परीक्षा में सफलता के लिए हमें एकाग्रचित होना जरूरी है,और इसके लिए मेडिटेशन एक माध्यम है,जानिए सनातन परंपरा सब कुछ सम्भव है,..कैसे..?
(सनातन डेस्क)
हमारे भारतीय सनातन परंपरा में वह सारा प्रावधान है जिसका हम अनुसरण करें तो हम जीवन से जुड़े सभी समस्याओं का हल निकाल सकते हैं।
हमारी परंपरा हमे जीने की पद्धति सिखाती है,हमारे मनोस्थिति पर नियत्रण का कला बताती है।हमारे पूरे जीवन और बीमारी को नियंत्रित करती है।और अगर हम इसी परंपरा का अनुसरण करें तो हमारा चित स्थिर होगा। हमारे ओजता में चमक आएगी।हम मन से स्वस्थ होंगे,भौतिक काया निरोग होगा ,मन में कलुषित सोच नही आएगी और सफल जीवन,जीयेंगे।
आज हम आधुनिक वैज्ञानिक खोज के कारण जितना आगे बढ़ जाएं। दुनिया आर्थिक और सामरिक संसाधनों से भले हीं विश्व का ताकतवर देश बन जाएं।लेकिन ज्ञान विज्ञान की जननी हमारी आध्यात्मिक सोच और हमारी सनातन परम्परा ही जिसने हमे एक नई सोच दिया है।वह कैसे और क्यों..?
इसको हम आगे क्रमबद्ध तरीका से प्रमाणित करेंगे।और यह भी बताएंगे कि हमारे अध्यात्म और परम्परा से पूरा दुनिया प्रभावित है।हमारी इस शक्ति को दुनिया स्वीकार करती है।
फिलहाल हम बात शुरू करते हैं जीने की कला से। जिसे हमारे भारतीय परंपरा में कई संत पूरी दुनिया को सीखा रहे है।बात कर रहें गुरु रविशंकर जी की।इन्होंने
आर्ट ऑफ लिविंग नामक संस्था के माध्यम से लोगों को जीने की कला सीखा रहें हैं।ये सिर्फ भारत ही नही बल्कि दुनिया के कई देशों को इस कला से रूबरू करा रहे हैं।
आज आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित आध्यात्मिक और मानवतावादी नेता हैं। उन्होंने तनाव मुक्त, हिंसा मुक्त समाज के लिए एक अभूतपूर्व विश्वव्यापी आंदोलन का नेतृत्व किया है।
आज हम बात करें हमारे जीवन के आपाधापी,हमारे खान पान,भौतिक संसाधन के पूर्ति के लिए अंधी दौड़ और उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों में एकाग्रता के कमी के कारण परीक्षाओं में असफल होंने फिर डिप्रेशन के शिकार होकर आत्महत्या तक के लिए प्रवृत्त होने के लिए विवश हो जाने।तो ऐसे लोगों से सिर्फ यही कहना है कि आप जीने की कला सीखिए,गुरु रविशंकर जी के ध्यान योग और मोटिवेशनल स्पीच सुनिए और सफलता के सोपान तक पहुंचिए।
आज निसन्देह मेरा व्यक्तिगत मानना है कि हमारी शिक्षा पद्धति क्लासिक ज्यादा,व्यबहारिक कम है।छात्रों में भी तुरंत सफल होकर अपने आकांक्षाओं को पूरा करने की होड़ है।ऐसे में मानस पर अत्यधिक लोड स्वभाविक है।और इस बोझ से विचलन भी समान्य सी बात है।इसके लिए हमे एकाग्रचित होना,अपने मनोस्थिति को मजबूत करना जरूरी है।
इसके लिए योग,प्रणायाम ध्यान और अपने मस्तिष्क को स्थिर कर कुछ क्षण के लिए अपने सारे निगेटिव भाव को भूलने और पॉजिटिव सोच को जागृत करना जरूरी है।अपने मन को स्थिर कर लक्ष्य के ओर केंद्रित करना जरूरी है।और यह सब मेडिटेशन से संभव है।तभी छात्र परीक्षा में सफल हो सकते हैं।
Jun 27 2024, 09:04