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संसद की सुरक्षा में एक बार फिर सेंध लगाने की कोशिश, सीआईएसएफ ने 3 मजदूरों को किया गिरफ्तार

#parliament_security_breach_case_3_people_held_by_cisf 

देश की संसद में एक बार फिर सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश हुई है। मंगलवार को सीआईएसएफ के जवानों ने तीन संदिग्ध लोगों को पकड़ा है जो कि फर्जी आधार कार्ड के जरिए पार्लियामेंट में घुसने की कोशिश कर रहे थे। तीनों ने एक ही आधार कार्ड का उपयोग करके संसद भवन में एंट्री ली थी। तीनों को फिलहाल गिरफ्तार में लेकर जांच की जा रही है। 

संसद भवन के अधिकारियों ने गुरुवार को इस बात की जानकारी देते हुए बताया है कि पार्लियामेंट के गेट नंबर तीन से अंदर घुसने की कोशिश की थी। यहां तैनात सीआईएसएफ जवानों को तीनों के आधार कार्ड पर शक हुआ। जब जांच की गई तो पता चला कि तीनों आधार कार्ड फर्जी हैं। दर्ज एफआईआर के मुताबिक 4 जून के दोपहर करीब 1.30 बजे फर्जी तरीके से संसद में संदिग्ध लोगों ने घुसने की कोशिश की है।

दिल्ली पुलिस ने बताया कि इनकी पहचान कासिम, मोनिस और शोएब के रूप में हुई है। तीनों पर जालसाजी और धोखाधड़ी से संबंधित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।

बता दें कि नए संसद भवन की सिक्योरिटी का जिम्मा इससे पहले दिल्ली पुलिस के जिम्मे था, लेकिन हाल ही में इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंपी गई है। सीआईएसएफ के अधिकारियों ने बताया कि पार्लियामेंट कॉम्प्लेक्स में जिन तीन मजदूरों ने घुसने की कोशिश की है वह कंस्ट्रक्शन कंपनी दी वी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के जरिए भर्ती किए गए थे। तीनों मजदूरों को पार्लियामेंट के सांसद लॉन्ज में कंस्ट्रक्शन काम करने के लिए भर्ती किया गया था।

पिछले साल ही 13 दिसंबर को सुरक्षा में सेंधमारी की बड़ी घटना सामने आई थी। पिछले साल 13 दिसंबर को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग सदन के भीतर कूद गये थे। दोनों ने केन के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया था। इस दौरान ही नीलम आजाद और शिंदे ने संसद परिसर में नारे लगाए। इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

एनडीए की बैठक आज, चंद्रबाबू बाबू ने सभी टीडीपी सांसदों को शामिल होने की दरखास्त | जानिए इससे जुडी 10 बातें

लोकसभा चुनाव के नतीजों के कुछ दिनों बाद, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन या एनडीए के नवनिर्वाचित सांसद शुक्रवार, 7 जून को नई दिल्ली में बैठक कर नरेंद्र मोदी को अपना लीडर घोषित करने की संभावना है। तेलुगु देशम पार्टी के सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू ने कथित तौर पर सभी पार्टी सांसदों को नई दिल्ली में एनडीए की बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया है। एनडीए के नेता के रूप में चुने जाने के बाद, नरेंद्र मोदी रविवार, 9 जून को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल के लिए पद की शपथ लेंगे। **नई दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की बैठक के बारे में शीर्ष अपडेट** 1. टीडीपी के एन चंद्रबाबू नायडू गुरुवार को नई दिल्ली के लिए रवाना हुए और एनडीए की बैठक में भाग लेने के लिए तैयार हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई ने टीडीपी के सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि चंद्रबाबू नायडू के नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए 9 जून तक नई दिल्ली में रहने की उम्मीद है। 2. एनडीए सांसदों के नेता के रूप में नरेंद्र मोदी के चुनाव के बाद, जनता दल (यूनाइटेड) के चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार जैसे गठबंधन के वरिष्ठ सदस्य राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ बैठक के लिए प्रधानमंत्री के साथ शामिल होंगे और उन्हें उनका समर्थन करने वाले सांसदों की सूची सौंपेंगे। 3. पीटीआई ने बताया कि मोदी सप्ताहांत में, संभवतः रविवार को शपथ ले सकते हैं। एनडीए के पास 293 सांसद हैं, जो 543 सदस्यीय लोकसभा में 272 के बहुमत के आंकड़े से काफी ऊपर है। 4. केंद्र में एनडीए सरकार के गठन में 16 सांसदों के साथ 'किंगमेकर' के रूप में उभरी टीडीपी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना है, पार्टी प्रवक्ता ने गुरुवार को पीटीआई को बताया। 5. टीडीपी राजस्व की कमी वाले आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जा भी मांगेगी, जिसने 2014 में राज्य के विभाजन के दौरान आईटी दिग्गज हैदराबाद को तेलंगाना में खो दिया था दिवंगत टीडीपी नेता जीएमसी बालयोगी उस समय लोकसभा के अध्यक्ष थे जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। हालांकि, 2002 में आंध्र प्रदेश में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। 7. शिवसेना सूत्रों के अनुसार, अपने बेटे और तीन बार के सांसद श्रीकांत शिंदे के बजाय, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे चाहते हैं कि अन्य वरिष्ठ सांसदों को मंत्री पद के लिए विचार किया जाए। 8. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो शुक्रवार सुबह दिल्ली में अपनी पार्टी के 12 सांसदों से मिलेंगे, चार मंत्री पद और राज्य के लिए विशेष दर्जा की मांग कर सकते हैं, जहां एनडीए ने प्रस्तावित 40 लोकसभा सीटों में से 30 पर जीत हासिल की है। 9. बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए, जेडी(यू) के वरिष्ठ नेता और बिहार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा, “जेडी(यू) एनडीए का हिस्सा है और इसके साथ रहेगा। लेकिन, बिहार की वित्तीय स्थिति और अर्थव्यवस्था से संबंधित जेडी(यू) की कुछ मांगें हम बिहार के लिए एससीएस की अपनी मांग पर कायम हैं।'' 10. गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने की तैयारी करते हुए, मोदी ने 5 जून को सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों की एक बैठक की अध्यक्षता की, जिन्होंने सर्वसम्मति से उन्हें अपना नेता चुना।
राहुल गांधी आज बेंगलुरु की अदालत में पेश होंगे। क्या है मानहानि का मामला?


कांग्रेस नेता राहुल गांधी शुक्रवार, 7 जून को बेंगलुरु की एक विशेष अदालत में पेश होंगे। यह मामला कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी द्वारा मुख्यधारा के समाचार पत्रों में कथित रूप से अपमानजनक विज्ञापन जारी करने के लिए दायर मानहानि के मामले में है। राहुल गांधी को सुबह-सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर बेंगलुरु के लिए रवाना होते हुए देखा गया। अदालत ने राहुल गांधी को 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यधारा के समाचार पत्रों में कथित रूप से अपमानजनक विज्ञापन प्रकाशित करने के संबंध में कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे के संबंध में 7 जून को अदालत में पेश होने के लिए कहा है। सुबह 10:30 बजे अदालत में पेश होंगे राहुल गांधी कर्नाटक कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी सुबह 10:30 बजे सिटी सिविल कोर्ट में पेश होंगे। इसके बाद, वह सुबह 11:30 बजे क्वींस रोड स्थित भारत जोड़ो भवन में राज्य से कांग्रेस के नवनिर्वाचित सांसदों और पराजित उम्मीदवारों से मुलाकात करेंगे। पार्टी की राज्य इकाई के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी मौजूद रहेंगे। राहुल गांधी के खिलाफ क्या मामला है? पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले विज्ञापन में कर्नाटक की भाजपा सरकार पर 2019-2023 के कार्यकाल के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। जून 2023 में दायर भाजपा की शिकायत में दावा किया गया था कि 5 मई, 2023 को कर्नाटक के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों में झूठे और लापरवाह आरोप लगाए गए थे। "भ्रष्टाचार दर कार्ड" शीर्षक वाले इन विज्ञापनों में भाजपा की बसवराज बोम्मई सरकार पर "40 प्रतिशत कमीशन सरकार" होने का आरोप लगाया गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि ये विज्ञापन कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी की राज्य इकाई द्वारा अपने अध्यक्ष शिवकुमार और विधानसभा में तत्कालीन विपक्ष के नेता सिद्धारमैया के माध्यम से जारी किए गए थे। इसमें यह भी बताया गया कि राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस "अपमानजनक विज्ञापन" को शेयर किया है। 1 जून को, अदालत ने सिद्धारमैया और शिवकुमार को मामले के सिलसिले में पेश होने के बाद जमानत दे दी। न्यायाधीश के एन शिवकुमार ने राहुल गांधी की व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए 7 जून की तारीख तय की। सुनवाई के दौरान, गांधी के वकील ने उपस्थिति से छूट का अनुरोध किया, जिसका शिकायतकर्ता पक्ष ने विरोध किया और बार-बार छूट दिए जाने के खिलाफ तर्क दिया।
राहुल गांधी आज बेंगलुरु की अदालत में पेश होंगे। क्या है मानहानि का मामला?


कांग्रेस नेता राहुल गांधी शुक्रवार, 7 जून को बेंगलुरु की एक विशेष अदालत में पेश होंगे। यह मामला कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी द्वारा मुख्यधारा के समाचार पत्रों में कथित रूप से अपमानजनक विज्ञापन जारी करने के लिए दायर मानहानि के मामले में है। राहुल गांधी को सुबह-सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर बेंगलुरु के लिए रवाना होते हुए देखा गया। अदालत ने राहुल गांधी को 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यधारा के समाचार पत्रों में कथित रूप से अपमानजनक विज्ञापन प्रकाशित करने के संबंध में कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे के संबंध में 7 जून को अदालत में पेश होने के लिए कहा है। सुबह 10:30 बजे अदालत में पेश होंगे राहुल गांधी कर्नाटक कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी सुबह 10:30 बजे सिटी सिविल कोर्ट में पेश होंगे। इसके बाद, वह सुबह 11:30 बजे क्वींस रोड स्थित भारत जोड़ो भवन में राज्य से कांग्रेस के नवनिर्वाचित सांसदों और पराजित उम्मीदवारों से मुलाकात करेंगे। पार्टी की राज्य इकाई के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी मौजूद रहेंगे। राहुल गांधी के खिलाफ क्या मामला है? पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले विज्ञापन में कर्नाटक की भाजपा सरकार पर 2019-2023 के कार्यकाल के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। जून 2023 में दायर भाजपा की शिकायत में दावा किया गया था कि 5 मई, 2023 को कर्नाटक के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों में झूठे और लापरवाह आरोप लगाए गए थे। "भ्रष्टाचार दर कार्ड" शीर्षक वाले इन विज्ञापनों में भाजपा की बसवराज बोम्मई सरकार पर "40 प्रतिशत कमीशन सरकार" होने का आरोप लगाया गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि ये विज्ञापन कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी की राज्य इकाई द्वारा अपने अध्यक्ष शिवकुमार और विधानसभा में तत्कालीन विपक्ष के नेता सिद्धारमैया के माध्यम से जारी किए गए थे। इसमें यह भी बताया गया कि राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस "अपमानजनक विज्ञापन" को शेयर किया है। 1 जून को, अदालत ने सिद्धारमैया और शिवकुमार को मामले के सिलसिले में पेश होने के बाद जमानत दे दी। न्यायाधीश के एन शिवकुमार ने राहुल गांधी की व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए 7 जून की तारीख तय की। सुनवाई के दौरान, गांधी के वकील ने उपस्थिति से छूट का अनुरोध किया, जिसका शिकायतकर्ता पक्ष ने विरोध किया और बार-बार छूट दिए जाने के खिलाफ तर्क दिया।
राम मंदिर स्थापना के बाद भी अयोध्या में बीजेपी की क्यों हुई हार?*
#why_bjp_lost_ayodhya

यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए काफी खराब है। इस चुनाव में बीजेपी ने अपनी कई जीती हुई सीटें गवां दी। यहां तक कि फैजाबाद लोकसभा सीट भी समाजवादी पार्टी ने छीन लिया। यही वो सीट है जहां अयोध्या का राम मंदिर मोदी सरकार के इसी कार्यकाल में बन कर तैयार हुआ। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन के बाद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी बीजेपी के हाथों से ये सीट निकल जाएगी।फैजाबाद लोकसभा सीट बीजेपी के हाथ से निकल जाने का जितना मलाल पार्टी को है, उससे ज्यादा ये लोगों के बीच चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। सालों से तंबू में रखे गए भगवान राम को भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या कर दिया गया। मंडल भी अयोध्या बना दिया गया। फैजाबाद रेलवे स्टेशन अयोध्या छावनी बना दिया गया। अयोध्या स्टेशन पर यात्रियों के ठहरने के बेहतरीन इंतजाम किए गए। अयोध्या शहर का कायाकल्प भी किया गया। चौक चौराहे सजाए गए। छोटी मोटी दुकानों को तोड़, सलीके से व्यावसायिक कांप्लेक्स तमीर कर दिए गए। मंदिर बनने के बाद रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु भी अयोध्या आने लगे। इस सव से लोग खुश थे। तो बड़ा सवाल है, बीजेपी कैसे हार गई? *जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ नहीं पाए पूर्व सांसद* लोगों की माने तो अयोध्या में विकास काफी हुआ है लेकीन यहाँ के कैंडिडेट लल्लू सिंह के वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। लल्लू सिंह जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ नहीं पाए हैं। कहा जा रहा है कि वे मतदाताओं से कनेक्ट करने की बजाय अपने समर्थकों को 400 सीटें लाकर संविधान बदलने की बात कहते सुने गए। उनका एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। लल्लू सिंह ने नाराजगी के अलावा जो भी वोट भाजपा को मिले वह पीएम मोदी की लोकप्रियता और राम मंदिर के मुद्दे पर ही पड़े। *मंदिर की व्यवस्था से परेशानियां* यही नहीं, अयोध्या के लोगों को मंदिर की व्यवस्था से परेशानियों से जूझना पड़ा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद चुनाव तक मंदिर में लगातार वीआईपी दर्शनार्थियों का आना लगा रहा। इस दौरान प्रशासन सुरक्षा के नाम पर ऐसा इंतजाम करता रहा है कि लोगों का मंदिर के आस पास जाना दूभर हो जाता था। अयोध्या – फैजाबाद के लोग मंदिर दर्शन करने जा ही नहीं सके। मंदिर के आस पास जो भी स्कूल और अस्पताल वगैरह है वहां जाने आने में रोज लोगों को मुसीबतों से दो चार होना पड़ा है। *कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और सांसद से नाराजगी* मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जा रहा है कि अयोध्या जिले में भाजपा के सामान्य कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई। मंदिर बनने के बाद VIP जिला होने से यहाँ बड़े नेताओं की ही चली और स्थानीय कार्यकर्ताओं का फीडबैक ऊपर तक नहीं पहुँचा। इसी कारण से कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग उदासीन हो गया और नाराज रहा, जिससे नुकसान हुआ। *जमीन अधिग्रहण और मुआवजा* अयोध्या में विकास के लिए काफी जमीन अधिग्रहण किया गया। प्रशासन ने इसके लिए स्थानीय लोगों की काफी जमीन ली। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि अयोध्या में जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ियाँ हुईं और मुआवजे का बँटवारा सही से नहीं हुआ। कई लोगों के घर तोड़े गए और उनकी सुनी नहीं गई। इस कारण से लोगों में गुस्सा रहा और उन्होंने वोट नहीं दिया। *सपा का दलित प्रत्याशी उतारना* बीजेपी की हार का एक बड़ा कारण सपा का इस सीट से दलित प्रत्याशी उतारना था। सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद 9 बार के विधायक हैं। उनको दलितों का वोट काफी बड़े स्तर पर मिला। भाजपा से दलित वोट का छिटकना भी एक हार का एक बड़ा कारण रहा। बताया गया कि इस लोकसभा क्षेत्र में 26% दलित वोट को सपा ने अपने प्रत्याशी के चयन से ही अपनी तरफ मिला लिया। इसके अलावा मुस्लिम वोटर भी एकतरफा सपा की तरफ गए जिसने यहाँ उसे बढ़त दिलाई। सपा से कॉन्ग्रेस के गठबंधन के कारण मुस्लिम वोट छिटका नहीं। बड़े स्तर पर मुस्लिम वोट ने सपा को यहाँ बढ़त दिलाई, जिससे उसे जीत हासिल करने में आसानी हुई।
राम मंदिर स्थापना के बाद भी अयोध्या में बीजेपी की क्यों हुई हार?

#whybjplost_ayodhya

यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए काफी खराब है। इस चुनाव में बीजेपी ने अपनी कई जीती हुई सीटें गवां दी। यहां तक कि फैजाबाद लोकसभा सीट भी समाजवादी पार्टी ने छीन लिया। यही वो सीट है जहां अयोध्या का राम मंदिर मोदी सरकार के इसी कार्यकाल में बन कर तैयार हुआ। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन के बाद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी बीजेपी के हाथों से ये सीट निकल जाएगी।फैजाबाद लोकसभा सीट बीजेपी के हाथ से निकल जाने का जितना मलाल पार्टी को है, उससे ज्यादा ये लोगों के बीच चर्चा का मुद्दा बना हुआ है।

सालों से तंबू में रखे गए भगवान राम को भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या कर दिया गया। मंडल भी अयोध्या बना दिया गया। फैजाबाद रेलवे स्टेशन अयोध्या छावनी बना दिया गया। अयोध्या स्टेशन पर यात्रियों के ठहरने के बेहतरीन इंतजाम किए गए। अयोध्या शहर का कायाकल्प भी किया गया। चौक चौराहे सजाए गए। छोटी मोटी दुकानों को तोड़, सलीके से व्यावसायिक कांप्लेक्स तमीर कर दिए गए। मंदिर बनने के बाद रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु भी अयोध्या आने लगे। इस सव से लोग खुश थे। तो बड़ा सवाल है, बीजेपी कैसे हार गई?

जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ नहीं पाए पूर्व सांसद

लोगों की माने तो अयोध्या में विकास काफी हुआ है लेकीन यहाँ के कैंडिडेट लल्लू सिंह के वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। लल्लू सिंह जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ नहीं पाए हैं। कहा जा रहा है कि वे मतदाताओं से कनेक्ट करने की बजाय अपने समर्थकों को 400 सीटें लाकर संविधान बदलने की बात कहते सुने गए। उनका एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। लल्लू सिंह ने नाराजगी के अलावा जो भी वोट भाजपा को मिले वह पीएम मोदी की लोकप्रियता और राम मंदिर के मुद्दे पर ही पड़े।

मंदिर की व्यवस्था से परेशानियां

यही नहीं, अयोध्या के लोगों को मंदिर की व्यवस्था से परेशानियों से जूझना पड़ा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद चुनाव तक मंदिर में लगातार वीआईपी दर्शनार्थियों का आना लगा रहा। इस दौरान प्रशासन सुरक्षा के नाम पर ऐसा इंतजाम करता रहा है कि लोगों का मंदिर के आस पास जाना दूभर हो जाता था। अयोध्या – फैजाबाद के लोग मंदिर दर्शन करने जा ही नहीं सके। मंदिर के आस पास जो भी स्कूल और अस्पताल वगैरह है वहां जाने आने में रोज लोगों को मुसीबतों से दो चार होना पड़ा है।

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और सांसद से नाराजगी

मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जा रहा है कि अयोध्या जिले में भाजपा के सामान्य कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई। मंदिर बनने के बाद VIP जिला होने से यहाँ बड़े नेताओं की ही चली और स्थानीय कार्यकर्ताओं का फीडबैक ऊपर तक नहीं पहुँचा। इसी कारण से कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग उदासीन हो गया और नाराज रहा, जिससे नुकसान हुआ।

जमीन अधिग्रहण और मुआवजा

अयोध्या में विकास के लिए काफी जमीन अधिग्रहण किया गया। प्रशासन ने इसके लिए स्थानीय लोगों की काफी जमीन ली। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि अयोध्या में जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ियाँ हुईं और मुआवजे का बँटवारा सही से नहीं हुआ। कई लोगों के घर तोड़े गए और उनकी सुनी नहीं गई। इस कारण से लोगों में गुस्सा रहा और उन्होंने वोट नहीं दिया।

सपा का दलित प्रत्याशी उतारना

बीजेपी की हार का एक बड़ा कारण सपा का इस सीट से दलित प्रत्याशी उतारना था। सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद 9 बार के विधायक हैं। उनको दलितों का वोट काफी बड़े स्तर पर मिला। भाजपा से दलित वोट का छिटकना भी एक हार का एक बड़ा कारण रहा। बताया गया कि इस लोकसभा क्षेत्र में 26% दलित वोट को सपा ने अपने प्रत्याशी के चयन से ही अपनी तरफ मिला लिया। इसके अलावा मुस्लिम वोटर भी एकतरफा सपा की तरफ गए जिसने यहाँ उसे बढ़त दिलाई। सपा से कॉन्ग्रेस के गठबंधन के कारण मुस्लिम वोट छिटका नहीं। बड़े स्तर पर मुस्लिम वोट ने सपा को यहाँ बढ़त दिलाई, जिससे उसे जीत हासिल करने में आसानी हुई।

लोकसभा चुनाव के दौरान शेयर मार्केट में मची खलबली पर राहुल गांधी का बड़ा बयान, बताया बड़ा घपला, समझाई क्रोनोलॉजी

#rahulgandhiattackednarendramodiandamitshahoverstockmarket

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 4 जून की बाजार गिरावट पर बड़ा बयान दिया है।लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने शेयर बाजार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा को पता था कि चार जून को क्या होगा। यही वजह थी कि भाजपा के सबसे बड़े नेताओं ने लोगों से शेयर बाजार में निवेश करने के लिए कहा। यह देश के शेयर बाजार का सबसे बड़ा घोटाला है।

इसकी जांच होनी चाहिए।

रायबरेली व वायनाड से विजयी सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, चुनावी एग्‍ज‍िट पोल की वजह से शेयर बाजार में लोगों के 30 लाख करोड़ रुपये डूब गए। इसकी क्रोनोलॉजी समझ‍िए। पहली बार हमने नोट किया की चुनाव के समय प्रधानमंत्री ने, गृहमंत्री ने और फाइनेंस मिनिस्टर ने स्टॉक मार्केट पर टिप्पणी दी। प्रधानमंत्री ने कहा, स्टॉक मार्केट तेजी से आगे बढ़ने वाला है, गृहमंत्री और वित्‍तमंत्री ने भी यही कहा है। इससे बाजार में उछाल आया। बाद में यह डूब गया। राहुल गांधी ने कहा, शेयर बाजार पर भ्रम फैलाया गया। यह एक घपला है। इसकी संयुक्‍त संसदीय समि‍त‍ि (जेपीसी) से जांच होनी चाह‍िए।

एग्‍ज‍िट पोल के जर‍िये भ्रम फैलाया गया-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा, चुनाव से पहले बीजेपी का इंटरनल सर्वे भी उन्‍हें सिर्फ 220 सीटें दे रहा था। इसल‍िए एग्‍ज‍िट पोल के जर‍िये भ्रम फैलाया गया। इसके बाद 3 जून को शेयर बाजार ने रिकॉर्ड तोडा और काफी ऊंचाई पर चला गया। हम जनता को बता रहे हैं क‍ि यहां एक स्‍कैम हुआ है। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और वित्‍त मंत्री सीधे तौर पर इसके ल‍िए जिम्‍मेदार हैं। राहुल गांधी ने कहा, एग्‍ज‍िट पोल करने वाली कंपन‍ियों पर कार्रवाई की जाए।

अडानी मुद्दे से कहीं ज्‍यादा व्‍यापक मसला-राहुल गांधी

एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा कि यह अडानी मुद्दे से कहीं ज्‍यादा व्‍यापक मसला है। यह अडानी मुद्दे से जुड़ा हुआ है। लेकिन, यह उससे कहीं ज्‍यादा व्‍यापक है। यह सीधे प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री से जुड़ा है जो वास्तविक चुनाव परिणामों के डेटा से अवगत होते हैं, जिनके पास आईबी रिपोर्ट होती हैं, जिनके पास अपना डेटा होता है। वो खुदरा निवेशकों को शेयर खरीदने की सलाह कैसे दे सकते हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। प्रधानमंत्री ने पहले कभी शेयर बाजार पर बयान नहीं दिया। यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री ने बहुत ही दिलचस्प ढंग से और एक के बाद एक कई बार टिप्पणी कीं। इसमें उन्होंने कहा कि शेयर बाजार में उछाल आने वाला है। साथ ही, उनके पास जानकारी थी कि एग्जिट पोल गलत हैं। उनके पास जानकारी थी कि क्या होने वाला है क्योंकि उनके पास आईबी डेटा था और उनके पास अपनी पार्टी का डेटा भी था।

बीजेपी सांसद कंगना रनौत का बड़ा आरोप, बोली-चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर CISF की महिला जवान ने थप्पड़ मारा

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हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर सांसद चुनी गईं कंगना रनौत ने चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर तैनात महिला सीआईएसएफ कर्मी पर बड़ा आरोप लगाया है।कंगना का आरोप है कि सीआईएसएफ की महिला जवान ने उनको थप्पड़ मारा है।इस मामले को लेकर कंगना की ओर से पुलिस में शिकायत की गई है।

चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर दोपहर 3:40 बजे की ये घटना है। सीआईएसएफ की कुलविंदर कौर पर कंगना को थप्पड़ मारने का आरोप है। बताया जा रहा है कि किसानों पर कंगना के दिए बयान को लेकर महिला सिपाही नाराज थी।

सांसद चुने जाने के बाद कंगना रनौत दिल्‍ली जाने के बाद का चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आई थीं। सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत फ्लाइट से दिल्ली जाने के लिए एयरपोर्ट पर तलाशी के लिए रूकीं। वह तलाशी के लिए एसएचए एरिया में पहुंचीं। यहां सीआईएसएफ की एक महिला कांस्टेबल कुलविंदर कौर ने उनकी तलाशी ली। तलाशी के बाद महिला कांस्टेबल ने कंगना रनौत को थप्पड़ मार दिया। 

थप्‍पड़ मारने की आरोपी महिला कांस्‍टेबल कुलविंदर कौर ने कहा कि कंगना रनौत ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के दौरान पंजाब की महिलाओं के बारे में एक गलत बयान दिया कि पंजाब की महिलाएं पैसे के लिए किसानों के आंदोलन में भाग लेती हैं।

सूत्रों के अनुसार कंगना रनौत चंडीगढ़ से मुंबई के लिए शहीद भगत सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जब चैकिंग कर रही थीं तो वहां उपस्थित सीआईएसएफ में तैनात महिला सुरक्षा कर्मी ने जब उनसे पूछा कि मैडम आप बीजेपी से जीती हैं।आपकी पार्टी किसानों के लिए कुछ क्यों नहीं कर रही। इसको लेकर बहस हो गई। इसके बाद आरोप लग रहे है कि सीआईएसएफ की महिला कर्मी ने उन्हें थप्पड़ लगा दिया। हालांकि एयरपोर्ट से सीईओ की ओर से जानकारी जुटाई जा रही है।

अखिलेश यादव और शिवपाल यादव ने किया कटाक्ष : 'बीजेपी अयोध्या हार गई क्योंकि

उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की अप्रत्याशित सफलता का श्रेय समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को दिया जा रहा है, उन्होंने फैजाबाद (अयोध्या) में बीजेपी की चौंकाने वाली हार पर प्रतिक्रिया दी। चुनावी पंडितों ने जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के कारण इस सीट पर बीजेपी की आसान जीत की भविष्यवाणी की थी। हालांकि, चौंकाने वाले उलटफेर में यादव की पार्टी ने बीजेपी को पछाड़ दिया। 

सच तो यह है कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में और भी सीटें हार जाती। मैं अयोध्या की जनता का शुक्रिया अदा करता हूं। आपने समय-समय पर अयोध्या का दर्द देखा होगा। उन्हें उनकी जमीन का उचित मुआवजा नहीं दिया गया, उनके साथ अन्याय हुआ, उनकी जमीन बाजार मूल्य के बराबर नहीं ली गई, आपने उन पर झूठे मुकदमे लगाकर उनकी जमीन जबरन छीन ली... आपने एक पवित्र चीज के लिए गरीबों को बर्बाद कर दिया। उन्होंने कहा, "इसलिए मुझे लगता है कि अयोध्या और आस-पास के इलाकों के लोगों ने भाजपा के खिलाफ वोट दिया।" 

इस बीच, समाजवादी पार्टी के नवनिर्वाचित सांसद अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा कि भाजपा इसलिए हारी क्योंकि उसने भगवान राम की गरिमा को नष्ट किया। "भारतीय जनता पार्टी ने अयोध्या के नाम पर राजनीति की। भाजपा ने 'मर्यादा पुरुषोत्तम राम' की गरिमा को नष्ट कर दिया है। उनके (भाजपा के) राज में महंगाई है, नौकरियां नहीं हैं। उन्होंने पीटीआई से कहा, "उन्होंने हमारे जवानों और किसानों का अपमान किया है।"अवधेश प्रसाद ने भाजपा के दो बार के सांसद लल्लू सिंह को 54,567 मतों के शानदार अंतर से हराया।

आम चुनाव के नतीजे आने से पहले भाजपा का गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 2014 और 2019 में राज्य में शानदार जीत दर्ज करने वाली भाजपा 80 में से सिर्फ 33 सीटें ही जीत सकी। इस बीच, अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने कहा कि राम मंदिर चुनाव प्रचार भाजपा के लिए कारगर नहीं रहा। उन्होंने कहा, "अगर आज उत्तर प्रदेश में चुनाव होते हैं, तो अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनेगी... लोगों ने रिकॉर्ड मतों से भगवान राम के सबसे बड़े भक्त को चुना है।"

राहुल गांधी को मुख्य विपक्षी के पद के लिए चाहते हैं कांग्रेस के नेता

आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के मजबूत प्रदर्शन के बीच लोकसभा में 99 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस अब संसद में विपक्ष के नेता का पद पाने की हकदार है। नतीजतन, राहुल गांधी को इस प्रतिष्ठित पद पर बिठाने के लिए आवाजें तेज हो रही हैं। इससे पहले दिन में, कांग्रेस के नवनिर्वाचित सांसद मणिकम टैगोर ने एक्स पर एक पोस्ट में पूर्व पार्टी अध्यक्ष से निचले सदन में कांग्रेस का नेता बनने का आग्रह किया। तमिलनाडु के विरुधुनगर से जीतने वाले टैगोर ने कहा, "मैंने अपने नेता राहुल गांधी के नाम पर वोट मांगे। मुझे लगता है कि उन्हें लोकसभा में कांग्रेस का नेता होना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि निर्वाचित कांग्रेस सांसद भी यही सोचेंगे। देखते हैं कि कांग्रेस संसदीय दल क्या फैसला करता है। हम एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं।" 

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी यही भावना दोहराते हुए कहा, "राहुल जी ने अभियान का नेतृत्व किया। वे चेहरा थे। लोकसभा संसदीय दल के नेतृत्व की जिम्मेदारी लेना उनका कर्तव्य है।वे स्वयं अपने बारे में सभी निर्णय नहीं ले सकते। कुछ निर्णय पार्टी नेताओं/सांसदों को लेने होते हैं। निश्चित रूप से सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा।"

कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने कहा, "...मुझे लगता है कि यह पद कांग्रेस के पास आएगा। मेरी निजी राय में, राहुल गांधी को कांग्रेस की ओर से विपक्ष के नेता की भूमिका खुद ही निभानी चाहिए।" राहुल गांधी, जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, को पार्टी द्वारा 2024 में शानदार वापसी का श्रेय दिया जा रहा है।

सिर्फ कांग्रेस नेताओं ने ही नहीं, बल्कि शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने भी गांधी की प्रशंसा की। राउत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अगर राहुल गांधी नेतृत्व स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, तो हमें आपत्ति क्यों होगी? उन्होंने कई बार खुद को राष्ट्रीय नेता के तौर पर साबित किया है। वह लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। हम सभी उन्हें चाहते हैं और उनसे प्यार करते हैं। गठबंधन में कोई आपत्ति या मतभेद नहीं है।" 2004 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने के बाद से 53 वर्षीय नेता ने किसी भी संवैधानिक पद पर काम नहीं किया है, यहां तक ​​कि जब उनकी पार्टी सत्ता में थी। पिछले साल उन्हें मानहानि के एक मामले के कारण संसद से निष्कासित कर दिया गया था, जब भाजपा ने उन पर प्रधानमंत्री के उपनाम का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उनकी सीट पर वापस भेज दिया था।

कांग्रेस पार्टी के नेताओं के अनुसार, लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाले राहुल गांधी को वे मुख्य विपक्षी के पद के लिए नेतृत्व करने की मांग कर रहे हैं। राहुल गांधी को उनके प्रदर्शन के बाद प्रत्याक्षी मुख्य विपक्षी के रूप में चुना जाना चाहिए, ऐसा कहने पर कांग्रेस के उच्च पदधारी नेता उन्हें समर्थन दे रहे हैं।

पार्टी नेताओ का कहाना कि राहुल गांधी की नेतृत्व में पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उनके प्रदर्शन ने पार्टी को उम्मीद दिलाई है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी लोकसभा में मजबूत होगी और विपक्षी धारा को जुटा सकेगी।

उनका मानना है की राहुल गांधी की नेतृत्व में पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ टक्कर दी है। उनके प्रदर्शन ने पार्टी को उम्मीद दिलाई है कि कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता में वापसी करने के लिए तैयार है। राहुल गांधी ने इस तरह की मांग को व्यक्त नहीं किया है, लेकिन उन्हें उनके लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन के बाद पार्टी के नेताओं का समर्थन मिल रहा है। यह देखने को मिल रहा है कि क्या कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को प्रमुख विपक्षी के पद के लिए चुनती है या नहीं।