भारत की सॉफ्ट पावर बनाम हार्ड पावर कूटनीति
#india's_soft_power_vs_hard_power_diplomacy
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत कई दशकों से महाशक्ति का दर्जा पाने की कोशिश में लगा हुआ है। हाल के सालों में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। दुनियाभर के देशों में भारत की धमक देखी जा रही है। हाल ही में इटली में संपन्न जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने वैश्विक नेताओं का स्वागत किया। इसमें उन्होंने दो नेताओं का स्वागत नमस्ते के जरिए किया, जिसकी चर्चा अब पूरी दुनिया में हो रही है। इटली की पीएम मेलोनी ने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज और यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन को नमस्ते किया। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ इसे भारत की सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी बता रहे हैं।
पाकिस्तानी पत्रकार कमर चीमा ने कहा, 'भारत की सॉफ्ट पावर अब ग्लोबल लेवल पर जा रही है। जॉर्जिया मेलोनी नमस्ते से यूरोपीय यूनियन के नेता का स्वागत करती हैं जो बहुत कुछ दिखाता है।'चीमा ने आगे कहा, 'कोविड के जमाने में भारत ने नमस्ते प्रमोट किया क्योंकि ये वायरस को ट्रांसफर नहीं करता। इसी लिए दुनिया भी नमस्ते करे।' उन्होंने आगे कहा, 'मेलोनी एक दक्षिणपंथी नेता हैं। अगर आज वो नमस्ते कर रही हैं तो इसमें इंडिया की सॉफ्ट पावर का रोल है। पिछले 10 साल में सॉफ्ट पावर हर तरह से भारत ने बढ़ाई है। चाहे वह योग हो या बॉलीवुड।' उन्होंने आगे कहा कि भारत के पीएम या मंत्री जहां जाते हैं उन्हें सम्मान मिलता है। लेकिन पाकिस्तानी डरे रहते हैं।उन्होंने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी के जी-7 में पहुंचे से पहले मेलोनी ने उनकी सॉफ्ट पावर को एक्टिवेट कर दिया है।
सॉफ्ट पावर क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में महत्वपूर्ण साधन हैं। दक्षिण एशिया में इनकी विशेष प्रासंगिकता है। संस्कृति और सांस्कृतिक कूटनीति, आपसी संबंधों को जोड़ने, द्विपक्षीय संबंध बनाने और इतिहास और राजनीति द्वारा बनाए गए उत्साह को ठीक करने की शक्ति के रूप में उभरी है। इस तरह की प्रक्रिया को परिपक्व होने में समय लग सकता है क्योंकि हमारे कुछ पड़ोसी राज्यों और सीमाओं के पार सांस्कृतिक संपर्क को लेकर आशंकित हैं। हालाँकि, जहाँ तक भारत का सवाल है, यह प्रक्रिया जारी है और जारी रहेगी। इंटरनेट, सोशल नेटवर्किंग साइट्स, हमारे टेलीविज़न चैनल, भारतीय फ़िल्में, विशेष रूप से बॉलीवुड, और प्रशंसित संगीत और सांस्कृतिक मंडलियों और थिएटर समूहों की यात्राओं ने सीमाओं के पार सांस्कृतिक संपर्क में योगदान दिया है।
मोदी सरकार ने विदेशों में भारत की छवि सुधारने के लिए कई सॉफ्ट पावर पहल की हैं। उदाहरण के लिए, मेक इन इंडिया घरेलू विनिर्माण और विकास को प्रोत्साहित करता है। इस बीच, स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य खुले में शौच को समाप्त करना और स्वच्छता में सुधार करना है। 'आत्मनिर्भर भारत'। यह मोदी सरकार की भारत को विश्व अर्थव्यवस्था में अधिक कुशल, प्रतिस्पर्धी और लचीला बनाने की योजनाओं के लिए एक व्यापक अवधारणा है।
2014 से मोदी सरकार ने सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए संसाधनों और परियोजनाओं में पर्याप्त निवेश किया है। इनमें विदेशों में दूतावासों की संख्या बढ़ाना, आसियान, बिम्सटेक और सार्क जैसे क्षेत्रिय समूहों के साथ संबंधो को पुनर्जीवीत करना, लुक ईस्ट पॉलिसी, एक्ट ईस्ट पॉलिसी और नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के माध्यम से पूर्वी और दक्षिण एशियाई देशों के साथ रणनीतिक, सांस्कृतिक, कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाना शामिल है। हालांकि, इन सभी का उद्देश्य मजबूत अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा देना है जो भारत के लिए वाणिज्यिक और रणनीतिक लाभों में तब्दील होंगे।
वहीं, भारत का बढ़ता सैन्य और आर्थिक कद और उसके बाजार की संभावनाएं उसके हार्ड पावर को भी दर्शाती है। सभी जानते हैं कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्दी ही वह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार अमेरिकी अर्थव्यवस्था के 15 फीसदी के बराबर है लेकिन वैश्विक वृद्धि में उसका योगदान अमेरिकी योगदान के 60 फीसदी के बराबर है क्योंकि वह चार गुना तेजी से वृद्धि हासिल कर रहा है।
भारत की सेना भी मायने रखती है, खासतौर पर हिंद महासागर में जहां उसे एक दर्जन अमेरिकी पोसेडियन विमानों तथा 31 सी गार्डियन ड्रोन्स की निगरानी और हमलावर क्षमता मिल जाए तो वह चीन की लगातार बढ़ती नौसेना का मुकाबला कर सकती है। भारत का रक्षा बजट दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रक्षा बजट है और यह दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा आयातक है।
कई पश्चिमी कंपनियों को भारत में सुखद भविष्य नजर आता है। उदाहरण के लिए जनरल इलेक्ट्रिक जो हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स के साथ मिलकर भारत में तेजस मार्क 2 के लिए इंजन बनाएगी और फ्रांस की दसॉ कंपनी को 50 से अधिक नए राफेल विमानों का ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। इनमें से आधे से अधिक नए विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए होंगे।
यही नहीं, भारत बिना किसी दबाव में आए रूसी तेल खरीदते हुए पश्चिमी देशों को धता बता सकता है, उसके अधिनायकवादी और अल्पसंख्यक विरोधी रुख को लेकर पश्चिमी चिंताओं की अनदेखी कर सकता है और अब तक जिन प्रमुख अंतरराष्ट्रीय क्लबों से उसे बाहर रखा गया धीरे-धीरे उनमें शामिल हो सकता है।
अभी हाल ही में तीसरी बार नरेन्द्र मोदी ने बारत के प्रधानमं6 पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में भारत के सात पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को न्योता भेजा गया। यहां गौर करने वाली बात ये है कि चीन और पाकिस्तान को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया।
ऐसे में कहा जा सकता है कि जहां योग, प्रवासियों तथा सॉफ्ट पावर का प्रदर्शन कर भारत ने अपनी शक्तियां बढ़ाई हैं, वहीं इस रिश्ते को आगे ले जाने वाला कारक हार्ड पावर है। सॉफ्ट पावर इसमें योगदान करती है।
Jun 17 2024, 19:31