धान में वैज्ञानिक ढंग से करें पौधशाला प्रबंधन
मनकापुर(गोंडा)। देशभर में खरीफ में बोई जाने वाली फसलों में धान एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है । धान की नर्सरी की बुवाई का समय चल रहा है ।
डॉ. मिथलेश कुमार पांडेय वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा ने बताया कि नर्सरी डालने से पूर्व बीज का शोधन अवश्य कर लें। इसके लिए जहां पर जीवाणु झुलसा या जीवाणुधारी रोग की समस्या हो, वहां पर 4 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसीन सल्फेट या 40 ग्राम प्लान्टोमाइसीन को पानी में मिलाकर घोल बनाएं। इसमें 25 किलोग्राम धान बीज को रात भर भिगो दें। दूसरे दिन बीज को छाया में सुखाकर नर्सरी डालें। यदि क्षेत्र में शाकाणु झुलसा रोग की समस्या नहीं है तो 25 किग्रा० बीज को रातभर पानी में भिगोने के बाद दूसरे दिन अतिरिक्त पानी निकाल दें ।
इसके बाद 75 ग्राम थीरम या 50 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 8-10 लीटर पानी में घोलकर बीज में मिलायें तथा छाया में गीले बोरे से ढंक दें । बीज अंकुरित होने पर नर्सरी में बुवाई करें । थीरम या कारबेंडाजिम के स्थान पर जैव फफूंदीनाशक ट्राइकोडर्मा पाउडर की 5 ग्राम मात्रा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज का शोधन करज सकते हैं । डॉ. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने बताया कि एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई के लिए इसके लगभग बारहवें भाग (800 वर्ग मी० क्षेत्रफल ) में नर्सरी तैयार की जाती है। इसमें महीन धान का 30 किग्रा०और मोटे धान के 40 किग्रा० बीज की जरूरत होती है । ऊसर भूमि में इसकी सवा गुनी मात्रा की जरूरत होती है। 800 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में नर्सरी तैयार करने हेतु यूरिया की 14.0 किलोग्राम मात्रा, डीएपी की 8.70 किलोग्राम मात्रा की जरूरत होती है । खैरा रोग से बचाव हेतु जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत की 400 ग्राम मात्रा को 1.60 किलोग्राम यूरिया या 200 ग्राम बुझे हुए चूने को 80 लीटर पानी में घोल बनाकर एक सुरक्षात्मक छिड़काव 20 की बुवाई के 10 दिन बाद करें। झोंका रोग की रोकथाम के लिए कार्बेंडाजिम 50 डब्ल्यूपी की 40 ग्राम मात्रा, भूरा धब्बा रोग की रोकथाम के लिए मैंकोजेब 78% की 160 ग्राम मात्रा को पानी में मिलाकर छिड़काव करें। नर्सरी में कीटों से सुरक्षा हेतु क्लोरपाइरीफास 20 ईसी की 100 मिलीलीटर मात्रा को पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें । सफेदा रोग के नियंत्रण हेतु 320 ग्राम फेरस सल्फेट को 1.60 किलोग्राम यूरिया के साथ पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। नर्सरी में पानी गर्म होने पर उसे निकाल कर पुनः ताजे पानी से सिंचाई करना चाहिए ।
May 31 2024, 17:20