हिना शहाब के निर्दलिए मैदान में उतरने से सीवान में त्रिकोणिए हुआ मुकाबला, जानिए इसका किसको होगा फायदा और किसे होगा नुकसान
डेस्क : इस बार लोकसभा चुनाव में बिहार के सभी राजनीतिक दलों की परेशानियां बढ़ी हुई है। गठबंधन में चुनाव लड़ने के वजह से सभी पार्टियों को गठबंधन में सीट शेयरिंग करनी पड़ी है। जिसकी वजह से दलों के कई नेता निवर्तमान सांसद रहने के बावजूद बेटिकट हो गए है। वहीं कई को मनमाफिक सीट नहीं मिलने से नाराजगी। वहीं कई नेता पार्टी के अंदर अनदेखी किये जाने से नाराज होकर निर्दलिए ही चुनाव मैदान में उतर गए है।
इस राजनीतिक खेल में इसबार सबसे जहां कई लोकसभा सीटों पर त्रिकोणिए मुकाबला हो रहा है। वहीं प्रदेश की बड़ी पार्टियों को भीतरघात का अंदेशा सता रहा है। राजनीति की इस खेल में सबसे ज्यादा नुकसान इसबार राजद को होता दिख रहा है। वही इसका फायदा एनडीए गठबंधन को हो सकता है।
महागठबंधन में शामिल राजद को अभी नवादा और पूर्णिया में अपनी पार्टी और गठबंधन के नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच सीवान में दिवंगत पूर्व बाहुबली सांसद मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने निर्दलिए मैदान में उतरने का एलान कर इस परेशानी को बढ़ा दी है। जिसका सीधा फायदा यहां से एनडीए की जदयू प्रत्याशी को हो सकता है।
दरअसल राजद ने इसबार सीवान से हिना शहाब की जगह पार्टी के वरिष्ठ नेता व बिहार विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। वैसे तो अवध बिहारी चौधरी राजद के ऐसे नेता है जिनकी छवि साफ-सुथरी है। ये सीवान से लगातार विधायक भी बनते रहे है। लेकिन दिवंगत बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दी की पत्नी हिना शहाब ने यहां से निर्दलिए मैदान में उतर उनकी परेशानी बढ़ा दी है।
यह पहला मौका है जब हिना शहाब राजद के बदले निर्दलिए चुनाव मैदान में है। लोकसभा चुनाव के एलान होने के साथ ही दिवंगत बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की पत्नी का दर्द छलका था। हिना शहाब ने राजद से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि उनके पति ने राजद को जमीन से आसमान तक पहुंचाने का काम किया। आज उनके जाने के बाद सभी लोग बदल गए। उन्होंने कहा था कि उनके परिवार को इग्नोर किया जा रहा है। हिना शहाब ने सिवान के लोगों से एक होने की अपील की थी कि साहेब ने जिस पार्टी को सींचकर जमीन से आसमान तक पहुंचाया। उनके जाने के बाद वे लोग इग्नोर करना शुरू कर दिया है, लेकिन कोई बात नहीं है। साहेब ने जो विकास की लकीर खींची है, उसपर हम लोगों को गर्व है कि हम सिवान के हैं। हम चाहते हैं कि पूरा परिवार एक हो जाए। इसमें सबकी सहमति बनी रहे।
बता दें कि हिना शहाब तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन हर बार हार का सामना करना पड़ा है। वह 2009 में पहली बार सीवान से लोकसभा चुनाव लड़ी थीं। 2014 और 2019 में भी उन्हें हार का सामना पड़ा था।
गौरतलब है कि सीवान में राजद का दबदबा का सबसे बड़ा कारण दिवंगत पूर्व बाहुबली सांसद मो. शहाबुद्दीन की वजह से रहा है। शहाबुद्दीन जब तक इस सीट से चुनाव लड़े वो जीते। उनके दबदबा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वो चुनाव लड़ते थे तो किसी भी पार्टी का झंडा-वैनर तक सीवान में नजर नही आता था। वे खुद जितनी बार चुनाव लड़े जीते।
इसबार हिना शहाब के राजद से अलग निर्दलिए चुनाव लड़ने का सीधा असर राजद को होगा। दरअसल सीवान में मुसलमानों की संख्या अच्छी खासी है। इनका वोट किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत में अहम साबित होता है। राजद अबतक मुसलमानो के वोट को अपना कैडर वोट मानता रहा है। लेकिन हिना शहाब के निर्दलिए मैदान में होने से राजद का यह कैडर वोट खिसक सकता है। ऐसे में इसका सीधा फायदा जदयू प्रत्याशी विजय लक्ष्मी को हो सकता है और जदयू यहां से अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखने में एकबार फिर कामयाब हो सकती है।
Apr 23 2024, 09:45