ पानी 300 मीटर की ऊँचाई तक बहता है

स्थल पुराण

नरसिंह झिरा मंदिर के बारे में एक मिथक है जिसमें उल्लेख है कि शक्तिशाली भगवान नरसिंह ने सबसे पहले हिरण्यकश्यप का वध किया और फिर राक्षस जलसुर का वध किया जो भगवान शिव का कट्टर भक्त था। भगवान नरसिंह द्वारा मारे जाने के बाद, राक्षस जलसुर पानी में बदल गया और भगवान नरसिंह के पैरों से बहने लगा। और आज भी भगवान के पैरों से पानी बहता रहता है और गुफा को भरता है।

इसलिए, भगवान तक पहुँचने के लिए हमें 300 फ़ीट लंबी गुफा से होकर गुजरना होगा, जिसमें लगभग 4 फ़ीट गहरा पानी है। गुफा की छत से लटके चमगादड़ रोमांच को और बढ़ा देते हैं। हाल ही में लाइटिंग और वेंटिलेशन लगाया गया है। आपको नरसिंह झिरा गुफा मंदिर के बाहर स्थित पानी के फव्वारे में जल्दी से स्नान करना होगा।

गुफा के अंत में दो देवता हैं - भगवान नरसिंह और एक शिव लिंग जिसकी राक्षस जलासुर ने पूजा की थी। यहाँ बहुत कम जगह होने के कारण लगभग आठ लोग खड़े होकर इस शानदार नज़ारे को देख सकते हैं। बाकी लोगों को पानी में इंतज़ार करना होगा।

प्रेरक प्रसंग : हमे कभी भी किसी को परखे बिना उसके बारे में अपनी गलत नज़रिया नही बना लेनी चाहिए

:- विनोद आनंद

हम अपने जीवन में अक्सरहां ऐसी गलती कर बैठते हैं कि किसी भी व्यक्ति को बिना समझे उसके बारे में गलत धरणा बना लेते हैं।कभी किसी के वेश भूषा,देखकर उसकी क्षमता और विद्वता को गलत आकलन करते हैं, तो किसी गंभीर व्यक्ति को अभिमानी समझ बैठते हैं ।

खासकर दूसरे के बारे में किसी की शिकायत या उसकी गलत फीड बैक से उसके अच्छाई या उसके आचरण, स्वभाव,काम या किसी चीज को लेकर उसे बिना परखे हमे उसको लेकर अपनी राय नही बंनाने चाहिए।

आइए इसी प्रसंग को लेकर एक गौतम बुद्ध से जुड़े प्रसंग का चर्चा करता हूँ। 

गौतम बुद्ध अपने शिष्यों को अलग-अलग घटनाओं की मदद से भी उपदेश दिया करते थे। उनके शिष्यों में से एक शिष्य ऐसा भी था जो किसी से ज्यादा बोलता नहीं था। वह सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देता था। काम पूरा होने के बाद वह एकांत में चला जाता और ध्यान में बैठ जाया करता था।

कुछ शिष्यों ने गौतम बुद्ध से एकांत में रहने वाले इस शिष्य की शिकायत कर दी। जब धीरे-धीरे उस शिष्य की बुराई ज्यादा होने लगी, तब बुद्ध ने सोचा कि उससे बात करनी चाहिए। एक दिन उस शिष्य से बुद्ध ने पूछा,‘तुम अन्य शिष्यों से ऐसा व्यवहार क्यों करते हो? सभी शिष्य तुम्हारी शिकायत कर रहे हैं।

’ शिष्य ने ध्यान से महात्मा बुद्ध की बात सुनी, फिर क्षमा प्रार्थना के स्वर में उनसे बोला,- ‘तथागत, मैंने यह तय किया है कि जब तक आप यहां हैं, मैं आपसे एकांत और मौन का महत्व समझ लूं।

आपके बाद मुझे इन बातों को कोई और कैसे समझाएगा?

’उस शिष्य की ये बातें सुनकर बुद्ध को भी आश्चर्य हुआ। वह उसका आशय तो तत्काल समझ गए, उसकी साधना और लगन की गहराई से प्रभावित भी हुए, लेकिन उससे कुछ और नहीं बोले। 

उसके जाने के बाद बुद्ध ने अन्य शिष्यों को समझाया, ‘तुम सबने इस एकांतप्रिय शिष्य की गलत शिकायत की है। तुम लोगों ने उसे जाने बिना उसके बारे में अपनी गलत राय बना ली। 

तुमने देखा कुछ और, समझा कुछ और। हमें किसी भी व्यक्ति के लिए जल्दबाजी में कोई राय नहीं बनानी चाहिए।

 पहले उस व्यक्ति से मिलें, उसकी गतिविधियों को देखें। हो सके तो उससे संवाद के जरिए उसकी गतिविधियों के पीछे के भाव को समझें। उसकी बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए।’

 बुद्ध की बातें सुनकर सभी शिष्यों को अपनी गलती पर पश्चाताप हुआ। उन सभी ने एकांतप्रिय शिष्य से माफी भी मांगी।

इसी लिए किसी को बिना पूरी तरह समझे उसके बारे में अपने अंदर गलत सोच नही आने देना नही चाहिए।

आज का राशिफल, 28 जून 2024:जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा..?

♈ मेष : चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ :

आज का दिन बढ़िया रहने वाला है। आज आप उन चीज़ों को महत्व दें जो सच में आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। आज आपको अपने परिवार और काम के बीच संतुलन बनाकर रखना होगा। सभी काम आपके मन के मुताबिक पूरे होंगे। इस राशि के जो लोग पर्यटन के क्षेत्र से जुड़े हैं आज उन्हें किसी अच्छे कस्टमर से बड़ा फायदा होने वाला है। संतान की बड़ी सफलता से आपको खुशी मिलने वाली है। अगर आप बिजनेसमैन हैं तो अपना फेवरेट परफ्यूम लगाकर जाए फायदा ज़रूर मिलेगा। स्वास्थ्य के लिए नियमित योग करना न भूलें।

♉ वृष : ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो- : 

आज आप में से कुछ की रचनात्मकता चरम पर होगी लेकिन वित्तीय दबाव हो सकता है। धन संबंधी मामलों को समझदारी से निपटाया जाना चाहिए। व्यावसायिक संदर्भ में आप अपने लाभ के लिए संपत्ति का उपयोग किसी रचनात्मक कार्य के लिए कर सकते हैं। आप विचारों को विकसित करने के लिए अवसरों की खोज में समय और ऊर्जा का निवेश कर सकते हैं। परिवार के साथ बहुप्रतीक्षित यात्रा स्थगित करनी पड़ सकती है। हालांकि सामाजिक परिदृश्य पर आपकी बहुत मांग होगी।  

♊ मिथुन : क, छ और घ : 

आज का दिन हर्षो-उल्लास से भरा रहने वाला है। आज आपको खूब सारी पहचान मिलने वाली है। आज आप जिस मुकाम पर हैं वो आपकी अच्छी संप्रेषण कला की वजह से है। आप सफलता पाने के लिए अपने प्रयासों को जारी रखें।इससे लोगों से आपकी निकटता बनी रहेगी। पारिवारिक सदस्यों के साथ सुकून भरे और शांत दिन का लुत्फ़ लें। निवेश के लिए अच्छा दिन है, लेकिन उचित सलाह से ही निवेश करें।

♋ कर्क : ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो, वे : 

आज का दिन भाग-दौड़ वाला हो सकता है। आप सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होंगे और आपका उत्साह आपको साहस एवं बल प्रदान करेगा। जिसके फलस्वरूप आप व्यावसायिक स्थितियों को अपने पक्ष में मोड़ पाएंगे। आप अपने साथियों को फायदा पहुंचाने और उन्हें प्रभावित करने के अवसरों का पूर्ण लाभ उठाएंगे। आय के नए स्रोत विकसित हो सकते हैं। नए संपर्क बनेंगे और आप सामाजिक और व्यावसायिक समारोहो में भी शामिल होंगे। यात्रा फलदायी साबित होगी। आप परिवार और प्रियजनों के साथ गुणवत्ता समय का आनंद लेंगे।

♌ सिंह : मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे : 

आज का दिन फेवरेबल रहने वाला है। आज आप एक बहुत बड़ी साझेदारी को अंतिम रूप देने वाले हैं, जिसके बारे में आज आपको जीवनसाथी से अपने मिशन और लक्ष्यों के बारे में स्पष्ट रूप से बता देना सही रहेगा। आज दिन का अंतिम हिस्सा किसी रचनात्मक कार्यों में लगा सकते हैं। इस राशि के छात्रों को आज किसी अच्छे कॉलेज में एडमीशन मिल जाएगा। अगर किसी फ्रैंड से अनबन चल रही है, तो आप उससे दोस्ती का हाथ बढ़ा सकते है। कुछ पुरानी यादें ताज़ा होंगी । 

♍ कन्या : ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे और पो : 

आज आप में से कुछ के जीवन में अप्रत्याशित रूप से कुछ घटित हो सकता हैं। विदेशी संपर्क वाले लोग व्यावसायिक गतिविधि में उतार-चढ़ाव अनुभव कर सकते हैं। यदि आप प्रतियोगिता के माध्यम से नौकरी तलाश कर रहे हैं। तो कड़ी मेहनत कीजिए क्योंकि सफलता आपसे बस कुछ ही दूर है। सरकारी अड़चनो के कारण आपके कुछ पूर्वनियोजित कार्य स्थगित हो सकते हैं। भागेदारी में गलतफहमी के चलते वाद-विवाद हो सकता है. आय यथावत रहेगी। धन में वृद्धि के अवसर के रूप में आप में से कुछ नया व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। पारिवारिक जीवन शांतिपूर्ण रहेगा।

♎ तुला :रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू या ते : 

आज का दिन सामान्य रहने वाला है। किसी समारोह में आज खुद को अकेला महसूस करेंगे। इससे निजात पाने के लिए सकारात्मक सोच का सहारा लें और लोगों से बेझिझक बात करें। जो आपको अकेलेपन से दूर रखने में मदद करेगा। आज कोई बड़ा फैसला लेने से बचें। दोस्तों की मदद से आर्थिक समस्यायें हल हो जाएंगी। आज आप जीवनसाथी को किसी मामूली बात पर डांटने के बजाय उन्हें विनम्रता से समझाएं । व्यापार में धीमी प्रगति आपको हल्का सा मानसिक तनाव दे सकती है। माता-पिता का आर्शीवाद लेने से सभी दिक्कतें दूर हो जायेंगी।

♏ वृश्चिक :तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू : 

आज आय अच्छी रहेगी, किन्तु बेकार की गतिविधियों पर अंकुश लगाना श्रेयकर रहेगा। आपको अपने करियर में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अथक परिश्रम के उपरांत आप स्थितियों पर काबू पा सकेंगे। भावनाओं को अपने निर्णयों को निर्धारित न करने दें, निष्पक्षता बनाये रखें। व्यावसायिक एवं आर्थिक संदर्भ में यात्रा आपको नवीन अवसर प्रदान कर सकती है। आज आप किसी पुराने परिचित से अचानक ही मिल सकते हैं। परिवार के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने से कायाकल्प होगा।

♐ धनु :ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे:

आज का दिन फायदा देने वाला है। आर्थिक योजनाओं में किया गया निवेश लाभप्रद होगा।आज अपनों के साथ आपको सहयोगात्मक रूख अपनाना होगा वरना किसी बात से रिश्तों में बेवजह खटास आ सकती है। आज आपकी सेहत ठीक रहेगी, लेकिन निजी काम से यात्रा आपके लिए थकाऊ और तनावपूर्ण साबित हो सकती है। आज आपने जो नई जानकारी हासिल की है, वह आपको अपने प्रतिस्पर्धियों से बढ़त दिलाएगी। बिजनेसमैन किसी डील के लिए जा रहे हैं, तो आज अपनी लक्की कार से जाएं आपको फायदा मिलना तय है।

♑ मकर :भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी, है :

किस्मत आपका साथ देगी और महत्वाकांक्षी परियोजनाएं गतिशील हो सकती हैं। नए क्षेत्र में उद्यम करते समय अथवा नए सहयोगियों के साथ बातचीत करते हुए अपने शब्दों एवं विचारों का चयन खूब सोच-समझ कर कीजिये। आप सामूहिक चर्चाओं, बैठकों, सम्मेलनों में भाग लेंगे और आसानी से अपने विचार बिंदु को व्यक्त कर पाएंगे। पारिवारिक परिवेश में काफी समय से लंबित कार्य आज पूरे किए जा सकते हैं। परिवार के सदस्यों की संगति में यात्रा से आनंद और शांति मिलेगी। एकल किसी ऐसे व्यक्ति से मिल सकते हैं, जिसके साथ उनका बौद्धिक तारतम्य मिल सकता है।

♒ कुंभ : गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा : 

आज का दिन कुछ मिला-जुला रहने वाला है। दूसरों के साथ आपका तालमेल अच्छा रहेगा। जो काम करना है या जो जिम्मेदारी आपको मिली है, उसे खुशी-खुशी स्वीकार कर लें। आज आर्थिक स्थिति में सुधार होने के योग बन रहे हैं। आपको अपनी मेहनत का सुखद परिणाम मिल सकता है। आज आपकी रुचि नई चीजों के बारे में कलेक्शन कलेक्ट करने में अधिक रहेगी। अचानक कहीं से धनलाभ मिलेगा। ऑफिस में कुछ नया भी हो सकता है। आज आपका कैबिन किसी और जगह शिफ्ट किया जा सकता है।

♓ मीन : दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची : 

आज का दिन आपके लिए बहुत उत्साहजनक नही है। आज कार्यों में देरी और बाधाएं प्रबल होंगी। हालांकि पारिवार का पूरा सहयोग मिलेगा। आर्थिक रूप से आप मजबूत रहेंगे। अपने विचारों और कार्यों को फिर से व्यवस्थित करने पर ध्यान दें, क्योंकि आपको अधिक अनुशासित और व्यवस्थित होने की आवश्यकता है। मौसमी बीमारियों से बचाव रखने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं और स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम करें। यात्रा स्थगित करनी पड़ सकती है।

आज का पंचांग, 28 जून 2024: जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

आज का पंचांग, 28 जून 2024,

राष्ट्रीय मिति आषाढ़ 07, 

शक सम्वत् 1946, 

आषाढ़, कृष्ण, सप्तमी, शुक्रवार, 

विक्रम सम्वत् 2081।

सौर आषाढ़ मास प्रविष्टे 15, जिल्हिजा 21, हिजरी 1445 (मुस्लिम) तदनुसार 

अंगे्रजी तारीख 28 जून सन् 2024 ई। 

सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, 

वर्षा ऋतु। राहुकाल पूर्वाह्न 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक। 

सप्तमी तिथि सायं 04 बजकर 28 मिनट तक उपरांत अष्टमी तिथि का आरंभ।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पूर्वाह्न 10 बजकर 11 मिनट तक उपरांत उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का आरंभ। 

सौभाग्य योग रात्रि 09 बजकर 39 मिनट तक उपरांत शोभन योग का आरंभ। 

विष्टि करण प्रातः 05 बजकर 34 मिनट तक उपरांत कौलव करण का आरंभ। 

चन्द्रमा दिन रात मीन राशि पर संचार करेगा।

सूर्योदय का समय 

28 जून 2024 : सुबह 5 बजकर 25 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय 

28 जून 2024 : शाम में 7 बजकर 23 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 28 जून 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 5 मिनट से 4 बजकर 46 मिनट तक। 

विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। 

निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक। 

गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 22 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक।

 अमृत काल- सुबह 7 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 55 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 28 जून 2024 :

राहुकाल सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक। सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक गुलिक काल।

 दोपहर 3 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल सुबह 8 बजकर 13 मिनट से 9 बजकर 9 मिनट तक। इसके बाद दोपहर में 12 बजकर 52 मिनट से 1 बजकर 48 मिनट तक। 

भद्राकाल का समय सुबह 5 बजकर 26 मिनट से 5

शुरू हुआ आद्रा नक्षत्र, झारखंड–बिहार के हर घर में इस नक्षत्र में खीर, दाल की पूरी और आम खाने की है परंपरा

सनातन धर्म डेस्क 

शुरू हो चुका है आद्रा नक्षत्र और झारखंड–बिहार के हर घर में इस नक्षत्र में खीर, दाल की पूरी और साथ में आम खाने की परंपरा है !

'आद्र' शब्द से बना आद्रा नक्षत्र अपने साथ बहुत कुछ लेकर आता है। आषाढ़ के आखिरी दिनों और श्रावण मास की शुरुआत में सूर्य का यह नक्षत्र परिवर्तन कृषकों और कृषि से जुड़े लोगों के लिए शुभ होता है!

अदरा नक्षत्र आने पर लोग खीर, आम और दालपुरी के साथ उसका स्वागत करते हैं, ताकि घरों में दूध और दही की नदियां बहती रहे तथा हमारे घरों में अनाज की कभी कमी नहीं हो और वर्षा के मौसम में अच्छी बारिश होती रहे और खेतों में लगी फसल हमेशा लहलहाती रहे।

अदरा या आर्द्रा का अर्थ होता है नमी... आकाश मंडल में आर्द्रा छठा नक्षत्र है। अदरा राहु का नक्षत्र है व मिथुन राशि में आता है। यह कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है, जो आकाश में मणि के आकार में दिखता है। लोग मानते हैं कि अदरा नक्षत्र आरंभ होने के साथ ही लगभग गर्मी कम होने लगती है और वर्षा ऋतु आरंभ हो जाती है। इस नक्षत्र के आरंभ होने के साथ ही खरीफ फसलों की बुआई होने लगती है। इस प्रकार अदरा नक्षत्र एक ओर अपने नाम अनुरूप वातावरण में नमी लाती है तो दूसरी ओर ग्रीष्म उपरांत खेती का कामकाज पुनः शुरू हो जाता है! तो स्वागत कीजिए आद्रा नक्षत्र का....

सनातन परम्परा में मौली सूता कलाई में बांधने के पीछे की क्या है कहानी और उसके महत्व, जानिये कैसे शुरू हुई यह परंपरा...?

सनातन डेस्क

हमारे सनातन धर्म में कई परम्पराएं हैं जिसे आज भी हम निर्वहन करते आ रहे हैं यह परम्परा कुछ किम्वन्दतियों पर आधारित है तो कुछ वैज्ञानिक कसौटी पर भी परखा गया तो उसके पीछे वैज्ञानिकता भी है.

इस तरह की कई परम्पराएं हैं जिसे हम आगे चर्चा करेंगे. 

आइये आज हम चर्चा करते हैं कलावा या रक्षासूत्र का जो कोई भी मांगलिक कार्य शुरू करने से पहले हम हाथों में बंधते हैं.

इस में लाल पीला, हरा,सूता का मिश्रण होता है, यह मिश्रण कभी पांच रंग का भी होता है जिसे हम मौली सूता या रक्षा सूत्र कहते हैं. चूँकि यह कलाई में बंधा जाता है इसलिए इसे कलावा भी कहा जाता है.

क्यों बंधा जाता है हाथों में मौली सूता

हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य या तीज-त्योहार की पूजा के समय कलावा या मौली सूता बांधने का विशेष महत्व होता है. कोई पूजा-अनुष्ठान सबसे पहले हाथ पर कलावा बांधने से ही शुरू होता है.

लेकिन क्या आपके दिमाग में कभी ख्याल आया है कि आखिर मौली या कलावा हाथ पर क्यों बांधा जाता है? इस परंपरा का क्या महत्व है?इसकी शुरुआत कैसे हुई? 

मौली या कलावे का क्या है महत्व:

मौली का शाब्दिक अर्थ होता है सबसे ऊपर और इसे कलाई पर बांधने की वजह से कलावा भी कहा जाता है. कहते हैं कि मौली का वैदिक नाम उप मणिबंध है. और इसका तात्पर्य सिर से भी होता है. भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा सुसज्जित है. इसलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है. 

मौली या कलावे को मुख्यतः तीन रंगों के कच्चे सूती धागे से बनाया जाता है. जिनमें लाल, पीला और हरा रंग शामिल है. कभी-कभी यह पांच रंगों से भी बना होता है और नीले व सफेद धागे का भी प्रयोग किया जाता है. तीन धागों से अभिप्राय त्रिदेव तो पांच धागों से अभिप्राय पंचदेव से है. 

कहा जाता है कि हाथ में मौली या कलावा बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश व तीन देवियों- लक्ष्मी, गौरी और सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है. ब्रह्मा से कीर्ति, विष्णु भगवान से बल मिलता है और शिव जी मनुष्य के दुर्गुणों का नाश करते हैं. 

जानिये इस परम्परा के पीछे क्या है प्रचलित लोक कथाएं:

हाथ पर मौली या कलावा बांधने के बारे में कई लोक कथाएं प्रचलित हैं. कलावे को रक्षासूत्र के रूप में हाथ पर बांधा जाता है. कहते हैं कि प्राचीन समय में वृत्रासुर नामक एक राक्षस हुआ करता था. जिसके आतंक से पृथ्वी को मुक्ति दिलाने के लिए देवताओं ने उससे युद्ध किया. 

बताया जाता है कि देवराज इंद्र जब इस राक्षस से युद्ध के लिए जा रहे थे तो उनकी पत्नी इन्द्राणी ने उनकी दाहिनी भुजा पर कलावा या रक्षासूत्र बांधकर त्रिदेवों और मां आदिशक्ति से उनकी रक्षा की प्रार्थना की. जिसके बाद इंद्र वृत्रासुर को मारकर विजयी हुए. 

तबसे ही मौली बांधने की परंपरा चली आ रही है. इसके अलावा, एक मान्यता यह भी है कि राजा बलि को अमरता का वरदान देने के लिए भगवान विष्णु ने उनके दाहिने हाथ पर कलावा बांधा था. 

कलावे को धारण करने और उतारने के नियम:

शास्त्रों के नियमों के अनुसार पुरुष और अविवाहित स्त्री दाएं हाथ में और विवाहित स्त्री बाएं हाथ में कलावा बंधवाती हैं. जब भी कोई पंडित या शास्त्री आपके हाथ में कलावा बांधें तो उस हाथ की मुट्ठी बंद और दूसरा हाथ हमेशा सिर के पीछे होना चाहिए.

और कलावे को हमेशा पांच या सात बार घुमाकर हाथ में बांधना चाहिए.

वहीं अगर आपके हाथ में बंधा कलावा पुराना हो गया है और आप इसे उतारना चाहते हैं तो ध्यान रहे कि पुराने कलावे को हमेशा मंगलवार या शनिवार के दिन ही हाथ से उतारें. और इसे उतारकर फेंकना नहीं चाहिए बल्कि इसे आप पीपल के पेड़ के नीचे रख दें.

परीक्षा में सफलता के लिए हमें एकाग्रचित होना जरूरी है,और इसके लिए मेडिटेशन एक माध्यम है,जानिए सनातन परंपरा सब कुछ सम्भव है,..कैसे..?

(सनातन डेस्क)

हमारे भारतीय सनातन परंपरा में वह सारा प्रावधान है जिसका हम अनुसरण करें तो हम जीवन से जुड़े सभी समस्याओं का हल निकाल सकते हैं।

हमारी परंपरा हमे जीने की पद्धति सिखाती है,हमारे मनोस्थिति पर नियत्रण का कला बताती है।हमारे पूरे जीवन और बीमारी को नियंत्रित करती है।और अगर हम इसी परंपरा का अनुसरण करें तो हमारा चित स्थिर होगा। हमारे ओजता में चमक आएगी।हम मन से स्वस्थ होंगे,भौतिक काया निरोग होगा ,मन में कलुषित सोच नही आएगी और सफल जीवन,जीयेंगे।

आज हम आधुनिक वैज्ञानिक खोज के कारण जितना आगे बढ़ जाएं। दुनिया आर्थिक और सामरिक संसाधनों से भले हीं विश्व का ताकतवर देश बन जाएं।लेकिन ज्ञान विज्ञान की जननी हमारी आध्यात्मिक सोच और हमारी सनातन परम्परा ही जिसने हमे एक नई सोच दिया है।वह कैसे और क्यों..?

 इसको हम आगे क्रमबद्ध तरीका से प्रमाणित करेंगे।और यह भी बताएंगे कि हमारे अध्यात्म और परम्परा से पूरा दुनिया प्रभावित है।हमारी इस शक्ति को दुनिया स्वीकार करती है।

 फिलहाल हम बात शुरू करते हैं जीने की कला से। जिसे हमारे भारतीय परंपरा में कई संत पूरी दुनिया को सीखा रहे है।बात कर रहें गुरु रविशंकर जी की।इन्होंने 

आर्ट ऑफ लिविंग नामक संस्था के माध्यम से लोगों को जीने की कला सीखा रहें हैं।ये सिर्फ भारत ही नही बल्कि दुनिया के कई देशों को इस कला से रूबरू करा रहे हैं।

आज आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित आध्यात्मिक और मानवतावादी नेता हैं। उन्होंने तनाव मुक्त, हिंसा मुक्त समाज के लिए एक अभूतपूर्व विश्वव्यापी आंदोलन का नेतृत्व किया है।

आज हम बात करें हमारे जीवन के आपाधापी,हमारे खान पान,भौतिक संसाधन के पूर्ति के लिए अंधी दौड़ और उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों में एकाग्रता के कमी के कारण परीक्षाओं में असफल होंने फिर डिप्रेशन के शिकार होकर आत्महत्या तक के लिए प्रवृत्त होने के लिए विवश हो जाने।तो ऐसे लोगों से सिर्फ यही कहना है कि आप जीने की कला सीखिए,गुरु रविशंकर जी के ध्यान योग और मोटिवेशनल स्पीच सुनिए और सफलता के सोपान तक पहुंचिए।

आज निसन्देह मेरा व्यक्तिगत मानना है कि हमारी शिक्षा पद्धति क्लासिक ज्यादा,व्यबहारिक कम है।छात्रों में भी तुरंत सफल होकर अपने आकांक्षाओं को पूरा करने की होड़ है।ऐसे में मानस पर अत्यधिक लोड स्वभाविक है।और इस बोझ से विचलन भी समान्य सी बात है।इसके लिए हमे एकाग्रचित होना,अपने मनोस्थिति को मजबूत करना जरूरी है।

इसके लिए योग,प्रणायाम ध्यान और अपने मस्तिष्क को स्थिर कर कुछ क्षण के लिए अपने सारे निगेटिव भाव को भूलने और पॉजिटिव सोच को जागृत करना जरूरी है।अपने मन को स्थिर कर लक्ष्य के ओर केंद्रित करना जरूरी है।और यह सब मेडिटेशन से संभव है।तभी छात्र परीक्षा में सफल हो सकते हैं।