विश्लेषण: झारखंड में इंडी गठबंधन शासन का पांच साल,क्या आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए सही है उनका रिपोर्ट कार्ड...? (भाग -1)
(विनोद आनंद)
लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुआ।चुनाव परिणाम भी सामने आए इस चुनाव में इंडी गठबंधन ने पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन कर कुछ सीटें हासिल की। लेकिन क्या यह सफलता आगामी विधानसभा चुनाव में भी हासिल होगी।यह मंथन का विषय है।साथ ही हम यहां विश्लेषण करेंगे कि जनता के बीच उनका रिपोर्ट कार्ड में कितना उपलब्धि और कितनी विफलता है जिसके सहारे आगामी विधानसभा में जनता इन्हें अपना मत देकर फिर एक बार मौका दे सकती है।
क्योंकि लोकसभा चुनाव केंद्र सरकार के कार्य,उसकी नीति और जनता के अपेक्षाओं पर सरकार कितना उतर पायी इसके मूल्यांकन के आधार पर जनता तय करती है। वहीं राज्य के सरकार चुनने के लिए जनता राज्य सरकार के कार्यों का मूल्यांकन करती है। विधान सभा चुनाव में जनता का का मतदान होगा झारखंड सरकार का काम- काज पर। राज्य सरकार के काम काज से वह कितना संतुष्ट है इस पर निर्भर करेगा कि वह किसे मतदान करें।
झामुमो के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार का कार्यकाल पांच साल पूरा होने जा रहा है।ऐसे हालात में अब मौजूदा सरकार को अगली रणनीति अपने कार्य और उपलब्धि के हिसाब से तय करनी होगी और जनता के बीच इसी मुद्दा को लेकर जाना होगा।
झामुमो के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार का कार्यकाल पांच साल पूरा होने जा रहा है।ऐसे हालात में अब मौजूदा सरकार को अगली रणनीति अपने कार्य और उपलब्धि के हिसाब से तय करनी होगी और जनता के बीच इसी मुद्दा को लेकर जाना होगा।
इसके लिए यहां झामुमो के पांच साल के उसके कार्य और नीति का विश्लेषण और किस क्षेत्र में सरकार सफल रही और कौन सा वजह है जो उसके लिये निगेटिव रहा इसका विश्लेषण जरूरी हो जाता है।
वैसे झारखंड का दुर्भाग्य रहा है कि राज्य गठन के बाद लगातार कई वर्षों तक यहां स्पष्ट जनादेश जनता ने नही दिया इसलिए सरकार यहां स्थिर नही रही।इसीलिए संसाधन से परिपूर्ण इस राज्य के विकास का रफ्तार जो होना चाहिए वह भी नही हुआ।जबकी इसके साथ ही उत्तराखंड और छतीसगढ़ राज्य भी बने। आज छतीसगढ़ में औधोगिक विकास हुआ।रोजगार का अवसर खुला।झारखंड में राज्य गठन के बाद जो भी हुआ उसे ठीक तो नही कहा जा सकता लेकिन पिछले 10 साल में स्पष्ट जनादेश की दो सरकारें आयी इसके पूर्व भाजपा के रघुवर दास के नेतृत्व में पांच साल सरकार चली और वर्तमान में झामुमो के नेतृत्व में सरकार चल रही है।इन दो सरकार के कार्यकाल जनता के कसौटी पर कितना खड़ा उतरा और राज्य के विकास और स्वच्छ प्रशासन के दिशा में सरकार कितना स्पष्ट नीति बना पायी इसका मूल्यांकन के अनुसार ही जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करती रही है।
पूर्ण बहुमत के साथ गुजरा सरकार का पांच साल
वैसे दूसरी बार झारखंड में हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी।इस लिए विकास के गुंजाइस पूरी तरह थी।अब मौजूदा सरकार इन पांच सालों में कुछ प्रयास जरूर किया जिस से राज्य में विकास की संभावनाएं जगी।
उसमे सरकार की कई योजनाएं ऐसी थी जिसका प्रयोग पहली बार हो रहा था।जो जनता के लिए बिल्कुल नया और उम्मीदों भरा था। ऐसी योजनाओं में आप के द्वार आपकी सरकार थी।इस योजनाओं के तहत सरकार के प्रतिनिधि पंचयत स्तर तक जनता के बीच आयी और उनकी समस्याएं सुनी, बहुत हद तक उनकी समस्याओं का समाधान किया।उनके बीच उनके जीवन स्तर सुधारने के लिए राशि का सीधा वितरण किया।
इस पहल के पीछे सरकार की मंशा रही की जो भी योजनाएं जनता को दी जा रही है वह सीधा जनता तक पहुंचे। बीच मे कोई विचौलिया नही हो।बहुत हद तक यह योजना सफल रही। लोगों को लाभ मिला।सरकार की इस योजना को लेकर प्रशंसा भी हुई।
वैश्विक आपदा में कुशल प्रबंधन
हेमंत सरकार जब सत्ता में आयी उस समय सरकार के खजाना में बहुत कम पैसा था।जिसका खुलसा हेमंत सरकार ने सत्ता संभालते ही किया। लेकिन इसके वाबजूद कुशलता पूर्वक सरकार नें सत्ता का प्रबंधन किया और स्थिति संभाली।
दुर्भाग्यवश वह भयानक दौर भी था। वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी का फैलाव हो रहा था।चारो तरफ मौत का तांडव जारी था।अस्पतालों के बाहर लम्बी कतारें लगी थी।ऑक्सीजन और दवा के बिना लोग तड़प तड़प कर मर रहे थे।ऐसे दौर में विकास के सारे कार्य ठप्प हो गयी। सरकार की प्राथमिकता लोगों को जान बचाना,इलाज की व्यवस्था करना था।इस दौर में हेमंत सरकार की प्रबंधन कुशल प्रबधन के रूप में देखी गयी। इलाज की व्यबस्था और यथा सम्भव कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुव्यवस्थित तरीका से किया गया। लॉक डाउन के समय झारखंड के प्रवासी मज़दूर जहाँ भी फंसे थे उन्हे अपने घर लाने के लिए हेमंत सरकार ने जो मानवीय पहल किया और राज्यों से वेहतर थी।जिसके करण अपनी सरकार पर वहाँ जानता का भरोसा बढ़ा।इन परिस्थिति से निकलने के बाद सरकार बेहतर काम करने का प्रयास किया।
पुरानी पेंशन योजना लागू
वर्ष 2004 में अटल जी ने सरकारी कर्मचारी की पेंशन योजना को बंद कर नई पेंशन योजना बहाल की जिसको लेकर् कर्मचारियों में आक्रोश था। सरकार इसे अतिरिक्त बोझ बताते हुए 2003 के बाद जितनी बहाली हुई है उसे पहले से चली आ रही पेंशन की वैसी सुविधा नही मिलेगी जो सुविधा पहले के कर्मचारी को मिल रही थी।उसके लिए नई व्यवस्था लागू की गयी।कर्मचारियों में इसको लेकर आक्रोश था।जिसको देखते हुए कई राज्य सरकार ने इसे पुन:बहाल किया। हेमंत सरकार ने भी इस योजना को पुन:बहाल कर दिया जिससे कर्मचारी में खुशी है।
राष्ट्रीय राजनीति में हेमंत सोरेन की धमक
स्पष्ट जनादेश मिलने के वाद हेमंत सोरेन ने जिस कूटनीति का अनुसरण किया वह एक सफल राजनीतिज्ञ की पहचान थी।उन्होंने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री,गृह मंत्री,राष्ट्रपति तथा अन्य नेताओं से मिले।इस औपचारिकता को भले ही साधारण घटना माना गया लेकिन सियासी गलियारी में इसको लेकर कई मायने रहे।इस बीच हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्य मंत्री के रूप मैन देश में एक मज़बूत चेहरा के रुप में पहचान बनायी।नक्सल विरोधी अभियान
हेमंत सोरेन के शासन काल मे नक्सलियों के विरुद्ध लगातार अभियान चलाये गये। सरकार की मंशा रही कि या तो नक्सली के रुप मे भटके झारखंड के युवा मुखधारा में वापस लौटे या पुलिस कार्रवाइ के लिए तैयार रहे। सरकार को इसमें पर्याप्त सफलता भी मिली। कई लोगों ने आत्मसमर्पण किया। कई लोग मुठभेड़ में मारे गये।कई लोग पकड़े भी गये। इसका परिणाम हुआ कि बहुत हद तक झारखंड का कई क्षेत्र नक्सली के दहशत से मुक्त हुए। हलाकि पूर्ण रूपेण राज्य को नक्सली आतंक से मुक्ति नही मिली लेकिन बहुत हद तक इस पर अंकुश लगा है। झारखंड की मौज़ूदा सरकार की यह बड़ी उपलब्धि माना जा रहा हप्रतिभाओं को उच्चतर शिक्षा के लिए प्रोत्साहन
हेमंत सरकार को एक और पहल को काफी सराहा गया वह है वह है प्रतिभाशाली छात्रों को छात्रवृत्ति देकर उच्चत्तर शिक्षा के लिए विदेश भेजना।हेमन्त सोरेन ने इसके लिए योजना बनाई और कई गरीब आदिवासी बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजानोट-आगामी एपिशोड में पढ़े मौजूदा सरकार का वह पक्ष जिससे सरकार बैकफुट पर चली गयी और आज राज्य के पूर्व सीएम सहित कई लोग जेल में ह।
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Jun 13 2024, 13:06