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रांची लोकसभा सीट पर इस बार भी सीधा टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच, जानिए इस सीट का इतिहास और स्थिति...?

झारखंड डेस्क

झारखंड की राजधानी रांची लोकसभा सीट को लेकर भाजपा और कोंग्रेस के बीच मैराथन जारी है। इस सीट पर सीधा मुकाबला कोंग्रेस और भाजपा के बीच होगा।लेकिन इस मुकाबले में जीत हार किसकी होगी यह तो 4 जून को तय होगा।

वैसे जीत के दावे दोनो तरफ से किये जा रहे हैं।दोनो पक्ष के अपने अपने तर्क हैं। 

इस सीट की बात करें तो 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में लगातार दो बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है। इससे पहले दो चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। अब 2024 के महासंग्राम में जीत का हार किसके गले में पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। जानिए क्या है रांची सीट का समीकरण और इतिहास...

झारखंड की राजधानी रांची राज्य की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक उस। इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच टक्कर होती है। यहां 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने बाजी मारी। 2019 में यहां से संजय सेठ सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे थे। वहीं इससे पहले रामटहल चौधरी ने जीत दर्ज की थी। इस बार भी भाजपा को यहां से संजय सेठ पर भरोसा  है।

रांची लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें इच्छागढ़, सिल्ली, खिजरी, रांची, हटिया, कनके विधानसभा सीटें शामिल हैं।

क्या है रांची लोकसभा सीट का सियासी इतिहास..?

साल 1952 के लोकसभा चुनाव में रांची सीट पर पहली बार कांग्रेस के अब्दुल इब्राहिम जीते थे। वहीं 1957 में निर्दलीय प्रत्याशी मीनू मसानी ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1962, 1967 और 1971 में पीके घोष लगातार तीन बार लोकसभा पहुंचे थे। 1977 में बीएलडी के रविंद्र वर्मा सांसद निर्वाचित हुए। 1980 और 1984 के चुनाव में कांग्रेस के शिव प्रसाद साहू ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1989के चुनाव में जनता दल से सुबोध कांत सहाय सांसद चुने थे।

लगातार चार बार बीजेपी का दबदबा

इसके बाद बीजेपी के टिकट पर 1991, 1996, 1998 और 1999 में राम टहल चौधरी लगातार चार बार सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2004 और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सुबोध कांत सहाय चुनाव जीत कर आये। फिर 2014 में बीजेपी के टिकट पर राम टहल चौधरी और 2019 में संजय सेठ जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं।

क्या हैं मतदाताओं के आंकड़े..?

2019 के आम चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 12.35 लाख थी। वहीं कुल आबादी करीब 28 लाख थी। झारखंड अलग राज्य की मांग के दौरान रांची आंदोलन का केंद्र था। 

2019 चुनाव परिणाम

विजेता – संजय सेठ (भाजपा)

वोट मिले – 706,828

वोट (%) – 57.21

उपविजेता – सुबोधकांत सहाय (कांग्रेस)

वोट मिले – 4,23,802

वोट (%) – 34.3

अंतर 2,83,026

2014 चुनाव में क्या रहा स्थिति

विजेता – रामटहल चौधरी (भाजपा)

वोट मिले – 4,48,729

वोट (%) – 42.74

उपविजेता – सुबोधकांत सहाय (कांग्रेस)

वोट मिले – 2,49,426

वोट (%) – 23.76

अंतर 1,99,303

1952 भी 2019 तक किन लोगो ने की जीत दर्ज़

1952 – अब्दुल इब्राहिम – कांग्रेस

1957 – मीनू मसानी – निर्दल

1962 – प्रशांत कुमार घोष – कांग्रेस

1967 – प्रशांत कुमार घोष – कांग्रेस

1971 – प्रशांत कुमार घोष – कांग्रेस

1977 – रवीन्द्र वर्मा – जनता पार्टी

1980 – शिव प्रसाद साहू – कांग्रेस (आई)

1984 – शिव प्रसाद साहू – कांग्रेस

1989 – सुबोधकांत सहाय – जनता दल

1991 – रामटहल चौधरी – भाजपा

1996 – रामटहल चौधरी – भाजपा

1998 – रामटहल चौधरी – भाजपा

1999 – रामटहल चौधरी – भाजपा

2004 – सुबोधकांत सहाय – कांग्रेस

2009 – सुबोधकांत सहाय – कांग्रेस

2014 – रामटहल चौधरी – भाजपा

2019 – संजय सेठ – भाजपा

क्या रहेगा इस बार कि स्थिति..?

इस बार फिर एक बार कोंग्रेस और भाजपा के बींच सीधा टककर है।चुनाव मैदान में भाजपा ने इस बार पुन:संजय सेठ पर भरोसा जताया है।संजय सेठ क्षेत्र में सक्रिय और जनता के बीच रहने वाले सांसद माने जाते हैं।जानता के मुद्दे को लेकर संघर्ष भी करते रहे हैं।इस लिए जनता के बीच ये लोकप्रिय भी रहे हैं।

वहीं कोंग्रेस ने इस बार सुबोध कांत सहाय की पुत्री यश्वासनी सहाय को चुनाव मैदान में उतारा है।यूँ तो यश्वासनी सहाय युवा, विदेश से कानून की पढ़ाई कर मुंबई में प्रैक्टिश कर रही थी।राजनीति उनके लिए नई चीज है।लेकिन इनके पिता सुबोध कांत सहाय राजनेता रहे, रांची लोकसभा का प्रतिनिधित्व भी किया।केंद्र में गृहराज्य मंत्री भी रहे साथ हीं और हर चुनाव में वे नही जीत पाए तो दूसरे स्थान पर रहे हैं।यह यश्वसनी सहाय के लिए पॉजिटिव है।

इधर यश्वसनी सहाय ने HEC का मुद्दा उठाकर तथा उसके कर्मचारियों के बीच जाकर उनकी सहानुभूति भी बटोरी है। 

अब देखना है कि कोंग्रेस के एक मंत्री के निजी सचिव के नौकर के पास से बरामद रुपये और पी एम मोदी द्वारा इसे मुद्दा बनाये जाने ,रांची में रोड शो करने से मतदाता पर कितना असर पड़ा है।इन सब के वावजूद टककर कांटे का है।

*ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल निलंवित,उनके नौकर के यहाँ से बरामद किया गया आज 39 करोड़ रुपए*

झारखंड डेस्क झारखंड में चंपाई सोरेन सरकार द्वारा ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल को निलंवित कर दिया गया । पिछले दिनों करोड़ों की कैश बरामदगी मामले में ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। न्यायिक हिरासत में जाने की सूचना के बाद सरकार की ओर से उन्हें सस्पेंड करने की कार्रवाई की जा रही थी। इस संदर्भ में आदेश जारी कर दिया गया। झारखंड के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की सहमति के बाद संजीव लाल को सस्पेंड कर दिया गया। कैश बरामदगी मामले में ईडी के हत्थे चढ़े संजीव लाल झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ने उन्हें निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। बता दें कि, झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल, सहायक जहांगीर आलम समेत अन्य के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की थी। करीब 39 करोड़ रुपए बरामद हुए हैं। 16 घंटे की कार्रवाई के बाद ईडी ने पिछले दिनों देर रात संजीव लाल व जहांगीर आलम को गिरफ्तार कर लिया था। निलंबित झारखंड प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी संजीव लाल को सात मई की रात 12:40 बजे ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। उनके साथ जहांगीर आलम को भी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। कार्मिक विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक सरकार ने संजीव लाल को सात मई से निलंबित करने का आदेश जारी किया है।
पीएम मोदी का लोकसभा चुनाव को लेकर दूसरा झारखंड दौरा ,चतरा में किया चुनावी सभा, कहा कोंग्रेस उनके शहजादे की उम्र से भी कम सीटें मिलेगी

झारखंड डेस्क

लोकसभा चुनाव को लेकर पीएम मोदी का दूसरा झारखंड दौरा हुआ।इस दौरान उन्होंने चतरा के सिमरिया में एक चुनावी सभा की।

उन्होंने कहा की कोंग्रेस के शहजादे की जितनी उम्र है उस से भी कम सीटें उन्हे इस बार मिलने जा रही है।कोंग्रेस और जेएमएम को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा की झारखंड मे कोंग्रेस के मंत्री के नौकर के नौकर के यहाँ नोटों का पहाड़ मिल रहा है। समझ सकते हैँ मंत्री के यहाँ कितना मिलेगा।ऐसे लोगों पर मोदी ही कार्रवाई कर सकता है।

उन्होंने कोंग्रेस को घेरते हुए कहा की कोंग्रेस गरीबों,ओबीसी आदिवासी की आरक्षण ख़त्म कर देना चाहती हैँ।

उन्होने कहा बाबा साहेब आंबेडकर धर्म के नाम पर आरक्षण के पक्ष में नहीं थे। लेकिन, कांग्रेस और इंडी गठबंधन वाले धर्म के नाम पर आरक्षण देने की कोशिश में है। अगर ऐएममए, कांग्रेस और आरजेडी की चली तो एससी-एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण नहीं बचेगा।

उन्होने कहा कि आपके वोट की ताकत है की द्रोपदी मुर्मु आज देश की राष्ट्रपति हैं।

बीजेपी ने आदिवासी बेटी को देश का राष्ट्रपति बनाया है।वे तीनों सेनाओं की कमान संभाल रही है। आप बताइए उनको राष्ट्रपति किसने बनाया। मोदी ने नहीं बनाया, आपकी वोट ने बनाया। आपकी वोट की ताकत है कि द्रोपदी मुर्मु देश की राष्ट्रपति हैं।

राम मंदिर को लेकर उन्होंने कहा कि 500 साल के इंतजार के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया गया। हम प्रभु राम की भक्ति करते है। 

उन्होंने पुरी आत्म विश्वास के साथ कहा कि इस बार भी सरकार भाजपा बनाएगी।

विदित हो कि 2019 के चुनाव में मोदी ने चतरा में चुनावी सभा किया था।इस बार के चुनावी सभा से भाजपा उम्मीदवारों को काफी मज़बूती मिली है।इसके पूर्व पीएम ने कोल्हान और पालमू मे चुनावी सभा कि थी।

25 को मतदान कीजिये और सिटी बस में फ्री घूमिये,पार्क और वाहन स्टैंड भी फ्री,मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए नगर निगम का अनूठा ऑफर





झारखंड डेस्क:- रांची नगर निगम ने रांची लोकसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए दिया है अनोखा ऑफर। 25 मई को आप् मतदान कीजिये ना सिटी बस है फ्री में घूमिये।साथ हीं पार्क भी फ्री।इस आकर्षक पहल ही काफी चर्चा हो रही है। 25 मई को मतदान करने वाले शहरवासियों को कई तरह की निशुल्क सुविधा उपलब्ध कराया जाएगा।

मतदान के बाद अंगुली पर लगाई जाने वाली अमिट स्याही दिखाने पर 25 मई को निगम क्षेत्र के सभी बंदोबस्त पड़ाव स्थल पर वाहनों को रखने की सुविधा निशुल्क रहेगी। इसी तरह सभी बंदोबस्त पार्क में प्रवेश एवं सिटी बस की यात्रा भी निशुल्क रहेगी। नाबालिग बच्चों को भी प्रवेश की सुविधा इतना ही नहीं, पार्क में मतदान करने वाले शहरवासी के साथ आए नाबालिग बच्चों को भी प्रवेश की सुविधा बहाल रहेगी। निगम के प्रशासक अमित कुमार ने रांची नगर निगम क्षेत्र के सभी सम्मानित नागरिकों से मतदान दिवस के दिन मतदाता होने के कर्तव्य का निर्वहन ठीक प्रकार से और मतदान ज़रूर करने का आह्वान किया है।
झारखंड के कई जिला के लिए मौसम विभाग ने किया अलर्ट जारी,इन इलाकों में तेज़ हवा के साथ बज्रपात की संभावना



झारखंड डेस्क झारखंड के कई जिलों के लिए तात्‍कालिक अलर्ट जारी किया गया है। इसके अनुसार अगले कुछ घंटें में यहां के कई इलाकों में वज्रपात होने के साथ आंधी चलने की आशंका है। कई जगह बारिश भी हो सकती है।

रांची मौसम केंद्र ने यह जानकारी दी है। चलेगी तेज हवा मौसम केंद्र के अनुसार कुछ स्‍थानों पर तेज गति से हवा चलने की आशंका है। इसकी स्‍पीड 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा होने की संभावना है।

इन जिलों में असर मौसम केंद्र के मुताबिक इसका प्रभाव चतरा, हजारीबाग, लातेहार, लोहरदगा, पूर्वी सिंहभूम, गिरिडीह, गुमला, खूंटी, रामगढ़, रांची, सरायकेला-खरसावां, सिमडेगा, पश्चिम सिंहभूम, कोडरमा, पलामू जिले के कुछ भागों में देखने को मिलेगा। इसका रखें ख्‍याल अलर्ट को देखते हुए सतर्क और सावधान रहें। सु‍रक्षित स्‍थान में शरण लें। पेड़ के नीचे खड़ा नहीं रहें। बिजली के पोल से दूर रहें। किसान अपने खेत में नहीं जाएं। मौसम सामान्‍य होने का इंतजार करें। बिजली के उपकरणों का उपयोग नहीं करें।
जमीन कारोबारी पर दर्ज़ मामले को लेकर पुलिस गंभीर,रांची एसएसपी ने दिया थानावार लिस्ट तैयार करने का निर्देश, होगी करवाई


झारखंड डेस्क

झारखंड में पिछले कुछ दिनों जमीन कारोबारी को लेकर प्रशासन शख्त है।शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी हो रही है।

 इधर रांची पुलिस ने दागी जमीन दलाल और कारोबारियों के विरुद्ध कार्रवाई को और तेज करने का निर्णय लिया है। इसको लेकर थानावार तैयारी की जा रही है। 

जिसके बाद विशेष अभियान चला कर क्रम में वैसे जमीन कारोबारियों एवं दलाल समेत उसके आदमियों को गिरफ्तार किया जाएगा, जो दर्ज मामले में नामजद हैं। अभी पुलिस की नजरों से भागते फिर रहे हैं। इनमें से कई वांछित हैं और पुलिस को लंबे समय से इनकी तलाश है।

दर्ज प्राथमिकी की गहराई से छानबीन एवं अनुसंधान के क्रम में कई जमीन दलालों के 50 से भी अधिक मामले सामने आए हैं, जिसमें संबंधित जमीन कारोबारी एवं दलाल अप्राथमिकी अभियुक्त थे। पुलिस अधिकारियों द्वारा अनुसंधान के बाद जारी आंतरिक रिपोर्ट में ऐसे लोगों की गिरफ्तारी का आदेश भी दिया गया है। इसकी भनक लगने के बाद से नामजद बनाए गए कारोबारी एवं दलाल फरार हैं।

रांची जिला के कई थानों में जमीन दलालों के विरुद्ध मामले दर्ज हैं। ऐसे मामलों में ज्यादातर धोखाधड़ी कर भूस्वामी से जमीन हड़पने, चहारदीवारी, तैयार संरचना को ध्वस्त करने एवं गिराने, जबरिया भूखंड पर कब्जा करने, मारपीट एवं दहशत फैलाने के आरोप हैं। वहीं कई मामले में कम पढ़े-लिखे भूस्वामी से गलत जानकारी देकर एग्रीमेंट पेपर पर हस्ताक्षर लेने एवं अंकित रकम से कम देने के भी मामले हैं। 

जमीन को लेकर कई थानो में दर्ज़ हैं मामले

राजधानी से सटे रातू, नगड़ी, पुंदाग ओपी, तुपुदाना, कांके, पिठौरिया, ओरमांझी, सदर, मेसरा ओपी, लोअर बाजार, पंडरा, सुखदेवनगर समेत अन्य थाना में भूमि विवाद, कब्जा, मारपीट को लेकर जमीन कारोबारी एवं दलाल के खलाफ प्राथमिकी दर्ज हैं।

रांची एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने कहा, 'रांची शहरी क्षेत्र समेत जिला भर में कई थाना में जमीन कारोबारी एवं दलाल के विरुद्ध मामले दर्ज हैं। कई मामले में बाद में उनकी संलिप्तता सामने आई है। ऐसे लोगों की धरपकड़ और आगे की कार्रवाई के लिए अभियान को जल्द ही और तेज किया जाएगा।'

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने खूंटी में चुनावी सभा को संवोधित करते हुए बताया अटल जी ने झारखंड बनाया,और मोदी जी ने इस संवारा


झारखंड डेस्क

शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह झारखंड के खूंटी पहुंचे, जहां उन्होंने खूंटी में चुनावी जनसभा को संबोधित किया। श्री शाह ने झारखंड को बनाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया और झारखंड को संवारने का काम नरेंद्र मोदी ने दिया।

उन्होने कहा नरेंद्र मोदी की सरकार ने झारखंड से नक्सलवाद खत्म किया। बिरसा मुंडा की जयंती को जन जातीय गौरव दिवस मनाने का निर्णय लिया। बीजेपी की सरकार में आदिवासी मंत्रालय की शुरूआत हुई। गृह मंत्री अमित शाह ने सभा में राम मंदिर का मुद्दा उठाया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और झामुमो वालों ने राम मंदिर के मुद्दे ,को भटकाया। राहुल गांधी को निमंत्रण दिया गया, लेकिन वे नहीं आए। कश्मीर के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अनुछेद 370 को खत्म कर दिया।

गृह मंत्री ने कांग्रेस पर आदिवासियों के लिए काम नहीं करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की सराकर ने आदिवासी मंत्रालय बनाया है। कांग्रेस की सरकार पर घुसपैठियों का साथ देने का भी आरोप लगया और कहा कि ये घुसपैठियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते हैं।

 घुसपैठिये आदिवासी महिलाओं से धोखे से शादी कर उनकी जमीन हड़पते हैं। अमित शाह ने राहुल गांधी के ऊपर कोरोना काल में लोगों को दिग्भ्रमित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राहुल और प्रियंका ने छुप कर टीका लगवाया। कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने गरीबों के लिए कुछ नहीं किया, सिर्फ झूठे वादे किए। 

वहीं बीजेपी ने गरीबों के इलाज के लिए आयुष्मान के तहत 5 लाख तक का मुफ्त इलाज दिया है।

अमित शाह ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस के लोगों के पास 350 करोड़ रुपये बरामद हुए। ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस के सहयोगी के पास 33 करोड़ मिलने पर भी कांग्रेस को आड़े हाथों लिया।

गृह मंत्री अमित शाह खूंटी में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का चुनाव प्रचार करने आए थे। खूंटी में मतदान 13 मई को होने वाले हैं। बता दें कि, 2019 के चुनाव में अर्जुन मुंडा की जीत का अंतर 1500 वोटों से कम था। कांग्रेस की तरफ से कालीचरण मुंडा अर्जुन मुंडा को चुनौती देंगे।

क्या सोरेन परिवार के अंदर सच में महाभारत चल रहा है, सीता सोरेन और बसंत सोरेन के बयान के बाद बनी यह चर्चा की विषय...?


झारखंड डेस्क

झामुमो के अंदर कल्पना सोरेन को सक्रिय होने भी बाद पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है...?

एक तबका कल्पना सोरेन की क्षमता और सूझबूझ को पार्टी हित में अच्छा मान रहे हैं। तो कुछ लोग इसको लेकर खुश नही हैँ। लोबिन हेम्ब्रम खुलकर मीडिया के सामने अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैँ तो परिवार के अंदर भी कुछ लोगों को नागवार लग रहा है।इधर सीता सोरेन के बयान को अगर सच माना जाए तो बसंत सोरेन भी कल्पना सोरेन के एक्टिव होने से अन कोम्पोर्टेबल महसूस कर रहे हैं। हलाकि इस बयान के पीछे राजनीति भी हो सकती तो,लेकिन बहरहाल यह चर्चा का विषय जरूर् बन गया है।

इस बीच सूचना है कि दुमका के खिजुरिया स्थित शिबू सोरेन के आवास पर मंत्री बसंत सोरेन व झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल हुईं भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन के बीच गुरुवार को मुलाकात हुइ।इसके बाद जो बयान बसंत सोरेन का सामने आया इस् दोंनो आमने सामने आ गये हैं।

 शुक्रवार को दुमका समाहरणलय परिसर में झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन के नामांकन के बाद मंत्री बसंत सोरेन से मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कुछ ऐसा बोल गये कि बहस का विषय बन गया।

 मीडियाकर्मियों द्वारा यह पूछे जाने के बाद कि झामुमो छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल हुईं सीता सोरेन गुरुवार को खिजुरिया स्थित आवास गई थीं जहां आपसे मुलाकात भी हुई। क्या कुछ बातें हुईं, इसपर मंत्री बसंत सोरेन ने कहा कि भाभी सीता सोरेन मोदी परिवार में गई थीं, पर अब उनका भ्रम टूट गया है। अब वह सोरेन परिवार में आना चाहती हैं।

पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि - सीता सोरेन तो दुमका लोकसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन कर दिया है। ऐसे में मोदी परिवार को फिर से छोड़ सोरेन परिवार में कैसे शामिल होंगी..?

इसपर बसंत ने कहा 17 तारीख का इंतजार करें सब पता चल जाएगा। आगे पूछे जाने पर कहा कि सब कुछ तो कह दिया है, इंतजार करिए!

 बता दें कि सीता सोरेन ने अपना नामांकन किए जाने के ठीक एक दिन पूर्व खिजुरिया स्थित शिबू सोरेन के आवास पर पहुंचकर मंत्री बसंत सोरेन से भी मुलाकात की थी। 

इसके बाद बाहर निकलने पर मीडिया कर्मियों को बताया था कि वे अपने घर आई थीं। इसी क्रम में बसंत सोरेन से भी मुलाकात की बात कही थी। आगे कहा था कि जो बातें हुई हैं वह बताने लायक नहीं हैं।

सिता सोरेन् का दावा बसंत खुद भाजपा में आना चाहते हैं

इधर बसंत सोरेन के बयान के बाद भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन ने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर इस बात से इंकार किया है कि वह झामुमो परिवार में पुन्: जाना चाहती है। दुमका गोशाला रोड में अपने अस्थायी आवास में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बसंत सोरेन ने मेरे बारे में जो बयान दिया है वह सब बिल्कुल बेबुनियाद बातें हैं। जबकि सच्चाई तो यह है कि मैं जब कल अपने खिजुरिया आवास पर गई थी तो वहां बसंत सोरेन ने मुझे भाजपा में शामिल होने और यहां मुझे मिल रहे सम्मान को लेकर बधाई दी थी। 

साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे लिए भी आप भारतीय जनता पार्टी में कोई बेहतर स्थान देखें।

सीता सोरेन ने कहा कि बसंत सोरेन इन दिनों झामुमो में जो चल रहा है उससे परेशान हैं। जब से कल्पना सोरेन पार्टी में सक्रिय हुई हैं, वह अपने आप को दरकिनार महसूस कर रहे हैं।

 हाल ही में रांची में जो उलगुलान रैली हुई थी उसमें भी उन्होंने कल्पना सोरेन के साथ मंच साझा नहीं किया था।

 कल्पना सोरेन के आते ही झामुमो पर कब्जा जमा लिया है। इससे बसंत सोरेन उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। यही वजह है कि वह भाजपा में आना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने मुझसे बात की है।

बीजेपी नेता ने कहा कि झामुमो में कल्पना सोरेन किस पद पर हैं यह स्पष्ट करना चाहिए। वर्तमान मुख्यमंत्री को भी उपेक्षित किया जा रहा है। हाल ही में राहुल गांधी के र्काक्रम में यह दिखा। मोदी परिवार में जो सम्मान मिला है उससे अब झामुमो परिवार की ओर झांकना भी नहीं चाहती हूं। अब वहां केवल महाभारत की स्थति बनी हुई है और उस महाभारत से दूर रहकर क्षेत्र का विकास करना चाहती हूं।

दुमका लोकसभा चुनाव: दो मज़बूत राजनितिक हस्ती के बीच का सियासी जंग दुमका को बना दिया हॉट सीट

झारखंड डेस्क

झारखंड का दुमका लोकसभा सीट दो कद्दावर राजनेताओं के कारण इन दिनों हॉट सीट बन गया है। इस सीट पर शिबू सोरेन की पुत्रवधू सीता सोरेन का मुकाबला झामुमो के वरिष्ठ नेता अपने चाचा नलिन सोरेन से है। इन दोनों के बीच कांटे का टक्कर है।इस टक्कर में किसका पलड़ा भारी है इसका खुलासा 4 जून यह होगा। लेकिन सब की निगाहें इस सीट पर है।

दुमका सीट पर अपने परिवारिक अंतर्कलह और झामुमो में लगातार उपेक्षा का आरोप लगाकर सीता सोरेन ने भाजपा का दामन थामा। भाजपा ने उन्हें दुमका लोकसभा से प्रत्याशी के तौर पर उतार कर एक साथ दो निशाने पर बार किया।एक तो दुमका सीट पर शिबू सोरेन के प्रभाव का लाभ उठाने के लिए उनके पुत्रबधु को मैदान में उतरा, दूसरी तरफ झामुमो से सीता सोरेन को अलग होने से दुर्गा सोरेन से सहानुभूति रखने वाले और सीता सोरेन के समर्थको को अपने पक्ष में करके झामुमो को कमजोर भी किया।

इस बदले परिस्थिति में इंडी गठबंधन को एक् ऐसे चेहरे की जरूरत पड़ी जो सीता सोरेन को कड़ी टक़्कर दे सके उसके लिए पिछले चार दशक से राजनितिक अनुभव वाले नलिन सोरेन यह सीता सोरेन के मुकवाले में उतारा गया। अब इन दोनों मजबूत  प्रत्याशियों के कारण दुमका सीट काफी हॉट हो गया है। दोनों गठबंधन दुमका को जीतने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

दोंनो को है जनता पर भरोसा,कर रहे हैँ जीत के दावे


 भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों ही मज़बूत प्रत्याशी माने जाते हैँ।इसी लिए जानता पर दोनो प्रत्याशी को भरोसा है।

इन दोनो प्रत्याशी से लोगों को यह महसूस हो गया कि मुकाबला कांटे का है। भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन और झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन दोनों के यह दावे हैं कि उनकी जीत पक्की है। एक तरफ सीता सोरेन को खुद पर और मोदी लहर पर विश्वास है, वे जहां भी जा रही हैं यह कहती हुई नजर आती हैं कि उनके पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जिन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा को खड़ा किया, अलग झारखंड की लड़ाई लड़ी, राज्य को अलग कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की उस पार्टी और परिवार में ना तो उनका और ना ही उनकी मेरे दोनों बेटियों के साथ न्याय किया गया।

सीता सोरेन ने पारिवारिक उपेक्षा और झामुमो के अंदर के अंतर्कलह को बनाया मुद्दा


चुकी दुमका सीट दिशोम गुरु शिबू सोरेन की सीट रही है। इस लिए सोरेन परिवार से इस सीट के लोगों का खासा जुड़ाव रहा है। सीता सोरेन उन लोगों के बीच जाकर लगातार ये कह रही हैं कि उन्हें पार्टी और परिवार में जो हक मिलना चाहिए था वह नहीं मिला।वह अपने पति की मौत को भी संदेहास्पद बता रही हैं और उसकी जांच की मांग कर रही हैं।सीता सोरेन को यह भी उम्मीद है कि सोरेन परिवार ने उसके साथ जो व्यवहार किया, जनता उसे हृदय से महसूस करेगी और लोकसभा चुनाव में इसे एक बड़ा मुद्दा बनाते हुए जीत दिलाने का काम करेगी।

सीता सोरेन को भाजपा के साथ झामुमो का साथ मिलने का उम्मीद


सीता सोरेन का मजबूत पक्ष है कि वह दुमका लोकसभा क्षेत्र के जामा विधानसभा क्षेत्र से लगातार वह तीन बार से विधायक बन रही हैं। सोरेन परिवार की पुत्रवधू होने की वजह से जनता में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।सीता यह भी कहती हैं कि उन्हें अपने ससुर शिबू सोरेन का भी आशीर्वाद प्राप्त है। वह कहती हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में अब गुरु जी की नहीं चलती है। अगर वे वहां प्रभावी होते तो उन्हें झामुमो छोड़ना ही नहीं पड़ता। सीता सोरेन ये तक कह रही हैं कि उन्हें भाजपा कार्यकर्ताओं का तो साथ मिलेगा ही, साथ ही साथ झामुमो कार्यकर्ता जो सब कुछ समझ रहे हैं, वे भी उनके साथ होंगे।

नलिन सोरेन का मज़बूत पक्ष,उनका राजनितिक अनुभव और मृदुल स्वभाव


इधर, झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन का मजबूत पक्ष यह है कि वे लगातार सात टर्म से शिकारीपाड़ा विधानसभा से चुनाव जीत रहे हैं।नलिन सर्वसुलभ, मिलनसार और मृदु भाषी व्यवहार की वजह से क्षेत्र में वे काफी लोकप्रिय हैं। सिर्फ झामुमो में ही नहीं बल्कि दूसरे राजनीतिक दल के भी लोगों में उनका काफी सम्मान करते हैं। कहा जाता है कि उनके यहां जो भी किसी काम को लेकर चले जाएं चाहे वह व्यक्ति दूसरे दल से भी क्यों न तालुकात रखता हो, नलिन उनका काम जरूर कर देते हैं.जहां तक दुमका लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने की बात है नलिन सोरेन को अपने चार दशक के राजनीतिक कैरियर पर काफी भरोसा वे। वे बिना हारे सात बार से विधायक बन रहे हैं, तो लोगों में अच्छी पकड़ मानी जाती है. इसके साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उन पर जो विश्वास जताया वे। गुरुजी और हेमंत सोरेन ने टिकट पर मुहर लगाई है तो नलिन सोरेन को यह उम्मीद है कि झामुमो का जो बड़ा वोट बैंक है वे सभी इस बार भी साथ निभाएंगे और चुनावी वैतरणी पार लगाने का काम करेंगे। सीता सोरेन के संबंध में नलिन सोरेन का कहना है कि वह अपने घर में बीमार ससुर शिबू सोरेन और अस्वस्थ सास रूपी सोरेन को छोड़कर दूसरे घर में गई है तो जनता उसे कभी माफ नहीं करेगी।

क्या है चुनावी विश्लेषकों का मत..?


इस दिलचस्प चुनावी मुकाबले को लेकर जानकर लोगों का मानना है कि पिछले चुनाव में भाजपा बाहरी भीतरी के मुद्दे ( शिबू सोरेन बाहरी जबकि सुनील सोरेन लोकल ) को उछाल कर अपनी जीत दर्ज करने में सफल हुई थी। वहीं इस बार झामुमो ने नलिन सोरेन जैसे स्थानीय नेता को मैदान में उतार कर भाजपा के पुराने मुद्दे को छीन कर असमंजस में डाल दिया है।अगर थोड़ी सी इतिहास पर नजर डालें तो 1990 के बाद से भाजपा ने अपना जनाधार बढ़ाने का प्रयास शुरू किया। 1991 में भाजपा ने पहली बार बाबूलाल मरांडी को इस क्षेत्र से मैदान में उतारा पर वे शिबू सोरेन से चुनाव हार गये।हार के बाद भी भाजपा ने इस क्षेत्र को नहीं छोड़ा और कमल खिलाने को लेकर लगातार प्रयासरत करती रही।तीसरे प्रयास यानि 1998 भी बाबूलाल मरांडी भाजपा के टिकट पर झामुमो के शिबू सोरेन को परास्त करने में सफल हो गए।

 2019 में बीजेपी ने बाहरी भीतरी मुद्दा उठाकर की थी जीत दर्ज़


अगर हम बात करे चुनावी मुद्दा की तो हाल के वर्षों में यानी 2009 में झामुमो के शिबू सोरेन के खिलाफ भाजपा ने सुनील सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया।तब से इस क्षेत्र में बाहरी भीतरी का मुद्दा गरमाने लगा। अंततः 2019 में दुमका से भाजपा के सुनील सोरेन ने अपने ही गुरु को पटखनी दे दी। इस बार भाजपा के निवर्तमान सांसद सुनील सोरेन का टिकट काट कर सीता सोरेन और झामुमो ने उनके खिलाफ सात बार के विधायक स्थानीय प्रत्याशी नलिन सोरेन को मैदान में उतार कर राजनीतिक पंडितों के गुणा भाग को गड्ड-मड्ड कर दिया है। इस बार झामुमो ने बाहरी-भीतरी के पुराने मुद्दे को भाजपा से छीन कर उसे सकते में डाल दिया है। अब आने वाले समय बताएगा कि भाजपा कैसे झामुमो के बाहरी भीतरी के चक्रव्यूह से बाहर निकलती है।

 सीता सोरेन को जानता की संवेदना और मोदी लहर पर है भरोसा


झामुमो के सर्वोच्च नेता शिबू सोरेन के 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन से हार के बाद से ही यह कयास लगाया जाने लगा था कि मोदी लहर में परिस्थितियां बदलने लगी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में सुनील सोरेन को जोर का झटका तब लगा जब उनकी टिकट की घोषणा हो गई पर सोरेन परिवार की बहू और झामुमो के टिकट पर तीन बार जामा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुकीं सीता सोरेन को भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। हेमंत सोरेन के जेल चले जाने के बाद अचानक बदल चुकी राजनीतिक परिस्थिति में पार्टी की ओर से उम्मीदवार के रूप में नलिन सोरेन को चुनावी जंग में उतारना दुमका की वर्तमान राजनीतिक फिजा में एक नये हस्तक्षेप की तरह देखा जा रहा है। राजनीतिक महत्वाकांक्षा में पार्टी और परिवार से खुला विद्रोह कर भाजपा की शरण में जाने वाली सीता सोरेन को जहां एक ओर मोदी लहर पर अटूट विश्वास दिखता है, वहीं दूसरी ओर पार्टी और परिवार से अलग होने के पीछे के कारणों, पार्टी में महत्व नहीं मिलना, दुर्गा सोरेन की मौत पर जांच के लगातार फेंके जाने वाले पासो से मतदाताओं की संवेदनाएं उनके साथ होंगी, ऐसा सीता सोरेन को लगता है। 

जबकि दूसरी ओर झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन को लगभग 40-42 वर्षों का राजनीतिक अनुभव है, पार्टी में रहते हुए क्षेत्र में व्यक्तिगत प्रभाव, सरल स्वभाव व सहृदयी व्यवहार से उन्होंने अपनी जो छवि बना रखी है, लोगों को वह आकर्षित करता है।

दोनो के हैं मजबूत पक्ष,संघर्ष कड़ा होने की उम्मीद


इस तरह हम देख रहे हैं कि सीता सोरेन और नलिन सोरेन दोनों के अपने-अपने मजबूत पक्ष हैं।किसी को कम आंकना किसी भी राजनीतिक विशेषज्ञ के लिए मुश्किल कार्य है। ऐसे में अगर दोनों पक्ष अपनी पूरी ताकत से चुनाव लड़ते हैं तो मुकाबला जोरदार होने की उम्मीद है और अभी से यह अंदाजा लगाना मुश्किल होगा कि ऊंट किस ओर करवट लेगा।

धनबाद लोक सभा सीट पर कांटे का संघर्ष,किसकी जीत किसकी हार इसका फैसला 25 मई को


झारखंड डेस्क

धनबाद लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान अब धीरे-धीरे परवान चढ़ रहा है। चुनाव चिन्ह का आवंटन भी हो गया है मतदान 25 मई को होगा चुनावी समर में उतरे पच्चीस उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला,इस चुनाव में कोई कैंची तो कोई ब्रेड ,कोई कमल तो कई हाथ पर वोट मांग रहे हैँ।

चुनाव इस बार रोचक मोड़ पर है। घात प्रतिघात की संभावनाओं के बीच प्रत्याशी अधिक से अधिक संगठनों , स्वयंसेवी संस्थाओं को अपनी ओर करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं।

यह अलग बात है कि किसी भी संगठन या किसी भी जमात का कितना वोट ट्रांसफर होगा ,इसका पता तो 4 जून को ही चलेगा लेकिन।प्रत्याशी अपनी पूरी ताकत झोंक दिया है।

धनबाद में भाजपा के प्रत्याशी बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी बेरमो विधायक अनूप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह हैं । अनुपमा सिंह के पक्ष में पति अनूप सिंह ताकत झोंक दिये हैं तो ढुल्लू महतो की पत्नी सावित्री देवी भी चुनाव प्रचार में कूद गई है। पत्नी को चुनाव जिताने के लिए अनूप सिंह सुबह से लेकर देर रात तक पसीना बहा रहे हैं तो सावित्री देवी भी सुबह से देर रात तक दौरा कर रही है। जिनके भाग्य की पेटी 4 जून को खुलेगी । तब पता चलेगा कि जनता जनार्दन ने अपना मत किसे दिया है और किस पर  भरोसा किया है।

उम्मीदवार हर तरह से मतदाता को कर रहे हैं रिझाने की कोशिश

इस् बींच 3 उमीदवार चुनाव मैदान में अपनी जोर आजमाइस कर रहे हैं।कांग्रेस से अनुपमा सिंह,भाजपा के ढुल्लू महतो और मासस के जगदीश रवानी। ये तीन उम्मीदवार हैं जो चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

यूँ तो टककर कोंग्रेस और भाजपा के बीच है।लेकिन जगदीश रवानी एक ऐसा कारक बन कर इस मैदान आये हैं भाजपा को जिताने में मदद कर सकते हैं।

 क्योंकि जगदीश रवानी मासस के नाम पर कुर्मी,,रवानी का वोट काट कर अनुपमा सिंह के जीत के राह में बाधा बन सकते हैं।वैसे वोटों का धुर्वीकरण मतदान से

एक दिन पहले भी हो जाता है।और लोग यह निर्णय ले लेते हैं कि किसे वोट देना है।इस लिए यह कहना भी सही नही होगा कि कांग्रेस या भाजपा कोई कमजोर है।

 इधर अनुपमा सिंह कि लगातार दौरा चल रहा है और कोशिश हो रही है कि अधिक से अधिक मतदाताओं को अपने पक्ष में करें।वहीं ढुल्लू महतो के कार्यकर्ता में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है।

इस बींच अनुपमा सिंह ने गुरुवार को झरिया में कहा है कि आपकी बेटी बनकर आई हूं और बेटी बनकर ही सेवा करूंगी। झरिया की सभा में विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह भी शामिल कि। वहीं झरिया में ही शुक्रवार को विधानसभा स्तरीय प्रबुद्ध जन सम्मेलन में भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ त्रिपाठी ने कहा कि आज भाजपा को केवल अपने विरोधी दलों से ही नहीं बल्कि विदेशी ,पश्चिमी राष्ट्रों ,विदेशी संस्थाओं व विदेशी मीडिया से भी लड़ना पड़ रहा है।झरिया विधानसभा में भाजपा महिला विंग घर-घर जाकर वोट मांगेगी, इसका निर्णय लिया गया।

दूसरी ओर इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन सभागार में भाजपा ओबीसी मोर्चा के सम्मेलन में भाजपा उम्मीदवार ढुल्लू महतो को लोकसभा चुनाव में जिताने का संकल्प लिया गया। दोनों उम्मीदवार प्रत्यक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूप से कोयला मजदूर संगठनों से जुड़े हुए हैं। ढुल्लू महतो भी कोयला मजदूरों की राजनीति करते हैं तो बेरमो विधायक अनूप सिंह भी कोयला मजदूरों की राजनीति करते हैं। धनबाद कोयलांचल में कोयला मजदूरों की तादाद भी अच्छी खासी है। सब अपने-अपने ढंग से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं।

कई सामाजिक संगठनों की बैठक चल रही है। निर्णय लेने का प्रयास किया जा रहा है कि किस प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन का ऐलान किया जाए. कुछ संगठन तो बचना भी चाहते हैं।भीतर से भले ही किसी को समर्थन दे दें लेकिन बाहरी तौर पर उजागर नहीं होना चाहते हैं।जबकि प्रत्याशियों का दबाव रहता है कि वह घोषणा करें कि किस उम्मीदवार को उनका संगठन समर्थन करेगा।

 25 मई को होगा मतदान 

धनबाद में 25 मई को मतदान है।मतदान के 48 घंटे पहले अर्थात 23 मई को चुनाव प्रचार थम जाएगा। 25 मई को सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक, मतदान होगा।

निष्कर्ष:-

चुकी धनबाद लोकसभा में संघर्ष कांटे का है।इस लिए यह कहना मुशिकिल होगा कि जीत किसकी होगी। भाजपा के अंदर भी अंतर्कलह है,जिसके कारण इस बात से इंकार नही किया जा सकता है कि भाजपा के अंदर भी वोट का बंदरवांट नही हो सकता है। वैसे कुछ भी हो सकता है।अनुपमा सिंह के प्रति भी लोगो में भरोसा बनता जा रहा है। और कुछ खास वर्गों में उनके प्रति सिम्पैथी भी देखी जा रही है।लोगों के बीच यह भी चर्चा है कि भाजपा को लगातार धनबाद की जनता ने वोट दिया है।जीता कर संसद भेजा।यहां डबल इंजन की सरकार भी रही इसके वावजूद धनबाद की जनता को जो अपेक्षा थी वह पूरा नही हो सका। इस लिए जनता में निगेटिविटी भाजपा के प्रति भी है।