इन नियमों की नहीं की होती अनदेखी तो बच जाती 7 नवजातों की जान, स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया था अलर्ट
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दिल्ली के विवेक विहार में एक बेबी केयर सेंटर में आग लग गई। इस आग में 7 नवजात बच्चों की मौत से देश दहल गया है। दो मंजिला बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर न्यू बॉर्न बेबी केयर सेंटर था। इसमें कुल 12 बच्चे भर्ती थे। विवेक विहार के बेबी केयर सेंटर में 25 मई को हुई इस घटना ने एक बार फिर फायर सेफ्टी के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) और नेशनल बिल्डिंग कोड का पालन करने के महत्व को चर्चा में ला दिया है। इस हादसे के लिए अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया गया है। अगर अस्पताल की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अलर्ट को गंभीरता से लिया होता तो यह हादसा टल सकता था।
दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो महीने पहले ही देश के सभी राज्यों में अस्पतालों में आग के खतरे में बारे में आगाह किया था। स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य व एचओडी कमल किशोर ने 23 मार्च को एक संयुक्त पत्र के जरिए सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखकर कहा था कि बढ़ते तापमान के साथ अस्पतालों में आग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है और आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए तुरंत प्रभाव से सभी जरूरी कदम उठाए जाएं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अस्पतालों में फायर सेफ्टी और हेल्थकेयर फैसिलिटी को लेकर दिशा- निर्देशों की पूरी लिस्ट भी जारी की थी। मंत्रालय ने इस पत्र के जरिए सभी राज्यों को आगाह करते हुए कहा था कि अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट से लेकर फायर एनओसी के अनुपालन की दिशा में कोई भी लापरवाही न बरती जाए।
इधर दिल्ली के विवेक विहार बेबी केयर अस्पताल अग्निकाण्ड सरकार हरकत में आई है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने स्वास्थय विभाग के साथ बैठक की। उन्होंने सभी छोटे बड़े प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को 8 जून 2024 फायर ऑडिट कराने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए है। सरकार ने नर्सिंग होम और अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन फॉर्म में भी बदलाव के संकेत दिए हैं। वहीं, अस्पताल के मालिक डॉ नवीन किची को स्थानीय कोर्ट ने 30 मई तक पुलिस रिमांड में भेज दिया है।
May 29 2024, 10:22