नैमिष में गुरुवार से शुरू हुआ नव नरसिंह मंदिर का संप्रोक्षण महोत्सव
विवेक दीक्षित, नैमिषारण्य (सीतापुर)। नैमिष तीर्थ के सबसे प्राचीन दक्षिण भारतीय मंदिरों में से एक अहोबिल मठ मंदिर का नूतन स्वरूप में संस्थापना का कार्यक्रम गुरुवार से प्रारंभ हो गया । शाम को वैदिक आचार्यों के वरण संकल्प के साथ संप्रोक्षण महोत्सव का शुभारंभ हुआ ।
भगवान श्री हरि ने अपने भक्त एवं हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रह्लाद की रक्षा के लिए नृसिंह अवतार लिया था । नृसिंह भगवान के विभिन्न क्षेत्रों में उनके विग्रहों की पूजा की जाती है । श्री सारनाथन ने बताया इन नृसिंह क्षेत्र में अहोबिल क्षेत्र प्रधान है इनमें भगवान नरसिंह नौ रूपों को धारण करके दर्शन देते हैं लेकिन यह नव मूर्तियां एक ही जगह नहीं पाई जाती पर्वतों की चोटियों और वनों के अंदर इनका दर्शन होता है इसलिए नैमिषारण्य तीर्थ में सभी नव नरसिंह मूर्तियों को एक ही स्थान में निवास करने का निर्णय किया गया है।
इस उत्सव में अहोबिल मठ मंदिर में नव नरसिंह मूर्तियों से अलंकृत एक सुंदर मंदिर की स्थापना की जा रही है इसलिए इस स्थान को उत्तर अहोबिल मठ कहा जाएगा । इस आयोजन में पंद्रह कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया गया है । जिसमें पचास विद्वान आचार्यों को बुलाया गया है जिनमें चारों वेदों का विद्वान शामिल हैं । इस अवसर पर सारनाथन , एस रामानुजन, संपत, श्रीनिवास राघवन आदि भक्त उपस्थित रहे।
Apr 18 2024, 19:18