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नौ महीने में पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा श्रीराम मंदिर, रोजाना 1 लाख लोग कर रहे प्रभु श्री राम के दर्शन

 अयोध्या के राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने रविवार को मंदिर निर्माण के कार्यों की समीक्षा की। चल रहे कार्यों का निरीक्षण भी किया। इसके बाद पत्रकारों को बताया कि राम मंदिर के प्रथम तल का निर्माण 90 फीसदी पूरा हो चुका है। आगामी जुलाई तक प्रथम तल पूरी तरह तैयार हो जाएगा। इसके बाद प्रथम तल पर राम दरबार की स्थापना की जाएगी। मार्च 2025 तक परकोटे समेत राम मंदिर का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। मार्च तक निर्मार्ण का कोई काम बाकी नहीं रह जाएगा।  

नृपेंद्र ने बताया कि प्रथम तल पर स्थापित होने वाले राम दरबार की मूर्तियां संगमरमर की होंगी। इसके लिए राजस्थान के चार मूर्तिकारों से बात हुई है। टेंडर भी निकाला जा चुका है। इसी माह के अंत तक टेंडर खुल जाएगा। फिर मूर्ति निर्माण के लिए मूर्तिकार का चयन होगा। भीषण गर्मी के बावजूद रामलला के दरबार में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। रामजन्मभूमि पथ से लेकर मंदिर परिसर तक भक्तों के लिए विभिन्न सुविधाएं विकसित की गई हैं। इस समय रामलला के दरबार में रोजाना एक लाख भक्त दर्शन कर रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब तक करीब दो करोड़ लोग रामलला के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं। पहले दिन की बैठक में राममंदिर निर्माण की प्रगति की समीक्षा व संग्रहालय निर्माण पर मंथन हुआ है।

राम मंदिर में चंदन टीका लगाने व चरणामृत देने पर लगी रोक संबंधित खबर वायरल होने के बाद ट्रस्ट ने इसका खंडन किया है। शनिवार को पहले राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने वायरल खबर का खंडन किया था। साफ कहा था कि राम मंदिर में चंदन टीका व चरणामृत देने पर कोई रोक नही लगाई गई है। अब मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने भी इसको लेकर बयान जारी किया है।

राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक में शामिल होने अयोध्या पहुंचे निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने रविवार को कहा कि चंदन टीका और चरणामृत नहीं दिया जाना है, यह भ्रामक बात है। किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई है। सबसे सामान व्यवहार किया जा रहा है। पहले भी श्रद्धालुओं को चंदन टीका व चरणामृत नहीं दिया जाता रहा है, क्योंकि यह संभव नहीं है। केवल कुछ विशेष लोगों को जो वीआईपी मार्ग से दर्शन करने आते थे, उनको टीका लगा दिया जाता था। टीका व भगवान का जल यानी चरणामृत नहीं दिया जा रहा है, यह कहना पूरी तरह भ्रामक है। किसी प्रकार की नई रोक नहीं लगाई गई है।

रात में कमरे में बुलाते हैं इंस्पेक्टर, कहते हैं मेरे साथ...महिला SI ने इंस्पेक्टर पर लगाए गंभीर आरोप, पुलिस विभाग में मचा हड़कंप

एक इंस्पेक्टर पर महिला एसआई ने गंभीर आरोप लगाया है। महिला दारोगा का कहना है कि रात में इंस्पेक्टर मुझे बुलाते हैं और कहते हैं कि बहुत गर्मी है आज मेरे साथ सो जाओ, विरोध करने पर धमकी देते हैं। आरोप लगने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। आरोपों की जांच में प्रथमदृष्टया मामला सही पाया गया है। इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है। पूरा मामला उत्तर प्रदेश के आगरा का है। आगरा शहर के एत्माद्दौला थाना प्रभारी दुर्गेश कुमार मिश्र पर ट्रेनी महिला दरोगा ने गंभीर आरोप लगाए। आरोप है कि इंस्पेक्टर साहब एसी वाले कमरे पर बुलाते है। कहते है कि गर्मी बहुत है। यही मेरे कमरे पर सोया करो। महिला ट्रेनी महिला दरोगा का आरोप है कि थाना में 17 मार्च को आमद कराई जिसके बाद से ही इंस्पेक्टर लगातार अश्लील कमेंट करते रहते थे। अपने ऑफिस में बैठाकर अश्लील बाते करते है और विरोध करने पर धमकी देते है। आरोप है कि मोबाइल फोन पर अश्लील मैसेज करते है। ट्रेनी महिला दरोगा ने आखिरकार तंग आकर आगरा पुलिस कमिश्नर जे रविंद्र गौड़ से शिकायत की। ट्रेनी महिला दरोगा का आरोप है इंस्पेक्टर रात में कॉल करके कमरे में बुलाते हैं। वहीं ट्रेनी महिला का कहना है कि होली पर तो इंस्पेक्टर ने तो सारी हदें पार कर दी। होली पर अपने ऑफिस में बैठाया और फिर अश्लील बातें करने लगे और फिर पास आ गए। आराेप है कि जबरदस्ती अश्लील हरकतें करने लगे। जिसका विरोध किया तो धमकी देने लगे कहा कि अगर मेरी बात नहीं मानी तो रिपोर्ट लगा दूंगा। नई नौकरी लगी है छूट जाएगी। किसी कुछ भी बताना नहीं। अपने घरवालों से शादी की मना कर दो। मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं जब ट्रेनी महिला दरोगा को छुट्टी पर अपने घर जाना था तो छुट्टी पर भी जाने से मना कर दिया। मेरे मोबाइल की गलत तरीके से लोकेशन निकाली गई। डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि प्रशिक्षु महिला दारोगा ने एत्मादउद्दौला थाना के इंस्पेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसकी लिखित शिकायत भी की गई है। इस शिकायत से पहले महिला दरोगा की भी एक शिकायत मिली थी। दोनों प्रकरण की एसीपी एत्मादपुर सुकन्या शर्मा जांच कर रही हैं। उन्हें दो दिन में रिपोर्ट देनी हैं। एसीपी एत्मादपुर सुकन्या शर्मा की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर इंस्पेक्टर और थाने के एक एसआई को निलंबित कर दिया है।
ED-CBI से NEET की जांच करवाने की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार !

सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को NEET-UG 2024 परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच ED और CBI समेत केंद्रीय जांच एजेंसियों से कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को करे।

याचिकाकर्ता ने NEET-UG विवाद की ED और CBI से जांच कराने और आरोपियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया। 20 जून को शीर्ष अदालत ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में NEET-UG 2024 परीक्षा से संबंधित कथित लीक और कदाचार के सभी मामलों पर रोक लगा दी थी।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है, जिसमें सात उच्च न्यायालयों में सभी NEET से संबंधित याचिकाओं को स्थानांतरित करने और उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में एक साथ सुनवाई के लिए बुलाने की मांग की गई है। पीठ ने उनकी अगली सुनवाई के लिए 8 जुलाई की तारीख तय की है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG 2024 को रद्द करने और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र और NTA को नोटिस जारी किया।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुल 14 याचिकाएं सुनी गईं। इनमें से 10 याचिकाएं 49 छात्रों और 'स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया' नामक छात्र संगठन की ओर से दायर की गई थीं। वहीं, बाकी चार याचिकाएं एनटीए की ओर से दायर की गई थीं। 19 जून को सुप्रीम कोर्ट ने NEET काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कथित पेपर लीक और गड़बड़ी की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश देने से भी इनकार कर दिया था। नीट-यूजी 2024 5 मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी और लगभग 24 लाख उम्मीदवार मेडिकल प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे।

ED-CBI से NEET की जांच करवाने की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार !

सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को NEET-UG 2024 परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच ED और CBI समेत केंद्रीय जांच एजेंसियों से कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को करे। याचिकाकर्ता ने NEET-UG विवाद की ED और CBI से जांच कराने और आरोपियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया। 20 जून को शीर्ष अदालत ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में NEET-UG 2024 परीक्षा से संबंधित कथित लीक और कदाचार के सभी मामलों पर रोक लगा दी थी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है, जिसमें सात उच्च न्यायालयों में सभी NEET से संबंधित याचिकाओं को स्थानांतरित करने और उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में एक साथ सुनवाई के लिए बुलाने की मांग की गई है। पीठ ने उनकी अगली सुनवाई के लिए 8 जुलाई की तारीख तय की है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG 2024 को रद्द करने और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र और NTA को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुल 14 याचिकाएं सुनी गईं। इनमें से 10 याचिकाएं 49 छात्रों और 'स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया' नामक छात्र संगठन की ओर से दायर की गई थीं। वहीं, बाकी चार याचिकाएं एनटीए की ओर से दायर की गई थीं। 19 जून को सुप्रीम कोर्ट ने NEET काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कथित पेपर लीक और गड़बड़ी की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश देने से भी इनकार कर दिया था। नीट-यूजी 2024 5 मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी और लगभग 24 लाख उम्मीदवार मेडिकल प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे।
जहरीली शराब से मौतों के मामले में कमल हासन का बड़ा बयान, पीड़ितों को ही बताया दोषी

#kamal_haasan_says_tamil_nadu_hooch_tragedy_victims_were_careless

मक्कल निधि मैयम (एमएनएन) पार्टी के मुखिया और अभिनेता कमल हासन जहरीली शराब त्रासदी पर दुख जताया है। हालांकि, इस मामले में उन्होंने पीड़ितों पर ही सवाल उठाया है। कमल हासन ने इस मामले में बड़ा बयान देते हुए कहा कि जहरीली शराब त्रासदी के पीड़ितों ने ‘लापरवाही’ बरती और वे ‘अपनी हद पार कर गए थे। बता दें कि कल्लाकुरिची शराब त्रासदी में 56 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है।

एमएनएन प्रमुख और अभिनेता कमल हासन ने रविवार को कल्लकुरिची अवैध शराब मामले के पीड़ितों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने जहरीली शराब से मौतों के मामले में पीड़ितों पर ही सवाल उठा दिया और उन्होंने पीड़ितों को लापरवाह बताया। उन्होंने कहा कि मामले में पीड़ित शराब पीने में लापरवाह थे। कमल हासन ने आगे कहा कि इन पीड़ितों को समझना होगा कि उन्होंने अपनी सीमा पार कर ली है और वे लापरवाह हैं। उन्हें सावधान रहना होगा। उन्हें अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना होगा। 

मीडिया से बातचीत में हासन ने सरकार से अपील भी। उन्होंने कहा कि मेरा सरकार से अनुरोध है कि वे मनोरोग केंद्र बनाएं, जो उन्हें परामर्श देंगे। उन्हें कभी-कभार शराब पीनी चाहिए, अगर पीना है तो सामाजिक तौर पर, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि किसी भी रूप में सीमा पार करना चाहे वह चीनी हो या कुछ और बुरा है।

केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ किया कड़ी कार्रवाई का फरमान जारी, 9.15 बजे के बाद पहुंचे ऑफिस तो कटेगी आधे दिन की सैलरी

डेस्क: केंद्र सरकार ने देर से ऑफिस आने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का फरमान जारी कर दिया है. देर से आने वालों पर नकेल कसते हुए केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने अधिकतम 15 मिनट की देरी को माफ करने का फैसला किया है. विभाग ने देश भर के कर्मचारियों को सुबह 9.15 बजे तक ऑफिस में आने और अपनी हाजिरी दर्ज कराने का निर्देश दिया है. वरिष्ठ अधिकारियों सहित सभी कर्मचारियों को बायोमेट्रिक हाजिरी सिस्टम का उपयोग करने के लिए कहा गया है. जिसका उपयोग उनमें से कई चार साल पहले कोविड प्रकोप के बाद से ही नहीं कर रहे हैं.

कर्मचारियों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे सुबह 9.15 बजे तक कार्यालय नहीं आते हैं तो उनका आधा दिन का आकस्मिक अवकाश काट लिया जाएगा. केंद्र सरकार के सरकुलर में कहा गया है कि ‘किसी भी कारण से, अगर कर्मचारी किसी विशेष दिन कार्यालय में उपस्थित नहीं हो पाता है, तो उसे पहले से सूचित किया जाना चाहिए और आकस्मिक अवकाश के लिए आवेदन किया जाना चाहिए.’

साथ ही कहा गया है कि अधिकारी अपने अनुभागों में कर्मचारियों की उपस्थिति और समय की पाबंदी की निगरानी करेंगे. केंद्र सरकार के कार्यालय सुबह 9 बजे से शाम 5.30 बजे तक खुले रहते हैं, लेकिन जूनियर स्तर के कर्मचारियों का देर से आना और जल्दी चले जाना सामान्य बात है. जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में लगे कर्मचारी भी शामिल हैं, जिससे लोगों को असुविधा होती है. वहीं वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं उनके लिए काम के कोई निश्चित घंटे नहीं, हम काम घर भी ले जाते हैं.

वरिष्ठ अधिकारियों की शिकायत है कि उनके पास कोई निश्चित कार्यालय समय नहीं है क्योंकि वे आमतौर पर शाम 7 बजे के बाद निकलते हैं. इसके अलावा उनका तर्क है कि कोविड के बाद इलेक्ट्रॉनिक फाइलों तक पहुंच के साथ वे अक्सर छुट्टियों या सप्ताहांत में घर से ही काम करते हैं. 2014 में कार्यालय आने के तुरंत बाद मोदी सरकार ने कार्यालय के समय को लागू करने की मांग की थी. जिसका कर्मचारियों ने विरोध किया था, जिनमें से कई ने तर्क दिया था कि वे लंबी दूरी तय करते हैं.

सोनाक्षी सिन्हा

सोनाक्षी सिन्हा

BJP MP Sambit Patra says

The pro-tem Speaker is appointed through a convention, not a law... It is a long convention going on in India since independence. Now, Congress is trying to disturb this process.

Bhartruhari Mahtab is serving as an MP consecutively for the seventh time. The convention says that the MP having the longest period of unbroken service can be appointed as pro-tem Speaker. So, in this 18th Lok Sabha, Bhartruhari Mahtab qualifies to become the pro-tem Speaker.

As far as (Congress MP) K Suresh is concerned, he has served as an MP 8 times non-consecutively. It is the 4th consecutive term of K Suresh. However, it is the 7th consecutive term of Bhartruhari Mahtab. So, there has been no breach of convention."

Jodhpur Police is using drones for surveillance to identify the rioters & locate stones placed on the rooftops.

VioIence erupted in Jodhpur on 21st June after radicals tried to open second gate of Eidgah in front of a Hanuman Mandir. A Hindu woman has lost vision in one of her eyes. A shop and a tractor were set ablaze during the vioIence. Several police officials also sustained injuries.

एनटीए परीक्षाओं की निगरानी के लिए इसरो के पूर्व अध्यक्ष की अध्यक्षता में बनी समिति, जानें कौन हैं डॉ के राधाकृष्णन?

#committeetooverseentaexaminationsledbyformerisro_chairman

नीट पेपर लीक और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है। इस बीच केन्द्र सरकार ने परीक्षा सुधारों पर सुझाव देने और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के कामकाज की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय पैनल का गठन किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का उच्च स्तरीय पैनल आज यानी सोमवार को बैठक करेगा। समिति को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। जिन सुधारों की सिफारिश की गई है उन्हें अगले परीक्षा चक्र तक लागू किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए पूर्व इसरो अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इस समिति में डॉ. राधाकृष्णन सहित सात सदस्य शामिल हैं। समिति के कार्यक्षेत्र में परीक्षा प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश करना, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाना तथा एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली में सुधार करना शामिल है।

ऐसे का करेगी समिति

एनटीए की संरचना एवं कार्यप्रणाली के लिए उच्चस्तरीय समिति को सबसे पहले प्रत्येक स्तर पर पदाधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होगा। इसके बाद एनटीए की वर्तमान शिकायत निवारण प्रणाली का आकलन कर और सुधार के क्षेत्रों की पहचान कर इसकी कार्यकुशलता बढ़ाने की भी सिफारिशें देनी होंगी। समिति किसी भी विषय विशेषज्ञ की मदद ले सकती है।

समिति में शामिल हैं ये लोगः-

1. डॉ. के. राधाकृष्णन (पूर्व अध्यक्ष, इसरो)

2. डॉ. रणदीप गुलेरिया (पूर्व एम्स निदेशक)

3. प्रो. बी.जे. राव (कुलपति, हैदराबाद विश्वविद्यालय)

4. प्रो. राममूर्ति के. (आईआईटी मद्रास)

5. पंकज बंसल (सह-संस्थापक, पीपलस्ट्रॉन्ग, और बोर्ड सदस्य, कर्मयोगी भारत)

6. आदित्य मित्तल (डीन, छात्र मामले, आईआईटी दिल्ली)

7. गोविंद जायसवाल (संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय)

कौन हैं डॉ. राधाकृष्णन ?

डॉ. राधाकृष्णन अकादमिक सुधारों के लिए मौजूदा सरकार के पसंदीदा शख्स रहे हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित कई समितियों का नेतृत्व किया है। डॉ. राधाकृष्णन एक मशहूर वैज्ञानिक हैं। जो भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1971 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से डॉ. राधाकृष्णन ने अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) प्रोजेक्ट में अहम जिम्मेदारी निभाई। डॉ. राधाकृष्णन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में बतौर डायरेक्टर भी रह चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में इसरो ने मंगलयान मिशन को पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंचाया था। डॉ. राधाकृष्णन ने डॉ. जी माधवन नायर के रिटायरमेंट के बाद इसरो का अध्यक्ष पद संभाला। जहां उनकी पहली प्राथमिकता जीएसएलवी के लिए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन को तैयार करना था।

2009 से 2014 तक डॉ. राधाकृष्णन इसरो के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने चंद्रयान-1 मिशन, मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) और जीसैट श्रृंखला के उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विभिन्न क्षेत्रों में अहम योगदान दिया, जिसमें सैटेलाइट संचार, रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष विज्ञान शामिल हैं। अपने कार्यों के लिए डॉ. राधाकृष्णन को साल 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व और वैज्ञानिक योगदान के लिए उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।

इससे पहेल शुक्रवार को केंद्र सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनियमितताओं पर लगाम लगाने के उद्देश्य से एक सख्त कानून लागू किया। यह नया कानून परीक्षाओं की ईमानदारी और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है, जो शैक्षणिक और व्यावसायिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें धोखाधड़ी और अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर दंड शामिल हैं। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले अपराधियों को अधिकतम 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, कानून में भारी जुर्माना भी लगाया गया है, जिसकी अधिकतम सजा 1 करोड़ रुपये तक है।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को मंजूरी दिए जाने के लगभग चार महीने बाद, कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार रात एक अधिसूचना जारी की, जिसमें घोषणा की गई कि कानून के प्रावधान 21 जून से लागू होंगे।