आदिवासियों के पारंपरिक पर्व सेंदरा में सेंदरा वीर ने किया जंगलों में जाकर वन्य जीव का शिकार,वन विभाग ने इस सेंदरा में किसी जीव की ह्त्या होने से
सरायकेला : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के गज परियोजना के वन्य प्राणी आश्रयणी में आदिवासी समुदाय द्वारा विशु सेंदरा पर्व मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल उड़ीसा बिहार ,छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से सैकड़ों की संख्या में सेंदरा वीर पारंपरिक हथियारों के साथ दलमा पहाड़ पर शिकार के एक दिन पूर्व चढ़ाई करते हैं। इस बर्ष लोक सभा चुनाव को देखते हुए , बाहरी राज्यों के दूर दराज से सेंदरा वीर नही पहुंचे परंतु स्थानीय क्षेत्र से कल शाम को कोई ग्रुप में सेंदरा वीर जंगल में चढ़ाई किया और जंगली सुअर,हिरण ,खरगोश आदि वन्य जीवों का सेंदरा किया। बताया जा रहा है कि सेंदरा वीरों ने कई जंगली जानवरों का शिकार (सेंदरा) किया है। शाम ढलने के बाद नीमडीह थाना क्षेत्र के पोड़ाडीह, बांधडीह, टेंगाडीह, झरीडीह,तनकोचा , बातकम कोचा,साथ ही बोडाम थाना क्षेत्र के कोयरा , खोकरो ,मुर्गाटाड़ ,गुमांडीह, सोमाडीह एब चांडिल के आसनबनी तथा फदलोगोड़ा, कंदरबेड़ा में जानवरों को उतारा गया। हालांकि, जानवरों के शिकार होने की बात से वन विभाग ने सीधे तौर पर इंकार कर दिया है। दलमा रेंजर दिनेश चंद्रा ने दावा किया है कि एक भी जानवर का शिकार नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि सेंदरा समिति द्वारा केवल परंपरा निर्वहन किया गया। कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा जानवरों का शिकार करने के लिए फांस तथा जाल बिछाया गया था, जिसे जप्त कर लिया गया है। वहीं, एक बंदूक भी जप्त किया गया है। उन्होंने बताया कि लोकल बंदूक से जानवरों का शिकार करने की योजना बनाई गई थी, जिसे वन विभाग ने विफल कर दिया। जिस व्यक्ति के पास से बंदूक बरामद किया गया है, उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। रेंजर ने बताया कि विशु शिकार के लिए जमशेदपुर, चाईबासा, सरायकेला, खूंटी, सारंडा आदि वन प्रमंडल के वन कर्मियों का सहयोग मिला।सेंचुरी में सेंदरा वीर कोई टीम बंदूक लेकर जंगल में शिकार करते देखा गया। एक तरफ जंगल में आग लगाना ,साथ ही जंगल के कोई जल स्रोत सूखने लगा जिसे जिसे वन्य जीव जंतु पानी और भोजन के लिए भटकते देखा गया।शिकार के पास बंदूक, फंदा,बल्लव,तलवार,धनुष तीर,ओर आधुनिक सामग्री लेकर जंगल में शिकार करने पहुंचे ।प्रति बर्ष लाखो रुपया खर्चा करने के बावजूद जंगली जीव जंतु की सुरक्षा करने में असफल रहे, वन एब पर्यावरण विभाग को राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों रुपया मुहैया करते है।जंगल और वन्य जीवजंतु की सुरक्षा के लिए । सेंदरा एक बहाना है। सप्ताह में एक दिन झापा शिकार करते देखा गया, तराई में बसे आदिवासी द्वारा यह चोरी छुपे शिकार करते रहते ।आज भी शिकार होगा विभाग के पदाधिकारी आपने नौकरी बचाने के लिए । सेंदरा के दिन जंगल में पेट्रोलिंग करते हैं उसके बाद सेंचुरी के अंदर कोई फॉरेस्ट,रेंजर, वनपाल ,वन रक्षित या वन कर्मी देखने भी नाही पहुंचते हैं, न जंगल की सर्वे करता है।यह कैसी विडंबना है।जंगली जीव जंतु को शिकार होने छोड़ देता है।शिकारी की बंदूक की गोली से घायल वन्य जीव तड़पते हुए कही झाड़ियों में मरते देखा गया है।
May 21 2024, 09:46