अलविदा सुशील मोदी : 5 दशक तक बिहार के राजनीतिक पटल पर छाये रहे, राजनीति की काजल की कोठरी से बेदाग निकल दुनिया से हुए रुखस्त
डेस्क : बिहार की राजनीतिक जगत करीब में 5 दशक से बिहार भाजपा की धुरी रहे बिहार की सियासत के युगपुरुष सुशील कुमार मोदी का सोमवार को दिल्ली में निधन हो गया। कैंसर से पीड़ित सुशील मोदी ने बीते सोमवार रात 9 बजकर 29 मिनट पर 72 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली। आज मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर पटना लाया जाएगा और यहीं दीघा घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। सुशील मोदी को 9 अप्रैल को एम्स दिल्ली में भर्ती किया गया था। *बचपन से आरएसएस और एबीवीपी से जुड़े रहे* सुशील मोदी बचपन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एवीबीपी) से जुड़े रहे। जब 70 के दशक में विश्वविद्यालयी शिक्षा के लिए पटना विश्वविद्यालय में नामांकन कराए तो छात्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए वे हमेशा आगे रहे। यहीं उनका राजनीति से प्रथम परिचय हुआ। *बीजेपी के स्थापना काल से जुड तेज-तर्रार नेता के रुप में आए सामने* 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के चुनाव में लालू प्रसाद अध्यक्ष और सुशील कुमार मोदी महासचिव निर्वाचित किए गए। इसके बाद वे सक्रिय राजनीति में शामिल होने लगे। 1974 के छात्र आंदोलन के तत्कालीन नायकों में वे प्रमुख रहे। 1980 में जब भाजपा का गठन हुआ तब वे स्थापना काल से ही उससे जुड़ गए और पार्टी के तेज-तर्रार नेता के रूरूप में उभर कर सामने आए। *जेपी आंदोलन में बढ़-चढकर लिया हिस्सा, गए जेल* 1974 में जेपी आंदोलन में सुशील कुमार मोदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आपातकाल के दौरान वह जेल भी गए थे। सुशील मोदी 1983 से लेकर 86 तक अखिल भारतीय व सुशील मोदी 1983 से लेकर 86 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेश मंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री सहित कई पदों पर रहने के बाद 1983 में उन्हें महासचिव बनाया गया था। *सुशील मोदी का राजनीतिक सफर* पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी छात्र जीवन से सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों को लेकर जुझारू रहे। वे पांच दशक तक बिहार के राजनीतिक पटल पर छाये रहे। सुशील मोदी पहली बार पटना मध्य निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने और उन्हें भाजपा विधायक दल का मुख्य सचेतक बनाया गया। इसे अब कुम्हार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। सुशील मोदी ने 1990 से 2004 के बीच तीन बार बिहार विधानसभा का चुनाव जीता। 1996 से 2004 तक वो बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। उन्हें 2003 में भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया, वो इस पद पर 2005 तक रहे। उन्होंने 2005 में अपनी लोकसभा सदस्यता छोड़ दी और बिहार विधान परिषद के सदस्य बन गए, जिसके बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। वो 2020 में राज्यसभा के लिए चुने गए और इस साल की शुरुआत में सेवानिवृत्त हुए। *लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद चारों सदन के सदस्य रहे सुशील मोदी* अपने तीन दशकों से अधिक के राजनीतिक करियर के दौरान सुशील कुमार मोदी ने विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य सहित विभिन्न पदों पर कार्य किया। वो लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद सहित सभी 4 सदनों के सदस्य रहने वाले बिहार के चंद नेताओं में से एक थे। उन्होंने 2005 से 2013 तक और फिर 2017 से 2020 तक बिहार के उपमुख्यमंत्री का पद भी संभाला। *राजनीति के काजल की कोठरी से बेदाग निकले* बिहार की राजनीति में मोदी बिहार के डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री की लंबे समय तक अहम भूमिका निभाए। अपने इतने लंबे राजनीतिक कैरियर में उनते चरित्र पर कभी कोई दाग नहीं लगा और राजनीति की काजल की कोठरी से बेदाग निकल दुनिया से रुखस्त हो गए।
May 14 2024, 20:14