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क्या है जमात-ए-इस्लामी? केन्द्र ने लगाया है प्रतिबंध, अब उमर अब्दुल्ला ने की बैन हटाने की मांग*
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नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित से जमात-ए-इस्लामी से प्रतिबंध हटाने की मांग की है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र को जमात-ए-इस्लामी पर से प्रतिबंध हटा देना चाहिए ताकि संगठन जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले सके। इससे पहले दिन में, संगठन के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने कहा था कि अगर केंद्र 2019 में संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लेता है तो उनका संगठन विधानसभा चुनाव में भाग लेगा। उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले के टंगमर्ग में चुनाव प्रचार के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वो केंद्रीय गृह मंत्री से आग्रह करते हैं कि जमात-ए-इस्लामी पर से फौरन प्रतिबंध को हटा लिया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी जो वो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से दूसरी पार्टियों या उम्मीदवारों के लिए काम करती है उसे भी चाहिए कि वो चुनावी मैदान में वह अपने उम्मीदवार उतारकर अपनी किस्मत आमाए। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मरकज से उनकी गुजारिश है कि जमात-ए-इस्लामी पर जो प्रतिबंध लगाया गया है उसे हटा देना चाहिए ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव जो जुलाई-अगस्त में होने हैं उसमें इस संगठन की तरफ से उनके अपने उम्मीदवार खड़े हो सकें। उन्होंने कहा कि कई बार खबरें ऐसी खबरें सामने आई हैं कि जमात-ए-इस्लामी ने कई उम्मीदवारों की या पार्टियों की मदद की है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जमात को आगे होवे वाले चुनावों में पूरे जोर के साथ हिस्सा लेना चाहिए। इससे पहले जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने भी बुधवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार 2019 में संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा देती है तो उनका संगठन आगामी विधानसभा चुनावों में भाग ले सकता है। श्रीनगर लोकसभा सीट पर बीते सोमवार को मतदान करने बाद वानी ने कहा था कि उनका संगठन लोकतांत्रिक प्रक्रिया में यकीन रखता है, और पहले हुए चुनावों में भी हिस्सा ले चुका है।
भारत चांद पर पहुंच गया, हमारे बच्चे गटर में गिरकर मर रहे', पाकिस्तानी सांसद का झलका दर्द

#pakistan_lawmaker_syed_mustafa_kamal_praise_india

भारत लगातार विकास की सीढ़ियां चढ़ रहा है। वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान के खस्ताहाल से हर कोई वाकिफ है। एक तरफ दुनियाभर में भारत की जय-जयकार हो रही है, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान में हालात का रोना रोया जा रहा है। इस बीच पाकिस्तान के एक सांसद सैयद मुस्तफा कमाल ने भारत की दिल खोलकर तारीफ की है। साथ ही अपने देश को आईना दिखाने का काम किया है। 

पाकिस्तानी संसद में एक सांसद ने कहा है कि भारत चांद पर लैंड कर गया है, जबकि उनके बच्चे गटर में गिरकर मर जा रहे हैं। मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) पार्टी के सांसद सैयद मुस्तफा कमाल ने बुधवार को पाकिस्तान की भारत के साथ तुलना करते हुए कराची में सुविधाओं की कमी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक तरफ उनके देश के सबसे बड़े शहर में खुले गटर बच्चों की जान ले रहे हैं। जबकि दूसरी ओर भारत ने पहले ही सफलतापूर्वक मून मिशन को अंजाम दे दिया है। उन्होंने भारत के चंद्रयान-3 की सफलता के संदर्भ में यह बात कही है।

पाकिस्तानी सांसद ने कहा कि आज जब दुनिया चांद की तरफ जा रही है, हमारे बच्चे अभी भी कराची में गटर में गिरकर मर रहे हैं। हमारे टीवी स्क्रीन पर जब हम खबरें देखते हैं कि भारत चांद पर पहुंच गया और उसके दो सेकेंड बाद ही खबर आती है कि कराची में खुले गटर में गिरकर बच्चे की मौत हो गई।

सांसद सैयद मुस्तफा ने कराची में ताजे पानी की कमी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कराची में 70 लाख और पाकिस्तान में 2.6 करोड़ से अधिक बच्चे हैं, जो स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। सैयद ने कहा कि वैसे तो कराची पाकिस्तान का राजस्व इंजन है, लेकिन अब उसे साफ पानी तक नसीब नहीं है। पाक सांसद ने आगे कहा कि अपनी स्थापना के बाद से पाकिस्तान में दो बंदरगाह चालू हैं और दोनों कराची में हैं। कराची पूरे पाकिस्तान, मध्य एशिया से लेकर अफगानिस्तान तक का प्रवेश द्वार हैं। 15 वर्षों से कराची को थोड़ा सा भी ताजा पानी नहीं मिल रहा है, यहां तक कि जो पानी आता है उसे भी टैंकर माफिया जमा कर लेते है और बेचने लगते हैं।

सैयद मुस्तफा कमाल का यह बयान पाकिस्तान के ही एक अन्य वरिष्ठ नेता मौलाना फजलुर रहमान के उस बयान के बाद सामने आई है, जिसमें मौलाना फजलुर रहमान ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान साथ आजाद हुए थे, लेकिन आज वे (भारत) महाशक्ति बनने का ख्वाब देख रहे हैं और हम दिवालियापन से बचने के लिए भीख मांग रहे हैं।

भारत चांद पर पहुंच गया, हमारे बच्चे गटर में गिरकर मर रहे', पाकिस्तानी सांसद का झलका दर्द*
#pakistan_lawmaker_syed_mustafa_kamal_praise_india *
भारत लगातार विकास की सीढ़ियां चढ़ रहा है। वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान के खस्ताहाल से हर कोई वाकिफ है। एक तरफ दुनियाभर में भारत की जय-जयकार हो रही है, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान में हालात का रोना रोया जा रहा है। इस बीच पाकिस्तान के एक सांसद सैयद मुस्तफा कमाल ने भारत की दिल खोलकर तारीफ की है। साथ ही अपने देश को आईना दिखाने का काम किया है। पाकिस्तानी संसद में एक सांसद ने कहा है कि भारत चांद पर लैंड कर गया है, जबकि उनके बच्चे गटर में गिरकर मर जा रहे हैं। मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) पार्टी के सांसद सैयद मुस्तफा कमाल ने बुधवार को पाकिस्तान की भारत के साथ तुलना करते हुए कराची में सुविधाओं की कमी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक तरफ उनके देश के सबसे बड़े शहर में खुले गटर बच्चों की जान ले रहे हैं। जबकि दूसरी ओर भारत ने पहले ही सफलतापूर्वक मून मिशन को अंजाम दे दिया है। उन्होंने भारत के चंद्रयान-3 की सफलता के संदर्भ में यह बात कही है। पाकिस्तानी सांसद ने कहा कि आज जब दुनिया चांद की तरफ जा रही है, हमारे बच्चे अभी भी कराची में गटर में गिरकर मर रहे हैं। हमारे टीवी स्क्रीन पर जब हम खबरें देखते हैं कि भारत चांद पर पहुंच गया और उसके दो सेकेंड बाद ही खबर आती है कि कराची में खुले गटर में गिरकर बच्चे की मौत हो गई। सांसद सैयद मुस्तफा ने कराची में ताजे पानी की कमी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कराची में 70 लाख और पाकिस्तान में 2.6 करोड़ से अधिक बच्चे हैं, जो स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। सैयद ने कहा कि वैसे तो कराची पाकिस्तान का राजस्व इंजन है, लेकिन अब उसे साफ पानी तक नसीब नहीं है। पाक सांसद ने आगे कहा कि अपनी स्थापना के बाद से पाकिस्तान में दो बंदरगाह चालू हैं और दोनों कराची में हैं। कराची पूरे पाकिस्तान, मध्य एशिया से लेकर अफगानिस्तान तक का प्रवेश द्वार हैं। 15 वर्षों से कराची को थोड़ा सा भी ताजा पानी नहीं मिल रहा है, यहां तक कि जो पानी आता है उसे भी टैंकर माफिया जमा कर लेते है और बेचने लगते हैं। सैयद मुस्तफा कमाल का यह बयान पाकिस्तान के ही एक अन्य वरिष्ठ नेता मौलाना फजलुर रहमान के उस बयान के बाद सामने आई है, जिसमें मौलाना फजलुर रहमान ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान साथ आजाद हुए थे, लेकिन आज वे (भारत) महाशक्ति बनने का ख्वाब देख रहे हैं और हम दिवालियापन से बचने के लिए भीख मांग रहे हैं।
पीएम मोदी के बाद कौन करेगा बीजेपी की अगुवाई?*
#who_will_lead_bjp_after_pm_modi
तिहाड़ जेल से छूटते ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लाख टके का सवाल उठाया है।केजरीवाल ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले साल सितंबर में 75 साल के हो जाएंगे। केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी ने ही यह नियम बनाया था कि 75 साल के ऊपर के लोगों को रिटायर किया जाएगा। इसी के तहत लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और सुमित्रा महाजन जैसे नेताओं को रिटायर किया गया। केजरीवाल ने ये भी कहा कि नरेन्द्र मोदी के बाद अमित शाह प्रधानमंत्री बनेंगे। केजरीवाल के इस सवाल के बाद बड़ा प्रश्न ये उठता है कि क्या नरेन्द्र मोदी के बाद अमित शाह बीजेपी की अगुवाई कर सकेंगे? ये सवाल इसलिए क्योंकि आज के समय में 'मोदी' बीजेपी से भी बड़ा नाम है। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद बीजेपी पर अपना संपूर्ण वर्चस्व स्थापित किया। बेशक बीजेपी का अपना परंपरिक वोटर भी है। लेकिन एक बहुत बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो मोदी के नाम पर बीजेपी को वोट देते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे वर्ग, समाज, जातियों आदि में बीजेपी की पैठ बनाई है, जो हमेशा से बीजेपी से दूर हुआ करते थे। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत की विदेश नीति को नए आयाम दिए हैं। इसमें उन देशों के साथ रिश्ते बनाना जो अब तक अनछुए रहे या फिर ताकतवर देशों के साथ आंखों में आंखें डालकर बात करना, मोदी सरकार ने विदेश नीति में उदारता और कठोरता, दोनों का जबर्दस्त सामंजस्य लाया है। हाल के सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार अपने मजबूती का प्रदर्शन कर रही है। दुनिया भी आज भारतीय अर्थवस्था की ताकत को मान रही है। वर्ष 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की दसवीं बड़ी अर्थव्यवस्था थी, जो पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है।बीजेपी का दावा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी में ऐसा कौन सा चेहरा है जो नरेन्द्र मोदी की नीतियों को आगे बढ़ा सकेगा? क्या अमित शाह उन नामों में शामिल हैं जो देश के नेतृत्व की एक मिसाल कायम करेगा?
सीएए के तहत 300 शरणार्थियों को मिली भारतीय नागरिकता, 14 लोगों को दिए गए नागरिकता प्रमाण पत्र

#citizenship_under_caa_got_14_people_union_home_secretary_handed_over_certificates

सरकार ने 11 मार्च को सीएए पर अधिसूचना जारी किया था। नागरिकता (संशोधन) कानून, 2024 की अधिसूचना जारी होने के बाद पहली बार नागरिकता प्रमाणपत्रों का वितरण किया गया।बुधवार को पहली बार 300 लोगों को भारतीय नागरिकता दे दी गई। मंत्रालय ने 14 शरणार्थियों को सर्टिफिकेट भी सौंप दिए हैं।ये शरणार्थी पिछले कई साल से भारत की नागरिकता पाने की जद्दोजहद में लगे हुए थे।

गृह मंत्रालय ने सभी को ऑनलाइन माध्यम से प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए। हालांकि प्रतीकात्मक तौर पर सर्टिफिकेट सौंपने के लिए 14 लोगों को दिल्ली भी बुलाया गया। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने 14 आवेदकों को प्रमाण पत्र सौंपने के साथ ही उन्हें बधाई दी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि जनगणना संचालन निदेशक की अध्यक्षता में अधिकार प्राप्त समिति ने उचित जांच के बाद 14 आवेदकों को नागरिकता देने का फैसला किया है। इसके बाद जनगणना संचालन निदेशक ने इन आवेदकों को प्रमाण पत्र दिए। 

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) इस साल 11 मार्च को देश में लागू हो गया था। नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। बाद में इस विधेयक को राष्ट्रपति का अनुमोदन मिल गया था। सीएए के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी। 

सीएए के तहत भारतीय नागरिकता पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है, इसके लिए सबसे पहले भारत में आने की तारीख बतानी होगी। दस्तावेजों के जन्म प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, तीनों पड़ोसी मुल्कों का कोई भी सरकारी प्रमाण पत्र चाहे वो लाइसेंस हो या शैक्षणिक। इसके अलावा आवेदक को एक पात्रता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा, जो यह पुष्टि करे कि आवेदक हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, ईसाई या जैन समुदाय का हो। शर्त यह है कि आवेदन लेने वाला 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत का शरणार्थी बन चुका हो।

पीओके भारत का हिस्सा, हम उसे लेकर रहेंगे”, पश्चिम बंगाल में गरजे अमित शाह

#amit_shah_said_pok_belongs_to_india 

लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण के मतदान से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। इस दौरान अमित शाह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को लेकर बड़ा बयान दिया है।उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमिता शाह ने पीओके में जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि पीओके भारत का हिस्सा है और हम इसे लेकर रहेंगे। साथ ही उन्‍होंने कहा कि आज पीओके में पत्‍थरबाजी हो रही है, भारतीय कश्‍मीर में नहीं। सेराम्पोर में एक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि साल 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद एक समय अशांत रहे कश्मीर में शांति लौट आई है, लेकिन पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर अब विरोध प्रदर्शनों और आजादी के नारों से गूंज रहा है।

पीओके पर कब्जे की मांग का समर्थन न करने पर अमित शाह ने कांग्रेस को घेरा। अमित शाह ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, 2 करोड़ 11 लाख पर्यटकों ने कश्मीर आकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है और पाक अधिकृत कश्मीर में आटे के भाव ने रिकॉर्ड बना दिया है। लेकिन, मणिशंकर अय्यर और फारूक अब्दुल्ला देश को डराने का काम कर रहे हैं कि पाकिस्तान के पास एटम बम है, पीओके की बात मत करो। मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि वर्तमान लोकसभा चुनाव ‘इंडियन नेशनल इंक्लूजिव डेमोक्रेटिक अलायंस’ (इंडी) गठबंधन के भ्रष्ट नेताओं और ईमानदार राजनेता नरेन्द्र मोदी के बीच चयन करने का चुनाव है. मोदी के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री रहने के बावजूद कभी भी उनके खिलाफ एक पैसे का भी आरोप नहीं लगा।’ उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल को तय करना है कि वह घुसपैठिये चाहता है या शरणार्थियों के लिए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)। बंगाल को तय करना है कि वह जिहाद के लिए वोट करना चाहता है या विकास के लिए वोट करना चाहता है

उत्तराखंड की आग पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तराखंड के मुख्य सचिव को आग से निपटने में उत्तराखंड सरकार द्वारा दिखाए गए 'असुविधाजनक' दृष्टिकोण ' पर 17 मई को सुनवाई के लिए बुलाया। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि कोई भी राज्य चुनाव ड्यूटी के लिए वन अधिकारियों या वन विभाग के वाहनों को तैनात नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी स्पष्टीकरण मांगा है कि आग बुझाने के लिए केंद्रीय धन का उपयोग क्यों नहीं किया गया क्योंकि पिछले साल केंद्र द्वारा वितरित ₹9 करोड़ से अधिक में से केवल ₹3.14 करोड़ जंगल की आग को रोकने पर खर्च किए गए थे।

मुख्य सचिव से वन विभाग में बड़ी रिक्तियों, अग्निशमन उपकरणों की कमी और चुनाव आयोग द्वारा दी गई विशेष छूट के बावजूद वन अधिकारियों की तैनाती के बारे में भी स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस एसवीएन भट्टी औरजस्टिस संदीप भी शामिल हैं। मेहता ने पाया कि यद्यपि कई कार्य योजनाएँ तैयार की जाती हैं, लेकिन उनके कार्यान्वयन के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता है।

शीर्ष अदालत का यह सख्त रुख इस गर्मी में पहाड़ी राज्य में लगी जंगल की आग को मद्देनजर आया है। 9 मई को वन बल के प्रमुख धनंजय मोहन ने कहा कि जंगल की आग के कारण पांच लोगों की जान चली गई, जबकि 1,300 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई। “जंगल की आग की स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है। वन विभाग के कर्मी घटनास्थल पर समय पर पहुंच रहे हैं। जंगल की आग में अब तक 388 मामले दर्ज किए गए हैं और 60 मामलों को नामित किया गया है, ”मोहन ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले सप्ताह पिरूल लाओ-पैसे पाओ मिशन की शुरुआत की थी। इस अभियान के तहत, जंगल की आग को रोकने के लिए, स्थानीय ग्रामीणों और युवाओं द्वारा जंगल में पड़े पिरूल (चीड़ के पेड़ की पत्तियां) को एकत्र किया जाएगा, वजन किया जाएगा और फिर निर्धारित पिरूल संग्रह केंद्र में संग्रहीत किया जाएगा।

बुधवार को मुख्यमंत्री ने एक्स पर कहा, ''जंगलों में आग लगने का एक मुख्य कारण पिरूल है। इसके निस्तारण के लिए हम आम लोगों के साथ मिलकर अभियान चला रहे हैं। 'पिरूल लाओ, पैसे पाओ' अभियान के तहत एक बड़ा बहुत से लोग पिरूल एकत्र कर रहे हैं और इसे 50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सरकार को बेच रहे हैं।

“इसका व्यापक असर भी देखने को मिल रहा है। वर्तमान में, इस अभियान के कारण, जंगल में आग की घटनाओं में काफी कमी आई है और वन क्षेत्र के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को भी आय हो रही है, ”धामी ने कहा।

असदुद्दीन ओवैसी ने नरेंद्र मोदी पर नफरत फ़ैलाने किया दावा

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस स्पष्टीकरण पर प्रतिक्रिया व्यक्त की कि मोदी ने पिछले महीने अपनी विवादास्पद 'घुसपैठियों' वाली टिप्पणी में कभी भी 'मुसलमानों' का उल्लेख नहीं किया था, उन्होंने दावा किया कि भाजपा के इस दिग्गज नेता की पूरी राजनीतिक यात्रा "मुस्लिम विरोधी राजनीति" पर आधारित थी।

भाजपा सरकार के सबसे कठोर आलोचकों में से एक, असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि पीएम मोदी ने अपने लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान "मुसलमानों के खिलाफ अनगिनत झूठ और अत्यधिक नफरत" फैलाई। उन्होंने पीएम मोदी की सफाई को झूठा बताया। हैदराबाद के सांसद ने उन लोगों पर भी हमला किया जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण सुनने के बावजूद भाजपा को वोट देते हैं।

"मोदी ने अपने भाषण में मुसलमानों को घुसपैठिया और बहुत अधिक बच्चे वाले लोग कहा था। अब वह कह रहे हैं कि वह मुसलमानों के बारे में बात नहीं कर रहे थे, उन्होंने कभी हिंदू-मुसलमान नहीं किया। यह झूठी सफाई देने में इतना समय क्यों लगा? मोदी की राजनीतिक यात्रा पूरी तरह से मुस्लिम विरोधी राजनीति पर आधारित है। इस चुनाव में मोदी और बीजेपी ने मुसलमानों के खिलाफ अनगिनत झूठ और बेहद नफरत फैलाई है।'' असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर लिखा। 

पिछले महीने, राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली में, पीएम मोदी ने अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया था कि कांग्रेस देश की संपत्ति को "जिनके पास अधिक बच्चे और घुसपैठिए हैं" को फिर से वितरित करने की योजना बना रही है। कल पीएम मोदी ने न्यूज18 को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि उनका इशारा खासतौर पर मुसलमानों की तरफ नहीं था। उन्होंने कहा कि वह देश के हर गरीब परिवार के बारे में बात कर रहे हैं।

"मैं हैरान हूं। आपसे किसने कहा कि जब भी कोई अधिक बच्चों वाले लोगों के बारे में बात करता है, तो यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि वे मुस्लिम हैं? आप मुसलमानों के प्रति इतने अन्यायी क्यों हैं? गरीब परिवारों में भी यही स्थिति है। जहां गरीबी है, वहां अधिक बच्चे हैं , चाहे उनका सामाजिक दायरा कुछ भी हो। मैंने हिंदू या मुस्लिम का उल्लेख नहीं किया है। मैंने कहा है कि आपको उतने ही बच्चे पैदा करने चाहिए, जिनकी देखभाल आप कर सकें ,” प्रधान मंत्री ने कहा।

पीएम मोदी ने यह भी दावा किया कि 2002 के गोधरा दंगों के बाद उनके विरोधियों ने मुसलमानों के बीच उनकी छवि खराब करने की कोशिश की थी।उन्होंने कहा कि अगर वह "हिंदू-मुस्लिम करना शुरू कर देंगे" तो वह सार्वजनिक क्षेत्र में रहने का अधिकार खो देंगे। उन्होंने कहा कि यह उनकी प्रतिज्ञा है कि वह कभी हिंदू-मुस्लिम नहीं करेंगे।

कांग्रेस ने मोदी की ''बेहद आपत्तिजनक'' टिप्पणी के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। आयोग ने शिकायत पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से जवाब मांगा था।

फारूक अब्दुल्ला की पीएम मोदी पर विवादित टिप्पणी, बोले-अपनी पत्नी तो संभाल नहीं पाए...

#farooq_abdullah_gave_a_controversial_statement_about_prime_minister

चुनाव प्रचार के दौरान नेता एक दूसरे पर जुबानी हमला बोल रहे हैं। इस दौरान कई बार नेता अपनी मर्यादा भूलते जा रहे हैं। इसी क्रम में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बेहद विवादित टिप्पणी की है।उन्होंने कहा कि वह अपनी बीवी को संभाल नहीं पाए। जब उनके बच्चे नहीं हैं तो उनकी मोहब्बत क्या जानेंगे।

फारूक अब्दुल्ला ने एक चुनाव रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मुसलमानों को निशाना बनाते हुए वो कहते हैं कि ये मुसलमान ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं। मोदी साहब आप अपनी बीवी को संभाल नहीं सके, तो आपके बच्चे कहां से आते। आप क्या जानते हैं। आप क्या जानते हैं बच्चों की मोहब्बत और उनका लगाव। किस तरह से बच्चे अपने मां-बाप की इज्जत और खिदमत करते हैं, आप क्या जानते हैं, आपको तो कोई नहीं है, अकेले हो और अकेले जाओगे। उनसे पूछो जिनकी औलाद है।

वैसे, फारूक अब्दुल्ला अकेले नहीं हैं जिन्होंने पीएम मोदी के परिवार को लेकर विवादित बयान दिया है। इससे पहले आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने महागठबंधन की रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर अभद्र टिप्पणी की थी। लालू यादव ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी आजकल परिवारवाद का जिक्र कर रहे हैं, आपका परिवार नहीं है और आप हिंदू भी नहीं हैं

न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी को सुप्रीम कोर्ट ने बताया अवैध, रिहाई का आदेश

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड को अवैध करार दिया और उनकी रिहाई के आदेश जारी कर दिए। अदालत ने ये भी कहा कि पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी के समय ये नहीं बताया गया कि इसका आधार क्या था, इसकी वजह से गिरफ़्तारी निरस्त की जाती है। बता दें कि प्रबीर पुरकायस्थ को पिछले साल दिल्ली पुलिस ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था।

जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई झिझक नहीं है कि लिखित रूप में गिरफ्तारी के लिए रिमांड कॉपी नहीं दी गई, जिसके चलते ये गिरफ्तारी अवैध है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गिरफ्तारी के वक्त पुरकायस्थ को पुलिस ने गिरफ्तारी का आधार नहीं दिया था, इसलिए वह जमानत के हकदार हैं।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तारी के बाद उनके वकील को सूचित किए बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में जल्दबाजी के लिए दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए थे। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि पुरकायस्थ के वकील को रिमांड आवेदन दिए जाने से पहले ही रिमांड आदेश पारित कर दिया गया था। पिछले साल अक्टूबर में जस्टिस गवई की अगुवाई वाली पीठ ने पुलिस रिमांड का आधार नहीं बताने पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था।

प्रबीर पुरकायस्थ के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी थी कि उनके मुवक्किल को हिरासत में लिए जाते समय गिरफ़्तारी का आधार नहीं बताया गया था, जबकि इसकी जानकारी लिखित में दी जानी चाहिए थी। हालांकि, दिल्ली पुलिस की ओर से एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि पुरकायस्थ को बताया गया था कि उनकी गिरफ़्तारी किन आधारों पर की गई है। उन्होंने कहा कि लिखित में इसकी जानकारी देना यूएपीए के तहत अनिवार्य नहीं है।

दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक कार्यालय और समाचार पोर्टल के संपादकों और पत्रकारों के आवासों सहित कई छापे के बाद पिछले साल 3 अक्टूबर को पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया था। बता दें कि पोर्टल के माध्यम से राष्ट्र-विरोधी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए कथित चीनी फंडिंग के मामले में पुरकायस्थ को गिरफ्तार किया गया था।