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छत्तीसगढ़ के अब तक के सबसे निष्क्रिय महापौर साबित हुए एजाज ढेबर: सुनील सोनी

रायपुर- भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुनील सोनी ने राजधानी के महापौर एजाज ढेबर के उस बयान को नितांत गैर जिम्मेदाराना बताया है, जिसमें ढेबर ने कहा है कि रायपुर शहर की समस्याओं का निदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नहीं कर सकते और वार्डों में जो समस्याएँ हैं, यह परेशानी हमेशा बनी रहेगी। सोनी ने कहा कि बड़े-बड़े वादों के सब्जबाग दिखाकर कांग्रेस की नगर सरकार जिस तरह नाकारा साबित हुई है, उसके बाद ढेबर अब जनाकांक्षाओं को पूर्ण करने से मुँह चुराने का काम कर रहे हैं। दरअसल मेयर ढेबर समेत तमाम कांग्रेसी नेता जमीनी समस्याओं और उनके सार्थक समाधान के उपायों से पूरी तरह दूर हैं और इसलिए पूरी कांग्रेस जन विश्वास खो चुकी है।

भाजपा सांसद सोनी ने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि ढेबर समेत तमाम सियासी जुमलेबाज कांग्रेस नेताओं ने पिछले पाँच वर्ष के अपने शासनकाल में केवल शराब कारोबारियों, रेत माफियाओं, जमीन माफियाओं, काली कमाई में लगे बिल्डर्स, घोटालेबाजों के हितों का ही संरक्षण करने और अपनी-अपनी तिजोरियाँ भरने में अपना सारा ध्यान केंद्रित कर रखा था। सोनी ने कहा कि एक सामान्य आदमी की समस्याओं को जाना होता और उसके समाधान के ठोस उपायों पर ध्यान दिया होता तो ‘समस्या बनी रहेगी’ जैसा बयान देने की नौबत नहीं आती। समस्याएँ पैदा करना ही जिस कांग्रेस का कुलजमा राजनीतिक इतिहास रहा है, उससे समस्याओं के समाधान की सोच की उम्मीद ही बेमानी है।

भाजपा सांसद सोनी ने कहा कि अगर ढेबर में शहर की समस्याओं को दूर करने का जरा भी राजनीतिक पुरुषार्थ शेष नहीं रह गया है तो उन्हें अपने इस बयान के बाद शर्म महसूस करते हुए तुरंत महापौर का पद त्याग देना चाहिए और भाजपा के किसी पार्षद को महापौर बना देना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश चमक रहा है, लेकिन ढेबर रायपुर में लाइट, सफाई की समस्या पर हाथ खड़े कर रहे हैं। मोदी के आशीर्वाद से भाजपा का महापौर इस समस्या से जनता को चुटकियों में निजात जरूर दिलाएगा। सोनी ने कहा कि ढेबर ने जो कुछ भी कहा है, वह पाँच वर्षों तक राजधानी की जनता के साथ किए गए छलावे और धोखाधड़ी का दस्तावेज है।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की महिला नेत्रियों को दी बड़ी जिम्मेदारी, पूर्व सांसद छाया वर्मा और पूर्व मंत्री अनिला भेड़िया को इस राज्य

रायपुर-  AICC ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस की महिला नेत्रियों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. पूर्व राज्य सभा सांसद छाया वर्मा और पूर्व मंत्री अनिला भेड़िया लोकसभा चुनाव एक लिए हिमाचल प्रदेश में ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है. इस संबंध में AICC की ओर से आदेश जारी किया गया है.

जारी आदेश के अनुसार, छाया वर्मा को शिमला-04 लोकसभा क्षेत्र में चौपाल विधानसभा क्षेत्र के लिए पर्यवेक्षक बना गया है. वहीं पूर्व मंत्री अनिला भेड़िया को शिमला-04 लोकसभा क्षेत्र में ठियोग विधानसभा क्षेत्र के लिए पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है.

योजनाएं बंद लेकिन खाते में रकम, सरकार ने मांगा विभागों से जवाब, वित्त विभाग ने जारी किया पत्र

रायपुर- वित्त विभाग ने पिछली सरकार के कार्यकाल में संचालित और वर्तमान में बंद योजनाओं से जुड़ी अवशेष राशि को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. विभाग ने प्रदेश के सभी विभागों समेत जिला कलेक्टरों को आदेश जारी कर बंद योजनाओं की अवशेष राशि की जानकारी मांगी है.

जारी आदेश में कहा गया है कि वित्त विभाग के संज्ञान में आया है कि पूर्व में संचालित लेकिन वर्तमान में बंद विभिन्न योजनाओं के लिये प्राप्त राशि के विरूद्ध अव्ययित राशि बैंक खातों में शेष उपलब्ध है और उनका संधारण अभी भी राज्य और मैदानी कार्यालयों से किया जा रहा है. इसलिए वर्तमान में बंद योजनाओं के विरूद्ध बैंक खातों में शेष अव्ययित राशि तत्काल प्रभाव से राज्य शासन के खाते में जमा करते हुए संलग्न प्रपत्र में जानकारी संबंधित विभागाध्यक्ष को उपलब्ध करावें और प्रति वित्त विभाग को भेजें.

नाम बदलने की राजनीति: भूपेश सरकार ने BJP सरकार की चल रही शिक्षा व श्रम की कई योजनाओं का बदला था, जिस आत्मानंद पर कर रहे राजनीति, उसे भी 2019 मे

रायपुर- छत्तीसगढ़ में इन दिनों नाम बदलने को लेकर राजनीति खूब गरमायी हुई है. स्वामी आत्मानंद स्कूल के नाम परिवर्तन को लेकर लग रही अटकलों के बीच कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर है. वो धर्म, संस्कार व सिद्धांतों का काकटेल बनाकर भाजपा पर लगातार निशाना लगा रही है.

बेशक, नाम बदलने को लेकर कांग्रेस मौजूदा वक्त में विपक्षी तेवर दिखा रही हो, लेकिन हकीकत तो यही है कि पिछले 5 सालों में कांग्रेस सरकार ने ही नाम बदलने का काम सबसे ज्यादा किया है. फिर चाहे बात स्कूल शिक्षा से जुड़ी योजनाओं की कर लें या फिर नगरीय निकाय से जुड़ी योजनाओं की लिस्ट देख लें. हैरानी की बात तो यही है कि जिस स्वामी आत्मानंद पर सबसे ज्यादा राजनीति मौजूदा वक्त में गरमायी हुई है, खुद कांग्रेस सरकार ने वो नाम पंडित दीनदयाल के नाम से बदलकर योजना में शामिल किया है.

प्रोत्साहन योजना का बदला नाम

2017 में छत्तीसगढ़ की तत्कालीन रमन सरकार ने “पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना” के नाम पर टापर्स बच्चों को सम्मानित करने की योजना बनायी थी. इस योजना के तहत मुख्यमंत्री की तरफ से कक्षा 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में मेरिट (प्रथम दस स्थान) में स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को लैपटॉप प्रदान किया जाता था, वहीं कक्षा 10वीं के मेधावी विद्यार्थियों को दो वर्ष के लिए प्रतिमाह रुपए 5000/- (प्रतिवर्ष 10 माह हेतु) एवं कक्षा बारहवीं के मेधावी विद्यार्थियों को दो वर्ष के लिए प्रतिमाह रुपए 10000/- (प्रतिवर्ष 10 माह हेतु) छात्रवृत्ति प्रदान किया जाता था.

दीनदयाल मेधावी प्रोत्साहन योजना का बदला नाम

2017 के बाद दो साल तक योजना संचालित हुई, लेकिन जैसे ही 2019 में भूपेश बघेल की सरकार बनी, तो सरकार ने “पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना” का नाम बदल दिया और “स्वामी आत्मानंद मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना” कर दिया. योजना के अन्तर्गत दसवी एवं बारहवीं की बोर्ड की परीक्षाओं में मेरिट (प्रथम दस स्थान) में स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को लेपटॉप प्रदान करने और तथा इसके अतिरिक्त कक्षा दसवीं एवं बारहवीं के मेधावी विद्यार्थियों को 1.25 लाख प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का निर्णय लिया गया.

कांग्रेस ने कई योजनाओं का नाम बदला

कांग्रेस सरकार साल 2019 में जैसे ही सत्ता में आयी. कई योजनाओं व संस्थाओं का नाम उन्होंने परिवर्तित कर दिया. जगदलपुर स्थित बलीराम कश्यप मेडिकल कालेज का नाम बदलकर साल 2021 में कांग्रेस सरकार ने कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा के नाम पर कर दिया है. यही नहीं इससे पहले नगरीय प्रशासन और श्रम विभाग में चल रही सात योजनाओं के नाम भी पिछली सरकार ने बदले थे. इनमें से ज्यादातर योजनाएं पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर थीं. तब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष (मौजूदा मुख्यमंत्री) विष्णुदेव साय ने इसे कांग्रेस का राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया था. उन्होंने कहा था कि यह सरकार खुद कोई जनकल्याण का काम नहीं कर सकती, इस वजह से केवल नाम बदलकर झूठी वाहवाही लूटने की कोशिश कर रही है.

इन योजनाओं के बदले गए हैं नाम

- पं. दीनदयाल उपाध्याय स्वावलंबन योजना का नाम बदलकर राजीव गांधी स्वावलंबन योजना किया गया.

- पं. दीनदयाल उपाध्याय सर्वसमाज मांगलिक भवन योजना का नाम डा. बीआर आंबेडकर सर्वसमाज मांगलिक भवन योजना किया गया.

- पं. दीनदयाल उपाध्याय एलईडी पथ प्रकाश योजना का नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी एलईडी पथ प्रकाश योजना किया गया.

- पं. दीनदयाल उपाध्याय आजीविका केंद्र योजना का नाम राजीव गांधी आजीविका केंद्र किया गया.

- पं. दीनदयाल उपाध्याय शुद्ध पेयजल योजना का नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी शुद्ध पेयजल किया गया.

- राजमाता विजयाराजे कन्या विवाह योजना का नाम बदलकर मिनीमाता कन्या विवाह योजना किया गया.

- पं. दीनदयाल उपाध्याय अन्न श्रम सहायता योजना का नाम शहीद वीर नारायण सिंह श्रम सहायता योजना किया गया.

कवासी लखमा ने ईवीएम से छेड़छाड़ का जताया संदेह, चुनाव आयोग से करेंगे शिकायत…

जगदलपुर- बस्तर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने ईवीएम से छेड़छाड़ का संदेह जताया है. उन्होंने सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के बार-बार के दौरे पर संदेह जताते हुए इस बात की शिकायत चुनाव आयोग से करने की बात कही है.

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बस्तर लोकसभा सीट के लिए हुए मतदान के बाद प्रत्याशियों का भविष्य ईवीएम में कैद हो गया है. जगदलपुर, बस्तर व चित्रकोट विधानसभा की ईवीएम मशीनों को धरमपुरा के हार्टीकल्चर कॉलेज के स्ट्रांग रूम में सील कर रखा गया है.

इस बीच जगदलपुर में पूर्व मंत्री एवं बस्तर लोकसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी कवासी लखमा ने कहा कि ईवीएम की छेड़छाड़ के मकसद से सीआरपीएफ के आला अधिकारियों ने जगदलपुर की हॉर्टिकल्चर कॉलेज में मौजूद स्ट्रांग रूम में जाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा है कि सुरक्षा के इंतजाम होने के बावजूद भी बार-बार अधिकारियों का दौरा संदेहास्पद है, मामले की शिकायत चुनाव आयोग से करने की भी बात कवासी लखमा ने कही है.

ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में छगन लाल मुंदड़ा को मिली बड़ी जिम्मेदारी, झारसगुड़ा और बरगढ़ सीट में करेंगे प्रचार…

रायपुर-  ओडिशा लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और पूर्व राज्यमंत्री छगन लाल मुंदड़ा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. छत्तीसगढ़ से ओडिशा जाने वाले भाजपा पदाधिकारियों की सूची में उन्हें शामिल किया गया है.

सीएसआईडीसी के पूर्व अध्यक्ष राज्यमंत्री छगन लाल मुंदडा, वरिष्ठ कार्यकर्ता मनोज खुडिया के साथ बरगढ़ लोकसभा प्रत्याशी प्रदीप पुरोहित एवं झारसुगगुडा विधानसभा प्रत्याशी टंकधर त्रिपाठी का चुनाव प्रचार करेंगे.

बता दें कि भाजपा संगठन के वरिष्ठ नेता छगन लाल मुंदड़ा रायपुर जिला अध्यक्ष होने के साथ-साथ संगठन के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. रमन सरकार के दौरान सीएसआईडीसी के अध्यक्ष बनाए गए थे.

निगम-मंडल-आयोग में सांय-सांय का इंतजार !

रायपुर- छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव परिणाम का इंतजार भाजपा नेताओं-कार्यकर्ताओं को बेसब्री से है, क्योंकि सरकार बनने के बाद से निगम-मंडल-आयोग में जगह पाने नेता-कार्यकर्ता आतुर हैं. और उनका इंतज़ार चुनाव परिणाम के साथ खत्म हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री साय कई नामों पर विचार कर चुके हैं. आचार संहिता हटने के कुछ दिनों बाद पहली सूची आ सकती है.

भाजपा कार्यालय से लेकर पक्ष और विपक्षी गलियारों तक में पद पाने और नहीं पाने वाले भी निगम-मंडल-आयोग में सांय-सांय का इतज़ार कर रहे हैं. दरअससल साय सरकार में कई निर्णय सांय-सांय लिए गए हैं, ऐसे में भाजपा कार्यकर्ता और नेता भी सांय-सांय नियुक्ति की राह देख रहे हैं. राह देखने वालों में भाजपा के कुछ ऐसे वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं, जो साय सरकार में मंत्री बन पाने से वंचित रह गए हैं, जो 2023 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाए हैं, जिन्हें लोकसभा की टिकट नहीं मिल पाई है. वहीं कुछ ऐसे ज़मीनी कार्यकर्ता भी हैं, जो बिना किसी लाभ हानि के चुप-चाप संगठन के लिए काम करते रहे हैं. यही नहीं इन सबके बीच संघ के कुछ लोग भी शामिल बताए जा रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री साय ने ऐसी जगहों पर होने वाली नियुक्तियों को लेकर एक दौर का मंथन कर लिया है. दिल्ली से भी विचार-विमर्थ किया जा चुका है. शुरुआती सूची के कुछ प्रमुख नाम तय बताए जा रहे हैं. हालांकि यह सूची सांय-सांय ही आ जाए इस पर अभी संदेह है, क्योंकि निगम-मंडल-आयोग से पहले कैबिनेट में फेरबदल और विस्तार होना है.

साय कैबिनेट में जगह पाने भी कई वरिष्ठ विधायक कतार में हैं. साथ ही कुछ नए विधायकों ने भी अपनी सक्रियता तेज़ कर दी है. चर्चा में है कि एक नाम संघ की ओर से तय कर दिया गया है. खैर कैबिनेट में तो कुछ ही हैं जो अंदर आएंगे और बाहर जाएंगे, लेकिन निगम-मंडल-आयोग में जगह पाने के लिए बड़ी जगह है. इसी खाली जगह में जगह बनाने के लिए वो नेता भी लग चुके हैं, जो कैबिनेट में जगह पाने से वंचित रहे, वो इस जगह अपनी जगह जमा सकते हैं.

जगह पाने और जमाने के इस क्रम में जोड़-तोड़ की राजनीति भी चलेगी, क्योंकि इस क्रम में वे नेता भी सक्रिय हो गए जो दूसरे दल से उम्मीदों के साथ कुछ पाने आए हैं. अब किसे, कहां और कितना मिलेगा ? इसके लिए अभी थोड़ा और इंतज़ार करना होगा.

महापौर के बयान पर डिप्टी सीएम साव बोले – जिम्मेदारी नहीं संभाल पा रहे तो पद पर रहने का अधिकार नहीं, कांग्रेस के तीन सीटों पर उपचुनाव के दावे पर

रायपुर-  उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने बुधवार को रायपुर महापौर एजाज ढेबर के बयान पर सख्त प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि रायपुर के निर्वाचित महापौर ने पांच साल तक जनता के साथ अन्याय किया है. जो बयान उनका निगम के कार्यों को लेकर आया है इससे स्पष्ट है कि वो साढ़े चार साल से इसी नकारात्मकता से काम करते थे और इसीलिए राजधानी की जनता ठगा महसूस करती रही है. इस प्रकार से एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि का बयान अत्यंत दुर्भाग्यजनक है. वो जिम्मेदारी नहीं संभाल पा रहे हैं तो उन्हें उस पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है.

बता दें कि महापौर ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी भी आएंगे तो नगर निगम रायपुर की समस्या का समाधान नहीं कर पाएंगे. वहीं पीडब्ल्यूडी के दो ईई के वेतन रोकने की कार्रवाई पर डिप्टी सीएम ने कहा कि जहां पर भी गड़बड़ी मिलेगी, कड़ी कार्रवाई की जाएगी. प्रशासनिक व्यवस्था और अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना सभी को आवश्यक है.

कांग्रेस द्वारा तीन सीटों पर उपचुनाव के दावे पर साव ने कहा कि कांग्रेस इस बार शून्य में आउट होने वाली है. 11 की 11 सीटें भारतीय जनता पार्टी जीतने वाली है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायबरेली में लोगों से कह रहे हैं कि आप प्रधानमंत्री के लिए वोट कीजिए. इस पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस में ना दूल्हा है ना बाराती है. बाराती छोड़कर भाग गए हैं. कांग्रेस के प्रत्याशी अपना नाम वापस ले रहे हैं. किसी राजनीतिक दल की इससे दुर्गति और क्या हो सकती है. ये पार्टी समाप्ति की ओर बढ़ रही है. कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष बनाने की स्थित में नहीं है, प्रधानमंत्री बनाना तो दूर की बात है.

पीसीसी चीफ दीपक बैज का बड़ा बयान, कहा- इंडिया गठबंधन के सर्वमान्य नेता राहुल गांधी ही बनेंगे प्रधानमंत्री

रायपुर-  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने राहुल गांधी को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि आगे देश में अगर प्रधानमंत्री बनने की बात होगी तो हमारे नेता राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे. इंडिया गठबंधन में वो सर्वमान्य हैं, आगे भी रहेंगे और वहीं प्रधानमंत्री बनेंगे.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दीपक बैज ने प्रधानमंत्री के बयान कि मैं हिंदू-मुस्लिम करूंगा तो सार्वजनिक जीवन में नहीं रहूंगा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अभी तक तो मोदी यही करते आए हैं. मोदी बड़े खिलाड़ी, उन्हें पता है कि इमोशनल चुनाव खेलते हैं, पर इस बार अब कोई हथियार नहीं काम करेगा. वो मुद्दों पर नहीं, इमोशनल कार्ड खेलते हैं, लेकिन जनता इस पर नहीं आएगी.

पीसीसी चीफ ने कहा कि आज देश में स्थिति अलग है. आज न मंगल सूत्र, ना मंदिर-मस्जिद और न ही मुसलमान काम आ रहा है. सब तुरुप का पत्ता काम नहीं आ रहा. हमारे नेता राहुल गांधी ने कहा था, मैने भी कहा था वो जनता को इमोशनल न कर दें, रो न दें. अब दो हथियार और बचे, एक दंडवत न कर दे, और दूसरा मंच पर चलते-चलते जानबूझकर गिर ना जाएं.

नक्सल घटनाओं पर दीपक बैज ने कहा कि बीजेपी की सरकार में बस्तर पूरी तरह से अशांत है. कहीं पुलिस तो कहीं नक्सलियों का डर. फर्जी सरेंडर और फर्जी नक्सली घटनाएं. प्रदेश संभालना बीजेपी के बस की बात नहीं है.

वहीं उपचुनाव में नंबर नहीं लगने वाले राम विचार नेताम के बयान पर पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि कल मैंने कहा था कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी से ज्यादा सीट जीत रहे हैं. तीन विधानसभा में उपचुनाव होने हैं. यह सुनते ही बीजेपी के नेताओं के नींद उड़ गई है.

दीपक बैज ने कहा कि दीपक बैज केवल सांसद ही नहीं, पार्टी अध्यक्ष भी है. चुनाव से अधिक पार्टी की जिम्मेदारी है. मैंने पार्टी को अपनी बात रख दी है. हमने छत्तीसगढ़ में बेहतर चुनाव लड़ा है. देश में जो सरकार बनेगी उसमें छत्तीसगढ़ का बड़ा हाथ होगा.

अब जनता खुद चुनेगी महापौर और नगर अध्यक्ष, बड़े बदलाव की तैयारी में विष्णु सरकार…

रायपुर- पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार ने नगर पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम के चुनाव के नियमों में बड़ा फेरबदल किया था। पूर्व में जहाँ निकायों में अध्यक्ष और महापौर का चुनाव स्वतंत्र रूप से होता था और जनता इन शीर्ष पदों के लिए मतदान करती थी तो वही तत्कालीन सरकार भूपेश सरकार ने अध्यक्ष और महापौर के चुनाव का अधिकार चुने हुए पार्षदों को दे दिया था। इस नियम के बाद बहुमत के आधार पर चुनाव किया जाता था। तब की विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस फैसले का पुरजोर तरीके से विरोध किया था। राजनीति से दूर आम लोगों के बीच भी यह चर्चा थी कि इस तरह के नियमों से चुनावी गड़बड़ी और खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा।

हालाँकि अब प्रदेश में सरकार बदल चुकी हैं लिहाजा यह भी तय हैं कि नई सरकार पुरानी सरकार के इस फैसले को पलटते हुए अध्यक्ष और महापौर के चुनाव को अधिकार आम मतदाताओं को वापस कर दे।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने बताया कि उनकी सरकार इस बारे में विचार कर रही हैं और लोकसभा चुनाव के संपन्न होने के बाद इस पर विचार-विमर्श कर फैसला लिया जाएगा। अरुण साव ने यह भी बताया हैं कि वे नगरीय निकाय चुनाव के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं। ऐसे में यह तय माना जा रहा हैं कि इस साल एक आखिर में जब नगरीय निकायों के चुनाव होंगे तो मतदाता एक बार फिर से एक के बजाये दो वोट कर पाएंगे। इनमे एक पार्षद तो दूसरा नगर अध्यक्ष का होगा।